मम्मी- “मैं तो अच्छी भली हूँ, पर तेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं रहती...”
मैं- “थोड़ा खयाल रखिए पापा का..” तभी बेल बजी। मैंने मम्मी को कहा- “मैं बाद में फोन करूंगी...” कहकर फोन काट दिया।
टिफिन लेकर दरवाजा खोला, टिफिन वाले, शंकर भैया थे। शंकर उ.प्र. का भैया है। लगभग 25 साल का होगा पर देखने में 15-16 साल का हो ऐसा लगता है, सिंगल बाडी का छोटे क़द का है। वो हमारे दोनों घर से टिफिन ले जाता है। मैंने टिफिन उसके हाथ में दिया तो मुझे ऐसा लगा की टिफिन लेते वक़्त शंकर ने जानबूझ कर मेरे हाथों को छूने की कोशिश की। मैंने सोचा शायद मेरा वहम होगा।
मैं दरवाजा बंद करके खाना खाने बैठ गई। दोपहर को एक बजे मैं टीवी देख रही थी तभी रामू आया। रामू हमारी बिल्डिंग का रात का चौकीदार है और दिन में 4-5 घर में झाडू बरतन करता है। पहले ये काम उसकी बीवी करती थी, पर दो साल पहले वो भाग गई, तबसे रामू करता है। बेचारी क्या करती रामू पूरा दिन मरता रहता था। रामू की उमर तो 35 साल की होगी, पर दिखने 45 साल का लगता है। कद्दावर शरीर, काला और डरावना चेहरा, पूरा दिन मुँह में तंबाकू उसकी उमर बढ़ा देते हैं। रामू बर्तन धो रहा था, तभी मेरी नींद लग गई।
टीवी देखते-देखते मेरी आँखें भारी हो गई और मैं सो गई।
मैं दिन में घर पे पूरा दिन गाउन ही पहनती हैं। कहीं जाना होता है तो ही साड़ी या ड्रेस पहनती हूँ। अचानक ही मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे पैर को सहला रहा है, मेरे पैर पर साँप या विच्छू चढ़ गया है ऐसा मुझे महसूस हुवा तो मैं डर जाती हूँ और चीखते हुये जाग जाती हूँ।
रामू- “क्या हुवा मेडम?” रामू हाथ में पोंछा लेकर खड़ा है और पूछता है।
मेरा पूरा बदन पशीने से तरबतर हो गया था- “कुछ नहीं ऐसे ही...” मैं जवाब देती हूँ पर मन ही मन सोचती हूँ। की आज के बाद अकेली रामू की हाजरी में नहीं सोऊँगी।
3:00 बजे मैंने मम्मी को फोन लगाया, और कहा- “वो टिफिन वाला आ गया था ना इसलिए...”
मम्मी- “कोई बात नहीं बेटा..”
मैं- “पापा की तबीयत का खयाल रखना...”
मम्मी- “खयाल तो रखते हैं बेटा, पर हाथ तंग होने की वजह से दवाई बराबर नहीं होती...”
मैं- “दीदी मिली थी?”
मम्मी- “दस दिन पहले मिली थी बेटा, पर बहुत थक गई है। मालूम नहीं बेटा तेरी शादी में क्या हुवा था तब से तेरे जीजू घर पे नहीं आते, ना तो मनीषा (मेरी दीदी) को आने देते हैं। भगवान जाने क्या हुवा तेरे जीजू को? उसके पहले तो बहुत ध्यान रखते थे हमारा...”
मैं- “छोड़ो ना मम्मी पुरानी बातें, चलो मैं रखती हूँ..” कहकर मैंने फोन काट दिया। फोन रखकर मैं अतीत की यादों में खो गई।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,