XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 7 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा

फिर क्या था....उसके सर को पकड़ के पीछे धक्का दे देती है....क्यूँ कि 5 मिनट पूरे हो गये होते हैं....

जेठालाल के मुँह -पे चूत का रस तो लगा होता है..लेकिन अभी दया पूरी तरह झडि नही थी....

दया :- हान्फते हुई....उईइ माँ..जान निकाल दी...लेकिन दिखिए फिर भी में...नही झडी...

जेठालाल :- मुस्कुराते हुए...दया डोबी..तुझे ये पता है..कि शर्त की वजह से आज हमने एक दूसरे को सबसे अच्छी तरह चूसा है...

दया :- अरे हाँ..ये तो मैं भूल ही गई थी...

जेठालाल :- अब शर्त तो कोई भी नही जीता...अब चल अब हम अपना काम पूरा करते हैं..

दया :- अरे टाइम तो देखिए कितना हो गया...हाई सोना नही है.. क्या..

जेठालाल उसे गुस्से की नज़र से देखता है.....

अब देखते हैं...कि दया सो जाएगी ...क्या जेठालाल की पनोती अभी तक चल रही है...क्या फिर आज वो दया की ऐसी चुदाई करेगा जिसे वो कभी नही भूलेगी.....!!!!!!

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दया जेठालाल की ऐसी शक्ल देख के हंस देती है....

और जेठालाल भी दया को देख के हंस देती है..

दया :- अरे में तो मज़ाक कर रही थी....और अपनी हँसी हँस देती है...

(गाइस जिस तरह वो हस्ती है...वो में टाइप नही कर सकता...सो आप इम्जीन ही कर लीजिए... )

जेठालाल :- लुच्ची....मुझे सब पता है...कि तू मज़ाक कर रही है...चल दया ...अब मुझसे रहा नही जा रहा...देख मेरे लंड को...कितना बुरा हाल हो गया है इसका....तड़प रहा है बेचारा...सुबह से....मेने कैसे संभाल के रखा है मुझे ही पता है...

दया :- सुबह से....क्यूँ...

जेठालाल :- घबराते हुए...अरे इसलिए तेरी याद आते ही ये खड़ा हो जाता है...और भाइईइ बात ही करती रहेगी...चल फटाफट कर...

बस इतना सुनते ही दया खड़ी होती है...जल्दी से अपनी साड़ी और पेटिकोट अलग कर देती है..और जेठालाल के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हो जाती है...

जेठालाल तो पहले से नंगा हुआ होता है....

दया को ऐसे नंगा देख...जेठालाल उसके करीब आता है...और

और उसे अपनी बाहों में कस के पकड़ लेता है...जिससे जेठालाल की छाती दया की चुचि से चिपक जाती है...और उसका लंड फड़फड़ाता हुआ...उसकी चूत पे तो कभी उसकी नाभि से टच कर रहा था.....

तभी जेठालाल ने उसकी गान्ड को पकड़ के मसल दिया.....दया के मुँह से हल्की सी सिसकिया निकलती है....अहह...आराम से....ओह्ह्ह....

दया :- देखिए...बस अब मुझसे रहा नही जा रहा...अब इस लंड से मेरी चूत को फाड़ दीजिए..टप्पू के पापा....

जेठालाल :- दया मुझसे भी नही रहा जा रहा....और अपना लंड चूत की दीवार पे सेट कर देता है...

दया :- अरे पलंग पे तो लेट जाते हैं...

जेठालाल :- नही...आज हम पलंग पे नही करेंगे..

जेठालाल की बात सुन के दया थोड़ा चौंक जाती है...

तभी दया के मुँह से एक चीख निकलती है....

क्यूंकी जेठालाल एक ही बार में पूरा का पूरा लंड चूत में उतार देता है....

दया :- अहह.......ओह.. उईईईईईईईई माआआअ......आराम से....

जेठालाल दया की बात नही सुनता...और उसकी एक टाँग हाथ से उठा लेता है...और धीरे धीरे धक्का लगाने लगता है....बहुत ही आराम आराम से धकके लगाना शुरू करता है...लंड...पूरा बाहर आता और फिर अंदर चला जाता...

दया :- अह्ह्ह्ह..ओह्ह टप्पू की पपपा....बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा है.....उऊओह....माआ....
मुझसे अब खड़ा नही हुआ जा रहा है...पलंग पे चलते हैं ना...

जेठालाल :- नही दया...आज पलंग पे नही...

दया :- तो फिर्र कहाँ...अहहह...

जेठालाल के धक्के लगने जारी थे....

दया :- रुकिये ना.....अब मेरे पैर कांप रहे हैं...मुझसे खड़ा नही हुया जा रहा..

जेठालाल :- ओहूओ...अच्छा...और फिर उसे एक आइडिया आता है...जो कि काफ़ी दिलचस्प होता है...

शायद आज तक ऐसी जगह पर नही चोदा होगा किसी को...
 
जेठालाल दया को उठा के उस जगह पे रख देता है जहाँ उसे वो अब चोदने वाला होता है....वो उसके दोनो पैरों को उठा कर उपर की तरफ रख देता है...और दया को खीच कर थोड़ा उपर की तरफ करता है जिसकी वजह से उसकी चूत जेठालाल के करीब आ जाती है...और उसका सर पीछे की तरफ हो जाता है...

जेठालाल :- अब मज़ा आएगा मेरी दया रानी...

और दया शरमाते हुए मुस्कुरा देती है...

बॅस अब जेठालाल के इंतजार का सब्र ख़तम हो रहा था...वो अपना लंड को दया की चूत पे सेट करता है...और अंदर धक्का मारने ही वाला होता है कि तभी...

तभी दया आगे की तरफ होकर पूरा का पूरा लंड अंदर ले लेती है...दोनो के मुँह से एक साथ आवाज़ निकलती है...

अहह दयययययययाआ............उईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआआअ....टप्प्प्ुउ की पापााा.....

जेठालाल :- दया दया....क्या किया तूने..

दया :- सॉरी..

जेठालाल :- अरे डोबी सॉरी नही...मज़ा आ गया....ये तो तूने अच्छा तरीका ढूँढ लिया...

दया :- ह्म....तो फिर ऐसे ही करें...

जेठालाल अपनी गर्दन हाँ में हिलाता हुआ चालू हो जाता है...और अपना लंड एक ही बार में झटके से बाहर निकाल लेता है...जिससे दया फिर से पीछे लूड़क जाती है...

जैसे ही जेठालाल अपना लंड बाहर निकालता है...फिर से दया आगे की तरफ आ जाती है..और पूरा लंड एक ही बार में चूत में ले लेती है...और दोनो के मुँह से ऐसे ही सिसकियाँ निकलती रहती है.....

दोनो काफ़ी टाइम तक ऐसे ही एक दूसरे को चोदते रहते हैं...लंड गीली चूत की वजह से पूरी गीली हो चुका था.....पच पच पच पच की आवाज़ें और दोनो की अहह उूुउउ ओह....की आवाज़ें आ रही थी....

दया :- टप्पू के पापा...बॅस अब मुझसे रहा नही जा रहा...अहहहहा....अब में आने वाली हुन्न.....

जेठालाल :- दयया...मुझसे अब और खड़ा नही हुआ जा रहा..ऊहह...मेरा निकलने वाला है.....और में....गया.....अहह...ओह....
और अपना ढेर सारा गरम रस चूत के अंदर छोड़ देता है....

दया जेठालाल के गरम रस को नही झेल पाती और वो भी आआआअहह...माआअ....में..
भीईीईई गैिईईईईईई.....और अपना पानी छोड़ देती हाीइ.....

दोनो हान्फते हुए...एक दूसरे के उपर पड़ जाते हैं...

अब तक तो आप लोग समझ ही होंगे कि आज इन दोनो ने किस चीज़ पर चुदाई की है....!!!

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उधर अईयर के घर पे...

अईयर तो खर्राटे मार के सोया हुआ था...मगर बबीता की आँखो से नींद कोसों दूर थी....

उसको आज नींद नही आ रही थी..और उसकी वजह थी...सुबह की हुई ऑटो में घटना..सोचते सोचते उसे याद आ जाता है...कि कैसे जेठा जी मेरे बूब्स को मसल रहे थे...और अपने हाथ धीरे धीरे मेरी थाइस पर फिरा रहे थे...

इतना याद करते करते उसके हाथ अपनी चूत की तरफ बढ़ जाते हैं...और नाइट सूट के पाजामे के उपर से उसके उपर चलने लगते हैं...

उसको वो बात भी याद आ जाती है..जो आज कॉंपाउंड में लॅडीस टॉक चल रही थी...और जब माधवी भाभी ने भिड़े और खुद की चुदाई के बारे में बताया था....

अब उसका एक हाथ उसके बूब्स पर चला जाता है...और वो उसे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगती है....

जब वो अपनी चूत को मसल रही थी..तब उसे जेठालाल का चेहरा सामने आ रहा था...एक बार तो वो उसे हटाने की कॉसिश कर रही थी...

मगर जनाब जब सेक्स का नशा चढ़ता है तो कोई भी चेहरा उस वक़्त पसंद आने लगता है...

इसलिए बबीता जेठालाल के चेहरे को देखते हुए अब अपनी चूत को सहला रही थी.....अब उससे रहा नही गया...तो उसने एक बार अईयर की तरफ देखा..जो मुँह दूसरी तरफ कर के सो रहा था...

बबीता ने अपना लोवर नीचे किया और अपनी पैंटी भी घुटनो तक कर दी...और अपनी चूत पे हाथ रख दिया..

दोस्तों उसकी चूत की ये हालत थी..जैसे उसकी चूत में रस का टॅंकर हो...जो हमेशा लीक करता रहता है...वो हालत थी...

बबीता ने अपनी 2 उंगलियाँ एक ही साथ अंदर कर दी....और उसके मुँह से हल्की सी सिसकियाँ निकली..आह....और अब वो अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने लगी...

दूसरे हाथ से उसने अपने टॉप के बटन खोल दिए और ब्रा के उपर से अपने बूब्स को दबाने लगी....

नीचे उसके हाथ की स्पीड तेज़ हो चुकी थी....उसकी उंगलियाँ उसके रस से पूरी तरह भीगी पड़ी थी...और वो सिसकियाँ ले रही थी....आह जेठा जी....और ज़ोर से करीई..आह...हाँ ऐसे ही...

वो काफ़ी धीरे बोल रही थी..इसलिए उसकी आवाज़ अईयर तो सुन नही सकता था...

अब उसकी हाथ की स्पीड काफ़ी तेज़ हो गई थी....वो अभी भी बोले जा रही थी..आहह ओह...जेठा जी....और ज़ोर से..अओह्ह्ह उईईइ माँ....बॅस में तो गई....और इतना बोलते ही...अपने रस का स्वाहह कर देती है...अपनी पीठ को उठा के कुछ झटके देती है...जब तक देती है..जब तक उसका सारा रस नही निकल जाता....

वो कुछ देर ऐसे ही शांत पड़ी रहती है....और फिर अईयर की तरफ देखती है..और मन में ही बोलती है..

अईयर अगर आज तुम मेरे साथ अच्छी तरह सेक्स रिलेशन रखते तो मेरा ये हाल ना होता...

अब उसे थोड़ा गिल्ट फील भी हो रहा था...कि उसने आज जेठा जी के साथ ऐसा किया...

लेकिन बाद में सोचा...कुछ ग़लत नही है ये...जब अईयर मुझे इस मामले में खुश नही रख सकता तो ये सब ठीक है...कम से कम इससे मुझे शांति तो मिलती है...

और फिर अपने कपड़े ठीक करके थोड़ी देर के लिए बाहर अपनी बाल्कनी में चली जाती है....

जब बबीता बाहर आती है...तो उस वक़्त घड़ी में 12:30 हो रहे थे...उसे बाहर आके बहुत अच्छा महसूस हो रहा था...

बबीता :- ओह्ह...वऊओ..कितनी ठंडी हवा चल रही है...कितना रिलॅक्स फील हो रहा होता है.....और वो फिर कुछ सोच में चली जाती है...

और तभी....

 

तभी सोसाइटी में कहीं से आवाज़ आती है...आआ.हह....ओह....उ
औचह.....प्लस्सस्सस्स....छोड़ोड... ऐसा मत्त्त कार्रूऊ...ह....मर् गैिईईई........

बबीता ये सब सुन के चौंक जाती है...बॅस कुछ सेकेंड्स के लिए ही ये आवाज़ें आती है और फिर बंद हो जाती है....

बबीता थोड़ी परेशान हो जाती है..और सोचती है कि ये आवाज़ें कैसी हैं..

बबीता :- शायद मेरा वहम है...अभी अभी...यही सब सोच रही थी...शायद इसलिए...

और फिर वो अपने घर के अंदर वापिस चली जाती है...

उधर जेठालाल और दया..चुदाई के बाद इतना थक गये थे कि वो लोग वहीं सो गये जहाँ उन्होने चुदाई की थी...रिलॅक्सिंग चेयर पे.....

और हाँ एक और बात.....जो कुछ बबीता ने सुना वो उसका वेहम नही था....कुछ तो गड़बड़ है इस सोसाइटी में...!!!

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गुड मॉर्निंग गोकुलधाम.....

सुबह सुबह मेहता साहब अपने घर के सोफे पे बैठ के कुछ लिख रहे थे...और गा रहे थे....

लिखते लिखते गाने का शौक उनका पुराना था...वो आज सेक्स पे आर्टिकल लिख रहे थे तो जाहिर है...कि गाना भी कुछ ऐसा ही होगा....

जब उनकी गाने की आवाज़ अंजलि घर के बाहर से आते टाइम सुनी तो बोल पड़ी...

अंजलि :- हाई तारक आज सुबह सुबह आप कैसे गाने गा रहे हैं...

तारक :- अंजलि अब आज का टॉपिक ही सेक्स लाइफ पे है तो क्या करूँ....कुछ आइडिया ही नही सूझ रहा है..

अंजलि :- आपको सेक्स लाइफ पे लिखने में कुछ नही सूझ रहा है....मज़ाक कर रहे हैं आप...

तारक :- अंजलि करने में और लिखने में बहुत फ़र्क है.....
सेक्स करते टाइम तो हम बॅस कर देते हैं...लेकिन लिखने में वो वर्ड्स..और जब तक वो फीलिंग्स नही आ जाती तब तक आर्टिकल नही लिखा जाता..

अंजलि :- आप और आपकी फिलोसफी.......मेरे तो सर के उपर से निकल जाती है..

तभी अंजलि के हाथ से कुछ समान नीचे गिर जाता है....और वो नीचे झुकती है तो उसका सूट जो डीप गले का होता है जिसकी वजह से उसकी चुचि की कुछ झलक दिख जाती है..

तारक मन में सोचता है....यार ये अंजलि सुबह सुबह ऐसा कुछ कर देती है..और मेरा लंड खड़ा हो जाता है...अब तो इसको चोदे बिना तो रहा नही जाएगा...

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उधर जेठालाल के घर पे....

जेठालाल डाइनिंग टेबल पे बैठ के चाइ पी रहा था.....और टप्पू सोफे पे बैठ के फोन पे गेम खेल रहा था..

जेठालाल :- टप्पू बेटा फोन ला जल्दी..

टप्पू :- पापा बस एक मिनट...

जेठालाल :- रोज़ तू एक मिनट एक मिनट करके...फोन की सारी बटेरी ख़त्म कर देता है....अरे दया..जल्दी रुमाल ला भाई देर हो रही है...

दया :- लाई.....

जेठालाल :- टप्पू अब फोन दे दे...मुझे लेट हो रहा है बेटा...

और तभी फोन की घंटी बज उठती है...

जेठालाल फोन उठा के..

जेठालाल :- हेल्लूओ ...

दूसरी तरफ से....में नट्टू काका बोल रहा हूँ गाड़ा एलेक्ट्रॉनिक्स से..

जेठालाल :- हाँ नट्टू काका बोलो..

नट्टू काका :- सेठ जी में कब्से आपको फोन लगा रहा हूँ...आप बार बार मेरा फोन क्यूँ काट रहे हैं..

जेठालाल :- अरे वो टप्पू मोबाइल में गेम खेल रहा है तो वो ही काट रहा होगा...अच्छा ये बताइए क्या काम था..

नट्टू काका :- सेठ जी में तो बस इसलिए फोन कर रहा था...कि आप आज दुकान आएँगे कि नही...

जेठालाल अपना मुँह बनाते हुए..

जेठालाल :- नट्टू काका...मेरी क्या आप अटेंडेँसे ले रहे हैं...हाजरी लगानी है आपको दुकान पे...जो ऐसे वाहियात चीज़े पूछनी है....में क्या रोज़ छुट्टी करता हूँ..

नट्टू काका :- सेठ जी..आप सेठ लोग है..आपका क्या भरोसा..

जेठालाल :- आईएईईए.....आप फोन रखिए में दुकान आ रहा हूँ...

और फोन कट कर देता है....

तभी जेठालाल टप्पू से फोन खिचने चला जाता है...टप्पू बचने के लिए सोफे से चिपक जाता है....

जेठालाल उसके हाथ से फोन खिचने की कॉसिश करता है..लेकिन उसके हाथ में नही आ पाता.....और फिर...टप्पू के हाथ से फोन सोफे के अंदर गिर जाता है.....

अब आगे देखते हैं ये फोन क्या गुल खिलाता है.....

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जेठालाल टप्पू से फोन छीनने की कॉसिश करता है....और उसकी वजह से फोन टप्पू के हाथ से गिर जाता है और सोफे के अंदर चला जाता है अब आगे....

जेठालाल को जब पता चलता है कि उसका फोन सोफे के अंदर चला गया और ज़ोर से चिल्लाता है....

जेठालाल :- टप्पूउूुुुुउउ.....ये देख नालयक क्या किया तूने...फोन अंदर गिरा दिया...

जेठालाल की ऐसी चीखने के आवाज़ सुन कर दया बाहर आती है..

दया :- क्या हुआ टप्पू के पापा...आप क्यूँ चिल्ला रहे हो...

जेठालाल :- ये देख तेरे बेटे ने क्या किया है...मेरा फोन सोफे के अंदर डाल दिया है...

टप्पू दोनो की बातों को ना सुनते हुए..सोफे के अंदर हाथ डाल के फोन ढूढ़ने की कॉसिश कर रहा था..

दया :- गिराया नही होगा...गिर गया होगा ग़लती से ... अभी डाँटती हूँ..
टप्पूअयू बेटा....

जेठालाल :- बसस्स टप्पू बेटा...ख्तम..इतना ही डांटना था....अकल है तुझमे...डोबी...

दया :- आप शांत रहिए...मिल जाएगा फोन...

जेठालाल :- क्या शांत रहिए...कितना ज़रूरी फोन आना है उसमे..पता है तुझे..

दया :- नहियीई.....मेरा मतलब है..रूकिए में कॉसिश करती हूँ...
टप्पू तू हट में कॉसिश करती हूँ..

टप्पू अपना हाथ हटा लेता है...और दया अपना हाथ सोफे के अंदर डाल के फोन ढूढ़ने लगती है...

जेठालाल :- मिला फोन दया...

दया :- एक मिनट ज़रा रूकिए..ढूँढ रही हूँ..

जेठालाल :- जल्दी ढूँढ भाई...

कुछ मिनट तक दया ढूँढती है लेकिन उसे नही मिलता ...तो वो अपना हाथ बाहर निकाल लेती है..

जेठालाल :- मिल गया?

दया :- नही मिला...

जेठालाल गुस्से में..

जेठालाल :- मुझे पता था....तुम माँ बेटे किसी काम के नही हो...दोनो को बस मेरा काम बिगाड़ना आता है...तू हाथ हटा वहाँ से...नॉनसेन्स...

और दया वहाँ से हट जाती है...

लेकिन वहाँ पे फिर बापूजी आ जाते हैं..

जेठालाल टप्पू को डाँट रहा होता है...

जेठालाल :- ये देख टप्पू...क्या किया तूने...

बापूजी :- ए जेठिया सुबह सुबह क्यूँ टप्पू को डाँट रहा है...

जेठालाल :- देखिए ना बापूजी...इस टप्पू ने मेरा फोन सोफे के अंदर डाल दिया है....अब मिल नही रहा है...

बापूजी :- तो इसमे गुस्सा करने वाली क्या बात है....रुक मेरा हाथ पतला और लंबा है... में कॉसिश करता हूँ...

दया :- हाँ बापूजी आप कॉसिश करिए...

जेठालाल दया को नोचते हुए....तू चुप रह ना भाई....

दया चुप हो जाती है...

और बापूजी अपना हाथ सोफे के अंदर डाल देते हैं...
 
दूसरी तरफ से टप्पू बार बार बोल रहा था...मिला दादाजी....मिला फोन..

बापूजी फोन निकालने में लगे हुए थे....थोड़ी देर बाद वो चिल्लाते हैं....

बापूजी :- आईईई जेठियाआआआआ.....

जेठालाल :- अरे वाहह फोन मिल गया...कमाल हो गया ...

दया :- वाहह बापूजी....

और सब तालियाँ बजाने लगते हैं...

बापूजी :- आईए बपुचक.....फोन नही ...मेरा हाथ फस गया है...निकल नही रहा...

सब के मुँह से एक साथ निकलता है..
क्य्ाआआ......

जेठालाल :- बापूजी....आपका हाथ कैसे फँस गया...कॉसिश करिए निकालने की...

बापूजी :- बाबूझक वही तो कर रहा हूँ...मगर नही निकल रहा है...

दया :- हे माँ माताजी....अब क्या होगा..

जेठालाल :- ये देख टप्पू तेरी वजह से...क्या हो गया आज..

टप्पू :- सॉरी दादाजी...सॉरी पापा...

बापूजी :- जेठिया टप्पू को डांटना बंद कर....और मेरा हाथ निकालने की कॉसिश कर्र....

जेठालाल बापूजी का कंधा पकड़ के हाथ खिचने की कॉसिश कर रहा होता है...जिसकी वजह से बापूजी जेठालाल के वजन की वजह से नीचे की ओर दब जाते हैं..

बापूजी :- आई जेठिया हट हट मेरे उपर से...

जेठालाल हट जाता है और बोलता है...क्या हुआ बापूजी..

बापूजी :- आई बापूजी वाडी...तू मेरा हाथ निकाल रहा है...या मुझे अपने नीचे दबा रहा है....तू रहने दे...में अपने आप कॉसिश करता हूँ...

टप्पू :- क्मोन दादाजी...आप निकाल सकते हैं...

बापूजी काफ़ी देर कॉसिश करते हैं..लेकिन वो निकाल नही पाते...और थक के वैसे ही बैठ जाते हैं...

 
जेठालाल दया और टप्पू तीनो ही चिंता में थे..तभी जेठालाल को आइडिया आया....

जेठालाल :- दया जल्दी चाकू ला .... काट देते हैं..

दया :- हीय्यी माँ माताजी....टप्पू के पापा आप क्या कह रहे हैं....इतनी छोटी सी बात पे आप बापूजी का हाथ काट देंगे...

बापूजी :- हैंन्णणन्....

जेठालाल :- नही बापूजी.....ये नॉनसेन्स दया.....में हाथ काटने की नही ... सोफा काटने की बात कर रहा हूँ...

दया :- अच्छा....अभी लाती हूँ...

बापूजी :- नही...सोफा काटने की ज़रूरत नही है...में फिर से कॉसिश करता हूँ...

दया :- हाँ बापूजी थोड़ा उधर ..हाँ थोड़ा इधर..

जेठालाल :- तुझे क्या सोफे के अंदर के रास्तों का पता है....रोज़ क्या वहाँ टहल कर आती है...जो बोल रही है..इधर उधर...

दया :- क्या...क्या...कुछ समझ नही आया..

जेठालाल :- तू चुप रह ना नॉनसेन्स...

इधर जेठालाल का फोन पे फोन बजे जा रहा था...

फिर से ये फॅमिली शुरू हो जाती हैं बापूजी का हाथ बाहर निकालने के लिए....काफ़ी बापूजी को उल्टा करते हैं...कभी उनका हाथ बाहर खिचने की कॉसिश करते हैं....

फिर दया बोलती है...

दया :- एक काम करते हैं..सोफे को उल्टा करते हैं...शायद उससे हाथ बाहर आ जाए..

जेठालाल :- हाँ एक बार ये भी ट्राइ करते हैं..

और फिर तीनो आराम आराम से सोफे को उल्टा करते हैं...तभी नीचे से आवाज़ आती है..

बापूजी :- आईई जेठियाआआआआ....

जेठालाल :- दया डोबी...जल्दी से सोफा उपर कर लगता है बापूजी को सांस नही आ रहा है...

जैसे भी सोफे को उपर करते हैं...बापूजी अजीब सी पोज़िशन में ज़मीन पर लेटे होते हैं...और उनका हाथ भी सोफे के अंदर से निकला हुआ होता है....

जेठालाल बापूजी को उठा के सोफे पे वापिस रखता है...

जेठालाल :- बापूजी आप ठीक हैं...

बापूजी :- जागते हुए...हाँ हाँ..में ठीक हूँ...मगर तेरा फोन अभी भी वहीं है...

तभी जेठालाल का फोन बजने लगता है....
 
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