XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन ) - Page 6 - SexBaba
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XXX Kahani नागिन के कारनामें (इच्छाधारी नागिन )

राज ने सतीश को यह नहीं बता रखा था कि उस रात को खंजर से हमला करने वाले का शिंगूरा से कोई सम्बन्ध था। फिर भी सतीश का ख्याल था कि उस हमले की तह में जरूर शिंगूरा का ही हाथ था। उसे इस बात का सन्देह था और राज को विश्वास। \

कई दिन तक न तो कोई नई घटना घटी थी और न ही राज को कोई कदम अपनी तरफ से उठाने के लिए कोई रास्ता ही मिला था। लेकिन एक दिन उसके हाथ अनापेक्षित तौर पर एक सुराग लग ही गया।

राज सुबह दस बजे के करीब डॉक्टर सावंत के यहां जा रहा था। क्योंकि दिन का वक्त था और राज ने रास्ते में से कई चीजें खरीदनी थी, इसलिए कार वो घर ही छोड़ आया था।

फोर्ट एरिया की एक दुकान से कैमरा फिल्म का रोल खरीद कर बाहर निकला तो सामने की तरफ कुछ दूरी पर एक कार आगे आकर रूकी और उसमें से उतरकर शिंगूरा कपड़ों की एक दुकान में चलगी गई।

शिंगूरा को देखकर राज ठिठक गया था। अचानक एक ख्याल राज के जेहन में उभरा कि क्यों न शिंगूरा की पीछा करके देखा जाए कि वो कहां-कहां जाती है और क्या-क्या करती

राज ने डॉक्टर सावंत के यहां जाने का विचार छोड़ दिया और शिंगूरा का पीछा करने के लिए तैयार हो गया। उसने एक खाली टैक्सी रोकी और उसके ड्राईवर को समझा दिया कि उसे क्या करना है। और यह भी कह दिया कि अगर वो अपने मकसद में कामयाब रहा तो ड्राईवर को किराये कि अलावा इनाम भी देगा।

ड्राईवर बम्बई का श्याना था, इसलिए वो फौरन समझ भी गया और वह धूर्तता पूर्ण ढंग से मुस्कराकर सहमत भी हो गया। उसने टैक्सी एक कोने में खड़ी कर ली और स्टेयरिंग पर सिर रख कर बैठ गया। लेकिन उसकी गिद्ध निगाहें शिंगूरा की काली कार पर ही जमी हुई थीं जो राज ने उसे दिखाई थी।

करीब बीस मिनट बार शिंगूरा उस दुकान से बाहर निकली, उसके हाथ में छोटा सा एक पैकेट था। वो धीरे-धीरे बड़ी नजाकत से चलती हुई आकर अपनी कार में बैठ गई।

कार रवाना हुई तो राज का ड्राईवर भी चौंकन्ना हो गया और उसने एक उचित फासला दरम्यान में रखकर शिंगूरा की कार का पीछा करना शुरू कर दिया।

दोनों गाड़ियों आगे पीछे कोई बीस मिनट तक शहर की विभिन्न सड़कों पर दौड़ती रहीं। राज हैरान था कि वो जा कहा रही है?
फिर अचानक प्लाजा होटल के सामने शिंगूरा की गाड़ी रुक गई और शिंगूरा कारे से उतर कर लहराती-बल खाती हुई होअल में दाखिल हो गई।

"वो तो होटल में चली गई....।" टैक्सी ड्राईवर ने भी टैक्सी रोककर पीछे मुड़ते हुए कहा।

"तो हम इंतजार करते हैं।” राज ने कहा, और शिंगूरा की वापसी का इंतजार करने लगा।

लेकिन जब आधे घंटे तक भी शिंगूरा बाहर न आई तो राज ने ड्राईवर से कहा
"मैं गाड़ी में बैठा हूं, तुम जरा जाकर पता लगाने की कोशिश करो कि वो अन्दर क्या कर रही है...।'

राज ने जेब से पचास-पचास के दो नोट निकाले और ड्राईवर की तरफ बढ़ा कर बोला
"होटल के किसी वेटर को बीस-बीस रुपए देकर अपने तीरके से पूछोगे तो सारी कथा कह देगा....।"

"म....मगर साहब..."

"अरे, कुछ अगर-मगर नहीं, डरो मत। मैं बैठा हूं न यहां।" राज ने उसे तसल्ली दी।

ड्राईवर ने ऐसे सिर हिलाया, जैसे सब समझ गया हो। नोट लेकर टहलता हुआ वो होटल की तरफ बढ़ गया।

पूरा एक घंटा राज को इन्तजार करते हुए गुजर गया, न तो शिंगूरा होटल से निकली, न ही टैक्सी ड्राईवर ही वापिस आया। अकेले बैठे-बैठे गेट पर निगाहों जमाए राज उकता गया।

आखिर राम-राम करके टैक्सी ड्राईवर बाहर निकला और तेज-तेज कदम उठाता आया और टैक्सी की अपनी सीट पर बैठ कर बोला
"मैंन सब मालूम कर लिया है...लेकिन अब वो बाहर आ रही है। इसलिए कथा आराम से कहीं बैठ कर सुनाऊंगा। फिलहाल हमें उसका पीछा जारी रखना होगा।

"ठीक है, अभी पीछा जारी रखो।"
इतने में शिंगूरा होटल के दरवाजे पर प्रकट हुई और अपनी कार में बैठ कर चल पड़ी। एक बार फिर दोनों कारें आगे-पीछे सड़क पर दौड़ने लगीं।
 
कई मोड़ों से घूमने के बाद और कई सड़कों पर चक्कर काटकर शिंगूरा की कार शहर से बाहर जाने वाली सड़क पर पहुंच गई। इस सड़क पर चूंकि ट्रेफिफ कम होता है, इसलिए टैक्सी ड्राईवर ने दोनों गाड़ियों के बीच का फासला कुछ बढ़ा लिया। लेकिन शिंगूरा की गाड़ी को नजरों से ओझल नहीं होने लिदया।
आबादी बहुत पीछे छुट जाने के बाद भी वो काफी देर तक चलते रहे । सड़क के किनारों पर कहीं-कहीं इक्का-दुक्का मकान बने हुए थे, बाकी हर जगह सड़क वीरान ही पड़ी मिलती थी। वो कोठी एक-दूसरे से काफी काफी फासले पर बनी हुई थीं।

आखिकरकार इन्हीं छोटी-छोटी कोठियों में से एक हल्के नीले रंग की कोठी के सामने पहुंच कर शिंगूरा की कार यक गई यह कोठी दूसरी कोठियों में काफी दूर और सड़क से काफी अलग-थलग एक खाली जगह पर बनी हुई थी।

टैक्सी ड्राईवर ने भी टैक्सी काफी फासले पर रोक ली।
दस मिनट बाद जब राज को अच्छी तरह अन्दाजा हो गया था कि शिंगूरा कोठी के अन्दर चली गई है तो वो टैक्सी को आहिस्ता-आहिस्ता चलवाता हुआ कोठी के सामने से गुजरा।

राज ने कोठी को गौर से देखा, आधुनिक ढंग से बनी हुई बहुत खूबसूरत कोठी थी। पीछे की तरफ खूबसूरत फूलों से सजा बगीचा भी था।

कोठी का नक्शा और आसपास का माहौल अच्छी तरह याद करे लेने के बाद राज ने ड्राईवर से कहा
"चलो भाई, अब वापस चलते हैं।"

लेकिन वापिसी पर अपने घर जाने के बजाय वो डॉक्टर सावंत के यहां जा पहुंचा और टैक्सी ड्राईवर को साथ लेकर अन्दर चला गया, ताकि उससे प्लाजा होटल के अन्दर की बातों के बारे में पूछ सके।

डॉक्टर सावंत बड़ी बेसब्री से राज को इन्तजार कर रहा था और परेशान था कि हर रोज की तरह आज राज तय वक्त पर क्यों नहीं पहुंचा था?
राज को कमरे में दाखिल होते देखे कर वो कुछ कहना चाहता था, लेकिन राज के पीछे एक अजनबी चेहरा देखकर वो खामोश रह गया।

राज ने इत्मीनान से बैठ कर पहले तो उसे पीछा किए जाने के बारे में बतया, फिर ड्राईवर को साथ लाने का मकसद बताते हुए ड्राईवर से कहां
"अच्छा तो भाई, अब तुम बताओ कि होटल में तुमने क्या मालूम किया और तुम्हें होटल के अन्दर इतनी देर कैसे और कहां लग गई थी....।"
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ड्राईवर ने पहले खंखारकर गला साफ किया, जैसे कोई बड़ी अहम बात कहने जा रहा हो। फिर बोला-"जब मैं होटल में दाखिल हुआ था तो बहुत परेशान था कि मैं क्या करूं ? किससे पूछू? वो औरत कहीं भी मुझे नजर नहीं आई थी, न डायनिग हॉल में, न ही बार में। जब मैं मायूस होकर वापस आने लगा था तब मुझे अपना एक पुराना जानकार वेटर नजर आ गया। मुझे सारी मुश्किल हल होती नजर आने लगी। मैंने उसके पास जाकर उससे इधर-उधर की बातें की और फिर दोनों नोट उसके हाथ में रखे और उससे उस औरत के बारे में पूछा । क्योंकि वो औरत चेहरे पर अजीब सा नकाब पहने रहती है। इसलिए जो शख्स भी उसे एक बार देख लेता है, उसके दिमाग में उसकी याद रह जाती है। वेटर उस औरत की हुलिया सुनकर फौरन समझ गया। उसने मुझे सब कुछ बता दिया। उसने बताया कि पांचवीं मंजिल पर कलकत्ता का एक नौजवान बिनेसमैन ठहरा हुआ है, जो बेहम अमीर है, यह औरत पांच सौ पैंतीस नम्बर में उसी नौजवान से मिलने वहां जाती है।

वो नौजवान तीन महीने से होटल में ठहरा हुआ है और वो और बिना नागा हर रोज उसने मिलने जाती है। दोनों अक्सर साथ घूमने जाते हैं। हालात बताते हैं कि उन्हें एक-दूसरे से मोहब्बत है और उस वक्त भी वो औरत उसी दौलतमंद नौजवान के कमरे में गई हुई थी।
 
आखिर में मेरे दोस्त वेटर से मुझे कहा कि तुम चाहो तो अभी उनको करीब से देखा सकते हो। वो मुझे लिफ्ट से पांचवीं मंजिल पर ले गया। पांच सौ पांच के सामने वाला पांच सौ पैंतीस नम्बर कमरा खाली पड़ा हुआ था और साथ ही पांच सौ पैंतीस के बीच पतली सी दीवार है। वहां से शायद उन लोगों की सारी बातें भी सुनाई दे जाएं। पांच सौ पैंतीस पहले दो कमरों का रूम था जिनके बीच में एक दरवाजा था, अब दरवाज को दोनों तरफ से बन्द करके दो कमरे बना दिये गए हैं। दोनों दरवाजों पर पर्दे टंगे रहते हैं। हो सकता है वहां किसी जगह से कुछ दिखाई भी दे जाए।

मैंने उस दरवाजे के चाबी के छेद में से देखा, उस औरत ने नकाब और चश्मा दोनों उतार रखे थे और नौजवान उसे अपनी गोद में भरे ताबड़तोड़ प्यार कर रहा था। करीब पन्द्रह मिनट में वहीं खड़ा उनकी बातें सुनता रहा। जिनसे मैंने यह समझा कि दोनों एक-दूसरे से बेहद मोहब्बत करते थे। वो दोनों शादी पर दी जाने वाली पार्टी के बारे में प्रोग्राम बना रहे थे। वो नौजवान बहुत खूबसूरत था और दौलतमंद तो वह था ही, लेकिन उसक मुकाबले में वह औरत इतनी ज्यादा हसीन थी कि वैसी हसीन सूरत मैंन आज तक नहीं देखी।''

ड्राईवर खामोश हुआ तो राज ने उससे पूछा
"क्या तुम उस औरत का हुलिया बता सकते हो?"

"उस औरत का हुलिया बताना बहुत मुश्किल है।" ड्राईवर ने जवाब दिया-"वो इतनी ज्यादा हसीन थी कि शब्दों में उसका हुलिया बताना बहुत मुश्किल है। से ब की तरह गाल लाल-लाल, भरे-भरे होंठ, गुलाबी नाक, बड़ी प्यारी सी ठोड़ी, मोतियों जैसे चमकते दांत, बड़ी-बड़ी काली जादू भरी आंखें जिनमें असली जादू था। मेरे ख्याल में अगर वो चश्मा उतारक निकाल करे तो सैंकड़ों आदमी उस पर मर मिटें। और एक खास निशान उसके दायें गाल पर ऐसा था जो उसे पहचानने में भारी मदद कर सकता है। लेकिन मैं यकीन से नहीं कह सकता था कि वो परमानेंट निशान था या टेम्परेरी।"

"कया निशान था वो?" राज ने बेसब्री से पूछा।

"वो कोइ आधे-आधे इंच की दो नीली लकीरें हैं जो पास-पास उसके दाएं गाल पर बनी हुई हैं। क्यों गालों को रंग गुलाबी है इसलिए हल्के नीले रंग की लकीरें साफ नजर आती हैं। लेकिन वो नौजवान उस हसीना को बहशियों की तरह प्यार कर रहा था। वो लकीरें कहीं....मेरा मतलब है....।" ड्राईवर झिझक रहा था।

"ठीक है। मैं तुम्हारा मतलब समझ गया।" राज ने मुस्करा कर कहा।

उसके बाद ड्राईवर ने फिर कहना शुरू किया
"मैं उन्हें उनके हाल पर छोड़ कर बाहर आ गया था और मैंने अपने दोस्त से कहा था कि कि वो किसी तरह उस नौज्वान का नाम-पता वगैरह बता दे। वो मुझे साथ लेकर होटल के दफ्तर में गया और क्लर्क से उसकी गहरी जान-पहचान लगती थी, क्योंकि वो उससे हंस-हंस कर बातें करता रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने आकर मुझे बताया था कि उसे नौज्वान का नाम सलीम अनवर है। वो कलकत्ता के एक दौलतमंद खानदान से सम्बंध रखता है। पता है सिकन्दर विला, चौरंगी कलकत्ता। मैंने जल्दी-जल्दी नाम पता नोट करलिया। उसकी वक्त मैंने दूर से उस औरत को आते देखा और जल्दी-जल्दी वेटर से विदा लेकर बाहर आ गया। बस यही है सारा मामला।” उसने रुक कर गहीर सांस ली।

"काफी अक्मलंद आदमी नजर आते हो।" डॉक्टर सावंत ने पूरी बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा तो वो झेंप गया। राज ने किराये के अलावा दो सौ रुपए और दिए और उसे भेज दिया। और सावधानी के तौर पर उसका पता नोट बुक में नोट कर लिया, ताकि कभी जरूरत पड़े तो आसानी से उसे तलाश कर सके।

ड्राईवर के जाने के बाद डॉक्टर सावंत ने कहा
"आज तो तुमने बहुत काम कर दिए....।"

"जी हां। लेकिन संयोग से चालू ड्राईवर न मिल पाता तो कुछ भी न हो पाता। सिर्फ उसकी कोठी का पता चला लेना कोई अहम काम नहीं था। अहम बातें तो वो है है जो टैक्सी ड्राईवर प्लाजा होटल में मालूम करके आया था।"

"इसमें कोई शक नहीं कि तुम्हारा ड्राईवर बड़ी कामयाब जासूसी करके आया है।" डाक्टर सबांत ने मुस्कराकर कहा, "लेकिन अब देखना यह है कि इन घटनाओं से हम किस नतीजे पर पहुंचते हैं और अब हमें क्या करना है? या इन घटनाओं से हमें क्या फायदा पहुंचा सकता हैं"

"यही तो हमें सोचना हैं" राज बोला, "हमें इन घटनाओं से हमें कोई मदद नहीं मिल सकती। सिवाय इसके कि उस रहस्यमयी औरत की निली जिन्दगी के कुछ हालता हमें मालूम हो चुके हैं। एक सवाल मेरे जेहन में और पैदा होता है कि क्या शिंगूरा वाकई उस सलीम नाम के दौलतमंद नौजवान से शादी कर रही हैं। हो सकता है वो उसे बेवकूफ बना रही हो?"

"नहीं। ऐसा नहीं हो सकता।" डॉक्टर सावंत ने कहा-''शिंगूरा खुद भी काफी मालदार है, उसका भाई मिस्त्री और इण्डियन सामानों का इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट करता है। हो सकता है वो उस नौजवान से सच्चा प्यार करती हो और वाकई उससे शादी करना चाहती हो?"

"लेकिन फिर भी मैं उस नौजवान के बारे में कुछ खोजबीन करना चाहता हूं।"

"कैसे?" डॉक्टर सावंत ने हैरत से पूछा।

"उसका नाम और पता मुझे मालूम हो गया है। मैं कलकत्ते में अपने एक दोस्त को आज ही फोन करता हूं कि वो उसके बारे में हमें आज ही सूचना दे दे। खासतौर पर मालूम करे कि बम्बई के इस लम्बे प्रवास में उसने कितना रुपया मंगवाया है या अपने बैंक से निकाला है।"

"इससे क्या हासिल होगा?' डाक्टर सावंत ने पूछा।

"इससे हमें यह मालूम हो जाएगा कि शिंगूरा उस नौजवान से वाकई प्यार करती है या फिर उसे बेवकूफ ही बना रही है।"

"खैर....यह भी करके देख लो।" डॉक्टर सावंत ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा, "चलो छोड़ो! कुछ देर काम कर लेते हैं।
आज एक नए सांप का जहर निकालना है।"

"चलिए।" राज ने कहा और वो दोनों लेब्रॉटरी में हर रोज की तरह काम में व्यस्त हो गए।
 
"चलिए।" राज ने कहा और वो दोनों लेब्रॉटरी में हर रोज की तरह काम में व्यस्त हो गए।

राज ने अपने एक दोस्त को कलकत्ता फोन कर दिया कि वो सलीम अनवर की बैकग्राउंड मालूम करके उसी दिन उसे सूचना दे।

सतीश से भी उसने नई जानकारी का जिक्र कर दिया था। सतीश का सुझाव यह था कि टैक्सी ड्राईवर को उचित मुआवजा देकर शिंगूरा के पीछे लगा दिया जाए। वो आदमी क्योंकि चतुर दिखाई देता था, इसलिए बढ़िया तरीके से काम कर दिखाएगा।

लेकिन डॉक्टर सावंत इस सुझाव का विरोधी था। उसका कहना था, खामखां एक आदमी उसके पीछे लगाना ठीक नहीं है। उसकी गतिविधियां गुप्त नहीं हैं। कोठी से बाहर वो अपना हर काम इस तरह करती है कि किसी को उस पर किसी किस्म का सन्देह न होने पाए।

फिलहाल राज भी उसे मुनासिब नहीं समझता था। क्योंकि टैक्सी ड्राईवर का क्या भरोसा था? आज अगर वो इनके लिए काम करता हो सकता है, किसी तरह शिंगूरा को मालूम हो जाता तो वह ज्यादा पैसा देकर ड्राईवर को खरीद कर इन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल करने लगती।

उसके बाद चार-पांच दिन और इसी तरह गुजर गए। राज के कलकत्ते वाले दोस्त सुधीर की तरफ से उसे अभी तक कोई जवाब नहीं मिला था। उसने एक-दो बार फोन करके सिर्फ इतना कहा था कि जानकारी हासलि कर रहा हूं, जरा देर लग सकती है।

सुधीर की तरफ से राज को सन्तोष था कि वो हर किस्म की जानकारी हासिल करने में कोई कसर न उठा रखेगा। वो क्योंकि किसी वक्त सीक्रआईक्रडीक में नौकरी कर चुका था, इसलिए इस तरह के काम करने उसे आते थे। फिर भी राज बेसब्री से सुधीर की तरफ से किसी बढ़िया जवाब का इन्तजार कर रहा था।

लेकिन उसका जवाब आने से पहले एक अजीब घटना घट गई।

करीब एक हफ्ता गुजर गया था कि एक दिन सतीश और राज सुबह-सुबह नाश्ता को रहे थे जब अखबार वाला अखबारें दे गया। नीलकण्ठे हर रोज की तरह नाश्ते को भी भूलकर एक नजर अखबार की सुर्खियों पर डालने लगा।

जब वो दूसरे पन्ने को देख चुका तो तीसरे पर उसकी नजर पड़ी। यह काले हाशिये में एक मोटी सी सुर्सी थी
कलकत्ता के अमीरजादे की दर्दनाक मौत।

शादी से एक सप्ताह पहले सांप ने डस लिया।

खबर की दूसरी सुर्थी पढ़कर राज के जिस्म में सनसनी की लरह दौड़ गई और चेहरे पर हवाईया सी उड़ने लगीं। सतीश ने भी शायद उसके चेहरे के बदलते रंग देख लिए थे। वो फौरन उठ कर राज के पीछे आ खड़ा हुआ और अखबार की सुर्खियों पढ़ने लगा।

"ओह....।" अखबार की सुर्शियां पढ़कर उसके मुंह से एक तेज सांस निकल गई, जैसे वो सब समझ गया हो। उसके बाद उन्होंने खबर विस्तार से पढ़नी शुरू कर दी।
 
बम्बई। आज सुबह प्लाजा होटल के एक कमरे में कलकत्ता के एक अमीरजादे की लाश पाई गई। बाद में तफ्तीश से मालू नौजवान पिछले तीन-चार महीनों से प्लाजा में ही ठहरा हुआ था। वो काफी दौलतमंद शख्स था और कलकत्ता में उसका कारों का बहुत बड़ा कारोबार था। बम्बई वो सैर सपाटे के लिए आया था। लेकिन यहां किसी क्लब में उसकी मुलाकात शिंगूरा नाम की एक सुन्दरी से हुइ और सलीम तथा शिंगूरा आपस में मोहब्बत कर बैठे और दोनों शादी की प्लानिंग करने लगे।

शिंगूरा के भाई को भी इस शादी पर कोई एतराज नहीं था। इसलिए शिंगूरा हर रोज सलीम से मिलने प्लाजा होटल आया करती थी। इसी तरह तीन-चार महीने गूजर गए थे और शिंगूरा के ब्यान के मुताबिक अगले हफ्ते उनकी शादी की रस्म पूरी होने वाली थी, कि रात को उस बदकिस्मत नौजवान को सांप ने डस लिया।

हर रोज की तरह ग्यारह बजे सलीम सोने के लिए अपने कमरे में चला गया था। लेकिन सुबह जब फ्लोर वेटर उसके लिए बेडा टी लेकर गया था तो उसने दरवाजा बन्द पाया था। उसने दरवाजा खटखटाया, लेकिन अन्दर से उसे कोई जवाब नहीं मिला।

काफी देर खटखटाने के बाद भी जब उसे कोई जवाब नहीं मिला था तो वेटर वापिस चला गया था। आठ बजे वो फिर नाश्ता लेकर पहुंचा था तो दरवाजा तब भी बन्द था। वेटर के लिए क्योंकि यह नई बात थी, इसलिए वो होटल मैनेजर को बुला लाया था और दो चार होटल के स्टाफ के लोग जमा हो गए थे। सबने मिल कर आवाजें दी थीं और दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया था । आखिर डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोला गया तो सलीम अनवर ईवनिंग ड्रेस पहने बिस्तर पर मृत पड़ा पाया गया था। कमरे की स्थिति और लक्षणों से पता चलता है कि वो बिस्तर पर सोने के लिए नहीं लेटा था, बल्कि वो अचानक गिर पड़ा था।

मैनेजर ने फौरन पुलिस को फोन किया था। कुछ देर बात ही इंस्पेक्टर बसंत पाटेकर पुलिस पार्टी और मैडिकल स्टॉफ के साथ वहां पहुंच गए थे।
डॉक्टर ने लाश का मुआयना करके बताया कि उसके मरे सात-आठ घंटे से ज्यादा हो चुके हैं।

डॉक्टर ने लाश का अच्छी तरह मुआयना किया था कि शायद कोई चोट वगैरह के निशान दिखाई दे जाएं। लेकिन इस तरह का कोई निशान लाश पर नहीं था। उसके दाएं हाथ की पीठ पर एक ऐसा निशान जरूर पाया गया जैसे किसी नोकीली चीज से रगड़ लग गई हो। खरोंच के आसपास की जगह कुछ सूज गई थी और खरोंच से हल्के नीले रंग को पानी रिस रहा था।

उस दौरान जब बसंत पाटेकर कमरे की तलाशी ले रहा था, उस कमरे में कालीन के नीचे करीब एक फुट लम्बा सांप नजर आया था, जिसके दांत और जहर की थैली सही सलामत थी। कमरे में सांप पाए जाने से सारी पहेली हल हो गई थी। डॉक्टर ने स्वीकार कर लिया कि सलीम को वाकई सांप ने काटा है और उसी से उसकी मौत हुई हैं वो सांप इतना जहरीला है कि उसका काटा दो मिनट से ज्यादा जिन्दा नहीं रह सकता।

सांप और सलीम की लाश पर तहरीर डॉक्टर सावंत के सुपुर्द की दी गई है, जो पुलिस के डॉक्टर हैं और सांपों तथा जहरों के स्पेशलिस्ट समझे जातें हैं। आशा है कि आज लाश का पोस्टमार्टम करने के बाद वो शाम तक पूरी जानकारी दे देंगे। विवरण की प्रतीक्षा है।

खबर खत्म हो गई थी । लेकिन आखिरी पेज पर लेट न्यूज के शीर्षक में खबर थी

होटल में मृत पाए गए सलीम अनवर नाम के नौजवान के बारे में छपते-छपते खबर मिली है कि वो बुम्बई में कोई काम कर रहा था या करना चाहता था, क्योंकि पिछले दिनों वो करीब पैंतीस-चालीस लाख रूपये कलकत्ता बैंक से मंगवा चुका था लेकिन यह अभी नहीं मालूम कि उसने यह रुपया किसको दिया है या किस काम में लगाया है।

कमरे की तलाशी के दौरान ही, खबर पाक शिंगूरा भी वहां पहुंच गई थी और सलीम की लाश देखकर बेहोश हो गई थी। उसका भाई जमाल पाशा उसके साथ ही था। दोनों ने ही स्वीकार किया है कि सलीम और शिंगूरा की अगले हफ्ते शादी होने वाली थी।

बैंक से इतना रुपया बिना किसी वजह के नहीं निकाला गया होगा, इसके अलावा इतने बड़े और साफ-सुथरे होटल में किसी सांप का पाया जाना भी कम हैरतअंगेज नहीं है। इसलिए आशा है कि कुछ और सनसनीखेज रहस्यों से जल्दी ही पर्दा उठ सकता है।

पूरी खबर पढ़ कर राज के हाथ से अख़बार छुट गया और हैरत से उसकी आंखें खुल गईं।

कई मिनट तक वो खामोश बैठे रहे, उनके मुंह से एक शब्द भी न निकल सका। लेकिन उनके ख्याल ने जाने कहां-कहां भटकते रहे।

मेज पर रखा नाश्ता ठण्डा हो रहा था। देर बाद नौकर ने आकर उन्हें चौंका दिया और वो ख्यालों से निकल कर हकीकत में लौट आए।
''मेरा ख्याल है सलीम को कत्ल किया गया है....।" सतीश ने खामोशी तोड़ी।

"मेरा ख्याला है सलीम को कत्ल किया गया है...।" सतीश ने खामोशी तोड़ी।

"मेरा भी यही ख्याल है।" राज ने सहमति में गर्दन हिलाई-"बल्कि यहां तक कि इसमें शिंगूरा का ही हाथ हैं"

"यकीनन!" सतीश ने मेज पर हाथ माकर कहा-"इसका मतलब है, एक बार फिर हमारा जहर के स्पेशलिस्ट कातिलों से वास्ता पड़ गया है।"

"ऐसा ही लगता है।” राज ने ठण्डी कॉफी का बूंट लेकर, ठण्डी आहर भर कर कहा।

बड़े बेमन से उन्होंने नाश्ता किया। उसके बाद राज ने सतीश ने कहा
"मेरा ख्याल है कि मुझे डॉक्टर सावंत के पास जातना चाहिए।"

"क्यों?"

"क्योंकि मैं चाहता हूं कि सलीम का पोस्टमार्टम करते समस मैं भी डॉक्टर सावंत के साथ रहूं।" राज बोला।

"इससे क्या फायदा?" सतीश ने पूछा।

"सिर्फ अपनी तसल्ली करना चाहता हूं मैं।"

सतीश ने सहमति में सिर हिला दिया था और राज उसी वक्त डॉक्टर सावंत के पास जाने के लिए चल पड़ा।
 
जब वो डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा तो डॉक्टर सावंत कुछ बौखलाया हुआ सा था। राज को देखते ही डॉक्टर सावंत ने कहा
"ओह.... । आप आ पहुंचे। क्या वो खबर पढ़ ली है?"

"जी हों!'' राज ने सिर हिलाया, "खबर पढ़कर ही आपके पास आया हूं, ताकि लाश के पोस्टमार्टम के वक्त में भी आपे साथ ही रहूं।"

"मैं इसीलिए तुम्हें फोन करना चाहता था।" डॉक्टर सावंत बोला-"देखो, कितनी खौफनाक घटना हैं यकीनन यह मौत किसी साजिश का नतीजा है।"

"यह तो आपका ख्याल है, क्योंकि संयोग से हमें शिंगूरा के बारे में कुछ जानकारी है। वर्ना पुलिस के ख्याल में यह मात्र एक हादसा ही हैं।"

"नहीं! सन्देह तो इंस्पेक्टर बसंत को भी है।' डाक्टर सावंत ने जवाब दिया-"उससे मेरी बता हुई थी। वो इतनी बड़ी रकम को गायब होना और इतने बड़े होटल के कमरे में सांप के पाए जाने से काफी शक में पड़ गया है।"

"क्या सलीम अनवर की कल शाम की गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी मिल सकती है?" राज ने पूछा।

"जी हां।" डॉक्टर सावंत बोला-'कल शाम वो शिंगूरा के साथ सैर करने गया था। रात आठ बजे उन्होंने होटल के डायलिंग हॉल में खाना खाया था। उसके बाद वो साढ़े नौ बजे तक साथ-साथ ही रहे थे। फिर शिंगूरा विदा हो गई थी और सलीम बालरूम में जा बैठा था। लेकिन वहां उसने किसी लड़की के साथ डांस नहीं किया था, बस दूसरों को डांस करते हुए देखता रहा था। तो कुछ बेचैन सा था।

एक बाद एक लड़की ने उसे अपने साथ नाचने की दावज भी दी थी, लेकिन उसने तबीयत खराबी कर बहाना बनाकर उसे टाल दिया था। ग्यारह बजे वो उठ कर अपने कमरे में चला गया था।"

"लाश का पोस्टमार्टम कहां किया जाएगा।" राज ने पूछा।

"गवर्नमेंट मेडीकल रिसर्च सेंटर में। हम अभी वहां चलेंगे।

"क्या वो सांप भी वहीं है?" राज ने पूछा, "जो कमरे में पाया था ?"
"हां, लाश और वो सांप, दोनों चीजें वहीं पर हैं।” डॉक्टर सावंत ने जवाब दिया।
 
करीब बीस मिनट बाद वो मेडिकल सेन्टर की तरफ चल पड़े रास्ते में डॉक्टर सावंत ने बताया कि वो पुलिस का सरकारी डॉक्टर होने के साथ-साथ मेडिकल रिसर्च सेन्टर का अध्यक्ष भी
मेडीकल सेन्टर के हाल में डॉक्टर सावंत ने दो-तीन असिस्टेंट उसका इन्तजार कर रहे थें डॉक्टर सावंत ने उनसे पूछा
"क्या तैयारी पूरी कर ली गई है?"
"जी हां।" उनमें से एक बोला-"सिर्फ आपका इन्तजार था।"
"बहुत अच्छा।" डॉक्टर सावंत ने कहा।
वो दोनों पोस्टमार्टम रूम में पहुंचे। कमरे के मध्य में एक सफेद रंग की मेज पर सलीम अनवर की लाश पड़ी हुई थी।
डॉक्टर सावंत ने अपना एप्रिन पहने हुए कहा
"कितना बदनसीन था यह नौजवान...।"
"जी हां।" राज भी अफसोस भरे लहजे में बोला, "करोड़ो का मालिक और ऐसी जवान मौत! भगवान जाने, कोई इसका वारिस भी है या नहीं....।" ।
राज ने भी एक साफ एप्रिन बांध लिया और दोनों अपने काम में व्यस्त हो गए।
निरंतर तीन घंटे की मेहनत चीर-फाड़ में लगाने के बाद उन्हें जो कुछ मालूम हुआ, वो यह था कि सलीम का मौत वाकई सांप के
काटने से हुई थी। सांप का जहर बहुत घातक था। खून में जहर के कण पाए गए थे। और दिल पर उनका असाधारण असर पाया गया था, जिसकी वजह से उसके दिल की धड़कने बंद हो गई थीं।
पोस्टमार्टम से फारिंग होने के बाद डॉक्टर सावंत ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके पुलिस को भेज दी, जिसका संक्षेप में सार यह था कि मृतक की मृत्यु सांप के जहर से हुई है।
लेकिन जिस वक्त वो मैडीकल कॉलेज से वापस जाने की तैयारी कर रहे थे, उस वक्त अचानक राज के दिल में एक ख्याल आया और उसने डॉक्टर सावंत से कहा
"क्या आप उस सांप को यहां से अपने घर, अपनी लेब्रॉटरी में ले जा सकते हैं?"
"हां, ले जा सकता हूं। लेकिन क्यों ?"
"मैं एक एक्सपेरीमेंट करके देखना चाहता हूं।"
"बहुत अच्छा, ले चलूंगा।" डॉक्टर सावंत ने हामी भरते हुए
कहा।
"और इसके साथ ही सलीम अनवर का थोड़ा सा खून भी ले चलिएगा, सैम्पल के तौर पर।"
"वो क्यों?" डॉक्टर सावंत ने हैरत से पूछा।

राज ने उसके सवाल को नजरअन्दाज करते हुए कहा
"क्या आपने उसके खून का विश्लेषण किया था?"
"हां भाई, किया था।”
"तो क्या आपने खून में जहर का अंश नहीं पाया?" राज ने पूछा।
"पाया था।" डॉक्टर सावंत ने जवाब दिया।
"मैं खून में पाए गए जहर की, उस सांप के जहर से तुलना करना चाहता हूं।"
"लेकिन उससे क्या फायदा ?"
"बस, मेरी तसल्ली हो जाएगी। आपके कहे अनुसार मैं कुछ ज्यादा ही जिज्ञासु जो हूं....।" राज मुस्कराया।
"ओक्रकेक। आप कहते हैं तो दोनों चीजें ले चलूंगा। लेकिन...”
बात अधूरी छोड़कर वो अपेन एक असिस्टेंट की तरफ मुड़ा और बोला
"पटेल साहब, आप उस सांप वाल ट्यूब और उस मृतक का थोड़ा सा खून में हमें ला दीजिए।"
 
पटेल नामक उस आदमी ने दस मिनट के अन्दर-अन्दर वो दोनों चीजें उन्हें ला दीं।

सलीम अनवर को मेरे चूंकि काफी देर हो चुकी थी, इसलिए लाश का खून जम गया था, लेकिन डॉक्टर पटेल ने उसमें कोई दवा मिलाकर खून फिर पतला कर लिया था। उसके बाद दोनों चीजें उन्हें मिल गई थीं और वो उन्हें लेकर घर वापस लौट आए थे।
उस दिन क्योंकि वो पहले ही काफी थक चुके थे, इसलिए प्रयोग
का काम उन्होंने अगले दिन पर टाल दिया था और राज वापस अपने घर चला गया था।
अगले दिन निश्चित समय पर राज डॉक्टर सावंत की लेब्रॉटरी में पहुंच गया।
प्रयोग इस तरह शुरू किया गया कि राज ने लेब्रॉटरी के खतरनाक हिस्स में से एक खरगोश मंगवाया और उस सांप का थोड़ा सा जहर लेकर इंजेक्शन के जरिये खरगोश के जिस्म में उतार दिया।
जहरीला इंजेक्शन लगाये जाने के आधे घंटे बाद ही खरगोश ने दम तोड़ दिया। उन दोनों ने फौरन खरगोश की लाश खोल कर उसका दिल चेक किया तो उन्होंने देखा कि उसके दिल पर छाले से उभर आए हैं और वो इस तरह सिकुड़ गया था जैसे उसे खौलते हुए तेल में डालकर निकाल लिया गया हो।
सलीम अनवर की लाश का पोस्टमार्टम करने के बाद उन्हें पता चला था कि उसका दिल बिल्कुल सही शक्ल में था। जहर का असर अन्दरूनी हिस्से में था, जिसकी वजह से धीरे-धीरे दिल कमजोर होता गया था और अंत में रूक गया था।
इसका मतलब था कि सलीम अनवर की मौत सांप के काटने के तुरंत बाद नहीं हो गई थी, बल्कि छःसात घंटे में वो धीरे-धीरे फैलने वाल जहर से असर से मरा था। हालांकि होटल के कमरे में पाए गए सांप का जहर इतना तेज था कि उसके एक मिनट के अन्दर-अन्दर सलीम को मर जाना चाहिए था। उसके दिल की हालत भी ऐसी ही हो जानी चाहिए थी, जैसी कि खरगोश के दिल की हुई थी।
डॉक्टर सावंत भी इस भिन्नता को देखकर हैरान रह गया था। उसने कहा
"इसमें कोई शक नहीं डॉक्टर राज कि आपकी जिज्ञासु प्रवृति बहुत फायदेमंद साबित हुई है। मैंने तो लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भेज दी थी और मेरा काम खत्म हो गया था।"
"जी हां।" राज ने माईक्रोस्कोप में खरगोश के खून में मिले जहर के कणों का मुआयना करते हुए कहा
"अब जरा यह भी देख लीजिए कि खरगोश के जिस्म से मिले खून में जहर के कण और सलीम अनवर के खून में पाए गए जहर के कणों में कितनी भिन्नता है।"
"हां। वाकई आप सही कह रहे हैं। इसका मतलब है।" डॉक्टर सावंत कुछ देर मुआयना करके खड़ा हो गया और बोला, "सलीम अनवर को उस सांप ने नहीं काटा, जो कमरे में से पकड़ा गया है ?"
"जी, और यही मेरा मकसद थी था।"
"मैं समझा नहीं कि आपको सन्देह क्यों था?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।
"सीधी सी बात थी। प्लाजा एक फाइव स्टार होटल है जिसकी सफाई दिन में चार-चार बार होती है। उसके किसी कमरे में ऐसे जहरीले सांप का पाया जाना ही सन्देह पैदा करने के लिए काफी था।" राज ने कहा-''और जब हम पर खंजर से हमला किया गया था तो हमने जांच में पाया था कि वो खंजर एक सांप के जहर में बुझा हुआ है....और खंजर फेंकने वाले आदमी को उस रहस्यमयी हसीना शिंगूरा से कोई-न-कोई सम्बंध जरूर है। इसका मतलब यह है कि शिंगूरा से कोई-न-कोई सम्बंध जरूर है। इसका मतलब यह है कि शिंगूरा का सम्बंध या सम्पर्क सांपों के जहर के किसी स्पेशलिस्ट से जरूर है, या फिर वो खुद ही इस काम में एक्सपर्ट हैं।"
डॉक्टर सावंत ने सोचपूर्ण ढंग से सिर हिला दिया। राज
आगे बोला
"और जब मुझे मालूम हुआ कि वहीं खतरनाक हसीना शिंगूरा उस नौजवान से शादी करने वाली है, जो कतलत्ते को बहुत बड़ा दौलतमंद था, तो उसी दिन से मुझे उस नौजवान की जान खतरे में महसूस होने लगी थी। अब आप की बताइए, क्या ऐसी स्थिति में, मेरी जगह आप होते तो क्या आपको शक नहीं हो
जाता?"
"बिल्कुल हो जाता।" डॉक्टर सावंत ने स्वीकार कर लिया।
" और इससे यह भी जाहिर होता है कि शिंगूरा ने किसी तरह उसे बहका कर, फुसलाकर उससे पैंतीस-चालीस लाख रूपया ले लिया और उसे मार डाला, ताकि वो रूपये के मामले में तकाजा
न कर सके। यह यह भी हो सकता है कि सलीम अनवर को शिंगरा पर किसी किस्म का शक हो गया हो और बात खुलने के भय से शिंगूरा ने उसे रासते से हटा दिया हो। बहरहाल, वो मर गया है और अपने राज अपने साथ ले गया...."
"तो हमारे प्रयोग का अब यह नतीजा निकला!'' डॉक्टर सावंत ने कहा-"कि सलीम अनवर की मौत उस सांप के काटने से नहीं हुई?"
"जी हां।' राज बोला, " बल्कि यह हुआ होगा कि शाम के वक्त उसके जिस्म में किसी तहर किसी दूसरे सांप का जह दाखिल कर दिया गया, तो धीरे-धीरे असर करता रहा, जहां तक कि सात-आठ घंटे बाद सलीम अनवर मर गया। उसी दौरान शिंगूरा या कोई और, यह खतरनाक सांप लेकर वहां पहुंचा और उसे उसके कमरे में छोड़ दिया। ताकि सुबह जब पुलिस तलाशी ले तो सारी जिम्मेदारी उसी सांप पर डाल दी जाए और शिंगूरा पर किसी किस्म का सन्देह न किया जा सके..."

"लेकिन सवाल यह है कि दूसरे सांप का जहर उसके जिस्म में कैसे दाखिल किया गया?" डॉक्टर सावंत ने कहा, "जाहिर है सलीम इतना बेवकूफ तो नहीं था तो आसानी से जहरीला इंजेक्शन लगवा लेता। इसके अलावा उसके जिस्म पर उसके सिवा कोई निशान नहीं है जो उसकी हथेली के पीछे पाया गया
था।"
 
"यह कोई मुश्किल काम नहीं है।" राज ने कहा, "मैं अपना अनुमान बताता हूं। कल शाम सलीम शिंगूरा के साथ गया था। शिंगूरा पहले से उसे कल शाल सलीम शिंगूरा के साथ गया था। शिंगूरा पहले से उसे कल मारने का प्रोग्राम बनाए बैठी होगी। इसलिए वो अपने साथ कोई ऐसी नोकीली चीज, जिसकी नोक पर जहर लगा होगा, ले गई होगी और किसी छोटे से पाईप में वो सांप भी वहीं ले गई होगी। उसी दौरान किसी वक्त उसने वो नोकीली चीज एक-दो बार सलीम के हाथ पर चुभो दी होगी, जिससे उसके हाथ में खरोंचें आ गई होंगी। उस वक्त ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि सलीम ने सिसकारी लेकर अपना हाथ खींच लिया होगा। प्यार मोहब्बत के क्षणों में ऐसी बातों पर कौन ध्यान देता है?" उसने भी जरा से दर्द को बर्दाश्त कर लिया होगा। उस वक्त तक शिंगूरा को प्रोग्राम का आधा हिस्सा पूरा हो गया होगा। जब वो सलीम के साथ होटल आई होगी तो उसने सलीम की नजर बचाकर कमरे में वो सांप छोड़ दिया होगा
और सांप अपनी आदत के मुताबिक कालीन के नीचे घुस कर छुप गया होगा, क्योंकि कोई भी सांप तक तक नहीं काटता, जब तक कि उसे छेड़ा न जाए। अगर वो निशान सलीम के पांव पर होते तो सोचा जा सकता था कि अन्धेरे में सांप ने उसे डस लिया होगा। लेकिन खरोंचे हाथ पर थीं, इसका मतलब उसे सांप ने नहीं काटा।"
"वाकई, दलील तो बहुत मजबूत है।” डॉक्टर सावंत ने कहा।
"एक सबूत और है।" राज बोला, "रात को सलीम हमेशा की अपेक्षा उदास था और जल्दी सोने चला गया था। यानि उसके जिस्म में जहर फैलने लगा था और उसका असर उसके दिलो-दिमाग पर होने लगा था जिसने उसे निढाल सा कर रखा
था।"
"बिल्कुल ! अब मेरी समझ में पूरा किस्सा आ चुका है। सब कुछ इसी तरह घटा होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि नई परिस्थितियों में हमें अब क्या करना चाहिए?"
"यही तो हमें सोचना है।" राज ने गहरी सांस लेकर कहा।
"क्यों ने पुलिस को हम अपने सारे अनुमान बता दें?"
"नहीं ! अभी मैं इसमें पुलिस को शामिल नहीं करना चाहता।" राज ने जवाब दिया।
"क्यों?" डॉक्टर सावंत ने पूछा।
"क्योंकि पुलिस एकदम बेढंगेपन से शिंगूरा के पीछे पड़ जाएगी और वो वक्त से पहले ही होशियार हो जाएगी और भागने के
रास्ते तलाश करने लगेगा। हमारे पास कोई सबूत तो है नहीं उसके खिलाफ । बस अनुमान ही अनुमान है। ऐसी हालत में अगर शिंगूरा को मालूम हो गया कि पुलिस उसके पीछे पड़ गई है तो वो फौरन या तो बम्बई छोड़ देगी या फिर वो बहुत ज्यादा सावधान हो जाएगी।"
"यह भी ठीक है।" डाक्टर सावंत ने कहा, "लेकिन अब उसकी तरफ से लापरवाह भी तो नहीं रहा जा सकता ?"
"उसके लिए हमें अब ज्यादा सतर्क हो जाना होगा और खासतौर पर उसकी गतिविधयों पर नजर रखनी होगी या फिर हममें से एक आदमी उसके साथर तैनात रहे।
"लेकिन वो हम सबको पहचानती है, फौरन समझ जाएगी। और यह बात ज्यादा देर उससे छुपी भी नहीं रह सकेगी।"
"इस काम के लिए उस टैक्सी ड्राईवर की सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं।" राज ने सुझाव दिया।

सतीश पहले भी यह सुझाव रख चुका था जिसका डॉक्टर सावंत ने विरोध किया था। लेकिन कुछ सोच-विचार के बाद उस वक्त वो इस सुझाव से सहमत हो गया।
उन तीनों ने मिल कर यह फैसला किया कि उस टैक्सी ड्राईवर को उचित मुआवजा देकर उसे शिंगूरा की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तैनात कर दिया जाए।

राज ने ड्राईवर का पता नोट कर रखा था। इसी दिन शाम
को उसने ड्राईवर को तलाश कर लिया और उसे अपने साथ लेकर डॉक्टर सावंत के घर पहुंच गया।
काम किस किस्म का है, जानकार वो पहले तो हिचकिचाया, फिर जब उसे सही पैसे मिलने का अनश्वासन दिया गया और डॉक्टर सावंत ने दो हजार रूपये उसके हाथ में रखे तो वह तैयार हो गया।
यह तय हुआ कि दिन भर किसी भी तरह जिस तरह वो चाहे शिंगूरा गतिविधियों पर नजर रखे। अगर वो अपनी कोठी पर हो तो छुपकर कोठी की निगरानी करता हरे और वहां हर आने-जाने वाले पर निगाह रखे। जब वो जाए, नोट कर ले और हर रोज रात को डॉक्टर सावंत के घर पर आकर पूरे दिन की रिपोर्ट दे दिया करे। पैसे जब जरूरत हो और मांग ले।
बातचीत के दौरात डॉक्टर सावंत ने कहा
"पीछा करने के दौरान तो खैर यह अपने आप को छुपा सकता है, लेकिन कोठी की निगरानी के वक्त यह कैसे छुप सकेगा ?
क्योंकि इसके पास टैक्सी होगी, बगैर टैक्सी के यह कोठ के बाहर शिंगूरा का पीछा कैसे कर सकेगा?"
"उसकी आप फिक्र ने करें।" ड्राईवर ने, जिसका नाम बन्ता सिंह था, कहा-"उनकी कोठी से कोई दो फाग के फासले पर ईटें बनाने की एक फैक्ट्री थी कि जमाने में। लेकिन अब वहां दूर-दूर तक सिर्फ गहरी खंदकें ही रह गई हैं। वो इतनी चौड़ी
और गहरी हैं कि टैक्सी उनमें आसानी से खड़ी हो सकती है। जब मैं दिन के वक्त कोठी की निगरानी किया करूंगा तो गाड़ी किसी खंदक में छुपा दिया करूंगा और खुद कहीं आड़ में बैठकर
कोठी की निगरानी किया करूंगा। जब पीछा करने की जरूरत पड़ेगी तो भागकर टैक्सी ले लिया करूंगा। वहां से शहर आने वाली सड़क चूंकि एकदम सीधी है, इसलिए वहां चार मिनट की देरी नाल कोई फर्क नहीं पड़ेगा जी। बाद में बढ़ाकर दूरी कवर हो जाया करेगी?"
"यह तरकीब बढ़िया है।” राज ने कहा।
"ओके, तो सुबह से तुम अपना काम शुरू कर दो।" डॉक्टर सावंत ने ड्राईवर से कहा।
"ठभ्क है बाऊ जी।" बन्ता सिंह ने कहा और सिर झुका कर चला गया।
दूसरे दिन प्रोग्राम के अनुसार बन्ता सिंह शाम को डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा गया। उसकी रिपोर्ट थी कि दिन भर शिंगूरा की कोठी में कोई नहीं गया। न कोई कोठी से बाहर निकला था।
 
शाम को शिंगूरा और उसका भाई जमाल पाशा कार में सवार होकर शहर के लिए निकले थे तो बंता सिंह ने उनका पीछा किया था। पहले वो दोनों फोर्ट इलाके की कालोनी की एक बड़ी दुकान पर गए थे। फिर एक केमिस्टर से उन्होंने कुछ
दवाईयों खरीदी थी। वहां से वो सीधा क्लब गए थे और करीब दो घंटे उन्होंने क्लब में बिताए थे और बंता सिंह उस नाईट क्लब के बाहर उनका इन्तजार करता रहा था।
नौ बजे के करीब वो क्लब से निकले थे और सीधा अपनी कोठी पहुच गए थे। बंता सिंह उनके पीछे कोठी तक गया था
और वहां से वापसी पर सीधा डॉक्टर सावंत के घर आया था।
डॉक्टर सावंत और राज ने उसकी चतुराई की तारीफ की
और उसे ज्यादा से ज्यादा सतर्क रहने का निर्देश देकर वापिस भेज दिया।
ऊपरी तौर पर उन्हें आज की रिपोर्ट से कोई खास बात नहीं मालूम हुई थी। लेकिन चूंकि उसकी गतिविधियों पर ही नजर रखनी थी, इसलिए इससे ज्यादा किया भी क्या जा सकता था।
डॉक्टर सावंत की राय थी कि क्योंकि शिंगूरा बहुत चालाक है इसलिए वो इस बड़ी वारदात के बाद अभी कोई नया काण्ड नहीं करेगी, ताकि लगातार वारदातें उसे पुलिस और पब्लिक की नजरों में संदिग्ध न बना दें।
बंता सिंह को इस ड्यूटी के बारे में राज ने सतीश को भी विस्तार से बात दिया था। सतीश ने तो जिउ भी की थी कि वो बंता सिंह के साथ-साथ खुद भी शिंगूर की निगरानी करेगा।
लेकिन डॉक्टर सावंत और राज ने उस पर सोचकर उसकी जिद नहीं मानी कि सतीश एक लापरवाह सा आदमी है और
सीधा-सादा भी, अगर शिंगूरा को जरा भी उस पर शक हो गया तो उसे बेझिझक ठिकाने लगा देगी। जाहिर है, वो राज या सतीश पर रहम नहीं कर सकती थी।
एक बात और राज को कई दिन से परेशान कर रही थी कि शिंगूरा उनकी तरफ से खामोश क्यों बैठ गई है? आखिर वो किस सोच में है? न ही उस दिन के बाद वो भयानक सूरत
आदमी ही उन्हें नजर आया था, जिसने खंजर से उन पर हमला किया था।

नीलकण्ड की यकीन था कि शिंगूरा उनके बारे में कोई निहायत
की खतरनाक चाल साचे रही होगी। शायद बीच में सलीम अनवर का मामला फस जाने की वजह से उसने इनका मामला टाल दिया था।
इसी तरह दिन गुजरते रहे, हर काम सुख-शांति से होता रहा। बंता सिंह हर रोज शाम को उन्हें उस दिन की रिपोर्ट दे दिया करता। लेकिन अभी तक इन्हें ऐसी कोई बात नहीं पता चली थी जो सन्देह पैदा करती । इस तरह नौ-दस दिन गुजर चुके
वो लोग हालात की एकरसता से उपकता चुके थे कि अचानक एक दिन एक नई घटना घट गई। उस दिन पिछले दिनों की रूटीन के खिलाफ बंता सिंह डॉक्टर सावंत के यहां नहीं पहुंचा।
रात को उन्होंने यह समझा कि शायद वो देर से शहर लौटा होगा, इसलिए इधर आने के बजाय सीधा घर चला गया होगा। लेकिन जब सुबह को भी वो नहीं आया तो राज ने दस जे के बाद बंता सिंह के घर जाकर पूछा तो उसे पता चला कि वो रात को घर भी नहीं लौटा था।
यह सचूना पाकर राज को सख्त चिंता हुई थी और वो भागा-भागा डॉक्टर सावंत के यहां पहुंचा था और उसने डॉक्टर सावंत को बंता सिंह के लापता होने के बारे में बताया।
यह खबर पाकर डॉक्टर सावंत भी परेशान हो गया। बहुत देर
तक वो दोनों मशविरे करते रहे। स्थिति की समीक्षा करते रहे।
आखिर काफी देर बाद उन्होंने यह फैसला किया कि राज टैक्सी पकड़ कर ब्रिक फैक्ट्री की उन खंदकों की तरह जाए जहां से फैक्ट्री के जमाने में ईंट बनाने के लिए मी निकाली जाती थी
और जिनका जिक्र बंता सिंह ने किया था कि वो टैक्सी उनमें से किसी एक में खड़ी किया करेगा।
पैंतीस मिनट बाद राज उन खंदकों के किनारे पहुंचा गया
टैक्सी वाले को साथ लेकर राज उन खंदकों में उतरा। बड़ी भयानक और रहसयमय जगह थी। जमीन काफी गहरी खुदी हुई
थी और इसी तरह की पतली-पतली गलियां थीं कि दिन के वक्त भी वहां खौफ सा महसूस होता था।
राज ने सोचा
"इस जगह अगर कोई किसी को कत्ल करके डाल दे तो किसी को महीनों पता न चले....।"
उसे आशंका हुई कि कहीं बंता सिंह के साथ भी ऐसा ही तो कुछ नहीं घट गया? हो सकता है शिंगरा या उसके साथी को शक हो गया हो और उन्होंने बंता सिंह का काम तमाम कर दिया हो? यह सोचते ही मारे खौफ को राज के रोंगटे खड़े हो गए।
टैक्सी ड्राईवर को उसने बता दिया कि ड्राईवर बंता सिंह कल यहां किसी काम से अपनी टैक्सी लेकर आया था, उसके बाद
वापिस नहीं गया, उसे तलाश करना है।
 
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