XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा - Page 44 - SexBaba
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XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा

रीता :- आहह ओह्ह्ह्ह.....करती हुई...अब्दुल भाई..आप्प्प्प.आहह और तेज़्ज़

जी हाँ पीछे खड़ा था अब्दुल...जो बिल्कुल नंगा था..और रीता के बूब्स को पीछे से
दबा रहा था....

रीता मोहन लाल की आँखों में देखती है..मोहन लाल हल्का सा मुस्कुरा देता है...

रीता समझ जाती है...ये मोहन लाल की चाल है.....रीता के चेहरे पे भी स्माइल आ जाती है.
साली के तो मज़े ही आ गये आज दो दो लंड मिल गये उसे......

फिर मोहन लाल उसे चोदना बंद कर देता है.......और रीता को अपने उपर से उतार देता है..
रीता की पूरी चूत उसके रस से भीगी पड़ी होती है..और मोहन लाल का
लंड भी पूरा का पूरा चूत के रस से भीगा पड़ा होता है.....

रीता घूम के अब्दुल की तरफ देखती है...अब्दुल रीता को ऐसे देख सकपका जाता है..और अपनी
नज़र नीचे कर लेता है...

रीता अपना हाथ ले जाके अब्दुल के लंड को पकड़ के बोलती है...क्या हुआ अब्दुल भाई..ऐसे
क्यूँ खड़े हो...

अब्दुल को तो विश्वास नही होता...ये देख के...वो अपनी नज़र उपर करता है....
और जैसे ही उसकी नज़र उपर होती है.....रीता आगे बढ़ के उसके होंठो पे किस कर लेती है..
और नीचे से पकड़ के उसके लंड को हाथो से उपर नीचे करने लगती है...

अब्दुल को तो जैसे करेंट लग गया हो..आज इतने दिनो के बाद वो किसी लड़की के साथ
सेक्स करने जा रहा था..इसलिए उसे भी जोश आ जाता है..और वो अपने दोनो हाथो को ले जाके
रीता के बूब्स के रख के उन्हे मसल्ने लगता है..और उपर से अपनी जीभ रीता के मुँह
में डाल के चूसने लगता है......मोहन लाल पीछे खड़ा ये सब देख रहा था....

कुछ 5 मिनट तक ऐसा चलता है..फिर रीता अलग होती है.......

रीता :- अब्दुल..तू यहाँ कब आया.....बता..

मोहन लाल :- में बताता हूँ.....
रीता मोहन लाल की तरफ देखती है..

मोहन लाल :- ये तो यहाँ शुरू सी ही था..उस लास्ट कॅबिन में..मेने ही इससे कहा था.
कि जब तक में ना बुलाऊ..मत अइयो..और अभी में आजा..करके चिल्लाया तो
आया ये..वैसे अब्दुल भाई..तूने इतनी देर तक क्या किया अंदर..

अब्दुल :- मोहन भाई क्या बताऊ..आप दोनो की ऐसी हरकतों को सुन कर और थोड़ा बहुत
उस गेट के छेद में से देख कर..मेरा तो बॅंड बज गया...में तबसे दो बार
मूठ मार चुका हूँ....इसलिए ये ऐसे बैठा हुआ है....

रीता और मोहन लाल दोनो हँसने लगते हैं...
 
रीता :- हहेहेः कोई नही अंडुल भाई..इसका इलाज भी हो जाएगा.....

फिर रीता मोहन लाल की तरफ देखती है..और आँखों से कुछ कहती है..जो मोहन लाल समझ
जाता है......

मोहन लाल रीता के करीब आके...उसे स्लॅप की तरफ धकेल्ता है...और अब्दुल से बोलता है.
कि जा स्लॅप पे चढ़ जा....अब्दुल भी वैसा ही करता है..और स्लॅप पे चढ़ जाता है....

अब मोहन लाल रीता के पीछे आता है....और उसकी एक टाँग उठा के उपर कर देता है....
रीता स्लॅप का सहारा लेके..और अपनी एक टाँग नीचे ज़मीन और एक टाँग उपर मोहन
लाल के हाथ मे लेके खड़ी हो जाती है.....

अब्दुल भी समझ जाता है..और वो रीता के मुँह के पास अपने छोटे से लंड को ले जाता है
जो आभी तक अच्छी तरह से हार्ड नही हुआ था...

रीता अब्दुल का लंड पकड़ लेती है.....और अपने मुँह खोल के उसे लेने ही वाली होती है.
कि पीछे मोहन लाल अपना लंड इस बार एक ही धक्के में आधे से ज़्यादा अंदर तक
पहुचा देता है..जिसे रीता सहेन नही कर पाती..और आगे की तरफ को झुकती है..जिससे
ऑटोमॅटिकयल्ली अब्दुल का लंड उसके मुँह के अंदर चला जाता है...

क्या सीन क्रियेट हुआ है....नीचे से मोहन लाल अपना लंड रीता की चूत में उतारे
खड़ा था...और उपर रीता के मुँह में अब्दुल का लंड..जो क़ैद होके बैठा था...

और शुरू कर दी मोहन लाल ने एक बार फिर से ठुकाई.....

मोहन लाल अपनी गान्ड को हिलाता हुआ..तेज़ी से लंड अंदर बाहर कर रहा था रीता की
उस गीली चूत में......रीता की चूत में से तो पानी बुरी तरह बह कर उसकी
जाँघो तक आ रहा था....उःम्म्म्मममममम उंगग्घह आवाज़
हो रही थी..बसस्स.....

उधर अब्दुल भी मस्त हो चुका था..उसके हाथ रीता के बालों
पर थे....रीता बड़ी अच्छी तरह अब्दुल का पूरा लंड मुँह में लेके चूस रही थी..

मोहन लाल नीचे से रीता की चूत में लंड अंदर बाहर करते हुए.....ले कमिनि
साली कुतिया...ले ये मेरा लंड...देख कैसे तेरी चूत के आँसू निकाल
रहा है...आहह कितनी टाइट चूत है तेरी आहह ओह..मज़ा
आ रहा है...

रीता के बूब्स तेज़ी से उपर नीचे हो रहे थे.....मोहन लाल ने अपने हाथ आगे बढ़ा कर
उसके बूब्स पे रख के मसल्ने लगा....

रीता अब्दुल के लंड से अपना मुँह हटाते हुए...बस अपने हाथ से उपर नीचे करने लगी
अब्दुल का लंड रीता के थूक से भर चुका था.....

रीता :- ओह आहह एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स..
साले हरामी चोद मुझे..ओह्ह उूुुउउ एस्स फक्क्क मी.....फदद्ड़ दे
इसस्स चूत्त्त कू..आहह

रीता अपने हाथ से अब्दुल का लंड ज़ोर ज़ोर से हिला रही थी.....

मोहन लाल के धक्के अब काफ़ी तेज़ हो गए थी...पच्चह पच
पच्चह की आवाज़ बहुत तेज़्ज़ हो गये थे..जिससे ये पता चल रहा था
कि मोहन लाल अब झड्ने वाला है....

रीता :- ओह बेबी...ओह्ह्ह एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...आहह आइ आमम्म कमिंग...
आइ अम्म्म कुमिंगगगगगगगगगगगगगग........कुमिंगगगगगगगगगगग...करती हुई
अपने सर को नीचे झुका लिया...और उसके शरीर ने तीन झटके खाए..और अपना
सारा रस..छोड़ दिया....

उधर मोहन लाल से भी रहा नही गया......और वो भी चिल्लाता हुआ....
आहह ओह्ह्ह रीता...ले मेरा पानी...बन जेया मेरे बच्चे की माँ
आहह करते हुए...अपना सारा रस उसकी चूत में डाल दिया.....और करीब
4 झटके मारे उसने......

रीता की टाँग को नीचे किया...और 2 मिनट तक उसके उपर पड़ा रहा.....
अब्दुल ये सब देख बहुत ज़्यादा गरम हो गया..और अब उसका लंड जो कि 6 इंच का था
बिल्कुल तन के खड़ा हो चुका था...

मोहन लाल रीता के उपर से हटता है..और अपना लंड भी बाहर निकालता है....
और जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकालता है.....उसका डाला हुआ रस भी उसके साथ
बाहर आता है......

रीता काफ़ी थक गई थी...तो वो ज़मीन पर बैठ जाती है.....

कुछ देर के लिए सन्नाटा छा जाता है.......फिर उस सन्नाटे को मोहन लाल तोड़ते हुए...

मोहन लाल :- साली छिनाल...मज़ा आ गया........

रीता अपनी चूत के उपर नज़र डालती है..तो हैरान रह जाती है.....उसकी चूत बिल्कुल
खुल गयी थी..और शायद अभी भी दुबारा चुदाई नही कर पाए...इसलिए उसकी नज़र
अब्दुल पर पड़ती है...जो उसे भूके शेर की नज़रो से देख रहा होता है..
मोहन लाल शायद रीता की तकलीफ़ को समझ जाता है...

मोहन लाल :- रीता तू कपड़े पहन ले.....

अब्दुल ये सुन के चौंक जाता है..और मोहन लाल की तरफ देखने लगता है....

मोहन लाल कपड़े पहनते हुए...देख अब्दुल तू टेन्षन मत ले..में हूँ ना....

रीता :- लेकिन मेरी ब्रा और पैंटी..वो जो तूने फाड़ दी है...अब क्या करूँ..

मोहन लाल अपने सार कपड़े पहन लेता है...देख तू उसके बिना ये ड्रेस पहन ले..
वैसे भी बाहर इतना अंधेरा है..कि कुछ पता नही चलेगा..और तू अब्दुल यहीं पे ऐसे
रह..में आता हूँ...
 
अब्दुल बिना कुछ बोले ऐसे ही बैठे रहता है...वो अपने मन में सोचता है..
लगता है आज मोहन भाई ने मेरा चूतिया काट दिया......खुद तो इतनी बुरी तरह
से ली इस रीता की..और मेरी बारी में कपड़े पहन लिए छी..साला किसी पे भरोसा करना
ही बेकार है....

तभी मोहन लाल उस वॉशरूम का गेट खोलता है..और सामने खड़ी प्रीति को देखता
है..जिसकी आँखें बंद थी.....और उसका एक हाथ अपनी स्कर्ट के उपर से अपनी चूत पे
होता है..

मोहन लाल :- प्रीति.....

प्रीति आवाज़ सुन के चौंक जाती है..और अपनी आँखें खोल के मोहन लाल की तरफ देखते
हुए....अपने आप को सही खड़ी हूई बड़ी मुश्किल से बोलती है..यी..स.स....सर्र...

मोहन लाल :- ये क्या कर रही थी तुम..

प्रीति को पता था कि अब वो झूठ नही बोल सकती तो उसने सच ही बोलने का फ़ैसला किया..

प्रीति :- सर ववो...मेने और मेडम..को सेक्स करते देख लिया....इसलिए....
सर्र प्लीज़...क्या आप अभी..कर सकते हैं..

मोहन लाल :- नही यार...में नही कर सकता वैसे भी मुझे बाहर पार्टी देखनी है..
और अभी 2 बार झड चुका हूँ..अब हालत भी नही है..कुछ देर के लिए..

प्रीति का चेहरा उतर जाता है....

मोहन लाल :- लेकिन में तेरा कम करवा सकता हूँ..

प्रीति मोहन लाल की तरफ देखती है..मानो पूछ रही हो कैसे...
मोहन लाल समझ जाता है..और प्रीति का हाथ पकड़ के अंदर वॉशरूम में
ले जाता है...

अब्दुल वहाँ कॅबिन के पास नंगा खड़ा होता है....ऐसे दूसरी लड़की को देख के वो
घबरा जाता है..और अपने लंड को छुपाने की कॉसिश करता है.....

मोहन लाल :- हाहाहा..अब्दुल डर मत...मेने कहा था ना तेरा काम हो जाएगा...ले
इस प्रीति के साथ कर ले जो करना है...

प्रीति तो पहले ही मदहोश पड़ी थी..उसे तो बस लंड चाहिए था..और अब्दुल को
भी चूत से ही मतलब था..चाहे वो रीता हो या प्रीति...क्यूँ कि रीता तो उसी की
सोसायटी में रहती है...कभी भी मार सकता है अब्दुल उसकी....
इसलिए अब्दुल भी राज़ी हो जाता है......

इसी टाइम पे रीता भी कॅबिन का गेट खोल के बाहर आ जाती है..वो अब फ्रेश लग रही थी..
उसने आपना फेस भी ठीक कर लिया था...

मोहन लाल प्रीति को अब्दुल के पास जाने को बोलता है..प्रीति बिल्कुल कॉन्फिडेंट में सर
उठा के अब्दुल के पास चली जाती है..मानो जैसे इसका रोज़ का यही काम हो..

हाँ तो जी...अब आप सब क्या सोच रहे हैं....कुछ दिमाग़ चल रहा है...
हाँ हाँ चल ही रहा होगा..में जानता हूँ....अब यही सोच रहे होंगे कि अब तो
पार्टी का नंबर. आएगा...है ना.....लेकिन मेरा मूड तो कुछ और ही कर रहा है
करने को....

ना ना...ये मत सोचिए....कि अब में अब्दुल की भी चुदाई के बारे में बताउन्गा...यही
सोच रहे हो ना अब..लेकिन मत सोचो...क्यूँ कि अब थोड़ा..
थोड़ा रीवाइंड करने के मूड में हूँ......

क्यूँ....दुबारा सोच में पड़ गये ना..रीवाइंड...कैसा रीवाइंड...अरे जब पता है
कि में बता रहा हूँ..तो इतना दिमाग़ क्यूँ लगा रहे हो..बेकार में उसे तकलीफ़ दे
रहे हो.......अभी बता देता हूँ....

अरे थोड़ा टेप को रीवाइंड कीजिए....बोले तो.... तो रीवाइंड का बटन दबाते हैं......
जिस दौरान यहाँ अद्भुत कार्यकरम चल रहा था..उस टाइम बाहर वहाँ पार्टी में
कौन सा नया कार्यक्रम स्टार्ट हुआ देखते हैं...

तो ज़रा में अब अपनी दूरबीन को बंद कर देता हूँ....नही तो फिर पता चलेगा कोई
गड़बड़ हो गयी.....

अरे भूल गया ... कब से रीवाइंड हो रहा है....पॉज़ कौन करेगा..हद है यार...जहाँ
सब को दिमाग़ लगाना होता है..वहाँ सब मोनवरत रख के बैठ जाते हों..ये तो
चीटिंग है......अरे में भी कहाँ बातों में लग गया...अगर रीवाइंड ज़्यादा हो गया
तो फिर गड़बड़ हो जाएगी....

आरीई पौसीईईईईई......
चलो आख़िर कार पॉज़ हो गया.....हाँ तो देखूं कहाँ तक रीवाइंड हुआ....
ह्म्‍म्म्म..चलो सही जगह आके पॉज़ हो गया..बिल्कुल पर्फेक्ट जगह पर.....
जहाँ सबने ड्रिंक्स गटक ली थी.....

जेंट्स और लॅडीस दोनो आपस में एक दूसरे को देख रही थी....सबके चेहरे गंभीर
नज़र आ रहे थे....

तभी वेटर को एक आवाज़ लगाई...फिर वही सुंदर सी लड़की आई....वन मोर गोआ स्पेशल..

जब ये बात दया के मुँह से सभी जेंट्स ने और साथ साथ लॅडीस ने सुनी तो हैरान रह
गयी.....
 
तभी वेटर को एक आवाज़ लगाई...फिर वही सुंदर सी लड़की आई....वन मोर गोआ स्पेशल..

जब ये बात दया के मुँह से सभी जेंट्स ने और साथ साथ लॅडीस ने सुनी तो हैरान रह
गयी.....

एक एक पॅक और आया..सबने ग्लास उठाए..एक दूसरे की शकलें देखी....और फिर एक कातिल
स्माइल के साथ चीरसस्स किया...और पूरा ग्लास उतार दिया अंदर....

इधर तो सभी जेंट्स की सुलग गई .... वो मुँह फाडे एक दूसरे को देखने लगे..
तभी तारक बोला..

तारक :- अरे यार ये तो गड़बड़ हो गई.....मुझे लगता है इन्हे नशा चढ़ गया.

इधर तारक बोल ही रहा था कि उधर से फिर से वेटर को आवाज़ लगती है....
ड्रिंक्स आ जाती है..और फिर चीरसस्स और गटाकककक..अंदर.....
ये 3सरा ग्लास था जो अभी तक लॅडीस गटक चुकी थी.....

जेठालाल :- दया...ये क्या....तुम्म..

दया :- हीईन्न....क्या कहा........वैसे बबिता जी....बहुत अच्छा टेस्ट है इसका..
एक एक और्र हो जाए......
दया तो टल्ली हो चुकी थी..

बबीता :- हान्णन्न् क्यउउूँ नही दयाआ भाभी...बिल्कुल्ल्ल्ल्ल.....क्यूँ माधवी भाभी..

माधवी :- जल्दी मँगाओ एक और....

बबीता :- वेटर्र्र्र्र्र्ररर....
चिल्लाती है...

ड्रिंक्स आई....चीरसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स...और 4था ग्लास भी खाली...

इधर जेंट्स भी पागल हो गये...उन्होने भी आवाज़ लगाई...और इन्होने भी
एक के बाद एक 6 पॅक पी डाली.....
सेल फुल ऑन टल्ली इधर तो...

सभी एक दूसरे पे सर रख की नशे में बैठे थे......जेंट्स ऑर लॅडीस दोनो...

सबका बुरा हाल हो रखा था टल्ली होके......क्या होगा इन सब का.......

बहरहाल इधर जो चल रहा था उसका नतीजा जो होगा वो तो आगे पता चल जाएगा
अभी तो मोहन लाल और रीता दोनो वॉशरूम से बाहर आके इधर पार्टी की तरफ
इन सबके पास आ रहे थे......

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अब आगे.......!!!!!!

मोहन लाल और रीता..बाहर आकर जब देखते हैं कि सारे गोकुलधाम वासी मज़े
से पी के फुल ऑन टाइट हो रखे हैं..तो दोनो को बहुत अचंभा हुआ..

रीता :- अरे ये गोकुलधाम की लैडेस भी पूरी टल्ली पड़ी है..ये कैसे हो गया..

मोहन लाल :- ये गोआ है गोआ..यहाँ अच्छे अच्छे ऐसी हालत में हो जाते हैं..

तभी मोहन लाल उस लेडी वेटर को बुलाता है..

यस सर...

मोहन लाल :- इन सब ने कितने ग्लास खाली कर दिए..

सर पीछे 1 घंटे से ड्रिंक कर रहे हैं..काफ़ी पी ली है इन्होने...

मोहन लाल :- ह्म..क्या पिया इन सब ने..

गोआ स्पेशल...बोल के लड़की के चेहरे पे स्माइल आ गई..

मोहन लाल :- तब तो होना था इनका यही हाल...अच्छा तो जाके ज़रा पायल को भेजो
मेरे पास..मुझे उससे काम है...

और फिर दोनो सभी लॅडीस और जेंट्स के पास पहुच जाते हैं....

वहाँ का नज़ारा कुछ इस तरह था कि...

दया का सर माधवी के कंधे पे था..और उसकी आँखें बंद थी..माधवी ने अपनी पीठ
पीछे सोफे से टिका रखी थी..उसकी आँखें बंद थी....
 
रोशन और अंजलि दोनो एक दूसरे से बात कर रही थी..और मुस्कुरा रही थी...नशे में
थी..पता नही क्या बात चल रही थी..

एक बबीता थी..जो सामने देख रही थी...जेंट्स की तरफ घूर घूर के..
और वो भी हमारे प्यारे सबके दुलारे जेठालाल गाड़ा को...

इधर जेठालाल भी तो कम थोड़ी है..वो भी सामने ही देख रहा था.अपनी बड़ी बड़ी
आँखों से बबीता जी को...नं ना...बबबीता जी के बाद बड़े...हिमालय जैसे बूब्स को..

अईयर भाई साहब..तो आँख बंद कर के ऐसे पड़े थे..जैसे किसी ने क्लोरॉफॉर्म
सूँघा दिया हो..

सोढी बिल्कुल बहरहाल चंगा लग रहा था..उसको तो पीने की आदत थी..और वो भिड़े के
गले में हाथ डाल के बैठा था....भिड़े और मेहता साब..और सोढी तीनो आपस
में बात कर रहे थे........

मोहन लाल :- लॅडीस आंड जेंट्लमन...

मोहन लाल की आवाज़ सुन के सब के कान खड़े हो गये........

जेठालाल भी अपनी नज़र हटा के..मोहन लाल की तरफ देखने लगा..सभी देख रहे थे
उसे..अपनी नशीली आँखों से..

मोहन लाल :- आप सब ने खूब मज़ा लिया यहाँ की ड्रिंक्स का..

हाँ बहुत..सभी बोलते हैं..

मोहन लाल :- जेठा भाई..ये अईयर भाई को क्या हुआ....

सभी अईयर की तरफ देखते हैं..वो तो अभी भी वैसे ही पड़ा था..

जेठालाल :- ये अईयर भाई भी...यहाँ पे भी सोना ही है इन्हे....नॉनसेन्स...
और अपनी कोहनी से अईयर के पेट पे कस के मारता है..

आइएयूऊऊओ करते हुए अईयर अपना पेट पकड़ के उठ जाता है...

मोहन लाल :- थॅंक यू जेठा भाई..

जेठालाल :- ओके...अईयर भाई सुबह हो गयी..जाग जाओ..

अईयर :- जेठालाल..ऐसे कोई मारता है..

जेठालाल :- सस्स्शह..शांति...रखो भाई...

मोहन लाल :- हाँ तो आप सब..आब डॅन्स के लिए तैयार है..

सोढी :- हाँ जी बिल्कुल तैयार है.......चलो यारो डॅन्स करें....
सोढी तो पूरे जोश में आ गया था..

मोहन लाल :- सोढी भाई..आपका जोश अच्छा है..मगर में कुछ बोलना चाहता हूँ..

सोढी :- हाँ जी दस्सो....कि कहना है...

सर आपने मुझे बुलाया....तभी वहाँ पे एक बहुत ही मीठी आवाज़ सुनाई दी..

मोहन लाल पीछे मुड़ा....ओह्ह पायल आ गई..कम..

पायल :- यस सर...बोलिए......

पायल का चेहरा बहुत क्यूट सा था..छोटा सा चेहरा..बिल्कुल सफेद रंग..बेहद खूबसूरत
नीचे वही ड्रेस पहन रखी थी..जो होटेल के स्टाफ ने पहन रखी थी....

जेठालाल तारक के कान में..लगता है मोहन भाई..ने गोआ की सारी लॅडीस अपने रिज़ॉर्ट
में रख ली है..देखो एक से बढ़ कर एक हैं..

तारक :- हाहाहा..जेठालाल मोहन भाई हैं वो....

मोहन लाल :- हाँ तो आज तुमने डॅन्स का क्या प्रोग्राम रखा है..

भिड़े :- प्रोग्राम .. में कुछ समझा नही ..

जेठालाल :- अए भाई...तू पायल है..हैं...तूने क्या कसम खा रखी है..हर बार बीच में
बोलने की...जब मोहन भाई बात कर रहे हैं..तो तुझे क्या है इतनी जल्दी...हमेशा चलती
बोट में से कूदने की लगी रहती है..

भिड़े :- देखो जेठालाल..

जेठालाल :- क्या देखो....ज़रा शांति रख भाई...माधवी भाभी..इसको बोलो थोड़ी देर मुँह
बंद कर के रहे..

माधवी :- आहो...चुप रहो ना..

भिड़े :- मेने क्या..

सोढी भिड़े की गर्दन दबा देता है..ओ भिड़ू चुप रह ना...

मोहन लाल :- थॅंक यू जेठा भाई..हाँ तो पायल आज कुछ प्रोग्राम रखा है...

पायल :- जी सर..आज का प्रोग्राम बड़ा अच्छा रखा है..

मोहन लाल :- क्या प्रोग्राम है..

पायल :- सर आप थोड़ा उधर चलेंगे...इधर बता दूँगी तो फिर सर्प्राइज़ ख़तम हो
जाएगा...

मोहन लाल :- ओके चलो....

फिर दोनो थोड़ी दूर चली जाते हैं....

और पायल मोहन लाल को अपना प्लान बताती है...........................................................................................
 
बॅक ग्राउंड म्यूजिक. टेबल की आवाज़....

मोहन लाल :- ह्म्‍म्म्म आइडिया तो बहुत अच्छा है..लेकिन में सभी लॅडीस से भी कन्फर्म
करना चाहता हूँ..कहीं उन्हे तो कोई दिक्कत तो नही है......

मोहन लाल वापिस सबके पास आता है...

मोहन लाल :- मेरी प्यारी भाभियो...क्या आप सब एक बार मेरे साथ यहाँ आएँगी...मुझे
कुछ बात करनी है....

सभी लॅडीस के दूसरी को देखती है और फिर बोलती है..ओके....
और उठ कर मोहन लाल के साथ चल देती है..थोड़ी दूर..जहाँ पायल खड़ी थी..

इधर जेंट्स में ख़ुसर फुसर शुरू हो जाती है...

भिड़े :- मेहता साब...क्यूँ बुलाया होगा मोहन भाई ने सबको..

तारक :- भाई तू भी तो तुम्हारे साथ यहीं बैठा हूँ..मुझे क्या पता...

जेठालाल :- इस चपली को हर समय..पंचाट पंचाट..करनी है..

भिड़े :- देखो जेठालाल..

जेठालाल :- अरे रहन्ड़ा वे......

उधर मोहन लाल पायल का आइडिया सभी लॅडीस को बताता है...
सभी लॅडीस एक दूसरे को देखने लगती है.....
सबसे पहले बबीता बोलती है..

बबीता :- आइ थिंक इट विल बी फन...

दया :- क्या बबीता जी..

अंजलि :- दया भाभी..बबीता जी के कहने का मतलब है..कि मज़ा आएगा...

माधवी :- अंजलि भाभी..आप क्या बोलते हो..

अंजलि :- मुझे लगता है कोई बुराई नही है....ट्राइ करने में क्या जाएगा...मज़ा आएगा..
 
रोशन :- सच बात छे...कुछ अलग होगा..तो सभी जेंट्स को भी अच्छा लगेगा..

मोहन लाल :- हाँ...वही तो...

पायल :- ओके एक्सलेंट..तो सर आप भी पार्ट लेंगे ना.

मोहन लाल :- ऑफ कोर्स....

पायल :- ओके..तो में सभी मेडम्स को ले जाती हूँ...तब तक आप यहाँ आरेंजमेंट
कर वा दीजिए..

मोहन लाल :- हाँ ओके...

और मोहन लाल जेंट्स के पास आ जाता है...और पायल लॅडीस के साथ खड़ी रहती है...

अब आप क्या चाहते हैं...अब अरेंज्मेंट के बारे में भी लिखूं...हाँ यही कम रह गया
है ना मेरा....अब बताऊ कि एक एक चीज़ कहाँ शिफ्ट हुई है..कहाँ क्या रखा है..
कामवाला समझ रखा है...चलो हटो जी..में नही बता रहा......

अब सब सोच में डूब गये कि में टाइम को थोड़ा आगे कर के लिख दूँगा.. है..ना
यही सोच रहे हो...और अगर नही भी सोच रहे तो मेरा क्या..मत सोचो...

में तो चला अपनी दूरबीन लेकर....देखूं तो सही कुछ शायद दिख जाए.....
ज़ूम इन......

ह्म वॉशरूम में कोई नही है.....अब्दुल कहाँ गया..साला....चलो कमरे में
ज़ूम इन करके देखता हूँ......हैरान मत हो 21स्ट सेंचुरी है..टेक्नालजी बहुत आ गई
है...मेरे पास है ऐसा दूरबीन जो यहीं से बैठे बैठे कमरे में देख सकते हैं....

फुल ऑन ज़ूम इन कर डून....ह्म चलो कमरे के गेट के पास तो पहुच गये...
ज़रा अंदर भी झाँक लें....

ओहो तो भाई साहब यहाँ लगे पड़े हैं....

आआआ ओह सोडा की कसम आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा.
अब्दुल का लंड प्रीति की चूत के अंदर बाहर हो रहा था.....
प्रीति पलंग पर लेटी पड़ी थी..उपर से अब्दुल उसके दोनो पैर उपर कर के उसकी चूत
में लंड अंदर बाहर कर रहा था....

प्रीति :- आआहह ऊहोोह...उूुुुउउ..सस्स्सीसीसीई फक मी हार्ड
आ फकक्क्क्क्क्क्क्क्क......
प्रीति भी अपनी गान्ड नीचे से उछाल उछाल के अब्दुल का लंड ले रही थी....

अब्दुल ने अपने दोनो हाथ प्रीति के गोल गोल बड़ी ही सॉफ्ट बूब्स पे रखे हुए थे.
और उन्हे दबा रहा था.....और नीचे से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था...
पच्चह पच्चह की आवाज़ पूरे कमरे में फैली हुई थी...
 
प्रीत की चूत बहुत गीली हो गई थी..और उसका रस अब्दुल के लंड पर तो लग ही रहा था
साथ ही साथ उसका रस उसकी गान्ड के छेद से होता हुआ नीचे बेड पे गिर रहा था....

ओह मययी गॉड्डड्ड...........प्रेस देम हार्डर........फकक्क्क्क्क्क...
फक्क्क्क मीई....हर्दर्ररर...हर्दर्र्ररर......आआहह....

प्रीतू की सिसकियाँ बहुत तेज़ होती जा रही थी.....उसको इस खेल में बड़ा मज़ा आ रहा था.
आज पहली बार वो किसी गेस्ट के साथ सेक्स कर रही थी.उसके लिए ये बिल्कुल नया एक्सपीरियेन्स
था..जिससे वो और ज़्यादा उतेज़ित हो रही थी....

अब्दुल आगे की तरफ झुक गया...और प्रीति के होंठो को अपने होंठो में क़ैद कर लिया
और उन्हे चूसने लगा......नीचे से अबटूल की गान्ड उपर नीचे हो रही थी..जिससे ये दिख
रहा था..कि उसका लंड प्रीति की चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा है.....

प्रीति भी अपनी कमर उठा के अब्दुल के लंड को अंदर ले रही थी...दोनो बहुत ही
ज़्यादा उत्साह में थे...

अब्दुल को भी इसी पहले इतनी जवान चूत नही मिली थी...वो इस पल को पूरी तरह जीना चाहता
था..इसलिए वो भी लगा हुआ था...

उपर से दोनो एक दूसरे के मुँह के अंदर अपनी जीभ घुमा रहे थे........

कुछ 5 मिनट तक जबरदस्त किस्सिंग के बाद...अब्दुल उठा...और प्रीति के उपर से उठ गया.

अब्दुल :- चल घोड़ी बन...पीछे से चोदना है तुझे....

प्रीति भी फ़ौरन कुतिया बन जाती है.......

अब्दुल पीछे से प्रीति की चूत पे अपना लंड घिसता है....

आआआआहह प्रीति के मुँह से सिसकी निकल जाती है...
अब्दुल वैसे ही बाहर से चूत पे लंड को रगड़ने लगता है....वो प्रीति को तड़पाना
चाहता था...और वो इस काम में सफल भी हुआ......

प्लीज़...अंदर डालो...और नही सहा जा रहा....आहह
फक मी प्लीज़....प्रीति उससे चुदने के लिए भीख माँग रही थी..

अब्दुल को भी तरस आ गया..और उसने एक धकका मारा..और उसका लंड थोड़ा सा अंदर
चला गया....और फिर रुक गया...
अब्दुल अभी भी उसे तड़पाना चाहता था...लेकिन इस बार....

इस बार प्रीति चालाक निकली..और उसने अपनी गान्ड को पीछे की तरह धकका मारा..जिससे
अब्दुल का पूरा लंड प्रीति की चूत में समा गया...
आआआआआहह प्रीति के मुँह से निकला....
हुउऊुुुुुुुुुुुुुआहह अब्दुल बोला..

अब्दुल :- साली तुझे बड़ी जल्दी है ना चुदने की अब देख कैसे तेरी चूत फाड़ता हूँ...

और अब्दुल अपनी गान्ड को पीछे कर के लंड बाहर निकालता है....और एक साथ पूरा अंदर डाल
देता है...प्रीति को तो मज़ा ही आ जाता है....

अब अब्दुल प्रीति की गान्ड को पकड़ के लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगता है...
आआआआहह उूुुुुुुुुुुुुुुुुुउउ ओह एसस्स्सस्स...
 
लीके त्त्त..तह.त..त.त....फ्फ्फुउ.क्क्क.क...मी...ओह्ह्ह्ह आआआहह
प्रीति पागल हो चुकी थी..उसकी चूत से पानी किसी नल की तरह बह रहा था...और बेड
पे गिर रहा था.......उसकी चुचियाँ तेज़ी धक्कों से आगे पीछे हो रही थी......

आआआआहह ओह साली मज़ा आ रहा है ना..
ओह बास्स्स मेरा निकलने वाला है आहह..

आइ एम्म कमिंग टूऊ फक मी.ए..ओह्ह्ह्ह डोंट स्टॉप्प्प....फक्क्क मी हार्डर...
अहह आइ म कुमिंगगग....आहह

करते हुए प्रीति झड्ने लगती है..उसका शरीर 2 झटके ख़ाता है..और अपना रस निकालना चालू
कर देता है...उधर अब्दुल भी.आहह ले मेराअ रस्सस्स....
और 3 झटके मारता है..और उसकी चूत में छोड़ देता है अपना सारा रस....

प्रीति थक के वैसे ही पेट के बल लेट जाती है.....अब्दुल भी उसके उपर ही लेट जाता है..
दोनो काफ़ी ज़्यादा थक गयी थी...और हाँफ रही थी...ऐसे वाइल्ड फक्किंग के बाद तो
बुरा हाल होना ही है......

उफ़फ्फ़ बड़ा ही हॉट सीन थी..मेरी तो बॅंड ही बज गयी.....अरे अब क्या कमरे में ही
रहना है.....सीन ख़तम बात ख़तम अब क्या कर रहे हो वहाँ पे.....जहाँ ले जाउ वहीं
अटक जाते हो..बाहर निकल जाओ भाई..नही तो अब फीस चार्ज कर लूँगा....
देखो देखो..फीस का नाम लेते ही कैसी बाहर निकल गयी..वाहह..कंजूस कहीं की..
कभी तरस नही आता हम पर.....इतनी मेहनत कर रहे हैं हम तो....सबको आज कल
मुफ़्त का चाहिए..ज़माना ही खराब हो गया है....

ज़ूम आउट्ट......चलो जी पार्टी की हालत देखें..ओफफो यहाँ तो अभी तक वही अरेंजमेंट
चल रहा है....पता नही कितनी देर और चलेगा.....

जब तक क्या करें....क्या करें..बताओ.....अरे जो उपर खोपड़ी दी है उसका यूज़ कर लिया
करो..मुझे परेशान कर देते हो..हर बार में ही दिमाग़ लगाऊ...हुहन...मुफ़्त
में मज़े लो तुम...और मेहनत करें हम...चलो कोई नही कर लेते हैं...

चलिए..फिर गोकुलधाम देखें वहाँ क्या हो रहा है.........

अरे दूरबीन से कहाँ जा रहे हो......मतलब टेक्नालजी आ गई है..तो उसका ऐसा फ़ायदा
उठाओगे शरम नही आती.... हद है...में ले जा रहा हूँ ना..तो दूरबीन की
क्या ज़रूरत है.......

गोकुलधाम की. हाउसिंग सोसायटी......

आज सुबह की बात को याद करते करते...पोपटलाल अपने एक हाथ में छाते को लिए एक हाथ
को अपने लंड पे रख कर धीरे धीरे मसल रहा था...

सुबह मूठ मारते हुए...उसे कोमल ने देख लिया था......और उसके बाद जो उसने कहा उसे
याद करके पोपटलाल थोड़ा उतेज़ीत हो गया था...

तभी अपनी याद से निकलता हुआ..

नही नही....ये क्या कर रहा हूँ में...कोमल भाभी..को याद करके मूठ मार रहा हूँ..
और अपने लंड पे से हाथ हटा लेता है...

कोमल भाभी...नही....उनके साथ.....बिल्कुल नही.....कहाँ वो कहाँ में.....
और अपने शरीर को देखता है....
और फिर अपने लंड को हाथ में पकड़ के.. बिल्कुल नही भाई..कोमल भाभी के नाम पे
खरबदार खड़ा हुआ तो..नही तो तेरी दुनिया हिला दूँगा...

बॅक ग्राउंड. म्यूज़िक..... पोपटलालल्ल्ल्ल...पोपातललल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल......
 
तभी तिंगगगग तोंगगगग...डोर बेल बजती है...

पोपातलाल टाइम देखता है....11 बजे...इस वक़्त कौन हो सकता है....
और गेट खोलने के लिए चला जाता है...और गेट खोलता है...तो सामने जो देखता है..
उससे उसकी आँखें फट जाती है..

आप....इतनी रात में......कोमल भाभी..कुछ काम था क्या.....पोपातलाल बोलता है..

कोमल :- हाँ क्या में अंदर आ सकती हूँ....

पोपातलाल थोड़ा झीजकते हुई...हाँ हाँ आई ना....

फिर कोमल अंदर आ जाती है..पोपातलाल डोर बंद करता है..और दोनो सोफ्फे पे आकर
बैठ जाते हैं.....

पोपातलाल :- बोलिए कोमल भाभी....

कोमल :- वो..वो पोपट भाई.....वो...

पोपातलाल समझ गया था कि कोमल क्या बोलना चाहती है..लेकिन वो खुद कुछ नही बोलना
चाहता था...

पोपातलाल :- वो क्या कोमल भाभी..

कोमल :- वो पोपट भाई...सुबह जो हुआ.....उसके बारे में बात करनी है..

पोपातलाल ने जब कोमल के मुँह से सुबह वाली बात सुनी...तो वो फिर से एक बार सुबह की याद
में खो गया...

हुआ यूँ था कि जब कोमल ने पोपातलाल को मुठ मरते देखा तो उसके बाद हुआ यूँ था
की..

कोमल :- पोपट भाई आप ये सब क्यूँ कर रहे हैं..

पोपट :- कोमल भाभी..आप तो जानती है..ना कि में अकेला हूँ अभी तक..और शरीर की
भी कुछ ज़रूरत होती है....अब कोई लड़की तो मिलती नही..इस शरीर की प्यास भुजाने के
लिए...तो इससे काम चला लेता हूँ..
 
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