desiaks
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-“तुम्हारी बात अपनी जगह सही है लेकिन आमतौर पर लड़कियां उससे दूर ही भागती थीं। वह थोड़ा खर दिमाग और हाथ धोकर लड़कियों के पीछे पड़ जाने वाला आदमी था। जैसा कि मीना बवेजा के मामले में हुआ।”
-“क्या हुआ?”
-“कुछ खास नहीं। उसकी वजह से मनोहर एक लफड़े में पड़ गया था।”
-“क्या मीना के पीछे भी वह बुरी तरह पड़ गया था?”
-“हाँ। लेकिन अब इन बातों से कोई फायदा नहीं है। मनोहर मर चुका है अब किसी औरत को परेशान नहीं कर पाएगा। हालांकि इसके पीछे किसी का अहित करने कि उसकी नीयत कभी नहीं रही। बुनियादी तौर पर वह अच्छा आदमी था। ट्रक ड्राइवर के तौर पर भी उसका रिकार्ड एकदम बड़िया और बेदाग रहा है।”
-“मीना कि वजह से वह जिस लफड़े में पड़ा वो क्या था?”
अधेड़ ने बेचैनी से पहलू बदला।
-“दरअसल औरतों के मामले में वह थोड़ा क्रेक था- खासतौर पर मीना के मामले में तो था ही। पिछले साल मीना ने उसे थोड़ी लिफ्ट दी और दो-तीन बार उससे बातें कर लीं। मनोहर पर इस हद तक दीवानगी का भूत सवार हो गया कि हर वक्त उसके आसपास मंडराने लगा। रात में उसके फ्लैट की खिड़कियों में झांकने जैसी हरकतें शुरू कर दी। हालांकि इसके पीछे मीना का कोई अहित करने का मकसद उसका कभी नहीं रहा। मगर अपनी हरकतों की वजह से पुलिस द्वारा पकड़ा गया।”
-“किसने पकड़ा था उसे।”
-“इन्सपैक्टर चौधरी ने। तगड़ी डांट फटकार लगाने के साथ-साथ दो-चार हाथ भी जड़ दिए और उससे कहा किसी डाक्टर के पास जाकर अपने दिमाग का इलाज कराए।”
-“इस लड़की लीना के बारे में तुमने इन्सपैक्टर को भी बताया था?”
-“नहीं। उसे तो मैं घड़ी देखकर टाइम तक कभी नहीं बताऊंगा।”
-“क्यों? वह तुम्हें पसंद नहीं है?”
-“बिल्कुल नहीं। वह अपने अलावा हर किसी को बेवकूफ समझता है। बूढ़ा बवेजा भी उसे खास पसंद नहीं करता लेकिन दामाद होने की वजह से बस बर्दाश्त करता रहता है।”
-“बवेजा की कितनी बेटियाँ है?”
-“दो। बड़ी बेटी रंजना ब्रजेश्वर चौधरी को ब्याही है। पुलिस में भर्ती होने से पहले कुछ महीने चौधरी ने इसी ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम किया था। तभी रंजना उसके संपर्क में आई और उसे दिल दे बैठी। तब बूढ़े ने इस पर बड़ी हाय-तौबा मचाई थी। दोनों ने उसकी मर्जी के खिलाफ शादी कर ली फिर धीरे-धीरे आपस में सुलह हो गई।”
-“बवेजा रहता कहाँ है?”
-“अधेड़ ने पता बता दिया।”
राज उससे विदा लेकर कार में सवार हो गया।
-“क्या हुआ?”
-“कुछ खास नहीं। उसकी वजह से मनोहर एक लफड़े में पड़ गया था।”
-“क्या मीना के पीछे भी वह बुरी तरह पड़ गया था?”
-“हाँ। लेकिन अब इन बातों से कोई फायदा नहीं है। मनोहर मर चुका है अब किसी औरत को परेशान नहीं कर पाएगा। हालांकि इसके पीछे किसी का अहित करने कि उसकी नीयत कभी नहीं रही। बुनियादी तौर पर वह अच्छा आदमी था। ट्रक ड्राइवर के तौर पर भी उसका रिकार्ड एकदम बड़िया और बेदाग रहा है।”
-“मीना कि वजह से वह जिस लफड़े में पड़ा वो क्या था?”
अधेड़ ने बेचैनी से पहलू बदला।
-“दरअसल औरतों के मामले में वह थोड़ा क्रेक था- खासतौर पर मीना के मामले में तो था ही। पिछले साल मीना ने उसे थोड़ी लिफ्ट दी और दो-तीन बार उससे बातें कर लीं। मनोहर पर इस हद तक दीवानगी का भूत सवार हो गया कि हर वक्त उसके आसपास मंडराने लगा। रात में उसके फ्लैट की खिड़कियों में झांकने जैसी हरकतें शुरू कर दी। हालांकि इसके पीछे मीना का कोई अहित करने का मकसद उसका कभी नहीं रहा। मगर अपनी हरकतों की वजह से पुलिस द्वारा पकड़ा गया।”
-“किसने पकड़ा था उसे।”
-“इन्सपैक्टर चौधरी ने। तगड़ी डांट फटकार लगाने के साथ-साथ दो-चार हाथ भी जड़ दिए और उससे कहा किसी डाक्टर के पास जाकर अपने दिमाग का इलाज कराए।”
-“इस लड़की लीना के बारे में तुमने इन्सपैक्टर को भी बताया था?”
-“नहीं। उसे तो मैं घड़ी देखकर टाइम तक कभी नहीं बताऊंगा।”
-“क्यों? वह तुम्हें पसंद नहीं है?”
-“बिल्कुल नहीं। वह अपने अलावा हर किसी को बेवकूफ समझता है। बूढ़ा बवेजा भी उसे खास पसंद नहीं करता लेकिन दामाद होने की वजह से बस बर्दाश्त करता रहता है।”
-“बवेजा की कितनी बेटियाँ है?”
-“दो। बड़ी बेटी रंजना ब्रजेश्वर चौधरी को ब्याही है। पुलिस में भर्ती होने से पहले कुछ महीने चौधरी ने इसी ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम किया था। तभी रंजना उसके संपर्क में आई और उसे दिल दे बैठी। तब बूढ़े ने इस पर बड़ी हाय-तौबा मचाई थी। दोनों ने उसकी मर्जी के खिलाफ शादी कर ली फिर धीरे-धीरे आपस में सुलह हो गई।”
-“बवेजा रहता कहाँ है?”
-“अधेड़ ने पता बता दिया।”
राज उससे विदा लेकर कार में सवार हो गया।