hotaks444
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देवा; वही हवेली के बहार रुक्मणी का इंतज़ार करने लगता है । थोडी देर बाद रुक्मणी गुलाबी साडी पहन के उसके पास आती है।
गालों पर पाउडर होठो पर लाली और चेहरे पर मुस्कान लिए रुक्मणी बिलकुल अप्सरा लग रही थी।
रुक्मणी; अब घुरते रहोंगे या चालोगे भी।
देवा;हाँ हाँ चलते है ना।
वैसे आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो मालकिन।
रुक्मणी;क्यों इससे पहले नहीं लगती थी क्या।
वो उछल के देवा के ट्रेक्टर में बैठ जाती है।
देवा;ट्रेक्टर स्टार्ट कर देता है।
पहले भी लगती थी आप मगर आज।
रुक्मणी;हम्म और ये मालकिन और आप बोलने को मना की थी न मैंने । अकेले में तुम मुझे रुक्मणी कह सकते हो।
देवा;नहीं नहीं मै आपको मालकिन ही कहुँगा।
वो ट्रेक्टर शहर के तरफ चला देता है।
रास्ते में रुक्मणी बार बार देवा को अपने हुस्न दिखाती रहती है। कभी अपना आंचल अपने चूचि पर डालते हुए कभी उसकी तरफ झुक के बात करते हुए देवा बडी मुस्खिल से खुद को सँभाल के ट्रेक्टर चलाने लगता है।
रुक्मणी;दिल ही दिल में मुस्कुराने लगती है वो भी जान गई थी की देवा बहुत जल्द उसकी चूत की चढ़ी हुई नस उतार देगा।
देवा; किसी तरह खुद को रुक्मणी के जिस्म से आती तपीश से बचता हुआ उसे डॉ के दवाख़ाने के पास छोड के मन्डी में सूर्य फूल बेचने चला जाता है।
रुक्मणी;उसे दो घंटे बाद यही मिलने का बोल के दवाख़ाने में चली जाती है।
देवा;मंडी में पहुंचके अपने उस ब्यापारी से मिलता है जो उससे माल ख़रीदता था।
ईधर रुक्मणी का डॉ उसे फिर से वही गोलियां देती है जो वो पिछले कई सालो से रुक्मणी को देती आ रही थी।
रुक्मणी;डॉ साहिब आप पिछले कई सालों से मेरा इलाज कर रहे है मगर कोई फायदा होता दिख नहीं रहा है आप दवायें बदल क्यों नहीं देते।
डॉ ; आपके लिए यह दवायें ठीक है आप इन्हें शुरू रखो अब मेरी दवायें धीरे धीरे काम करेंगी।
रुक्मणी;वो दवायें ले लेती है और बाहर आके देवा का इंतज़ार करने लगती है थोडी देर बाद जब देवा खाली ट्रेक्टर लेके उसके पास आता है तो रुक्मणी देवा को नीचे उतरने के लिए कहती है।
देवा;क्या हुआ वापस नहीं चलना क्या।
रुक्मणी;देवा तुम उस दिन मुझे बोल रहे थे न की तुम्हारी बहन का इलाज यहाँ के किसी डॉ ने की थी मुझे उसके पास ले चलो।
देवा;हाँ हाँ क्यों नहीं मै तो आपको कई दिन से बोल रहा हूँ मगर आप सुनती कहाँ हो मेंरा।
रुक्मणी;अब सुन ली न वैसे भी ये डॉ पिछले कई दिन से मुझे एक जैसे दवायें खिला रही है फायदा तो कुछ होता नहीं उल्टा पेट में दर्द रहता है चक्कर से आते है और नींद भी बहुत आती है।
देवा; कोई बात नहीं। चलो मै आपको उस डॉ के पास ले चलता हूँ।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
देवा; वही हवेली के बहार रुक्मणी का इंतज़ार करने लगता है । थोडी देर बाद रुक्मणी गुलाबी साडी पहन के उसके पास आती है।
गालों पर पाउडर होठो पर लाली और चेहरे पर मुस्कान लिए रुक्मणी बिलकुल अप्सरा लग रही थी।
रुक्मणी; अब घुरते रहोंगे या चालोगे भी।
देवा;हाँ हाँ चलते है ना।
वैसे आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो मालकिन।
रुक्मणी;क्यों इससे पहले नहीं लगती थी क्या।
वो उछल के देवा के ट्रेक्टर में बैठ जाती है।
देवा;ट्रेक्टर स्टार्ट कर देता है।
पहले भी लगती थी आप मगर आज।
रुक्मणी;हम्म और ये मालकिन और आप बोलने को मना की थी न मैंने । अकेले में तुम मुझे रुक्मणी कह सकते हो।
देवा;नहीं नहीं मै आपको मालकिन ही कहुँगा।
वो ट्रेक्टर शहर के तरफ चला देता है।
रास्ते में रुक्मणी बार बार देवा को अपने हुस्न दिखाती रहती है। कभी अपना आंचल अपने चूचि पर डालते हुए कभी उसकी तरफ झुक के बात करते हुए देवा बडी मुस्खिल से खुद को सँभाल के ट्रेक्टर चलाने लगता है।
रुक्मणी;दिल ही दिल में मुस्कुराने लगती है वो भी जान गई थी की देवा बहुत जल्द उसकी चूत की चढ़ी हुई नस उतार देगा।
देवा; किसी तरह खुद को रुक्मणी के जिस्म से आती तपीश से बचता हुआ उसे डॉ के दवाख़ाने के पास छोड के मन्डी में सूर्य फूल बेचने चला जाता है।
रुक्मणी;उसे दो घंटे बाद यही मिलने का बोल के दवाख़ाने में चली जाती है।
देवा;मंडी में पहुंचके अपने उस ब्यापारी से मिलता है जो उससे माल ख़रीदता था।
ईधर रुक्मणी का डॉ उसे फिर से वही गोलियां देती है जो वो पिछले कई सालो से रुक्मणी को देती आ रही थी।
रुक्मणी;डॉ साहिब आप पिछले कई सालों से मेरा इलाज कर रहे है मगर कोई फायदा होता दिख नहीं रहा है आप दवायें बदल क्यों नहीं देते।
डॉ ; आपके लिए यह दवायें ठीक है आप इन्हें शुरू रखो अब मेरी दवायें धीरे धीरे काम करेंगी।
रुक्मणी;वो दवायें ले लेती है और बाहर आके देवा का इंतज़ार करने लगती है थोडी देर बाद जब देवा खाली ट्रेक्टर लेके उसके पास आता है तो रुक्मणी देवा को नीचे उतरने के लिए कहती है।
देवा;क्या हुआ वापस नहीं चलना क्या।
रुक्मणी;देवा तुम उस दिन मुझे बोल रहे थे न की तुम्हारी बहन का इलाज यहाँ के किसी डॉ ने की थी मुझे उसके पास ले चलो।
देवा;हाँ हाँ क्यों नहीं मै तो आपको कई दिन से बोल रहा हूँ मगर आप सुनती कहाँ हो मेंरा।
रुक्मणी;अब सुन ली न वैसे भी ये डॉ पिछले कई दिन से मुझे एक जैसे दवायें खिला रही है फायदा तो कुछ होता नहीं उल्टा पेट में दर्द रहता है चक्कर से आते है और नींद भी बहुत आती है।
देवा; कोई बात नहीं। चलो मै आपको उस डॉ के पास ले चलता हूँ।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]