Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास - Page 8 - SexBaba
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Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

ऋतु सोचने लगती है कि क्या पापा नशा चढ़ा कर चोदना चाहते हैं, ऐसे तो मज़ा नही आएगा और वो अपने दिमाग़ में कोई प्लान बना लेती है. अब भी उसे अपनी गान्ड में रमण का लंड चूबता हुआ महसूस हो रहा था, लेकिन उसके दिमाग़ में पहले रवि था, बाद में जो मर्ज़ी चोद ले. और वो तेज़ी से चिकन डिश की तैयारी में लग जाती है, बस थोड़ी देर ही रह गई थी अच्छी तरह पकने में.

अंदर पहुँच कर रवि समान टेबल पे रखता है और रमण से पूछता है.

‘पापा आज तीन ग्लास किस लिए?’

‘अरे भाई हम 7 दिन बाद इंडिया जानेवाले हैं, तो सोचा क्यूँ ना सेलेब्रेट किया जाए, कमोन जाय्न मे’

रमण दो ग्लास में ड्रिंक डाल कर एक रवि को पकड़ता है

‘पापा पर मैं और ड्रिंक?’

‘चल चल मेरे आगे ड्रामा मत कर, मैं जानता हूँ तू पीता है, चल आज बाप के साथ भी चियर्स कर, बेटा जब जवान हो जाता है, तो वो दोस्त ज़यादा होता है’

दोनो बाप बेटे चियर्स करते हैं और एक एक सीप लेते हैं.

‘रमण हॉल से ही चिल्लाता है, अरे ऋतु बेटा कितना टाइम लगेगा’

‘बस पापा अभी लाई’

‘चल यार, क्या लड़कियों की तरह पी रहा है, बॉटम्स अप’

अब रवि के पास कोई चारा नही था, वो भी बाप के साथ एक घूँट में ग्लास ख़तम कर देता है.और खट से उसके दिमाग़ में ये ख़याल आता ही कि पापा उसे टल्ली करना चाहते हैं ताकि वो ऋतु के साथ मस्ती कर सकें. ओह ओह तो तो ये माजरा है.
अब रवि भी अपने बाप का बेटा था, एक सेर दूसरा सवा सेर.

‘पापा आप दूसरा पेग बनाओ मैं अभी आया’ कह कर वो किचन जाता है, फ्रिड्ज से मक्खन निकालकर 250 ग्राम एक पल में चबा डालता है.

‘अरे इतना मख्खन क्यूँ?’

‘श्ह्ह’ रवि होंठों पे उंगली रख ऋतु को चुप रहने का इशारा करता है.

‘तू भी खा के आना’

बोल कर रवि अंदर चला जाता है. ऋतु कुछ पल सोचती है लेकिन रवि की बात नही मानती और ऐसे ही चिकन ले कर हाल में चली जाती है.

‘अरे वाह आ गई बेटा चल आ इधर मेरे पास आ कर बैठ’

रमण उसे अपने पास बैठने के लिए बोलता है तो ऋतु उसके पास जा कर बैठ जाती है.

‘चल रवि तीन ग्लास बना’

‘ऋतु बोल पड़ती है ‘3 किसलिए?’

रमण जवाब देता है, 'भाई आज हम सेलेब्रेट कर रहे हैं इंडिया की वापसी को इसीलिए तो स्कॉच खोली है, कमौन ’

‘पर पापा मैं और शराब!’

‘अरे ये स्कॉच है विस्की नही, इससे नशा नही होता, और तुम तो नयी जेनरेशन की लड़की हो, तुम्हारी मम्मी भी तो मेरे साथ पीती है’
 
रवि 3 ग्लास डाल लेता है , रमण का उसने बड़ा पेग बनाया था और अपना और ऋतु का छोटा.

स्कॉच की ख़ासियत ये है, कि नशा बहुत धीरे धीरे चढ़ता है और देर तक रहता है, ना कि विस्की की तरह जो फटाफट चढ़ता है और जल्दी उतर भी जाता है.

खैर तीनो के दो दो पेग हो जाते हैं.क्यूंकी ऋतु पहली बार पी रही थी, उसे थोड़ा सरूर चढ़ने लगता है,उपर से मनोविज्ञानिक कारण भी था कि वो पहली बार पी रही थी.

जब उसे थोड़ा सरूर चढ़ता है तो रवि से बोलती है.

‘रवि म्यूज़िक लगा यार, बोरियत हो रही है, थोड़ा डॅन्स करेंगे, क्यूँ पापा’

रवि उठ के म्यूज़िक लगाता है, बहुत ही अच्छी धुन पर स्लो डॅन्स करनेवाली.

‘चलो पापा पहले आप मेरे साथ डॅन्स करो’

रमण की तो बान्छे खिल जाती हैं. वो उठ कर रीत के पास आता है और उसे अपनी बाँहों में थामता है.

ऋतु का एक हाथ रमण की कमर के होता है और दूसरा उसके कंधे पे. रमण के दोनो हाथ उसकी कमर पे होते हैं.

डॅन्स करते करते रमण का एक हाथ उसकी गान्ड पे चला जाता है और दूसरा उसकी पीठ पर. ऋतु की आँखों में नशे की लाली के साथ साथ उत्तेजना की भी लाली आ जाती है, उसकी साँसे भारी हो जाती हैं और वो अपना सर रमण के कंधे से लगा लेती है. रमण भी अपने होंठ उसकी गर्दन पे लगा कर हल्के हल्के चूमने लगता है. रमण हल्के हल्के उसकी गान्ड मसल्ने लगता है और दबाव बढ़ा कर उसे और अपने करीब करता है. अब ऋतु की चूत से रमण का उभरा हुआ लंड टकरा रहा था.

आह्ह्ह्ह ऋतु के मुँह से हल्की से सिसकी निकल पड़ती है और रमंड का दबाव और भी ज़यादा हो जाता है. वो भूल ही गया था कि रवि दोनो को देख रहा है.

ऋतु भी रमण से और चिपकती है और उसके खड़े निपल रमण को अपनी छाती में चुभते हुए महसूस होने लगते हैं. उसके लंड में तनाव और भी बढ़ जाता है जो ऋतु को अपनी जाँघो के जोड़ पे महसूस होता है.

रमण उसकी गर्दन चाटने लगता है और उसके कान में धीरे से कहता है ‘ आइ लव यू, तुम बहुत सुंदर हो’

अपने बाप के मुँह से ये सुन ऋतु का चेहरा शर्म से लाल हो उठता है और वो दूर हो जाती है. रमण उसे खींचने लगता है तो बोल पड़ती है.

‘बस पापा, अभ रवि की बारी है, थोड़ी देर बाद फिर आपके साथ डॅन्स करूँगी’

रमण के पास कोई चारा नही रहता मन मसोस कर बैठ जाता है और अपने लिए ड्रिंक बना कर पीने लगता है.

ऋतु अब रवि के साथ डॅन्स करने लगती है. जवान जोड़ा और भी कस के एक दूसरे के साथ चिपक कर डॅन्स करने लगता है.
 
रवि ऋतु के कान में धीरे से कहता है, ‘डॅन्स के बाद पहले ड्रिंक, फिर मैं अपने कमरे में चला जाउन्गा, तू पापा को ज़्यादा पिला कर सोने पे मजबूर कर देना’

‘तेरे जाने के बाद पापा ने कुछ कर दिया तो?’

‘इतनी जल्दी कुछ नही होता, बॅस हाथ फेरेंगे, फेरने देना और पिलाती रहना’

‘मैं ही पापा के साथ लग गई तो?’

‘तेरी मर्ज़ी, कौन चाहिए तुझे, मैं या पापा’

‘ओह रवि अब तक कहाँ था तू’

‘डर लगता था, कहीं तू नाराज़ ना हो जाए’

‘ अब डर नही लग रहा.’

‘नही’

‘क्यूँ?’

‘बाद में बताउन्गा’
‘आइ लव यू’
‘आइ लव यू टू’

और रवि , रमण की नज़रें बचा कर ऋतु के होंठ चूम लेता है.

‘अहह रवि’ ऋतु सिसक पड़ती है और अपनी चूत का दबाव रवि के खड़े लंड पे बढ़ा देती है.

ईत ने में म्यूज़िक ख़तम हो जाता है और दोनो अलग हो जाते हैं.

‘बस एक ड्रिंक और , फिर मैं सोने जा रहा हूँ, कल कॉलेज भी तो जाना है’ बोल कर रवि फिर 3 ग्लास बनाता है और इस बार रमण का ग्लास पटियाला बना देता है.
रमण पे ज़यादा सरूर चढ़ने लगा था और रवि की बात सुन वो खुश हो जाता है कि वो सोने जा रहा है, अब से मोका मिल जाएगा ऋतु को सेडयूस करने के लिए.
जैसे ही रवि उसे ग्लास पकड़ता है,रमण एक घट में ख़तम कर देता है, जैसी कि रवि को जाने के लिए बोल रहा हो.

रवि और ऋतु एक दूसरे की आँखों में देखते हुए आराम से अपनी ड्रिंक ख़तम करते हैं और फिर रवि चला जाता है. जब तक रवि वहाँ था रमण की बेचैनी बढ़ती रहती है.

रवि के जाने के बाद ऋतु भी कहती है.

‘पापा अब सोने चलते हैं, बहुत देर हो चुकी है’

रमण अरे थोड़ी देर रुक फिर चलते हैं.
ऋतु बॉटल उठाके देखती है, मुश्किल से एक पेग बचा हुआ था, वो रमण का ग्लास भरती है

‘पापा ये तो खाली’

‘तू म्यूज़िक लगा, मैं और ले के आता हूँ’

ऋतु उठ के म्यूज़िक लगाती है, रमण अपने कमरे में जा कर एक और बॉटल ले आता है.

रमण उसे डॅन्स के लिए खींचता है तो पहले ऋतु ग्लास उठा कर रमण के होंठ से लगा देती है. रमण खट से पी जाता है.

दोनो फिर डॅन्स करने लगते हैं, डॅन्स तो अब एक बहाना ही रह गया था, मतलब तो जिस्म को जिस्म से चिपकाना ही था.

रमण इस बार अपना हाथ पीछे से ऋतु की टॉप में घुसा कर उसकी कमर पे फेरने लगता है.

‘आह पापा, ये क्या कर रहे हो’

‘अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूँ’ कह कर रमण उसकी गर्दन चाटते हुए उसकी कान की लो को अपने मुँह में भर के चूसने लगता है.

‘उफफफफ्फ़ पापा ये ग़लत है’

‘कुछ ग़लत नही, मैं तो बस अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूँ’ कहते हुए रमण फिर उसके कान को लो चूमने लगता है.

ऋतु के जिस्म में आँधियाँ चलने लगती हैं, उसे लग रहा था कि वो उड़ती हुई कहीं चली जाएगी.

रमण उसकी गान्ड को अपनी तरफ दबा कर कर अपने लंड का दबाव उसकी चूत पे करने लगता है.

अब तक ऋतु की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी, इतना रस बह रहा था.

ऋतु खुद को अलग करती है. ‘बस पापा, थक गई’ और नयी बॉटल खोल रमण के लिए बड़ा और अपने लिए बहुत छोटा पेग बनाती है.

रमण सोफे पे बैठ जाता है और ऋतु के हाथ से पेग ले कर खाली कर देता है. उस पे डबल नशा चढ़ रहा था, एक स्कॉच का जिसने अपना असर दिखना शुरू कर दिया था और दूसरा ऋतु की कातिल जवानी का.

ऋतु फिर उसके लिए पेग बनाती है आर इस बार अपने बाल खोल देती है, जो उसकी कमर तक लहराने लगते हैं.

रमण के गाल पे प्यार से हाथ फेरते हुए कहती है

‘अभी आई, तब तक ये ड्रिंक ख़तम करो’
 
एक तो कातिल जवानी, उसपे लहराते हुए उसके सिल्की बाल, रमण की जान ही निकाल रहे थे, उसके जिस्म में उत्तेजना चर्म पे पहुँच चुकी थी और अब रुकना उसके लिए मुश्किल हो रहा था, उसका दिल कर रहा था कि अभी ऋतु को दबोच कर उसके उपर चढ़ जाए.

ऋतु ने अपने दोनो प्रेमियों का कत्ल करने का ठान लिया था, वो रमण के कमरे में जा कर दरवाजा बंद करती है और अपनी मम्मी का वॉर्डरोब खोल कर कुछ ढूँडने लगती है.

उसे अपने मतलब की ड्रेस मिल जाती है. अपने सारे कपड़े उतार कर वो, उस ड्रेस को पहन लेती है. खुद को शीशे में निहारती है और बाहर निकल आती है.

जैसे ही रमण की नज़र उसपे पड़ती है, उसका गला सूखने लगता है,लंड में इतना तनाव आता है , जैसे अभी टूट के अलग हो जाएगा. आँखें उबल कर बाहर आने लगती हैं और हवस से लाल सुर्ख हो जाती हैं.

ऋतु ने सुनीता की सबसे सेक्सी नाइटी पहन ली थी, एक दम पारदर्शी, जो मुश्किल से उसकी गान्ड तक आ रही थी और अंदर उसने कुछ नही पहना था. काली नाइटी में उसका गोरा बदन और भी निखर के अपनी छटा दिखा रहा था.

वो रमण की तरफ बढ़ने लगती है, रमण का गला और सूखने लगता है, वो सीधा स्कॉच की बॉटल उठा कर अपने मुँह से लगा लेता है और आधी खाली कर देता है.
जैसे जैसे वो रमण के पास आने लगी, वैसे वैसे रमण की हालत और भी खराब होने लगी.

अपनी आँखें ऋतु पे गढ़ी हुई रख वो फिर से बॉटल अपने मुँह से लगा लेता है और गटा गट पीने लगता है. नीट स्कॉच उसका सीना अंदर से चीर रही थी,बॉटल खाली होते होते, उसका सर भी घूमने लगता है. बॉटल बिल्कुल खाली हो जाती है, पर उसके हलक का सूखा पन और भी बढ़ जाता है.

ऋतु पास आ कर अपना पैर थाम कर सीधा रमण के लंड पे रख देती है हल्के से दबाती है और फिर रमण की छाती पे रख उसे पीछे धकेल देती है.

रमण की आँखें तो बस ऋतु की खुली चूत पे गढ़ जाती है.

ऋतु और आगे होती है और अपना पाँव रमण के होंठों के पास ले आती है. रमण उसके गोरे नाज़ुक पाव को कुत्ते की तरह चाटने लगता है.

‘ये क्या किया आपने, पूरी बॉटल अकेले पी गये , अब मेरा क्या होगा’ ऋतु इतनी सेक्सी अदा से बोली कि रमण की गान्ड तक फट गई, अब वो एक घूँट भी शायद और नही पी सकता था. ऋतु फिर अपना पैर उसकी छाती पे ला कर धीरे धीरे उसके लंड तक ले जाती है और फिर से दबा कर बोली

‘ अभी आई’

रमण बस तड़प्ता हुआ देखता ही रह जाता है

मटकती हुई ऋतु फिर रमण के कमरे में जा रही थी, और रमण एक कुत्ते की तरह नीचे झुक कर उसकी गान्ड का नज़ारा लेने लगा.
ऋतु उसकी अलमारी से एक और बॉटल निकाल के ले आती है.

कमरे में आ कर ऋतु बॉटल खोलती है और प्यासी निगाहों से रमण को देखते हुए अपनी ज़ुबान बॉटल के मुँह के चारों तरफ फेरती है और फिर बॉटल का मुँह अपने मुँह में भर लेती है और हरकत ऐसी करती है कि जैसे लंड चूस रही हो. रमण तड़प के खड़ा हो जाता है और लड़खड़ाते हुए ऋतु की तरफ बढ़ता है.

ऋतु को लगता है कि वो गिर जाएगा और भाग कर उसके पास आती है, रमण उसे बाँहों में भर उसके गाल पागलों की तरह चूमने लगता है.और जैसे ही रमण का हाथ उसके स्तन पे आता है, ऋतु छिटक के दूर हो जाती है और अपनी नशीली आँखों से ना का इशारा करती है.

ऋतु फिर रमण के पास आती है.

‘बहुत प्यास लगी है ना पापा’

उफफफफफफफ्फ़ क्या से अंदाज़ था कहने का रमण का रोया रोया जल उठता है.
ऋतु बॉटल पे फिर अपनी ज़ुबान फेर कर रमण के मुँह से लगा देती है. उसकी आँखों में देखते हुए रमण पीने लगता है और फिर अपने हाथ का पंजा ऋतु के स्तन पे रख उसे सख्ती से दबा देता है.

आाआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ऋतु की चीख निकल पड़ती है.
 
रमण आधी बॉटल खाली कर चुका था और पीना उसके बस में नही था. वो बॉटल से मुँह हटा कर उसे ऋतु के मुँह पे लगा देता है, ऋतु भी 2-3 घूँट भर लेती है, उसके सीने में जलन होने लगती है और वो बॉटल हटा के टेबल पे रख देती है.

रमण अब ज़यादा ही लड़खड़ाने लगा था. बहुत ही ज़यादा हो गई थी. ऋतु उसके हाथ को अपने कंधे पे रख उसे उसके कमरे में ले जाती है, उसे बिस्तर पे लिटाने लगती है तो रमण उसे पकड़ के खींच लेता है और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका देता है.

उफफफफफफफफफफफफ्फ़ ऋतु सनसना उठती है, पहली बार किसी मर्द ने उसके होंठों के अपने होंठ रखे थे. ऋतु की आँखें बंद हो जाती हैं.रमण के हाथ उसके स्तन पे चले जाते हैं और बड़ी बेरहमी से दबाने लगता है. ऋतु तड़प के उसकी चुंगल से निकलती है. रमण उसे फिर अपने पास खींचता है.

ऋतु उसके होंठ पे अपने होंठ रख देती है. एक गहरा चुंबन ले कर बोलती है.
‘क्या सच में मुझ से प्यार करते हो?’

रमण को ऐसा लगा जैसे किसी ने ज़ोर का थप्पड़ उसके गाल पे ही नही उसकी आत्मा तक पे मार दिया हो. उसका नशा काफूर हो जाता है, दिल दिमाग़, आत्मा, सब ग्लानि से भर उठते हैं.

ऋतु उसकी छाती को सहलाते हुए फिर पूछती है-
‘बोलो ना डू यू रियली लव मी, ऑर जस्ट वॉंट टू फक मी’

रमण के कान जैसे फटने लगते हैं.उसकी बेटी सीधा ही उस से पूछ रही थी. उसके जिस्म से सारी वासना पसीना बन कर बह जाती है.उसकी हालत बहुत खराब होने लगती है.

ऋतु फिर अपने होंठ उसके होंठ पे रखती है एक प्यारा सा चुंबन लेती है और हल्के से उसकी छाती मलने लगती है.

‘बोलो ना, चुप क्यूँ हो, प्यार करते हो, या बस चोदना चाहते हो? जो दिल में है आज बोल दो, मैं बुरा नही मानूँगी’

रमण की आँखों से आँसू बहने लगते हैं, जिस्म शीतल पड़ जाता है. उसकी अंतरात्मा तक चीत्कार करने लगती है.

‘आज रात अच्छी तरह सोचना पापा, अगर आप मुझ से सच में प्यार करते हो, तो मैं आपकी भी हो जाउन्गि, अगर ये सिर्फ़ वासना है तो मुझ से दूर रहना. लव यू’ और फिर एक चुंबन उसके होंठों पे कर ऋतु कमरे से बाहर चली जाती है.

रमण फटी आँखों में आँसू भरे हुए उसे कमरे से बाहर जाता हुआ देखता रहता है.

ऋतु बाहर आती है, उसे भी थोड़ा दुख हो रहा था रमण से इस तरह बात करने पर, पर वो नही चाहती थी, कि सिर्फ़ वासना के तहत वो अपने बाप के नीचे बिछ जाए.

वो रमण और रवि की तुलना करने लगती है. ना जाने कब से रवि उसकी फोटो के आगे मूठ मार रहा था, पर उसने कभी ऋतु को छुआ तक नही था. और रमण ने तो ना जाने कितनी हदे पार कर ली थी. शायद कसूर उसका ही था, आज उसने अपना कमरा बंद नही किया था. अब अगर कोई इंसान किसी जवान लड़की को नंगा देखेगा तो उसका यही हाल होगा.

वो रमण के जवाब का इंतेज़ार करेगी, ये सोच कर वो स्कॉच की बॉटल उठाती है, दो घूँट भरती है और बॉटल ले कर रवि के कमरे की तरफ बढ़ जाती है.
 
ऋतु जब रवि के कमरे के बाहर पहुँच जाती है तो उसके कदम रुक जाते हैं. रमण के साथ हुई छेड़ छाड़ ने से बहुत गरम कर दिया था, उसकी चूत में खुजली मची हुई थी और पानी रिस रिस कर जाँघो तक बह रहा था.

वो जानती थी कि अगर वो अंदर गयी तो आज कुँवारी नही रहेगी, क्या भाई के साथ आगे बढ़ जाए, दिमाग़ में बार बार ये सवाल उठ रहा था. उसकी चूत चिल्ला चिल्ला कर बोल रही थी कि आगे बढ़, पर दिमाग़ रोक रहा था, फिर अचानक दिमाग़ में बात आई कि अभी तक वो क्या कर रही थी, अपने पापा के साथ, कैसे आधी नंगी हो कर पापा के सामने चली गई थी, और चुदने में कौन सी कसर बाकी रह गई थी, वो तो पापा की जमीर को अगर उसने छेड़ा ना होता, तो इस वक़्त पापा का लंड उसकी चूत की खुजली मिटा रहा होता.

आगे बढ़ ऋतु, रवि तुझ से सच में प्यार करता है, उसके प्यार में सिर्फ़ वासना नही है, अगर होती तो वो कब का उसे इधर उधर छूने की कोशिश करता. बेचारा सिर्फ़ फोटो के सामने मूठ मारता रहता है और आज पहली बार उसने आइ लव यू कहा था. बाढ़ जा आगे, उसे उसका प्यार देदे.

कैसे जाउ अंदर, वो मेरा भाई है, प्रेमी नही. भाई के साथ कैसे इतना आगे बढ़ुँ. भाई है तभी तो इतना प्यार करता है, और भाई प्रेमी क्यूँ नही हो सकता.घर की बात घर में,किसी से ब्लॅकमेल होने का कोई डर नही. समाज में कोई बदनामी नही. होने दे आज संगम एक लंड और एक चूत का. तू लड़की है और वो एक लड़का तुझे लंड चाहिए और उसे चूत.

ऋतु के कदम वहीं जम के रह गये, इतने में रवि ने दरवाजा खोल लिया, क्यूंकी वो डर रहा था कि इतनी देर हो गई है कहीं पापा ने ऋतु को….. आगे वो सोच ना सका. दरवाजा खोलते ही से सामने ऋतु नज़र आई जो इस वक़्त उर्वशी को भी मात कर रही थी. रवि उसके दिल की हालत समझ गया और हाथ बढ़ा कर उसका हाथ थाम लिया. रवि ने उसे अंदर की तरफ खींचा और ऋतु किसी मोम की गुड़िया की तरह खिंचती चली गई.

रवि ने उसके हाथ से बॉटल ले कर वहीं टेबल पे रख दी. ऋतु की नज़रें नीचे ज़मीन पे गढ़ी हुई थी. जिस्म में कंपन हो रहा था. ऋतु के इस रूप को रवि ना जाने कितनी देर तक देखता रहा और फिर आगे बढ़ कर उसने ऋतु के चेहरे को उपर उठाया और उसकी आँखों में झाँकने लगा, जिसमे जिस्म की भूख के साथ साथ कई सवाल भी दिख रहे थे.

ऋतु की नज़रें भी उसकी नज़रों से मिल गई और दोनो जैसे अपनी नज़रों से ही बातें करने लगे.

‘आइ लव यू ऋतु’

रवि के मुँह से निकल पड़ा और ऋतु तड़प के उसके सीने से लिपट गई.
 
रवि की बाँहों ने उसे अपने घेरे में ले लिया और एक अजीब सी ठंडक उसके सीने में समा गई, पता नही कब से वो तड़प रहा था ये तीन शब्द ऋतु से बोलने के लिए और आज बोल ही दिया, तब जा कर उसे थोड़ा चैन मिला. ऋतु जब उसे लिपटी तो ऐसा लगा जैसे संसार की सारी खुशियाँ उसे मिल गई.

ऋतु के हाथ भी रवि की कमर के चारों तरफ बढ़ने लगे और उसने रवि को खुद के साथ ऐसे चिपकाया जैसे डर लग रहा हो कि कहीं वो उस से दूर ना चला जाए.

‘ऋतु’

ऋतु की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी, रवि के होंठों पे अपना नाम उसे किसी मिशरी की तरह कानो में मीठास घोलता सा लगा. कितने प्यार से वो पुकार रहा था.

‘ऋतु’

‘ह्म्म’

‘आइ लव यू’

‘एक बार और कहो ना’

‘आइ लव यू, आइ लव यू, आइ लव यू’

‘सच?’

‘तुझे शक़ है मेरे प्यार पे?’

‘नही,पर डर लगता है’

‘किस बात का?’

‘हम भाई बहन हैं, ये प्यार अगर अपनी सीमाएँ लाँघ गया तो क्या होगा? कब तक इससे छुपा के रख सकोगे? जब मम्मी पापा को पता चलेगा तब क्या होगा? जब हमारी शादी होगी तब क्या होगा?’

‘मुझ पे भरोसा है?’

‘नही होता तो यहाँ तक नही आती’

‘फिर मुझ पे छोड़ दे सब, मैं तुझ पे कोई आँच नही आने दूँगा, कभी तेरा साथ नही छोड़ूँगा’

‘ओह रवि आइ लव यू’

अब ऋतु ने अपना सर उठा कर रवि की तरफ देखा. रवि के होंठ झुकने लगे, ऋतु की आँखें बंद हो गई और जैसे ही दोनो के होंठ आपस में मिले दोनो के जिस्म में एक बिजली की लहर दौड़ गई.

दोनो की धमनियों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है. साँसे एक दूसरे में घुलने लगती हैं. जिस्मो का तापमान बढ़ने लगता है. ऋतु के होंठ खुल जाते हैं और रवि उसके होंठ चूसने लगता है बिल्कुल आराम से कोई जल्दी नही, ऐसे जैसे मिशरी की मीठास चूस रहा हो. ऋतु के हाथ खुद बा खुद रवि के चेहरे को थाम लेते हैं और रवि के हाथ ऋतु की पीठ को सहलाने लगते हैं.

थोड़ी देर बाद ऋतु भी रवि का होंठ चूसने लगती है. दोनो बिल्कुल खो जाते हैं. समय जैसे रुक जाता है इन दोनो की प्रेम लीला को देखने के लिए.
 
जब साँस लेना दूभर हो जाता है तो दोनो अलग होते हैं और हान्फते हुए अपनी साँस संभालने लगते हैं. रवि की नज़र टेबल पे पड़ी स्कॉच की बॉटल पे जाती है और वो बॉटल उठा कर 3-4 घूँट मार लेता है और बिस्तर पे बैठ कर ऋतु को अपनी गोद में बिठा लेता है.

दोनो एकटक एक दूसरे को देखते रहते हैं और फिर जैसे एक बिजली कोंधती है दोनो के होंठ फिर एक दूसरे से चिपक जाते हैं और इस बार ज़ुबाने आपस में अंगड़ाइयाँ लेने लगती हैं. दोनो एक दूसरे का थूक पीते रहते हैं. रवि का हाथ रेंगता हुआ ऋतु के स्तन को थाम लेता है.

अहह ब्ब्ब्ब्बबभहाआआऐययईईईईईई

ऋतु सिसक पड़ती है और ज़ोर से रवि के होंठ को चूसने लगती है.
रवि के हाथ का कसाव ऋतु के स्तन पे बढ़ जाता है पर इतना भी नही कि ऋतु को दर्द महसूस हो और ऋतु के जिस्म में बेचैनी बढ़ जाती है.


ऋतु की चूत से रस बह बह कर रवि के पाजामा को गीला कर रहा था. रवि उसे बिल्कुल एक नाज़ुक गुलाब के फूल की तरह ले रहा था, कहीं फूल की पंखुड़ी में कोई चोट ना आ जाए.

ऋतु के होंठ छोड़, रवि के होंठ ऋतु की गर्दन पे आ जाते हैं और वो बड़े प्यार से उसे चूमने और चाटने लगता है.

जिस्म में उठती हुई चिंगारियाँ ऋतु की सिसकियों का आह्वान करने लगती हैं और ऋतु खो जाती है रवि के प्यार में. ऋतु के हाथ भी रवि के जिस्म को सहलाने लगते हैं. कसा हुआ कसरती बदन छूने पे ऋतु खुद को संभाल नही पाती और फिर उसके होंठ रवि के होंठों से भिड़ जाते हैं.

जिस्म की प्यास से मजबूर ऋतु बहकति जा रही थी, पर फिर भी दिमाग़ का कोई कोना जागरूक था, जो इतनी जल्दी उसे आगे बढ़ने नही दे रहा था.

अचानक ऋतु अपने होंठ रवि से अलग कर लेती है.

वो रवि की गोद से उठ जाती है. रवि अवाक उसे देखता रह जाता है.
 
‘भाई मुझे माफ़ करना, शायद अभी मैं इस सब के लिए पूरी तरह तैयार नही हूँ’

‘इधर आ मेरे पास बैठ’

ना चाहते हुए या चाहते हुए, बीच मझदार में फसि ऋतु उसके पास बैठ जाती है.

‘गुड़िया मैं जानता हूँ तुझे क्या चाहिए- भरोसा रख तेरी मर्ज़ी के बिना मैं कभी आगे नहीं बढ़ुंगा- मैं तब तक तुझे नहीं चोदुन्गा जब तक तू खुद नही बोलेगी’

‘वादा’

‘हां वादा’

‘ओह भाई, आइ लव यू, आइ लव यू’ कहते हुए ऋतु फिर रवि को चूमने लगती है, वो पागलों के तरह रवि के चेहरे पे चुंबनो की बोछार कर देती है.

रवि उसे धीरे से बिस्तर पे लिटा देता है. उसके मदमाते योवन की छटा का रस पान करता है और उसके जिस्म को चूमने लगता है होंठों से नीचे गर्दन, गर्दन से नीचे उसकी छाती का उपरी हिस्सा फिर एक एक स्तन पर हल्के हल्के चुंबन करता है. ऋतु के निपल सख़्त हो कर नाइटी को फाड़ने की कगार पे पहुँच जाते हैं. रवि हल्के हल्के उन्हें चूमता है और फिर नाइटी समेत ही उन्हें चूसने लगता है.

उूउउफफफफफफफफफफफफ्फ़ ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बबभहाआआऐययईईई
क्या कर रहे हो………उूुुउउइईईईईईईईईई म्म्म्म ममममम्मूऊऊुुुुउउम्म्म्मममममममय्यययययययी

रवि धीरे धीरे दोनो निपल एक एक कर चूस्ता है, हल्के हल्के काटता है और बिना कोई ज़ोर डाले हल्के हल्के उसके स्तन सहलाता है.

ऋतु का जिस्म तड़पने लगता है, एक डर उसके अंदर बैठ जाता है कि कहीं वो खुद ही तो वो रेखा नही तोड़ देगी जिसमे उसने रवि को बँधा था. ऐसी होती है जिस्म की प्यास, जो इंसान को सब कुछ भूलने पे मजबूर कर देती है.

काफ़ी देर तक रवि उसके दोनो स्तन को अच्छी तरह चूस्ता है, पर बिना कोई दर्द दिए, सिर्फ़ अहसास और उत्तेजना की भावनाएँ ऋतु को तड़पाती रहती हैं, वो इतनी उत्तेजित हो जाती है कि नागिन की तरह बल खाने लगती है. उसके जिस्म का पोर पोर एक सुखद अहसास की अनुभूति से भर जाता है.

ब्ब्ब्ब्ब्बबभहाआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईई आाआआईयईईईईईई म्म्म्म्ममममाआआआआ

उसकी सिसकियों का जैसे बाँध टूट पड़ता है, शायद वो इस दुनिया से दूर कहीं और किसी और दुनिया में चली जाती है,रह रह कर उसकी कुलबुलाती चूत अपने अंदर उठती जवाला से उसे जला रही थी, मजबूर हो कर वो अपनी टाँगे पटाकने लगती है.
रवि उसके स्तन छोड़ कर नीचे बढ़ता है और उसकी जांघे थाम कर हल्के हल्के चुंबन कर के उसकी चूत की तरफ बढ़ता है.

ऋतु के जिस्म में आग के शोले उठने लगते हैं उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो जाती हैं.
 
रवि उसकी छोटी सी प्यारी चूत पे पहुँच जाता है जो बिल्कुल किसी संतरे की फाँक की तरह दिख रही थी और अपने छोटे होंठ खोल और बंद कर रही थी.

रवि की ज़ुबान जैसे ही उसकी चूत को छूती है, ऋतु के जिस्म में एक ज़लज़ला आ जाता है. उसका जिस्म अकड़ जाता है और वो अपनी चूत से कामरस की नदी बहा देती है, जिसे रवि चाटते हुए पीने लगता है.

ऋतु का स्खलन इतनी ज़ोर का हुआ था कि उसकी आँखें मूंद गई और जिस्म ढीला पड़ गया.
रवि ने से थोड़ी देर के लिए छ्चोड़ दिया ताकि वो अपने आनंद को अपने अंदर समेत सके.

अब रवि अपने सारे कपड़े उतार देता है और ऋतु के साथ लेट कर उसके पतले होंठों पे अपनी उंगलियाँ फेरने लगता है.

थोड़ी देर में ऋतु अपनी आँखें खोलती है, तो रवि उसकी नाइटी को उसके जिस्म से अलग कर देता है. ऋतु की नज़र जब रवि पे पड़ती है तो शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर लेती है.

रवि उसके होंठ पे किस करता है.

‘ऋतु आँखें खोल ना’

ऋतु ना में सर हिलाती है.

रवि उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखता है. ऋतु अपनी आँख खोल के देखती है फिर झट से बंद कर लेती है,और अपना हाथ हटाने की कोशिश करती है, उसके जिस्म में झुरजुरी दौड़ जाती है, रवि उसका हाथ हटने नही देता. धीरे धीरे ऋतु उसके लंड को थाम लेती है और अपने आप ही उसका हाथ उसके लन्ड़ को सहलाने लगता है.

रवि उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाता है और उसके होंठ चूसने लगता है. ऋतु की पकड़ उसके लंड पे सख़्त हो जाती है. वो भी खुल के रवि का साथ देने लगती है. जिस्म में फिर चिंगारियाँ उठने लगती है.

रवि से धीरे धीरे लिटा देता है और उसके जिस्म के साथ चिपक जाता है. अपने साथ पहली बार ऋतु को किसी मर्द के नंगे जिस्म के सटने का अहसास हुआ था. उसके दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं, सांसो में तेज़ी आ जाती है.

रवि की उत्तेजना भी बहुत बढ़ गई थी, पर वो खुद पे संयम रख कर बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था ताकि ऋतु को संपूर्ण आनंद मिले. ऋतु का हाथ अभी भी रवि के लंड पे था और वो धीरे धीरे उसे सहला रही थी, उसके जिस्म में इस वजह से रोमांच बढ़ता जा रहा था.

रवि उसके जिस्म के ऊपर आ जाता है , उसके योवन कलश को अपने हाथों में थाम उसके होंठ पे अपने होंठ रख देता है. रवि का लंड ऋतु के हाथ से छूट जाता है और वो उसके जिस्म को अपने साथ भीच कर उसकी पीठ पे अपने हाथ फेरने लगती है.

रवि का लंड उसकी जाबघो के बीच में आ कर उसकी चूत का चुंबन लेने लगता है.

उत्तेजना और डर दोनो ही ऋतु को हिला के रख देते हैं और वो पागलों की तरह रवि के होंठ चूसने लगती है. दोनो एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे. उसकी सिसकियाँ रवि के होंठों के बीच अपना दम तोड़ती रहती हैं.

रवि उसके स्तनों का मर्दन करने लगता है. कभी दबाता है तो काबी निपल उमेठने लगता है. ऋतु की छटपटाहट बढ़ती है वो अपनी टाँगे भीच कर रवि के लंड का अहसास अपनी चूत पे महसूस करती है. टाँगे खोलती है, बंद करती है. एक अजीब नशा उसपे चढ़ने लगता है, जिस से वो बिल्कुल अंजान थी. वो इस नशे में डूब जाती है और रवि से और चिपकने लगती है.

अचानक...................................................
 
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