hotaks444
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अचानक बाहर बड़ी ज़ोर की आवाज़ होती है. दोनो भाई बहन होश में आते हैं. ऋतु बहुत घबरा जाती है, फटाफट अपनी नाइटी पहनती है, रवि अपना पाजामा पहन कर बाहर निकल ता है तो देखता है कि रमण फर्श पे गिरा पड़ा था.
रवि उसके पास जा कर उसे उठाता है. ‘क्या हुआ पापा, गिर कैसे गये.’
रमण : बस नींद में ध्यान नही रहा और ठोकर लग गई. आह्ह्ह्ह
रवि : पापा ज़्यादा लगी है क्या
रमण : लगता है कमर में मोच आ गई. मुझे बिस्तर तक ले चल और पानी की एक बॉटल ले आ.
तब तक ऋतु भी आ जाती है आर रवि के साथ मिल कर रमण को उसके बिस्तर पे लिटा देती है.
ऋतु : भाई तू पानी ले आ, मैं पापा की कमर पे आयोडेक्स मल देती हूँ, उन्हें आराम मिल जाएगा.
रवि जा कर पानी ले आता है. रमण पानी पी कर बिस्तर पे लेट जाता है.
ऋतु : भाई जा के सोजा, मैं पापा को आयोडेस्क लगा कर सोने चली जाउन्गि.
रवि का चेहरा उतर जाता है और वो चुप चाप अपने कमरे में चला जाता है. अब नींद कहाँ आनी थी. अभी भी उसे अपने जिस्म के साथ ऋतु के जिस्म का अहसास हो रहा था. वो बिस्तर पे करवटें बदलता रहता है.
इधर ऋतु की नाइटी वही थी, जिसमे उसका सारा जिस्म झलक रहा था. रमण की नज़रें जब ऋतु पे पड़ती हैं तो फिर उसके अंदर वासना जागने लगती है,उसका लंड फिर खड़ा होने लगता है.
ऋतु उसकी कमर पे आयोडेक्स लगा के जाने लगती है तो रमण उसे अपने उपर खींच लेता है और ऋतु ऐसे गिरती है कि उसके होंठ रमण के होंठ से सट जाते हैं और रमण की बाँहें उसे खुद से चिपका लेती हैं.
रमण पागलों की तरह उसके होंठ चूसने लगता है, ऋतु पहले से ही बहुत गरम थी, तो वो भी रमण का साथ देने लगती है. दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं.
रमण की ज़ुबान जैसे ही ऋतु के मुँह में घुसती है, ऋतु सिहर जाती है और कस के रमण को पकड़ लेती है और उसकी जीब चूसने लगती है.
रवि उसके पास जा कर उसे उठाता है. ‘क्या हुआ पापा, गिर कैसे गये.’
रमण : बस नींद में ध्यान नही रहा और ठोकर लग गई. आह्ह्ह्ह
रवि : पापा ज़्यादा लगी है क्या
रमण : लगता है कमर में मोच आ गई. मुझे बिस्तर तक ले चल और पानी की एक बॉटल ले आ.
तब तक ऋतु भी आ जाती है आर रवि के साथ मिल कर रमण को उसके बिस्तर पे लिटा देती है.
ऋतु : भाई तू पानी ले आ, मैं पापा की कमर पे आयोडेक्स मल देती हूँ, उन्हें आराम मिल जाएगा.
रवि जा कर पानी ले आता है. रमण पानी पी कर बिस्तर पे लेट जाता है.
ऋतु : भाई जा के सोजा, मैं पापा को आयोडेस्क लगा कर सोने चली जाउन्गि.
रवि का चेहरा उतर जाता है और वो चुप चाप अपने कमरे में चला जाता है. अब नींद कहाँ आनी थी. अभी भी उसे अपने जिस्म के साथ ऋतु के जिस्म का अहसास हो रहा था. वो बिस्तर पे करवटें बदलता रहता है.
इधर ऋतु की नाइटी वही थी, जिसमे उसका सारा जिस्म झलक रहा था. रमण की नज़रें जब ऋतु पे पड़ती हैं तो फिर उसके अंदर वासना जागने लगती है,उसका लंड फिर खड़ा होने लगता है.
ऋतु उसकी कमर पे आयोडेक्स लगा के जाने लगती है तो रमण उसे अपने उपर खींच लेता है और ऋतु ऐसे गिरती है कि उसके होंठ रमण के होंठ से सट जाते हैं और रमण की बाँहें उसे खुद से चिपका लेती हैं.
रमण पागलों की तरह उसके होंठ चूसने लगता है, ऋतु पहले से ही बहुत गरम थी, तो वो भी रमण का साथ देने लगती है. दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगते हैं.
रमण की ज़ुबान जैसे ही ऋतु के मुँह में घुसती है, ऋतु सिहर जाती है और कस के रमण को पकड़ लेती है और उसकी जीब चूसने लगती है.