desiaks
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अपडेट 104
दीदी के आने से पूरे कमरे में परफ्यूम की भीनी भीनी खुश्बू फ़ैल गयी थी. दीदी मेरे सामने खड़ी थी. चटक लाल रंग का रीबॉक का लोअर जिसमें से उनकी पैंटी की इलास्टिक दिख रही थी. ऊपर आसमानी रंग का टीशर्ट. भीगे बाल, हल्के गुलाबी होंठ, मादक आँखें!
“मैं खाना लगा रही हूँ.” कह कर मुस्कुराते हुए कोमल दीदी किचन में चली गयी.
दीदी ने खाना लगाया, दीदी को गोद मे बिठाकर हम दोनों ने खाया, खाना खाते खाते मैं दीदी के सेक्सी बदन को, उनकी चूचियों को ही मसले जा रहा था, दीदी भी मेरी इस हरकत को एन्जॉय कर रही थी.
तभी दीदी का फोन बज उठा, दीदी ने फोन उठा कर देखा और उनकी त्यौरियाँ चढ़ा गई, वो फोन लेकर अंदर चली गई, अब किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी, गुस्से में फ़ोन बिस्तर पर पटक कर दीदी बाहर आई और बोली- मेरी सास ने बुलाया है… यहीं शहर में… बोली हैं कि सफ़ेद साड़ी पहन कर आओ.उनके किसी दोस्त के यहा मौत हुई है.
कुछ देर बाद कोमल दीदी दीदी बगल वाले रूम में तैयार होने चली गयी. गुस्से में दीदी कुछ बड़बड़ाती जा रही थी और इसी वजह से कमरे की कुण्डी भी नहीं लगाईं थी. मैं बस अब कोमल दीदी के जवान बदन को बिल्कुल नंगा देखना चाहता था.
मैंने झटके से दरवाज़ा खोल दिया.
मेरे होश उड़ गए…. कोमल दीदी बेड पर अपनी जाँघें फैलाए पड़ी थी, उसने टॉप पहना हुआ था मगर लोअर उतारा हुआ था, पेन्टी नीचे सरकी हुई थी और अपनी चूत में एक उंगली अंदर बाहर कर रही थी.
मुझे देखते ही दीदी बोली- ये क्या रेशु कितना तड़पाते हो? कबसे राह देख रही हु?
अपनी पैंटी ऊपर करते हुए बोली कोमल दीदी .
“सॉरी… वेरी सॉरी…” मैं सकपका गया- दीदी, मैं तो ये कहने आया था कि अगर आपने जाना है तो मैं भी चला जाता हूँ.
कोमल दीदी थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- मैं नहीं जा रही कहीं…
कोमल दीदी को मुस्कुराती देख मेरी जान में जान आई मैं कुछ बोल पाता कि वो फिर बोल पड़ी- देखो… अब तरसाओ मत, मुझे आज तुम्हारी जरूरत है… कितने समय से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ. आज तुम यहाँ हो तो… मैं कही नही जाऊंगी अब चाहे तेरे जीजू का फोन भी आये समझे.
मैंने हाँ में सिर हिलाया.
दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बड़ी गांड को मटकाते हुए मुझे बगल वाले कमरे में ले चली. बिस्तर पर नर्म गद्दा था, बिस्तर पे ए सी का रिमोट पड़ा था, दीदी ने रिमोट से ए सी चालू किया और मुझे बिस्तर के ऊपर धक्का दिया. मैं गिरा और पूरी नंगी दीदी मेरे ऊपर आकर चढ़ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी.
कुछ देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, मैंने पहले दीदी की चूत पर पैंटी के ऊपर से ही किस किया, उसमें से हल्की सी खुशबू आ रही थी जो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी थी.
मैंने अपनी उँगलियों से पेन्टी एक तरफ सरका के अपनी जीभ जैसे ही चूत पर लगाई, कोमल दीदी कराह उठी. उसने मेरी पैन्ट खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुख में लेकर कुल्फी की तरह होंठों से चूसने लगी.
इधर मैंने दीदी की चूत में जीभ से चाटा और उधर कोमल दीदी ने मेरा आधा लंड अपने मुख में भर लिया. मैंने दीदी की पैंटी पूरी उतार दी और अपनी एक उंगली कोमल दीदी की गांड के छेद पर रख दी और उसे दबाते हुए चूत को चाटने लगा.
कोमल दीदी ने मेरे आधे लंड को हाथ से पकड़ा हुआ था और बाक़ी का आधा लंड अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूस रही थी.
आनन्द के मारे मेरे तो होश उड़ चुके थे, कोमल दीदी मेरे लंड के चूस रही थी और मैंने दीदी की गोरी चूत को चाट कर लाल कर दिया था. मैंने कोमल दीदी दीदी की गांड में उंगली कर कर के उसे ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, अब हम दोनों भाई बहन सेक्स के लिए एकदम तैयार थे.
कोमल दीदी ने मेरे लंड को मुख से निकाला और बोली- चल रेशु, अब दे दे अपनी दीदी को असली चुदाई के स्वर्ग का आनन्द!
मैं उठा अपने पूरे कपडे उतारे, इतनी देर में दीदी ने अपने सारे कपडे उतार दिए थे, दीदी ने बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टाँगें खोली और चूत का फाटक मेरे सामने खोल के रख दिया.
कोमल दीदी की चूत काफी दिनों के बाद मेरी नज़रों के सामने थी जिसको मैं अभी कुछ पला पहले चाट चाट कर गर्म कर चुका था, मेरे चाटने से पूरी चूत लाल हुई पड़ी थी.
कोमल दीदी ने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया.
मैं नीचे झुका और कोमल दीदी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिये, कोमल दीदी के होंठ चूसते हुए मैंने अपने कूल्हों से एक झटका दिया तो मेरा लंड बड़ी मुश्किल से दीदी की चूत के अन्दर आधा घुस गया.
कोमल दीदी के मुह से चीख निकल गई थी, चूत में लंड घुसते ही वो मुझे और भी सेक्सी तरीके से चूमने लगी. हम दोनों की जीभ एक दूसरे से लड़ने लगी थी.
तभी मैंने एक और झटका मारा और इस दूसरे झटके में मेरा लंड पूरा मेरी दीदी कोमल दीदी की चूत में था.दिदी की चुत बहुत कसी हुई थी जीजू ज्यादातर बाहर ही रहते थे इसलिए ज्यादा चोद नही पाते थे इसलिये चुत अब भी बहुत टाइट थी
मैंने एक मिनट तक लंड को चूत के अंदर ऐसे ही रहने दिया, और दिदी के स्तन मुह में लेकर चूसने चाटने लगा जोरसे दबाने लगा आह क्या मम्मे थे दिदी के बहुत ठोस जैसे किसीने हाथ भी ना लगाया हो ऐसा करने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था, नीचे दीदी की गर्म चूत मेरे लंड को दबा रही थी.
अब मैं धीरे धीरे लंड को दीदी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. कोमल दीदी की गीली चूत में लंड हिलाना बड़ा मजेदार था.
कोमल दीदी सिसकारियाँ भर रही थी, कराह रही थी- चोद रेशु… जोर जोर से मेरी प्यासी चूत को चोद! उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर जोर से! बहुत मजा आ रहा है.
“ये लो… ये लो… पूरा मजा लो दीदी, ये ले लो अपने भाई का लंड अन्दर तक!” मैं भी कस कस के अपना लंड दीदी की चूत में ठोक रहा था.भाई बहन की जांघों के आपस में टकराने से कमरे में फच फच पट पट की आवाजें कोमल दीदी और मेरी चुदासी आवाजों से मिक्स हो रही थी.
“अह्ह्ह ऊऊऊह अह्ह्ह ह्ह…’ दीदी की चुदास, कामुकता बढ़ रही थी.
मैंने कोमल दीदी के मांसल कंधों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया और दीदी को जोर से चोदने लगा. कोमल दीदी की साँसें उखड़ चुकी थी. और दीदी ने तभी मेरे लंड पर चूत के होंठों का दबाव बना दिया.
दीदी झड़ने को थी, एक लम्बी सांस के साथ मैंने भी अपना पानी दीदी की झड़ रही चूत में निकाल दिया. कोमल दीदी की चूत ने मेरे लंड पर जकड़ बनाये रखी और वो भी मेरे साथ झड़ गई!
मेरे वीर्य की एक एक बूंद की दीदी की गर्म चूत में निकल गयी और तब दीदी ने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ्त से आजाद किया. मैंने लंड बाहर निकाला और दीदी के चेहरे को देखा, उनकी आँखों में संतुष्टि के भाव थे और मैं तो खुश था ही अपनी दीदी को चोद कर!
दीदी के आने से पूरे कमरे में परफ्यूम की भीनी भीनी खुश्बू फ़ैल गयी थी. दीदी मेरे सामने खड़ी थी. चटक लाल रंग का रीबॉक का लोअर जिसमें से उनकी पैंटी की इलास्टिक दिख रही थी. ऊपर आसमानी रंग का टीशर्ट. भीगे बाल, हल्के गुलाबी होंठ, मादक आँखें!
“मैं खाना लगा रही हूँ.” कह कर मुस्कुराते हुए कोमल दीदी किचन में चली गयी.
दीदी ने खाना लगाया, दीदी को गोद मे बिठाकर हम दोनों ने खाया, खाना खाते खाते मैं दीदी के सेक्सी बदन को, उनकी चूचियों को ही मसले जा रहा था, दीदी भी मेरी इस हरकत को एन्जॉय कर रही थी.
तभी दीदी का फोन बज उठा, दीदी ने फोन उठा कर देखा और उनकी त्यौरियाँ चढ़ा गई, वो फोन लेकर अंदर चली गई, अब किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी, गुस्से में फ़ोन बिस्तर पर पटक कर दीदी बाहर आई और बोली- मेरी सास ने बुलाया है… यहीं शहर में… बोली हैं कि सफ़ेद साड़ी पहन कर आओ.उनके किसी दोस्त के यहा मौत हुई है.
कुछ देर बाद कोमल दीदी दीदी बगल वाले रूम में तैयार होने चली गयी. गुस्से में दीदी कुछ बड़बड़ाती जा रही थी और इसी वजह से कमरे की कुण्डी भी नहीं लगाईं थी. मैं बस अब कोमल दीदी के जवान बदन को बिल्कुल नंगा देखना चाहता था.
मैंने झटके से दरवाज़ा खोल दिया.
मेरे होश उड़ गए…. कोमल दीदी बेड पर अपनी जाँघें फैलाए पड़ी थी, उसने टॉप पहना हुआ था मगर लोअर उतारा हुआ था, पेन्टी नीचे सरकी हुई थी और अपनी चूत में एक उंगली अंदर बाहर कर रही थी.
मुझे देखते ही दीदी बोली- ये क्या रेशु कितना तड़पाते हो? कबसे राह देख रही हु?
अपनी पैंटी ऊपर करते हुए बोली कोमल दीदी .
“सॉरी… वेरी सॉरी…” मैं सकपका गया- दीदी, मैं तो ये कहने आया था कि अगर आपने जाना है तो मैं भी चला जाता हूँ.
कोमल दीदी थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- मैं नहीं जा रही कहीं…
कोमल दीदी को मुस्कुराती देख मेरी जान में जान आई मैं कुछ बोल पाता कि वो फिर बोल पड़ी- देखो… अब तरसाओ मत, मुझे आज तुम्हारी जरूरत है… कितने समय से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ. आज तुम यहाँ हो तो… मैं कही नही जाऊंगी अब चाहे तेरे जीजू का फोन भी आये समझे.
मैंने हाँ में सिर हिलाया.
दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बड़ी गांड को मटकाते हुए मुझे बगल वाले कमरे में ले चली. बिस्तर पर नर्म गद्दा था, बिस्तर पे ए सी का रिमोट पड़ा था, दीदी ने रिमोट से ए सी चालू किया और मुझे बिस्तर के ऊपर धक्का दिया. मैं गिरा और पूरी नंगी दीदी मेरे ऊपर आकर चढ़ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी.
कुछ देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, मैंने पहले दीदी की चूत पर पैंटी के ऊपर से ही किस किया, उसमें से हल्की सी खुशबू आ रही थी जो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी थी.
मैंने अपनी उँगलियों से पेन्टी एक तरफ सरका के अपनी जीभ जैसे ही चूत पर लगाई, कोमल दीदी कराह उठी. उसने मेरी पैन्ट खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुख में लेकर कुल्फी की तरह होंठों से चूसने लगी.
इधर मैंने दीदी की चूत में जीभ से चाटा और उधर कोमल दीदी ने मेरा आधा लंड अपने मुख में भर लिया. मैंने दीदी की पैंटी पूरी उतार दी और अपनी एक उंगली कोमल दीदी की गांड के छेद पर रख दी और उसे दबाते हुए चूत को चाटने लगा.
कोमल दीदी ने मेरे आधे लंड को हाथ से पकड़ा हुआ था और बाक़ी का आधा लंड अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूस रही थी.
आनन्द के मारे मेरे तो होश उड़ चुके थे, कोमल दीदी मेरे लंड के चूस रही थी और मैंने दीदी की गोरी चूत को चाट कर लाल कर दिया था. मैंने कोमल दीदी दीदी की गांड में उंगली कर कर के उसे ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, अब हम दोनों भाई बहन सेक्स के लिए एकदम तैयार थे.
कोमल दीदी ने मेरे लंड को मुख से निकाला और बोली- चल रेशु, अब दे दे अपनी दीदी को असली चुदाई के स्वर्ग का आनन्द!
मैं उठा अपने पूरे कपडे उतारे, इतनी देर में दीदी ने अपने सारे कपडे उतार दिए थे, दीदी ने बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टाँगें खोली और चूत का फाटक मेरे सामने खोल के रख दिया.
कोमल दीदी की चूत काफी दिनों के बाद मेरी नज़रों के सामने थी जिसको मैं अभी कुछ पला पहले चाट चाट कर गर्म कर चुका था, मेरे चाटने से पूरी चूत लाल हुई पड़ी थी.
कोमल दीदी ने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया.
मैं नीचे झुका और कोमल दीदी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिये, कोमल दीदी के होंठ चूसते हुए मैंने अपने कूल्हों से एक झटका दिया तो मेरा लंड बड़ी मुश्किल से दीदी की चूत के अन्दर आधा घुस गया.
कोमल दीदी के मुह से चीख निकल गई थी, चूत में लंड घुसते ही वो मुझे और भी सेक्सी तरीके से चूमने लगी. हम दोनों की जीभ एक दूसरे से लड़ने लगी थी.
तभी मैंने एक और झटका मारा और इस दूसरे झटके में मेरा लंड पूरा मेरी दीदी कोमल दीदी की चूत में था.दिदी की चुत बहुत कसी हुई थी जीजू ज्यादातर बाहर ही रहते थे इसलिए ज्यादा चोद नही पाते थे इसलिये चुत अब भी बहुत टाइट थी
मैंने एक मिनट तक लंड को चूत के अंदर ऐसे ही रहने दिया, और दिदी के स्तन मुह में लेकर चूसने चाटने लगा जोरसे दबाने लगा आह क्या मम्मे थे दिदी के बहुत ठोस जैसे किसीने हाथ भी ना लगाया हो ऐसा करने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था, नीचे दीदी की गर्म चूत मेरे लंड को दबा रही थी.
अब मैं धीरे धीरे लंड को दीदी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. कोमल दीदी की गीली चूत में लंड हिलाना बड़ा मजेदार था.
कोमल दीदी सिसकारियाँ भर रही थी, कराह रही थी- चोद रेशु… जोर जोर से मेरी प्यासी चूत को चोद! उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर जोर से! बहुत मजा आ रहा है.
“ये लो… ये लो… पूरा मजा लो दीदी, ये ले लो अपने भाई का लंड अन्दर तक!” मैं भी कस कस के अपना लंड दीदी की चूत में ठोक रहा था.भाई बहन की जांघों के आपस में टकराने से कमरे में फच फच पट पट की आवाजें कोमल दीदी और मेरी चुदासी आवाजों से मिक्स हो रही थी.
“अह्ह्ह ऊऊऊह अह्ह्ह ह्ह…’ दीदी की चुदास, कामुकता बढ़ रही थी.
मैंने कोमल दीदी के मांसल कंधों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया और दीदी को जोर से चोदने लगा. कोमल दीदी की साँसें उखड़ चुकी थी. और दीदी ने तभी मेरे लंड पर चूत के होंठों का दबाव बना दिया.
दीदी झड़ने को थी, एक लम्बी सांस के साथ मैंने भी अपना पानी दीदी की झड़ रही चूत में निकाल दिया. कोमल दीदी की चूत ने मेरे लंड पर जकड़ बनाये रखी और वो भी मेरे साथ झड़ गई!
मेरे वीर्य की एक एक बूंद की दीदी की गर्म चूत में निकल गयी और तब दीदी ने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ्त से आजाद किया. मैंने लंड बाहर निकाला और दीदी के चेहरे को देखा, उनकी आँखों में संतुष्टि के भाव थे और मैं तो खुश था ही अपनी दीदी को चोद कर!