desiaks
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उसके चेहरे पर उपहास से भरी मुस्कान उभरी। बोला।
बताओ।” “तुम्हारा पैग आ गया।”
उसने गर्दन घुमाकर देखा। पैग को थामा। अपनी तरफ सरकाया फिर बोला।
“मुझे हैरानी है कि तुम जैसा ढोंगी इस नाइट क्लब में कैसे आ गया।” ।
“तुम्हारे पास रिवॉल्वर है।” जगमोहन बोला।
उसकी आंखें सिकुड़ीं।
तुम्हारे इरादे खतरनाक हैं।” उसका चेहरा कठोर हो गया।
“तुम अपनी पत्नी और बच्चे को मारकर बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हो ।”
वो चिहुंक पड़ा।
क्या-क्या बोला तुमने?” उसके होंठों से फटा-फटा सा स्वर निकला।
“तुम फैसला कर चुके हो कि तुम घर जाकर पत्नी और बच्चे को शूट कर दोगे। क्योंकि तुम्हें अपनी पत्नी के चाल-चलन पर शक है। लेकिन सच बात तो ये है कि तुम्हारी पत्नी तुम्हारी वफादार है। वो बच्चा तुम्हारा ही है। तुम वहम के शिकार हो।”
उसकी हालत देखने वाली थी।
“तुम...तुम ये सब कैसे जानते हो कि मैं क्या करने वाला हूँ? मैंने ये बात किसी को नहीं बताई।” ।
“मैं पालकी वाला हूं। लोगों का चेहरा देखकर उनके मन की बात जान लेता हूं कि वो भविष्य में क्या करने वाला है। अगर तुमने अपनी पत्नी और बच्चे को मारा तो अपनी गलती पर बहुत पछताओगे। तुम्हारी सारी उम्र जेल में बीतेगी। जहां तुम पागल हो जाओगे।”
नहीं ।” उसके होंठों से निकला।
ये सच है।” जगमोहन गम्भीर था।
मेरी पत्नी धोखेबाज है।” उसके होंठों से निकला।
वहम है तुम्हारा।”
उसने किसी से दोस्ती कर रखी है वो...।”
वो उसका दोस्त नहीं, भाई बना हुआ है। तुम्हें जलाने के लिए वो ऐसा करती है खुद जबकि वो बहुत अच्छी है। तुम उसे वक्त दिया करो। ब्याह कर लेने का मतलब ये तो नहीं कि औरत को घर में लाकर पटक दो और खुद बाहर रहो। उसका ध्यान कौन रखेगा?”
“तुम सच कह रहे हो कि वो ठीक औरत है?" उसने सूखे होंठों पर जीभ फेरकर कहा।
सौ प्रतिशत ।” “वो बच्चा ...।” “तुम्हारा ही है। तुम ही उसके बाप हो ।”
ओह!” उसने आँखें बंद कर ली । वो परेशान दिखने लगा था।
जगमोहन की गम्भीर निगाह उसके चेहरे पर ही थी।
“संभल जा ।” जगमोहन के कानों में पोतेबाबा का स्वर गुंजा—“आग से मत खेल जग्गू।”
जगमोहन ने इन शब्दों पर जरा भी ध्यान नहीं दिया।
बताओ।” “तुम्हारा पैग आ गया।”
उसने गर्दन घुमाकर देखा। पैग को थामा। अपनी तरफ सरकाया फिर बोला।
“मुझे हैरानी है कि तुम जैसा ढोंगी इस नाइट क्लब में कैसे आ गया।” ।
“तुम्हारे पास रिवॉल्वर है।” जगमोहन बोला।
उसकी आंखें सिकुड़ीं।
तुम्हारे इरादे खतरनाक हैं।” उसका चेहरा कठोर हो गया।
“तुम अपनी पत्नी और बच्चे को मारकर बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हो ।”
वो चिहुंक पड़ा।
क्या-क्या बोला तुमने?” उसके होंठों से फटा-फटा सा स्वर निकला।
“तुम फैसला कर चुके हो कि तुम घर जाकर पत्नी और बच्चे को शूट कर दोगे। क्योंकि तुम्हें अपनी पत्नी के चाल-चलन पर शक है। लेकिन सच बात तो ये है कि तुम्हारी पत्नी तुम्हारी वफादार है। वो बच्चा तुम्हारा ही है। तुम वहम के शिकार हो।”
उसकी हालत देखने वाली थी।
“तुम...तुम ये सब कैसे जानते हो कि मैं क्या करने वाला हूँ? मैंने ये बात किसी को नहीं बताई।” ।
“मैं पालकी वाला हूं। लोगों का चेहरा देखकर उनके मन की बात जान लेता हूं कि वो भविष्य में क्या करने वाला है। अगर तुमने अपनी पत्नी और बच्चे को मारा तो अपनी गलती पर बहुत पछताओगे। तुम्हारी सारी उम्र जेल में बीतेगी। जहां तुम पागल हो जाओगे।”
नहीं ।” उसके होंठों से निकला।
ये सच है।” जगमोहन गम्भीर था।
मेरी पत्नी धोखेबाज है।” उसके होंठों से निकला।
वहम है तुम्हारा।”
उसने किसी से दोस्ती कर रखी है वो...।”
वो उसका दोस्त नहीं, भाई बना हुआ है। तुम्हें जलाने के लिए वो ऐसा करती है खुद जबकि वो बहुत अच्छी है। तुम उसे वक्त दिया करो। ब्याह कर लेने का मतलब ये तो नहीं कि औरत को घर में लाकर पटक दो और खुद बाहर रहो। उसका ध्यान कौन रखेगा?”
“तुम सच कह रहे हो कि वो ठीक औरत है?" उसने सूखे होंठों पर जीभ फेरकर कहा।
सौ प्रतिशत ।” “वो बच्चा ...।” “तुम्हारा ही है। तुम ही उसके बाप हो ।”
ओह!” उसने आँखें बंद कर ली । वो परेशान दिखने लगा था।
जगमोहन की गम्भीर निगाह उसके चेहरे पर ही थी।
“संभल जा ।” जगमोहन के कानों में पोतेबाबा का स्वर गुंजा—“आग से मत खेल जग्गू।”
जगमोहन ने इन शब्दों पर जरा भी ध्यान नहीं दिया।