desiaks
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जेठालाल :- टप्पू बेटा क्यूँ...तुझे क्यूँ लग रहा है कि ये झूठ बोल रहा है..
तारक :- हाँ बताओ टप्पू..
टप्पू :- पापा तारक अंकल...यही है जिन्होने रोशन आंटी के साथ इतनी गंदी हरकत की है...
सब सब के टप्पू की बात सुन के दंग रह जाते हैं..किसी को कुछ समझ नही आ रहा होता है कि ये कैसे हो सकता है...
तभी सोढी उसकी तरफ भागता है..और उसको पकड़ के एक दो लात और मुक्के मार देता है...उसके मुँह से खून निकलने लगता है...और दर्द से चिल्लाता है...अहह.....और नीचे गिर जाता है...
ये देख के सब सोढी की तरफ भागते हैं...और उसे पकड़ लेते हैं...
चाचाजी :- सोढी ये क्या कर रहा है...शांति रख ऐसे मारा मारी से कुछ नही होगा..इसको इसकी सज़ा मिलेगी...
और फिर सोढी शांत हो जाता है..
तारक और अईयर शिवांग को खड़ा करते हैं..
चाचाजी :- छड़ी उठाते हुए....बोल तूने ऐसा क्यूँ किया ...बोल...
जेठालाल :- अर्रे बापूजी आप शांत रहिए....बोल शिवांक बापूजी कुछ पूछ रहे हैं क्यूँ किया तूने ऐसा...
शिवांक :- बताता हूँ..प्लस्सस मुझे मत मारो सब बताता हूँ...
और फिर शिवांक बताना शुरू करता है...
शिवांक :- उस दिन जब दही हाँडी का प्रोग्राम चल रहा था ... नाचने की वजह से मुझे प्यास लग रही थी..तो में ठंडई के पास चला गया और एक ग्लास गटक गया...थोड़ी देर तक तो सब कुछ ठीक रहा..लेकिन अचानक पता नही मुझे क्या हो गया..मेरा शरीर कुछ अकड़ने सा लगा...ऐसा लगा मानो..कुछ फूल रहा है...शरीर में बहुत ज़्यादा गर्मी लगने लगी...मेने नीचे हाथ लगाया तो मेरा लंड फूल के 4 गुना बड़ा हो गया था...मुझसे वो गर्मी सहन नही हो रही थी....
इसलिए में थोड़ी देर गार्डन में चला गया कुछ देर बैठने ...लेकिन फिर भी मुझे वहाँ आराम नही मिला...
मेरा शरीर गरम होता जा रहा था...ऐसा लग रहा था कि अभी मेरा लंड फॅट जाएगा और तभी मुझे चैन आएगा...मेरी हालत नशे में झूमने जैसी हो गई...मेरे आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा..और तभी...
तभी रोशन भाभी मुझे गार्डन में आती दिखाई दी...उस वक़्त मुझे वो सिर्फ़ एक जिस्म दिखाई दे रहा था....मुझे उस वक़्त होश नही था...फिर मेने अपना चेहरा छुपाने की लिए कुछ ढूँढने लगा...मेने इधर उधर नज़र दौड़ाई....लेकिन मुझे कुछ नही मिला...तभी मुझे गार्डन की पीछे एक काला कलर का मास्क दिखाई दिया...जो शायद वहाँ खड़े आदमी ने रखा हुआ था में वहाँ गया और मेने वो मास्क उठा के पहन लिया और फिर.... में चल पड़ा वहाँ और रोशन भाभी के साथ वो कर बैठा जो मुझे नही करना चाहिए था....
तारक :- ह्म्म्म्मम शिवांक जो तुम कह रहे हो अगर में उसको मान लूँ पर तुमने भिड़े को क्यूँ फसाया...तुमने तो मास्क भी पहना हुआ था....
शिवांक :- तारक भाई....जब मेने अपनी गर्मी छोड़ डी...तब में होश में आया ..तब मुझे पता चला कि ये मेने क्या कर दिया है...फिर में बहुत डर गया था..इसलिए मुझे कुछ नही सूझा और मेने भिड़े भाई की नकल कर दी...
शिवांक की बात सुन के सब उसकी तारक देख रहे थे...भिड़े अपने मन में उसे गाली दे रहा था...क्या निर्लज्ज मानव है ये...
सोढी :- अरे हम कैसे मान ले कि ये सच बोल रहा है..इसको तो मार मार के इसका कचूमर बना दूँगा...
तारक :- सोढी तुम इसकी बात को समझो शांत रहो....लेकिन शिवांक ऐसा कैसे तुम्हे इस तरीके का नशा हो गया...
शिवांक :- तारक भाई...मेने जैसे ही वो ठंडाइ पी उसके बाद ही मुझे ये हुआ..शायद उस ठंडई में ही कुछ किसी ने डाल दिया था...
तभी एक जने के दिमाग़ में कुछ आता है...और वो होता है जेठालाल ...
जेठालाल सोचने लगता है...उस दिन उसके पास एक डब्बे में दवाई होती है..जिसे उस दिन उसने वो दवाई बबीता जी के साथ सेक्स करने के लिए खरीदी थी...और जब उसकी नशे की पूडिया गिर गयी...तो उसने वो डब्बे में से गोली निकाली और दो चार हाथ में लेके बोला था...अब क्या फ़ायदा इस दवाई का...और उसे फेंकता है...जो पास में पड़ी ठंडई के ग्लास में गिर जाती है.....वो एक गोली काफ़ी होती है...उस वक़्त जेठालाल ने 4 गोली डाल दी थी..इसलिए शिवांक की ये हालत हुई....अब जेठालाल सोच रहा था...कि ये शिवांक सच बोल रहा है..लेकिन में इसका साथ नही दे सकता ....
तभी अईयर बोलता है...
अईयर :- सोढी शिवांक सही बोल रहा है...
सभी अईयर से पूछते हैं...कैसे?
अईयर :- देखो सोढी...ऐसी दवाई आती है जिससे सेक्स का पवर बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है....और अगर एक से ज़्यादा गोली का इस्तेमाल हो तो आदमी शिवांक जैसा हो जाता है...
पोपटलाल :- हाँ मेहता साहब ..अईयर भाई सही बोल रहे हैं...में इस पर आर्टिकल लिख चुका हूँ...ज़रूर इसकी ठंडई में किसी ने ऐसे कुछ गोलियाँ डाल दी होगी...
तारक :- ठीक है अगर हम सब ये बात मान ले...लेकिन ऐसी गोलियाँ सोसाइटी में लाया कौन...
जेठालाल :- अरे मेहता साहब आपको उससे क्या करना है...आप वो छोड़िए पहले ये देखिए कि करना क्या है इसका??
तारक :- मेरे हिसाब से तो इसका फ़ैसला सोसाइटी के बुजुर्ग चंपक चाचाजी को लेना चाहिए...
चाचाजी :- मेरे ख़याल से इसका परिणाम सोढी को लेना चाहिए...क्यूँ कि उसके साथ ये बात हुई है...लेकिन में इतना कहना चाहूँगा...जो भी इसने किया वो इसकी ग़लती नही थी...किसी ने इसके साथ ऐसा किया और इसी अंजाने में ग़लती हुई है...
सोढी :- वैसे तो में माफ़ नही करूँगा...क्यूँ कि में अपनी रोशन ने बहुत प्यार करता हूँ...और उसके साथ कोई ऐसी गंदी हरकत करे...में तो उसे जान से मार दूं..लेकिन चाचाजी भी सही बोल रहे हैं...इसलिए ....में...माफ़ कर देता हूँ..लेकिन इसे रोशन से माफी माँगनी पड़ेगी....
तारक :- सोढी बहुत बढ़िया ..तुमने जो आज किया है वो बहुत ही महान काम है....क्यूँ कि सज़ा देने से ज़्यादा माफ़ करना मुश्किल काम होता है....और सभी तालियाँ बजा देते हैं...
शिवांक :- थॅंक यू सोढी भाई..और में रोशन भाभी के पैर पकड़ के माफी भी माँगूंगा...
तभी तारक टप्पू से पूछता है...बेटा टप्पू तुझे ये कैसे पता चला कि ये शिवांक का काम है...
और सभी एक साथ बोलते हैं हाँ...कैसे पता चला..
टप्पू :- तारक अंकल...जब मुझे ये सब पता चला कि रोशन आंटी के साथ ऐसा हुआ है..तुम हम टप्पू सेना गार्डन में आ गये...ये ढूँढने कि क्या पता कुछ सुराग मिल जाए...तभी मुझे एक बटन मिला...एक शर्ट का बटन .... मुझे शक़ था कि ये बटन उसी आदमी का होगा....मेने काफ़ी कॉसिश करी लेकिन मुझे पता नही चला रहा था कि बटन किसका हो सकता है...
फिर में सोचने लगा....और अचानक से मुझे याद आया...कि मेने ये बटन दही हाँडी वाले दिन किसी की शर्ट में देखा है...मैं सोचने लगा...फिर मुझे ध्यान आया कि मैं उस दिन शिवांक अंकल से टकराया था ....और जब में उनसे टकराया था तो मेने देखा था कि उनकी शर्ट मे बीच का एक बटन नही था...मेने उनसे पूछा कि अंकल आपका बटन टूटा हुआ है...
और फिर वो घबराते हुए बोले....हाँ वो टप्पू में टकरा गया था इसलिए पता नही चला कैसे टूट गया...
जैसे मुझे याद आया कि वो बटन शिवांक अंकल का है...तो मुझे फिर ये प्लान बनाना पड़ा...क्यूँ कि मुझे पता था..वो ज़रूर आएँगे..बटन ढूँडने...
सभी टप्पू की इस प्लान पर तालियाँ बजाते हैं....
तारक:- वाहह टप्पू बेटा तुमने तो बहुत बढ़िया काम किया है....
चाचाजी :- हाँ तो फिर...पोता किसका है....
और फिर शिवांक रोशन से माफी माँगता है और सबसे भी...सब उसकी ग़लती को माफ़ सिर्फ़ इसलिए कर देते हैं...कि उसने जो भी किया अंजाने में किया उसका कोई इंटेन्षन नही था ऐसा करने का....
इसी तरह सब कुछ ठीक हो जाता है....और सोसाइटी की फिर से एक प्राब्लम चली जाती है....लेकिन एक प्राब्लम गई है...दूसरी कभी भी आ सकती है..
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टप्पू :- पापा तारक अंकल...यही है जिन्होने रोशन आंटी के साथ इतनी गंदी हरकत की है...
सब सब के टप्पू की बात सुन के दंग रह जाते हैं..किसी को कुछ समझ नही आ रहा होता है कि ये कैसे हो सकता है...
तभी सोढी उसकी तरफ भागता है..और उसको पकड़ के एक दो लात और मुक्के मार देता है...उसके मुँह से खून निकलने लगता है...और दर्द से चिल्लाता है...अहह.....और नीचे गिर जाता है...
ये देख के सब सोढी की तरफ भागते हैं...और उसे पकड़ लेते हैं...
चाचाजी :- सोढी ये क्या कर रहा है...शांति रख ऐसे मारा मारी से कुछ नही होगा..इसको इसकी सज़ा मिलेगी...
और फिर सोढी शांत हो जाता है..
तारक और अईयर शिवांग को खड़ा करते हैं..
चाचाजी :- छड़ी उठाते हुए....बोल तूने ऐसा क्यूँ किया ...बोल...
जेठालाल :- अर्रे बापूजी आप शांत रहिए....बोल शिवांक बापूजी कुछ पूछ रहे हैं क्यूँ किया तूने ऐसा...
शिवांक :- बताता हूँ..प्लस्सस मुझे मत मारो सब बताता हूँ...
और फिर शिवांक बताना शुरू करता है...
शिवांक :- उस दिन जब दही हाँडी का प्रोग्राम चल रहा था ... नाचने की वजह से मुझे प्यास लग रही थी..तो में ठंडई के पास चला गया और एक ग्लास गटक गया...थोड़ी देर तक तो सब कुछ ठीक रहा..लेकिन अचानक पता नही मुझे क्या हो गया..मेरा शरीर कुछ अकड़ने सा लगा...ऐसा लगा मानो..कुछ फूल रहा है...शरीर में बहुत ज़्यादा गर्मी लगने लगी...मेने नीचे हाथ लगाया तो मेरा लंड फूल के 4 गुना बड़ा हो गया था...मुझसे वो गर्मी सहन नही हो रही थी....
इसलिए में थोड़ी देर गार्डन में चला गया कुछ देर बैठने ...लेकिन फिर भी मुझे वहाँ आराम नही मिला...
मेरा शरीर गरम होता जा रहा था...ऐसा लग रहा था कि अभी मेरा लंड फॅट जाएगा और तभी मुझे चैन आएगा...मेरी हालत नशे में झूमने जैसी हो गई...मेरे आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा..और तभी...
तभी रोशन भाभी मुझे गार्डन में आती दिखाई दी...उस वक़्त मुझे वो सिर्फ़ एक जिस्म दिखाई दे रहा था....मुझे उस वक़्त होश नही था...फिर मेने अपना चेहरा छुपाने की लिए कुछ ढूँढने लगा...मेने इधर उधर नज़र दौड़ाई....लेकिन मुझे कुछ नही मिला...तभी मुझे गार्डन की पीछे एक काला कलर का मास्क दिखाई दिया...जो शायद वहाँ खड़े आदमी ने रखा हुआ था में वहाँ गया और मेने वो मास्क उठा के पहन लिया और फिर.... में चल पड़ा वहाँ और रोशन भाभी के साथ वो कर बैठा जो मुझे नही करना चाहिए था....
तारक :- ह्म्म्म्मम शिवांक जो तुम कह रहे हो अगर में उसको मान लूँ पर तुमने भिड़े को क्यूँ फसाया...तुमने तो मास्क भी पहना हुआ था....
शिवांक :- तारक भाई....जब मेने अपनी गर्मी छोड़ डी...तब में होश में आया ..तब मुझे पता चला कि ये मेने क्या कर दिया है...फिर में बहुत डर गया था..इसलिए मुझे कुछ नही सूझा और मेने भिड़े भाई की नकल कर दी...
शिवांक की बात सुन के सब उसकी तारक देख रहे थे...भिड़े अपने मन में उसे गाली दे रहा था...क्या निर्लज्ज मानव है ये...
सोढी :- अरे हम कैसे मान ले कि ये सच बोल रहा है..इसको तो मार मार के इसका कचूमर बना दूँगा...
तारक :- सोढी तुम इसकी बात को समझो शांत रहो....लेकिन शिवांक ऐसा कैसे तुम्हे इस तरीके का नशा हो गया...
शिवांक :- तारक भाई...मेने जैसे ही वो ठंडाइ पी उसके बाद ही मुझे ये हुआ..शायद उस ठंडई में ही कुछ किसी ने डाल दिया था...
तभी एक जने के दिमाग़ में कुछ आता है...और वो होता है जेठालाल ...
जेठालाल सोचने लगता है...उस दिन उसके पास एक डब्बे में दवाई होती है..जिसे उस दिन उसने वो दवाई बबीता जी के साथ सेक्स करने के लिए खरीदी थी...और जब उसकी नशे की पूडिया गिर गयी...तो उसने वो डब्बे में से गोली निकाली और दो चार हाथ में लेके बोला था...अब क्या फ़ायदा इस दवाई का...और उसे फेंकता है...जो पास में पड़ी ठंडई के ग्लास में गिर जाती है.....वो एक गोली काफ़ी होती है...उस वक़्त जेठालाल ने 4 गोली डाल दी थी..इसलिए शिवांक की ये हालत हुई....अब जेठालाल सोच रहा था...कि ये शिवांक सच बोल रहा है..लेकिन में इसका साथ नही दे सकता ....
तभी अईयर बोलता है...
अईयर :- सोढी शिवांक सही बोल रहा है...
सभी अईयर से पूछते हैं...कैसे?
अईयर :- देखो सोढी...ऐसी दवाई आती है जिससे सेक्स का पवर बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है....और अगर एक से ज़्यादा गोली का इस्तेमाल हो तो आदमी शिवांक जैसा हो जाता है...
पोपटलाल :- हाँ मेहता साहब ..अईयर भाई सही बोल रहे हैं...में इस पर आर्टिकल लिख चुका हूँ...ज़रूर इसकी ठंडई में किसी ने ऐसे कुछ गोलियाँ डाल दी होगी...
तारक :- ठीक है अगर हम सब ये बात मान ले...लेकिन ऐसी गोलियाँ सोसाइटी में लाया कौन...
जेठालाल :- अरे मेहता साहब आपको उससे क्या करना है...आप वो छोड़िए पहले ये देखिए कि करना क्या है इसका??
तारक :- मेरे हिसाब से तो इसका फ़ैसला सोसाइटी के बुजुर्ग चंपक चाचाजी को लेना चाहिए...
चाचाजी :- मेरे ख़याल से इसका परिणाम सोढी को लेना चाहिए...क्यूँ कि उसके साथ ये बात हुई है...लेकिन में इतना कहना चाहूँगा...जो भी इसने किया वो इसकी ग़लती नही थी...किसी ने इसके साथ ऐसा किया और इसी अंजाने में ग़लती हुई है...
सोढी :- वैसे तो में माफ़ नही करूँगा...क्यूँ कि में अपनी रोशन ने बहुत प्यार करता हूँ...और उसके साथ कोई ऐसी गंदी हरकत करे...में तो उसे जान से मार दूं..लेकिन चाचाजी भी सही बोल रहे हैं...इसलिए ....में...माफ़ कर देता हूँ..लेकिन इसे रोशन से माफी माँगनी पड़ेगी....
तारक :- सोढी बहुत बढ़िया ..तुमने जो आज किया है वो बहुत ही महान काम है....क्यूँ कि सज़ा देने से ज़्यादा माफ़ करना मुश्किल काम होता है....और सभी तालियाँ बजा देते हैं...
शिवांक :- थॅंक यू सोढी भाई..और में रोशन भाभी के पैर पकड़ के माफी भी माँगूंगा...
तभी तारक टप्पू से पूछता है...बेटा टप्पू तुझे ये कैसे पता चला कि ये शिवांक का काम है...
और सभी एक साथ बोलते हैं हाँ...कैसे पता चला..
टप्पू :- तारक अंकल...जब मुझे ये सब पता चला कि रोशन आंटी के साथ ऐसा हुआ है..तुम हम टप्पू सेना गार्डन में आ गये...ये ढूँढने कि क्या पता कुछ सुराग मिल जाए...तभी मुझे एक बटन मिला...एक शर्ट का बटन .... मुझे शक़ था कि ये बटन उसी आदमी का होगा....मेने काफ़ी कॉसिश करी लेकिन मुझे पता नही चला रहा था कि बटन किसका हो सकता है...
फिर में सोचने लगा....और अचानक से मुझे याद आया...कि मेने ये बटन दही हाँडी वाले दिन किसी की शर्ट में देखा है...मैं सोचने लगा...फिर मुझे ध्यान आया कि मैं उस दिन शिवांक अंकल से टकराया था ....और जब में उनसे टकराया था तो मेने देखा था कि उनकी शर्ट मे बीच का एक बटन नही था...मेने उनसे पूछा कि अंकल आपका बटन टूटा हुआ है...
और फिर वो घबराते हुए बोले....हाँ वो टप्पू में टकरा गया था इसलिए पता नही चला कैसे टूट गया...
जैसे मुझे याद आया कि वो बटन शिवांक अंकल का है...तो मुझे फिर ये प्लान बनाना पड़ा...क्यूँ कि मुझे पता था..वो ज़रूर आएँगे..बटन ढूँडने...
सभी टप्पू की इस प्लान पर तालियाँ बजाते हैं....
तारक:- वाहह टप्पू बेटा तुमने तो बहुत बढ़िया काम किया है....
चाचाजी :- हाँ तो फिर...पोता किसका है....
और फिर शिवांक रोशन से माफी माँगता है और सबसे भी...सब उसकी ग़लती को माफ़ सिर्फ़ इसलिए कर देते हैं...कि उसने जो भी किया अंजाने में किया उसका कोई इंटेन्षन नही था ऐसा करने का....
इसी तरह सब कुछ ठीक हो जाता है....और सोसाइटी की फिर से एक प्राब्लम चली जाती है....लेकिन एक प्राब्लम गई है...दूसरी कभी भी आ सकती है..
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