desiaks
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( भाग-7)
हमारी यादगार रात.
[मैं मानस ]
खाना खाने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा छाया का इंतजार कर रहा था. आज हमारी नए घर में पहली रात थी. मैं इस रात को यादगार बनाना चाहता था. छाया आने में विलंब कर रही थी. मैं अधीर हो रहा था. तभी मैंने छाया को आते देखा उसने एक सुर्ख लाल रंग की नाइटी पहनी हुई थी. नाइटी बहुत ही खूबसूरत थी तथा हल्की पारदर्शी भी थी. छाया के पीछे पीछे माया आंटी भी हमारे बेडरूम तक आ गई थीं. मैं बिस्तर पर पायजामा कुर्ता पहन कर लेटा हुआ था. मैं उठ कर बैठ गया उन्होंने छाया का हाथ मेरे हाथ में देते हुए बोला मैं तुम दोनों के प्रेम संबंधों को स्वीकार कर चुकी हूं. छाया तुम्हारी प्रेयसी है. पर जिस तरह से तुमने इसका ख्याल रखा है विवाह तक उसी तरीके से इसका ख्याल रखना. तुम्हारा दिया गया वचन मुझे बहुत भरोसा दिलाता है. उन्होंने छाया की तरफ भी देख कर कहा...
“मानस का अच्छे से ख्याल रखना..” कह कर उन्होंने छाया के हाथ में चिकोटी काटी और मुस्कुराते हुयीं वापस चली गयीं.
छाया ने शयन कक्ष का दरवाजा बंद किया और मेरे पास आ गई. मुझे माया आंटी का छाया को इस तरह मुझे सौपना अत्यधिक उत्तेजक लगा. छाया के लिए आज का दिन बहुत विशेष था उसने यह
नाइटी शायद इसी दिन के लिए खरीदी थी. बिस्तर पर आने के बाद वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी. हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे. कुछ ही देर में हमारे वस्त्र हमारा साथ छोड़ते गए. हमने अपना प्यार अपने पुराने अंदाज में हीं शुरू किया.
वयस्क पुरुषों और स्त्रियों का प्यार हर बार एक जैसा ही होता है परंतु उसमें नयापन और ताज़गी छोटे-छोटे परिवर्तनों से लाई जा सकती पर आज तो बहुत बड़ा दिन था.
छाया मेरे राजकुमार को दोनों हाथों में लेकर बहुत प्यार से उसे
सहला रही थी. उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा
“माँ ने इसे मेरी राजकुमारी को रानी बनाने की अनुमति दे दी है. बस उस दिन का इंतजार है”
इतना कहकर छाया ने राजकुमार को चूम लिया. अचानक छाया ने पास पड़ी हुई अपनी नई नाइटी को उठाया और मेरे चेहरे पर डाल दिया. उसने मुझे हिदायत दी “जब तक मैं ना कहूं अपनी आंखें मत खोलिएगा”
मुंह पर उसकी नाइटी पड़े होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और नाइटी से उसके बदन की खुसबू लेने लगा. उसकी उंगलियां मेरे राजकुमार के ऊपर अपना करतब दिखा रहीं थीं. मैंने छाया को छूना चाहा पर वह पास नहीं थी मेरे लहराते हाथों को देखकर समझ गई कि मैं उसे छूना चाहता हूं. उसने उठकर अपने आपको व्यवस्थित किया. अब उसकी कमर मेरे दाहिने कंधे के पास थी. मैं उसके नितंबों को अपने दाहिने हाथ से आसानी से छु पा रहा था. मेरी उंगलियां खुद ब खुद उसकी राजकुमारी के होंठों के बीच में घूमने लगी. उसकी राजकुमारी गीली हो रही थी. गीले और चिपचिपे होंठों में उंगली फिराने का सुख अप्रतिम होता है. छाया की उंगलियां मेरे राजकुमार को तरह-तरह से छेड़ रहीं थीं और वह पूरे मन से फुदक रहा था.
अचानक मुझे अपने लिंग पर किसी गर्म चीज का एहसास हुआ. मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या है? राजकुमार के मुख पर गर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे उसका संपर्क राजकुमारी से हो रहा है. परंतु राजकुमारी तो मेरी उंगलियों के साथ खेल रही थी. अचानक मुझे अपने लिंग पर कोई चीज रेंगती हुई महसूस हुई. यह एक अद्भुत अनुभव था. मेरा राजकुमार एक अनजाने गुफा की दहलीज पर खड़ा था. अचानक ऐसा प्रतीत हुआ जैसे लिंग
गुफा की तरफ जा रहा और वह अनजानी चीज उससे रगड़ खा रही हैं. मुझे छाया के दातों की रगड़ अपने लिंग पर महसूस हुयी . मैं समझ गया कि छाया ने आज मेरा मुखमैथुन करने का मन बना लिया है. मैं इस आनंद से अभिभूत हो गया. छाया ने आज तक राजकुमार को अपने मुह में नहीं लिया था सिर्फ चूमा था. पर आज मेरी प्यारी छाया ने मुझे नया सुख देनी की ठान ली थी.
छाया अपने मुख से मेरे लिंग के चारों तरफ घेरा बना ली थी और होंठों को गोल करके वह उसे एक सुरंग का आकार दे रही थी. वह अपना मुंह बार-बार आगे पीछे करती और मेरा लिंग पूरी तरह मचलने लगता.
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उसकी राजकुमारी भी लगातार प्रेम रस बहाए जा रही थी. मुझे अपनी ब्लू फिल्मों की शिक्षा याद आ गई. और मैंने छाया के नितंबों को पकड़कर अपनी ओर खींचा. मैंने उसका एक पैर अपने सीने के दूसरी तरफ ले आया. अब छाया के
नितम्ब मेरी गर्दन के दोनों ओर थे. मेरी आंखें बंद होने के कारण मैं कुछ देख नहीं पा रहा था पर महसूस कर सकता था.
मैंने छाया की अनुमति से कपड़ा हटा दिया . छाया के गोरे-गोरे नितम्ब मेरे सामने थे. अद्भुत दृश्य था. इतने कोमल और बेदाग नितम्ब .... एसा लग रहा था जैसे दो छोटे चन्द्रमा मेरे सामने जुड़े हुए हों. नितंबो के बीच से उसकी दासी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. दासी से कुछ ही नीचे छाया
की राजकुमारी के होंठ दिखाई पड़ रहे थे. रस में भीगे होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी फल को दो टुकड़ों में काट दिया गया हो और उससे फल का रस रिस रिस कर बाहर आ रहा हो.
मैंने छाया को अपनी तरफ खींचा अब मेरी जीभ आसानी से राजकुमारी के होंठों को छू सकती थी. मैंने राजकुमारी के होंठों में अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी. छाया उछलने लगी. छाया ने अपना मुख वापस मेरे राजकुमार पर रख दिया था. अब हम दोनों इस अप्रतिम सुख को महसूस कर पा रहे थे. मेरे राजकुमार स्खलित होने के लिए पूरी तरह तैयार था.
इधर छाया की राजकुमारी भी व्याकुल थी. लग रहा था कि वह कभी भी अप्रत्याशित तरीके से अपने कंपन चालू कर देगी. हम दोनों का चरमसुख लगभग साथ ही आने वाला था.
अंततः राजकुमारी ने कांपना शुरू कर दिया. पर मैंने अपना मुख वहां से हटाया नहीं अपितु उसकी कमर पकड़ कर अपने ऊपर और तेजी से खींच लिया. मेरी नाक भी सीमा के दरारों के बीच आ गइ. जब तक छाया के कंपन होते रहे उसकी राजकुमारी मेरे मुह के अन्दर ही रही. कंपन होते समय ही छाया ने अपनी जीभ और मुख का घर्षण राज्कुम्मार पर पर तेज कर दिया और राजकुमार से यह बर्दाश्त ना हुआ
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और उसमें अपना लावा उड़ेल दिया. छाया इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थी. वीर्य की पहली धार उसके मुंह में ही गिरी. वो अपना मुंह हटा पाती तब तक वीर्य की कई धार उसके गालों स्तनों पर आ गयी. वीर्य का स्वाद छाया ने पहले भी चखा था पर एक साथ इतना सारा वीर्य ये उसके लिए पहली बार था. वह इसे संभाल नहीं पायी. उसने अपना मुंह खोल दिया. मुह में एकत्रित लावा उसके होठों से गिरता हुआ उसके गर्दन तक पहुंच गया. उसने मेरी तरफ चेहरा किया. यह दृश्य देखकर मैं मुझे ब्लू फिल्मों की याद आ गई. इतना कामुक कर देने वाला दृश्य था. मेरी कोमल और मासूम छाया वीर्य से भीगी हुई अपने होंठों से वीर्य बहाती मेरे पास थी. मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया. उसके स्तन अब मेरे स्तनों से टकराने लगे. उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार के पास आ चुकी थी. थका हुआ राजकुमार राजकुमारी के संसर्ग में आकर एक दूसरे को चूम रहे थे. छाया ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. अपने वीर्य को उसके होठों से चूसते हुए मैं उसे प्यार करने लगा.
छाया ने आज जो मुझे सुख दिया था यह किसी प्रेयसी का उसके प्रियतम को दिया गया अप्रतिम उपहार था.
हम दोनों इसी अवस्था में सो गए.
हमारी यादगार रात.
[मैं मानस ]
खाना खाने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा छाया का इंतजार कर रहा था. आज हमारी नए घर में पहली रात थी. मैं इस रात को यादगार बनाना चाहता था. छाया आने में विलंब कर रही थी. मैं अधीर हो रहा था. तभी मैंने छाया को आते देखा उसने एक सुर्ख लाल रंग की नाइटी पहनी हुई थी. नाइटी बहुत ही खूबसूरत थी तथा हल्की पारदर्शी भी थी. छाया के पीछे पीछे माया आंटी भी हमारे बेडरूम तक आ गई थीं. मैं बिस्तर पर पायजामा कुर्ता पहन कर लेटा हुआ था. मैं उठ कर बैठ गया उन्होंने छाया का हाथ मेरे हाथ में देते हुए बोला मैं तुम दोनों के प्रेम संबंधों को स्वीकार कर चुकी हूं. छाया तुम्हारी प्रेयसी है. पर जिस तरह से तुमने इसका ख्याल रखा है विवाह तक उसी तरीके से इसका ख्याल रखना. तुम्हारा दिया गया वचन मुझे बहुत भरोसा दिलाता है. उन्होंने छाया की तरफ भी देख कर कहा...
“मानस का अच्छे से ख्याल रखना..” कह कर उन्होंने छाया के हाथ में चिकोटी काटी और मुस्कुराते हुयीं वापस चली गयीं.
छाया ने शयन कक्ष का दरवाजा बंद किया और मेरे पास आ गई. मुझे माया आंटी का छाया को इस तरह मुझे सौपना अत्यधिक उत्तेजक लगा. छाया के लिए आज का दिन बहुत विशेष था उसने यह
नाइटी शायद इसी दिन के लिए खरीदी थी. बिस्तर पर आने के बाद वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी. हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे. कुछ ही देर में हमारे वस्त्र हमारा साथ छोड़ते गए. हमने अपना प्यार अपने पुराने अंदाज में हीं शुरू किया.
वयस्क पुरुषों और स्त्रियों का प्यार हर बार एक जैसा ही होता है परंतु उसमें नयापन और ताज़गी छोटे-छोटे परिवर्तनों से लाई जा सकती पर आज तो बहुत बड़ा दिन था.
छाया मेरे राजकुमार को दोनों हाथों में लेकर बहुत प्यार से उसे
सहला रही थी. उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा
“माँ ने इसे मेरी राजकुमारी को रानी बनाने की अनुमति दे दी है. बस उस दिन का इंतजार है”
इतना कहकर छाया ने राजकुमार को चूम लिया. अचानक छाया ने पास पड़ी हुई अपनी नई नाइटी को उठाया और मेरे चेहरे पर डाल दिया. उसने मुझे हिदायत दी “जब तक मैं ना कहूं अपनी आंखें मत खोलिएगा”
मुंह पर उसकी नाइटी पड़े होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और नाइटी से उसके बदन की खुसबू लेने लगा. उसकी उंगलियां मेरे राजकुमार के ऊपर अपना करतब दिखा रहीं थीं. मैंने छाया को छूना चाहा पर वह पास नहीं थी मेरे लहराते हाथों को देखकर समझ गई कि मैं उसे छूना चाहता हूं. उसने उठकर अपने आपको व्यवस्थित किया. अब उसकी कमर मेरे दाहिने कंधे के पास थी. मैं उसके नितंबों को अपने दाहिने हाथ से आसानी से छु पा रहा था. मेरी उंगलियां खुद ब खुद उसकी राजकुमारी के होंठों के बीच में घूमने लगी. उसकी राजकुमारी गीली हो रही थी. गीले और चिपचिपे होंठों में उंगली फिराने का सुख अप्रतिम होता है. छाया की उंगलियां मेरे राजकुमार को तरह-तरह से छेड़ रहीं थीं और वह पूरे मन से फुदक रहा था.
अचानक मुझे अपने लिंग पर किसी गर्म चीज का एहसास हुआ. मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या है? राजकुमार के मुख पर गर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे उसका संपर्क राजकुमारी से हो रहा है. परंतु राजकुमारी तो मेरी उंगलियों के साथ खेल रही थी. अचानक मुझे अपने लिंग पर कोई चीज रेंगती हुई महसूस हुई. यह एक अद्भुत अनुभव था. मेरा राजकुमार एक अनजाने गुफा की दहलीज पर खड़ा था. अचानक ऐसा प्रतीत हुआ जैसे लिंग
गुफा की तरफ जा रहा और वह अनजानी चीज उससे रगड़ खा रही हैं. मुझे छाया के दातों की रगड़ अपने लिंग पर महसूस हुयी . मैं समझ गया कि छाया ने आज मेरा मुखमैथुन करने का मन बना लिया है. मैं इस आनंद से अभिभूत हो गया. छाया ने आज तक राजकुमार को अपने मुह में नहीं लिया था सिर्फ चूमा था. पर आज मेरी प्यारी छाया ने मुझे नया सुख देनी की ठान ली थी.
छाया अपने मुख से मेरे लिंग के चारों तरफ घेरा बना ली थी और होंठों को गोल करके वह उसे एक सुरंग का आकार दे रही थी. वह अपना मुंह बार-बार आगे पीछे करती और मेरा लिंग पूरी तरह मचलने लगता.
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उसकी राजकुमारी भी लगातार प्रेम रस बहाए जा रही थी. मुझे अपनी ब्लू फिल्मों की शिक्षा याद आ गई. और मैंने छाया के नितंबों को पकड़कर अपनी ओर खींचा. मैंने उसका एक पैर अपने सीने के दूसरी तरफ ले आया. अब छाया के
नितम्ब मेरी गर्दन के दोनों ओर थे. मेरी आंखें बंद होने के कारण मैं कुछ देख नहीं पा रहा था पर महसूस कर सकता था.
मैंने छाया की अनुमति से कपड़ा हटा दिया . छाया के गोरे-गोरे नितम्ब मेरे सामने थे. अद्भुत दृश्य था. इतने कोमल और बेदाग नितम्ब .... एसा लग रहा था जैसे दो छोटे चन्द्रमा मेरे सामने जुड़े हुए हों. नितंबो के बीच से उसकी दासी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. दासी से कुछ ही नीचे छाया
की राजकुमारी के होंठ दिखाई पड़ रहे थे. रस में भीगे होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी फल को दो टुकड़ों में काट दिया गया हो और उससे फल का रस रिस रिस कर बाहर आ रहा हो.
मैंने छाया को अपनी तरफ खींचा अब मेरी जीभ आसानी से राजकुमारी के होंठों को छू सकती थी. मैंने राजकुमारी के होंठों में अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी. छाया उछलने लगी. छाया ने अपना मुख वापस मेरे राजकुमार पर रख दिया था. अब हम दोनों इस अप्रतिम सुख को महसूस कर पा रहे थे. मेरे राजकुमार स्खलित होने के लिए पूरी तरह तैयार था.
इधर छाया की राजकुमारी भी व्याकुल थी. लग रहा था कि वह कभी भी अप्रत्याशित तरीके से अपने कंपन चालू कर देगी. हम दोनों का चरमसुख लगभग साथ ही आने वाला था.
अंततः राजकुमारी ने कांपना शुरू कर दिया. पर मैंने अपना मुख वहां से हटाया नहीं अपितु उसकी कमर पकड़ कर अपने ऊपर और तेजी से खींच लिया. मेरी नाक भी सीमा के दरारों के बीच आ गइ. जब तक छाया के कंपन होते रहे उसकी राजकुमारी मेरे मुह के अन्दर ही रही. कंपन होते समय ही छाया ने अपनी जीभ और मुख का घर्षण राज्कुम्मार पर पर तेज कर दिया और राजकुमार से यह बर्दाश्त ना हुआ
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और उसमें अपना लावा उड़ेल दिया. छाया इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थी. वीर्य की पहली धार उसके मुंह में ही गिरी. वो अपना मुंह हटा पाती तब तक वीर्य की कई धार उसके गालों स्तनों पर आ गयी. वीर्य का स्वाद छाया ने पहले भी चखा था पर एक साथ इतना सारा वीर्य ये उसके लिए पहली बार था. वह इसे संभाल नहीं पायी. उसने अपना मुंह खोल दिया. मुह में एकत्रित लावा उसके होठों से गिरता हुआ उसके गर्दन तक पहुंच गया. उसने मेरी तरफ चेहरा किया. यह दृश्य देखकर मैं मुझे ब्लू फिल्मों की याद आ गई. इतना कामुक कर देने वाला दृश्य था. मेरी कोमल और मासूम छाया वीर्य से भीगी हुई अपने होंठों से वीर्य बहाती मेरे पास थी. मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया. उसके स्तन अब मेरे स्तनों से टकराने लगे. उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार के पास आ चुकी थी. थका हुआ राजकुमार राजकुमारी के संसर्ग में आकर एक दूसरे को चूम रहे थे. छाया ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. अपने वीर्य को उसके होठों से चूसते हुए मैं उसे प्यार करने लगा.
छाया ने आज जो मुझे सुख दिया था यह किसी प्रेयसी का उसके प्रियतम को दिया गया अप्रतिम उपहार था.
हम दोनों इसी अवस्था में सो गए.