Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार - Page 3 - SexBaba
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Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

मैंने कहा- क्या तैयारी करनी पड़ती है? बुआ जी मुस्कुरा कर पलंग से उतरीं और अपने चूतड़ को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वेसिलीन की शीशी उठा लाईं.

ढक्कन खोल कर, ढेर सारा वेसिलीन अपने हाथों में ले लीं और, मेरे लौड़े की मालिश करने लगी. अब मेरा लौड़ा रोशनी में चमकने लगा.
फिर मुझे शीशी दे दीं और बोलीं- अब मैं झुकती हूँ और तुम मेरे गांड में ठीक से वेसिलीन लगा दो! और वो पलंग पर पेट के बल लेट गईं और अपने घुटनों के बल होकर अपने चूतड़ हवा में उठा दिया.

देखने लायक नजारा था! बुआ के गोल मटोल चूतड़ मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे. मुझसे रहा नहीं गया और, झुक कर चूतड़ को मुँह में भर कर कस कर काट लिया.
बुआ जी की चीख निकल गईं. फिर मैंने ढेर सारा वेसिलीन लेकर उनकी गांड की दरार में लगा दिया.

बुआ बोली- अरे मेरे भोले सैंया! ऊपर से लगाने से नहीं होगा. उंगली से लेकर अन्दर भी लगाओ और अपनी उंगली पेल पेल कर अपने गांड के छेद को ढीला करो.
मैंने अपनी बीच वाली उंगली पर वेसिलीन लगा कर, उनकी गांड में घुसाने की कोशिश की. पहली बार जब नहीं घुसी तो दुसरे हाथ से छेद फैला कर दुबारा कोशिश की, तो मेरा उंगली थोड़ी सी उंगली घुस गई.

मैंने थोड़ा बाहर निकाल कर झटका दे कर डाला तो, घपाक से पूरी उंगली धंस गई. बुआ जी ने एकदम से अपने चूतड सिकोड़ लिया जिससे की उंगली फिर बाहर निकल गई.
बुआ बोलीं- इसी तरह उंगली अन्दर-बाहर करते रहो कुछ देर तक! मैं उनके कहे मुताबिक़ उंगली जल्दी से अन्दर-बाहर करने लगा. मुझे इसमें बड़ा मजा आ रहा था.

वो भी कमर हिला-हिला कर मजा ले रही थीं. कुछ देर बाद बुआ जी बोलीं- चलो राजा! आ जाओ मोर्चे पर और मारो गांड अपनी बुआ की.
मैं उठ कर घुटनें के बल बैठ गया, और लण्ड को पकड़ कर बुआ की गांड के छेद पर रख दिया. बुआ जी ने थोड़ा पीछे होकर लण्ड को निशाने पर रखा. फिर मैंने उनकी चूतड को दोनों हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया.

बुआ जी की गांड का छेद बहुत टाइट था.

मैं बोला- बुआ जी मेरा लण्ड आप की गांड में नहीं घुस रहा है. बुआ जी ने अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को खींच कर गांड की छेद को फैला दिया और दुबारा जोर लगाने को कहा.
इस बार मैंने थोड़ा और जोर लगाया, और मेरा सुपाड़ा उनकी गांड की छेद में चला गया. बुआ जी की कसी गांड को चीरता हुआ मेरा आधा लण्ड बुआ जी की गांड में दाखिल हो गया.
बुआ जी जोर से चीख उठी- उई माँ! दुखता है मेरे राजा! पर मैंने उनकी चीख पर कोई ध्यान नहीं दिया, और लण्ड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया.

मेरा 9′ का लौड़ा उनकी गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर दाखिल हो गया. बुआ जी फिर चीख उठीं.

वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थीं. मैंने आगे को झुक कर उनकी चूची को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा.
लण्ड अभी भी पूरा का पूरा उनकी गांड के अन्दर था. कुछ देर बाद बुआ जी की गांड में लण्ड डाले डाले उनकी चूची को सहलाता रहा.

जब बुआ जी कुछ नार्मल हुए तो अपने चूतड हिला कर बोलीं- चलो राजा! अब ठीक है!

उनका सिग्नल पाकर मैंने दुबारा सीधे होकर उनकी चूतड पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया. बुआ जी की गांड बहुत ही टाइट थी.

इसे चोदने में बड़ा मजा आ रहा था. अब बुआ भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मजा लेने लगीं. उन्होंने अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया.

बुआ जी की मस्ती देख कर मैं भी जोश में आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बढ़ा दी. मेरा लण्ड अब पूरी तेजी से उनकी गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था.

बुआ जी भी पूरी तेजी से कमर आगे पीछे करके मेरे लण्ड का मजा ले रही थीं.

लण्ड ऐसे अन्दर-बाहर हो रहा था मानो इंजन का पिस्टन. पूरी कमरे में चुदाई का थप थप की आवाज गूँज रही थी.

जब बुआ जी के थिरकते हुए चूतड से मेरी जाँघें टकराती थी तो लगता कोई तबलची टेबल पर थाप दे रहा हो.

बुआ जी पूरी जोश में पूरी तेजी से चूत में उंगली अन्दर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी.'

हम दोनों ही पसीने पसीने हो गई थे पर कोई भी रूकने का नाम नहीं ले रहा था.

बुआ मुझे बार बार ललकार रही थी- चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बुआ की गांड. आज फाड़ डालो इसे. शाबाश मेरे शेर, और जोर से राजा और जोर से. फाड़ डाली तुमने मेरी तो.

मैं भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा बाहर खींच कर झटके से अन्दर डालता तो उनकी चीख निकल जाती. मेरा लावा निकलने वाला था.

उधर बुआ भी उंगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंजिल के पास थी. तभी मैंने एक झटके से लण्ड निकाला और उनकी चूत में जड़ तक ठुंस दिया.
बुआ जी इसके लिए तैयार नहीं थीं. इसलिए उनकी उंगली भी चूत में ही रह गई थी. जिससे उनकी चूत टाइट लग रहा था.

मैंने बुआ जी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों में समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.

वो भी संभल कर जोर जोर से अहह उह्ह करती हुई चूतड आगे-पीछे करके अपनी चूत में मेरा लण्ड लेने लगी.
 
हम दोनों की साँसें फूल रही थीं. आखिर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं बुआ की पीठ से चिपक कर बुआ की चूत में झड़ गईं. हम दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गए.

उस रात मैंने बुआ की चूत कम से कम चार बार और चोदा.

सुबह करीब 10 बजे डॉली (दोस्त की बहन) ने मुझे उठा कर चाय दी और कहा राज भैया फ्रेश हो कर नाहा धो लो और मैं नाश्ता बनाती हूँ.

घर में केवल उसे देख कर कहा- माँ और बुआ जी कहाँ गए? वो बोली वो दोनों कब के खेत चले गए हैं.

यहाँ आवाज होगी, इसलिए माँ रात की नींद खेत में ही पूरी करेंगी और वो लोग शाम से पहले लौटने वाले नहीं हैं.

मैं फ्रेश होकर नाहा धो कर नाश्ता करने लगा. डॉली अपने काम में लग गई. मैं कमरे में आकर किताब पढ़ने लगा. मुझे कहीं बाहर जाना नहीं था इसलिए मैं केवल तौलिया और बनियान में था.

करीब एक घंटे बाद डॉली अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तर ठीक कर आई और मुझसे बोली भैया आप उधर कुर्सी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना है.

मैं उठ कर कुर्सी पर बैठ गया और वो बिस्तर ठीक करने लगी.

चादर पर पड़े मेरे लण्ड और बुआ और बुआ जी की चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे. डॉली झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी.

मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे रह गई!

थोड़ी देर बाद डॉली उठी गई और मेरी तरफ देखती हुई अदा से मुस्कुरा दी.

फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आँख मार कर बोली- लगता है रात बुआ जी के साथ जम कर खेल खेला है. मैं हिम्मत कर के बोला- क्या मतलब?

वो मुझसे सटती हुई बोली- इतने भोले मत बनो. जानबूझ कर अनजान बन रहे हो.
क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हें?

मैंने कुछ नहीं कहा और केवल मुस्कुरा दिया और मैंने गौर से देखा उसको.

मस्त लौंडिया थी! साँवली से रंग, छरहरा बदन! उठी हुई मस्त चूचियाँ!
उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर में दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूची और उभर कर सामने आ गई थी.

वो बात करते करते मुझसे एकदम सट गई, और उसकी तनी तनी चूची मेरी नंगी बाहों से छूने लगी.

यह सब देख कर मेरा लण्ड जोश में फड़फड़ा उठा. मैंने सोचा कि, इसे ज्यादा अच्छा मौका फिर नहीं मिलने वाला. साली खुद ही तो मेरे पास चुदवाने आई हुई है.

मैंने हिम्मत करके उसे कमर से पकड़ लिया और अपने पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला- चल डॉली थोड़ा सा खेल तेरे साथ भी हो जाए!

वो एकदम से घबरा गई और अपने को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी, पर मैं उसे कस कर पकडे हुए चूमने की कोशिश करने लगा.

वो मुझ से दूर हटने की कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी, पर साथ में चिपकी भी जा रही थी.

इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9′ का फनफनाता हुआ लौड़ा आजाद हो गया.

मैंने कहा- देखो मजे लेने है! तो चलो बिस्तर पर और उसे अपने बाहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा कर, अपना लण्ड उसकी गांड में दबाते हुए मैंने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया


दोनों हाथों से चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए बोला- नखरे क्यों दिखाती है?

खुदा ने हुस्न दिया है और क्या मार ही डालोगी?

अरे हमे नहीं दोगी तो क्या आचार डालोगी, चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का मजा लेते हैं.

कहते हुए उसके ब्लाउज को खींच कर खोल दिया. फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटीकोट के अन्दर घुसा दिया, और उसकी चिकनी चिकनी जाँघों को सहलाने लगा, धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया.

पर वो तो दोनों जाँघों को कस कर दबाए हुए थी, और साथ में मस्ती से हाय हाय भी कर रही थी.

मैं उसकी चूत को ऊपर से कस कस कर मसलने लगा और उंगली को किसी तरह चूत के अन्दर डाल दिया.

उंगली अन्दर होते ही वो कस कर छटपटाते हुए, और बाहर निकालने के लिए कमर हिलाने लगी. उससे उसकी चूत चुदने जैसी होने लगी. इससे उसका पेटीकोट ऊपर उठ गया.
 
मैंने कमर पीछे कर के अपने लण्ड को नंगे चूतड की दरार में लगा दिया. क्या फूले फूले जवान चिकने चूतड थे.

अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूची पर से हटा कर उसके चूतड को पकड़ लिया और अपने लण्ड से उसकी गांड की दरार में रख कर!

उसकी चूत को मैंने उंगली से चोदते हुए गांड की दरार में, लण्ड थोड़ा थोड़ा धंसा दिया था!

कुछ ही देर में वो ढीली पड़ गई, और जाँघों को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे पीछे कर के चुदाई का मजा लेने लगी.

क्यों रानी मजा आ रहा है? मैंने धक्का लगाते हुए पूछा.

हाँ भैया, बहुत ही मजा आ रहा है. उसने जाँघें फैला दी जिससे कि मेरी उंगली आसानी से अन्दर-बाहर होने लगी.

उसके मुँह से मस्ती भरी उई उई निकालने लगा.

फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली- हाय जी इतना मोटा लण्ड. चलो मुझे सीधा होने दो, फिर चोद देना, कहते हुए वो चित लेट गई.

अब हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थे. मैंने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा लिया और लण्ड को उसकी जाँघ पर रगड़ते हुए चूचियों को चूसने लगा.

पत्थर जैसी सख्त! थी उसकी चूची. एक हाथ से उसकी चूची मसल रहा था और दुसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत को चोद रहा था.

वो भी लगातार मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी जाँघों पर घिस रही थी. जब हम दोनों पूरी जोश में आ गए तब डॉली बोली- अब मत तडपाओ! भैया, चोद ही डालो न अब मुझे.

मैंने झटपट उसकी साड़ी और पेटीकोट को कमर से ऊपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया.

वो बोली- पहले मेरे सारे कपड़े तो उतारो तो ही तो चुदेगी मेरी चूत!

मैं बोला- नहीं तुझे अध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, इसलिए पहली चुदाई तो कपड़ों के साथ ही होगी.

फिर मैंने उसकी टांगें अपनी कंधों के ऊपर रखी, और उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और बोली- आईय! शुरू हो जाओ न भैया.

मैंने कमर आगे करके जोर दार धक्का दिया, और मेरा आधा लण्ड दनदनाता हुआ उसकी चूत में धंस गया.

वो चिल्ला उठी. आहिस्ते! भैया आहिस्ते! अब दर्द हो रहा है और उसने अपनी चूत को सिकोड़ ली और, मेरा लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल आया.

मैंने उसकी सख्त चूची को पकड़ कर मसलते हुए, फिर अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर एक और शॉट लगाया.

मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया, और कुछ देर तक मैंने कुछ हरकत नहीं की और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.

उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे. थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शांत हुई, और अब मैंने दुसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लौड़ा भी जड़ तक उसकी चूत में धंस गया.

मारे दर्द के उसकी चीख निकल गई और बोली- बड़ा जालिम है! तुम्हारा लौड़ा. किसी कुँवारी छोकरी को इस तरह से चोदोगे तो वो मर जाएगी. सम्भाल कर चोदना.

मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए, धीरे-धीरे लण्ड चूत के अन्दर-बाहर करने लगा. चूत तो इसकी भी टाइट थी!

दोस्तों, यह थी मेरी बिल्कुल सच्ची कहानी जो मैंने आपके सामने रखा! आशा करता हूँ कि इस कहानी से आप लोग अत्यधिक रोमांचित हुए होंगे. अपने विचारों से हमें अवगत कराएं!



samapt
 
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