hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
20
अंजू के जाने के बाद विनय अपने रूम में आ गया….उसे कुछ समझ में नही आ रहा था…..कि आख़िर अंजू उसके घर पर काम क्यों करना चाहती है…वो अंजू के इस फैंसले से थोड़ा डरा हुआ भी था…. डर था कि, कही मामी को कुछ पता ना चल जाए…क्योंकि विनय इतना मेच्यूर नही था कि, वो ये सब हॅंडेल कर सके….इस लिए उसका डर भी जायज़ था…अंजू के जाने बाद किरण किचन में गयी….और दोपहर का खाना तैयार करने लगी…तभी बाहर डोर बेल बजी तो, किरण ने हॉल में बैठी वशाली को बाहर का गेट खोलने के लिए कहा….
जब वशाली ने बाहर जाकर गेट खोला तो, सामने पिंकी और अभी खड़े थे….दोनो विनय और वशाली के साथ खेलने आए थे….किरण ने किचन से उन दोनो की आवाज़ सुन ली थी….इसलिए वो अपने काम में मगन रही. वशाली ने गेट बंद किया और फिर तीनो अंदर आए, और सीधा विनय के रूम में चले गये…..” चलो ना भैया….हाइड & सीक खेलते है…” अभी ने बेड पर बैठे हुए विनय का हाथ पकड़ कर खेंचते हुए कहा… “नही मुझे नही खेलना…तुम लोग जाकर खेलो…..” विनय का तो जैसे अब इन खेलो में मन ही नही लगता था…
पिंकी: चलो ना भैया…तीन लोग कैसे खेलेंगे मज़ा नाही आएगा इतने कम लोगो में…
विनय: मेरा मूड नही है….तुम जाओ….मेरे सर में दर्द है….
पिंकी: (वशाली की तरफ उदासी से देखते हुए…) अब क्या करें…
वशाली: चलो बाहर चल कर लुडो खेलते है…
अभी: हां चलो…..
फिर तीनो बाहर हाल में आ गये….नीचे ठंडे फर्श पर बैठ कर तीनो लुडो खेलने लगी…मामी किचन में खाना पकाते हुए उनको खेलते हुए देख रही थी….”वशाली विनय नही खेल रहा क्या बात है…” जब किरण ने विनय को नही देखा तो उसने वशाली से पूछा…. “ मम्मी उसके सर में दर्द है…” ये कह कर वशाली फिर से खेल में मगन हो गये….”सर में दर्द….पर आज तो कही बाहर भी नही गया.... पहले तो कभी ऐसी दिक्कत उसके साथ नही हुई थी….डॉक्टर से चेक करवाना पड़ेगा….आज रात को ये जब आएँगे तो, उन्हे कहूँगी कि एक बार विनय का चेकप किसी अच्छे डॉक्टर से करवा लाएँ….” किरण खाना पकाते हुए मन ही मन बुदबुदा रही थी…करीब आधे घंटे में ही किरण ने खाना भी तैयार कर लिया था….
फिर 1 बजे सब ने वही एक साथ खाना खाया….विनय तो खाना ख़तम करते ही, अपने रूम में चला गया….थोड़ी देर बाद विनय के मासी शीतल अभी और पिंकी को लेने आ गयी….और फिर वो दोनो अपने माँ के साथ चले गये….खाना खाने के बाद वशाली और किरण रूम में आकर लेट गये….वशाली तो बेड पर लेटते ही नींद के आगोश मे समा गयी. पर किरण को अभी शवर लेने जाना था….क्योंकि वो रोज सुबह 6 बजे उठ कर सबसे पहले अजय का नाश्ता और दोपहर का लंच तैयार करती थी….इसीलिए सुबह उसे नहाने का वक़्त नही मिल पाता था….वो अक्सर दोपहर को सभी कामो से फारिग होकर ही नहाया करती थी…..
थोड़ी देर आराम करने के बाद, किरण उठी और बाथरूम मे चली गयी... कल रात से वो अजय के कारण बहुत अपसेट थी…शादी को अभी 4-5 साल ही बीते थे…कि अजय का इंटेरेस्ट सेक्स में ख़तम होता चला गया… पिछले दो सालो से किरण इसे अपनी नीयती मान कर जी रही थी….वो बाथरूम में पहुँची अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउस पेटिकोट ब्रा और पैंटी भी उतार दी…शवर ऑन किया और नीचे खड़ी हो गयी….
करीब 10 मिनिट बाद उसने रोज की तरह शवर लेने के बाद अपने जिस्म पर सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहना और बाथरूम से बाहर आई…और अपने रूम की तरफ जाने लगी…तभी उसके दिमाग़ में आया कि, वशाली कह रही थी कि, विनय के सर में दर्द था….इसीलिए वो पहले विनय के रूम मे गयी. जब वो विनय के रूम के डोर पर पहुँची तो, उसने देखा कि विनय गुम्सुम सा बेड पर पुष्ट के साथ पीठ टिकाए हुए बैठा था…किरण अंदर गयी तो, उसके कदमो की आहट सुन कर विनय जैसे अपने ख्यालों से बाहर आया हो….वैसे भाव लाते हुए, वो किरण की ओर देखने लगा…
किरण: (विनय की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए….) नींद नही आ रही…?
विनय: नही….
किरण: क्यों आज फिर से सर में दर्द है….?
विनय: हां थोड़ा सा है मामी….
किरण: सर दर्द की टॅबलेट दूं….?
विनय: नही अब पहले से ठीक है….
किरण: तुझे इसीलिए मना करती हूँ कि, धूप में मत निकला कर…. चल आ मैं तेरा सर सहला देती हूँ….नींद आ जाएगी…
किरण ने विनय की बगल में लेटते हुए कहा, तो विनय भी किरण की तरफ फेस करके करवट के बल लेट गया….मामी के बदन से आती भीनी-2 खुसबू जब उसके नथुनो से टकराई तो, एक दम से उसके दिमाग़ में कल दोपहर वाली घटना कोंध गयी…मामी ने ममता दिखाते हुए, उसे अपनी बाहों में भर लिया…और उसके सर के बालों में अपनी उंगलियों को घुमाने लगी….विनय ने अपने फेस को मामी की नरम चुचियों के क्लीवेज़ के बीचो-2 भिड़ा दिया….
किरण इस बात से अंजान ममता के मोह में बँधी हुई उसके बालों को सलहा रही थी कि, अब उसका विनय किस ओर बढ़ रहा है…विनय की गरम सांसो का सुखद अहसास उसे अपने ब्लाउस के ऊपेर से झाँक रही चुचियों पर सॉफ महसूस हो रहा था…..पर उसके दिमाग़ में ये बात कतई नही थी कि, विनय ये सब जान बुझ कर रहा है….विनय अभी भी उसके लिए बच्चा ही था….विनय को सुलाते-2 किरण की आँखे भी भारी होने लगी थी…और फिर उसे कब नींद आई पता भी नही चला….विनय भी इससे ज़्यादा और कुछ नही कर सकता था…इसीलिए वो भी नींद के आगोश में चला गया….
करीब 3 बजे थे कि, विनय की नींद टूटी, जब उसने आँखे खोल कर देखा तो, मामी अभी भी वही लेटी हुई थी…पर अब मामी की पीठ उसकी तरफ थी…उसका पेटिकोट सोते समये उसकी जांघों तक ऊपेर चढ़ चुका था… किरण की आधी से ज़्यादा जांघे विनय को सॉफ दिखाई दे रही थी…ये नज़ारा देख विनय के मन मे हलचल सी होने लगी…उसने थोड़ा सा सर उठा कर मामी के फेस को देखा तो, उसे यकीन हो गया कि, मामी अभी भी गहरी नींद मे है…..उसने मामी की तरफ करवट बदली, और ठीक किरण के पीछे आकर उससे चिपक कर लेट गया….विनय का लंड तो मामी की मांसल और गोरी जांघों को देखते ही खड़ा हो गया था….
उसने डरते हुए, थोड़ा सा अपनी कमर को आगे की तरफ खिसका कर अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से किरण के पेटिकोट के ऊपेर से उसकी गान्ड की दरार के बीचो-बीच टिका दिया….ये सब करते हुए, विनय का दिल जोरो से धड़क रहा था….कैसे होता है इस वासना का नशा भी…इंसान डरता तो मरने की हद तक है…पर करता फिर भी वही है….जो वासना उसके सर पर चढ़ कर उससे करवाती है….विनय का लंड मामी के चुतड़ों की दरार में मानो जैसे फँस सा गया था….पेटिकोट के अंदर छुपे हुए मामी के बड़े-2 चुतड़ों की गरमी जब विनय को अपने लंड पर सहन ना हुई थी…तो उसने ठीक चोदने वाले अंदाज़ मैं अपनी कमर को धीरे-2 हिलाना शुरू कर दिया…
उसका लंड मामी के मोटे-2 कसे हुए चुतड़ों में बुरी तरह रगड़ खा रहा था….वासना एक बार फिर उसके सर पर चढ़ कर नंगा नाच कर रही थी….और विनय कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गया था…वैसे ही जैसे वो वशाली के साथ हुआ था….अब उस नादान को कॉन समझाए कि, सेक्स सिर्फ़ शारीरिक तौर पर ही नही किया जाता….अपने दिमाग़ को भी कंट्रोल करना पड़ता है….पर विनय तो मानो अपनी धुन में मगन था… वासना का नशा इस कदर चढ़ गया था कि, वो ये भी भूल गया…कि जिस तरह से वो अपनी कमर को हिलाते हुए अपने लंड को मामी की गान्ड की दरार में रगड़ रहा है….उसके चलते मामी कभी भी उठ सकती है….
पर इधर विनय अपने चरम की और अग्रसर हो चुका था…..और फिर उसके लंड की नसें दम से फूलने लगी…और विनय ने इस बार कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर अपने लंड को मामी के पेटिकोट के ऊपेर से उसके चुतड़ों के बीच मे धंसा दिया…और उसके लंड ने झटके खाते हुए अपना लावा उगलना शुरू कर दिया…किरण भी जाग गयी….जब उसे बेड हिलता हुआ महसूस हुआ. जब वो पूरी तरह जगह जागी तो, उसे अपनी चुतड़ों की दरार में कुछ हिलता और झटके ख़ाता हुआ महसूस हुआ…कल की तरह आज भी विनय का हाथ उसकी नंगी कमर पर था…..
जब उससे इस बात का अहसास हुआ कि, आज भी विनय उससे पीछे से सटा हुआ, तो उसका दिल एक बार तो जैसे धड़कना ही भूल गया…विनय का लंड अभी भी अपना लावा उगलते हुए, आख़िरी कमजोर पड़ते हुए झटके खा रहा था. जिसे नींद से जाग चुकी किरण अपने चुतड़ों की दरार में सॉफ महसूस कर पा रही थी….अगले ही पल उसने जैसे ही विनय के हाथ को अपनी कमर से हटाया तो, विनय को तो जैसे साँप सूंघ गया हो…ऐसे हालत विनय की हो गयी थी…उसने जल्दी से अपनी आँखे बंद कर ली….किरण को कुछ समझ में नही आ रहा था कि, आख़िर हो क्या रहा है..जो कुछ उसने थोड़ी देर पहले महसूस किया…क्या वो सच था….या सिर्फ़ उसका वहम….वो उठ कर बैठ गयी…और फिर विनय की तरफ देखा….
वो अपने चेहरे पर ऐसी मासूमियत लिए सोने की आक्टिंग कर रहा था… जैसे इस दीन दुनाया से अंजान हो…किरण ने बड़े गोर से उसके चेहरे को देखा और फिर उसके शॉर्ट्स की तरफ….आज उसकी शॉर्ट्स में किरण को कोई उभार नज़र नही आया….तो किरण ने राहत की साँस ली….रूम में लाइट ऑफ थी….इसलिए रूम मे हल्का अंधेरा था…वो उठी और बाहर चली गयी….विनय ने राहत की साँस ली…आज तो मरते-2 बचा था विनय…. वो मन ही मन अपने आप को कोस रहा था….और आगे से ऐसा दोबारा ना करने के लिए अपने आप को ही कह रहा था…
अंजू के जाने के बाद विनय अपने रूम में आ गया….उसे कुछ समझ में नही आ रहा था…..कि आख़िर अंजू उसके घर पर काम क्यों करना चाहती है…वो अंजू के इस फैंसले से थोड़ा डरा हुआ भी था…. डर था कि, कही मामी को कुछ पता ना चल जाए…क्योंकि विनय इतना मेच्यूर नही था कि, वो ये सब हॅंडेल कर सके….इस लिए उसका डर भी जायज़ था…अंजू के जाने बाद किरण किचन में गयी….और दोपहर का खाना तैयार करने लगी…तभी बाहर डोर बेल बजी तो, किरण ने हॉल में बैठी वशाली को बाहर का गेट खोलने के लिए कहा….
जब वशाली ने बाहर जाकर गेट खोला तो, सामने पिंकी और अभी खड़े थे….दोनो विनय और वशाली के साथ खेलने आए थे….किरण ने किचन से उन दोनो की आवाज़ सुन ली थी….इसलिए वो अपने काम में मगन रही. वशाली ने गेट बंद किया और फिर तीनो अंदर आए, और सीधा विनय के रूम में चले गये…..” चलो ना भैया….हाइड & सीक खेलते है…” अभी ने बेड पर बैठे हुए विनय का हाथ पकड़ कर खेंचते हुए कहा… “नही मुझे नही खेलना…तुम लोग जाकर खेलो…..” विनय का तो जैसे अब इन खेलो में मन ही नही लगता था…
पिंकी: चलो ना भैया…तीन लोग कैसे खेलेंगे मज़ा नाही आएगा इतने कम लोगो में…
विनय: मेरा मूड नही है….तुम जाओ….मेरे सर में दर्द है….
पिंकी: (वशाली की तरफ उदासी से देखते हुए…) अब क्या करें…
वशाली: चलो बाहर चल कर लुडो खेलते है…
अभी: हां चलो…..
फिर तीनो बाहर हाल में आ गये….नीचे ठंडे फर्श पर बैठ कर तीनो लुडो खेलने लगी…मामी किचन में खाना पकाते हुए उनको खेलते हुए देख रही थी….”वशाली विनय नही खेल रहा क्या बात है…” जब किरण ने विनय को नही देखा तो उसने वशाली से पूछा…. “ मम्मी उसके सर में दर्द है…” ये कह कर वशाली फिर से खेल में मगन हो गये….”सर में दर्द….पर आज तो कही बाहर भी नही गया.... पहले तो कभी ऐसी दिक्कत उसके साथ नही हुई थी….डॉक्टर से चेक करवाना पड़ेगा….आज रात को ये जब आएँगे तो, उन्हे कहूँगी कि एक बार विनय का चेकप किसी अच्छे डॉक्टर से करवा लाएँ….” किरण खाना पकाते हुए मन ही मन बुदबुदा रही थी…करीब आधे घंटे में ही किरण ने खाना भी तैयार कर लिया था….
फिर 1 बजे सब ने वही एक साथ खाना खाया….विनय तो खाना ख़तम करते ही, अपने रूम में चला गया….थोड़ी देर बाद विनय के मासी शीतल अभी और पिंकी को लेने आ गयी….और फिर वो दोनो अपने माँ के साथ चले गये….खाना खाने के बाद वशाली और किरण रूम में आकर लेट गये….वशाली तो बेड पर लेटते ही नींद के आगोश मे समा गयी. पर किरण को अभी शवर लेने जाना था….क्योंकि वो रोज सुबह 6 बजे उठ कर सबसे पहले अजय का नाश्ता और दोपहर का लंच तैयार करती थी….इसीलिए सुबह उसे नहाने का वक़्त नही मिल पाता था….वो अक्सर दोपहर को सभी कामो से फारिग होकर ही नहाया करती थी…..
थोड़ी देर आराम करने के बाद, किरण उठी और बाथरूम मे चली गयी... कल रात से वो अजय के कारण बहुत अपसेट थी…शादी को अभी 4-5 साल ही बीते थे…कि अजय का इंटेरेस्ट सेक्स में ख़तम होता चला गया… पिछले दो सालो से किरण इसे अपनी नीयती मान कर जी रही थी….वो बाथरूम में पहुँची अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउस पेटिकोट ब्रा और पैंटी भी उतार दी…शवर ऑन किया और नीचे खड़ी हो गयी….
करीब 10 मिनिट बाद उसने रोज की तरह शवर लेने के बाद अपने जिस्म पर सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहना और बाथरूम से बाहर आई…और अपने रूम की तरफ जाने लगी…तभी उसके दिमाग़ में आया कि, वशाली कह रही थी कि, विनय के सर में दर्द था….इसीलिए वो पहले विनय के रूम मे गयी. जब वो विनय के रूम के डोर पर पहुँची तो, उसने देखा कि विनय गुम्सुम सा बेड पर पुष्ट के साथ पीठ टिकाए हुए बैठा था…किरण अंदर गयी तो, उसके कदमो की आहट सुन कर विनय जैसे अपने ख्यालों से बाहर आया हो….वैसे भाव लाते हुए, वो किरण की ओर देखने लगा…
किरण: (विनय की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए….) नींद नही आ रही…?
विनय: नही….
किरण: क्यों आज फिर से सर में दर्द है….?
विनय: हां थोड़ा सा है मामी….
किरण: सर दर्द की टॅबलेट दूं….?
विनय: नही अब पहले से ठीक है….
किरण: तुझे इसीलिए मना करती हूँ कि, धूप में मत निकला कर…. चल आ मैं तेरा सर सहला देती हूँ….नींद आ जाएगी…
किरण ने विनय की बगल में लेटते हुए कहा, तो विनय भी किरण की तरफ फेस करके करवट के बल लेट गया….मामी के बदन से आती भीनी-2 खुसबू जब उसके नथुनो से टकराई तो, एक दम से उसके दिमाग़ में कल दोपहर वाली घटना कोंध गयी…मामी ने ममता दिखाते हुए, उसे अपनी बाहों में भर लिया…और उसके सर के बालों में अपनी उंगलियों को घुमाने लगी….विनय ने अपने फेस को मामी की नरम चुचियों के क्लीवेज़ के बीचो-2 भिड़ा दिया….
किरण इस बात से अंजान ममता के मोह में बँधी हुई उसके बालों को सलहा रही थी कि, अब उसका विनय किस ओर बढ़ रहा है…विनय की गरम सांसो का सुखद अहसास उसे अपने ब्लाउस के ऊपेर से झाँक रही चुचियों पर सॉफ महसूस हो रहा था…..पर उसके दिमाग़ में ये बात कतई नही थी कि, विनय ये सब जान बुझ कर रहा है….विनय अभी भी उसके लिए बच्चा ही था….विनय को सुलाते-2 किरण की आँखे भी भारी होने लगी थी…और फिर उसे कब नींद आई पता भी नही चला….विनय भी इससे ज़्यादा और कुछ नही कर सकता था…इसीलिए वो भी नींद के आगोश में चला गया….
करीब 3 बजे थे कि, विनय की नींद टूटी, जब उसने आँखे खोल कर देखा तो, मामी अभी भी वही लेटी हुई थी…पर अब मामी की पीठ उसकी तरफ थी…उसका पेटिकोट सोते समये उसकी जांघों तक ऊपेर चढ़ चुका था… किरण की आधी से ज़्यादा जांघे विनय को सॉफ दिखाई दे रही थी…ये नज़ारा देख विनय के मन मे हलचल सी होने लगी…उसने थोड़ा सा सर उठा कर मामी के फेस को देखा तो, उसे यकीन हो गया कि, मामी अभी भी गहरी नींद मे है…..उसने मामी की तरफ करवट बदली, और ठीक किरण के पीछे आकर उससे चिपक कर लेट गया….विनय का लंड तो मामी की मांसल और गोरी जांघों को देखते ही खड़ा हो गया था….
उसने डरते हुए, थोड़ा सा अपनी कमर को आगे की तरफ खिसका कर अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से किरण के पेटिकोट के ऊपेर से उसकी गान्ड की दरार के बीचो-बीच टिका दिया….ये सब करते हुए, विनय का दिल जोरो से धड़क रहा था….कैसे होता है इस वासना का नशा भी…इंसान डरता तो मरने की हद तक है…पर करता फिर भी वही है….जो वासना उसके सर पर चढ़ कर उससे करवाती है….विनय का लंड मामी के चुतड़ों की दरार में मानो जैसे फँस सा गया था….पेटिकोट के अंदर छुपे हुए मामी के बड़े-2 चुतड़ों की गरमी जब विनय को अपने लंड पर सहन ना हुई थी…तो उसने ठीक चोदने वाले अंदाज़ मैं अपनी कमर को धीरे-2 हिलाना शुरू कर दिया…
उसका लंड मामी के मोटे-2 कसे हुए चुतड़ों में बुरी तरह रगड़ खा रहा था….वासना एक बार फिर उसके सर पर चढ़ कर नंगा नाच कर रही थी….और विनय कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गया था…वैसे ही जैसे वो वशाली के साथ हुआ था….अब उस नादान को कॉन समझाए कि, सेक्स सिर्फ़ शारीरिक तौर पर ही नही किया जाता….अपने दिमाग़ को भी कंट्रोल करना पड़ता है….पर विनय तो मानो अपनी धुन में मगन था… वासना का नशा इस कदर चढ़ गया था कि, वो ये भी भूल गया…कि जिस तरह से वो अपनी कमर को हिलाते हुए अपने लंड को मामी की गान्ड की दरार में रगड़ रहा है….उसके चलते मामी कभी भी उठ सकती है….
पर इधर विनय अपने चरम की और अग्रसर हो चुका था…..और फिर उसके लंड की नसें दम से फूलने लगी…और विनय ने इस बार कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर अपने लंड को मामी के पेटिकोट के ऊपेर से उसके चुतड़ों के बीच मे धंसा दिया…और उसके लंड ने झटके खाते हुए अपना लावा उगलना शुरू कर दिया…किरण भी जाग गयी….जब उसे बेड हिलता हुआ महसूस हुआ. जब वो पूरी तरह जगह जागी तो, उसे अपनी चुतड़ों की दरार में कुछ हिलता और झटके ख़ाता हुआ महसूस हुआ…कल की तरह आज भी विनय का हाथ उसकी नंगी कमर पर था…..
जब उससे इस बात का अहसास हुआ कि, आज भी विनय उससे पीछे से सटा हुआ, तो उसका दिल एक बार तो जैसे धड़कना ही भूल गया…विनय का लंड अभी भी अपना लावा उगलते हुए, आख़िरी कमजोर पड़ते हुए झटके खा रहा था. जिसे नींद से जाग चुकी किरण अपने चुतड़ों की दरार में सॉफ महसूस कर पा रही थी….अगले ही पल उसने जैसे ही विनय के हाथ को अपनी कमर से हटाया तो, विनय को तो जैसे साँप सूंघ गया हो…ऐसे हालत विनय की हो गयी थी…उसने जल्दी से अपनी आँखे बंद कर ली….किरण को कुछ समझ में नही आ रहा था कि, आख़िर हो क्या रहा है..जो कुछ उसने थोड़ी देर पहले महसूस किया…क्या वो सच था….या सिर्फ़ उसका वहम….वो उठ कर बैठ गयी…और फिर विनय की तरफ देखा….
वो अपने चेहरे पर ऐसी मासूमियत लिए सोने की आक्टिंग कर रहा था… जैसे इस दीन दुनाया से अंजान हो…किरण ने बड़े गोर से उसके चेहरे को देखा और फिर उसके शॉर्ट्स की तरफ….आज उसकी शॉर्ट्स में किरण को कोई उभार नज़र नही आया….तो किरण ने राहत की साँस ली….रूम में लाइट ऑफ थी….इसलिए रूम मे हल्का अंधेरा था…वो उठी और बाहर चली गयी….विनय ने राहत की साँस ली…आज तो मरते-2 बचा था विनय…. वो मन ही मन अपने आप को कोस रहा था….और आगे से ऐसा दोबारा ना करने के लिए अपने आप को ही कह रहा था…