Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली - Page 4 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Sex Porn Kahani चूत देखी वहीं मार ली

20


अंजू के जाने के बाद विनय अपने रूम में आ गया….उसे कुछ समझ में नही आ रहा था…..कि आख़िर अंजू उसके घर पर काम क्यों करना चाहती है…वो अंजू के इस फैंसले से थोड़ा डरा हुआ भी था…. डर था कि, कही मामी को कुछ पता ना चल जाए…क्योंकि विनय इतना मेच्यूर नही था कि, वो ये सब हॅंडेल कर सके….इस लिए उसका डर भी जायज़ था…अंजू के जाने बाद किरण किचन में गयी….और दोपहर का खाना तैयार करने लगी…तभी बाहर डोर बेल बजी तो, किरण ने हॉल में बैठी वशाली को बाहर का गेट खोलने के लिए कहा….

जब वशाली ने बाहर जाकर गेट खोला तो, सामने पिंकी और अभी खड़े थे….दोनो विनय और वशाली के साथ खेलने आए थे….किरण ने किचन से उन दोनो की आवाज़ सुन ली थी….इसलिए वो अपने काम में मगन रही. वशाली ने गेट बंद किया और फिर तीनो अंदर आए, और सीधा विनय के रूम में चले गये…..” चलो ना भैया….हाइड & सीक खेलते है…” अभी ने बेड पर बैठे हुए विनय का हाथ पकड़ कर खेंचते हुए कहा… “नही मुझे नही खेलना…तुम लोग जाकर खेलो…..” विनय का तो जैसे अब इन खेलो में मन ही नही लगता था…

पिंकी: चलो ना भैया…तीन लोग कैसे खेलेंगे मज़ा नाही आएगा इतने कम लोगो में…

विनय: मेरा मूड नही है….तुम जाओ….मेरे सर में दर्द है….

पिंकी: (वशाली की तरफ उदासी से देखते हुए…) अब क्या करें…

वशाली: चलो बाहर चल कर लुडो खेलते है…

अभी: हां चलो…..

फिर तीनो बाहर हाल में आ गये….नीचे ठंडे फर्श पर बैठ कर तीनो लुडो खेलने लगी…मामी किचन में खाना पकाते हुए उनको खेलते हुए देख रही थी….”वशाली विनय नही खेल रहा क्या बात है…” जब किरण ने विनय को नही देखा तो उसने वशाली से पूछा…. “ मम्मी उसके सर में दर्द है…” ये कह कर वशाली फिर से खेल में मगन हो गये….”सर में दर्द….पर आज तो कही बाहर भी नही गया.... पहले तो कभी ऐसी दिक्कत उसके साथ नही हुई थी….डॉक्टर से चेक करवाना पड़ेगा….आज रात को ये जब आएँगे तो, उन्हे कहूँगी कि एक बार विनय का चेकप किसी अच्छे डॉक्टर से करवा लाएँ….” किरण खाना पकाते हुए मन ही मन बुदबुदा रही थी…करीब आधे घंटे में ही किरण ने खाना भी तैयार कर लिया था….

फिर 1 बजे सब ने वही एक साथ खाना खाया….विनय तो खाना ख़तम करते ही, अपने रूम में चला गया….थोड़ी देर बाद विनय के मासी शीतल अभी और पिंकी को लेने आ गयी….और फिर वो दोनो अपने माँ के साथ चले गये….खाना खाने के बाद वशाली और किरण रूम में आकर लेट गये….वशाली तो बेड पर लेटते ही नींद के आगोश मे समा गयी. पर किरण को अभी शवर लेने जाना था….क्योंकि वो रोज सुबह 6 बजे उठ कर सबसे पहले अजय का नाश्ता और दोपहर का लंच तैयार करती थी….इसीलिए सुबह उसे नहाने का वक़्त नही मिल पाता था….वो अक्सर दोपहर को सभी कामो से फारिग होकर ही नहाया करती थी…..

थोड़ी देर आराम करने के बाद, किरण उठी और बाथरूम मे चली गयी... कल रात से वो अजय के कारण बहुत अपसेट थी…शादी को अभी 4-5 साल ही बीते थे…कि अजय का इंटेरेस्ट सेक्स में ख़तम होता चला गया… पिछले दो सालो से किरण इसे अपनी नीयती मान कर जी रही थी….वो बाथरूम में पहुँची अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउस पेटिकोट ब्रा और पैंटी भी उतार दी…शवर ऑन किया और नीचे खड़ी हो गयी….

करीब 10 मिनिट बाद उसने रोज की तरह शवर लेने के बाद अपने जिस्म पर सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहना और बाथरूम से बाहर आई…और अपने रूम की तरफ जाने लगी…तभी उसके दिमाग़ में आया कि, वशाली कह रही थी कि, विनय के सर में दर्द था….इसीलिए वो पहले विनय के रूम मे गयी. जब वो विनय के रूम के डोर पर पहुँची तो, उसने देखा कि विनय गुम्सुम सा बेड पर पुष्ट के साथ पीठ टिकाए हुए बैठा था…किरण अंदर गयी तो, उसके कदमो की आहट सुन कर विनय जैसे अपने ख्यालों से बाहर आया हो….वैसे भाव लाते हुए, वो किरण की ओर देखने लगा…

किरण: (विनय की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए….) नींद नही आ रही…?

विनय: नही….

किरण: क्यों आज फिर से सर में दर्द है….?

विनय: हां थोड़ा सा है मामी….

किरण: सर दर्द की टॅबलेट दूं….?

विनय: नही अब पहले से ठीक है….

किरण: तुझे इसीलिए मना करती हूँ कि, धूप में मत निकला कर…. चल आ मैं तेरा सर सहला देती हूँ….नींद आ जाएगी…

किरण ने विनय की बगल में लेटते हुए कहा, तो विनय भी किरण की तरफ फेस करके करवट के बल लेट गया….मामी के बदन से आती भीनी-2 खुसबू जब उसके नथुनो से टकराई तो, एक दम से उसके दिमाग़ में कल दोपहर वाली घटना कोंध गयी…मामी ने ममता दिखाते हुए, उसे अपनी बाहों में भर लिया…और उसके सर के बालों में अपनी उंगलियों को घुमाने लगी….विनय ने अपने फेस को मामी की नरम चुचियों के क्लीवेज़ के बीचो-2 भिड़ा दिया….

किरण इस बात से अंजान ममता के मोह में बँधी हुई उसके बालों को सलहा रही थी कि, अब उसका विनय किस ओर बढ़ रहा है…विनय की गरम सांसो का सुखद अहसास उसे अपने ब्लाउस के ऊपेर से झाँक रही चुचियों पर सॉफ महसूस हो रहा था…..पर उसके दिमाग़ में ये बात कतई नही थी कि, विनय ये सब जान बुझ कर रहा है….विनय अभी भी उसके लिए बच्चा ही था….विनय को सुलाते-2 किरण की आँखे भी भारी होने लगी थी…और फिर उसे कब नींद आई पता भी नही चला….विनय भी इससे ज़्यादा और कुछ नही कर सकता था…इसीलिए वो भी नींद के आगोश में चला गया….

करीब 3 बजे थे कि, विनय की नींद टूटी, जब उसने आँखे खोल कर देखा तो, मामी अभी भी वही लेटी हुई थी…पर अब मामी की पीठ उसकी तरफ थी…उसका पेटिकोट सोते समये उसकी जांघों तक ऊपेर चढ़ चुका था… किरण की आधी से ज़्यादा जांघे विनय को सॉफ दिखाई दे रही थी…ये नज़ारा देख विनय के मन मे हलचल सी होने लगी…उसने थोड़ा सा सर उठा कर मामी के फेस को देखा तो, उसे यकीन हो गया कि, मामी अभी भी गहरी नींद मे है…..उसने मामी की तरफ करवट बदली, और ठीक किरण के पीछे आकर उससे चिपक कर लेट गया….विनय का लंड तो मामी की मांसल और गोरी जांघों को देखते ही खड़ा हो गया था….

उसने डरते हुए, थोड़ा सा अपनी कमर को आगे की तरफ खिसका कर अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से किरण के पेटिकोट के ऊपेर से उसकी गान्ड की दरार के बीचो-बीच टिका दिया….ये सब करते हुए, विनय का दिल जोरो से धड़क रहा था….कैसे होता है इस वासना का नशा भी…इंसान डरता तो मरने की हद तक है…पर करता फिर भी वही है….जो वासना उसके सर पर चढ़ कर उससे करवाती है….विनय का लंड मामी के चुतड़ों की दरार में मानो जैसे फँस सा गया था….पेटिकोट के अंदर छुपे हुए मामी के बड़े-2 चुतड़ों की गरमी जब विनय को अपने लंड पर सहन ना हुई थी…तो उसने ठीक चोदने वाले अंदाज़ मैं अपनी कमर को धीरे-2 हिलाना शुरू कर दिया…

उसका लंड मामी के मोटे-2 कसे हुए चुतड़ों में बुरी तरह रगड़ खा रहा था….वासना एक बार फिर उसके सर पर चढ़ कर नंगा नाच कर रही थी….और विनय कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गया था…वैसे ही जैसे वो वशाली के साथ हुआ था….अब उस नादान को कॉन समझाए कि, सेक्स सिर्फ़ शारीरिक तौर पर ही नही किया जाता….अपने दिमाग़ को भी कंट्रोल करना पड़ता है….पर विनय तो मानो अपनी धुन में मगन था… वासना का नशा इस कदर चढ़ गया था कि, वो ये भी भूल गया…कि जिस तरह से वो अपनी कमर को हिलाते हुए अपने लंड को मामी की गान्ड की दरार में रगड़ रहा है….उसके चलते मामी कभी भी उठ सकती है….

पर इधर विनय अपने चरम की और अग्रसर हो चुका था…..और फिर उसके लंड की नसें दम से फूलने लगी…और विनय ने इस बार कुछ ज़्यादा ही ज़ोर देकर अपने लंड को मामी के पेटिकोट के ऊपेर से उसके चुतड़ों के बीच मे धंसा दिया…और उसके लंड ने झटके खाते हुए अपना लावा उगलना शुरू कर दिया…किरण भी जाग गयी….जब उसे बेड हिलता हुआ महसूस हुआ. जब वो पूरी तरह जगह जागी तो, उसे अपनी चुतड़ों की दरार में कुछ हिलता और झटके ख़ाता हुआ महसूस हुआ…कल की तरह आज भी विनय का हाथ उसकी नंगी कमर पर था…..

जब उससे इस बात का अहसास हुआ कि, आज भी विनय उससे पीछे से सटा हुआ, तो उसका दिल एक बार तो जैसे धड़कना ही भूल गया…विनय का लंड अभी भी अपना लावा उगलते हुए, आख़िरी कमजोर पड़ते हुए झटके खा रहा था. जिसे नींद से जाग चुकी किरण अपने चुतड़ों की दरार में सॉफ महसूस कर पा रही थी….अगले ही पल उसने जैसे ही विनय के हाथ को अपनी कमर से हटाया तो, विनय को तो जैसे साँप सूंघ गया हो…ऐसे हालत विनय की हो गयी थी…उसने जल्दी से अपनी आँखे बंद कर ली….किरण को कुछ समझ में नही आ रहा था कि, आख़िर हो क्या रहा है..जो कुछ उसने थोड़ी देर पहले महसूस किया…क्या वो सच था….या सिर्फ़ उसका वहम….वो उठ कर बैठ गयी…और फिर विनय की तरफ देखा….

वो अपने चेहरे पर ऐसी मासूमियत लिए सोने की आक्टिंग कर रहा था… जैसे इस दीन दुनाया से अंजान हो…किरण ने बड़े गोर से उसके चेहरे को देखा और फिर उसके शॉर्ट्स की तरफ….आज उसकी शॉर्ट्स में किरण को कोई उभार नज़र नही आया….तो किरण ने राहत की साँस ली….रूम में लाइट ऑफ थी….इसलिए रूम मे हल्का अंधेरा था…वो उठी और बाहर चली गयी….विनय ने राहत की साँस ली…आज तो मरते-2 बचा था विनय…. वो मन ही मन अपने आप को कोस रहा था….और आगे से ऐसा दोबारा ना करने के लिए अपने आप को ही कह रहा था…
 
21

शाम का समय हो गया था….विनय अपने रूम में बैठा हुआ छुट्टियों के लिए मिला होमवर्क पूरा कर रहा था….दूसरी तरफ वशाली हॉल में बैठी हुई टीवी देख रही थी की, तभी रिंकी उनके घर आई…जब से रिंकी ने विनय का मज़ाक उड़ाया था….तब से उन दोनो के बीच बात चीत बिल्कुल बंद थी….इस दौरान ना तो रिंकी ही उनके घर आई थी….और ना ही वशाली उनके घर गयी थी….किरण भी हाल में बैठी हुई रात के खाने के लिए सब्जी काट रही थी….

किरण: (रिंकी को देखते हुए…) अर्रे रिंकी आओ अंदर आओ…आज बड़े दिनो बाद आई हो…कही घूमने गयी थी….?

रिंकी: (वशाली की तरफ देखते हुए…) नही आंटी जी वो ऐसे ही तबीयत थोड़ी खराब थी….इसीलिए नही आई…

किरण ने सब्जी काट ली थी….इसीलिए वो उठ कर किचन में चली गयी… रिंकी वशाली के साथ जाकर कुर्सी पर बैठ गयी….”नाराज़ हो अभी तक मुझसे..” रिंकी ने भोला सा फेस बनाते हुए कहा….”तुम अब यहाँ क्या लेने आई हो. उस दिन तुम्हारा पेट नही भरा मेरे भाई का मज़ाक उड़ा कर….” वशाली ने अपने दिल की भडास निकालते हुए कहा….

रिंकी: सॉरी यार उस दिन मुझसे ग़लती हो गयी थी….मुझे माफ़ नही करेगी तू….प्लीज़ यार माफ़ कर दे ना….

वशाली: ठीक है…पहले प्रॉमिस कर….अब फिर कभी ना तो भाई और ना ही मेरा मज़ाक उड़ाएगी….

रिंकी: प्रॉमिस माइ स्वीटू….अब खुश….

ये कहते हुए रिंकी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो, वशाली ने उससे हाथ मिलाया….”अच्छा सुन कल सुबह मम्मी पापा जा रहे है बाहर ….और भाई भी बाहर गया हुआ मामा के पास…तू कल सुबह मेरे घर चलना मेरे साथ…कुछ बहुत ही हॉट आइटम्स दिखाउन्गी….” वशाली ने कुछ देर सोचा और फिर धीरे से बोली….” ठीक है कल चलूंगी मैं तुम्हारे साथ. उसके बाद रिंकी अपने घर चली गयी…वशाली को थोड़ी हैरानी ज़रूर हुई, रिंकी बदले हुए रवैये को देख कर…पर उसने कुछ ज़्यादा सोचा नही…

दोस्तो दरअसल रिंकी ने उस दिन के बाद फिर से बहुत ट्राइ किया कि, उसकी सेट्टिंग किसी लड़के से हो जाए…पर माँ बाप की सख़्त निगरानी के कारण…वो ऐसा नही कर पाई थी..अब विनय तो घर की बात थी….एक बार फिर से आज़माने में क्या जाता उसका…इसीलिए उसने वशाली से फिर से दोस्ती कर ली थी….उस दिन और कुछ ख़ास ना हुआ, दिन तो जैसे तैसे कट गया था. पर रात विनय ने करवटें बदलते हुए गुज़ारी थी…..

सुबह के 8 बज रहे थे….किरण अजय को ऑफीस भेज चुकी थी….वो पहले अपने रूम मे गयी, जहाँ वशाली अभी तक सो रही थी…उसने वशाली को उठाया और फ्रेश होने को कहा और फिर वो विनय के रूम मे आई, जो अभी तक सो रहा था…..मामी बेड के किनारे जाकर बैठी और विनय के सर को सहलाते हुए बोली…”उठ जाओ विनय देखो 8 बज गये है…” विनय जो रात को ठीक से सो नही पाया था….मामी की आवाज़ सुन कर उसकी नींद खुली, उसने अपनी बोझिल आँखो से बेड पर बैठी अपनी मामी की तरफ देखा…

विनय: मामी थोड़ी देर और सो जाउ….

किरण: क्या हुआ तबीयत ठीक नही है क्या…

विनय: नही वो मामी रात को नींद नही आ रही थी….

किरण: चल सो जा…

ये कह कर किरण अपने रूम से बाहर आ गयी….पिछले कुछ दिनो से वो विनय में आए बदलाव को देख कर थोड़ा परेशान थी….वो सोच रही थी कि, ये सब विनय की किशोरा अवस्था के शुरू होने के संकेत है…या फिर विनय के साथ कुछ प्राब्लम है….9 बज चुके थे…वशाली नाश्ता करके रिंकी के साथ उसके घर चली गयी थी…रिंकी उसे सुबह-2 ही लेने आ गयी थी….कि तभी डोर बेल बजी, किरण ने जाकर जब गेट खोला तो सामने अंजू खड़ी थी…..अंजू किरण की तरफ देखते हुए मुस्कुराइ और फिर उसके साथ अंदर आ गयी…..

अंजू: बताएँ दीदी जी क्या करना है….

किरण: (कुछ देर सोचने के बाद….) तू ऐसा कर….सबसे पहले सभी कमरो की सफाई करके पोंच्छा लगा दे…मैं तब तक मशीन निकाल देती हूँ…और कपड़े धोना शुरू करती हूँ….

अंजू: जी दीदी….

अंजू ने झाड़ू उठाया और कमरो की सफाई करनी शुरू कर दी….सबसे पहले उसने किरण का कमरा सॉफ किया फिर ममता का….और फिर जब वो विनय के रूम में पहुँची तो, उसने देखा कि विनय अभी भी सो रहा है….विनय को देख कर उसके होंटो पर कामुकता भरी मुस्कान फेल गयी. उसने एक बार बाहर की तरफ झाँका….किरण बाथरूम के बाहर वॉशिंग मशीन में कपड़े डाल रही थी…

और फिर झाड़ू लगाना शुरू कर दिया….जब झाड़ू लगाते हुए वो विनय के बेड के पास आई, तो, उसने एक बार डोर की तरफ देखा और फिर जल्दी से विनय को हिलाया तो, विनय जैसे ही नींद से जागा तो, अपने रूम में अंजू को देख कर चोंका और घबरा भी गया…अंजू ने अपने होंटो पर उंगली रखते हुए, उसे चुप रहने का इशारा किया….और फिर उसकी तरफ देखते हुए, झाड़ू लगाने लगी…..झाड़ू लगाते हुए, वो बार-2 विनय को आँखो ही आँखो से इशारे भी कर रही थी…

अंजू ने आधे घंटे में ही नीचे वाले फ्लोर की सफाई करके पोंचा भी लगा दिया था…बाहर किरण ने वॉशिंग मशीन में कपड़े भी धो लिए थे…विनय भी उठ कर बाहर आ गया…और सीधा बाथरूम में चला गया…फ्रेश हुआ और फिर जब किरण ने देखा तो, उसने अंजू को कपड़ों को ऊपेर धूप मे डाल कर आने को कहा…और खुद विनय के लिए नाश्ता लगाने के लिए किचन में चली गयी…इधर विनय नाश्ता कर रहा था. और उधर अंजू ऊपेर कपड़ों को धूप में सुखाने के लिए छत पर डाल रही थी…

थोड़ी देर बाद अंजू नीचे आई….और नीचे फर्श पर बिछी चटाई पर बैठ कर अपनी साड़ी के पल्लू से अपने चेहरे पर आए पसीने को सुखाने लगी…”हो गया दीदी जी…..अब बताए और क्या करना है…” उसने विनय की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा…”थोड़ी देर आराम कर ले…काम तो होता ही रहेगा…अभी 10 ही तो बजे है….” किरण ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा..विनय चोर नज़रों से अंजू की तरफ देख रहा था… आज अंजू खूब सजसंवर कर आई थी….उसने ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी…हल्का सा मेकप किया हुआ था…

विनय ने नाश्ता ख़तम किया तो, किरण झूठे बर्तन उठाने लगी. तो अंजू ने किरण को रोक दिया…”दीदी मुझे किस लिए रखा है….लाइए मैं उठा लेती हूँ….” ये कहते हुए अंजू उठी और डाइनिंग टेबल के पास आई और झुक कर विनय को अपनी चुचियों के दर्शन करवाते हुए बर्तन उठा कर किचन मे चली गयी….नीचे का काम ख़तम हो चुका था….

किरण: अंजू अब तू ऊपेर के रूम्स की सफाई कर दे जाकर….झाड़ू पोंचा ले जा, वैसे रोज-2 करने की तो ज़रूरत नही है….पर हफ्ते मैं एक आध बार कर दिया करना….

अंजू: जी दीदी कर दिया करूँगी…..

अब जब किरण फ्री थी…तो उसने शवर लेने की सोची…इसीलिए वो खुद बाथरूम में घुस्स गयी….अंजू ने पानी से भरी बालटी और झाड़ू उठाया और सीडीयों की तरफ जाते हुए, विनय को इशारे से ऊपेर आने को कहा..विनय अभी भी थोड़ा सा घबराया हुआ था…अंजू के ऊपेर जाने के करीब 5 मिनिट बाद, विनय उठा और दबे पाँव सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ ऊपेर जाने लगा…ऊपेर अंजू एक रूम में लगे हुए बेड पर जमी धूल हटा रही थी. जब विनय ऊपेर पहुँचा तो उसने रूम का डोर खुला देखा , तो वो उस रूम के अंदर चला गया…

विनय को रूम मे देख कर अंजू के आँखे चमक उठी…उसने जल्दी से विनय के पास जाकर उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खेंचते हुए धीरे से बोली….”क्यों रे उसके बाद तू आया नही वहाँ पर…” विनय ने अपने गले का थूक गटकते हुए कहा….”वो मामी बाहर नही जाने देती धूप में. “ अंजू विनय की बात सुन कर मुस्कुराने लगी….”चल कोई बात नही तू नही आया तो मैं चली आई…तुम्हारा दिल नही करता वो सब दोबारा करने को…” अंजू ने विनय की आँखो में झाँकते हुए कहा…..

विनय: हां करता है….

अंजू: अभी करना है…..?

विनय: (डोर की तरफ देखते हुए) मामी अगर ऊपेर आ गयी तो…

अंजू: इतनी जल्दी नही आएगी…नहाने गयी है ना…..तू बोल करना है….

विनय: (हाँ में सर हिलाते हुए…) हां…

अंजू ने विनय का हाथ छोड़ा…और फिर जल्दी से बेड पर चढ़ कर बाहर सीढ़ियों की तरफ लगी हुई खिड़की को खोला और फिर से विनय के पास आ गयी…उसने विनय के शॉर्ट्स के ऊपेर उसके लंड पर हाथ रखा…जो डर की वजह से मुरझाया हुआ था….अंजू का हाथ लंड पर पड़ते ही, विनय के बदन ने झटका खाया, “ये तो सोया हुआ है….इसे जगाना पड़ेगा..” अंजू ने विनय के लंड को उसके शॉर्ट्स के ऊपेर से सहलाते हुए कहा…

फिर उसने विनय की आँखो में झाँकते हुए विनय के शॉर्ट्स को उसकी जाँघो तक उतार दिया…और अगले ही पल उसने बेड पर बैठते हुए, विनय के लंड को मूह में लेकर चूसना शुरू कर दिया….”श्िीीई ओह आंटी..” विनय ने सिसकते हुए अंजू के सर को दोनो हाथो से पकड़ लिया…अंजू विनय के लंड के सुपाडे को अपने दोनो होंटो में दबा-2 कर चूसने लगी… जिससे विनय का लंड कुछ ही पलों में एक दम लोहे की रोड की तरह खड़ा हो गया…
 
अंजू ने विनय के लंड को मूह से बाहर निकाला और फिर बेड पर घूमी विनय की तरफ पीठ कर ली….और फिर घुटनो के बल बेड के किनारे पर बैठते हुए, उसने साड़ी और पेटिकोट को एक साथ उठा कर अपनी कमर तक ऊपर उठा लिया और फिर आगे की तरफ झुकते हुए डॉगी पोज़िशन में आ गये…उसने अपने फेस को घुमा कर पीछे खड़े विनय के तरफ देखा और फिर मदहोशी से भरी मस्त आवाज़ में बोली….”आज जा विनय बाबू डाल दो अंदर….और निकाल लो दिन की जुदाई की भडास…” ये कहते हुए अंजू ने अपनी जाँघो को फेला लिया…..

और आगे की तरफ झुकते हुए अपने सर को बेड पर टिका दिया….जिससे अंजू की गान्ड जैसे ही ऊपर की तरफ उठी, तो उसकी चूत का छेद पीछे की तरफ बाहर को निकल आया….विनय तो जैसे इस पल के लिए कब से तड़प रहा था. अब सारा डर धूल हो चुका था…वो अंजू के पीछे आया, और अपने लंड के सुपाडे को अंजू की चूत के छेद पर टिकाते हुए, अपनी कमर को आगे की तरफ पुश किया….विनय का लंड जो कि अंजू के थूक से गीला होकर चिकना हो गया था…अंजू के सुखी फुद्दि में घुसता चला गया….”शीई अह्ह्ह्ह ओह विनय बाबू…….हाआँ डाल दो पूरा का पूरा अंदर…ओह्ह्ह….” अंजू ने अपनी गान्ड को पीछे की ओर किया तो, विनय का लंड सरकता हुआ, अंजू की चूत मे घुसता चला गया….]

लंड चूत मे जाते ही, विनय उतावलों की तरह अपने कमर को तेज़ी से हिलाते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा…थोड़ी ही देर मैं अंजू की चूत ने भी अपने कामरस का खजाना खोल दिया…अब अंजू की चूत से निकल रहे पानी से विनय का लंड और भी चिकना होकर आसानी से अंदर बाहर होने लगा….”अहह शियीयीयियीयियी अहह अहह उंह हाआँ और ज़ोर से ठोको अपना खुन्टा अह्ह्ह्ह हइई मेरीए चूत….आह ….” 

अंजू भी एक दम मस्त हो चुकी थी….विनय अब अपना लंड सुपाडे तक बाहर निकाल-2 कर अंजू की चूत की गहराईयो मे घुसा रहा था…करीब 10 मिनिट की चुदाई के बाद दोनो बुरी तरह से झड़ने लगी….जब विनय का लंड सिकुड कर बाहर आया तो, अंजू ने विनय को जल्दी से नीचे जाने के लिए कहा…विनय ने अपने लंड को वहाँ पड़े कपड़े से सॉफ किया और फिर वो नीचे आ गया….

विनय नीचे आ गया….वो मन ही मन बहुत खुश था…मन में लड्डू फूट रहे थे…..अंजू ने खुद घर आकर उसे चूत दी दी थी. ऐसे मोके तो अब मिलते ही रहेंगे…विनय बाहर हाल में बैठ कर टीवी देखने लगा…..किरण नहा कर बाहर आई, उसने साड़ी पहनी हुई थी. उसके खुले हुए भीगे बाल जो उसके चुतड़ों तक लंबे थे…किसी को भी अपना दीवाना बना सकती थी…अपने मामी के गोरे और कामुक बदन को देख कर विनय के दिमाग़ मैं कल दोपहर वाली घटना फिर से ताज़ा हो गयी. उसका बस नही चल रहा था…नही तो वो अभी मामी के पास जाता और उससे बाहों में भर कर उसके आगोश में समा जाता….

तभी डोर बेल बजी तो, किरण ने बाहर जाकर गेट खोला….सामने अभी खड़ा था…उसने किरण के पाँव छुए….और विनय के बारे पूछा. “ मामी विनय भैया को मम्मी बुला रही है…” किरण ने वही से विनय को आवाज़ दी तो, विनय उठ कर गेट की तरफ चला गया…” जी मामी” उसने किरण की ओर देखते हुए कहा….”जा बेटा तेरी मासी बुला रही है…” विनय अभी के साथ उसके घर चला गया…किरण ने गेट बंद किया और वापिस अंदर हाल में आ गयी….

और टीवी देखने लगी……थोड़ी देर बाद अंजू भी अपना काम निपटा कर नीचे आ गयी…किरण ने घड़ी में टाइम देखा अभी 11 ही बजे थे… घर का सारा काम निपट चुका था…अब 1 बजे दोपहर का खाना ही बनाना था…”हो गयी सफाई ऊपर भी….” किरण ने मुस्कराते हुए पूछा…”जी हो गयी…अब और क्या करना है….” अंजू नीचे बिछी चटाई पर बैठते हुए कहा….

किरण: कुछ नही अभी थोड़ा आराम कर ले…फिर 1 बजे खाना बनाना है.

अंजू: जी…

किरण: (अपने हाथो की तरफ देखते हुए…) इतनी गरमी है की, पूरी स्किन रूखी सी हो गयी है…..

अंजू: दीदी जी आप नहाने से पहले तैल लगा लिया करो…..

किरण: नही कल इनसे बॉडी लोशन मँगवाया था….वो लगा लेती हूँ….

ये कह कर किरण कुर्सी से उठी, और अपने रूम में चली गयी…वहाँ से बॉडी लोशन के बॉटल ली और फिर हॉल मे आ गयी….और फिर कुर्सी पर बैठ कर अपने हाथों और बाहों पर बॉडी लोशन लगाने लगी…फिर उसने थोड़ा सा बॉडी लोशन हाथ मे लिया और अपनी गर्दन के पीछे की तरफ लगाने लगी….ऐसा करते हुए, किरण को थोड़ी परेशानी हो रही थी… “दीदी जी आप कहो तो मैं लगा दूं….” अंजू ने मुस्कुराते हुए कहा….

अब किरण को इससे ज़्यादा और क्या चाहिए था…नौकरानी भी मिली ओए ऐसी मिली कि उसका हर तरह का काम करने से इनकार ना करे…. “हां चल तू आकर लगा दे….” किरण ने मुस्कराते हुए कहा….अंजू वहाँ से उठी और किरण के पीछे आकर खड़ी हो गयी….उसने बॉटल से अपने हथेली पर बॉडी लोशन टापकया और फिर बॉटल को टेबल पर रखा…फिर अपने दोनो हाथों को आपस मे मला और किरण की गर्दन के पीछे बॉडी लोशन लगाने लगी…अंजू के नरम हाथो का अहसास किरण को बेहद सुखद महसूस हो रहा था…मानो जैसे उसकी काफ़ी दिनो की थकान ख़तम हो गयी हो…..

अंजू धीरे-2 अपने हाथो को उसकी गर्दन और खुले हुए कंधो पर घूमते हुए सहला रही थी….”अर्रे वाह आंजू तू तो मालिश भी बहुत अच्छी कर लेती है…” किरण ने आँखे बंद करते हुए कहा…तो अंजू ने भी शोखी मे आते हुए, अपने किस्से सुनाना शुरू कर दिए….” ये तो कुछ भी नही दीदी जी….पता है मेरे गाओं में कई औरतें आती थी…मेरे पास मालिश करवाने के लिए…..सभी कहती थी कि, अंजू तेरे हाथो में तो जादू है…..” किरण अंजू की बात सुन कर हँसने लगी… “ तो तू गाओं में ये काम करती थी….” किरण ने आगे की तरफ झुकते हुए कहा…ताकि अंजू ठीक से उसके गर्दन और पीठ के मालिश कर सके. 

अंजू: अब क्या करती दीदी….गाओं की औरतें सब जानकार थी….माना भी तो किसी को नही कर सकती थी….मालिश करवाती तो खुद ही कुछ ना कुछ दे जाती….

किरण: हां सही कहती थी…तुम्हारे गाओं की औरतें….बहुत सकून मिल रहा है….

अंजू उसके कंधो और पीठ पर हाथों से सहलाते हुए, बीच-2 में जब उसके कंधो को दबाती तो, किरण के बदन को ऐसा सकून मिलता. कि उसका दिल करने लगा कि, अंजू ऐसे ही उसकी मालिश करती रहे….. “ये तो बस ऐसे ही कर रही हूँ…असली मालिश तो अभी मेने की ही नही…आप करवाएँगी मुझसे मालिश….” उसने किरण के सामने आते हुए कहा… तो किरण ने अपनी आँखे खोल कर अंजू की तरफ देखा…

किरण: क्या इस समय….?

अंजू: हां क्यों….?

किरण: पर अभी तो मेने नहा लिया…..

अंजू: तो क्या हुआ….ये क्रीम तो नहाने के बाद भी लगाते है ना, इस से कर देती हूँ…

किरण: (कुछ देर सोचने के बाद…) चल ठीक है कर दे…

अंजू: ठीक है दीदी…पहले आप ये साड़ी उतार कर कोई पुरानी धुलने वाली पेटिकोट पहन लो…यहा बाँध लीजिएगा…..

अंजू ने अपनी चुचियों की तरफ इशारा करते हुए कहा, तो किरण मुस्कुराइ और उठ कर बाथरूम में चली गयी…एक-2 करके उसने अपने सारे कपड़े उतार दिया…और जो पेटिकोट उसने नहाने के समय उतारा था…उसे अपनी चुचियों पर बढ़ा लिया….और बाहर आ गये…..अंजू बाहर चटाई पर बैठी हुई इंतजार कर रही थी….जब किरण आए तो, अंजू ने वहाँ पर एक साइड में लगे हुए पलंग से एक तकिया उठाया और उसे चटाई पर रख दिया…. “आप यहाँ लेट जाए….पैट के बल…” अंजू ने चटाई की तरफ इशारा करते हुए कहा. तो किरण चटाई पर पैट के बल लेट गयी…

अंजू बॉडीलोशन की बॉटल लेकर उसके बगल में बैठ गयी…फिर अंजू ने किरण के पेटिकोट को उसके घुटनो तक उठाया….और अपनी हथेली में बॉडी लोशन लगा कर किरण की पिंदलियों पर लगाते हुए मालिश करने लगी… अंजू के हाथों का स्पर्श किरण को बहुत सकून दे रहा था…अंजू भी पूरे मन के साथ किरण के पैरो से लेकर पिंडलयों तक मालिश कर रही थी….उसने करीब 6-7 मिनिट तक किरण के पैरो से लेकर पिंडलियों तक मालिश की, और फिर उसने किरण के पेटीकोटे को और ऊपर सरकाते हुए, उसके चुतड़ों तक ऊपर चढ़ा दिया….इतना ऊपर कि किरण की वाइट कलर की पैंटी भी सॉफ नज़र आने लगी….
 
किरण ने भी कोई ऐतराज ना किया…अंजू भी तो औरत थी…अब भला उससे क्या शरमाना…”सच अंजू तू तो बहुत अच्छी मालिश करती है. कहाँ तू ये घर के कामो मे लगी है….मालिश का काम ही कर ले… जिनके नये बच्चे होते है….वो लोग तो औरतों की मालिश करने वाली औरतों को ढूंढते फिरते है….”

किरण ने अंजू की हॉंसला अफजाई की तो, अंजू भी खुश हो गयी…. “नही दीदी जी…मुझे पैसो के लिए ये काम करना अच्छा नही लगता. वो आपके यहाँ तो काम कर रही हूँ, इसीलिए आपकी मालिश कर रही हूँ…” अंजू ने फिर से बॉडी लोशन को अपनी हथेलयों में टपकाया और किरण की जाँघो पर लगाते हुए उसकी जाँघो की मालिश करने लगी…जब उसकी जांघों की मालिश करते हुए अंजू के हाथ किरण की जाँघो के अंदर की तरफ आते, तो किरण के बदन मे सरसराहट सी दौड़ जाती…. “अहह अंजू….बहुत सकून और मज़ा मिलता रहा है….” किरण ने सिसकते हुए कहा…

अंजू: दीदी एक बात कहूँ….?

किरण: हां बोलो….क्या बात है….?

अंजू: दीदी आपकी स्किन कितनी सॉफ्ट है…और एक दम गोरी भी…

किरण: ह्म्‍म्म अच्छा….

अंजू: हां दीदी सच में, आपके पति तो आपसे बहुत प्यार करते होंगे…

अंजू ने मानो जैसे किरण की दुखती रग पर हाथ धर दिया था….किरण तो एक दम से उदास सी हो गयी….और कुछ बोल ना पे….”दीदी क्या हुआ, सच कहा ना मेने….?” अंजू ने अपने हाथो को किरण की जाँघो पर और थोड़ा सा ऊपेर लेजाते हुए कहा, तो किरण अंजू के हाथों की उंगलियों को अपनी जाँघो पर चूत के पास महसूस करके सिहर उठी…..”श्िीिइ… “ कहाँ अंजू, तुम्हे ऐसा लगता होगा…पर ऐसा है नही…..”

अंजू: क्यों क्या हुआ….मैने कुछ ग़लत बोल दिया….

अंजू अब किरण की जाँघो की जडो तक आ चुकी थी…और अब उसकी उंगलियाँ और किरण की पैंटी मे कसी हुई चूत के बीच 1-2 इंच का फंसला ही रह गया था…” सच बताऊ तो अंजू….इनके पास टाइम नही होता मेरे लिए….सुबह 6-7 बजे ही चले जाते है, और रात को 10-11 बजे आते है… और आते है तो बहुत थके हुए होते है….खाना खाते हैं और सो जाते है…” किरण ने भी अपने दिल के भडास अंजू के सामने निकाल दी…”और तू बता तेरा पति तो 2 -3 बजे के बाद तो फ्री हो जाता होगा….तुम तो बहुत खुश किस्मत हो…”

अंजू: क्या खाक खुश किस्मत हूँ दीदी….कहते है ना दूसरी की थाली में पड़ा लड्डू बड़ा नज़र आता है…वैसे ही मेरा हाल है. शादी को इतने साल हो गये…अभी तक एक बच्चा भी नही दे पाए जी मुझे…

किरण: क्यों कोई कमी है तेरे पति मे….

अंजू: दीदी अब एक हो तो बताऊ…अब कैसे कहूँ आपसे मुझे तो कहते हुए भी शरम आती है…

किरण: अर्रे इसमे शरमाने वाली बात क्या है…बता ना….मैने भी तो अपने दिल की बात तुम्हे बता दी है….

अंजू: ठीक है दीदी आप कहती हैं तो बता देती हूँ….

फिर अंजू ने किरण के पेटिकोट को और ऊपर सरकाते हुए, उसकी कमर तक ऊपेर चढ़ा दया…”दीदी इसे उतार दूं…” अंजू ने किरण की पैंटी को पकड़ते हुए कहा….”क्यों क्या हुआ….” किरण ने पीछे की तरफ फेस घूमाते हुए कहा…”यहाँ भी कर देती हूँ…आपको अच्छा लगेगा….” अंजू ने किरण के जवाब का इंतजार किए बिना ही उसकी पैंटी की एलास्टिक में अपनी उंगलियों को फसाया और नीचे सरकाने लगी…किरण ने भी अपनी गान्ड को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया….जिससे अंजू ने आसानी से पैंटी को उसकी टाँगो से निकाल कर साइड मे रख दिया…और फिर किरण चुतड़ों पर बॉडी लोशन लगा कर अपने दोनो हाथों से किरण के चुतड़ों को मसलते हुए मालिश करने लगी….

किरण के बदन में मानो मस्ती का ज्वालामुखी फूट पड़ा हो…उसका बदन एक दम से कांप गया…और किरण अपने आप को सिसकने से रोक ना सकी…..”श्िीीईईई ओह….” अंजू किरण को सिसकते हुए देख मुस्कुराइ और फिर बोली…” दीदी वो क्या है ना…मेरे पति का तो खड़ा ही नही होता. “ अंजू ने किरण के चुतड़ों को दोनो तरफ फेला कर मसलते हुए कहा…”शीइ क्या….? खड़ा नही होता…?” 

अंजू: हां दीदी…घर वालो ने सरकारी नौकरी देख मेरी शादी कर दी. फिर सुहागरात में ये दारू पीकर नशे मे आए..और आते ही सो गये. हफ़्ता गुजर गया….कुछ ना हुआ, और फिर धीरे-2 मुझे पता चला कि, इनमे प्राब्लम है….

किरण: (अंजू की बात सुन कर चोन्कते हुए…)क्या इसका मतलब तूने शादी के बाद से कभी वो किया ही नही….

अंजू: (मुस्कुराते हुए…) मैने ऐसा कब कहा….चलिए अब सीधी हो जाए….

किरण पलट कर सीधी हुई और पीठ के बल लेट गयी….वो हैरत से अंजू को देख रही थी….”अगर तुम्हारे पति का खड़ा नही होता तो तुमने किया कैसे…” किरण की बात सुन कर अंजू शरमाते हुए मुस्कुराइ और फिर धीरे से ऐसे बोली….जैसे कोई बहुत बड़ा राज़ खोलने वाली हो….”दीदी आप किसी को बताएँगी तो नही….” उसके कहने के अंदाज़ से ही किरण के मन में उत्सुकता जाग उठी…दिल तेज़ी से धड़कने लगा….

किरण: नही बताउन्गी….तू बता तो सही….

अंजू: दीदी वो सब किया तो बहुत बार है…पर अपने पति के साथ नही….

किरण: क्या तू ये क्या बोल रही है…किसके साथ किया फिर….?

अंजू: दीदी….इनकी बेहन का बेटा है…जब मेरी नयी-2 शादी हुई थी. तब वो मेरी ससुराल में हमारे पास ही रहता था…उस समय वो स्कूल मे था….उसी के साथ किया…..

किरण: क्या तूने अपने भान्जे के साथ…छि….

अंजू: तो दीदी मैं क्या करती…इनका तो खड़ा ही नही होता…नाम की शादी हुई थी…फिर क्या करती…बाहर किसी के साथ करती तो, इज़्ज़त जाने का ख़तरा रहता…इसीलिए घर में उसके साथ करना ही ठीक लगा….

किरण: तूने अपने भान्जे के साथ कर कैसे लिया….

अंजू: (अनु ने किरण की चुचियों के ऊपेर बँधे पेटिकोट के नाडे को खेंच कर खोल दिया…और फिर बॉडी लोशन को हाथो में लेकर उसकी चुचियों पर जैसे ही लगाने लगी तो, किरण के रोम-2 में मस्ती की लहर दौड़ गयी…) दीदी मैं ही जानती हूँ….मैं कितना तड़पती थी. जब मेरी सहेलियाँ….अपने पति के साथ हुई चुदाई के किस्से सुनाती थी….रहा नही जाता था…

अंजू अब धीरे-2 किरण की चुचियों पर बॉडी लोशन लगाते हुए सहला रही थी….जब किरण की चुचियों के तने हुए निपल्स अंजू की हथेलयों के बीच में रगड़ खाते तो, किरण मस्ती में एक दम सी सिसक उठती….. “हाई अंजू तूने अपने भान्जे से वो सब करवा लिया…” किरण ने मदहोशी में सिसकते हुए कहा…. “हां दीदी…और कोई तो था भी नही…वो हमारे यहाँ ही रहता था….इसीलिए उसके साथ ये सब करना मुझे आसान लगा. ये तो मेरे साथ रात को सोते भी नही थे…” 

किरण: तो फिर तूने ये सब कैसे कर लिया….वो तेरे साथ ये सब करने के लिए मान कैसे गया….

अंजू: दीदी **** से **** साल की उमर के लड़को में ये सब करने की बहुत तेज इच्छा होती है…वैसे ही मेरे भांजा भी था…नवीन… मेरी शादी को 2 महीने हो चुके थे….एक रात वो मेरे साथ सोया हुआ था..मेरा पति बाहर अंगान में सो रहा था….और सास ससुर भी….सर्दियों के दिन थे. वो मेरी चारपाई के साथ वाली चारपाई पर लेटा हुआ था….

आधी रात को मुझे ऐसा लगा कि, कोई मेरी चारपाई पर चढ़ कर मेरी रज़ाई में घुस गया है…जब मैने उस तरफ करवट बदल कर अंधेरे में पूछा तो, नवीन बोला….मामी सर्दी बहुत लग रही है….क्या मैं आपकी रज़ाई में आपके साथ जाउ….”

किरण: फिर तुमने क्या कहा….

अंजू: मेने उसे साथ सोने के लिए कह दिया….पर फिर वो…..(कहते-2 अंजू एक दम से चुप हो गयी…और शरमाते हुए मुस्कारने लगी….)

किरण: (किरण के बदन में अंजू की कही बातों ने जैसे आग लगा दी हो. अब वो सुने बिना रह नही सकती थी…) फिर क्या हुआ. जब उस समय करते हुए नही शरमाई तो, अब क्यों शर्मा रही हो…

अनु: क्या दीदी…अब ऐसी बात किसी के सामने करोगे तो, शरम तो आएगी ही ना…

किरण: देख तू मुझे दीदी कहती है ना…चल आज से तू मेरी सहेली है. और अपनी सहाली से कुछ नही छुपाते….अब जल्दी बोल…

अंजू: दीदी मैने उसे साथ सोने के लिए हां तो कर डी…..पर उस रात मेरा इतना बुरा हाल हुआ कि, मत पूछो….

किरण: क्यों किया उसने रात को…..

अंजू: दीदी कुछ किया तो नही…फिर मैं उसकी तरफ पीठ करके लेट गयी. और उसका वो मुझे मेरे यहाँ चुतड़ों के बीच सारी रात रगड़ ख़ाता हुआ महसूस होता रहा…हाई दीदी क्या बताऊ…मेरी हालत बहुत खराब हो गयी थी…जब सुबह उठी और नहाने गयी तो, देखा कि मेरी कच्छि एक दम नीचे से गीली थी….

किरण: श्िीीईईई फिर….(किरण के दिमाग़ मे पिछले दो दिनो में विनय के साथ हुई घटना मानो जैसे फिर से उसकी आँखो के सामने से गुजर गयी हो….)

अंजू: फिर क्या दीदी….वो बच्चा था….कच्चा खिलाड़ी था…सुबह मुझसे आँख नही मिला पा रहा था…डर रहा था बेचारा…फिर मुझे लगा क्यों ना इसी को पटा लिया जाए…घर की बात घर में ही रह जाएगी…

किरण: फिर तूने कैसे पटाया….उसे…..

अंजू: दीदी अपनी टाँगे थोड़ा सा खोला ना….

जारी है....................................
 
और फिर जैसे ही किरण ने अपनी टाँगो को खोला….अंजू ने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए, किरण की चूत की फांको पर रख दिया..और धीरे-2 मसलने लगी….”शियीयीयीयियी ओह्ह्ह्ह अंजू क्या कर रही है….” उसने अंजू का हाथ पकड़ते हुए सिसक कर कहा….”मालिश कर रही हूँ दीदी…आपके बदन को ठंडा कर दूँगी….” अंजू ने अपने हाथ से किरण की चूत की फांको और उसकी चूत के दाने को मसलते हुए कहा था…किरण मस्ती में एक दम से कांप गयी….उसकी आँखे बंद हो गयी….

अंजू: दीदी फिर वो बेचारा मुझसे डरता फिर रहा था….फिर मैने धीरे-2 बहाने बहाने से उसे अपने बदन दिखाना शुरू कर दिया…कभी जान बुझ कर उसे अपनी कच्छि दिखा देती….तो कभी झुक कर अपनी चुचियों को…एक बार वो आंगन में बैठा पढ़ रहा था….और मैं कपड़े धो रही थी…हम दोनो आमने सामने बैठे थी..मेरे ये और सास ससुर खेतों में गये हुए थे…फिर मेने बैठे-2 अपने पेटिकोट को ऊपेर उठा कर अपनी जांघे और झान्टो से भरी चूत खूब दिखाई उसे…

किरण: (सिसकते हुए…) फिर….? फिर कुछ किया उसने…”

अंजू: कहाँ दीदी कच्चा था ना….इसीलिए एक रात सोते हुए, मैने ही पहल कर दी….अपना पेटिकोट उठा कर उसके लंड पर अपनी गान्ड को रगड़ा. और फिर पता नही उसमे हिम्मत कहाँ से आई….और फिर उसने अपना लंड बाहर निकाल कर पीछे से मेरी चूत मे पेल दिया….

किरण: क्या सच्ची…पीछे से ही डाल दिया….

अंजू: हां दीदी…फिर क्या था…हो गया शुरू…लगा ठोकने वो मुझे. मैने भी पूरा साथ दिया…पर पहली बार था ना बेचारे का. जल्दी पानी निकाल दिया उसने…..

किरण: शाइयीईयी हाईए इसका मतलब फिर तेरी चूत प्यासी रह गयी…

अंजू: प्यासी तो तब रहती…अगर वो रहने देता….दीदी इन नये लड़कों मे चूत को लेकर बड़ा जोश होता है….हमेशा ऊपेर चढ़ने को तैयार रहते है….चाहे चार बार पानी फेंक दिया हो इनके लंड ने… पता नही कैसे खड़ा हो जाता है….

किरण: तो उसने फिर से किया…

अंजू: हां दीदी…इस बार तो मेरे ऊपेर ही चढ़ आया…हवा मे टाँगे उठा कर पेल दिया अंदर और कमर हिला -2 कर लगा चोदने…. फिर मेने भी खूब गान्ड उछाली और फिर जब चूत ने पानी फेंका तो, ठंडी हुई….फिर एक साल तक तो उसने मुझे खूब चोदा…

किरण: फिर तो तेरे बच्चा हो जाना चाहिए था..कभी पेट से नही हुई…

अंजू: नही दीदी…उसकी उम्र नही हुई थी…उसमे अभी वीर्य बनना शुरू नही हुआ था….और फिर हम यहाँ आ गये….और वो अपने माँ बाप के यहाँ चला गया….उसके बाद मोका नही मिला….

किरण: तो तू रोज करती थी उसके साथ….?

अंजू: मैं कहाँ दीदी उसके बाद तो वो जब हम घर पर अकेले होते…वो कही भी शुरू हो जाता..कई बार तो खड़े-2 ही चोदा उसने मुझे…सच मैं दीदी बड़ा मज़ा आता था..

किरण: क्या खड़े खड़े ही…

अंजू: हां दीदी आज कल के छोरो के शॉंक है ये सब…ऐसे ही अलग -2 तरह के तरीकों से करते है…बस इनकी बातों को मानते रहो….फिर देखो कैसे मज़ा देते है….”लो दीदी हो गया….मेरे कहानी भी ख़तम और आपकी मालिश भी…

किरण: अच्छा एक बात बता तुझे कभी ये नही लगता कि, तूने ये सब करके बहुत ग़लत किया है…पाप किया है….

अंजू: लो दीदी कॉन से जमाने मे जी रही हो आप….कैसे ग़लत हुआ भला. अगर ना करती तो, ऐसे घुट -2 कर मर ना जाती..जवानी यूँ ही निकल जाती. और किसी को क्या फरक पड़ा…हम दोनो ने ही मज़ा किया…आज वो अपनी जगह सुखी है..और मैं यहाँ….अच्छा दीदी आप अब नहाना हो तो नहा लो.


अंजू की बातों ने किरण के दिमाग़ मे वासना के आग जला दी थी….जिसका असर सीधा उसकी चूत पर हो रहा था…अंजू की बातें सुनते हुए, उसके जेहन मे विनय के साथ हुई वो घटना घूम रही थी..वो उठ कर बाथरूम मे आई, और अपना पेटिकोट उतार कर शवर लेने लगी….शवर लेने के बाद वो फिर से साड़ी पहन कर बाहर आ गयी…और दोपहर का खाना बनाने लगी….अंजू 1:30 बजे वापिस चली गयी…विनय और वशाली दोनो घर आए, और फिर तीनो ने खाना खाया…

अंजू की चुदाई की बातें उसके दिमाग़ से निकलने का नाम ही नही ले रही थी….विनय को खाना ख़ाता देख, उसके दिमाग़ में अंजू की कही हर बात घूम रही थी…वो अंजू की जगह खुद और उसके भान्जे की जगह विनय को रख कर वही सारी बात सोच रही थी….ये सब सोचते हुए, उसकी चूत में तेज खेंचाव सा महसूस होने लगा था….किरण की चूत लंड माँग रही थी…और लंड के लिए तरसते हुए अपना कामरस बहा रही थी….

विनय और वशाली दोनो खा कर अपने अपने रूम में चले गये…लेकिन वशाली थोड़ी देर बाद बाहर आई, और रिंकी घर चली गये…किरण ने गेट बंद किया और बर्तन उठाए किचन में रखे, सभी लाइट्स और पंखे बंद करके अपने रूम चली गयी… उसने अपनी साड़ी उतारी, और फिर ब्लाउस और पेटिकोट में बेड पर लेट गये….आज किरण के दिल में मानो जैसे कोई तूफान से उठा हो….रह-2 कर उसे अंजू की बातें याद आ रही थी….और अंजू की बात याद करती, तो विनय का शॉर्ट में तना हुआ लंड उसकी आँखो के सामने आ जाता…. “क्या ये सब संभव है….क्या ऐसा हो सकता है…क्या मैं और विनय. नही नही ये मैं क्या सोच रही हूँ…”

अगर विनय को पता चला कि, मैं उसके बारे में क्या सोच रही हूँ. तो वो क्या सोचेगा…पर चूत लंड माँग रही थी….जो उस समय किरण के पास नही था…जिसका था…वो उससे टाइम नही दे पाता था…किरण अपने ही ख्यालों मे खोई हुई थी कि, तभी उसे बाहर से कुछ आवाज़ आई. वो उठी और बाहर गयी….

किरण बाहर आए तो, उसने देखा कि किचन का डोर खुला हुआ था. वो किचन की तरफ बढ़ी. और जब वो किचन मे पहुँची तो, उसने देखा कि विनय फ्रिड्ज से कोल्ड ड्रिंक की बॉटल निकाल कर अपने लिए ग्लास में कोल्ड ड्रिंक डाल रहा था…जब उसने किरण की तरफ देखा तो किरण ने मुस्कराते हुए कहा…”विनय मेरे लिए भी ग्लास मे डाल दे….” विनय ने मामी की बात सुन कर एक और ग्लास उठाया और कोल्ड ड्रिंक डालने लगा…फिर उसने बॉटल को फ्रिड्ज मे रखा और बाहर आ गया….किरण ने किचन का डोर बंद किया, और फिर विनय के हाथ से कोल्ड ड्रिंक का ग्लास लेकर हॉल मे नीचे बिछे कार्पेट पर बैठ कर कोल्ड्ड्रिंक पीने लगी…

विनय भी मामी के पास बैठ गया….” क्या हुआ नींद नही आ रही…?” किरण ने विनय की तरफ देखते हुए पूछा…तो विनय ने ना मे सर हिला दिया…बिना साड़ी के अपनी मामी को पेटिकोट और ब्लाउस मे कसे हुए गोरे बदन जो थोड़ा सा भरा हुआ था…उसके लंड मे हलचल सी होने लगी थी…तभी विनय ने देखा कि, कोल्ड्रींक पीते हुए, ग्लास से कोल्ड्रींक छलकी और किरण की नाभि और पेटिकोट पर गिरी…किरण ने पेटिकोट पर गिरी हुई थोड़ी सी कोल्ड ड्रिंक तो सॉफ कर दी….पर नाभि पर गिरी कोल्ड ड्रिंक वैसे ही लगी रही…..

विनय का ध्यान अब बार-2 अपनी मामी की गहरी नाभि पर जा रहा था. दोनो ने कोल्ड ड्रिंक ख़तम कर ली थी…. “चल आजा मैं तेरा सर सहला देती हूँ…” ये कहते हुए वो विनय का हाथ पकड़ कर खड़ी हुई, और विनय को लेकर अपने रूम में आ गयी… फिर विनय बेड पर चढ़ गया. मामी ने एसी ऑन किया और बेड पर आई, और पालती मार कर बैठते हुए, उसने विनय के सर को अपनी गोद में रख कर उसके सर को सहलाना शुरू कर दिया….विनय का फेस किरण के पेट की तरफ था…जिससे विनय को मामी की नाभि पर कोल्ड ड्रिंक लगी हुई सॉफ नज़र आ रही थी…जो अब सुख चुकी थी. पर ऑरेंज कलर का निशान सॉफ दिखाई दे रहा था….

फिर अचानक से पता नही विनय को क्या हुआ, विनय ने अपने होंटो को मामी की नाभि पर रखते हुए चूसना शुरू कर दिया….विनय की इस हरक़त से किरण का जिस्म आग की तरह दहक उठा…पूरा जिस्म ऐसे थरथरा गया… जैसे किसी ने उसके पेट पर ठंडी बर्फ रख दी हो…उसने विनय के सर को दोनो हाथो से पकड़ कर उसके होंटो को अपनी नाभि से दूर काया…. “ ह उंह विनय ये क्या कर रहा है….” किरण ने हल्का सा हंसते हुए कहा….पर वो विनय की इस हरक़त से शॉक्ड भी हो गयी थी….

विनय को जब अहसास हुआ कि, वो क्या कर गया है. तो वो हकलाते हुए बोला. “ वो मामी यहाँ वो कोल्ड ड्रिंक गिरी थी….” उसने किरण की नाभि की तरफ इशारा करते हुए कहा तो, किरण ने भी सर को झुका कर अपनी नाभि की तरफ देखा तो, वही अभी भी ऑरेंज कलर का निशान था…. “विनय पागल हो…कोल्ड ड्रिंक पीने का मन है तो, फ्रिड्ज से और ले लो….” विनय मामी की बात सुन कर थोडा सा उदास हो गया…” वो मन नही है…बस ऐसे ही….मामी प्लीज़ इसे पी लूँ….” विनय ने नाभि की तरफ इशारा करते हुए कहा…तो वो विनय की बात सुन कर हंस पड़ी….

किरण: पागल हो गये हो क्या…

किरण ने विनय के सर को फिर गोद में रख कर सहलाते हुए कहा…और पता नही क्यों विनय को ऐसा लगा कि, मामी अब उसे मना नही करेगी. और ना ही गुस्सा….इसीलिए उसने फिर से अपने होंटो को मामी की नाभि पर लगा कर उस हिस्से को चूसना और चाटना शुरू कर दिया….” शियीयियीयियी विनय फिर से शुरू हो गये अहह नही प्लीज़ विनय मत करो ना…” किरण ने एक दम सिसकते हुए कहा…मन तो उसका भी नही था कि, विनय उसकी नाभि को चूसना और चाटना बंद कर दे….पर फिर लोक लाज के चलते हुए वो घबरा रही थी….”प्लीज़ मामी….” और ये कहते हुए उसने फिर से अपने होंटो को किरण की नाभि पर लगा दिया…किरण एक दम सिहर उठी…उसने अपना सर पीछे की तरफ लुडकाते हुए बेड की पुष्ट से टिका दिया….”शाइयीईयी उफ्फ विनय ये क्या पागल पन कर रहे हो आह अहह उंह” 

किरण की आँखे मस्ती मे बंद हो गयी थी…और फिर विनय ने जैसे ही अपनी जीभ को किरण की गहरी नाभि मे घुसा कर ज़ोर-2 घुमाया तो, किरण के रोंगटे मस्ती मे एक दम से खड़े हो गये….उसने विनय के सर को अपने दोनो हाथों से पकड़ते हुए अपने पेट से और चिपका लिया….” ओह्ह्ह्ह उंह विनय ना करो ना…..प्लीज़ मान जाओ ना…..शाइयीईयी हाईए…..” इस दौरान किरण सिर्फ़ बोल कर ही मना कर रही थी….पर उसने विनय को पीछे करने की कॉसिश नही की….किरण की चूत की आग एक बार फिर भड़क उठी थी…
 
उसे अपनी पैंटी के अंदर गीला पन महसूस होने लगा था…पूरा शरीर थरथर कांप रहा था…वो कभी मस्ती मे अपने सर को इधर उधर पटकती तो, कभी अपने होंटो को अपने दाँतों के बीच मे चबाने लगती….तभी किरण का ध्यान विनय के फूले हुए शॉर्ट्स की तरफ गया. तो किरण अपनी पलकें झपकाना भी भूल गयी….विनय का लंड उसकी शॉर्ट्स मे विशाल उभार बनाए हुए था….जिससे उसके लंड की लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा सॉफ लगाया जा सकता था.

किरण तो मानो जैसे साँस लेना भी भूल गयी हो…वो अपनी मदहोशी भरी आँखो से विनय के शॉर्ट्स मे बने हुए टेंट को देख रही थी. तभी उसे अंजू की कही हुई एक-2 बात उसके दिमाग़ मे कोंधने लगी. मानो जैसे अंजू की बताई हुई कहानी संजीव हो होकर उसकी आँखो के सामने आ गयी हो…किरण को अपनी चूत मे तेज कुलबुलाहट होती हुई सॉफ महसूस होने लगी थी…उसके हाथो की उंगलियाँ बेखयाली से विनय के सर के बालो मे थिरक रही थी…क्या विनय सच में मेरे जिस्म का लमस पाकर कर गरम हो गया है…क्या विनय का लंड सच मे मेरे बदन की गरमी से खड़ा हुआ है. क्या विनय सच में मेरे बारे में ऐसा कुछ सोचता है…जिसकी कल्पना भी कभी मेने नही की….

ये सब सवाल किरण के मन में एक -2 करके कोंध रहे थे….पर इनका जवाब खुद किरण के पास नही था. जवाब सिर्फ़ विनय के पास था. पर अब किरण विनय से जाने तो कैसे जाने…विनय की तो छोड़ो, अगर विनय सच मे मुझे एक औरत की तरह देखता है, तो क्या मुझे आगे बढ़ कर उससे संबंध बना लेने चाहिए…कम से कम इस तरसती चूत को एक लंड तो मिल जाएगा…..छि ये मैं क्या सोच रही हूँ…..विनय मेरे बेटे जैसा है. वो क्या सोचेगा…..मेरे बारे मे…. क्या सोचेगा अगर वो खुद ही यही चाहता हो….बेटे जैसा है…पर बेटा तो नही…किरण तू किस जमाने मे जी रही है….आज कल तो ये आम बात है…वो देहातन अंजू ने भी तो अपने भानजे के साथ….

तभी किरण को अहसास हुआ, कि, विनय उसकी गोद मे लेटा-2 सो गया है. उसने विनय को सीधा करके बेड पर लिटा दिया…और उसके चेहरे की ओर देखा….अभी भी उसके चेहरे पर वही मासूमियत झलक रही थी. जिस पर किरण अपनी जान छिढ़कती थी….फिर वो अपने आप को उसकी शॉर्ट्स की तरफ देखने से ना रोक पाए…पर अब वहाँ कोई उभार नही था…विनय के साथ-2 उसका लंड भी सो चुका था…..उसने विनय के माथे पर प्यार से चूमा और फिर खड़ी होकर बाहर आई….”यी वशाली भी ना अभी तक नही आई….” किरण ने झुनझूलाते हुए कहा….

और फिर गेट खोल कर बाहर गयी…रिंकी का घर उनके घर के सामने ही था….उसने वहाँ जाकर डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद रिंकी ने डोर खोला वशाली भी उसके साथ मे ही थी….”तुझे घर नही आना क्या. देख कितना टाइम हो गया है…?” किरण ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए कहा….”आंटी मैं घर अकेली हूँ…वशाली को यही रहने दो ना. हम यही घर के अंदर ही तो है…गेट भी बंद कर रखा था….” रिंकी ने किरण की मिन्नत सी करते हुए कहा…..

किरण: अच्छा ठीक है…पर अब शाम को ही आना…मैं सोने लगी हूँ. नींद मत खराब करना गेट खटका कर….

वशाली: जी मम्मी….

जैसे ही किरण मूडी रिंकी ने फिर से गेट बंद कर लिया….किरण वापिस अपने घर मे घुसी और गेट बंद करके, अपने रूम मे चली गयी… जहा विनय उसके बेड पर आराम से सो रहा था…विनय को देखते ही, वही सब उसके दिमाग़ मे फिर से घूमने लगा….
किरण ने वो सब अपने दिमाग़ से निकालने की बहुत कॉसिश की, पर हर बार दिमाग़ की सुई वही आकर अटक जाती. फिर किरण ने मन ही मन एक फैंसला किया…और वो अब ये जानना चाहती थी कि, आख़िर विनय के मन मे है क्या…और ये जानना इतना आसान नही था…ये सब जानने के लिए किरण को अपनी कुछ मर्यादाओं को लंगाना ज़रूरी था….फिर उसने सब कुछ ताक पर रख दिया….किरण बेड पर आकर लेट गयी…उसने अपनी पीठ विनय की तरफ कर ली…और फिर बहुत देर सोचने के बाद उसने अपने पेटिकोट को अपने चुतड़ों तक ऊपेर उठा लिया….और फिर अपनी पेंटी नीचे सरकाते हुए, अपने बदन से अलग करके वही बेड के बिस्तर के नीचे रख डी. 

और फिर अपनी गान्ड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर विनय की तरफ पीठ करके लेट गयी…पर विनय तो गहरी नींद मे था..और अब किरण को इंतजार था विनय के उठने का….वो जानना चाहती थी कि, विनय जब उठेगा तो, उसे इस हालत में देख कर उसका क्या रियेक्शन होगा…क्या वो कुछ करेगा. या नही करेगा….पर ये सब तब पता चले…जब विनय नींद से बाहर आए…इसीलिए वो वैसे ही करवट के बल लेटी रही…इंतजार के सिवाए और वो कुछ कर भी नही सकती…पर इंतजार इतना लंबा हो गया की, उसे नींद आने लगी…और फिर किरण को आख़िर नींद ने अपने घेरे मे घेर ही लिया…

दूसरी तरह शाम के करीब 4:30 बजे विनय की नींद खुली….उसने अपनी आँखे खोली और अपने आप को मामी के रूम मे पाया….लाइट बंद थी. डोर भी बंद था…इसीलिए बहुत कम रोशनी थी रूम मे…पर इतनी थी. कि रूम मे आसानी से देखा जा सकता था….विनय को अब हल्का हल्का दिखाई देने लगा तो, उसने अपनी नज़र उस तरफ घुमाई…..जिस तरफ उसकी मामी लेटी हुई थी….जैसे ही उसके नज़र करवट के बल लेटी हुई अपनी मामी पर पड़ी तो, विनय की साँसे मानो उसके हलक मे ही अटक गयी हो. उसकी आँखो की पुतलियाँ ऐसे फेल गयी….जैसे उसने अपने सामने किसी अजीब सी चीज़ को देख लिया हो….

सामने उसकी मामी उसकी तरफ पीठ किए हुए करवट के बल लेटी थी…. उसकी मामी ने ब्लॅक कलर की प्रिंटेड साड़ी और ब्लॅक कलर का बहुत ही पतला सा ट्रॅन्स्परेंट ब्लाउस पहना हुआ था. यहाँ तक की उस ब्लाउस के नीचे पहनी हुई किरण की ब्लॅक कलर की ब्रा भी सॉफ नज़र आ रही थी. उसकी साड़ी और पेटिकोट उसकी कमर तक ऊपेर चढ़ा हुआ था…किरण के मोटे और बड़े-2 चुतड़ों को एक दम नंगा देखा, मानो जैसे विनय को साँप सूंघ गया हो…वो कुछ पल बिना पलकें झपकाए अपने सामने मनमोहक और कामुक नज़ारे को देखता रहा….उसके बदन मे तेज झुरजुरी दौड़ गयी….

फिर उसने घबराते हुए रूम मे चारो तरफ देखा, वशाली अभी तक रिंकी के घर से नही आई थी…मामी की मोटी गदराई हुई गान्ड देख उसके लंड ने शॉर्ट के अंदर अपना आकार लेना शुरू कर दिया था… और उसने सिसकते हुए, जैसे ही अपने लंड के ऊपेर हाथ रखा तो, उसके लंड ने ऐसा जबरदस्त झटका खाया कि, विनय का हाथ भी उसके लंड पर से छिटक गया. उसका दिमाग़ एक दम सुन्न हो चुका था…उसे ना की कुछ सुनाई दे रहा था…और ना ही कुछ समझ आ रहा था….किरण के नंगे चुतड़ों को देख तो 80 साल के बूढ़े का लंड भी खड़ा हो जाता.

उसके दिल की धड़कने तेज होकर इस बात की गवाही दे रही थी….कि उस समय विनय किस हद तक एग्ज़ाइटेड हो चुका था….दिल धक धक करता हुआ सीना फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था…उसके हाथ पैर, और यहाँ तक कि उसका पूरा बदन मामी के चुतड़ों को देखते हुए मारे रोमांच के कांप उठा था…उसे अपने गाले का थूक भी गटकना मुस्किल हो रहा था….वो चुप चाप धीरे-2 बिना आवाज़ किए किरण की तरफ मूह करके करवट के बल फिर से लेट गया…फिर धड़कते दिल के साथ कुछ देर इंतजार किया…और फिर थोड़ा सा घबराते हुए मामी की तरफ खिसका….फिर रुका और फिर से मामी की तरफ खिसका…और इस बार वो मामी के बदन के इतना करीब था कि, उसे मामी के गदराए हुए बदन से उठती हुई तपिश भी सॉफ महसूस होने लगी थी…..

विनय को ऐसा लगने लगा था कि, सिर्फ़ मामी के बदन की गरमी से उसका लंड पिघल जाएगा…और पानी छोड़ देगा….पर फिर भी विनय किसी तरह मैदान मे डटा रहा….वो कभी अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से सहलाता तो, कभी अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी मे कसकर दबा लेता….फिर उसने कुछ पलों के इंतजार के बाद अपने काँपते हुए हाथ को उठाया और किरण की नंगी कमर पर रख दिया…किरण तो बेचारी इसी का इंतजार करते-2 सो गयी थी….मामी की नंगी कमर को छूते ही, उसके बदन में मानो बिजली सी कोंध गयी हो….

उसने साँसे तेज हो चली थी….उसे साँस लेने में भी तकलीफ़ होने लगी थी….जब उसके नथुनो से हवा बाहर निकलती तो, उसकी आवाज़ भी उस रूम मे सॉफ सुनाई देती….फिर उसने अपनी कमर के नीचे वाले हिस्से को आगे की तरफ सरकाना शुरू किया….इंच दर इंच वो धीरे-2 अपनी कमर के नीचे वाले हिस्से को सरकाता हुआ आगे ले जाता रहा…और फिर जैसे ही उसका लंड शॉर्ट्स के ऊपेर से मामी के नंगे चुतड़ों पर टच हुआ, तो उसका पूरा बदन कांप गया…..दिल की धड़कने मानो जैसे थम गयी हो. उसने अपनी सांसो पर काबू पाते हुए, अपने सर को हल्का सा उठा कर किरण के फेस की तरफ देखा….

और फिर जब विनय को पूरा यकीन हो गया कि, मामी गहरी नींद में है…..तो उसने अपने सर को वापिस नीचे रख लिया….विनय ने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए, अपने लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़ा और फिर थोड़ा सा डरते हुए, अपने लंड को पकड़ कर किरण की गान्ड की दरार मे घुसाते हुए रगड़ने लगा….”अहह” विनय हल्का सा सिसक उठा. उसका लंड अब एक दम लोहे की रोड की तरह तन कर खड़ा था….वो शॉर्ट्स के ऊपेर से अपने लंड को किरण के चुतड़ों की दरार मे रगड़ कर मदहोश हुआ जा रहा था…..

पर आज मोका इतना अच्छा था कि, विनय उसे अपने हाथ से जाने नही देना चाहता था…वो थोड़ा सा पीछे की तरफ खिसका. और फिर अपने शॉर्ट्स की ज़िप खोल कर अपने लंड को बाहर निकाला….और फिर से पहले वाली पोज़िशन मे आ गया….कुछ पलों के इंतजार के बाद उसने फिर से अपने लंड को किरण के चुतड़ों की दरार मे रगड़ा…तो इस बार उसका लंड किरण की दरार मे सरकता हुआ, उसकी गान्ड के छेद पर जा लगा….”विनय की तो आत्मा अंदर तक हिल गयी….उसे अपने लंड के सुपाडे पर तेज सरसाहट महसूस हुई…

और अगले ही पल विनय की आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी…उसने अपने लंड से हाथ हटाया, और किरण की कमर को उसी हाथ से कसते हुए उससे एक दम चिपक गया…मामी के बदन के सुखद अहसास से विनय एक दम मदहोश हो गया था….वासना ने डर का जैसे दमन कर दिया था. और वासना के आवेश में विनय सब कुछ भूल बैठा था…वो धीरे-2 अपनी कमर को हिलाने लगा…उसके लंड का सुपाडा जब किरण की गान्ड के छेद पर रगड़ ख़ाता तो, उसका पूरा बदन सिहर जाता….

“किरण ने अपना एक हाथ पीछे लेजा कर विनय की जाँघ पर रखा हुआ था. वो अपने पीछे लेटे हुए विनय की जाँघ पर हाथ रखे अपनी गान्ड पीछे की ओर दाखेल रही थी…विनय का लंड उसकी गान्ड के छेद में अंदर बाहर हो रहा था…जब विनय अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद से बाहर खेंचता तो, किरण भी अपनी गान्ड को आगे की तरफ सरकाती. और फिर जब विनय अपने लंड को उसकी गान्ड के छेद मे चांपता, तो वो भी अपनी गान्ड विनय की तरफ पीछे की ओर धकेल्ती…जिससे विनय की जाँघो की जडे उसके चुतड़ों से आकर चिपक जाती…”ओह्ह्ह्ह उंह श्िीीईई विनय ओह्ह्ह……” तभी उसकी चूत मे तेज रिसाव होने लगा….आनंद चरम पर पहुँच गया….चूत से निकले पानी से उसकी काली घनी झन्टे एक दम से चिपचिपा गयी…

और फिर किरण एक दम से उठ कर बैठ गयी….उसकी साँसे उखड़ी हुई थी…उसने बेड पर नज़र मारी…पर वहाँ कोई नही था..उसकी साड़ी और पेटिकोट अभी तक उसकी कमर पर चढ़ा हुआ था….किरण ने अपनी आँखो को सॉफ किया…उबासी ली….”ओह्ह ये तो सपना था….” किरण अपने आप मे ही बुदबुदाई…फिर तभी उसके दिमाग़ मे आया कि, विनय भी तो यही सोया था…और अचानक से उसे ये सपना कैसे आ गया…क्या विनय ने उसके चुतड़ों को देख कर कुछ किया था…या फिर उसने देखा ही ना हो….
 
किरण अभी इन्ही ख्यालों मे खोई हुई थी कि, उसे अपने चुतड़ों की दरार मे और गान्ड के छेद पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ….उसने अपना एक हाथ पीछे लेजा कर अपनी गान्ड की दरार मे लगा कर देखा, तो वहाँ कुछ गीला सा फील हुआ….फिर उसने अपनी उंगलियों को अपने आँखो के सामने लाकर देखा तो, ये वाइट कलर की जेल जैसा कुछ था…किरण का दिल ये देख कर मानो जैसे धड़कना ही भूल गया हो….ये विनय के लंड से निकाला उसका वीरे था…..भले ही उस समय विनय रूम मैं नही था… पर वो अपने लंड के चाप किरण के चुतड़ों के बीच मे छोड़ गया था…..

किरण का शक अब यकीन में बदल चुका था….किरण को कुछ समझ में नही आ रहा था…आख़िर उसे ऐसा सपना क्यों आया…उसने कभी भी अपने पति से अपनी गान्ड नही मरवाई थी….किरण जानती थी कि, गान्ड मरवाने मे पहली बार कितनी तकलीफ़ होती है…और विनय ने सपने मे उसकी गान्ड मारी थी…..आख़िर ऐसा ही सपना क्यों आया…शायद विनय जब अपना लंड उसकी गान्ड के छेद पर रगड़ रहा था…तब वो कच्ची पक्की नींद मे हो….इसलिए उससे जब अपनी गान्ड के छेद पर जब विनय के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो इस तरह का सपना देखने लगी हो…..

किरण वही बैठी इसी तरह के क्यास लगा रही थी…कि उससे बाहर से डोर बेल सुनाई दी….वो बेड से उठी अपनी साड़ी ठीक की, और लाइट ऑन करके टाइम देखा तो, 5:30 बज रहे थे….

किरण रूम से निकल कर बाहर आई तो देखा विनय हाल मे बैठा हुआ टीवी देख रहा था….जैसे ही उसने विनय की तरफ देखा तो, विनय ने अपनी नज़रें चुरा ली….किरण विनय की तरफ देखते हुए गेट की तरफ चली गयी. किरण ने गेट खोला तो, सामने वशाली खड़ी थी…वशाली अंदर चली गयी….किरण ने गेट बंद किया और फिर बाथरूम मे घुस गयी…बाथरूम के डोर को अंदर से बंद किया और फिर अपनी साड़ी और पेटिकोट अपनी कमर तक उठा कर अपनी गान्ड पर लगे हुए विनय के सुख चुके वीर्य को धोने लगी…फिर उसने अपने चुतड़ों को टवल से पोन्छा और वहाँ पर लटक रही वाइट कलर की पैंटी उठा कर पहन ली. 

दूसरी तरफ वशाली विनय के पास जाकर सोफे पर बैठ गये थे…..जब उसने देखा कि मामी बाथरूम मे घुसी है, तो उसने मोका देखते हुए, विनय से कहा….”विनय….” 

विनय: हूँ….

वैशाली: वो रिंकी उस दिन के लिए सॉरी बोल रही है….

विनय: तो मैं क्या करूँ….मुझे अब उससे कोई बात नही करनी…

वशाली: विनय प्लीज़ उसे माफ़ कर दे ना….वो बार बार मुझसे कह रही थी कि, मेरे विनय से फिर से दोस्ती करवा दो…..

विनय: उस दिन तो वो अपने आप मे बड़ी बन रही थी…उससे कह देना कि, अब मुझे उससे दोस्ती नही करनी….

वशाली: प्लीज़ विनय मान जाओ ना….पता है वो कितना रो रही थी…

विनय: क्या वो क्यों रो रही थी….?

वशाली: इसलिए के अब तुम उससे बात नही करते….प्लीज़ भाई एक बार उसे माफ़ कर दो….सॉरी भी तो बोल रही है…..

विनय: ठीक है….पर उससे कह देना….आगे से कभी मेरा मज़ाक ना उड़ाए…..

तभी किरण बाथरूम से बाहर निकली तो दोनो एक दम से चुप हो गये. अब वशाली के पेट मे कीड़े कुलबुला रहे थे….वो जल्द से जल्द ये खबर रिंकी को बताना चाहती थी…आख़िर उसकी चूत का दाना भी तो अब फड़कने लगा था….रिंकी ने उसे अपनी भाई के साथ सेट्टिंग करवाने का प्रॉमिस किया था….इसलिए वशाली भी फिर से रिंकी का साथ देने लगी थी. किरण ने किचन मे पहुँच कर चाइ बनाई और फिर तीनो ने चाइ पी. शीतल भी अपने बच्चों को लेकर वहाँ आ गये…वशाली ने जब देखा के किरण अब मस्सी के साथ बातों में मगन है, तो खिसक कर बाहर चली गयी….और सीधे जाकर रिंकी को ये खबर बताए….

शीतल कुछ देर वहाँ बैठी और फिर किरण से कहा कि, उसे बाज़ार तक सब्जी लेने जाना है…ये बोल कर वो अपने बच्चो को छोड़ कर वही चली गयी…दूसरी तरफ विनय के स्कूल के बाहर एक औरत अपने चेहरे को दुपट्टे से पूरी तरह कवर किए हुए खड़ी थी…उसने गेट को दो तीन बार नॉक किया, तो अंजू ने थोड़ी देर बाद स्कूल का छोटा वाला साइड गेट खोला….”कैसी हो अंजू….?” उसने अंजू की तरफ देखते हुए कहा…..

अंजू: मैं ठीक हूँ….आप यहाँ कोई ज़रूरी काम था….?

औरत: मेने जो कहा था….वो काम हुआ कि नही…?

अंजू: धुँआ उठने लगा है….आग किसी भी समय भड़क सकती है….

औरत: (कुछ पैसे निकाल कर अंजू को देते हुए….) ये रखो जब मेरा काम हो जाएगा, तो तय की हुई कीमत तुझे मिल जाएगी….

अंजू: जी शुक्रिया…..आइए ना अंदर…

औरत: नही अभी मुझे काम है…..

अंजू: ठीक है जैसे आपकी मरजी…

उसके बाद वो औरत चली गयी….अंजू ने गेट बंद कर लिया….इधर किरण रात के खाने की तैयारी मे बिज़ी थी….पर दिमाग़ मे आज जो हुआ था. वही सब घूम रहा था….जब से वो उठी, तब से उसे अपनी चूत मे टीस उठती हुई महसूस हो रही थी….वो किचन मे काम करते हुए बार -2 मूड कर विनय को देख रही थी…विनय उससे नज़रें चुरा रहा था. ये किरण भाँप चुकी थी….और उसका अंदाज़ा अब और पक्का होने लगा था. कहते है ना चोर की दाढ़ी मे तिनका…वही हाल विनय का उस समय था. भले ही किरण ने अभी तक विनय से ऐसा कुछ नही कहा था…जिससे विनय को पता चलता कि, उसकी मामी को उसकी हरकतों का पता चल चुका है……पर फिर भी नज़ाने क्यों विनय के मन मे अजीब सा डर बैठा हुआ था….
 
चूत में उठती मीठी टीस उसे बार -2 विनय की तरफ देखने पर मजबूर कर रही थी…किरण की चूत चीख-2 कर लंड माँग रही थी. किरण ने रात का खाना तैयार कर लिया….और फिर अपना पसीना सुखाते हुए वो विनय और वशाली के पास जाकर बैठ गये….विनय सोफे के बीच मे बैठा हुआ था….एक तरफ वशाली थी….और दूसरी तरफ किरण….. “क्या हुआ बड़े चुप-2 हो तुम दोनो….” उसने विनय के बालो को सवारते हुए कहा. तो, विनय थोड़ा सा चोंक गया….हालाँकि चोन्कने वाली बात नही थी…वो थोड़ा सा घबराया हुआ लग रहा था…

उसे डर था कि, कही मामी को उसके लंड से निकले पानी का जो उसने मामी की गान्ड की दर्रार मे निकाला है…वो पता ना चल जाए….”आ ऐसे ही…” विनय ने हकलाते हुए कहा….और उठ कर अपने रूम मे चला गया, अब किरण समझ चुकी थी…कि विनय दोपहर की हरक़त के कारण डरा हुआ है. अब उसने फैंसला कर लिया था कि, जब उसे चोदने के लिए पागल एक लड़का घर मे जवान और फ्रेश लंड लेकर घूम रहा है…तो फिर वो क्यों मर-2 कर जिए….क्यों ना वो अपने बदन और चूत की प्यास को विनए के लंड से बुझा ले….आख़िर विनय भी तो उसका चोदना चाहता है…और पता नही कितनी बार वो मुझे ख्यालों मे चोद भी चुका होगा. और मुझे कुछ पता भी नही चला…..

यही सब सोचते हुए कब 8 बज गये…..किरण को पता ही नही चला… किरण की तंद्रा तब टूटी…..जब वशाली ने पास आकर उसे हिलाया….”क क क्या हुआ वशाली…..?” उसने वशाली की तरफ देखते हुए पूछा….”हहा हा मम्मा आप डर क्यों गये…?” वशाली ने हंसते हुए कहा….” नही तो वो मैं कुछ सोच रही थी…तू बता क्या हुआ….?” 

वशाली: मोम 8 बज चुके है….और मुझे भूख लगी है….

किरण: ठीक है….मैं खाना लगा देती हूँ…तुम जाकर विनय को बुला लाओ….

वशाली विनय को बुलाने उसके रूम मे चली गयी….किरण ने जल्दी से टेबल पर खाना लगाया….और फिर तीनो ने साथ मे ही खाना खा लिया…..उस रात को अजय 11 बजे घर वापिस आया…आज भी वो दारू पीकर आया था…इसलिए खाना खाया और बेड पर लेटते ही सो गया…किरण बेड पर लेटी हुई अपनी किस्मत को कोस रही थी….पर अब उसने आगे बढ़ने के बारे मे सोच लिया था…चाहे कुछ भी हो जाए…मैं अब और घुट-2 कर नही जी सकती….मुझे भी लाइफ को एंजाय करने का हक़ है…पिछले 8 सालो मे मैं इस घर मे सिर्फ़ नौकरो की तरह काम ही तो करती रही हूँ. 

अगली सुबन किरण 6 बजे उठी…उसने अजय को ब्रेकफास्ट बना कर दिया तो, बाकी सब के लिए भी पहले से ब्रेकफास्ट बना कर रख लिया…आज का प्लान उसके दिमाग़ मे तैयार था…वो जानती थी, कि उसे मंज़िल तक पहुँचना आसान काम नही है….पर जो उसने सोचा था…अगर वो धीरे-2 कदम सही ढंग से बढ़ेगे तो, वो जल्द ही विनय के लंड को अपनी चूत मे लेने का सपना पूरा कर सकती है…

अजय ऑफीस के लिए निकल गया….विनय और वशाली दोनो 7 बजे उठ गये…. दोनो नहा धो कर फ्रेश हुए, और ब्रेकफास्ट करके टीवी देखने लगी. तभी बाहर डोर बेल बजी तो, किरण ने जाकर गेट खोला….सामने रिंकी खड़ी थी….”नमस्ते आंटी जी…” रिंकी ने अंदर आते हुए कहा…
.”नमस्ते बेटा…..”

रिंकी: वशाली कहाँ पर है…?

किरण: अंदर ही है….

फिर रिंकी अंदर आई, किरण किचन मे बर्तन सॉफ करने लगी….जब रिंकी ने विनय को वशाली के पास बैठे देखा तो, उसने मुस्करा कर विनय की तरफ देखा….और फिर पहले वशाली की तरफ हाथ बढ़ाया…और हाथ मिलाने के बाद विनय की तरफ हाथ बढ़ाया….विनय ने रिंकी के फेस की तरफ देखा….जो बड़ी अदा के साथ मुस्करा रही थी…वशाली ने विनय को कोहनी मारते हुए इशारा किया तो, विनय ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया. “अब तो नाराज़ नही हो ना….?” रिंकी ने मुस्कराते हुए पूछा….तो विनय ने ना मे सर हिला दिया….

रिंकी: चल वशाली मेरे घर चलते है….

वशाली: चल ठीक है एक मिनिट मम्मी को बता दूं…

रिंकी: जल्दी कर….

वशाली किचन मे गयी…और किरण को बता कर रिंकी के घर चली गयी. किरण तो खुद चाहती थी कि, वो विनय के साथ घर मे अकेली रहे. पर जैसे ही रिंकी और वशाली गये, तो शीतल वहाँ आ धमकी….अपने बच्चो को भी साथ ली आई थी…..किरण बर्तन सॉफ करके बाहर आई…और नीचे चटाई पर बैठते हुए बोली….”हो गया घर का काम ख़तम दीदी…?” 

शीतल: हां अभी निबटा कर आई हूँ…और तुम्हारा….

किरण: बस सिर्फ़ सॉफ सफाई का काम बचा है….आंजू आ जाएगे तो वो भी ख़तम हो जाएगा….

शीतल: किरण ये तूने बहुत अच्छा किया….ये घर भी तो कितना बड़ा है. सॉफ सफाई करते-2 कमर टूट जाती होगी तेरी….

किरण: हां दीदी….

शीतल: अक्चा किरण मैं बाज़ार जा रही हूँ….बच्चो के लिए कुछ कपड़े लेने थे…तू भी साथ मे चल….तुझे तो कपड़ों की कवालिटी के बारे मे काफ़ी नालेज है….

किरण: दीदी पर घर का काम….

शीतल: वो नौकरानी किस लिए रखी है….वो कर देगे सॉफ सफाई..वैसे भी 1 डेढ़ घंटे मे वापिस आ जाएँगे…

किरण: ठीक है दीदी….आप बैठो मैं तैयार होकर आती हूँ….तब तक अंजू भी आ जाएगी…उसको काम समझा कर चलते है…..

शीतल: ठीक है….जल्दी कर…..
किरण उठ कर अपने रूम मे चली गयी…15 मिनिट बाद जब वो तैयार होकर बाहर आई तो, उसी समय अंजू भी वहाँ आ गयी….किरण ने उसे बताया कि सिर्फ़ सॉफ सफाई का ही काम करना है….और वो काम ख़तम कर जा सकती है….अंजू को काम समझाने के बाद वो शीतल और उसके बच्चो के साथ घर से निकल गये…उन सब के जाने के बाद अंजू ने गेट को अंदर से बंद किया और अंदर हाल मे आ गयी….वहाँ सोफे पर विनय को बैठा देख वो मुस्कराते हुए उसके पास चली गयी….और सोफे के सामने नीचे बैठते हुए उसने अपना एक हाथ विनय की जाँघ पर उसके लंड के पास रख दिया…..

अंजू: क्या हुआ मेरे राजा को…बड़े चुप चुप हो….

अंजू ने अपने हाथ की उंगलियों से जैसे ही विनय के लंड को छुआ तो, विनय के बदन मे झुरजुरी दौड़ गयी….उसने तरसती नज़रो से अंजू की तरफ देखा और उखड़ी हुई सांसो को संभालते हुए बोला…” क कुछ भी तो नही…” अंजू विनय की बात सुन कर मुस्कुराइ….”आज करना है….” अंजू ने विनय के लंड को उसके शॉर्ट्स के ऊपेर से सहलाते हुए कहा….तो विनय ने अंजू की आँखो मैं झाँकते हुए हां मे सर हिला दिया…

अंजू: ठीक है…लेकिन पहले काम ख़तम करना पड़ेगा….नही तो अगर दीदी घर आ गये….और काम ख़तम ना हुआ…तो क्या कहूँगी उनसे…. मैं जल्दी -2 काम ख़तम कर लेती हूँ….

विनय: ठीक है….

अंजू उठी और बाहर गेट के पास पड़ी हुई झाड़ू को उठा कर लाई…” विनय बाबू जी मेरे मदद करो ना काम करवाने मैं….जितनी जल्दी काम ख़तम होगा…उतना ज़्यादा टाइम हमे मिल जाएगा…” अंजू ने अपने होंटो को दाँतों मे दबाते हुए कहा….अंजू की ये अदा देख कर विनय के लंड ने शॉर्ट्स मे झटका खाया…”आप बालटी मे पानी भर कर रखो…तब तक मैं झाड़ू लगाती हूँ…” 

विनय: ठीक है….

विनय ने जलदी से बालटी उठाई…और बाथरूम मे जाकर उसमे पानी भरने लगा….पानी भर कर उसने उसमे पोच्छा डाल कर बालटी को बाहर ले आया…अंजू किरण के रूम की सफाई कर रही थी…विनय सीधा मामी के रूम मे चला गया…अंजू ने झाड़ू लगाते हुए विनय की तरफ देखा... विनय उसके ब्लाउस मे झाँक रही चुचियों को खा जाने वाली नज़रो से घूर रहा था…”विनय बाबू तुम्हे मेरी चुचियाँ अच्छी लगती है ना…?” अंजू ने विनय की आँखो मे झाँकते हुए पूछा…”हां” अंजू ने अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी चुचियों से हटा कर अपनी कमर मे फँसा लिया….”कितनी ….” उसने फिर से झुक कर झाड़ू मारते हुए कहा….

विनय: बहुत ज़्यादा….

अंजू: देखनी है….?

विनय: हां….

अंजू: बाहर का गेट बंद है ना….

विनय: हां बंद है…

अंजू: फिर थोड़ा सबर करो मेरे राजा….आज सब कुछ खोल कर दिखाउन्गि तुम्हे….फिर अंजू ने जल्दी जल्दी सारे कमरो मे झाड़ू मारा…और फिर उसने बालटी और पूछा लेकर हाल मे लगाना शुरू कर दिया…फिर अंजू ने सबसे पहले किरण के रूम मे पोन्छा मारा उसके बाद ममता के रूम मे फिर वो बालटी लेकर जब विनय के रूम मे आए तो देखा, विनय बेड पर बैठा हुआ था…उसने बालटी नीचे रखी…और नीचे पैरो के बल बैठ कर पोंच्छा लगाना शुरू कर दिया…
 
विनय के नज़ारे तो जैसे ब्लाउस मे से झाँक रही अंजू की चुचियों पर चिपक सी गयी थी….अंजू भी विनय की तरसती हुई नज़रों का मज़ा ले कर अपनी चुचियों को और झुका-2 कर दिखा रही थी….अंजू ने जल्दी से विनय के रूम मे पोन्छा लगाया….और फिर खड़े होकर बालटी उठाते हुए बोली….”बस निपट गया काम…मैं बालटी रख कर आती हूँ…” ये कह कर अंजू बाहर गयी….और बालटी और पोंछे को रख कर विनय के रूम मे आ गयी…विनय तो इसी पल के इंतजार मे बैठा हुआ था…अंजू जैसे ही विनय के पास आई, विनय बेड से नीचे उतर कर खड़ा हो गया…अंजू ने विनय के शॉर्ट्स मे तने हुए उसके लंड की तरफ देखा, और फिर मुस्कुराते हुए, अपना एक हाथ विनय के लंड पर शॉर्ट्स के ऊपेर रख दिया. 

अंजू: ये ऐसे ही खड़ा करके रखते हो क्या आप….?

अंजू ने जैसे ही शॉर्ट्स के ऊपेर से विनय के लंड को मुट्ठी मे भरा. तो विनय एक दम से सिसक उठा….”बोलो क्यों खड़ा कर रखा है इससे…” अंजू धीरे-2 विनय के लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से सहलाते हुए विनय की हालत का मज़ा ले रही थी…”मेरी चूत मे घुसने के लिए ना….?” उसने इस बार विनय के लंड को अपनी मुट्ठी मे भर हलका सा मसला, तो विनय एक दम से सिसकते हुए बोल पड़ा….”हां….” अंजू विनय की बात सुन कर मुस्कुराइ….”तो फिर इतनी से देर क्यों रुका हुआ था तू…” अंजू ने एक हाथ से विनय के लंड को सहलाते हुए दूसरे हाथ को नीचे लेजा ते हुए विनय के शॉर्ट्स को नीचे सरकाना शुरू कर दिया…..

फिर वो एक दम से नीचे पैरो के बल बैठ गई….विनय का शॉर्ट्स उसके बदन का साथ छोड़ चुका था….उसका तना हुआ 7 इंच का लंड हवा मे झटके खा रहा था….अंजू की आँखे विनय के झटके खाते तने हुए लंड को देख कर चमक उठी…”बोल ना फिर इतनी देर से क्यों रुका हुआ था. “ इस बार जैसे ही अंजू ने विनय के नंगे लंड को हाथ मे लेकर हिलाया तो, विनय को लगा जैसे उसके पैरो मे खड़े रहने के लिए जान ना बची हो….उसके हाथ पैर ऐसे कांप गए…जैसे वो सर्दी के मौसम मे बरफ पर नंगा खड़ा हो…”सीईईई अह्ह्ह्ह वो वो तुम काम कर रही थी….” विनय ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे कहा…

अंजू: तो क्या हुआ…मे तो कब से इंतजार कर रही थी कि, तुम कब मुझे पकड़ कर मुझे चोद डालो…..पर तुम तो किसी काम के नही हो….डरते हो मुझसे…..(अंजू ने विनय के लंड को तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया…)

विनय: क क्या सच मे…?

अंजू: (मुँह बनाते हुए) और नही तो क्या…..देखो तुम्हारा लंड चूत मे लेने के लिए मे साड़ी के नीचे पैंटी और ब्रा भी नही पहन कर आई…..ये देखो…

ये कहते हुए अंजू ने अपने ब्लाउज के हुक्स खोलने शुरू कर दिए. विनय नज़रें गाढ़े अंजू की चुचियों की तरफ देख रहा था…जैसे ही अंजू के ब्लाउज के हुक्स खुले तो, अंजू के 38 साइज़ की बड़ी-2 चुचियाँ उछल कर बाहर आ गई…साँवले रंग की चुचियों पर बने हुए काले रंग-2 के बड़े-2 गहरे और काले रंग के मोटे-2 निपल्स देख विनय के लंड ने झटके खाने शुरू कर दिए….पर अंजू ने अभी और कहर उसके लंड पर ढाना था. “देखा मे तुम्हारे लिए बिना ब्रा पहने आई…और ये देखो…. पैंटी भी नही पहनी नीचे…” ये कहते हुए उसने अपनी साड़ी और पेटिकोट को अपनी कमर तक ऊपेर उठा लिया…और अपनी जाँघो को फेलाते हुए अपनी चूत को विनय को दिखाते हुए बोली….

ये सब देखते हुए विनय का लंड झटके पे झटके खा रहा था…फिर अंजू ने विनय के लंड को मुट्ठी मे भर लिया और और विनय की आँखो मे झाँकते हुए बोली….”ओह्ह विनय बाबू ऐसा लंड मेरे नसीब मे होगा मेने कभी सोचा भी नही था…” ये कहते हुए उसने झुक कर विनय के लंड के सुपाडे को अपने मुँह मे भर लिया और अपना सर आगे पीछे करते हुए, तेज़ी से विनय के लंड को मुँह के अंदर बाहर करने लगी… किरण को गए हुए एक घंटा बीत चुका था….वो नही चाहती थी कि, किरण के आने से पहले वो प्यासी रह जाए….

उसने तेज़ी से सर हिलाते हुए विनय के लंड को चूसना शुरू कर दिया…फिर थोड़ी देर बाद विनय के लंड को मुँह से बाहर निकाला…और उस पर अपना थूक गिराते हुए, विनय के लंड के सुपाडे और चारो तरफ हाथ से हिलाते हुए फेलाने लगी….

विनय भी एक दम जोश से भर चुका था…उसने अपनी टीशर्ट भी उतार कर बेड पर फेंक दी थी….अंजू खड़ी हुई, और विनय के लंड को हिलाते हुए बोली…”चल बेड पर लेट जा…आज मुझे अपने घोड़े जैसे लंड पर सवारी करने दे….” 

विनय तो जैसे इसी पल के इंतजार मे अपनी जिंदगी काट रहा था…वो बेड पर एक दम सीधा लेट गया….अंजू बेड पर चढ़ि…और फिर अपने दोनो घुटनो को विनय की जाँघो के दोनो तरफ टिकाते हुए, उसके ऊपेर आ गई. “आज तो घर मे कोई भी नही है….आज खूब उछल-2 कर तेरे लंड पर चूत पटकुंगी….चल अब तैयार हो जा….”

ये कहते हुए उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए विनय के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया और….धीरे-2 अपनी चूत को नीचे की ओर दबाते हुए बैठने लगी…विनय के लंड का सुपाडा अंजू की पनियाई हुई चूत के छेद को फेलाता हुआ धीरे-2 अंदर घुसता चला गया….फिर जैसे ही विनय का पूरा लंड अंजू की चूत के गहराईयो मे उतरा, तो अंजू ने अपनी गान्ड को तेज़ी से ऊपेर नीचे करते हुए विनय के लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…”अहह सीईईईईईईई ओह्ह्ह्ह विनय….अह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आता है…जब तुम्हारा लंड मेरी चूत मे जाता है….”

अंजू पूरी रफतार से अपनी कमर और गान्ड को हिलाते हुए अपनी चूत के अंदर विनय के लंड को लेते हुए मस्त हुई जा रही थी…तभी अंजू का मोबाइल बजने लगा….”अहह सीईइ किस हरामी का फोन आ गया….” अंजू ने अपने कमर और गान्ड को हिलाने की रफतार कम कर दी…पर रुकी नही. उसने बेड पर पड़ा हुआ अपना मोबाइल उठा कर देखा…और फिर विनय की तरफ देख कर मुस्कराते हुए बोली….” रामू का फोन है…मेरा भड़वा ख़सम….” अंजू ने अपनी गान्ड को धीरे-2 उछलाते हुए कॉल को पिक किया और मोबाइल का स्पीकर ऑन कर लिया….
 
दूसरी तरफ से रामू की आवाज़ आई….

रामू: हेलो अंजू कैसी हो….?

अंजू: आह ठीक हूँ….तुम कब आ रहे हो वापिस सीईईईईईईई…..

रामू: क्या हुआ ठीक तो हो….4 दिन बाद की ट्रेन है….

अंजू: ठीक हूँ….

रामू: क्या कर रही हो….?

अंजू: सवारी कर रही हूँ….

रामू: सवारी ? क्या मे समझा नही….

अंजू: विनय के लंड की सवारी आह बहुत मोटा समान है अह्ह्ह्ह….

रामू: साली छिनाल वहाँ मज़े लूट रही है तू…

अंजू: तो तू भी ढूँढ ले वहाँ क्यों..जो तेरी गान्ड के कीड़ों को शांत कर सके….

रामू: अच्छा ये बता कैसा लगा तुझे विनय का लंड…

अंजू: सीईईईईई जी मत पूछो….सीधा बच्चेदानी पर ठोकर मारता है… हाइए जब चूत मे जाता है तो, ऐसा लगता है कि चूत ने मूतना शुरू कर दिया हो…अहह श्िीीईईईईईईईई उंह……

रामू: कर कर ऐश साली मेने ही ढूँढ कर दिया है….

अंजू: तू साले भडवे वापिस तो आहह…..

रामू: तो क्या करेंगी तू….

अंजू: विनय का लंड चूत मे लेकर तुझसे अपनी गान्ड चदवाउन्गी… और तू कर भी क्या सकता है….अहह विनय…..

रामू: तू पहले अपनी चूत को संभाल देखना कही सच मे मूत ना दे विनय के लंड पर….

अंजू: तू आ तो सही…जब तू यहाँ होगा और मेरी चूत विनय के लंड चुदने के बाद मूतेगी तो तेरे मुँह पर ही मूतुँगी……

रामू: अब तो सच मे दिल कर रहा है..कि वहाँ आकर देखूं कि विनय का लंड तेरी चूत की धज्जियाँ कैसे उड़ाता है….

उसके बाद रामू ने कॉल कट कर दी….अंजू ने अपनी गान्ड को ज़्यादा ऊपेर उठाया तो, विनय का लंड पक की आवाज़ करता हुआ, उसकी चूत से बाहर आ गया…अंजू विनय के ऊपेर से उठ कर डॉगी स्टाइल मे आ गई…इस बार अंजू को कुछ कहने की ज़रूरत नही पड़ी….विनय अंजू के पीछे आया और उसकी साड़ी और पेटिकोट जो उसकी जाँघो पर लटक आई थी…उन दोनो को एक साथ ऊपेर उठाते हुए. उसकी कमर पर रख दिया….फिर अंजू की चूत से निकले पानी से सने हुए अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर सेट करते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा….तो विनय का लंड अंजू की चूत की दीवारो को चीरता हुआ एक ही बार मे पूरा का पूरा घुसता चला गया….

विनय के इस जबरदस्त झटके से अंजू का मुँह एक दम से खुल गया…” अह्ह्ह्ह ओह विनय आह आराम से….” विनय तो अब जोश मे भड़क चुका था…उसने अंजू की कमर को पकड़ते हुए धक्के पे धक्के मारते हुए उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ानी शुरू कर दी…करीब 20 मिनिट की चुदाई के बाद विनय ने अपने लंड का माल अंजू की चूत की गहराइयों मे अडेलना शुरू कर दिया…अंजू दूसरी बार झड कर बेसूध हो गई थी….

उसके बाद विनय और अंजू दोनो उठे और दोनो ने जल्दी-2 कपड़े पहने…अंजू ने अपनी साड़ी और ब्लाउज को ठीक करने के बाद, बेड पर बिखरी हुई बेडशीट को ठीक किया और फिर सब देखा तो ठीक ठाक था….उसके बाद अंजू वहाँ से निकल गई….चुदाई का तूफान ठंडा हो चुका था…20 मिनिट अंजू की जबरदस्त चुदाई के बाद विनय का बदन पसीने से भीगा हुआ था…गरमी तो वैसे ही बहुत ज़्यादा पड़ रही थी… विनय गेट बंद करके बाथरूम की तरफ जाने लगा…बाथरूम मे पहुँच कर उसने नहाने के लिए जैसे ही अपनी टीशर्ट उतारी तो, डोर बेल बजी…विनय ने अपनी टीशर्ट वही टाँग दी….और बाथरूम से बाहर निकल कर बाहर जाकर गेट खोला…तो देखा सामने मामी हाथो मे शॉपिंग बॅग्स लिए खड़ी थी….

किरण: ऐसे क्यों घूम रहा है…शर्ट नही पहनी….?

विनय: वो मे नहाने जा रहा था…

किरण: (अंदर आ हुए….) सुबह ही तो नहाया था….

विनय: (गेट बंद करके कुण्डी लगाते हुए….) वो पसीना आ रहा था..इसीलिए…

विनय ने गेट बंद किया और बाथरूम मे चला गया…किरण ने हाल मे पहुँच कर डाइनिंग टेबल पर शॉपिंग बॅग रखे…और अपने रूम मे गई. किरण को घर आते हुए रास्ते मे पेशाब लगा था. घर ज़यादा दूर नही था….इसलिए वो रुकी नही और घर आ गई थी…..शॉपिंग बॅग रखने के बाद वो अपने रूम से बाहर आई…बाथरूम मे विनय घुसा हुआ था… घर मे सिर्फ़ दो ही बाथरूमस थे…एक ऊपेर और एक नीचे दोनो कामन बाथरूमस थे…वो ऊपेर जाने लगी तो, अचानक से उसके दिमाग़ मे कुछ आया तो, उसके होंठो पर मुस्कान फेल गई….वो कुछ देर सीडीयों के पास खड़ी होकर सोचती रही….और फिर वापिस नीचे वाले बाथरूम की तरफ गई…बाथरूम के डोर के पास पहुँच कर उसने डोर नॉक किया…और विनय को आवाज़ लगाई….

किरण: विनय एक मिनिट डोर खोल…

विनय: क्या हुआ मामी जी….

किरण: तो खोल तो सही…..जल्दी कर….

विनय उस समय अंडरवेर मे शवर के नीचे खड़ा था…. अंडरवेर पहना हुआ था…वो कई बार अंडरवेर मे मामी के सामने जा चुका था…इसीलिए उसने ऐसा कुछ सोचा नही….और बाथरूम का डोर खोल दिया…जैसे ही बाथरूम का डोर खुला तो, किरण बाथरूम के अंदर आ गई…बाथरूम के डोर की दहलीज से थोड़ा आगे आकर उसने डोर बंद किया…विनय थोड़ा सा घबरा गया….”क क क्या हुआ मामी जी….” उसने किरण की तरफ देखते हुए कहा…..”कुछ नही रास्ते मे ही बहुत तेज पेशाब लग गया था…और ज़्यादा देर नही रुक सकती थी….” ये कहते हुए वो अपनी साड़ी को नीचे देखते हुए ऊपेर उठाने लगी….अभी तक उसने विनय के चेहरे की तरफ नही देखा था…

उसने अपनी साड़ी और पेटिकोट अपनी जाँघो तक उठा लिया….मामी की गदराई हुए गोरी जाँघो को देख विनय का दिल जोरो से धड़कने लगा…फिर किरण ने अपने दोनो हाथो को उठी हुई साड़ी और पेटिकोट के अंदर डाला और अपनी पैंटी को पकड़ कर अपनी जाँघो तक सरका दिया….ये देख विनय की आँखे फटी की फटी रह गई….उसे अपनी आँखो पर यकीन नही हो रहा था…हालाकी मामी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट को जाँघो तक उठा रखा था…पर उसे मामी की चूत दिखाई नही दे रही थी…फिर किरण ने नीचे बैठते हुए एक दम से अपनी साड़ी और पेटिकोट को अपनी कमर तक उठा लिया….जैसे ही किरण नीचे बैठी, तो उसकी चूत से मूत की मोटी धार तेज सीटी जैसे आवाज़ करते हुए नीचे फरश पर गिरने लगी….विनय तो वही खड़ा-2 कांप गया….

उसे अपनी आखों पर यकीन नही हो रहा था….मामी की झान्टो से भरी चूत से निकलती हुई मूत की मोटी धार देख विनय का लंड उसके गीले अंडरवेर मे फिर से खड़ा होने लगा…किरण ने कनखियों से विनय की तरफ देखा, जो उसकी जाँघो के बीच बड़ी हैरानी से देख रहा था….विनय का लंड कुछ ही पलों मे अंडरवेर मे तन कर लोहे की रोड की तरह खड़ा होकर झटके खाने लगा…जैसे ही उसकी नज़र मामी की झान्टो से भरी चूत की फांको के बीच से झाँकते हुए चूत के गुलाबी छेद पर पड़ी, तो उसके लंड ने झटका खाते हुए आगे से अंडरवेर को ऊपेर उठा दिया. विनय के लंड मे तनाव आता देख किरण के होंठो पर मुस्कान फेल गई….वो सर नीचे किए हुए कनखियों से विनय को देख रही थी…..
 
Back
Top