hotaks444
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मैं फिर से जीने की कोशिश कर रहा था सभी लोग मेरी पूरी मदद कर रहे थे की मैं मानसिक रूप से थोडा ठीक हो जाऊ अब लगभग मेरी हर शाम इंदु के साथ ही गुजरती थी पर साथ ही मुझे नीनू की याद भी बहुत आती थी काश उस से यहाँ आने से पहले एक बार बात हो जाती तो उसका कांटेक्ट नंबर ले लेता
पर अभी क्या कर सकते थे इंदु की चुलबुलाहट मुझे अछी लगती थी पर बस ऐसे ही उस शाम हम लोग ऐसे ही छत पर बैठे थे ये सर्दियो की शुरुआत थी सूरज ढल रहा था तो उसकी लाली में इंदु का गोरा चेहरा चमक रहा था
मैं- पता नहीं क्यों आज तुम क्यों इतनी सूंदर लग रही हो
वो- चलो आज इतने दिन बाद तुमने ये तो जाना
मैं-एक बात पुछु
वो-हाँ
मैं-तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है
वो- स्सह्ह्ह् धीरे बोलो कोई सुन लेगा तो मेरी शामत आ जायेगी वैसे तुम्हे ये विचार कहा से आया की मेरा बॉयफ्रेंड है
मैं- बस ऐसे ही पूछ रहा था
वो- ना ऐसा कुछ नहीं है और ना मेरा इरादा है
पर तभी उसको नानी ने निचे बुला लिया तो बात अधूरी रह गई कुछ दिनों से मेरी कमर में दर्द हो रहा था तो मैं रात को नीचे फर्श पर बिस्तर लगा के सोता था ताकि कुछ आराम मिल सके अब सर्दी की शुरुआत थी तो सुबह बड़ी ज़ोरो की नींद आती थी मैं अपने कम्बल में लिपटा पड़ा था की इंदु कमरे में झाड़ू लगाने आई
ऊपर से उसी टाइम मैं एक सपना देख रहा था मस्त सा इधर वो मुझे उठाने लगी थोडा गुस्सा सा आया पर मैं उठ गया अब मैं बस कच्छे में ही था ऊपर से सपने की वजह से मेरा लण्ड खड़ा हुआ था अब कमरे में एक जवान लड़का और लड़की ऊपर से मेरा खड़ा लंड
इंदु की निगाह जैसे ही उधर पड़ी उसकी नजर जैसे जम गयी उसके गाल लाल हो गए पर तभी मुझे होश सा आया तो मैंने जल्दी से कम्बल को अपने शारीर पर लपेटा
मैं-क्या ऐसे ही घुस जाती हो
वो-और जो तुम ऐसे बेशर्मो की तरह
मैं- क्या बेशर्मो की तरह
वो-कुछ नहीं अब हटाओ अपना तामझाम मुझे झाड़ू निकालनी है
मैं अपने कपडे लेकर बाहर आ गया और कुछ देर बाद वापिस गया तो इंदु झाड़ू निकाल रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी वो झुकी हुई थी उसकी कुर्ती भी थोडा साइड में हुई पड़ी थी तो चाह कर भी मैं खुद को उसकी गोल मटोल गांड को निहारने से ना रोक पाया
टाइट सलवार में कैद उसके उन्नत नितम्बो पर जो नजर गयी लंड में सुरसुराहट सी होने लगी आज कई महीनो बाद मुझे ये अनुभूती हो रही थी तो दिमाग सा ख़राब होने लगा मैंने अपना तौलिया लिया और बाथरूम में आ गया
पर आज कई दिनों बाद मेरा लिंग इस तरह गरम हुआ था की अब इसको शांत करना बेहद जरुरी हो गया था तो मैं उसको हिलाने लगा की मेरी नजर सामने राखी कछि पर पड़ी मैंने उसको हाथ में लिया और सूँघने लगा चूत की जनि पहचानी खुशबू मेरे नथुनो से टकराई
मेरे लण्ड में और कसावट आ गयी मैं तेजी से उसको हिलाने लगा और थोडी देर बाद मैंने उस कच्छी पर ही अपना गाढ़ा पानी गिरा दिया उसको लापरवाही से ऐसे ही फेंक कर मैं नहा कर बाहर आ गया
फिर मैं शहर चला गया शाम को ही आया मामी ने मुझे चाय पकड़ाई जब वो चाय पकड़ा रही थी तो उनका आँचल थोडा सा सरक गया तो मेरी नजर उनके ब्लाउज़ से आधे बहार को आते उभारो पर पडी और वाही पर रुक गयी तो मामी धीरे से बोली- कहा खो गये, चाय लो
तो मेरा ध्यान टूटा मैं चाय की चुस्किया लेने लगा पर दिमाग में मामी की चूचियो का दृश्य घूम रहा था घर के कुछ छोटे मोटे काम करके बैठ कर मैं टीवी देख रहा था तो नानी बोली इंदु को जगा ला दोपहर से सोई पड़ी है
तो मैं ऊपर गया इंदु नींद में मगन बिस्तर पर औंधी पड़ी थी उसके फ़ुटबाल जैसे चूतड़ मेरी आँखों के सामने थे मैंने देखा उसकी सलवार का कुछ हिस्सा गांड की दरार में घुसा पड़ा था इतना उत्तेजक नजारा देख कर मेरा हाल बुरा हुआ तभी उसने करवट ली और अब सीधी हो गयी
उसकी छातियाँ साँस लेने से ऊपर निचे हो रही थी मेरा गला सूखने लगा मैंने धीरे से अपना हाथ उसके उन्नत उभारो पर रखा और हलके से दबाया तो ऐसा लगा की मेरे हाथ में जैसे ढेर सारी मुलायम रुई मेरे हाथ में आ गयी हो पर तभी उसके बदन में सरसरहट हुई तो मैं उस से दूर हो गया और उसको जगा के निचे आ गया
उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था तो मैं फिर से बाथरूम में गया और एक बार से वहा रखी पेंटी में से एक को अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारके आया
पर अभी क्या कर सकते थे इंदु की चुलबुलाहट मुझे अछी लगती थी पर बस ऐसे ही उस शाम हम लोग ऐसे ही छत पर बैठे थे ये सर्दियो की शुरुआत थी सूरज ढल रहा था तो उसकी लाली में इंदु का गोरा चेहरा चमक रहा था
मैं- पता नहीं क्यों आज तुम क्यों इतनी सूंदर लग रही हो
वो- चलो आज इतने दिन बाद तुमने ये तो जाना
मैं-एक बात पुछु
वो-हाँ
मैं-तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है
वो- स्सह्ह्ह् धीरे बोलो कोई सुन लेगा तो मेरी शामत आ जायेगी वैसे तुम्हे ये विचार कहा से आया की मेरा बॉयफ्रेंड है
मैं- बस ऐसे ही पूछ रहा था
वो- ना ऐसा कुछ नहीं है और ना मेरा इरादा है
पर तभी उसको नानी ने निचे बुला लिया तो बात अधूरी रह गई कुछ दिनों से मेरी कमर में दर्द हो रहा था तो मैं रात को नीचे फर्श पर बिस्तर लगा के सोता था ताकि कुछ आराम मिल सके अब सर्दी की शुरुआत थी तो सुबह बड़ी ज़ोरो की नींद आती थी मैं अपने कम्बल में लिपटा पड़ा था की इंदु कमरे में झाड़ू लगाने आई
ऊपर से उसी टाइम मैं एक सपना देख रहा था मस्त सा इधर वो मुझे उठाने लगी थोडा गुस्सा सा आया पर मैं उठ गया अब मैं बस कच्छे में ही था ऊपर से सपने की वजह से मेरा लण्ड खड़ा हुआ था अब कमरे में एक जवान लड़का और लड़की ऊपर से मेरा खड़ा लंड
इंदु की निगाह जैसे ही उधर पड़ी उसकी नजर जैसे जम गयी उसके गाल लाल हो गए पर तभी मुझे होश सा आया तो मैंने जल्दी से कम्बल को अपने शारीर पर लपेटा
मैं-क्या ऐसे ही घुस जाती हो
वो-और जो तुम ऐसे बेशर्मो की तरह
मैं- क्या बेशर्मो की तरह
वो-कुछ नहीं अब हटाओ अपना तामझाम मुझे झाड़ू निकालनी है
मैं अपने कपडे लेकर बाहर आ गया और कुछ देर बाद वापिस गया तो इंदु झाड़ू निकाल रही थी उसकी पीठ मेरी तरफ थी वो झुकी हुई थी उसकी कुर्ती भी थोडा साइड में हुई पड़ी थी तो चाह कर भी मैं खुद को उसकी गोल मटोल गांड को निहारने से ना रोक पाया
टाइट सलवार में कैद उसके उन्नत नितम्बो पर जो नजर गयी लंड में सुरसुराहट सी होने लगी आज कई महीनो बाद मुझे ये अनुभूती हो रही थी तो दिमाग सा ख़राब होने लगा मैंने अपना तौलिया लिया और बाथरूम में आ गया
पर आज कई दिनों बाद मेरा लिंग इस तरह गरम हुआ था की अब इसको शांत करना बेहद जरुरी हो गया था तो मैं उसको हिलाने लगा की मेरी नजर सामने राखी कछि पर पड़ी मैंने उसको हाथ में लिया और सूँघने लगा चूत की जनि पहचानी खुशबू मेरे नथुनो से टकराई
मेरे लण्ड में और कसावट आ गयी मैं तेजी से उसको हिलाने लगा और थोडी देर बाद मैंने उस कच्छी पर ही अपना गाढ़ा पानी गिरा दिया उसको लापरवाही से ऐसे ही फेंक कर मैं नहा कर बाहर आ गया
फिर मैं शहर चला गया शाम को ही आया मामी ने मुझे चाय पकड़ाई जब वो चाय पकड़ा रही थी तो उनका आँचल थोडा सा सरक गया तो मेरी नजर उनके ब्लाउज़ से आधे बहार को आते उभारो पर पडी और वाही पर रुक गयी तो मामी धीरे से बोली- कहा खो गये, चाय लो
तो मेरा ध्यान टूटा मैं चाय की चुस्किया लेने लगा पर दिमाग में मामी की चूचियो का दृश्य घूम रहा था घर के कुछ छोटे मोटे काम करके बैठ कर मैं टीवी देख रहा था तो नानी बोली इंदु को जगा ला दोपहर से सोई पड़ी है
तो मैं ऊपर गया इंदु नींद में मगन बिस्तर पर औंधी पड़ी थी उसके फ़ुटबाल जैसे चूतड़ मेरी आँखों के सामने थे मैंने देखा उसकी सलवार का कुछ हिस्सा गांड की दरार में घुसा पड़ा था इतना उत्तेजक नजारा देख कर मेरा हाल बुरा हुआ तभी उसने करवट ली और अब सीधी हो गयी
उसकी छातियाँ साँस लेने से ऊपर निचे हो रही थी मेरा गला सूखने लगा मैंने धीरे से अपना हाथ उसके उन्नत उभारो पर रखा और हलके से दबाया तो ऐसा लगा की मेरे हाथ में जैसे ढेर सारी मुलायम रुई मेरे हाथ में आ गयी हो पर तभी उसके बदन में सरसरहट हुई तो मैं उस से दूर हो गया और उसको जगा के निचे आ गया
उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था तो मैं फिर से बाथरूम में गया और एक बार से वहा रखी पेंटी में से एक को अपने लंड पर लपेट कर मुठ मारके आया