hotaks444
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पापी परिवार--55
नीमा द्वारा कहे शब्द कान में पड़ते ही निकुंज थोड़ा नर्वस हो गया लेकिन तभी उसे अपनी मा की आवाज़ भी सुनाई दी.
कम्मो :- "नीमा !! तू कहीं पागल तो नही हो गयी, वो क्या सोचेगा हमारे बारे में."
"मुझे तो लगा था ऑस्ट्रेलिया रहने से निकुंज ऐसे फॅशन को हम से कहीं ज़्यादा बेहतर समझता होगा, तभी मैने उससे पूछा !! खेर छोड़ो बेटा, कोई बात नही" एक तरह से नीमा निकुंज को लल्लू साबित करते हुए बोली और सुन कर निकुंज का चेहरा गंभीर होने लगा.
"नही आंटी ऐसी कोई बात नही है, ज़रा पास से देखने पर फॅब्रिक का सही अंदाज़ा लगा पाउन्गा" निकुंज उन दोनो के करीब आते हुए बोला.
"आंटी ड्रेस काफ़ी अच्छी और हॉट है" निकुंज ने हाथ की मुट्ठी में कपड़े को मरोड़ते हुए कहा, उसकी आँखें ठीक नीमा की आँखों से जुड़ी हुई थी. वहीं शरम-वश कम्मो की पलकें झुक चुकी थी.
"तो तेरा मतलब !! मैं खरीद लू इसे ?" नीमा ने नॉटी स्माइल देते हुए पुछा.
"अब ये तो आप पर डिपेंड करता है आंटी, अगर आप इसे पहेन-ने में कंफर्ट फील करें तो बेशक खरीद लें" निकुंज भी मुस्कुरा दिया.
"देखा कम्मो !! कहा था ना मैने, निकुंज को हम से बेहतर नालेज है इन सब चीज़ो का और तू खामो-ख़ाँ परेशान हो रही थी" नीमा की बात डमी के पास खड़ी सेल्स-विमन ने सुनी और फॉरन उसे उतार कर बिलिंग काउंटर पर पहुचा दिया.
"तू भी कुच्छ ले ले कम्मो, कुछ अट्रॅक्टिव सा. मैं तो स्नेहा और अपने लिए अंडरगार्मेंट्स भी लेना चाहती हूँ" नीमा ने कम्मो के कंधे को झकझोर कर कहा तो वह किसी सपने से बाहर आई.
"ना ना !! मुझे कुच्छ नही लेना, तू ही कर शॉपिंग" कम्मो हड़बड़ाई.
तीनो जल्द ही लाइनाये सेक्षन में पहुचे, निकुंज को दिखा-दिखा कर नीमा ने काफ़ी बोल्ड स्टफ खरीदा. नेट, कॉटन ब्रा-पॅंटीस का अच्छा ख़ासा कलेक्षन उसके हाथ लग चुका था.
"बेटा !! शायद तेरी मा तेरे साथ होने से कंफर्ट फील नही कर रही, तू बाहर वेट कर तो मैं इसके लिए भी कुच्छ खरीद लू. ये अकेले तो कभी यहाँ आ नही पाएगी" नीमा का इशारा समझ कर निकुंज ने कम्मो की तरफ नज़र डाली, साड़ी के छोर को उंगलियों में घुमाती वह वाकाई बेहद शरमा रही थी.
"जी ज़रूर आंटी" अपनी मा को घूरता निकुंज शॉप से बाहर चला गया लेकिन अब तक की शॉपिंग ने उसे नीमा का दीवाना बना दिया था. उसका मन ना माना और वह शॉप के बाहर लगे ट्रॅन्स्परेंट मिरर से अंदर के हालात देखने लगा.
नीमा के लाख समझाने पर भी कम्मो कुच्छ खरीदने को तैयार ना हुई तो वे दोनो भी बिलिंग करवा कर शॉप से बाहर निकल आए.
"चल कम्मो !! मैं चलती हूँ, और बेटा निकुंज कभी आंटी के ग़रीब-खाने में भी आना" जाते वक़्त भी नीमा ने उसे अपने सीने से चिपका लिया, फिर सुडोल चुचियों का घर्षण और निकुंज गरमाने लगा.
"कम्मो तेरी बहुत तारीफ कर रही थी और तू है भी इसी लायक, खेर अपनी मा का ख़याल रखा कर बेटा. कब तक वह ज़िम्मेदारियों के बंधन में बँधी रहेगी, मुझे देख अपनी लाइफ को फुल एंजाय कर रही हू और वो सिर्फ़ इस लिए क्यों कि मेरे बच्चो का साथ मेरे पास है" नीमा ने निकुंज को बाहों से आज़ाद कर कयि तरह की घुट्टियाँ पिलाई और आगे बढ़ गयी लेकिन अचानक से वह पलटी और निकुंज को अपने पास बुलाया.
निकुंज दौड़ा "जी आंटी"
नीमा द्वारा कहे शब्द कान में पड़ते ही निकुंज थोड़ा नर्वस हो गया लेकिन तभी उसे अपनी मा की आवाज़ भी सुनाई दी.
कम्मो :- "नीमा !! तू कहीं पागल तो नही हो गयी, वो क्या सोचेगा हमारे बारे में."
"मुझे तो लगा था ऑस्ट्रेलिया रहने से निकुंज ऐसे फॅशन को हम से कहीं ज़्यादा बेहतर समझता होगा, तभी मैने उससे पूछा !! खेर छोड़ो बेटा, कोई बात नही" एक तरह से नीमा निकुंज को लल्लू साबित करते हुए बोली और सुन कर निकुंज का चेहरा गंभीर होने लगा.
"नही आंटी ऐसी कोई बात नही है, ज़रा पास से देखने पर फॅब्रिक का सही अंदाज़ा लगा पाउन्गा" निकुंज उन दोनो के करीब आते हुए बोला.
"आंटी ड्रेस काफ़ी अच्छी और हॉट है" निकुंज ने हाथ की मुट्ठी में कपड़े को मरोड़ते हुए कहा, उसकी आँखें ठीक नीमा की आँखों से जुड़ी हुई थी. वहीं शरम-वश कम्मो की पलकें झुक चुकी थी.
"तो तेरा मतलब !! मैं खरीद लू इसे ?" नीमा ने नॉटी स्माइल देते हुए पुछा.
"अब ये तो आप पर डिपेंड करता है आंटी, अगर आप इसे पहेन-ने में कंफर्ट फील करें तो बेशक खरीद लें" निकुंज भी मुस्कुरा दिया.
"देखा कम्मो !! कहा था ना मैने, निकुंज को हम से बेहतर नालेज है इन सब चीज़ो का और तू खामो-ख़ाँ परेशान हो रही थी" नीमा की बात डमी के पास खड़ी सेल्स-विमन ने सुनी और फॉरन उसे उतार कर बिलिंग काउंटर पर पहुचा दिया.
"तू भी कुच्छ ले ले कम्मो, कुछ अट्रॅक्टिव सा. मैं तो स्नेहा और अपने लिए अंडरगार्मेंट्स भी लेना चाहती हूँ" नीमा ने कम्मो के कंधे को झकझोर कर कहा तो वह किसी सपने से बाहर आई.
"ना ना !! मुझे कुच्छ नही लेना, तू ही कर शॉपिंग" कम्मो हड़बड़ाई.
तीनो जल्द ही लाइनाये सेक्षन में पहुचे, निकुंज को दिखा-दिखा कर नीमा ने काफ़ी बोल्ड स्टफ खरीदा. नेट, कॉटन ब्रा-पॅंटीस का अच्छा ख़ासा कलेक्षन उसके हाथ लग चुका था.
"बेटा !! शायद तेरी मा तेरे साथ होने से कंफर्ट फील नही कर रही, तू बाहर वेट कर तो मैं इसके लिए भी कुच्छ खरीद लू. ये अकेले तो कभी यहाँ आ नही पाएगी" नीमा का इशारा समझ कर निकुंज ने कम्मो की तरफ नज़र डाली, साड़ी के छोर को उंगलियों में घुमाती वह वाकाई बेहद शरमा रही थी.
"जी ज़रूर आंटी" अपनी मा को घूरता निकुंज शॉप से बाहर चला गया लेकिन अब तक की शॉपिंग ने उसे नीमा का दीवाना बना दिया था. उसका मन ना माना और वह शॉप के बाहर लगे ट्रॅन्स्परेंट मिरर से अंदर के हालात देखने लगा.
नीमा के लाख समझाने पर भी कम्मो कुच्छ खरीदने को तैयार ना हुई तो वे दोनो भी बिलिंग करवा कर शॉप से बाहर निकल आए.
"चल कम्मो !! मैं चलती हूँ, और बेटा निकुंज कभी आंटी के ग़रीब-खाने में भी आना" जाते वक़्त भी नीमा ने उसे अपने सीने से चिपका लिया, फिर सुडोल चुचियों का घर्षण और निकुंज गरमाने लगा.
"कम्मो तेरी बहुत तारीफ कर रही थी और तू है भी इसी लायक, खेर अपनी मा का ख़याल रखा कर बेटा. कब तक वह ज़िम्मेदारियों के बंधन में बँधी रहेगी, मुझे देख अपनी लाइफ को फुल एंजाय कर रही हू और वो सिर्फ़ इस लिए क्यों कि मेरे बच्चो का साथ मेरे पास है" नीमा ने निकुंज को बाहों से आज़ाद कर कयि तरह की घुट्टियाँ पिलाई और आगे बढ़ गयी लेकिन अचानक से वह पलटी और निकुंज को अपने पास बुलाया.
निकुंज दौड़ा "जी आंटी"