hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
माँ आधुनिक विचारों की, घूमने फिरने की, पहनने ओढ़ने की तथा मौज मस्ती की शौकीन थी। इसलिए मैं कोई भी हड़बड़ी नहीं करना चाहता था। मैं इंतजार कर रहा था की जल्द ही यह फूल खुद-बा-खुद टूट के मेरी गोद में गिरे। उसे विधवा से सुहागन बनाऊँ और उसका सुहाग मैं खुद बनँ।
दूसरे दिन स्टोर जाते समय मैं माँ को ब्यूटी पार्लर पर ले गया। पार्लर की माँ की उमर की अधेड़ मालेकिन मेरे स्टोर की परमानेंट ग्राहक थी, सो मेरा उससे बहुत अच्छा परिचय था। माँ की उमर की होने के बावजूद उसका फिगर, रहन-सहन और बनाव शृंगार बिल्कुल युवतियों जैसा था। उसकी टाइट जीन्स, स्लोगन लिखा टाप, बाबकट बाल, फेशियल से पुता चेहरा सब मुझे बहुत अच्छा लगता था। इस पार्लर में अधिकतर अधेड़ महिलाएं ही। आती थीं, जिनकी चाह उस मालेकिन जैसी बनने की रहती थी। मैंने उस पार्लर की मालेकिन से हाय हेल्लो की, माँ का उसे परिचय दिया और माँ को वहीं छोड़कर मैं अपने स्टोर में चला गया।
रात जब 8:00 बजे के करीब घर पहुँचा तो माँ ने ही दरवाजा खोला। माँ का चेहरा बिल्कुल चमक दमक रहा था। फेशियल, आइब्रो, बालों की कटिंग सब कुछ बहुत सलीके से की गई थी। मैं काफी देर माँ को एकटक देखते रह गया और माँ लज्जाशील नारी की तरह मंद-मंद मुश्कुराते हुए शर्मा रही थी।
विजय- “वाह... आज तो बदले-बदले सरकार नजर आ रहे हैं। माँ तुम्हें तो उस ब्यूटी पार्लर वाली मिसेज कपूर ने एकदम अपने जैसी नौजवान युवती सा बना दिया है। जानती हो वो भी तुम्हारी उमर की एक विधवा है पर क्या अपने आपको मेनटेन रखती है की बस मेरे जैसे नौजवान भी उसे देखकर आहें भरे...”
माँ- “तो उन आहें भरनेवालों में एक तुम भी हो। चलो हाथ मुँह धोकर तैयार हो जाओ, मैं खाना परोसती हूँ.”
फिर मैं थोड़ी ही देर में माँ के साथ डाइनिंग टेबल पर था। रोज की तरह हम माँ बेटों ने साथ-साथ खाना खाया।
मैं खाना खाकर आज अपने रूम में आ गया और बेड पर लेट गया।
दूसरे दिन स्टोर जाते समय मैं माँ को ब्यूटी पार्लर पर ले गया। पार्लर की माँ की उमर की अधेड़ मालेकिन मेरे स्टोर की परमानेंट ग्राहक थी, सो मेरा उससे बहुत अच्छा परिचय था। माँ की उमर की होने के बावजूद उसका फिगर, रहन-सहन और बनाव शृंगार बिल्कुल युवतियों जैसा था। उसकी टाइट जीन्स, स्लोगन लिखा टाप, बाबकट बाल, फेशियल से पुता चेहरा सब मुझे बहुत अच्छा लगता था। इस पार्लर में अधिकतर अधेड़ महिलाएं ही। आती थीं, जिनकी चाह उस मालेकिन जैसी बनने की रहती थी। मैंने उस पार्लर की मालेकिन से हाय हेल्लो की, माँ का उसे परिचय दिया और माँ को वहीं छोड़कर मैं अपने स्टोर में चला गया।
रात जब 8:00 बजे के करीब घर पहुँचा तो माँ ने ही दरवाजा खोला। माँ का चेहरा बिल्कुल चमक दमक रहा था। फेशियल, आइब्रो, बालों की कटिंग सब कुछ बहुत सलीके से की गई थी। मैं काफी देर माँ को एकटक देखते रह गया और माँ लज्जाशील नारी की तरह मंद-मंद मुश्कुराते हुए शर्मा रही थी।
विजय- “वाह... आज तो बदले-बदले सरकार नजर आ रहे हैं। माँ तुम्हें तो उस ब्यूटी पार्लर वाली मिसेज कपूर ने एकदम अपने जैसी नौजवान युवती सा बना दिया है। जानती हो वो भी तुम्हारी उमर की एक विधवा है पर क्या अपने आपको मेनटेन रखती है की बस मेरे जैसे नौजवान भी उसे देखकर आहें भरे...”
माँ- “तो उन आहें भरनेवालों में एक तुम भी हो। चलो हाथ मुँह धोकर तैयार हो जाओ, मैं खाना परोसती हूँ.”
फिर मैं थोड़ी ही देर में माँ के साथ डाइनिंग टेबल पर था। रोज की तरह हम माँ बेटों ने साथ-साथ खाना खाया।
मैं खाना खाकर आज अपने रूम में आ गया और बेड पर लेट गया।