Indian XXX नेहा बह के कारनामे - Page 7 - SexBaba
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Indian XXX नेहा बह के कारनामे

ससुर गुर्राता गया और अपने हाथ से अपनी जवान बहू की चूचियों को सहलाता, मसलता गया उसके चूसने के दौरान। उस वक्त आरती बेड पर घुटनों के बल थी और ससुर फर्श पर खड़ा हुआ था और हल्के-हल्के कमर हिलाते हुए अपने लण्ड को आरती के मुँह में ठूस रहा था, उसकी जिश्म पर अपनी हथेली फेरते हुए, उसके गले पर, पीठ पर, चूटरों पर, और धीरे-धीरे बूढा अपने हाथ को आरती की चूत तक ले गया। फिर उसने अपनी

उंगलियों को भीगता हुआ महसूस किया आरती की गीली चूत पर। ससुर ने आराम से अपने उंगलियों को चूत के अंदर घुसाया, जिससे आरती मुँह से लण्ड चूसते हुए एक तड़प भरी आवाज आई।

उसकी आवाज कुछ ऐसे आई- “हम्म्म... हम्म्म..” और फिर ससुर अपनी उंगलियों को उसकी चूत के अंदर-बाहर करने लगा जैसे उसको उंगलियों से चोद रहा हो उस वक़्त।

कुछ देर के बाद ससुर उसकी चूत चाट रहा था और चूत को चाटते हुए ऊपर की तरफ बढ़ता गया। उसकी नाभि के पास चाटते हुए रुका और नाभि पर जीभ को गोल-गोल घुमाया जिससे आरती सिसक गई। फिर ससुर आरती के चूचियों तक आया तो आरती ने बहुत प्यार से उसके सर के बालों में अपने उंगलियों को फेरते हुए उसको बाहों में भर लिया।

अब क्योंकी आरती इतना प्यार कर रही थी तो ससुर को भी बहुत प्यार आया उस पे और दोनों एक दूसरे को बाहों में भरे मुँह में मुँह डाले जबरदस्त किस में डूब गये काफी देर तक। ससुर आरती के ऊपर था, दोनों जिश्म एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हए, उसका लण्ड ठीक उसकी चूत के ऊपर था और किस करते वक्त वो लण्ड को रगड़ भी रहा था चूत के ऊपर ही।

आरती महसूस कर रही थी और उसको बहुत अच्छा लगने लगा था। दोनों एक दूसरे को महसूस कर रहे थे और एंजाय कर रहे थे, जिश्म की आग को शांत करने लगे थे दोनों ससुर और बहू। फिर आरती ने अपने ससुर के सर को दोनों हाथों में थ मा. उसके गाल पर अपनी जीभ फेरा. और एक हाथ से ससर के लण्ड को लिया. अपनी टाँगों को फैलाया और खुद आरती ने अपने ससुर के लण्ड को अपनी चूत के अंदर किया एक आहह... के साथ। फिर अपने जिश्म को साइड में घुमाते हए आरती की सिसकारी निकली और एक चीख सी आई उसकी आवाज में।

ससुर ने फिर अपने लण्ड को और अंदर घुसाया और आरती के गाल को चाटते हुए धीरे-धीरे धक्का देने लगा। धक्का जो धीरे-धीरे शुरू हुआ था जोर पकड़ने लगा और आरती को बाहों में भरे हुए आरती की चूत में एक के बाद एक जबरदस्त धक्के की रफ़्तार बढ़ाता गया।

आरती उसको एंजाय करते हुए अपने सर को पीछे की तरफ करके अपने ससुर के मोटे लण्ड को अपनी चूत के अंदर महसूस करने लगी। आरती ने अपनी बाहों को ससुर के जिश्म के ऊपर लपेट लिया, और ससुर के नीचे अपनी कमर भी हिलाने लगी। फिर चुदवाते हुए सिसकती आवाज में बोली- “हाँ डैडी हाँ, मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है, जारी रखो... हाँ ऐसे ही करो मजा आ रहा है डैडी। हम्म्मम... डैडी, मुझे तुम्हारा लण्ड चाहिये... हाँ, बहुत अच्छा लग रहा है... आप बहुत अच्छा करते हो डैडी... वाह आप बहुत अच्छे हो डैडी, जारी रखो... आअहह... इस्स्स्स ... बहुत ही अच्छा लग रहा है डैडी... उफफ्फ़... इस्स्स्स ..?'

ससुर धक्का देता गया। अपनी बहू के मुँह से ऐसे बातें सुनकर उसका जोश और भी बढ़ गया और उसको और मजा आने लगा, अपने पूरे जिश्म का वजन आरती के जिश्म पर डालकर ससुर गुर्राया- “आगज्घ... इस्स्स्स ... आघघ्गघह... मैं झड़ने वाला हूँ बेबी... इस्स्स्स ... इस्स्स्स ..” और झट से लण्ड को उसने चूत से बाहर निकाला, दो तीन बार जोर से आरती की चूत पर ठोंका और अपने वीर्य को उसकी चूत के ऊपर छोड़ दिया। फिर तुरंत लण्ड को आरती के मुँह में ले गया।

आरती ने मुश्कुराते हुए खुशी से बाकी के वीर्य को मजे से अपने मुँह में लेकर चूसा, और अपनी जीभ को ससुर के लण्ड के छेद पर फेरा, जिससे ससुर का गुर्राना और भी बढ़ा और उस मज़े को महसूस करते हुए बूढ़े को अपने पंजे पर खड़ा होना पड़ा। उसका जिश्म काँप भी उठा मजे से। फिर दोनों एक और किस में खोए हए बेड पर लेट गये।

आरती ने ससुर की छाती को सहलाते हुए कहा- “वाह... आप कमाल के हो डैडी, आप अद्भुत है वाउ... बहुत अनुभव है आपको हम्म्म...”

ससुर मुश्कुराते हुए कहा- “मेरी जान, अब कभी फिर करेंगे ना?"

आरती ने जवाब दिया- “जब भी आप चाहो डैडी, मुझे आपसे प्यार सा हो गया अब। यू अरे सुपर्ब डैडी..” यह कहकर आरती ने अपने ससुर को जोर से बाहों में जकड़कर उसकी छाती और गले को चूमने लगी। और फिर पूछा- “आप मुझे यह बताओ कि आपने कैसे मेरे से यह सब करने का सोचा? मैं शुरू में बहुत हैरान और डिस्टर्ब हो गई थी, डर गई थी मैं तो..”

मुश्कुराते हुए ससुर बोला- “बस तुमको चखना चाहता था जानेमन, तुम बहुत गरम और सेक्सी हो, मैं तुम्हारे जवान जिश्म को चखना चाहता था..."

अब हम वापस नेहा के गाँव चलेंगे जहाँ उसका देवर और ससुर उसके लिए बेताब हैं, एक हफ्ते के बाद मिलने का इंतेजार कर रहे हैं।
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नेहा अपने घर पहुँच गई।

ससुर उसको 4जे4 में लेने गया था स्टेशन, तकरीबन दिन के एक बजे उसने नेहा को घर छोड़ा और नेहा को जोर से बाहों में जकड़कर एक हग के साथ किस करते हुए खेत वापस चला गया।

उस वक्त घर पर प्रवींद्र अपने पिता के खेत वापस जाने का इंतेजार कर रहा था, क्योंकी वो तड़प रहा था नेहा के साथ हमबिस्तर होने के लिए, एक हफ्ते तक इंतेजार जो किया था उसका। जैसे ही उसका बाप गया, प्रवींद्र ने नेहा को जमके अपने बाहों में जकड़कर पागलों की तरह किस करने लगा और कहता गया- “बहुत मिस किया तुमको भाभी... बहुत-बहुत ही मिस किया तुमको... तुम्हें अपनी बाहों में जकड़ने के लिए तरस गया था मैं, इस खूबसूरत चेहरे को देखने के लिए बेताब था, तुमको महसूस करने के लिए मर रहा था, तुमको छूने के लिए, तुम्हारी खुशबू सूंघने के लिए तड़प गया था। ओहह... भाभी, मेरी जान हो तुम, तुम्हारे बगैर अब जीना मुश्किल

नेहा मुश्कुराते हुए उसको किस कर रही थी हौले-हौले, धीरे-धीरे आराम से और उसको खुश करने के लिए नेहा ने उसको जवाब दिया- “मैंने भी तुमको बहुत मिस किया देवर जी..” मगर नेहा उस वक्त सेक्स के लिए इतना । तैयार नहीं थी क्योंकी अपने पापा के गाँव में तो वो खूब मस्ती करके लौटी थी, अपने पिता और भाई के साथ हफ्ते भर।

मगर प्रवींद्र को तो बहुत जरूरत थी, और नेहा को पता था कि प्रवींद्र ने सूखा ही गुजारा है तो उसको अगर रेफ्यूज करती तो प्रवींद्र को शक हो जाता। इसलिए वो तैयार हो गई प्रवींद्र को खुश करने के लिए। मगर उसने प्रवींद्र से कहा- “पहले वो एक शावर लेने जा रही है क्योंकी सफर से आई है..."

उसकी बात सुनने पर प्रवींद्र को आइडिया आया। उसने नेहा से कहा- “दोनों साथ में बाथरूम चलते हैं, वो भी नहाएगा और वहीं मजा करेंगे दोनों..."

नेहा थोड़ी बहुत हिचकिचाई मगर राजी हो गई। फिर जल्द ही दोनों बाथरूम में चले गये, घर के सभी दरवाज़ों को बंद करने के बाद के कहीं कोई आ ना जाए।

नेहा उस वक्त एक साड़ी में थी और सफर के बाद उसके पशीने की बू आ रहे थे जिश्म से, खास कर उसके ब्लाउज़ के नीचे, काँख पर, ब्लाउज़ बांह के नीचे भीगी हई थी उसके पशीने से। प्रवींद्र नेहा को बाहों में भरकर उसके जिश्म को चारों तरफ सूंघ रहा था फिर सूंघते हुए उसकी काँख तक पहुँचा। काँख के नीचे गहरी साँस लेते हए सूंघा और कहा- “भाभी, मुझे आपके पशीने की खुशबू बहुत पसंद है, आपके जिश्म की बू बहुत आकर्षित करती है मुझे। आपकी गैर मौजूदगी में मैं अपने दिमाग में इस बदन की खुशबू को महसूस कर रहा था।

उस वक्त नेहा उसको जैसे वो चाहे करने दे रही थी। वो समझ रही थी कि उसने उसको सच में बेहद मिस किया है। उस वक्त दोनों बाथरूम के अंदर खड़े पोजीशन में थे और नेहा प्रवींद्र की बाहों में थी, उसने अपनी बाहों को प्रवींद्र के कंधों पर किया हआ था। उसके कपडे के ऊपर से ही प्रवींद्र नेहा को चम रहा थ था और काँख के नीचे वाले हिस्से की ब्लाउज़ को पशीने समेत चूस रहा था, और ये सब करते वक्त उसका खड़ा लण्ड नेहा के पेट के नीचे के हिस्से पर रगड़ते जा रहा था। फिर धीरे-धीरे प्रवींद्र ने नेहा की साड़ी को निकालना शुरू किया और उसके सामने बैठकर उसकी पैंटी को नीचे किया। फिर खड़ा होकर धीरे-धीरे उसकी ब्लाउज़ और ब्रा को उतारा।
 
प्रवींद्र की छुवन से नेहा तब तक गरम होने लगी थी। हालांकी सफर से थकी हुई थी फिर भी उसके जिश्म में मस्ती पैदा हुई और उसको भी अब जरूरत महसूस होने लगी सेक्स की। क्यों ना हो उसके दिल की गहराई में प्रवींद्र के लिए एक कमजोरी जो थी, वो भी चाहती थी उसे, और खद को उसके प्यार में डबोने लगी।

जब प्रवींद्र ने नेहा को बिल्कुल नंगी कर दिया तो नेहा ने कहा- “ठहरो, अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारती हूँ.” उसने उसकी टी-शर्ट उतारी और बैठ गई उसकी पैंट खोलने के लिए। आराम से उसने प्रवींद्र की वेल्ट निकाली, और जिप को नीचे करके नेहा ने उसकी पैंट को धीरे से निकाला, प्रवींद्र के चेहरे में सर ऊपर उठाकर देखते हुए। उस वक्त नेहा प्रवींद्र के आगे घुटनों के बल नीचे थी, फिर बड़े प्यार से नेहा प्रवींद्र की अंडरवेर को भी नीचे करने लगी। फिर उसका लण्ड एक एंठे हुए तार की तरह झट से नेहा के सामने अंडरवेर से बाहर झपटा। वो मुश्कुराई

और अपने होंठों को दाँतों में दबाते हए ऊपर प्रवींद्र के चेहरे में देखा। प्रवींद्र से सहन नहीं हआ और झट से उसने नेहा का सर पकड़कर सख्ती से लण्ड को उसके मुंह तक किया।

नेहा ने बिना देर किये उसके लण्ड को मुँह भर ले लिया और चूसती गई लण्ड को अपने हथेली से सहलाते हुए। जिस दौरान नेहा उसको चूस रही थी तो प्रवींद्र नेहा के सर को हल्का सा मसाज कर रहा था, उसके बालों को अपनी उंगलियों में सरकाते हुए। जब नेहा रुकी तो खड़े होते हुए प्रवींद्र के मुँह में अपने मुँह का रस छोड़ा उसके जीभ को चूसते हुए।

तब प्रवींद्र ने कहा- “अब मुझे नीचे बैठने दो भाभी...” और वो नीचे बैठ गया। नेहा की कमर को बाहों में भरकर, पहले उसकी चूचियों को चूमा और वहाँ से धीरे-धीरे चाटते हए नीचे की तरफ बढ़ता गया, उसके पेट तक गया, उसकी नाभि को चाटा और आखिर में नीचे अपनी भाभी की चूत तक पहुँचा, तो देखा कि उसकी चूत सफाचट है, तो उसने पूछा- “तुमने शेव कब किया भाभी? कल का शेव किया हुआ लगता है। अपने पिता के घर भी आपको इस अनमोल चीज का खयाल रखने का भी मौका मिल गया?"

नेहा अपने जिश्म को उसके मुँह में दबा रही थी, एक अंगड़ाई के साथ सिसकारी छोड़ते हुए और फुसफुसाते हुए कहा- “मैंने यह सब तुम्हारे लिए किया बेबी, ताकी तुमको यह साफ और चिकनी मिले। मुझे पता था की यहाँ आते ही तुम्ही मुझे सबसे पहले मुझे चोदोगे..."

यह सुनकर प्रवींद्र खुश हो गया और अपनी जीभ को दबाते हुए उसकी चूत के ऊपरी हिस्से से शुरू करते हुए नीचे तक चाटता गया। और जब और नीचे उसकी जीभ पहँची तो पाया कि उसकी भाभी का रस बह निकला था तो प्रवींद्र ने उसे चाटना शुरू किया जबकि नेहा तड़पते हुए बेहाल होती गई।

थोड़ी देर तक उसकी चूत को चाटने और चूसने के बाद प्रवींद्र फिर खड़ा हुआ और अपनी भाभी को संगमरमर की ठंडी दीवार से लगाया, नेहा की एक टांग को ऊपर उठाया और अपने पंजे पर खड़ा होते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत के अंदर डाला। तब नेहा एक टांग पर खड़ी थी क्योंकी एक टांग को उठाकर प्रवींद्र ने थामा हुआ था। फिर अपने मन की जरूरत के अनुसार उसने अपने दिल के अरमान पूरा करते हए बड़े मजे से उसकी चूत के अंदर लण्ड को अंदर-बाहर करता गया उसके जिश्म पर अपना एक हाथ फेरते हए। उसकी चचियों को कभी मसलता तो कभी चूसते हए धक्के पर धक्का देता गया।

नेहा ने प्रवींद्र के सर के बाल को अपने मुट्ठी में जकड़ते हुए अपने जिश्म को उसके जिश्म से रगड़ते हुए अपनी आँखों को एक नशीली आँखों की तरह करते हए ऊपर देखती गई। उस वक्त जिस तरह से उसकी आँखें दिख रही थीं, लगता था कि उसने कोई नशीली चीज खा लिया है।

प्रवींद्र ने नेहा की गाण्ड पर एक हाथ लपेटा और उसको अपने जिश्म से और सताया और तेजी से रफ़्तार बढ़ाते हुए उसकी चूत में धक्का देता गया।
 
धक्के की रफ्तार इतनी बढ़ी की नेहा ने जोरों से आवाज की- “आहह... अया... हम्म्म... हाँन्न और जोर से और जोर से... हाँ हाँ उफफ्फ़... इस्स्स्स ... आअहह..." और नेहा झड़ गई। हालांकी उसने सोचा था कि नहीं झड़ेगी, क्योंकी पूरे हफ्ते भर झड़ती आई थी, अपने पिता और भाई के साथ। बाप ने कई बार किया था रातों को और दिन में भी। हर बार नेहा खूब झड़ी थी, हर बार पिता से करते वक्त झड़ी थी वो, तो उसने सोचा था कि अभी प्रवींद्र के साथ नहीं झड़ेगी, मगर अब भी झड़ी थी, और एक बार और संतुष्टि प्राप्त हुई उसे।

फिर प्रवींद्र को तो झड़ते हुए अपनी टांग की उंगलियों पर खड़ा होना पड़ा और उसके पैर काँप गये। लण्ड को जल्दी से बाहर निकालकर उसने नेहा के पेट पर अपने वीर्य को नेहा के पेट पर रगड़ते हुए दबाते हुए मसला, उसका लण्ड खुद के वीर्य पर फिसल कर कभी दाएं तो कभी बायें हो जाता था।

दोनों हाँफते रहे और हँसने लगे। तब नेहा ने अपने जिश्म को प्रवींद्र के जिश्म पर जैसे आजाद छोड़ दिया।

फिर अचानक प्रवींद्र बोला- “मगर भाभी हमने तो शावर को खोला भी नहीं। मैं तो भीगते हुए करना चाहता था."

फिर नेहा ने उसको अब बाहर निकलने को कहा, क्योंकी वो नहाने जा रही थी। मगर प्रवींद्र ने जिद किया कि दोनों एक साथ नहाएंगे, मगर नेहा नहीं मानी। उसने धक्के देकर प्रवींद्र को बाथरूम से बाहर निकाला और कहा “फिर कभी एक साथ नहाते हुए सब करेंगे जान, तब हम एक दूसरे को नहलाएंगे और ये सब करेंगे, अभी बाहर निकलो..."

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अब यहाँ कुछ ऐसे बातें हुई जो कहना है। जब नेहा अपने पिता के घर गई हुई थी। प्रवींद्र पहले से ही नेहा के साथ थ्री-सम के बारे में सोच रहा था। (पाठकों को याद होगा कि जब प्रवींद्र नेहा को अपने बाप और चाचा के साथ देख रहा था तभी उसने सोचा था कि नेहा को किसी एक और मर्द के साथ चोदने को।) उसके लिए यह एक फँटेसी जैसी बन गई थी। वो नेहा के जिश्म को किसी और मर्द के साथ शेयर करना चाहता था, क्योंकी उसने देख लिया था कि नेहा एक साथ दो आदमी के साथ एंजाय कर रही थी।

तो जब नेहा नहीं थी तो प्रवींद्र ने कुछ इंतेजाम कर रखा था इसके लिए। नेहा की गैरहाजिरी में प्रवींद्र एक दूर के गाँव में गया था, कुछ ठर्की आदमियों को तलाश करने। कुछ जगहों पर गया था पूछताछ करने, वैसे आदमियों के लिए, तो उसको एक बार में भेजा गया जहाँ उसने दो आदमियों से बात की और एक-एक करके दोनों को मनाया, यह कहकर कि एक बहुत जवान और गरम लड़की है जो अधेड़ मर्दो से चुदवाना पसंद करती है, और दो आदमियों के साथ एक वक्त में करना चाहती है। क्योंकी उसने ऐसा अनुभव नहीं किया है आज तक। प्रवींद्र ने यह रिस्क लिया, मगर अपना पता नहीं दिया किसी को भी और ना ही उन लोगों को उससे मिलने को कहा।

उन लोगों से प्रवींद्र ने कहा- “वो खुद उस जवान लड़की को उन लोगों के पास लेकर आएगा..” प्रवींद्र ने उस मैले बदबूदार छोटे से बार में उन लोगों के साथ ड्रिंक्स भी लिया बात करते वक्त। बहुत ही निम्न स्तर का बार था वो छोटा सा।

तो वह तीनों मिले और डिसकस किया गया कि कैसे आगे बढ़ेंगे। जो दो दूसरे आदमी थे वह थे, शीक 58 साल का जो बड़ा गुंडा था और फ्लर्ट भी था, अपनी उम्र के बावजूद वो सैकड़ों औरतों को चोद चुका था। दूसरा आदमी था रूपचंद। रूपचंद का खुद अपनी विधवा बहन और उसकी बेटी के साथ नाजायज रिश्ता था। रूपचंद 59 साल का था। शीक और रूपचंद दोस्त थे और बहुत सारी औरतों को मिलकर चोदते हैं दोनों, औरतों को बाँटकर खाते थे यह दोनों। हाल ही में रूपचंद की विधवा बहन को दोनों ने मिलकर चोदा था।

प्रवींद्र को सही आदमी मिल गये थे अपनी फैंटेसी को मुकम्मल करने के लिए। वो खुश हो गया और नेहा के आने का इंतेजार करता रहा।

उन लोगों ने प्लान बनाया कि नेहा को शीक के घर लाया जाए क्योंकी शीक अपने घर में अकेला रहता था। जब उन दोनों ने प्रवींद्र से पूछा कि कब उस हसीना को वो लाएगा? तो प्रवींद्र के कहा कि बहुत ही जल्द। शीक और रूपचंद ने प्रवींद्र का यकीन नहीं किया, यह सोचकर कि वो बस मजा ले रहा है और कोई वैसी हसीना नहीं है जिसको वो उधर लाने वाला था कभी।

मगर प्रवींद्र ने उन लोगों को प्रॉमिस किया कि उन दोनों को एक 19 साल की गरम, सेक्सी और जवान लड़की दिलाएगा चोदने के लिए। (नेहा अब 19 साल की होने ही वाली थी) तो बात हुई थी जब नेहा अपने पिता के गाँव गई हुई थी। पर अब प्रवींद्र सोच रहा था कि कैसे नेहा से इस बारे में बात शुरू करें? सोच रहा था क्या होगा अगर नेहा ने उसके अड्वेंचर और फैंटेसी में भाग लेने से इनकार किया तो?

कुछ दिन बीत गये जब से नेहा वापस आई थी। हर रात को ससुर मजा करता था उसके साथ रातों को, और प्रवींद्र हर बार एसी के पास जाकर दोनों को देखता था चुदाई करते हुए।

आज तक नेहा को नहीं पता चला था कि प्रवींद्र उसको अपने पिता के साथ चोदते हुए देखता है, किसी खास जगह से। और जिन रातों को उसका चाचा भी आता था और बाप और चाचा दोनों जब मिलकर नेहा को चोदते थे तो प्रवींद्र जमके मूठ मारता था तीनों को ऐसा करते हुए देखकर। यही वजह थी कि वो नेहा को किसी और से चुदवाना चाहता था। सोचता था जब बाप और चाचा से चुदवाती है तो किसी और से क्यों नहीं? और अजीब बात यह थी कि नेहा सच में बहुत एंजाय करती थी जब वह दोनों उसको एक साथ चोदते थे, बिल्कुल इनकार नहीं करती थी, खुशी-खुशी करवाती थी, दोनों मर्दो के लण्ड चूसती थी और वो जैसे चाहें करवाती थी मजे के साथ।

प्रवींद्र यह देखकर ताज्जुब करता था और यही सोचता था कि नेहा बेहद गरम है और चुदवाना बहुत पसंद करती है। कुछ दिनों बाद प्रवींद्र ने नेहा से उस बारे में बात करने की कोशिश की, जब दोनों दिन में घर पर अकेले होते थे तब। उस वक्त दोनों प्रवींद्र के बेड पर कुछ रोमँटिक पल गुजार रहे थे, सेक्सुअल नहीं हालांकी नेहा की छुवन से उसका हर बार खड़ा हो रहा था। प्रवींद्र बेड पर लेटा हुआ था, नेहा उसकी छाती पर सर रखे उसकी बाहों में पड़ी थी।
 
प्रवींद्र उसके सर पर हाथ फेरते हए उसके गालों को सहलाया और कहा- “भाभी, मैं किस तरह से आपको जान कर सकता हूँ जब आप पापा और चाचा के साथ कमरे में हो तब?"

नेहा ने आराम से जवाब दिया- “यह नहीं हो सकता डार्लिंग, हाँ सिर्फ अगर तुमने पिताजी से बात किया हमारे बारे में बताते हुए तब शायद..."

प्रवींद्र- “अरे नहीं मैं कभी भी पापा से अपने बारे में नहीं बोल सकता यार.."

नेहा- “तो फिर वो कभी नहीं हो सकता जो कह रहे हो."

प्रवींद्र- "मगर भाभी, पापा से तुम तो बात कर सकती हो?"

नेहा- “पागल हो क्या तुम? मैं कैसे कह सकती हूँ उनसे कि हमारा अफेयर है.."

प्रवींद्र- “तुम उनसे कह सकती हो कि तुम भैया को नहीं चाहती क्योंकी वो कुछ नहीं कर पाता और तुम मुझमें इंटरेस्टेड हो...”

नेहा- “बच्चों की तरह बात मत करो, शटउप... यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच रहना चाहिए समझे तुम... हमेशा के लिए यह सीक्रेट रहना चाहिए..."

प्रवींद्र ने नेहा को किस किया उसका मूड बनाने के लिए, क्योंकी वो बिगड़ी हुई लगने लगी थी, और किस के बाद प्रवींद्र ने सही बात शुरू किया। प्रवींद्र बोला- “भाभी, एक बात बोलूं, हम तीन होकर कर सकते हैं, किसी बाहर के दो से जो हम दोनों को बिल्कुल नहीं जानते हों..."

एक पल के सोचने के बाद नेहा बोली- “हाँ वैसा हुआ तो हो सकता है, मगर वो दो अजनबी कौन होंगे?"

ये सुनकर प्रवींद्र ने बयुत उत्तेजित महसूस किया और सोचा कि भाभी रास्ते पर आ रही है बीड़.. तो उसने कहा “वो कोई भी हो सकते हैं भाभी, जिनको मैं सम्पर्क करूँगा मजे करने के लिए."

नेहा ने पूछा- “और उन अजनबियों को तुम यहाँ लाओगे सम्पर्क करने के बाद?"

प्रवींद्र ने कहा- “अरे बिल्कुल नहीं भाभी, बाहर कुछ इंतेजाम करना पड़ेगा ना यार.."

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नेहा कुछ हिचकिचाई मगर जवाब में कहा- “ऐसी बात है तो फिर तब की तब देखेंगे...”

तब प्रवींद्र ने उसको किस किया जिसको नेहा ने बहुत अच्छी तरह से रेस्पांड किया।

फिर प्रवींद्र ने कहा- “भाभी जब आप अपने पिता के यहाँ गई थीं तो मैंने दो आदमियों से बात कर लिए है, और मैंने सब कुछ संभाल लिया है। हमें बस उनके पास जाना है और एंजाय करना है.."

यह सुनकर नेहा चिहंकी और जोर से कहा- “क्या? तुमने दो मर्दो को पहले से देख रखा है? मुझे यकीन नहीं आ रहा, मैंने सोचा यह सिर्फ तुम्हारी एक फैंटेसी है, और तुम इसको सच में करना चाहते हो..” नेहा बहुत चिंतित दिखने लगी और बेड से उतरकर अपनी साड़ी को ठीक करके अपने बाल बनाने लगी।
 
प्रवींद्र ने एक आह्ह... भरते हुए कहा- “देखो भाभी, तुमको पता है कि ये मेरी सबसे बड़ा फैंटेसी है तो इसे मेरे लिए सच बना दो ना..." प्रवींद्र ने भी बेड से उतरकर नेहा को पीछे से बाहों में जकड़ा और अपने होंठों को उसके
कान से दबाकर फेरते हुए बात करता गया।
नेहा ने बचकानी हरकतें करते हुए कहा- “नहीं, मैं नहीं मानूँगी...” फिर एक पल बाद नेहा ने पूछा- “वैसे वह दो आदमी कौन हैं?"

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प्रवींद्र ने अब अपने होंठ को दाँतों में दबाते हुए कहा- “वह दोनों यहाँ से बहुत दूर रहते हैं और हमारी आइडेंटिटी को बिल्कुल नहीं पहचानते वह लोग। दोनों पापा के उम्र के हैं शायद थोड़ा और भी होंगे..."

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नेहा जोर से हँसी और प्रवींद्र के चेहरे में देखते हुए हँसते हुए कहा- “छछंदर कहीं का, तुम मुझको बूढों से चुदवाते देखना पसंद करते हो? यह भी तुम्हारी फैंटेसी है.."

प्रवींद्र बोला- “वो शायद इसलिए कि मैं तुमको पापा और चाचा के साथ देखता हूँ। इसलिए भाभी, मैंने कुछ ऐसा ही बंदोबस्त किया है.."

नेहा बोली- “असल में तुम्हारे पिता पहले मर्द थे जिसने मेरे साथ यह सब किया, किसी मर्द ने कभी मेरे साथ नहीं किया था पहले, जब उसने किया मेरे साथ तो मैं कँवारी थी, और सच बताऊँ तो मुझे बहुत मजा आया था, मैंने बहुत एंजाय किया था तुम्हारे पापा के साथ। तो शायद मैं तुम्हारा यह प्रपोजल स्वीकार करूँगी। देखना चाहती हूँ कि बूढों में वोही दम है जो तुम्हारे पापा में है और मेरे... ..."

नेहा बोलने जा रही थी- “और मेरे पापा में..."

प्रवींद्र ने पूछा- “और आपके क्या भाभी?"

नेहा ने फिर मुश्कुराते हुए कहा- “और... हम्म्म... और मेरी तकदीर.."

प्रवींद्र बहत उत्तेजित हआ यह जानकार कि उसने उसका प्रपोजल स्वीकार कर लिया है और मन में खुद से कहा “कितनी गरम और सेक्सी हो तुम भाभी... तुमको सच में बूढे लोग बहुत पसंद हैं.."
 
हाँ, बात करते वक्त नेहा तकरीबन 'मेरे पिता भी' बोलने वाली थी और उसको डर था कि कभी ऐसे ही बातचीत के दौरान उसके मुँह से अपने पिता के साथ संबंध वाली बात निकल जाएगी।

और प्रवींद्र अपनी तरफ से बहुत खुश था कि अब वो नेहा को तीन लोगों के साथ मिलकर ऐसा करने वाला है। और वो सपने देखने लगा था नेहा को उन दो बूढ़ों के साथ चुदवाते हुए देखने का। उसने सोचा कि वह दोनों बहुत खुशकिश्मत हैं कि उनको अपनी नेहा भाभी को चोदने का मौका मिलेगा।

तो, दो दिन बाद प्रवींद्र ने उन दोनों से मिलने का प्लान बनाया। वो उन दोनों से मिलने गया और उनको कहा कि शीक के घर पर दोनों इंतेजार करें, क्योंकी वो नेहा को लेकर सीधा वहीं आएगा। और जाने से पहले उसने नेहा को बता दिया कि वो उन दोनों से मिलने जा रहा है और कल दोनों एक साथ वहाँ जाएंगे।

नेहा को हिचकिचाहट तो थी मगर वो प्रवींद्र को इतना चाहती थी कि वो उसे खुश करना चाहती थी, क्योंकी वो बहुत दिनों से उसके पीछे पड़ा हुआ था इस बात के लिए।

नेहा ने सोचा कि अपने पिता और चाचा के साथ एक बिस्तर पर लेने से बेहतर था कि कहीं बाहर के लोगों के साथ चली जाए। और अंदर ही अंदर अपने दिल की गहराई में नेहा देखना भी चाहती थी कि बाकी के बूढ़े लोगों में वोही दम है जो उसके पिता और ससुर में है। मगर यह बात सिर्फ वो जानती थी कि उसके मन में क्या था प्रवींद्र को नहीं पता था इस बारे में। क्योंकी नेहा की पहली चुदाई एक अधेड़ आदमी से हुई थी तबसे शायद उसको वैसे अधेड़ लोगों के लिए एक प्रेफरेन्स सी बन गई थी।

इधर प्रवींद्र को भी वैसी ही ख्वाहिशें हो रही थीं क्योंकी वो नेहा को अपने पिता और चाचा के साथ देख चुका था तो उसके दिल-ओ-दिमाग में ऐसी बातें बैठ गई थी। यह एक तरह का मानसिक प्रभाव था ये सब देखने से। और अभी तो प्रवींद्र को यह नहीं पता था कि नेहा अपने पिता के साथ भी चुदवाती है। यह जान लेगा तब पता नहीं और कैसी ख्वाहिशें जागेगी उसके मन में। अपने दिल की गहराई में प्रवींद्र सोचता था कि नेहा एक ऐसी औरत है जो बूढ़ों को और भी पसंद करेगी क्योंकी वो जब उसके साथ सेक्स करता है तो जल्द ही झड़ जाता है, बिना

नेहा को संतुष्ट किए ही, और बूढ़े लोग झड़ने में शायद देर लगाते हैं, तब तक नेहा झड़ जाती है। प्रवींद्र सोचता था कि शायद इसलिए नेहा को बूढ़े लोग ज्यादा पसंद है।

अब नेहा पर भी सच में ऐसे प्रभाव पड़ते थे, जिससे वो यह मानती थी कि अधेड़ लोगों से सेक्स करने से उसको और मजा आता है, वो आराम से झड़ जाती है, उसके जिश्म को और जल्दी सुकून मिलती है। इसलिए उसका खिंचाव बूढ़े लोगों के तरफ ज्यादा थी शायद। वो इसलिए भी था कि पहला मर्द उसको चोदने वाला उसके ससुर थे, फिर ससुर का बड़ा भाई, तब उसका पिता और बड़ा भाई जो 40 साल के ऊपर के हैं। इन सब में से सिर्फ एक प्रवींद्र जवान था। और बाकी सबके साथ नेहा को अब तक ज्यादा खुशी मिली थी। तो नेहा ने भी अपने मन में बिठा लिया था कि ज्यादा उम्र वाले लोगों के साथ वो जल्दी खुश होती है और उसको ज्यादा मजा आता है।

वो दिन आया जब उन दोनों से मिलना था। एक टैक्सी में प्रवींद्र अपने घर के सामने रुका और नेहा को चलने को कहा उस दूर गाँव के सफर के लिए। दिन के 10:30 बजे थे। उसका पिता और रवींद्र खेत गये हुए थे। नेहा उससे पूछने लगी कि कैसी ड्रेस पहने वो। एक साड़ी और एक ड्रेस को लेकर दोनों निश्चय नहीं कर पा रहे थे कि क्या पहनें? आखिर में नेहा ने एक ड्रेस पहनी जिसकी डीप कट थी, और जो ठीक उसके घुटनों तक पहुँचती थी। सफेद रंग की ड्रेस थी जिस पर कुछ फूल थे और स्लीवलेश थी ड्रेस। उसकी गोरी बाहें बहुत खूबसूरत दिख रही
थीं।

नेहा ने पूछा- क्या होगा अगर दिन में उसका पिता आएगा अचानक और दोनों को घर पर नहीं पाएगा तब?

प्रवींद्र ने कहा कि उसको पता है कि शाम 5:00 बजे से पहले उसका पिता वापस घर नहीं आएगा, क्योंकी कटाई चल रही थी और उनको हर बार शुगर मिल भी जाना होता था।

दोनों घर से निकले। प्रवींद्र ड्राइवर के पास बैठा और उसकी भाभी पीछे वाले सीट पर। टैक्सी ड्राइवर उन दोनों को नहीं जानता था क्योंकी प्रवींद्र ने कहीं दूर से उसको हायर किया था, वो इधर का रहने वाला था ही नहीं। नेहा बैठ गई तो उसकी क्लीवेज खूब दिख रही थी और ड्राइवर अपने मिरर में बार-बार उसकी क्लीवेज को देख रहा था, ड्राइव करते वक्त। नेहा ने भी देखा कि ड्राइवर उसकी छाती पर नजरें गड़ाए बैठा है, मगर नेहा ने अपने छाती को वैसे ही रहने दिया। प्रवींद्र ने भी सब देखा कि क्या हो रहा है ड्राइविंग के दौरान, मगर अंजान बना रहा। उसको तो मजा आ रहा था।

नेहा की घुटनों के ऊपर के हिस्से और जांघों की शुरुवात भी नजर आ रही थी और ड्राइवर बार-बार अपने मिरर को अड्जस्ट करते हुए उसकी जांघों को भी देख रहा था आँखों को खुश करते हुए। नेहा जैसे बैठी थी ड्राइवर को मिरर में उसके जांघों के बीच के हिस्से नजर आए जो बेहद सफेद और गुलाबी रंग की मिलावट के थे और जिसको देखकर ड्राइवर का खड़ा हो गया और वो बार-बार अपने लण्ड को पैंट में सीधा करते हुए ड्राइव किए जा रहा था। नेहा और प्रवींद्र दोनों को पता था कि क्या मामला है।
 
नेहा की घुटनों के ऊपर के हिस्से और जांघों की शुरुवात भी नजर आ रही थी और ड्राइवर बार-बार अपने मिरर को अड्जस्ट करते हुए उसकी जांघों को भी देख रहा था आँखों को खुश करते हुए। नेहा जैसे बैठी थी ड्राइवर को मिरर में उसके जांघों के बीच के हिस्से नजर आए जो बेहद सफेद और गुलाबी रंग की मिलावट के थे और जिसको देखकर ड्राइवर का खड़ा हो गया और वो बार-बार अपने लण्ड को पैंट में सीधा करते हुए ड्राइव किए जा रहा था। नेहा और प्रवींद्र दोनों को पता था कि क्या मामला है।

आखिरकार, शीक के घर के सामने टैक्सी को रोका प्रवींद्र ने। टैक्सी की पेमेंट किया प्रवींद्र ने और उसको वापस शाम के 3:00 बजे लेने के लिए आने को कहा।

ड्राइवर ने पूछा- “कोई भाभीजी का रिश्तेदार बीमार है क्या भाई?

प्रवींद्र ने कहा- “हाँ भाई उसके पिता की तबीयत ठीक नहीं है..” मतलब नेहा के पिता के बारे में कहा प्रवींद्र ने ड्राइवर से।

ड्राइवर ने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर कहा- “सब भगवान की इच्छा है...” और ड्राइवर ने यह समझा कि प्रवींद्र अपनी पत्नी को लेकर अपनी ससुराल आया है।

दोनों ने टैक्सी के जाने का इंतजार किया, और उसके बाद वह शीक के आँगन में दाखिल हुए। टैक्सी ड्राइवर को पता नहीं होने दिया कि किस मकान में जा रहे थे दोनों। शीक और रूपचंद घर के अंदर से दोनों को बाहर देख रहे थे और दोनों ने एक दूसरे से कहा कि लड़की तो एक सेक्स बाम्ब है।

शीक ने कहा- "अरे वाह... एक मुद्दत हुई ऐसी जवान लड़की को चोदे हुए यार। देखो तो क्या बदन है यार, वाह... क्या चूचियां है, क्या गाण्ड है यार बहुत मजा आएगा रे। यह तो हमारे लण्ड को लेने को बिल्कुल तैयार लगती है

और रूपचंद ने कहा- “यार, हमने जरूर कुछ बहुत बड़े पुण्य किए होंगे जो हमको ऐसी माल मिल रही है आज चोदने के लिए, यह तो एक परी लग रही है मेरे दोस्त। हमारी किश्मत में ऐसी लड़की कैसे आ गई भला। यार शीक, तुम्हारे खयाल से क्यों वो जवान इस चिकनी को हमारे साथ बाँट रहा है? क्या बात होगी?"

शीक ने जवाब दिया- “यह शहर के लोग लगते हैं मियां, और वहाँ के लोग वो स्विंगिंग कहते हैं ना, वो करना पसंद करते हैं, अपनी बिवियों को दूसरों से चुदवाते देखना पसंद करते हैं, और पत्नी भी खुद को अपने पति के सामने किसी गैर मर्द से चुदवाते हए मजा लेती है। अजीब-अजीब शौक पालते हैं यह शहर वाले आजकल मियां। इसीलिए दूर गाँव में आया है अपनी बीवी को चुदवाते हुए देखने, ताकी किसी को उसके बारे में पता ना चले। दुनियां बदल गई है रूपचंद मियां... बदल गई है यह दुनियां। चलो हम भी बदलते हैं। यह तो अपनी बेटी की तरह है। चलो बेटी चोदते हैं साला बेटी चोद... हाहाहाहा.."
 
जब प्रवींद्र और नेहा उनकी चौखट तक पहुँचे तो खटखटाने से पहले ही रूपचंद ने दरवाजा खोल दिया। नेहा ने सर उठाकर उन दोनों को एक चिंतित मश्कान से देखा।

प्रवींद्र ने दोनों से हाथ मिलाया और नेहा को परिचय कराया। तब तक नेहा दोनों मर्दो को नीचे से ऊपर तक घूर रही थी, खासकर अपनी आँखों को उन दोनों के पैंट के ऊपर लाना नहीं भूली, जहाँ उनके लण्ड छुपे थे। फिर सब घर के अंदर दाखिल होने लगे। नेहा से परिचय के बाद दोनों ने नेहा को गाल पर किस किया, और नेहा ने भी दोनों को वैसे ही गाल पर किस रिटर्न किए। रूपचंद ने हल्के से अपना हाथ नेहा की गाण्ड पर फेरा उसका गाल चूमते वक्त और शीक और प्रवींद्र ने उस आक्सन को अच्छी तरह से देखा।

नेहा ने उस वक्त ऐसा रिएक्ट किया कि उसको कुछ पता नहीं चला।

आखीर में बिना वक्त बर्बाद किए सब बेडरूम में आ गये। दोनों मर्दो के लण्ड बिल्कुल जमके खड़े हो गये थे, नेहा को अपने बीच पाकर, और प्रवींद्र का भी जबरदस्त खड़ा हो चुका था। तो सब बेडरूम में थे। नेहा और प्रवींद्र के बीच यह बात तय हो गई थी कि सबके सामने वो नेहा को बेबी पुकारेगा और नेहा उसको जान बोलेगी।

दोनों बुजुर्गों ने नेहा को बिस्तर पर बैठने को कहा। नेहा बैठी तो उसकी ड्रेस घुटनों से थोड़ा ऊपर हो गई और उसकी गोरी जांघों के नजारे थोड़े से सामने आए। वह हिस्से जो थोड़ा सा ज्यादा गोरा होता है छिपे रहने की वजह से, वो बहुत ही आकर्षित करता है। दोनों बड़े मियां ने एक दूसरे को देखा और शीक ने पहले बात की “तुम बेहद खूबसूरत और जवान हो जानेमन, हम दोनों अपने आपको बहत खुशनसीब समझते हैं कि तम हमें मिली
सच में ताकदीर वाले हैं हम दोनों..." इतना कहकर शीक नेहा के करीब बैठा और उसके कंधे पर एक हाथ रखा और दूसरे हाथ को उसकी जाँघ पर रखकर वो हल्के से सहलाने लगा।

नेहा ने बस एक मुश्कान के साथ सर को नीचे झुकाया फिर प्रवींद्र को देखा।

प्रवींद्र ने उस वक्त नेहा को एक आँख मारा, और नेहा रूपचंद को देखकर मुश्कराई क्योंकी वो उस वक्त उसको
और शीक को ही देख रहा था। रूपचंद ने प्रवींद्र और नेहा से बात करते हुए पूछा- “तो हमें तुम दोनों यह बताओ कि कैसे और क्यों तुम लोगों को ऐसे रिश्ते पसंद हैं?"

नेहा ने जवाब दिया- “मैं सिर्फ उसको खुश करने के लिए ये कर रही हूँ, मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ और उसकी बहुत चाह है मुझको किसी दूसरे के साथ चुदते देखने की, और मैं उसकी इस इच्छा को पूरा करना चाहती थी..”

तब शीक ने नेहा से पूछा- “और तुम दोनों में से किसने यह निश्चय किया कि उम्र वाले लोगों के साथ मजा किया जाए और जवानों के साथ नहीं? यह तुम्हारी पसंद है या तुम्हारे बायफ्रेंड की?"

नेहा ने सर झुकते हुए, थोड़ी सी शर्माते हुए कहा- “यह मेरी पसंद है.."

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जैसे ही नेहा ने यह बात कही, शीक ने अपनी उंगली से उसकी ठोड़ी ऊपर उठाते हुए अपने होंठों को नेहा के होंठ से लगाया और अपनी जीभ को उसके मुँह के अंदर डाल दिया। फिर दोनों ने एक दूसरे के मुँह के रस को पिया। उस वक्त नेहा की मुट्ठी में शीक की कमीज के बांह जकड़ी हुई थी, मतलब किस करते वक्त। और शीक के हाथ नेहा की ड्रेस को जांघों के ऊपर धीरे-धीरे उठा रहे थे और ड्रेस नेहा की कमर तक उठ गई। और उसकी बहुत
ही आकषिक गदराई जांघे और उसकी सफेद पैंटी नजर आने लगी थी।

प्रवींद्र ने अपने पैंट में लण्ड को संभालते हए एक कुर्सी खींचा और बैठकर आराम से सब देखने के लिए तैयार हो गया।

शीक ने धीरे से नेहा को बिस्तर पर लेटाया और नेहा बिना ऐतराज के लेट गई। अब नेहा की बाहें शीक के कंधों पर थीं और उसके होंठ शीक के गले पर चूमते हुए नजर आए प्रवींद्र को। और शीक के होंठ नेहा के गले से होकर उसकी चूचियों की तरफ बढ़ रहे थे।

प्रवींद्र ने फिर रूपचंद को जाय्न करने का इशारा किया। तो वो भी गया बिस्तर पर जाकर नेहा की चूचियों को दबाया जो तब तक ड्रेस के अंदर ही थी। उसकी निपल्स खड़ी हुइ नजर आ रही थीं ड्रेस के ऊपर से ही, लगता था खुद कपड़े फाड़कर बाहर निकलना चाह रही हों। और तब तक शीक का मुँह नेहा के जिश्म को चाटते हुए उसकी पैंटी तक पहुँच चुका था। नेहा की पैंटी को शीक ने अपने दाँतों से पकड़कर खींचा, और रूपचंद ने भी शीक की मदद कि नेहा की पैंटी उतारने में।

नेहा ने उस वक्त प्रवींद्र को एक नजर देखा, जिस वक्त वह दोनों उसकी पैंटी उतार रहे थे, तो प्रवींद्र ने अपनी जीभ बाहर निकलकर नेहा को इशारा किया और एक आँख मारा उसको। दोनों अधेड़ आदमी, नेहा की सफाचट चूत, और उसकी गदराई जांघे जिसमें जरूरत के मोतबिक गोश्त था, उनको देखकर दोनों बुजुर्गों से सब ना हआ

और दोनों एक-एक जांघ को अपने हाथों में थामकर चूसने लगे, लाल निशान छोड़ते हए नेहा की गोरी गदराए जांघों पर। उसके बाद दोनों ने मिलकर नेहा को पेट के बल लिटाया बिस्तर पर। फिर दोनों मर्द उसकी ड्रेस के पीछे पीठ पर जो जिप थी उसको नीचे करने लगे।

अब धीरे-धीरे नेहा की ड्रेस भी उतरने लगी। नेहा ने अपनी बाहों को ऊपर उठाकर ड्रेस को निकालने के लिए खुद मदद किया। फिर नेहा की ब्रा निकाली गई और अब नेहा उन दो गैर मर्दो के बीच बिस्तर पर बिल्कुल नंगी थी। दोनों मर्द नेहा के बाप और ससुर से भी बड़े थे उम्र में।

तब तक उन दोनों बुजुर्गों के मुँह से लार टपक पड़ी, नेहा को उस हालत में बिस्तर पर अपने सामने पाकर। दोनों ने एक दूसरे को देखा, फिर मुश्कुराए और एक-एक चूची को अपने मुँह में ले लिया दोनों ने चूसने को, मसलने को। नेहा के मुंह से तुरंत एक सिसकारी फूटी और उसने अपने सर को पीछे किया गर्दन को सीधा करते हए, और उसकी नजरें प्रवींद्र की नजरों से टकराई वैसा करते वक्त।

प्रवींद्र बहुत ध्यान से देख रहा था, और बहुत उत्तेजित महसूस कर रहा था, नेहा को दो अजनबियों को उसके साथ वो सब बिना झिझक के करते हुए देखकर।

कुछ देर नेहा की चूची चूसने के बाद शीक अपने कपड़े उतारने जा रहा था तो प्रवींद्र बोला- “अंकल, उसको कहो उतारने को, वोही आप दोनों के कपड़े उतारेगी.."

तब दोनों बुजुर्ग मुड़कर नेहा को देखने लगे और नेहा प्रवींद्र को देखते हुए अपने दाँतों में होंठ दबाए मुश्कुरा रही थी। फिर नेहा शीक की शर्ट उतारने लगी। फिर रूपचंद की भी शर्ट निकाली नेहा ने। तब नेहा शीक की पैंट का जिप खोलने लगी, और आराम से उसकी पैंट को नीचे करते हुए नेहा ने शीक के मोटे लण्ड का आकार देखा उसके अंडरवेर के अंदर। जबरदस्त खड़ा था शीक का औजार। धीरे-धीरे अपनी मुलायम उंगलियों से नेहा ने शीक की अंडरवेर को नीचे करना शुरू किया तो उसका तना हुआ लण्ड झट से बाहर निकला। नेहा की आँखें उसको देखते रह गईं।

फिर बहुत हैरात से देखते हुए, नेहा तकरीबन चिल्लाते हुए बोली- “अरे बाप रे... मैंने आज तक इतना मोटा वाला कभी नहीं देखी है, इतना बड़ा, इतना लंबा और मोटा। यह क्या है यह मेरे अंदर नहीं जा सकता है। ना बाबा ना.." और नेहा प्रवींद्र की ओर देखते हुए उसको इशारे से शीक का लण्ड दिखाती है।, जो मोटा और लंबा था, कुछ हद से ज्यादा ही बड़ा था।
 
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