hotaks444
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दीपाली- ऊह.. माँ.. तुझे शर्म नहीं आई छी: अपने ही भाई का लण्ड हाथ में ले लिया और तुझे जरा भी डर नहीं लगा कि होश में आने के बाद वो क्या सोचेगा?
प्रिया- अरे नहीं रे.. वो बहुत टल्ली था उसे कहाँ कुछ याद रहता है। चाचा उसको मार रहे थे तब भी पता नहीं किस का नाम ले रहा था कि तुझे देख लूँगा।
दीपाली- ओह.. अच्छा आगे बता.. क्या हुआ वो बता…
प्रिया- होना क्या था नीचे से माँ की आवाज़ आ रही थी.. मैं घबरा गई उसने बहुत ज़्यादा सूसू की.. मैंने जल्दी से उसकी ज़िप बन्द की.. उसको बिस्तर पर लिटा कर कमरे से बाहर निकल गई।
दीपाली- उसके बाद तेरे मन में दीपक का ख्याल आया।
प्रिया- नहीं यार उसके बाद मैं अपने कमरे में आ कर सोचने लगी.. बस मेरे दिमाग़ में दीपक का लण्ड घूमने लगा.. मैंने जल्दी से कहानी की किताब निकाली और भाई-बहन की कहानी पढ़ने लगी.. जब रात ज़्यादा हो गई और मेरे जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी.. तो मैं चुपके से नीचे गई।
मॉम-डैड के कमरे से खर्राटों की आवाज़ आ रही थी, वो गहरी नींद में सो रहे थे। उसके बाद मैं ऊपर दीपक के पास गई.. वो अब भी बेसुध लेटा हुआ था मैंने हिम्मत करके उसकी पैन्ट का हुक खोला और लौड़ा बाहर निकाला। अरे यार तुझे क्या बताऊँ.. पहली बार लौड़े को ऐसे देख रही थी और सेक्सी कहानी क कारण मेरी चूत एकदम गीली हो रही थी। मैंने उसके लौड़े को सहलाना शुरू किया कुछ ही देर में वो अपने असली आकार में आने लगा।
दीपक तो बेसुध सा पड़ा हुआ.. ना जाने क्या बड़बड़ा रहा था.. मुझे तो बस लौड़े से मतलब था.. तन कर क्या मस्त 7″ से भी ज़्यादा हो गया होगा और मोटा भी खूब था यार.. तुझे क्या बताऊँ लौड़ा देख कर मेरी तो हालत खराब हो गई..
दीपाली- अच्छा उसके बाद तूने क्या किया.. यार तेरी कहानी में मज़ा आ रहा है।
प्रिया- यार क्या बताऊँ बस उसको सहलाती रही.. कहानी में लण्ड चूसने के बारे में पढ़ा था कि बड़ा मज़ा आता है लेकिन यह सच होता है, यह नहीं पता था।
दीपाली- अरे एकदम सच होता है.. बड़ा मज़ा आता है मैंने भी…
दीपाली जोश-जोश में बोल तो गई मगर जल्दी ही उसको ग़लती का अहसास हो गया और वो एकदम चुप हो गई।
प्रिया- अच्छा तो ये बात है… हाँ बड़े मज़े ले चुकी है तू.. तो अब बता भी दे.. कितनी बार चूस चुकी है और कैसा मज़ा आया?
दीपाली- अभी नहीं सब बताऊँगी मगर पहले तू बता पूरी कहानी।
दीपाली को उसकी बातों में बड़ा रस आ रहा था उसकी चूत भी गीली होने लगी थी।
प्रिया- यार पहली बार मैंने लण्ड को होंठों से छुआ.. उफ्फ कितना गर्म था वो.. डरते डरते मैंने उसकी टोपी को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। सच्ची वो ऐसा अहसास था जिसे मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकती।
दीपाली- चुप क्यों हो गई बोल ना यार प्लीज़..
प्रिया- यार बोल तो रही हूँ.. उस दिन को याद करके मुँह में पानी आ गया। उसके बाद मैं आराम से लौड़े को चूसने लगी। अब मैंने जड़ तक उसको चूसना शुरू कर दिया। बड़ा मज़ा आ रहा था जीभ से उसको पूरा चाट रही थी। मैंने उसकी गोटियाँ भी चूसीं.. कोई 15 मिनट तक मैं चूसती रही उसके लौड़े से कुछ पानी की बूँदें आईं जिसका स्वाद खट्टा सा.. नमकीन सा पता नहीं कैसा था.. मगर मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था। कसम से मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी। जब कोई 25 मिनट हो गए होंगे मुझे चूसते हुए तो मैंने रफ़्तार से मुँह को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया.. जैसे चुदाई होती है बस फिर क्या था उसका लौड़ा फूलने लगा और मेरे मुँह में ही उसने सारा माल छोड़ दिया।
दीपाली- ओह.. तूने क्या किया.. पी गई या थूक दिया बाहर…
प्रिया- अरे नहीं मैं तैयार नहीं थी कि कब पानी आएगा.. अचानक से ये सब हो गया और उसके पानी की धार भी बहुत तेज़ी से आई.. सीधे गले में चली गई.. मजबूरन पीना ही पड़ा। मगर हाँ एक बात है.. शुरू में गंदी फीलिंग आई.. उसके बाद बड़ा अच्छा लगा।
दीपाली- यार तूने कितनी हिम्मत का काम किया.. मैं होती तो शायद कभी नहीं करती।
प्रिया- अरे नहीं रे.. वो बहुत टल्ली था उसे कहाँ कुछ याद रहता है। चाचा उसको मार रहे थे तब भी पता नहीं किस का नाम ले रहा था कि तुझे देख लूँगा।
दीपाली- ओह.. अच्छा आगे बता.. क्या हुआ वो बता…
प्रिया- होना क्या था नीचे से माँ की आवाज़ आ रही थी.. मैं घबरा गई उसने बहुत ज़्यादा सूसू की.. मैंने जल्दी से उसकी ज़िप बन्द की.. उसको बिस्तर पर लिटा कर कमरे से बाहर निकल गई।
दीपाली- उसके बाद तेरे मन में दीपक का ख्याल आया।
प्रिया- नहीं यार उसके बाद मैं अपने कमरे में आ कर सोचने लगी.. बस मेरे दिमाग़ में दीपक का लण्ड घूमने लगा.. मैंने जल्दी से कहानी की किताब निकाली और भाई-बहन की कहानी पढ़ने लगी.. जब रात ज़्यादा हो गई और मेरे जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी.. तो मैं चुपके से नीचे गई।
मॉम-डैड के कमरे से खर्राटों की आवाज़ आ रही थी, वो गहरी नींद में सो रहे थे। उसके बाद मैं ऊपर दीपक के पास गई.. वो अब भी बेसुध लेटा हुआ था मैंने हिम्मत करके उसकी पैन्ट का हुक खोला और लौड़ा बाहर निकाला। अरे यार तुझे क्या बताऊँ.. पहली बार लौड़े को ऐसे देख रही थी और सेक्सी कहानी क कारण मेरी चूत एकदम गीली हो रही थी। मैंने उसके लौड़े को सहलाना शुरू किया कुछ ही देर में वो अपने असली आकार में आने लगा।
दीपक तो बेसुध सा पड़ा हुआ.. ना जाने क्या बड़बड़ा रहा था.. मुझे तो बस लौड़े से मतलब था.. तन कर क्या मस्त 7″ से भी ज़्यादा हो गया होगा और मोटा भी खूब था यार.. तुझे क्या बताऊँ लौड़ा देख कर मेरी तो हालत खराब हो गई..
दीपाली- अच्छा उसके बाद तूने क्या किया.. यार तेरी कहानी में मज़ा आ रहा है।
प्रिया- यार क्या बताऊँ बस उसको सहलाती रही.. कहानी में लण्ड चूसने के बारे में पढ़ा था कि बड़ा मज़ा आता है लेकिन यह सच होता है, यह नहीं पता था।
दीपाली- अरे एकदम सच होता है.. बड़ा मज़ा आता है मैंने भी…
दीपाली जोश-जोश में बोल तो गई मगर जल्दी ही उसको ग़लती का अहसास हो गया और वो एकदम चुप हो गई।
प्रिया- अच्छा तो ये बात है… हाँ बड़े मज़े ले चुकी है तू.. तो अब बता भी दे.. कितनी बार चूस चुकी है और कैसा मज़ा आया?
दीपाली- अभी नहीं सब बताऊँगी मगर पहले तू बता पूरी कहानी।
दीपाली को उसकी बातों में बड़ा रस आ रहा था उसकी चूत भी गीली होने लगी थी।
प्रिया- यार पहली बार मैंने लण्ड को होंठों से छुआ.. उफ्फ कितना गर्म था वो.. डरते डरते मैंने उसकी टोपी को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। सच्ची वो ऐसा अहसास था जिसे मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकती।
दीपाली- चुप क्यों हो गई बोल ना यार प्लीज़..
प्रिया- यार बोल तो रही हूँ.. उस दिन को याद करके मुँह में पानी आ गया। उसके बाद मैं आराम से लौड़े को चूसने लगी। अब मैंने जड़ तक उसको चूसना शुरू कर दिया। बड़ा मज़ा आ रहा था जीभ से उसको पूरा चाट रही थी। मैंने उसकी गोटियाँ भी चूसीं.. कोई 15 मिनट तक मैं चूसती रही उसके लौड़े से कुछ पानी की बूँदें आईं जिसका स्वाद खट्टा सा.. नमकीन सा पता नहीं कैसा था.. मगर मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था। कसम से मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी। जब कोई 25 मिनट हो गए होंगे मुझे चूसते हुए तो मैंने रफ़्तार से मुँह को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया.. जैसे चुदाई होती है बस फिर क्या था उसका लौड़ा फूलने लगा और मेरे मुँह में ही उसने सारा माल छोड़ दिया।
दीपाली- ओह.. तूने क्या किया.. पी गई या थूक दिया बाहर…
प्रिया- अरे नहीं मैं तैयार नहीं थी कि कब पानी आएगा.. अचानक से ये सब हो गया और उसके पानी की धार भी बहुत तेज़ी से आई.. सीधे गले में चली गई.. मजबूरन पीना ही पड़ा। मगर हाँ एक बात है.. शुरू में गंदी फीलिंग आई.. उसके बाद बड़ा अच्छा लगा।
दीपाली- यार तूने कितनी हिम्मत का काम किया.. मैं होती तो शायद कभी नहीं करती।