Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान - Page 6 - SexBaba
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Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान

दीपाली- ऊह.. माँ.. तुझे शर्म नहीं आई छी: अपने ही भाई का लण्ड हाथ में ले लिया और तुझे जरा भी डर नहीं लगा कि होश में आने के बाद वो क्या सोचेगा?

प्रिया- अरे नहीं रे.. वो बहुत टल्ली था उसे कहाँ कुछ याद रहता है। चाचा उसको मार रहे थे तब भी पता नहीं किस का नाम ले रहा था कि तुझे देख लूँगा।

दीपाली- ओह.. अच्छा आगे बता.. क्या हुआ वो बता…

प्रिया- होना क्या था नीचे से माँ की आवाज़ आ रही थी.. मैं घबरा गई उसने बहुत ज़्यादा सूसू की.. मैंने जल्दी से उसकी ज़िप बन्द की.. उसको बिस्तर पर लिटा कर कमरे से बाहर निकल गई।

दीपाली- उसके बाद तेरे मन में दीपक का ख्याल आया।

प्रिया- नहीं यार उसके बाद मैं अपने कमरे में आ कर सोचने लगी.. बस मेरे दिमाग़ में दीपक का लण्ड घूमने लगा.. मैंने जल्दी से कहानी की किताब निकाली और भाई-बहन की कहानी पढ़ने लगी.. जब रात ज़्यादा हो गई और मेरे जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी.. तो मैं चुपके से नीचे गई।

मॉम-डैड के कमरे से खर्राटों की आवाज़ आ रही थी, वो गहरी नींद में सो रहे थे। उसके बाद मैं ऊपर दीपक के पास गई.. वो अब भी बेसुध लेटा हुआ था मैंने हिम्मत करके उसकी पैन्ट का हुक खोला और लौड़ा बाहर निकाला। अरे यार तुझे क्या बताऊँ.. पहली बार लौड़े को ऐसे देख रही थी और सेक्सी कहानी क कारण मेरी चूत एकदम गीली हो रही थी। मैंने उसके लौड़े को सहलाना शुरू किया कुछ ही देर में वो अपने असली आकार में आने लगा।

दीपक तो बेसुध सा पड़ा हुआ.. ना जाने क्या बड़बड़ा रहा था.. मुझे तो बस लौड़े से मतलब था.. तन कर क्या मस्त 7″ से भी ज़्यादा हो गया होगा और मोटा भी खूब था यार.. तुझे क्या बताऊँ लौड़ा देख कर मेरी तो हालत खराब हो गई..

दीपाली- अच्छा उसके बाद तूने क्या किया.. यार तेरी कहानी में मज़ा आ रहा है।

प्रिया- यार क्या बताऊँ बस उसको सहलाती रही.. कहानी में लण्ड चूसने के बारे में पढ़ा था कि बड़ा मज़ा आता है लेकिन यह सच होता है, यह नहीं पता था।

दीपाली- अरे एकदम सच होता है.. बड़ा मज़ा आता है मैंने भी…

दीपाली जोश-जोश में बोल तो गई मगर जल्दी ही उसको ग़लती का अहसास हो गया और वो एकदम चुप हो गई।

प्रिया- अच्छा तो ये बात है… हाँ बड़े मज़े ले चुकी है तू.. तो अब बता भी दे.. कितनी बार चूस चुकी है और कैसा मज़ा आया?

दीपाली- अभी नहीं सब बताऊँगी मगर पहले तू बता पूरी कहानी।

दीपाली को उसकी बातों में बड़ा रस आ रहा था उसकी चूत भी गीली होने लगी थी।

प्रिया- यार पहली बार मैंने लण्ड को होंठों से छुआ.. उफ्फ कितना गर्म था वो.. डरते डरते मैंने उसकी टोपी को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। सच्ची वो ऐसा अहसास था जिसे मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकती।

दीपाली- चुप क्यों हो गई बोल ना यार प्लीज़..

प्रिया- यार बोल तो रही हूँ.. उस दिन को याद करके मुँह में पानी आ गया। उसके बाद मैं आराम से लौड़े को चूसने लगी। अब मैंने जड़ तक उसको चूसना शुरू कर दिया। बड़ा मज़ा आ रहा था जीभ से उसको पूरा चाट रही थी। मैंने उसकी गोटियाँ भी चूसीं.. कोई 15 मिनट तक मैं चूसती रही उसके लौड़े से कुछ पानी की बूँदें आईं जिसका स्वाद खट्टा सा.. नमकीन सा पता नहीं कैसा था.. मगर मुझे तो बड़ा मज़ा आ रहा था। कसम से मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी। जब कोई 25 मिनट हो गए होंगे मुझे चूसते हुए तो मैंने रफ़्तार से मुँह को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया.. जैसे चुदाई होती है बस फिर क्या था उसका लौड़ा फूलने लगा और मेरे मुँह में ही उसने सारा माल छोड़ दिया।

दीपाली- ओह.. तूने क्या किया.. पी गई या थूक दिया बाहर…

प्रिया- अरे नहीं मैं तैयार नहीं थी कि कब पानी आएगा.. अचानक से ये सब हो गया और उसके पानी की धार भी बहुत तेज़ी से आई.. सीधे गले में चली गई.. मजबूरन पीना ही पड़ा। मगर हाँ एक बात है.. शुरू में गंदी फीलिंग आई.. उसके बाद बड़ा अच्छा लगा।

दीपाली- यार तूने कितनी हिम्मत का काम किया.. मैं होती तो शायद कभी नहीं करती।
 
प्रिया- अरे इसमें क्या हिम्मत.. आगे सुन.. उसका तो पानी निकल गया मगर मैं काम-वासना की आग में जलने लगी.. मेरी चूत से लगातार रस टपक रहा था और अब बर्दास्त के बाहर था। मैंने नाईटी निकाली जो में रात को पहनती हूँ.. पैन्टी भी एक तरफ रख दी और अपनी कुँवारी चूत पर उसका लौड़ा रगड़ने लगी.. जो अब धीरे-धीरे बेजान हो रहा था.. तू यकीन नहीं करेगी मुरझाए हुए लौड़े ने भी वो कर दिया जो तू सोच भी नहीं सकती जैसे ही मेरी चूत पर मैंने लौड़ा स्पर्श किया.. झट से मेरी चूत का फुव्वारा फूट गया और इतना पानी निकला कि कभी ऊँगली से इतना नहीं निकला होगा यार…

दीपाली- यार तेरी बातों ने तो कमरे का माहौल गर्म कर दिया, पूरा जिस्म आग की तरह जल रहा है।

प्रिया- अरे तेरा जिस्म जल रहा है ... बात करते-करते मुझे बस दीपक का लौड़ा ही नज़र आ रहा है.. मेरी पूरी पैन्टी गीली हो गई यार..

दीपाली थोड़ा सा झिझक कर बोली- यार ऐसा ही हाल मेरा भी है।



प्रिया- हाँ जानती हूँ कब से तू पैरों को इधर-उधर कर रही है।

दीपाली- उसके बाद क्या हुआ.. उसका दोबारा कड़क किया तूने?

प्रिया- नहीं यार मॉम शायद उठ गई थीं.. वे पानी पीने आई थीं या पता नहीं.. मगर मैंने नीचे कुछ आवाज़ सुनी तो मैंने जल्दी से उसके लौड़े को पैन्ट में करके अपने कपड़े ठीक किए और वहाँ से भाग गई अब तो तुझे समझ आ गई ना मेरी बात.. बस मैं उसी वक्त ये सोच चुकी थी कि अब किसी भी तरह दीपक को फंसाऊँगी और अपनी चूत का मुहूर्त उसी से करवाऊँगी।

दीपाली- यार सुबह कुछ नहीं कहा उसने.. रात की कोई तो बात उसे याद होगी?

प्रिया- अरे कहाँ यार.. वो तो माँ से ये पूछ रहा था मैं यहा कैसे आया.. उसको तो चाचा की मार भी याद नहीं थी।

दीपाली- यार एक बात तो तुझे पता है कि दीपक एक नम्बर का आवारा है.. तू थोड़ी सी कोशिश करके देख, वो खुद तुझे चोदने को राज़ी हो जाएगा।

प्रिया- जानती हूँ.. मगर कैसे करूँ यार.. एक ही घर में होते तो ऐसा न था.. अब दीपक को बस स्कूल में देखती हूँ.. घर तो समझो वो बस खाना खाने जाता है.. बाकी वक्त अपने दोस्तों के साथ ही रहता है। उसे अपने जिस्म के जलवे दिखाने का मुझे कोई मौका ही नहीं मिलता.. अब रात को तो मैं उसके घर बिना काम के जा नहीं सकती हूँ।

दीपाली- हाँ ये बात भी सही है.. यार तूने इतनी हिम्मत कर ली वो ही बहुत बड़ी बात है।

प्रिया- यार क्या करूँ.. उसका लौड़ा था ही ऐसा कि बस मेरी चूत फड़फड़ाने लगी और हिम्मत अपने आप आ गई।

दीपाली- यार तेरी बातें सुनकर चूत की हालत पतली हो गई.. तू रूक मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।

प्रिया- अरे बाथरूम में जाकर ऊँगली करेगी.. इससे अच्छा तो यहीं कर ले और मैं तो कहती हूँ चल मज़ा करते हैं.. मैंने कहानी में पढ़ा है कि कैसे दो लड़कियाँ आपस में चुदाई का मज़ा लेती हैं।

प्रिया ने दीपाली के मन की बात बोल दी थी.. उसे अनुजा के साथ का सीन याद आ रहा था.. वो झट से मान गई।

दीपाली- चल निकाल कपड़े.. नंगी हो कर खूब मज़ा करेंगे यार..

प्रिया- हाँ यार.. नंगी हो कर ही ज़्यादा मज़ा आएगा।

दोनों ने कपड़े निकालने शुरू कर दिए।
 
(दोस्तो, प्रिया का फिगर तो आपको पता ही है 30-26-30 ... चलो अब प्रिया को नंगी भी देख लो। जैसा कि मैंने पहले आपको बताया था प्रिया थोड़ी साँवली है लेकिन दोस्तों रंग का कोई महत्व नहीं होता.. कुदरत ने प्रिया के यौनांगों को बड़ा ही तराशा था.. उसके मम्मे एकदम गोल.. जरा भी इधर-उधर नहीं.. एकदम परफ़ेक्ट जगह पर और थोड़े ऊपर को उठे हुए चुदाई की भाषा में ‘तने हुए मम्मों बोल सकते हैं और उन गोल मम्मों पर उसके खड़े निप्पल.. एकदम गुलाबी.. जैसे किसी ने गुलाब की पत्ती तोड़ कर वहाँ चिपका दी हो और पतली कमर जिसमें एक गड्डा बना हुआ था.. जिससे उसकी गाण्ड का उठाव अलग ही नज़र आता था। भले ही वो साँवली हो मगर कोई इसको ऐसी हालत में देख ले उसका लौड़ा बिना चोदे ही पानी टपकने लगेगा। चलो अब प्रिया को नंगा तो अपने देख लिया। अब इन दोनों कमसिन कलियों की रगड़लीला भी देख लो।)

दीपाली- वाउ यार तेरे मम्मे तो बहुत अच्छे हैं गोल-गोल…।

प्रिया- रहने दे यार, इतने ही अच्छे हैं तो कोई देखता क्यों नहीं.. जिस्म तो तेरे पास है.. एकदम गोरा.. बेदाग … किसी को भी अपनी और खींचने वाला..

दीपाली- अरे यार अब बहस में क्या फायदा.. चल आ जा, मस्ती करते हैं।

दोनों कमसिन कलियां बिस्तर पर नंगी पड़ी.. एक-दूसरे को चूमने लगीं.. कभी दीपाली उसके मम्मों दबाती और चूसती.. तो कभी वो।

दोनों एकदम गर्म हो गई थीं प्रिया चुदी हुई नहीं थी मगर कहानी से उसने काफ़ी कुछ सीखा हुआ था.. वो मम्मे चूसने के साथ-साथ दीपाली की चूत भी रगड़ रही थी। काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे के साथ मस्ती करती रहीं।

दीपाली- उफ़फ्फ़ आह प्रिया मेरी चूत में कुछ हो रहा है प्लीज़ आह्ह… थोड़ी देर चाट ले ना आह्ह… मैं भी तेरी चाटती हूँ आह्ह… आजा 69 का स्थिति बना ले।

प्रिया- हाँ यार उफ़फ्फ़.. चूत जलने लगी है.. बड़ा मज़ा आएगा चल आजा..

दोनों अब एक-दूसरे की चूत का रस चाट रही थीं दीपाली तो पहले चूत चाट चुकी थी.. उसको तो बड़ा मज़ा आ रहा था मगर प्रिया की चूत पर पहली बार होंठ लगे थे.. वो तो आनन्द की असीम सीमा पर पहुँच गई थी। उसको बहुत मज़ा आ रहा था और उसी जोश में वो दीपाली की चूत को बड़े मज़े से चाट रही थी।

दोनों पहले से ही गर्म थीं ज़्यादा देर तक चूत-चटाई बर्दास्त ना कर पाईं और एक-दूसरे के मुँह में झड़ गईं। झड़ने के 5 मिनट बाद तक दोनों शान्त पड़ी रहीं।

प्रिया- उफ़फ्फ़… साली ये चूत भी क्या कुतिया चीज है.. बड़ा मज़ा आया आज तो.. यार अगर तू लड़की होकर इतना मज़ा दे सकती है तो दीपक मुझे कितना मज़ा देगा।

दीपाली- हाँ यार लौड़े से जो मज़ा आता है.. वो कहीं किसी से नहीं मिलता और मैंने जो चूत चाटी.. वो कुछ नहीं है.. मर्द की ज़ुबान जब चूत पर लगती है.. अय..हय.. उसका मज़ा कुछ अलग ही होता है।

प्रिया- सच्ची..! ऐसा मज़ा मिलता है.. यार प्लीज़ इसी लिए तो कह रही हूँ.. कुछ कर दीपक को मेरा बना दे.. जब उन्होंने एक बार तेरा नाम लिया तो मुझे बड़ा गुस्सा आया.. मगर बाद में मैंने सोच लिया कि अब तू ही मेरी मदद करेगी।

दीपाली- यार यही बात करने तो तुझे यहाँ बुलाई हूँ.. अब तू ही बता.. मैं उसको राज़ी कैसे करूँ.. तुझे चोदने के लिए।

प्रिया- देख सीधी सी बात है.. वो तीनों तुझे चोदना चाहते हैं.. अब तू सच-सच बता.. उनसे चुदना चाहती है या नहीं.. उसके बाद मैं आइडिया बताती हूँ।

दीपाली- नहीं यार.. मैं उनसे नहीं चुदना चाहती.. वो स्कूल में बदनाम कर देंगे… मुझे उन पर ज़रा भी विश्वास नहीं है।

प्रिया- मैं जानती थी तू यही कहेगी.. अब सुन, तुझे चुदना नहीं है.. बस चुदने की एक्टिंग करनी है।

दीपाली- वो कैसे, यार?

प्रिया- सुन.. मैडी तेरे ज़्यादा करीब आ रहा है.. तू उसको सीधे बोल दे कि तुझे उनकी बात पता चल गई है और तू खुद भी यही चाहती है.. मगर तेरी एक शर्त है कि जगह तुम बताओगी और अंधेरे में सब काम करना होगा। तू उनके सामने नंगी नहीं होना चाहती।

दीपाली- इससे क्या होगा और मैं ऐसा क्यों कहूँ..? मुझे नहीं चुदना यार उनसे…

प्रिया- अरे यार सुन तो, जब वो मान जाए.. तो हम दोनों किसी जगह का इंतजाम कर लेंगे। मैं छुप कर रहूंगी.. तू उनसे ये कहना कि मैं कुँवारी हूँ और अपनी चूत पहली बार दीपक को दूंगी.. उसके बाद बाकी दोनों एक-एक कर के ले सकते हैं ... कमरे में जब तुम और दीपक ही हों तब तुम लाइट बन्द कर देना। मैं तुम्हारी जगह ले लूंगी.. बस आवाज़ तुम्हारी और चूत मेरी .. वो मुझे चोदेगा और तू साइड में चुपचाप बैठी रहना।

प्रिया की बात सुनकर दीपाली बस उसको देखती रही।

प्रिया- अरे ऐसे मुँह क्या फाड़ रही है कुछ बोल ना आइडिया कैसा लगा?
 
दीपाली- यार, ऐसे आइडिया तेरे दिमाग़ में आए कहाँ से और मुझे नहीं करना ये सब.. बात तो वहीं की वहीं है.. भले ही चुदेगी तू.. मगर उनकी नज़र में तो मैं ही हूँ ना.. वो तो मुझे पूरे स्कूल में बदनाम कर देंगे।

प्रिया- अरे यार अब तू ही कुछ सोच .. मुझे तो जो समझ आया मैंने तुझे बोल दिया।

दीपाली- देख प्रिया, तू मेरी बात मान ले.. विकास सर का लौड़ा 8″ का है और मोटा भी बहुत है.. उन्हें चोदने का बहुत ज़्यादा अनुभव भी है.. तू अपनी सील उनसे ही तुड़वा ले।

प्रिया- नहीं यार, तू मुझे सर के लौड़े का लालच मत दे … मैंने पक्का मन बना लिया है.. सील तो दीपक से ही तुड़वाऊँगी.. उसके बाद चाहे उसके दोस्त चोद लें या कोई और… मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

दीपाली- यार, तूने मुझे दुविधा में डाल दिया.. कुछ सोचना पड़ेगा मुझे.. तू ऐसा कर आज रहने दे.. मैं कल बताती हूँ कि कैसे दीपक को राज़ी करना है… अब तो कुछ भी हो जाए तेरी चूत की सील दीपक ही तोड़ेगा।

प्रिया- थैंक्स यार उम्म्म्मा…

ख़ुशी के मारे प्रिया ने दीपाली को चूम लिया।

दीपाली- अब ये सब बातें भूल जा .. देख आज शुक्रवार है.. मैडी का जन्मदिन सोमवार को है.. अभी काफ़ी वक्त है। मैं कुछ ना कुछ सोच लूँगी .. चल अभी थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं यार…

प्रिया- अरे यार तू इतनी अच्छी स्टूडेंट है.. तू तो पक्का पास हो जाएगी.. तो क्यों इतना पढ़ती है.. चल मुझे अपनी कहानी सुना ना..

दीपाली- नहीं अभी बस स्टडी.. और कुछ नहीं। फिर कभी अपनी बात बता दूँगी।

प्रिया बुझे मन से उसके साथ पढ़ने लगी।

शाम तक प्रिया वहीं रही.. उसके बाद दीपाली ने उसे भेज दिया और खुद विकास सर के घर जाने की तैयारी में लग गई।

सबसे पहले तो वो नहा कर फ्रेश हुई उसके बाद उसने ब्लू जींस और सफ़ेद टी-शर्ट पहनी.. बाल भी खुले रखे और घर से निकल गई।

(दोस्तों, इस ड्रेस में दीपाली बहुत सुन्दर दिख रही थी.. चुस्त टी-शर्ट में से उसके मम्मे साफ दिख रहे थे और जींस में से गाण्ड एकदम बाहर को निकल रही थी। कोई अगर उसको पीछे से देख ले तो उसके मन में बस यही विचार आए कि काश एक बार इसकी गाण्ड मार लूँ.. उसका लौड़ा तो बगावत कर दे कि अभी मुझे इसकी गाण्ड में घुसना है.. मगर ऐसा हो नहीं सकता ना.. चलो ये सब बातें जाने दो. कहानी पर आती हूँ।)

दीपाली आराम से अपनी धुन में चली जा रही थी। सुधीर उसी जगह खड़ा उसका इन्तजार कर रहा था। उसको देखते ही सुधीर की आँखों में चमक आ गई।

सुधीर- वाह क्या क़यामत लग रही हो आज तो. क्यों इस बूढ़े पर सितम ढा रही हो.. ऐसे जलवे मत दिखाओ.. देखो लौड़ा हरकत में आ गया तुमको देख कर।
 
दीपाली- हा हा हा! आप भी ना अंकल ओह.. उप्पस सॉरी सुधीर जी…

सुधीर- हाय.. मार डाला रे जालिम, आज क्या कत्ल करने का इरादा है…

दीपाली- आप को ऐसा क्यों लगा.. मैंने कौन सा हाथ में खंजर ले रखा है।

सुधीर- बेबी, तुमको खंजर की क्या जरूरत.. तेरे पास तो ऐसे-ऐसे बॉम्ब हैं कि आदमी को एक ही वार में ढेर कर दें।

दीपाली- अब ये पहेलियां अपने पास रखो.. मैंने जो काम बताया था वो किया आपने?

सुधीर- जानेमन, ऐसा हो सकता है क्या कि तुम कोई बात कहो और मैं ना करूँ.. अरे तुमने तो मुझे वो दिया है जो मरते दम तक मैं तेरा अहसानमंद रहूँगा.. ले ये रही तेरी चाभी.. मगर एक बात का ध्यान रखना… अपने दोस्त को मेरे बारे में कुछ ना बताना.. बस कोई बहाना बना देना ठीक है।

(अरे अरे ना ना.. दोस्तों दिमाग़ मत लड़ाओ कि कैसी चाभी.. कहाँ की चाभी? आप शायद भूल गए होंगे कि कल दीपाली और सुधीर के बीच कुछ काम की बात हुई थी.. बस यही था वो काम.. मैं आपको बताती हूँ कल दीपाली ने सुधीर से उसके घर की डुप्लिकेट चाभी माँगी थी.. तब वो चौंका था मगर दीपाली ने उसे समझाया कि उसका कोई दोस्त है. उसके साथ वो कभी दिन में वहाँ मज़े लेने आएगी.. जब सुधीर होटल पर रहेगा.. बस सुधीर मान गया और उसने आज चाभी दे दी।

अब आप ये सोच रहे होंगे कि कौन दोस्त? तो आपको बता दूँ दीपाली के मन में मैडी का ख्याल आया था कि शायद कभी उसको अपनी चूत का मज़ा दूँ तो जगह तो चाहिए ना.. बस यही सोच कर उसने चाभी ली।

ओके, अब आगे की कहानी पर ध्यान देते हैं।)

दीपाली- थैंक्स अब मैं जाती हूँ देर हो रही है।

सुधीर- अरे ये क्या.. आज भी मुझे सूखा रहना होगा.. जान बस थोड़ी देर के लिए आ जाओ ना.. उसके बाद चली जाना…

दीपाली- नहीं.. नहीं.. ऐसा करो आने के वक्त मैं आती हूँ.. अभी जल्दी जाना जरूरी है।

सुधीर ने बुझे मन से उसको जाने दिया मगर उससे वादा लिया कि आते समय वो उसके घर आएगी। दीपाली सीधी विकास के घर जा पहुँची।

अनुजा- ओये होये.. क्या बात है.. आज तो बड़ी मस्त लग रही हो.. क्या इरादा है मेरी दीपा रानी का…

दीपाली- इरादा तो आप जानती ही हो.. कहाँ हैं मेरे राजा जी.. दिखाई नहीं दे रहे।

अनुजा- अन्दर बैठे हैं, तेरा ही इन्तजार कर रहे हैं.. जा जाकर मिल ले बड़े उतावले हो रहे हैं तेरे लिए…

जब दीपाली कमरे में गई तो विकास को देख कर चौंक गई.. विकास एकदम नंगा बैठा लौड़े को सहला रहा था।

दीपाली- ऊह.. माँ.. ये क्या है सर.. आप ऐसे क्यों बैठे हो.. इतनी भी क्या जल्दी थी आपको.. मेरे आने का इन्तजार भी नहीं किया और लौड़े को कड़क करने बैठ गए.. मैं कब काम आऊँगी।

विकास कुछ बोलता तभी पीछे से अनुजा आ गई।

अनुजा- हा हा हा हा विकास जवाब दो.. हा हा हा चुप क्यों हो.. हा हा हा…

विकास- बस भी करो.. इतना हँसोगी तो पेट में दर्द हो जाएगा।

दीपाली- अरे कोई मुझे भी बताएगा कि क्या हुआ?

विकास- अरे कुछ नहीं दीपाली… हम दोनों मजाक-मस्ती कर रहे थे… बस उसी दौरान लौड़े पर ज़ोर से चोट लग गई.. बड़ा दर्द हुआ.. इसी लिए पैन्ट निकाल कर इसे सहला रहा था कि तुम आ गईं.. बस इसी बात पर अनु को हँसी आ रही है।

अनुजा अब भी हँसे जा रही थी.. दीपाली जल्दी से बिस्तर पर चढ़ गई और लौड़े को देखने लगी।

दीपाली- ओह.. लाओ मुझे दो मेरे प्यारे लौड़े को.. मैं अभी सहला कर इसका दर्द मिटा दूँगी।

दीपाली लौड़े को बड़े प्यार से सहलाने लगी और फूँक मारते-मारते उसने लौड़े को चूसना शुरू कर दिया।

अनुजा- लो अब आपका सारा दर्द भाग जाएगा.. आपकी दीपा रानी के मुलायम होंठ जो लग रहे हैं लौड़े पर…

विकास- आ.. आह्ह.. हाँ सही कहा तुमने.. अब ये आ गई है तो सब ठीक कर देगी।

दीपाली कुछ ना बोली बस अपने काम में लगी रही। लौड़ा अब अपने पूरे शबाव पर आ गया था।

विकास- उफ़फ्फ़ मज़ा आ रहा था मुँह से निकाला क्यों मेरी जान चूसो ना…

दीपाली- अब बस चुसवाते ही रहोगे क्या.. मेरी चूत में जो जलन हो रही है.. उसका क्या?

विकास- आज तो बड़ी मस्त लग रही है.. क्या बात है चल थोड़ी देर और चूस.. उसके बाद तेरी चूत की आग मिटाऊँगा।

दीपाली होंठ भींच कर लौड़े को चूसने लगती है।
 
विकास- आ आह्ह.. उफ्फ मज़ा आ रहा है मस्त.. मेरी जान ऐसे ही मज़ा देती रहना..

तभी फ़ोन की घंटी बजती है अनुजा फ़ोन उठाती है और विकास को आवाज़ देती है कि उनके लिए है। विकास का सारा मूड ऑफ हो जाता है वो बेमन से जाता है और बात करने के बाद तो उसका चेहरा और ज़्यादा उतर जाता है।

दीपाली- क्या हुआ मेरे राजा जी.. परेशान दिख रहे हो?

विकास- ये साले ट्रस्टी को भी आज ही आना था.. स्कूल से फ़ोन आया है.. हमारे ट्रस्टी साहब आए हैं.. पूरा स्टाफ वहाँ होना जरूरी है.. मेरा तो दिमाग़ खराब हो गया है।

अनुजा- तो चले जाना.. पहले लौड़े को तो शान्त कर लो.. देखो बेचारी कैसे आँखें फाड़े तुम्हारा इन्तजार कर रही है।

विकास- अरे नहीं यार.. फ़ौरन जाना होगा.. उनके आने से पहले जाना जरूरी है.. मैं अपनी इमेज खराब नहीं कर सकता।

दीपाली भी बाहर आ गई थी और उसने सब सुन लिया था।

दीपाली- सर आप जाओ, आज नहीं तो कल सही.. मैं कहाँ भागे जा रही हूँ।

विकास- थैंक्स जान.. तुम अपनी दीदी के साथ मज़ा करो ओके.. अगर जल्दी आ गया तो तेरी चुदाई पक्का करूँगा।

विकास ने आनन-फानन में कपड़े पहने और निकल गया।

अनुजा- क्यों बहना.. क्या इरादा है चूत चाट कर मज़ा लेगी या अपनी चूत चटवा कर शान्त होगी।

दीपाली- नहीं दीदी कुछ नहीं.. मैं भी जाती हूँ आज मुझे अपनी फ्रेंड से मिलने जाना है.. मैं यहाँ आने वाली ही नहीं थी मगर सर गुस्सा करते इसलिए आ गई।

अनुजा- अरे कौन सी फ्रेंड से मिलने जा रही है और हाँ.. कल मैं पूछना भूल गई.. उस दिन तू यहाँ से तो कब की निकल गई थी मगर घर इतनी देर बाद पहुँची?

दीपाली थोड़ी चौंक सी गई और बस अनुजा को देखने लगी।

अनुजा- अरे चौंक मत तेरी माँ का फ़ोन आया था कि दीपाली को भेज दो… तब तुम्हें गए हुए काफ़ी देर हो गई थी.. मैं कुछ बोलती उसके पहले तुम घर पहुँच गई थीं।

दीपाली को याद आ गया जब वो घर गई थी.. उसकी माँ ने उसके सामने फ़ोन रखा ही था।

दीपाली- व्व..वो दीदी मेरी एक फ्रेंड है प्रिया.. वो रास्ते में मिल गई थी.. त..त..तो बस देर हो गई।

अनुजा- बहना, तू बहुत भोली है तुझे झूठ बोलना बिल्कुल नहीं आता.. तेरे चेहरे से साफ पता चल रहा है कोई तो बात है.. जो तू छुपा रही है।

दीपाली- न न नहीं दीदी ऐसी क..कोई बात नहीं है।

अनुजा- देख तू नहीं बताना चाहती.. तो मत बता… लेकिन एक बात सुन ले.. मैंने तुझे चुदाई का ज्ञान दिया है और इस नाते मैं तेरी गुरू हूँ.. अब आगे तेरी मर्ज़ी.. मैं तो बस तेरी भलाई ही चाहती हूँ।

अनुजा ने दीपाली को इस तरह ये बात कही कि दीपाली बहुत शरमिंदा हो गई और उसने अनुजा से माफी माँगी फिर सारी बात अनुजा को बता दी।

अनुजा- हे राम तू लड़की है या क्या है.. इतनी बड़ी बात मुझे अब बता रही है.. तू इतनी भोली लगती है मगर है नहीं.. कौन था वो बूढ़ा? उसके तो मज़े हो गए.. साले ठरकी को कमसिन चूत मिल गई और ये प्रिया कहाँ से टपक गई.. उसको पता चल गया.. अब वो विकास और तुझे सारे स्कूल में बदनाम कर देगी।

दीपाली- दीदी आप पूरी बात सुनो.. वो कुछ नहीं कहेगी।

दीपाली फिर बोलने लगी.. अनुजा सुकून से सब बातें सुन रही थी दीपाली ने अब तक की सारी बात बता दीं.. मैडी और उसके दोस्तों की भी ... प्रिया के साथ आज जो लेसबो किया और आते वक्त सुधीर से मिली.. सब बात बता दीं।

अनुजा- हम्म.. तो ये बात है प्रिया की चूत अपने ही भाई के लौड़े के लिए तड़प रही है और उसने तुझे बलि का बकरा बना दिया।

दीपाली- हाँ दीदी.. अब आप ही कुछ उपाय बताओ और प्लीज़ सर को कुछ मत बताना.. मैंने शर्म के मारे ही आप दोनों को अब तक कुछ नहीं बताया था।

अनुजा- कैसी शर्म?

दीपाली- आप क्या सोचते मेरे बारे में.. कि मैंने कैसे एक बूढ़े से चुदवा लिया..

अनुजा- अरे ऐसा कुछ नहीं है ये चूत की भूख होती ही कुछ ऐसी है.. जब इसे लौड़ा चाहिए तो ये कभी नहीं सोचती कि लौड़ा किसका है… बस लौड़ा होना चाहिए.. अब जवान हो या बूढ़ा.. घर हो या बाहर.. सब चलता है।

दीपाली- ओह्ह दीदी आप बहुत अच्छी हो… अब बताओ भी मुझे क्या करना चाहिए?
 
अनुजा- देख वैसे तो वो लड़के सही नहीं है और तू भी उनसे चुदना नहीं चाहती.. मगर प्रिया को उनसे चुदने में कोई एतराज नहीं है.. तू ऐसा कर मैं जो बताऊँ वो कर.. तुम्हारी चिंता भी खत्म हो जाएगी और प्रिया का अरमान भी पूरा हो जाएगा।

अनुजा ने कुछ टिप्स दीपाली को दिए और अच्छे से उसको समझा दिया कि बड़े ध्यान से सब करना।

दीपाली- ओह्ह.. दीदी यू आर ग्रेट.. क्या आइडिया दिया है.. अब तो बस सारी परेशानी ख़त्म हो गई.. अच्छा अब मुझे जाने दो, सुधीर को भी थोड़ा खुश कर दूँ ताकि काम में कोई रूकावट ना आए।

अनुजा- अच्छा जा मेरी बहना, कभी मौका मिला तो मैं भी उस बूढ़े को अपनी चूत का स्वाद दे दूँगी मगर उसको मेरे बारे में अभी कुछ मत बताना।

दीपाली- नहीं नहीं दीदी मैं कुछ नहीं कहूँगी.. आप बेफिकर रहो…

(दोस्तो, अनुजा की कही बात अगर मैं यहाँ लिखती तो आगे आपको कहानी को पढ़ने में मज़ा नहीं आता.. इसलिए अब आगे जो भी होगा या दीपाली करेगी आप समझ जाना कि अनुजा ने ये सब दीपाली को समझाया था.. इसमें दो फायदे हैं एक तो मुझे एक ही बात को दो बार नहीं लिखना पड़ेगा और दूसरा आपको मज़ा ज़्यादा आएगा कि अब क्या होगा? तो चलिए वापस कहानी पर आती हूँ।)

दीपाली वहाँ से निकल कर सुधीर के घर की ओर चल पड़ी और कुछ ही देर में वो सुधीर के घर पहुँच गई। दरवाजा खुला था तो वो सीधे अन्दर चली गई। ... सुधीर बैठा हुआ शराब पी रहा था उसको पता नहीं चला कि दीपाली कब उसके पीछे आकर खड़ी हो गई।

सुधीर- ओह्ह.. मेरी छोटी सी गुड़िया, जल्दी आ जाना.. उफ़फ्फ़ तेरे इन्तजार मैं तेरा ये आशिक मरा जा रहा है.. उफ्फ आज तू कितनी सेक्सी लग रही थी.. बस एक बार आ जा मेरी जान.. जब तू जा रही थी तेरी गाण्ड बड़ी मटक रही थी.. आज तो तेरी गाण्ड ही मारूँगा..

सुधीर ना जाने क्या-क्या बोले जा रहा था.. दीपाली पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी।

दीपाली- अच्छा तो ये बात है.. मेरी पीठ पीछे आप मेरे बारे में इतना गंदा सोचते हो।

सुधीर एकदम से चौंक गया और उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा।

सुधीर- ओह्ह.. मेरी दीपाली! तू आ गई.. कसम से कब से तेरा इन्तजार कर रहा था.. तू इतनी जल्दी आ जाएगी, ये तो मैंने सोचा ही नहीं था.. आओ मेरे पास आओ।

दीपाली- नहीं आती.. अपने शराब क्यों पी.. मुझे चिढ़ है शराब और शराबी से.. अब मैं जा रही हूँ।

सुधीर- अरे नहीं.. नहीं.. बस थोड़ी सी पी है मैंने.. मुझे अगर पता होता पहले तो कभी ना पीता.. प्लीज़ तुम मत जाओ.. इस बूढ़े पर थोड़ा तो रहम खाओ.. बरसों बाद तो मेरे सोए हुए लौड़े को तूने जगाया है.. अब इसको ऐसे ही छोड़ कर मत जाओ।

दीपाली- अरे अरे.. इतने भावुक मत हो आप… अच्छा नहीं जाती बस… सुधीर खुश हो गया और उसने दीपाली के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. मगर दीपाली ने फ़ौरन मुँह हटा लिया।

दीपाली- छी: छी: कितनी गंदी बू आ रही है.. आपके मुँह से उह..हो.. मेरा तो जी बैचेन हो गया..

सुधीर- सॉरी सॉरी.. आज के बाद कभी नहीं पिऊँगा.. अच्छा चल चुम्बन नहीं करता.. आज तूने बहुत अच्छे कपड़े पहने हैं. मैं अपने हाथों से आज एक-एक करके सारे कपड़े निकालूँगा और तुझे नंगी करूँगा।

दीपाली- जो करना है.. जल्दी करो आज मैंने पढ़ाई भी नहीं की.. वहाँ से फ्रेंड से मिलने का बहाना करके आपके पास आई हूँ।

सुधीर- ओह.. माय डार्लिंग.. यू आर सो स्वीट.. मेरे लिए तूने इतना सोचा चल आ जा कमरे में.. जल्दी से सब करूँगा… आज तेरी मटकती गाण्ड मारूँगा.. बड़ा मन हो रहा है मेरा..

दीपाली- वो तो ठीक है.. मार लेना मगर आपका लौड़ा बस एक ही बार खड़ा होता है.. अगर गाण्ड मारोगे तो मेरी चूत की आग कैसे शान्त करोगे?

सुधीर- उसकी फिकर तू मत कर.. मैं सब कर दूँगा.. चल अब आ भी जा मेरी जान.. कब से तड़पा रही है।

सुधीर कमरे में जाते ही दीपाली को नंगा करने लगा। दीपाली भी अदाएं दिखाती हुई कपड़े निकलवा रही थी। जब दीपाली पूरी तरह से नंगी हो गई तो सुधीर ने अपने कपड़े भी निकाल फेंके और दीपाली के मम्मे दबाने और चूसने लगा। दीपाली भी सुधीर के लौड़े को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी.. जो अभी आधा-अधूरा ही कड़क हुआ था।

दीपाली- ऊ आह्ह.. आराम से दबाओ ना.. आह्ह.. क्या करते हो उफ्फ…

सुधीर- जानेमन, भगवान ने तुझ जैसा नायाब तोहफा मुझे दिया है तो जरा खुल कर मज़ा लेने दो ना.. आह्ह.. क्या मस्त चूचे हैं तेरे…
 
थोड़ी देर में ही दीपाली ने लौड़े को दबा-दबा कर कड़क कर दिया था। सुधीर अब मम्मे को छोड़ कर दीपाली के चूतड़ों को दबाने लगा और निप्पल चूसने लगा। दीपाली अब पूरी तरह गर्म हो गई थी और उसका मन लौड़े को चूसने का कर रहा था। उसने सुधीर को धक्का देकर बिस्तर पे गिरा दिया और टूट पड़ी उसके लंड पर..

सुधीर- हाय मार डाला रे.. अरे गुड़िया, लौड़ा चूसने का इतना शौक है तो किसी जवान लड़के का चूसा कर.. आह्ह.. मेरे लौड़े में इतनी सहनशक्ति नहीं है.. चल घोड़ी बन जा और मुझे गाण्ड मारने दे.. कहीं आज भी मेरा सपना टूट ना जाए।

सुधीर की हालत समझते हुए दीपाली ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और घुटनों के बल बैठ गई।

दीपाली- लो मेरे बूढ़े आशिक, मार लो गाण्ड.. आप भी क्या याद रखोगे कि किस से पाला पड़ा है।

सुधीर ने गाण्ड पर थूका और अपना लंड उस पर रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा.. पूरा लौड़ा ‘फच’ की आवाज़ के साथ गाण्ड में समा गया।

दीपाली- आह मज़ा आ गया.. उफ़फ्फ़ अब मारो .. उह्ह.. आपका लौड़ा आज तो बहुत गर्म हो रहा है.. गाण्ड में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का सरिया घुसा दिया हो.. आई.. आह्ह.. मारो मेरे प्यारे अंकल आह्ह…

सुधीर- उह्ह उह्ह.. अरे कितनी बार बोलूँ.. आह्ह.. सुधीर बोलो.. जानू बोलो.. ये अंकल क्यों बोलती हो…

दीपाली- उई आह्ह.. अब बस मुझे जो समझ में आह्ह.. आएगा.. मैं बोल दूँगी.. आह्ह.. ज़ोर से मारो मेरी गांड आ.. आह्ह..

सुधीर अपनी पूरी ताक़त से लौड़े को आगे-पीछे कर रहा था। दीपाली भी गाण्ड को हिला-हिला कर सुधीर का साथ दे रही थी।

कोई 15 मिनट तक सुधीर गाण्ड मारता रहा.. मगर 60 साल का बूढ़ा घोड़ा कब तक दौड़ लगाता.. थक गया.. मगर उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पूरी ताक़त से दीपाली की गाण्ड मारने लगा।

सुधीर- आह्ह.. आ.. हहा हहा.. ले अहहा.. हहा.. ले मेरी जान आह्ह..

दीपाली- आह आई.. अरे वाहह… आ.. अंकल आह्ह.. आप तो जोश में आ गए आह.. हाँफ क्यों रहे हो.. आह्ह.. थोड़ा रेस्ट कर लो.. आह्ह.. मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है.. आई.. आपको उसको भी आहहह.. शांत करना है आह…

सुधीर के लौड़े ने लावा उगल दिया और दीपाली की गाण्ड को पानी से भर दिया। अब सुधीर एक तरफ लेट कर हाँफने लगा था।

दीपाली- आह ससस्स क्या गाण्ड मारी है अई.. आपने… मज़ा आ गया.. अरे ये क्या आह्ह.. मेरी चूत की आग तो ठंडी करो.. आह्ह.. प्लीज़ उठो ना…

सुधीर- मेरी जान लौड़ा तो अब उठेगा नहीं.. तू ऐसा कर चूत मेरे मुँह के पास ले आ.. ऐसा चाटूँगा कि तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा।

दीपाली मन मार कर अपनी चूत सुधीर की तरफ कर देती है और बड़बड़ाने लगती है।

दीपाली- उह्ह.. मेरा भी दिमाग़ खराब है जो इस बूढ़े से चुदने आ गई ... कोई जवान होता तो मज़ा आता.. सर भी ना, आज चले गए। अब तो कुछ करना ही पड़ेगा.. ये चूत की आग तो दिन पे दिन बढ़ती ही जा रही है।

सुधीर- अरे क्यों बड़बड़ा रही है.. मैं आज रात किसी काम के सिलसिले में बाहर जा रहा हूँ.. कल देर रात तक आऊँगा.. तू अपने उस दोस्त को कल यहाँ ले आ.. जितना चुदना है.. उससे चुदवा लेना.. अब मुझे चूत चाटने दे…

सुधीर की बात दीपाली को समझ आ गई और उसने कुछ सोच कर हल्की सी मुस्कान देते हुए कहा।

दीपाली- हाँ अंकल अब लाना ही पड़ेगा आह्ह.. आप अभी तो मुझे शान्त करो आइईइ.. मेरी चूत जल रही है.. आह प्लीज़ आह्ह.. ऐसे ही आह्ह.. मज़ा आ रहा है चाटो आइईइ.. उफ़फ्फ़ प्लीज़ आह उफ़फ्फ़ क्या मज़ा आ रहा है…

सुधीर चूत को होंठों में दबा कर उसको ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। दीपाली आनन्द के मारे छटपटाने लगी थी और ज़्यादा देर वो इस चुसाई को सहन ना कर पाई और कमर उठा-उठा कर सुधीर के मुँह में झड़ने लगी। सुधीर भी पक्का लौंडीबाज था.. सारा रस ऐसे चाट रहा था जैसे कोई रसमलाई की मलाई हो। चूत की आग ठंडी होने के बाद दीपाली ने सुधीर के गाल पर एक पप्पी दी और अपने कपड़े पहनने लगी।

सुधीर- अरे रूको गाण्ड पर मेरा रस लगा है.. साफ कर लो ... कपड़े गंदे हो जाएँगे।

दीपाली- ओह.. मैंने देखा नहीं.. आप ही साफ कर दो ना प्लीज़…

सुधीर ने पास पड़े एक कपड़े से दीपाली की गाण्ड साफ की और ललचाई निगाहों से उसको देखने लगा।

दीपाली- क्या हुआ.. ऐसे क्या देख रहे हो?
 
सुधीर- क्या बताऊँ ये तो उमर का तकाजा है.. वरना ऐसी मस्त गाण्ड को बार-बार मारने का दिल करता है.. काश तुम मेरी जवानी में मुझे मिली होतीं तो बताता कि मैं क्या चीज था।

दीपाली की हँसी निकल जाती है.. वो अपने कपड़े पहनने लगती है और सुधीर को देख कर आँख मारते हुए कहती है- जो बीत गया..सो बीत गया.. उसको भूल जाओ.. जो सामने है.. उसका मज़ा लो.. चलती हूँ अंकल.. आपको समय-समय पर ठंडा करने आती रहूँगी ओके.. बाय अब चलती हूँ।’

दीपाली अपने घर चली गई और जैसा कि आप जानते हो चुदाई के साथ साथ उसको पढ़ाई की भी फिकर रहता है.. तो पढ़ने बैठ गई।

अगले दिन जब दीपाली स्कूल गई, सोनू और दीपक गेट के पास खड़े थे. मैडी उनसे दूर खड़ा किसी लड़के से बात कर रहा था।

जैसे ही दीपाली की नज़र दीपक पर गई.. उसको प्रिया की कही हुई बात याद आ गई और उसकी नज़र दीपक की पैन्ट पर चली गई शायद उसकी आँखें लौड़े का दीदार करना चाहती हों.. मगर यह कहाँ मुमकिन था। वो बस देखती हुई गाण्ड को मटकाती हुई चली गई।

हाँ.. आज दीपाली थोड़ा ज़्यादा ही अदा के साथ चल रही थी.. शायद उनको तड़पाने का इरादा हो।

सोनू- अरे यार.. ये साली तो दिन पे दिन क़यामत होती जा रही है.. कसम से साली की गाण्ड देखी तूने.. क्या लहरा रही थी…

दीपाली अन्दर चली गई थी तब तक मैडी भी उनके पास आ गया था।

दीपक- यार मुझे शक हो रहा है।

मैडी- कैसा शक बे.. बता तो…

दीपक- यार मुझे लगता है.. हम पेड़ के नीचे बैठ कर आम के पकने का इन्तजार कर रहे हैं और कोई साला पेड़ पर चढ़कर कच्चे आम का ही मज़े ले रहा है।

सोनू- यार पहेली मत बुझा.. सीधे से बता ना क्या हुआ?

दीपक- तूने गौर नहीं किया क्या.. साली के चूचे बड़े-बड़े लग रहे हैं और गाण्ड भी ज्यादा उभरी हुई है.. लगता है कोई साला इसकी ज़बरदस्त ठुकाई कर रहा है.. हम साले लौड़े हिलाते रह गए हैं।
 
मैडी- क्या बकवास कर रहा है साले.. हमारे सिवा किसके लौड़े से चुदवाएगी ये.. तुझे भ्रम हो गया लगता है..

सोनू- हाँ यार.. ऐसी निराशा वाली बातें मत कर.. बस दो दिन की बात है सोमवार को तो ये हमारी हो ही जाएगी।

दीपक- अबे सालों.. माना मैंने किसी को नहीं चोदा.. मगर ये नजरें कभी धोखा नहीं खा सकतीं.. बहुत सी लड़कियों को ताड़ चुका हूँ भाभियों को भी नहीं बख्शा.. कुँवारी और चुदी हुई लड़की की चाल में बहुत फ़र्क होता है.. तुम मानो या ना मानो.. ये पक्का चुद चुकी है।

मैडी- अबे बस भी कर साले… जब ये हाथ आएगी तब देख लेना, इसकी सील मैं ही तोड़ूँगा.. तब बोलना जो तुझे बोलना है।

दीपक- चल लगी 1000 की शर्त.. अगर ये सील पैक हुई तो मैं हारा.. नहीं तो तुम.. ओके?

मैडी- चल लगी.. अब तो तेरे 1000 लेने ही है।

तीनों बस इसी उलझन में अन्दर चले गए.. क्लास शुरू हो गई।

क्लास में आज वैसे तो कुछ खास नहीं हुआ.. हाँ एक बात हुई.. आज उनके इम्तिहान के बारे में बताया गया।

विकास सर ने ही सबको बताया।

विकास- देखो बच्चों तुम सबको इम्तिहानों के प्रवेश-पत्र तो मिल ही गए हैं। इम्तिहान मंगलवार से शुरू होना है.. तो सब अच्छे से तैयारी करना.. वैसे तो स्कूल की 15 दिन पहले छुट्टी हो जानी चाहिए थी मगर तुमको ज़्यादा पढ़ने का मौका मिल जाए.. इसलिए आज से छुट्टी कर दी गईं हैं.. बस आज ही स्कूल लगेगा.. कल रविवार की छुट्टी तो अब सोमवार को भी आप सब घर पर ही अपनी तैयारी करना। आज स्कूल का आखिरी दिन है.. किसी को कुछ पूछना हो तो पूछ लेना।

सभी खुश थे कि स्कूल से निजात मिल गई.. मगर वो तीनों दोस्त खुश नहीं थे। उनको तो दीपाली को देखे बिना चैन ही नहीं आता था।

सब कुछ नॉर्मल रहा और छुट्टी हो गई। प्रिया और दीपाली एक साथ बाहर निकलीं। मैडी भी उनके पीछे-पीछे चलने लगा।

मैडी- दीपाली रूको.. एक मिनट तुमसे बात करनी है।

दीपाली- क्या है बोलो?

मैडी- वो आज स्कूल का आखिरी दिन है.. अब कल से हम मिल नहीं पाएँगे.. तुम अपना नम्बर दे दो ना.. ताकि पार्टी के लिए तुमको बता सकूँ।

दीपाली- ओह्ह.. ऐसा करो तुम अपना नम्बर दो.. मैं खुद कॉल करके पूछ लूँगी।

मैडी खुश हो गया और अपना नम्बर उसे दे दिया। जाते-जाते मैडी ने प्रिया को भी आने की दावत दे दी।

प्रिया- यार अब तो मैं भी आ रही हूँ क्या सोचा तुमने… कैसे करना है।

दीपाली- मेरी जान फिकर मत कर.. मैंने वादा किया है ना.. तुझे दीपक से जरूर चुदवा दूँगी.. अब घर जा.. पढ़ाई कर, मुझे पता है क्या करना है.. तू मुझे दीपक का नम्बर दे दे।

प्रिया- नम्बर का क्या करोगी… उसको फ़ोन करके कहोगी क्या?

दीपाली- अरे यार तू सवाल बहुत करती है.. तू बस नम्बर दे बाकी मैं संभाल लूँगी।

प्रिया ने नम्बर दे दिया।

प्रिया- ओके यार मुझे तुझ पर विश्वास है.. अच्छा बाय चलती हूँ।

प्रिया अपने रास्ते निकल गई.. सोनू और दीपक दूर खड़े उन दोनों को देख रहे थे।

सोनू- यार ये क्या चक्कर है.. दीपाली की प्रिया से कब से दोस्ती हो गई?

दीपक- अबे काहे की दोस्ती.. इम्तिहान के बारे में बात कर रही होगीं.. दोनों ही पढ़ाकू जो ठहरीं।

सोनू- यार एक बात कहूँ.. प्रिया का रंग साँवला है.. मगर दिखने में नाक-नक्श ठीक-ठाक है।

दीपक- अबे बहन के लौड़े.. क्या बकवास कर रहा है.. वो मेरी बहन है.. समझा साले.. तू दोस्त है तब भी ऐसी बात बोल गया.. अगर किसी और ने बोली होती तो मैं साले का मुँह तोड़ देता।

(हैलो दोस्तों.. सॉरी, कहानी को रोक कर मैं बीच में आ गई.. मगर क्या करूँ.. बात ही टेंशन की है.. ये दीपक तो प्रिया के बारे में सुन कर ही इतना चिढ़ रहा है.. तो उसके ऊपर चढ़ेगा कैसे? मेरा मतलब है.. उसको चोदेगा कैसे? अब दीपाली क्या करेगी? चलो इन सब सवालों के जबाव आगे मिल जाएँगे.. अभी कहानी पर ध्यान दीजिए।)

दीपक वहाँ से किसी काम के लिए चला गया मगर सोनू ने शायद आज पहली बार ही प्रिया को इतने गौर से देखा था। उसका मन प्रिया के लिए मचल गया था।

सोनू वहाँ से सीधा मैडी के घर गया और उसको जरूरी काम है बता कर बाहर बुलाया।

मैडी- अरे क्या है.. अभी तो साथ थे.. तब अपना काम क्यों नहीं बताया.. अब क्या हो गया?

सोनू- भाई आज मैंने वो देखा है.. जो अपने शायद कभी ना देखा हो।

मैडी- ऐसा क्या देख लिया तूने?

सोनू- दीपाली के साथ आज प्रिया बात कर रही थी ना.. तब मैंने बड़े गौर से उसकी जवानी पर नज़र डाली.. भाई क्या मस्त आइटम है वो.. क्या फिगर है उसका…
 
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