Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 63 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

पर दादाजी को सिर्फ़ कंचन की गांड दिख रही थी । मुकेश के द्वारा कंचन की गांड चुदाई देखकर वह बहुत गरम हो गए थे।वो कुछ सुन नही रहे थे और जल्दी जल्दी कंचन को नंगा कर रहे थे.जब कंचन पूरी नंगी हो गई तो उन्होंने कही से एक क्रीम की बॉटल निकाल ली और दोनो हाथों में क्रीम डाल के अपने लंड पे लगा लिया. फिर वो थोड़ी और क्रीम हाथों में ले कर कंचन की गांड पे मसलने लगे. एक मिनिट में कंचन की गांड क्रीम से चमकने लगी.

‘हाई क्या मस्त गांड हैं तेरी बिटिया। इसमें लंड घुसाने में बहुत मज़ा आएगा।’दादाजी ने यह कहकर कंचन को कुतिया बना दिया। और उसकी गांड की भूरी छेद को मसलने लगे।

कुछ देर ऐसे गांड मसलने के बाद उन्होंने थोड़ी क्रीम अपनी दो उंगलियों में लेकर अचानक कंचन की गांड में घुसेड दी.

अचानक उनकी मोटी उंगलियाँ गांड में जाने से कंचन चीख पड़ी ‘आऐईयईई…’ ठंडा ठंडा क्रीम कंचन की गांड में बहुत महसूस हो रहा था. दादाजी ने दो मिनिट तक ऐसे ही अपनी उंगलिया कंचन की गांड में अंदर बाहर की. फिर उन्होंने अपनी उंगलियाँ निकाल दी.

‘बहुत क्रीम हो गया बेटी. अब मेरे लंड की बारी है’ ये कह के दादाजी ने अपना मोटा लौडा कंचन की गांड के छेद पे रख दिया…..




कुछ देर तक वो अपना लंड कंचन की गांड पर रगड़ते रहे। जब उन्होंने देखा की लौंडिया थोड़ा नॉर्मल हो गई हैं तो दादाजी ने एक करारा झटका लगाया उसका 3 इंच तक लंड कंचन की गान्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया । कंचन के मुँह से चीख निकल गई क्योंकि उसके दादाजी का लंड उसके पिता से ज्यादा मोटा था।

मररर्र्ररर गैईईइ हाइईईईईईईईईई मेरिइईईईईई फाद्द्दद्ड दीईईईई बचाऊऊऊओ।

दादाजी ने फिर दूसरा झटका मारा अब 5 इंच लंड कंचन की गांड के अंदर था । पर दादाजी का लंड इतना मोटा था कि क्रीम लगाने के बावजूद पूरा अंदर जा नहीं रहा था.
‘लगता हैं थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ेगा’ कह के दादाजी ने अपना लंड गान्ड के छेद से 3-4 इंच पीछे ले कर ज़ोर से आगे धकेला. उनका मोटा लंड कंचन के गान्ड के छोटे से छेद को चीरता हुआ 7 इंच तक अंदर घुस गया.
‘आआआआऐययईईईईईईईईईईई’ कंचन ज़ोर से चिल्ला बैठी. कंचन को ऐसा लगा कि किसी ने उसके गांड के अंदर चाकू घुसेड दिया हो।


‘आआआहह…. कितनी टाइट हैं और गरम गांड है तेरी आआआआहह….’ करके दादाजी मज़ा ले रहे थे।
दादाजी अपने पूरे शरीर का वज़न नीचे की ओर धकेल रहे थे और अपने लंड को पूरे ज़ोर से कंचन की गान्ड में और ज़्यादा घुसेडने की कोशिश कर रहे थे. उनका लंड बहुत ही धीरे धीरे कंचन की गान्ड को फैला के आगे जा रहा था. कंचन दर्द के मारे छटपटा रही थी, उसकी आँखों से दर्द झलक रहा था।
 
दादाजी कंचन के उपर लेटे हुए थे और अपना लंड और आगे धकेलने की कोशिश कर रहे थे, पर कंचन की गांड इतनी टाइट थी कि उनका लंड अभी भी सिर्फ़ 8 इंच तक ही अंदर गया था. ज़ोर लगाके दादाजी का सारा शरीर पसीने से गीला हो गया था.कंचन भी पसीने से लतपथ हो गयी थी.


दादाजी ने अब अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकाल के फिर से ढेर सारा क्रीम कंचन की गांड और अपने लंड पर लगा दिया और फिर से पूरे ज़ोर से धक्का मारा. इस बार उनका लंड फिर से 8 इंच कंचन की गान्ड में घुस गया.
कंचन चिल्ला चिल्ला कर अपने दादाजी के नीचे छटपटा रही थी. दादाजी को कंचन की हालत देख और मज़ा आ रहा था. उसका लंड अभी सिर्फ़ 8 इंच तक ही कंचन की गान्ड में घुसा था. दादाजी ने अब अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया. दादाजी अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकालते और फिर 8 इंच तक अंदर घुसेड देते. कंचन की गान्ड का छेद इतना टाइट था कि हर बार जब दादाजी अपना लंड बाहर लेते तो छेद फिर से सिकुड जाता और दादाजी को अपना लंड अंदर घुसेड़ने में ज़ोर लगाना पड़ता.कंचन की टाइट गान्ड से दादाजी को मज़ा आ रहा था. कुछ देर दादाजी ने कंचन की गान्ड को ऐसे ही 8 इंच तक चोदा पर अब उनसे सबर नही हो रहा था.

उन्होंने अब एक तगड़ा धक्का लगा के अपना पूरा 9 इंच का मोटा लंड कंचन की गान्ड में घुसेड दिया. ‘आआआआहह… आआआआआअहह.’
दादाजी ने अपना पूरा लंड कंचन की गान्ड के अंदर घुसा के रखा और ज़ोर से उसके बाल पकड़ के खीच दिए. फिर धीरे धीरे उन्होंने कंचन की गान्ड की चुदाई शुरू की. पूरा 9 इंच का गरम लौडा अब अंदर-बाहर होने लगा. हरेक बार जब वो अपना लंड अंदर धकेलते कंचन पूरा बदन आगे की ओर सरकने लगता और दादाजी कंचन के बाल खीच उसे सरकने से रोक लेते. इतनी टाइट गान्ड को चोद के दादाजी को बहुत मज़ा आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो गये थे.

कुछ देर की गांड चुदाई में अब कंचन को धीरे धीरे मज़ा आने लगा।अब कंचन भी अपनी गांड उठाकर अपने दादा से जोर-जोर से चुदवा रही थी उसके दादा जी अपना लंड को कंचन के गांड में जड़ तक पेल रहे थे।
 
आह कंचन बेटी क्या मस्त गांड है तेरीईईईईईईई।मज़ा आ गया तेरी गांड मारकर।कितनी टाइट और गरम गांड है तेरी मेरी गुड़िया।आज तूने अपने दादा को मस्त कर दिया।क्या रंडियो के जैसी गांड चुदवा रही है मेरी गुड़िया बहुत मस्त है तू।अनिल अपनी पोती की गांड मारते हुए कुछ भी बड़बड़ा रहा था।

आह दादाजी चोद के फाड़ डालो मेरी गांड को अपने मोटे लंड से।

आधे घंटे तक चोदने के बाद उनका झरना शुरू हो गया और उन्होंने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी. ऐसा करने से कंचन का दर्द और बढ़ गया.
कंचन अब चिल्ला चिल्ला कर उनको बुरा भला बोल रही थी ‘आाऐययईईई… जाने दो मुझे आप कितने गंदे हो दादाजी’ पर इससे दादाजी को और मज़ा मिल रहा था. वो अपने मोटे लंड से कंचन की गान्ड में अपना वीर्य निकालने लगे. ‘आआआआआहह… ये ले साली कुतिया आआआआआहह….’ कंचन को गान्ड में दादाजी का गरम वीर्य महसूस हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे उसकी पूरी गान्ड उससे भर गयी हो. दादाजी की चुदाई से अब ‘पुच पुच’की आवाज़ आ रही थी. तीन चार मिनिट तक दादाजी झड़ते रहे. आख़िर उनका झडना बंद हुआ और वो उसके उपर लेट गये. उनका लंड उन्होंने कंचन के गान्ड के अंदर ही रखा. उनका मोटा लंड अभी भी कंचन की गान्ड के अंदर थोड़े थोड़े झटके खा रहा था. उनका पूरा वज़न कंचन के उपर होने के कारण उनको अपने उपर से हटा नही पा रही थी.
‘प्लीज़ अब तो बाहर निकालो इसको’ कंचन ने उनसे दर्द से कराहते हुए कहा।
‘आअहह चुप बैठ साली रंडी’ अभी निकलता हूँ पूरा मज़ा तो ले लेने दे।
कुछ देर बाद दादाजी का लंड कंचन के गान्ड के अंदर बैठ गया. इसके बाद उन्होंने कंचन की गान्ड से अपना लंड आख़िर बाहर निकाला. लंड निकालने पे कंचन की गान्ड से दादाजी का ढेर सारा वीर्य बाहर बह गया.
‘वाह मज़ा आ गया’ कह के दादाजी ने अपने कपड़े पहन लिए और कंचन की गांड को साफ करके उसे अच्छे से सुलाकर चले गए।
 
अब चलते हैं मनीषा के घर जहां सूरज शीला के साथ सेक्स करने के बाद वापस 2 दिनों के लिए चला गया है फिर जब वह लौट के आता है तो साथ में 1 बहुत अच्छा स्मार्टफोन और एक स्कूटी लेकर आता है जो वह शीला को गिफ्ट देता है शीला बहुत खुश हो जाती है।पिंकी और नरेश कॉलेज गए है शीला को आज उसकी मम्मी ने रोक लिया है क्योंकि आज सूरज आनेवाला है और जब अकेले में शीला अपने अंकल से मिलती है तो सूरज शीला को अपनी बाँहों में भरकर चूमने लगता है।

थोड़ी देर बाद शीला अपने अंकल से अलग हुई तो अंकल ने शीला की नाइटी उतार दी अब वो पूरी नंगी थी उसे ऐसे देख कर सूरज ने भी अपने कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया जैसे ही शीला की नज़र सूरज अंकल के लंड पर पड़ी उसके मुंह से आह सी निकल गई उसने अपने पेंटी के अंदर उंगली डाल ली और अपनी चुत को सहलाने लगी
”मैंने तो अपना वादा पूरा कर दिया तो आज मेरी बेटी क्या गिफ्ट दे रही है अपने प्यारे अंकल को” सूरज बोला।

”आज मैं अपने अंकल को वो गिफ्ट दूँगी जिसके लिए पता नहीं वो कब से मरे जा रहे है”शीला सूरज अंकल को आँख मारते हुए बोली।
”आख़िर वो गिफ्ट है क्या” अंकल ने शरारत से बोला।

शीला पलट कर खड़ी हो गई अब उसकी पीठ और उसके बडे बडे चूतड़ सूरज के सामने थे अचानक वो टाँगे फैला कर नीचे झुक गई जिससे उसकी गांड पूरी तरह ओपन हो कर अंकल के सामने आ गई। सूरज अंकल शीला की गांड का भूरा छेद फटी हुई आंखों से देखने लगे।
”देख लो अंकल अपने गिफ्ट को अच्छे से देख लीजिये। आज मैं आपको गिफ्ट में अपनी गांड दे रही हूँ आप अब इसके साथ कुछ भी कर सकते हो” शीला बोली
सूरज अंकल को अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था उन्हें लग रहा था के जैसे उनके कान बज रहे हो उनका मुंह खुला का खुला ही रह गया था।

”क्या हुआ अंकल आप कुछ बोलते क्यों नहीं, क्या मेरा गिफ्ट अच्छा नहीं लगा” शीला बोली।
”मैं इसके साथ कुछ भी कर सकता हूँ, इसे चोद भी सकता हूँ”अंकल शीला के ठीक पीछे खड़े होते हुए बोले।
”हाँ अंकल ये आज से आपकी है आप इसे मार भी सकते है और फाड़ भी सकते है” शीला अपनी मस्त गांड अपने अंकल को दिखाते हुए बोली।
 
सूरज ने अपने हाथ शीला की गांड पर रखे और शीला के बडे बडे चूतडों को सहलाने लगा उसका लंड भी अब शीला की गांड के छेद पर टकराने लगा था अपनी गांड पर लंड टकराने से शीला बहुत ज्यादा एक्साईटेड हो गई थी उसकी चुत भल भल पानी छोडने लगी थी।


अब सूरज अंकल शीला की गांड की दरार में उंगली फिराने लगे थे ऐसा करने से शीला को अजीब सी गुदगुदी लग रही थी मजे के मारे उसकी आंखें बंद हो गई थी तभी उसे अंकल का हाथ अपनी चुत पर महसूस हुआ अब अंकल ने अपनी एक उंगली शीला की चुत में डाल दी और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगे।

शीला को ऐसा लगा जैसे वो झड़ने वाली हो तभी अंकल ने अपनी गीली उंगली शीला की गीली चुत से निकाली और उसकी टाइट गांड में घुसेड़ दी अचानक हुए इस हमले को शीला सह नहीं पाई उसकी टाँगे मूंड़ गई और वो घुटनों के बल बैठ कर झड़ने लगी।


सूरज भी अब शीला के सामने आकर घुटनों के ऊपर बैठ गया और शीला के रसीले होंठ चूसने लगा और बोला ”मुझे अपनी गांड गिफ्ट करने के थॅंक्स बेटी, मैं कब से इसमें अपना लंड डालने के लिए तड़प रहा था”

" कह कर अंकल ने ज़ोर से शीला की चुचियां दबा दी
”आहह…. अंकल धीरे करो ना दर्द होता है, चलो थोडा मुझे प्यार करो ताकि गांड मरवाने में मुझे ज्यादा तकलीफ ना हो” कह कर शीला अंकल के सामने बैठ गई और अंकल का लंड पकड़ लिया और बोली ”हाय अंकल कितने दिन हो गये आप का लंड से प्यार किये हुए” और नीचे बैठ कर अंकल का लंड चूसने लगी उसे लंड चूसते हुए देख कर अंकल अपने होठों पर जीभ फेरने लगे अब वो पूरा गरम हो गये थे। कुछ देर तक शीला अंकल का लंड चूसते रही तो अंकल बोले ”अगर तुम ऐसा ही करते रही तो मैं अपना गिफ्ट कब लूँगा”
उसकी बात सुन कर शीला जो की सेक्स के नशे में टुन्न हो चुकी थी बोली ”हाय अंकल बहुत जल्दी है ना आपको अपनी बेटी की गांड मारने की तो। लो मार ले लो मेरी गांड”
सूरज उठा और जा कर एक तेल की बोतल उठा लाया और अपने लंड पर अच्छे से तेल मलने लगा उसे ऐसा करते देख शीला बेड पर चढ़ कर घोड़ी बन गई और अपना मुंह तकिया से लगा लिया जिससे उसकी गांड और भी बाहर आ गई ।
 
सूरज भी अब बेड पर आ चुका था और वो अब शीला की गांड पर तेल लगाने लगा उसके हाथ के स्पर्श से शीला सिहर उठी उसकी गांड का छेद धीरे धीरे खुलने बंद होने लगा अब सूरज ने अपनी एक उंगली में तेल लिया और वो उंगली शीला की गांड में आगे पीछे करने लगा चूँकि शीला को पहले से भी उंगली की आदत थी तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। इधर सूरज अब गांड मारने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका था।

”बेटी तुम तैयार हो मैं लंड तुम्हारी गांड में घुसाने वाला हूँ” वो अपना लंड शीला की गांड के छेद पर सेट करते हुए शीला से बोले।
”हाँ अंकल मैं तैयार हूँ”कह कर शीला ने तकिया अपने मुंह में भर लिया और बेडशीट पर उसकी पकड़ सख्त हो गई वो दर्द सहने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी
अब अंकल ने शीला की चोटी पकड़ी और दूसरा हाथ उसकी कमर में डालते हुए अपने लंड को शीला की गांड के छेद पर रखकर एक ज़ोर का धक्का दिया ”आहह….माँ…….मर…गैिईईईई…….रीईए…..”की आवाज़ शीला के मुंह से निकली और अंकल का आधा लंड शीला की गांड में घुस गया।


शीला की चीख सुन कर सूरज रुक गया और वो एकटक शीला को ही देखने लगा।
”आहह……..अंकल रुक जाओ प्लीज़ जैसे हो वैसे ही रहो बहुत दर्द हो रहा है” शीला बोली उसे बहुत दर्द हो रहा था उसका दिल था की कह रहा था की अंकल लंड को तुरंत बाहर निकाल ले पर वो जानती थी की जब गांड मरवाना ही है तो दर्द तो सहन करना ही पड़ेगा इस लिए उसने अंकल से लंड निकालने को नहीं कहा।


अब धीरे धीरे उसका दर्द कुछ कम हुआ तो वो बोली ”अंकल अब जितना भी लंड बाहर है एक ही बार में अंदर घुसा दो ताकि बार बार दर्द ना हो” उसकी बात सुन कर सूरज ने तेल उठा कर बाहर बचे हुए लंड पर लगाया और थोड़ा सा लंड बाहर खिच कर एक जोरदार धक्का लगाया जिससे पूरा लंड शीला की गांड में घुस गया।

शीला के होठों से फिर एक घुटि घुटि सी चीख निकली क्योंकि उसने तकिया अपने मुंह में ठुंसा हुआ था जैसे ही लंड पूरा अंदर गया सूरज फिर रुक गया शीला धीरे धीरे अपने आपको संभालने लगी ।
 
कुछ देर बाद शीला का दर्द कम हुआ तो उसने सूरज अंकल को धक्के लगाने का इशारा किया । शीला की गांड टाइट होने से सूरज को भी धक्के लगाने में परेशानी हो रही थी उसका लंड फँसा फँसा सा धीरे धीरे अंदर बाहर होने लगा थोड़ी देर बाद गांड अच्छे से खुल गई थी और शीला का दर्द भी लगभग खत्म हो गया था अब वो भी गांड पीछे धकेल कर लंड अंदर लेने लगी थी अब अंकल भी अपने धक्को की रफ़्तार काफी बढ़ा चुके थे ‘खच खच की आवाजें सारे कमरे में गूँज रही थी।


”मारो अंकल मारो अपनी बेटी की गांड। पेल दो अपना लंड अपनी बेटी की गांड में ” शीला अंकल को उकसाने के लिए कुछ भी बकते हुए बोली।
”ले साली रंडी ले अपनी गांड में मेरा लंड, आज अगर मैंने तेरी गांड नहीं फाड़ी तो मैं भी तेरा अंकल नहीं”कह कर सूरज भयानक तरीके से धक्के लगाने लगा।

लगभग 10 मिनट तक धक्के मरने के बाद सूरज शीला की गांड में ही झड़ गया । शीला भी अपने अंकल का माल अपनी गांड में महसूस करके झड़ने लगी और बेड पर ही ढेर हो गई ।


शीला गांड मरवाने के बाद अपने सूरज अंकल से यह वादा ले लेती है कि उसके अंकल कभी पिंकी पर बुरी नजर नहीं डालेंगे जो करना हो शीला के साथ करें सूरज भी शीला की जवानी के नशे में यह वादा कर देता है


उसके अंकल ने दिखाने के लिए कि किसी को शक ना हो इसके लिए वह पिंकी को भी एक स्मार्टफोन देते हैं और और सूरज अंकल नरेश को भी एक नई बाइक दिलाते हैं जिससे सभी परिवार खुश हो जाता है और सभी अंकल का बहुत मान जान करते हैं।

पिंकी और नरेश दोनों खुश है नरेश पिंकी को अपनी गर्लफ्रेंड बना चुका है और वह दोनों जब भी एकांत मिलता है सेक्स करते रहते हैं और इधर अंकल शीला के साथ मजा करते हैं साथ में कभी कभी मनीषा के साथ ही मजे ले लेते हैं मनीषा के पति का प्रमोशन हो चुका है अब यह लोग हंसी-खुशी दिन बिताने लगते है।
 
दोस्तों एक परिवार की कहानी खत्म हो चुकी है अब चलते है महेश के घर।जहाँ महेश अपनी बहु नीलम और बेटी ज्योति के साथ रहता है।उसका बेटा समीर ऑफिस चला गया है।


ज्योति बैंक के किसी काम से घर के बाहर गई है वह शाम तक शॉपिंग करके घर आने वाली थी। इधर नीलम रसोई में खाना बना रही है।पिछले कुछ दिनों से मासिक होने के कारण बहु और ससुर दोनों प्यासे थे अब बहु फ्री हो गई थी।


ज्योति को गए आधा घंटा बीत चुका था। महेश अपने कमरे में टीवी देख रहा था नीलम को टीवी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। नीलम ने सब्जी को तड़का लगा कर जैसे ही आटा गूंथना शुरू किया, उसके ससुर ने उसे पीछे से जकड़ लिया वो सेल्फ पर झुकी हुई आटा गूँथ रही थी इसिलए खुद को महेश की पकड़ से छुड़ा भी न पाई; महेश ने उसके मम्मों को दबाना मसलना शुरू कर दिया।
नीलम- क्या कर रहे हैं पिताजी, छोड़िए न आटा गूँथने दो न!
महेश- तुम आटा गूंथो, मैं तुम्हारे ये मोटे-2 मम्में!
महेश ने अपनी बहु की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलते हुए कहा।

वो अपनी बहू की चूचियों को बुरी तरह मसल रहा था, रौंद रहा था और इसके साथ ही वो उसकी गर्दन चेहरे को चूमता जा रहा था.नीलम की सिसकारियाँ निकल रही थी, वो आटा बनाते हुए “आह… ओह… माँ… ओह पिताजी… आह…” कहकर पागल सी होती जा रही थी।

महेश ने अपना एक हाथ नीलम की मैक्सी के अंदर डाल लिया। नीलम ने उसका हाथ बाहर निकालने की कोशिश की तो महेश ने उसका स्तन बेहद बेहरहमी से मसल दिया “आइ… आ… आ… मर गई”नीलम चीत्कार कर उठी।
महेश- बहू, तुम्हारा आटा बन गया, अब चपातियाँ बनाओ, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। बड़ी प्यारी चूत है तुहारी देखो कैसे फड़फड़ा रहा है तुम्हारी चूत का दाना… यह मुझे कह रहा है कि इसे लौड़ा चाहिए… बहू कस के शेल्फ पकड़ लो !
नीलम- पिताजी प्लीज नहीं…

वो एक आखिरी कोशिश कर रही थी, उसने न चाहते हुए भी शेल्फ को दोनों हाथों से पकड़ लिया। झुकने के कारण उसकी चूत ऊपर की तरफ हो गयी।वह अब घोड़ी बन चुकी थी।
महेश ने नीलम को कमर से पकड़ लिया और लन्ड को चूत पर सेट करके ज़ोर से धक्का लगाया।
“आ… आ… माँ मर गयी मैं…” नीलम को लगा जैसे लोहे का मोटा डंडा उसकी बुर में डाल दिया गया हो।
 
महेश ने नीचे की तरफ देखा तो लन्ड लगभग आधा अंदर जा चुका था। महेश ने अंदाज़ा लगाया पर यह समय रहम खाने का नहीं था, उसने पांच छह शॉट एक के बाद एक पेल दिए जैसे कि कोई ऐक्शन रीप्ले कर रहा हो नीलम की दर्दनाक चीखों से सारा घर गूंज उठा, उसकी टाँगें काँपने लगी.

अगर महेश अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे शेल्फ पर न झुकाता तो यकीनन वो गिर पड़ती। महेश ने अपनी पूरी ताकत से नीलम को शेल्फ पे दोहरा किया हुआ था उसने अपने दोनों हाथों से नीलम के चेहरे को शेल्फ पर दबा रखा था । नीलम के स्तन शेल्फ से पिचक रहे थे उसकी साँस रुक रही थी। पर बेरहम ससुर को उसकी कोई चिंता नहीं थी उसने अपनी बहु को इसी पोजीशन में दबाए रखा और पीछे से धक्को की रेल चला दी। नीलम पसीने से तरबतर हो गयी। उसकी कमसिन जवानी को उसके मोटे तगड़े ससुर ने मसल के रख दिया था। उसके कानों में धक्को की… फच… फच… पट… पट… फच… फच… की आवाज़ गूँज रही थी।

तभी महेश की नजर कोने में रखे मक्खन पर चली जाती है मक्खन देखकर महेश के दिमाग में नीलम की मस्त गांड मारने का ख्याल आ जाता है ।वह धीरे से मक्खन का डिब्बा अपनी तरफ खींचता है और मक्खन निकालकर नीलम की टाइट गांड के भूरे छेद पर मक्खन लगाने लगता है फिर फिर धीरे धीरे मक्खन नीलम की गांड के अंदर डालने लगता है। साथ साथ नीलम की चूत की चुदाई भी जारी रखता है जिससे नीलम पूरी तरह से गर्म रहती है और उसका ध्यान गांड की तरफ नहीं जाता।


इधर महेश धीरे धीरे नीलम की गांड में ढेर सारा मक्खन डाल देता है। निलम की गांड अब मक्खन से पूरी तरह भर गई है तब महेश अपना लंड नीलम की चूत से निकालता है और जब तक नीलम कुछ समझ पाती तब तक अपना मोटा लंड नीलम की गाँड के छोटे से छेद पर रख कर एक ही झटके में आधा लंड नीलम की गांड में एकदम से पेल देता है।


नीलम दर्द से चीखने चिल्लाने लगती है महेश को तो अपने मजे से मतलब था नीलम को कस के पकड़ लेता है और अपने लंड को नीलम की टाइट गांड में चार पांच धक्को में ही पूरा 9 इंच तक पेल देता है। नीलम अपनी गांड छुड़ाने की बहुत कोशिश करती है लेकिन महेश की ताकत के आगे वह हार मान लेती है और वह भी गांड मरवाने लगती है ।
 
महेश-आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सालीईईई रंडीईईईई
तेरी गांड कितनी मस्त है।बिलकुल किसी कुतिया की तरह गरम गांड है तेरी साली रंडी।

नीलम-आह्ह्ह्ह्ह्ह पिताजीईईईई फाड़ दो अपनी रांड की गांड।बहुत खुजली हो रही है इसमें।


5 मिनट की गांड चुदाई में नीलम को भी मजा आने लगता है चुकी नीलम की पूरी गांड मक्खन से भरी हुई है इसीलिए ज्यादा तकलीफ नहीं होती । और नीलम भी मस्ती में अपनी गांड मरवाने लगती है


10 मिनट तक नीलम की गांड मारने के बाद वह फिर से अपनी बहु नीलम के चूत में लंड पेल देता है और फिर से नीलम की चूत की चुदाई करने लगता है

पर कुदरत भी अजीब है, लन्ड और चुदाई कैसी भी क्यों न हो, औरत की चूत और गांड उसके हिसाब से एडजस्ट कर ही लेती है ताकि चर्म सुख का आनन्द ले सके!
और ऐसा ही नीलम के साथ भी हुआ और धीरे धीरे उसका दर्द आनन्द में बदलने लगा… चीखों की जगह कामुक आहों ने ले ली- आह… आह… आह… ओह… आह… उम्म… उफ्फ… ओह्ह… अअ अअअ अअ… हहहहहह!
एक लंबी आह के साथ उसका बदन अकड़ा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

महेश ने उसे अपनी पकड़ से आज़ाद कर दिया पर नीलम निढाल शेल्फ पर ही पड़ी रही… उसे परमानन्द का अनुभव हो रहा था, उसके ससुर का घोड़ा लन्ड अभी भी उसकी चूत में था पर अब वो उसे अपने ही बदन का हिस्सा लग रहा था… लन्ड की गर्मी उसे अच्छी लग रही थी।

महेश- बहू… आज तूने कमाल कर दिया?
नीलम- पिताजी आपने तो पीस कर रख दिया है मुझे, मैंने क्या कमाल किया है, कमाल का तो आपका यह शैतानी लन्ड है।
महेश- आज तो तूने इसे भी फेल कर दिया, दो बार झड़ा हूँ और तू बस एक बार, इतनी कसी हुई चूत और गांड है तेरी कि यकीन नहीं होता।
नीलम- इतनी जल्दी आप तीन बार झड़ गए?
महेश- साली जल्दी थोड़े ही है।पूरे 45 मिनट से चुदाई कर रहा था तेरी।
नीलम- इतना टाइम। पर मुझे तो लगा कि कुछ ही मिनट हुए हैं… अब निकालो अपने लन्ड को पिताजी। मुझे रोटियां बनानी हैं।
महेश- लन्ड निकालने की क्या ज़रूरत है तू रोटियां बना मैं हल्के हल्के धक्के लगाता रहूंगा…बेटी।
 
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