hotaks444
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मै आपके क़रीब सिर्फ इसलिए आना चाहता था क्यूंकि मै आपसे जानना चाहता था की मेरे बापू इस हवेली से कैसे ग़ायब हुए थे।
रुक्मणी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है।
मुझे कैसे पता होंगा तेरे बापू के बारे में।
देवा;तुम्हारे पति को पता है वो मुझे नहीं बोलने वाले इसलिये।
रुक्मणी; इसलिए तू मुझे इस्तेमाल करके अपने बापू का राज़ पता करना चाहता था।
देवा; हाँ।
रुक्मणी;अपने ऑसू पोंछ लेती है।
मुझे बड़ा दुःख हुआ ये जान के तू मुझे इस्तेमाल कर रहा था।
कोई बात नहीं मै तेरी मदद ज़रूर करुँगी।
तूझे पता करना है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था।
मै तेरे जागिरदार साहिब से किसी भी तरह ये बात पता करके रहूँगी और तुझे बता दूंगी ।बस....
देवा;रुक्मणि के पास आता है और उसका चेहरा ऊपर उठाके अपनी ऑखें उसकी ऑखों में गाड देता है।
मुझे और भी कुछ चाहिये।
रुक्मणी;क्या।
देवा;ये.....
वो अपने होंठ रुक्मणी के होठो पे रख देता है।
कुछ देर देवा का साथ देने के बाद रुक्मणी अपने होंठ उससे अलग कर देती है।
रुक्मणी;नहीं जो मुझे इस्तेमाल करता है मै उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। तूझे जो पता करवाना है मै उस में तेरी मदद कर दूंगी उसके बाद तू अपने रास्ते मै अपने रास्ते।
देवा;रुक्मणि को देखने लगता है।
उसे पता था अभी रुक्मणी ग़ुस्से में है ।
अपनी मोहब्बत का इज़हार करके उस ने देवा को ये तो बता दी थी की वो देवा के बारे में क्या राये रखती है।
मगर उसे ये नहीं पता था की कही न कही देवा भी रुक्मणी की खुबसुरती का दिवाना है।
दरवाज़े के बाहर खड़ी रानी अपने मुँह पे हाथ रख देती है। उसे तो बस इंतज़ार था हिम्मत राव के वापस आने का।
और हिम्मत राव अपनी रखेल बिंदिया की चूत में पड़ा हुआ था।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
मै आपके क़रीब सिर्फ इसलिए आना चाहता था क्यूंकि मै आपसे जानना चाहता था की मेरे बापू इस हवेली से कैसे ग़ायब हुए थे।
रुक्मणी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है।
मुझे कैसे पता होंगा तेरे बापू के बारे में।
देवा;तुम्हारे पति को पता है वो मुझे नहीं बोलने वाले इसलिये।
रुक्मणी; इसलिए तू मुझे इस्तेमाल करके अपने बापू का राज़ पता करना चाहता था।
देवा; हाँ।
रुक्मणी;अपने ऑसू पोंछ लेती है।
मुझे बड़ा दुःख हुआ ये जान के तू मुझे इस्तेमाल कर रहा था।
कोई बात नहीं मै तेरी मदद ज़रूर करुँगी।
तूझे पता करना है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था।
मै तेरे जागिरदार साहिब से किसी भी तरह ये बात पता करके रहूँगी और तुझे बता दूंगी ।बस....
देवा;रुक्मणि के पास आता है और उसका चेहरा ऊपर उठाके अपनी ऑखें उसकी ऑखों में गाड देता है।
मुझे और भी कुछ चाहिये।
रुक्मणी;क्या।
देवा;ये.....
वो अपने होंठ रुक्मणी के होठो पे रख देता है।
कुछ देर देवा का साथ देने के बाद रुक्मणी अपने होंठ उससे अलग कर देती है।
रुक्मणी;नहीं जो मुझे इस्तेमाल करता है मै उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती। तूझे जो पता करवाना है मै उस में तेरी मदद कर दूंगी उसके बाद तू अपने रास्ते मै अपने रास्ते।
देवा;रुक्मणि को देखने लगता है।
उसे पता था अभी रुक्मणी ग़ुस्से में है ।
अपनी मोहब्बत का इज़हार करके उस ने देवा को ये तो बता दी थी की वो देवा के बारे में क्या राये रखती है।
मगर उसे ये नहीं पता था की कही न कही देवा भी रुक्मणी की खुबसुरती का दिवाना है।
दरवाज़े के बाहर खड़ी रानी अपने मुँह पे हाथ रख देती है। उसे तो बस इंतज़ार था हिम्मत राव के वापस आने का।
और हिम्मत राव अपनी रखेल बिंदिया की चूत में पड़ा हुआ था।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]