Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 22 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]देवा रश्मि का हाथ पकड़ के उसे अपने पास बैठा देता है।
कुछ देर यहाँ भी बैठ जा। शादी के बाद तो तू दिखाई भी नहीं देगी हमें।

रश्मी; अब ऐसी भी बात नहीं है भैया आऊँगी ना आपको मिलने।

देवा;अपना एक हाथ रश्मि के काँधे पे रख देता है।

जीसे पहले रश्मि झटक देती है।

देवा फिर से अपना हाथ वहाँ रख देता है।

और इस बार रश्मि चुप चाप बैठी रहती है।

देवा; अच्छा एक बात बता तूने अपने होने वाले पति को देखा भी है या नही।

रश्मी शर्मा जाती है।मुझे जाने दो बहुत काम है।

देवा;सच में यार किस्मत वाला होंगा वो इंसान जिसे तू मिलेगी।

रश्मी;वो कैसे।

देवा;अरे इतनी सुन्दर सुशील लड़की किस्मतवालो को मिलती है।
तेरी जैसी खूबसूरत लड़की पूरे गांव में नहीं है अपने।

रश्मी;चने के झाड पे चढने लगती है।
बस बस रहने दो अब इतनी भी अच्छी नहीं दिखती हूँ मैं।

देवा;अपने हाथ का जादू रश्मि के गरदन पे चलाने लगता है और धीरे धीरे रश्मि की गरदन को अपनी उँगलियों से सहलाने लगता है।

रश्मी;तुम्हें सबसे अच्छा क्या लगता है मुझ में।

देवा;तू तो सर से पांव तक खूबसूरत है और सबसे अच्छी चीज़ तो तूने छुपा रखी है।

रश्मी; वो क्या।

देवा; एक मिनट तू यहाँ लेट जा मै तुझे देखता हूँ।

रश्मी;नहीं नहीं तुम फिर से कोई शैतानी करोगे।

देवा;ठीक है तो फिर तू जा।

रश्मी;अब बुरा मत मानो अच्छा बाबा लेट गई अब बोलो।

देवा;पहले ऑखें बंद कर।

रश्मी;उस वक़्त देवा के चने के झाड पे इतनी ऊपर तक चढ़ गई थी की उतरना मुश्किल था।।
अखीर वो भी एक भारतीये लड़की थी।।ज़रा सी तारीफ कर दो लड़की खुद बा खुद चली आती है।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]देवा;रश्मि के ऑंखें बंद करते ही धीरे धीरे उसकी कमीज ऊपर करने लगता है और रश्मि के कुछ कहने से पहले अपने होंठ रश्मि के काँपते पेट पे रख देता है।

रश्मी; उईईईईई माँ।


देवा;अपने मज़बूत हाथों से रश्मि के पेट को सहलाते हुए चुमने लगता है जिससे रश्मि तड़प उठती है। जबसे उसकी सगाई हुई थी तबसे उसकी चूत गीली रहने लगी थी। ऊपर से देवा की हरकतें उसे आये दिन सपने में परेशान करते रहती थी।।

आज देवा ने उस जगह अपनी ज़ुबान रखा था की वो खुद चाह के भी उसे रोक नहीं पा रही थी।

रश्मी;देवा ये गलत है ऐसा मत करो ना।

देवा;कुछ भी तो नहीं कर रहा हूँ मै गलप्प गलप्प्प।

देवा;सरकते सरकते रश्मि के होठो के पास आ जाता है और रश्मि के होठो पे होंठ लगा देता है।

पहले रश्मि अपने होंठ नहीं खोलती मगर देवा के उसे मसलने से उसका मुंह अपने आप खुल जाता है और ज़ुबान थोडी सी बाहर निकल जाती है।

उसी वक़्त दोनों की ज़ुबान एक दूसरे से और होंठ एक हो जाते है।गल्पप गलप्प।


रश्मी कुंवारी थी और कुँवारी चूत धक्का भी बर्दाश्त नहीं करती रश्मि भल भल करके पानी छोड देती है और पानी निकलते ही हर किसी का जो हाल होता है वही रश्मि का भी हो जाता है वो अपनी दोनों बंद आँखें खोल देती है और जल्दी से उठके खड़ी हो जाती है।

देवा;अरे रुक न कहाँ जा रही है।

रश्मी;तुम्हारे माँ के पास तुम्हारे कारनामे सुनाने।

देवा;मेरी कसम याद है ना तुझे।

रश्मी;कसम मेरी जुती।
और वो वहां से भाग जाती है।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]उसके जाने के बाद पप्पू जो काफी देर से ये सब देख देख रहा था थोड़ा ग़ुस्से और थोड़ा गरम हो चुका था बाहर निकल आता है।

देवा;उसके चेहरे के हाव भाव देख समझ जाता है की एक भाई जग गया है।

पप्पू;ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो देवा।

देवा;देख भाई मै तेरी बहन नीलम से शादी करुँगा इस नाते रश्मि मेरी क्या हुए साली और साली तो आधी घर वाली होती है ना इस में गलत क्या है बोल।।

पप्पू;इसलिए तुम मुझे हमेशा साला साला कहते हो।

देवा;हाँ अब समझा तू सही बात।

पप्पू: मैं चलता हूँ माँ इंतज़ार कर रही होंगी।

देवा; अबे सुन तो कब देगा।

पप्पू;बाद में।

देवा;क्या साले तू लड़कियों की तरह भाव खाता है।

पप्पू;रात में।

देवा;एक थप्पड पप्पू के कमर पे लगा देता है।
चल मै भी साथ चलता हूँ मुझे हवेली जाना है।

ओर दोनों साथ चल पडते है

देवा;यार एक बात समझ नहीं आती की औरत जल्दी चूत दे देती है और ये लड़कियां इतनी क्यों भाव खाती है।

पप्पू;भाई तुमने अब तक कितनी लड़कियों का ढक्कन खोला है।

देवा;एक भी नहीं सब पहले से खुली हुई थी

पप्पू;बस यही तो बात है न।
औरत को कितना भी चोदो उसे इतना फर्क नहीं पड़ता मगर लड़की जब तक नहीं खुल जाती वो बस दबाने देगी। कुछ करने जाओ तो लंड पे लात मार के भाग जाएंगी।

देवा;सही कहा तूने क्या बात है साले। मेरे पानी से तो काफी समझदार होता जा रहा है

पप्पू;देवा को पेट में मुक्का मारता हुआ अपने घर की तरफ बढ़ जाता है और देवा हवेली के तरफ।

जब वो हवेली के अंदर जाता है तो उसे सामने के कमरे में रुक्मणी साडी पहनती दिखाई देती है।


सफेद गोरा चिट्टा पेट देख देवा के कदम वही दरवाज़े पे रुक जाते है।
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देवा रुक्मणी को देखता ही रह जाता है।

अचानक रुक्मणी की नज़र दरवाज़े की तरफ जाती है
वो झट से अपनी साडी ठीक कर लेती है।

रुक्मणी;अरे देवा आओ आओ अंदर आओ।

देवा;नहीं वो मै तो मालकिन बस ऐसे ही.....
देवा डर भी गया था और थोड़ा सकपका भी गया था।
उसे कुछ नहीं सुझ रहा था की रुक्मणी से क्या कहे।

रुक्मणी;वहां क्यों खड़े हो अंदर तो आओ।

देवा कमरे के अंदर चला जाता है और रुक्मणी दरवाज़ा की कुण्डी लगा देती है।

रुक्मणी;तुम ने तो कल कमाल ही कर दिया मेरी कमर का दर्द बहुत कम हो गया है । बस थोड़ा सा बाकी है।अच्छा हुआ तुम आ गये ज़रा दबा दोगे।

देवा;ठीक है देवा को तो जैसे दिल की बात हो गई थी। वो तो रुक्मणी के गोरे चिट्टे जिस्म को छुना चाहता था।

रुक्मणी;बिस्तर पे लेट जाती है।

देवा उसकी कमर के पास बैठ जाता है
कहाँ दर्द हो रहा है मालकिन ।

रुक्मणी;इशारे से अपने कमर के बीच की दरार में देवा को दिखाती है।
यहाँ पर.....

देवा रुक्मणि को देखता रह जाता है।
वो अपना एक हाथ उसी जगह रखता है जहाँ रुक्मणी ने उसे दिखाई थी।
उभरे हुए कमर पे दोनों कमर के बीच में नरम नरम गाण्ड पे।
आम तौर पे उस जगह दर्द नहीं होता क्यूंकि वहां सबसे ज़्यादा माँस होता है।

देवा के हाथ रखते ही रुक्मणी अपनी कमर को थोडा ऊपर की तरफ उठा लेती है और देवा दोनों हाथों से उसे नीचे की तरफ दबा देता है।
यहाँ ना मालकिन

रुक्मणी; हाँ वही दबाते जा आह्ह्ह्ह्ह।


देवा का तो रुक्मणी की मोटी गांड देख के ही पेंट के अंदर खड़ा हो गया था।
उपर से चूतड दबाने से उसके लंड को अब पेंट में रहना मुश्किल सा हो गया था।
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रुक्मणी की साँसे फुलने लगती है उसे भी लंड चाहिए था हिम्मत राव तो उसे चोदता नहीं था और करता भी था तो बस कुछ देर के लिये ।वो अंदर ही अंदर सुलगते भट्टे की तरह थी।।

देवा; अच्छा लग रहा है ना मालकिन।

रुक्मणी; हाँ बहुत अच्छा है।
ये कहते हुए रुक्मणी पीठ के बल हो जाती है और अपने दोनों पैर खोल देती है।
उसकी ऑखें अभी भी बंद थी।
आह थोडी जांघ में भी दर्द है रे।

देवा;अपनी मालकिन का वफादार अपने हाथों का जादू रुक्मणी के जांघो पे भी चलाने लगता है।

जैसे जैसे देवा के हाथ ऊपर की तरफ चढ़ते है रुक्मणी अपने होठो पे ज़ुबान फेरने लगती है।

दोनो जानते थे की हो क्या रहा है मगर दोनों अपने अपने सीमा में रह कर खेलना चाहते थे।

रुक्मणी एक औरत थी वो भी भारतीय। वो कभी अपने मुँह से ये नहीं कहती की देवा मेरी ले ले।

देवा का लंड अब उसके पेंट में इस कदर फूल चुका था की उसे बाहर हवा में निकाल के थोडी साँस लेने देना बहुत ज़रूरी था वरना उसके घुट के अकड़ने का डर था।

वो कुछ सोचता है और अपने हाथों को धीरे धीरे रुक्मणी की जांघ पर से ऊपर चढाता हुआ उसके पेट को छुते हुए दोनों हाथ रुक्मणी के नरम मुलायम ब्रैस्ट पे रख के जल्दी से दोनों आम को मसल देता है।

एक हलकी से चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है वो एक पल के लिए ऑखें खोलती है और अगले ही पल बंद कर देती है।

देवा रुक्मणि के दोनों ब्रैस्ट को मसलते हुए उसके गरदन को चुमने लगता है।


मालकिन आप बहुत सुन्दर हो गलप्प गलप्प।

रुक्मणी; उन्हह आह्ह्ह्ह
मेरी जान बचाने वाले देवता आहह कुछ करना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

देवा डरते ड़रते रुक्मणी के ब्लाउज के दोनों बटन खोलने लगता है और रुक्मणी नंगी होने के एहसास से ही कांप जाती है।
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रुक्मणी अभी भी अपनी ऑंखें बंद किये देवा के बालों को सहला रही थी और उसके सर को अपनी छाती पे दबा रही थी।

देवा;एक निप्पल को मुँह में ले के ज़ोर से काट देता है।

जीससे रुक्मणी की चिख निकलने लगती है पर सही वक़्त पे देवा अपने होंठ रुक्मणी के होठो से लगा के उसकी आवाज़ बंद कर देता है और रुक्मिणी के रसीले होठो को गलप्प गलप्प चूसने लगता है।


रुक्मणी अपनी कमर को ऊपर निचे करने लगती है और फिर अचानक वो एकदम शांत पड़ जाती है और झटके से देवा को अपने ऊपर से ढकेल देती है।

देवा;क्या हुआ मालकीन।

रुक्मणी;चला जा यहाँ से मै अपने पति को धोखा नहीं दे सकती।।
चला जा अभी के अभी वरना मुझसे बुरा कोई नही।

देवा को यक़ीन नहीं होता की एक ही पल में रुक्मणी की सोच को क्या हुआ अभी वो देवा को कुछ करने के लिए बोल रही थी और फिर अचानक वो उसे जाने के लिए कह रही है।

रुक्मणी के अंदर की पतिवरता औरत जाग गई थी।।

देवा को कुछ समझ नहीं आता और वो अपने लंड को पेंट में किसी तरह इधर उधर एडजस्ट कर के घर जाने लगता है।

वो जैसे ही हवेली से बाहर निकल के कच्चे रास्ते पे आता है उसे रास्ते में हिम्मत राव और रानी आते दिखाई देते है।
उन दोनों को देख देवा घबरा जाता है और खुद को किसी तरह क़ाबू में करने लगता है।।

हिम्मत राव;उसके पास आके।
कहाँ से आ रहे हो देवा।

देवा;वो मालिक बस ऐसे ही आपके तरफ आ गया था।

हिम्मत राव; अच्छा हुआ तुम मुझे मिल गए।
देखो देवा मै एक हफ्ते के लिए गांव से बाहर जा रहा हूँ शहर में कुछ काम है मुझे।।

यहाँ हवेली में रानी बिटिया और रुक्मणी अकेली रह जाएंगी।।
मै ये चाहता हूँ की तुम रात में यहाँ सोने आ जाया करो।।
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तूम्हे कोई दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;मालिक मेरे घर पे भी तो कोई नहीं है मरद मेरे सिवा।

हिम्मत राव;तुम्हारे घर कौन चोरी करने आयेंगा।।
नंगा नहायेगा क्या और निचोड़ेगा क्या।
ये ताना देवा को अंदर तक चूभ ज़रूर गया था मगर वो कुछ कहता नही।

हिम्मत राव;क्या सोच रहे हो।

देवा;कुछ नहीं मालिक।

हिम्मत राव; तो ठीक है कल से रात में यहाँ सोने आ जाना और हवेली के बाहर ही बिस्तर डाल के सोना ठीक है।

देवा;जी मालिक।

पास खड़ी रानी की आँखों में चमक आ जाती है और वो देवा को घुरने लगती है।

हिम्मत राव अपने हवेली के तरफ चल देता है और देवा अपने घर के तरफ।

हिम्मत राव और रानी जब
कमरे में पहुँचते है तो हिम्मत राव कमरे का दरवाज़ा बंद कर देता है और जैसे ही रानी खुश होके हिम्मत राव की तरफ देखती है।
एक ज़ोरदार थप्पड हिम्मत राव रानी के मुंह पे जड़ देता है।

रानी;चक्कर खाके बिस्तर पर पेट के बल जा गिरती है।

हिम्मत राव ;आगे बढ़के उसके बाल पकड़ लेता है।
साली हरामज़ादी कितने दिन से तुझसे एक काम नहीं होता।
एक लौंडा तुझसे नहीं पट सकता। क्या कर रही है तू कही तेरा दिल तो नहीं आ गया देवा पर।

रानी की ऑखों में ऑंसू आ जाते है।

हिम्मत राव रोना मत और सुन ले ये एक हफ्ते में अगर तूने देवा को हमारा काम करने के लिए राजी नहीं किया न तो तुझे शहर हमेशा के लिए छोड आउँगा।

रानी अपने गाल पे हाथ फेरने लगती है।
ठीक है बापु अब आप देखते जाओ मै क्या करती हूँ।।

हिम्मत राव वहां से चला जाता है।
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देवा;अरे काकी ये कहाँ जा रहे हो तुम सब।

शालु;देवा वो रश्मि के होने वाले ससुर की तबियत बहुत ख़राब है।।
अभी उनके गांव से संदेशा आया है।हम वही जा रहे है।

रश्मी की सास का कहना है की एक हफ्ते में वो रश्मि को उनके घर की बहु बनाना चाहते है।
रश्मि के ससुर के भी यही आखिरी इच्छा है।
पता नहीं इतनी जल्दी सब कैसे होंगा।

देवा;अरे तो इस में कौन से घबराने की बात है तुम अभी जाओ और शाम ढले वापस आ जाना । जवान लड़की साथ में है।

नीलम;मुस्कुरा देती है।

शालु;हाँ बेटा पप्पू रश्मि के पास है अब तुम दोनों को ही सब संभालना है।

देवा;सब हो जाएगा काकी तुम जाओ मै ज़रा पप्पू से मिलके आता हूँ।।

शालु;ठीक है और तीनो रश्मि के ससुराल चल देतें है।

देवा;शालू के घर जब पहुँचता है तो पप्पू बाहर ऑगन में लेटा हुआ था।

देवा;बिना उसे जगाये घर के अंदर चला जाता है।

रश्मी;अपने कमरे में बिस्तर पे लेटी हुई थी उस
वक़्त वो देवा के बारे में ही सोच रही थी वो यूँ तो देवा से भागती फिरती थी मगर जब देवा उसके पास नहीं होता तो वो उसके यादों में खोई रहती थी।

देवा;खंखारता है।

और रश्मि अपने खवाबों के राजकुमार को अपने ऑखों के सामने देख चौंक जाती है।

रश्मी;तुम इस वक़्त यहाँ।

देवा;हाँ मैंने सुना है एक हफ्ते में तेरी शादी होने वाली है तो सोचा अपना वादा क्यों न पूरा कर दूँ वरना मुझे ज़िन्दगी भर कुँवारा न रहना पड जाए।
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रश्मी;कैसे वादा। तुम जाओ यहाँ से भाई घर पे है।

देवा; अच्छा कौन सा वादा। अभी बताता हूँ।।

रश्मी; पीछे हट जाती है।
देखो देवा भैया ये ठीक बात नहीं है मै चिल्लाऊंगी समझे।

देवा;चिल्ला पर मुझे बिना शादी के नहीं मरना।

रश्मी; मैं भाई को बुलाऊँगी।

देवा हंस पडता है उस भाई को जिसका मै कई बार गाण्ड मार चुका हूँ।

रशमी के पैर ये बात सुनके अपनी जगह जम जाते है और इस बात का फायदा उठाके देवा रश्मि को अपने बाहों में भर लेता है।

रश्मी;आहह छोड दो देवा भैया।

देवा;रश्मि सच में तू मुझे बहुत पसंद है।
एक बार अपने गुलाबी होठो का रस पीने दे मुझे।

देवा का लंड उसे ये सब करने पे मजबूर कर रहा था रुक्मणी ने उसके खड़े लंड पे लात मारके उसे हवेली से निकाल दी थी।।
वो अपने आप को तो सँभाल सकता था मगर अपने खड़े लंड को जब तक किसी की चूत या गाण्ड में नहीं डाल देता उसका लंड चैन से नहीं बैठता था।।

रश्मी;भाई आ जायेगा।

देवा;डरती क्यों है कुछ नहीं होगा।

रश्मी;नहीं मुझे डर लगता है।

देवा;उसे अपनी छाती से कस के छिपा लेता है और रश्मि की साँस अटक सी जाती है।
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रश्मी;उन्हह देवा छोड दे ना भाई आ जाएगा ।
उईईईईई माँ वहां हाथ मत लगा।

देवा;रश्मि की गरदन चुमते हुए एक हाथ से रश्मि की चूत को सहला देता है जिससे रश्मि सिसक उठती है।

रश्मी;देवा आहह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।

देवा;आज ये रस पी लेने दे रश्मि बहुत तड़पाया है तूने मुझे।

रश्मी; नहीं ना।।
वह सिर्फ मुँह से देवा को मना कर रही थी ।
हाथ देवा की पीठ पे कसे जा रहे थे और ब्रैस्ट देवा की छाती में दबने को तैयार बैठे थे।

देवा रश्मि की कमीज निकलने लगता है

रश्मी :नहीं ऐसा मत कर मुझे दर्द होंगा।

देवा;पहले पहले होगा रश्मि बाद में तुझे भी बहुत मज़ा आएगा।

रश्मी;नही।
इससे पहले रश्मि और कुछ कहती देवा अपने होठो से उसकी आवाज़ बंद कर देता है गलप्प गलप्प।



देवा;अपने हाथ से रश्मि के सलवार का नाड़ा खोल देता है और सलवार निचे ज़मीन पे गिर जाती है।

रश्मी;बस अब नाम को देवा को कुछ करने से रोक रही थी । कई दिनों से सुलगता हुआ लावा आज फुट पडने को तैयार था।

देवा की दोनो उँगलियाँ रश्मि की पेंटी के अंदर जा चुकी थी और चूत के किनारे को कुरेदने लगती है।

रश्मी;अपना मुँह थोड़ा और खोल देती है जिससे उसकी ज़ुबान भी देवा के मुँह में चली जाती है।

देवा रश्मि के जिस्म की गर्मी को भाँप के उसे निचे लिटा देता है और एक झटके में उसके जिस्म से पेंटी और कमीज अलग कर देता है।
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