Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 14 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

रानी; बापू के बन्दूक के सामने मै आ जाऊँगी
मेरे बापू तुम्हें कुछ नहीं करेंगे पर .....

देवा;पर क्या रानी।

रानी;तुम तो जानते हो मेरी माँ ....
वो मेरी सगी माँ नहीं है सौतेली माँ है वो मुझसे नफरत करती है।
अगर उन्हें पता चल गया तो वो सारे गांव वालो को बता देगी और हम सब की क़ितनी बदनामी होंगी तुम्हें गांव छोड के जाना भी पड़ सकता है।

देवा;नहीं नहीं मै अपना घर खेत छोड के कही नहीं जाना चाहता।

रानी; माँ बहुत ख़राब औरत है देवा। वो मुझपे बदचलन का इलज़ाम लगाके कही कुंवे में न ढकेल दे ।
इस सब का बस एक उपाए है।
जीससे गांव वालों तक ये बात नहीं पहुँच सकेंगी

देवा;वो क्या।

रानी; तुम मेरी माँ के दिल में जगह बना लो।
उनके बहुत क़रीबी हो जाओ।
फिर अगर कभी उन्हें हमारे बारे में पता चल भी गया तो वो किसी को कुछ नहीं कहने वाली।

देवा;हाँ बात तो सही है।
पर मुझे उनसे बहुत डर लगता है।

रानी;मर्द होके ड़रते हो मैंने तो सुनी थी की तुम किसी से भी नहीं ड़रते अरे अगर तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते तो जान से मार दो मुझे।

देवा;नहीं नहीं रानी। मै मालकिन के दिल में जगह बनाऊँगा।

रानी;ना सिर्फ जगह बल्कि तुम्हें उनके साथ वो सब भी करना पड़ेंगा जो हम करते है।

देवा;क्या नहीं नही.....

रानी; बुधू बस एक बार वो अपना मुंह न खोल सके। तुम्हारे जैसे जवान के लिए ये कौंन सी बडी बात है अरे जब तुम मुझ जैसे कुँवारे को अपने लंड की गुलाम बना सकते हो तो माँ तो तुम्हारे सामने कुछ भी नही।

देवा;कुछ देर बाद रानी की बात मान लेता है।
रानी देवा को चुमने लगती है।

कुछ देर बाद वो पीछे के दरवाज़े से देवा को घर भेज देती है और दिल ही दिल में अपनी जीत की खुशियाँ मनाने लगती है।
 
अपडेट 21




सुबह देवा जल्दी उठ जाता है । उसे शहर जाना था अपने गन्ने की फसल को बेचने वो सुबह से खेत में लगा हुआ था मज़दूरो की मदद से वो ट्रेक्टर में गन्ने रखवा देता है।

वो बस शहर की तरफ निकलने ही वाला था की हवेली का एक नौकर जो हिम्मत राव के खेतों में काम करता था देवा के पास आता है।
और देवा को संदेश देता है की हिम्मत राव ने उसे अभी हवेली बुलाया है।

देवा; ट्रेक्टर लेके हवेली चला जाता है।
और ट्रेक्टर हवेली के बाहर खड़ा करके अंदर जाता है। सामने उसे हिम्मत राव रुक्मणी और रानी से बातें करते हुए दिखाई देते है वो सभी को नमस्ते करता है और रानी को देख उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है।

रानी;अरे बैठो देवा।

देवा;मालिक आपने मुझे बुलाया कुछ काम था।

हिम्मत राव; हाँ वो रुक्मणी को शहर जाना है अगर तुम्हें कोई काम नहीं होगा तो कार ले के चले जाओ।

देवा;मालिक मै शहर ही जा रहा था गन्ने बेचने।

रानी; ये तो अच्छी बात है माँ को भी ले जाओ जब तक माँ को डॉक्टर देखे तुम गन्ने बेच लेना और आते हुए माँ को दवाख़ाने से भी लेते आना।

रुक्मणी;उसे तकलीफ हो जाएंगी।

हिम्मत राव;क्या कहतो हो देवा तुम्हें कुछ दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;मालिक मुझे क्या दिकत हो सकती है पर मै तो ट्रेक्टर ले आया हूँ । मालकिन कहाँ उस में बैठेंगी।

हिम्मत राव;रुक्मणी की तरफ देखता है और फिर देवा की तरफ।
तूम रुको रुक्मणी अभी आती है कपडे बदल के और उसे कोई दिक्कत नहीं ट्रेक्टर में बैठने में क्यों रुक्मणी।

रुक्मणी;मुस्कुराते हुए नहीं मै अभी आती हूँ।
वो अंदर कपडे बदलने चली जाती है और देवा वही हिम्मत राव के पैरों के पास निचे ज़मीन पे बैठ जाता है।
 
कुछ देर बाद रुक्मणी गुलाबी कलर की साडी पहनके बाहर आती है।
किसी स्वर्ग की अप्सरा की तरह अपने रंगों में लिपटी हुई रुक्मणी बहुत खूबसूरत लग रही थी।


देवा;एक उचटती सी निगाह रुक्मणी पे ड़ालता है और ट्रेक्टर की तरफ चल देता है पीछे पीछे रुक्मणी भी चली आती है।

दोनो ट्रेक्टर में बैठके शहर की तरफ निकल जाते है
उनके निकलने के बाद हिम्मत राव और रानी अपनी रास लीला शुरू करने रानी के रूम में घुस जाते है।

रुक्मणी;अपने साडी ठीक करते हुए
क्या बात है देवा इतने चुप क्यों बैठे हो क्या मेरा साथ आना तुम्हें अच्छा नहीं लगा।

देवा;अरे नहीं नहीं मालकिन मै कुछ और सोच रहा था।

रुक्मणी;हम्म मुझे भी बताओ क्या सोच रहे थे।

देवा; मैं सोच रहा था की जल्दी से गन्ने बेच बाच के मां के गांव चला जाऊँ।
माँ को वापस भी लाना है और पता नहीं मां की तबियत कैसी है।

रुक्मणी;क्या हुआ मां को तुम्हारी......

देवा ने ठीक नहर के ऊपर इतनी ज़ोर से ब्रेक मारा की रुक्मणी गिरते गिरते बचती है।
समने से मदमस्त हाथियों की एक टोली गुज़र रही थी
ये हाथी जब बेकाबू हो जाते थे तो सामने के हर एक चीज़ को तहस नहस कर देते थे।

देवा;ट्रेक्टर बंद कर देता है और ख़ामोशी से हथियों के जाने के प्रतीक्षा करता है।

पर गन्ने की खुशबु हथियों को १०० मील से भी आ जाती है ।
देवा का ट्रेक्टर तो गन्नो से भरा पड़ा था।
एक बड़ा सा हाथी देवा की तरफ बढ़ता है और चिंघाड़ता हुआ अपने सूंढ़ और दांत ट्रेक्टर पे मारता है।

रुक्मणी और देवा बुरी तरह घबरा जाते है और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगते है।

उनकी आवाज़ से गांव वाला तो कोई नहीं आता बल्कि बाकि के हाथी भी उस हाथी का साथ देने वहां आ जाते है।
देवा और रुक्मणी तीन तरफ से हथियों से घिर जाते है।
 
रुक्मणी घबराके देवा से चिपक जाती है उसकी साडी कहाँ थी ब्लाउज कहाँ उसे कुछ होश नहीं था बस डर था तो हथियों से जो किसी भी वक़्त बड़े बड़े दाँत इन दोनों के बदन में घूस्सा के दोनों का काम तमाम कर सकते थे।

देवा;रुक्मणि का हाथ पकड़ लेता है।
मालकिन हमें नहर में कुदना होगा।

रुक्मणी;नहीं मुझे तैरना नहीं आता।

देवा;मुझपे भरोसा रखो जल्दी से कूदो वरना ये हमें मार देंगे।

रुक्मणी;ऑंखें बंद कर देती है और देवा रुक्मणी को अपनी गोद में उठाके नहर में कुद जाता है।

नहर में गिरते ही देवा हाथ पैर मारने लगता है और रुक्मणी को पकड़ के किनारे की तरफ तैरने लगता है।

रुक्मणी; बुरी तरह काँप रही थी उसका जिस्म ठण्डा हो चुका था और वो देवा से किसी बच्चे की तरह चिपकी हुई थी।

जैसे तैसे देवा उसे किनारे पे ले आता है।

रुक्मणी का ब्लाउज उसके गोरी गोरी ब्रैस्ट से चिपक जाता है अंदर ब्रा न होने के कारण साफ़ सफेद मोटे मोटे थन देवा को साफ़ दिखाई दे रहे थे।

डीर के मारे रुक्मणी के होंठ थर थर काँप रहे थे।
एक पल के किये तो देवा का मन किया की उन काँपते गुलाबी होठो को चुम ले।

देवा;मालकिन आँखें खोलो।

रुक्मणी;वो चले गए ना।

देवा;हाँ मालकिन वो यहाँ नहीं है डरो मत कुछ नहीं होगा।

रुक्मणी;अपनी ऑखें खोलती है और अगले ही पल दूबारा बंद करके देवा से बुरी तरह चिपक जाती है।

गीली साडी और उसपे नाज़ुक बदन दोनों के जिस्म गीले थे।

देवा;के हाथ खुद बखुद रुक्मणी के कमर पे चले जाते है और वो उन नरम नरम कमर को दोनों हाथों में दबोच लेता है।
 
रुक्मणी;ऑखें खोल के देवा की ऑंखों में देखती है और फिर दूबारा बंद करके देवा के छाती में सर छुपा लेती है।

रुक्मणी;आहह देवा मेरी जान बचाने के लिए मै तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ।

देवा के हाथ धीरे धीरे रुक्मणी के कमर पे अभी भी घूम रहे थे।
मलकिन मै आपको पहले भी कह चुका हूँ आपकी जान मेरे लिए अपनी जान से भी ज़्यादा क़ीमती है।

रुक्मणी; ये सुनके देवा के जांघ में अपनी जांघ दबाने लगती है जिससे देवा का लंड रुक्मणी के ठीक चूत के ऊपर रगड जाता है।

रुक्मणी; आहह ऐसा क्यों देवा।

देवा;अपना हाथ रुक्मणी के गरदन पे घुमाते हुए उसका सर ऊपर की तरफ करता है।रुक्मणी की ऑखें अभी भी बंद थी और होंठ थोड़े खुले हुए थे। साँस धीमी मगर गहरी चल रही थी।

देवा;उसके कान को चुमता है और धीरे से उसे कुछ कहना चाहता है की तभी....

देवा के कान में हथियों की आवाज़ सुनाई देती है वो अभी भी उसके ट्रेक्टर के पास खड़े थे। देवा रुक्मणी को छोड़ के नहर पे बनी पुलिया की तरफ देखता है जिसपे वो ट्रेक्टर खड़ा था। कुछ गांव वाले भी वहां पहुँच चुके थे और इतने सारे लोगों की आवाज़ से वो हाथी वहां से भाग जाते है।




रुक्मणी;कुछ देर बाद ट्रेक्टर के पास पहुंचती है।
उसकी ऑखें लाल हो चुकी थी ।
वो चुप चाप ट्रेक्टर में बैठ जाती है और देवा भी रुक्मणी से कुछ कहे बिना शहर की तरफ ट्रेक्टर चला देता है।।

शहर में देवा रुक्मणी को दवाखाने में छोड मन्डी में गन्ने नीलाम करने चला जाता है।

और कुछ घण्टो के बाद खाली ट्रेक्टर ले के वापस दवाख़ाने आ जाता है।
 
रुक्मणी;उसका इंतज़ार कर रही थी। वापसी का सफ़र ख़ामोशी में कट जाता है दोनों के दिल एक दूसरे से बातें कर रहे थे पर होंठ खामोश थे।
जहां रुक्मणी के दिल के जज़्बात देवा को ले के बदल चुके थे
वही देवा भी रुक्मणी की तरफ काफी झुकाव महसूस कर रहा था ।
मोहब्बत तो वो नीलम से करता था पर आज जब रुक्मणी उसकी बाहों में थी तो उसे ऐसा लगा जैसे वो नीलम है।
हवस के बजाये रुक्मणी के लिए उसके दिल में प्यार जग चुका था।
वो खुद को समझाता मनाता गालियां देता किसी तरह हवेली पहुँचता है।

जैसे ही उसकी नज़र रानी पे पडती है वो ट्रेक्टर ले के अपने घर की तरफ निकल जाता है।
रह रह के रानी से किया हुआ वादा सताने लगता है।
वो रुक्मणी को बिना ज़्यादा मेंहनत किये अपने नीचे सुला सकता था पर ना जाने क्यों उसका दिल इस चीज़ के लिए उसे इजाज़त नहीं दे रहा था । वो रुक्मणी को धोखा देने की सोच के ही काँप उठता था।

अपनी यादों में खोया वो घर जा ही रहा था की रास्ते में उसे शालु मिलती है और वो उसे वैध जी के यहाँ जाने की याद दिलाती है।

देवा बिना घर गये ट्रेक्टर वैध जी के घर की तरफ घुमा देता है।

वैध के घर का दरवाज़ा खुला हुआ था इसलिए देवा सीधा घर के अंदर चला जाता है घर एकदम खाली था। देवा सोचता है शायद किरण या वैध पिछवाडे होंगे वो जैसे ही उठके बाहर जाता है किरण अपना बदन टॉवल से पोछते हुए बाथरूम से बाहर निकलती है।

किरण देवा को देख चौंक भी जाती है और खुश भी हो जाती है।
तूम कब आए।

देवा;बस अभी आया मुझे कोई बाहर दिखाई नहीं दिया तो अंदर चला आया। वैध जी से काका की दवायें लेनी थी।

किरण;बाप्पू घर पे तो थे। पता नहीं कहाँ चले गये।
वो अपने टॉवल अपने बदन से अलग करके सर पे बांध देती है।
यहाँ आओ।
 
देवा जब किरण के क़रीब पहुँचता है तो लंड तो उसका सुबह से चिल्ला रहा था चूत के लिए और अब सामने किरण ऐसे चूत और चूचियों के दर्शन करा रही थी की पुछो मत।

किरण;देवा के कान को पकड़ के खीचती है और उसके कान में कहती है।
चोदेगा नही।

देवा;मुस्कुरा देता है।
साली तेरा ससुर आ गया तो।

किरण;तू डरता भी है मुझे आज पता चला।


देवा;डरता तो मै किसी के बाप से भी नहीं हूँ।
चल जो होगा देखा जायेगा।
वह किरण को गोद में उठा लेता है।
और अपने कपडे निकाल के किरण को बुरी तरह मसलने लगता है।



किरण;आहह देवा पता नहीं क्या बात है तुझ में दिल तेरे बिना लगता ही नहीं आह्ह्ह्ह्ह्।

देवा अपने लंड को किरण की चूत पे घीसने लगता है।

किरण;अरे रुक जा ज़रा पहले मुंह से तो गीला करने दो मुझे।
वो निचे बैठ के देवा के लंड को मुंह में ले के चुसने लगती है गलप्प गलप्प गप्पप्प।
गलप्प।
आह बहुत मीठा है रे ये आह्ह्ह्ह्ह् गलप्प गप्प्प।



देवा; किरण के मुँह के अंदर झटके मारने लगता है उसकी ऑखें बंद थी और दिल में रुक्मणी की सुबह की गीली साडी वाले छवि। वो सटा सट अपने लंड को किरण के मुंह में ऐसे पेलने लगता है जैसे रुक्मणी को चोद रहा हो।

किरण; गुं गुं गुं आहह आराम से चूत नहीं है वो आह्ह्ह गलप्प गलप्प्प।

देवा;चल आजा और देवा किरण को अपने लंड पे खीच लेता है।

किरण;आहह धीरे बाबा ।
वो अपनी दोनों टाँगें देवा की कमर के पास लटका के निचे ऊपर हो के लंड चूत के अंदर तक लेने लगती है
आह रोज़ चुदुँगी मै तो अब आहह तुझसे आह्ह्ह्ह्ह् मेरे देवा आआह्ह्ह।

देवा;साली बहुत गरम है तेरी चूत कही मेरा लंड न जला दे आह्ह्ह्ह्ह।




किरण; नहीं जलने दूंगी आहह अपना नुकसान कैसे करुँगी मै आह्ह्ह्ह्ह्हह माँ।

वो अपने धुन में मगन थे की तभी वहां वैध आ जाता है और किरण को देवा के लंड पे कूदता देख उसके तन बदन में आग लग जाती है।
 
बैध जी; ये क्या हो रहा है किरण।

किरण के साथ साथ देवा भी घबराके वैध की तरफ देखती है।

किरण; लंड पर से उठना चाहती है पर देवा उसे उठने नहीं देता।
और अपना लंड उसकी चूत में पेलते रहता है।

देवा;वैध जी देख नहीं रहे तुम्हारी बहु को चोद रहा हूँ।

बैध जी: मैं अभी सारे गांव वालो को बुलाकर बताता हूँ।

देवा; हाँ जा मै भी तेरे और तेरी बहु के बारे में सबको बोलूँगा और किरण सबके सामने पूरे गांव वालो को कहेंगी की तू इसका रोज़ बलात्कार करता है।
क्यूं बोलेंगी ना किरण।

करण; हाँ बोलूँगी आहह ।

बैध जी;के पैर जम जाते है।

देवा; चुप चाप यहाँ बैठ जा और हमें हमारा काम करने दे ।
अगर तूने अपना मुंह खोला तो इस लंड से तेरी गाण्ड चीर दूंगा बैठ जा चुप चाप।

बैध जी;अपनी इज़्ज़त बचाने के डर से वही बैठ जाते है।

और सामने देवा किरण को अपने ऊपर लेके वैध जी को देखाते हुए किरण के चूत में दना दन लंड पेलने लगता है।

किरण; आहह ऐसे ही ज़ोर से आहह मुझे ऐसे लंड चाहिये देवा । आहह चोद मुझे अपने ससुर के सामने आह्ह।



किरण की चूत बहुत जोश में आ चुकी थी। ससुर का डर दिल से निकल जाने से वो खुल के देवा के लंड को अपनी चूत में ले सकती थी।
अपने ससुर के सामने बाहर वाले से चुदना। ये सोच सोच के किरण की चूत से पानी की धार बहने लगती है।
 
दोनो पसीने में तर बतर हो चुके थे। पर दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे।

सामने बैठा वैध अपने लंड को धोती के ऊपर से सहलाने लगता है।

और देवा किरण को अपने निचे झुका के लंड को उसकी बच्चेदानी तक डालके चोदने लगता है ।



किरण;आहह माँ आहह चोदो न आह्ह्ह्ह्ह्ह।
मेरी चूत आहह रोज़ चोदने आ जाया करो देवा आअह्हह्हह्हह।

देवा :पूरी ताकत से लंड को किरण की चूत के जड में पहुंचा के कुछ देर बाद उस्की चूत को अपने पानी से भर देता है और खड़ा होके वैध के सामने किरण को गोद में ले के चुमने लगता है।

कुछ देर दोनों के होंठ एक दूसरे से अलग नहीं होते और जब होते है तो किरण की ज़ुबान देवा के लंड पे झुक जाती है और अपनी चूत और देवा के लंड के पानी को चाट चाट देवा के लंड को साफ़ करने लगती है।

थोड़ी देर बाद देवा तो कपडे पहनके घर दवायें लेके चला जाता है।
पर किरण को एक काम और करना पडता है। उसे वैध जी के लंड को हिला हिला के ठण्डा करना पडता है।



वैध जी;आहह हिला बिटिया आह्ह्ह मुंह में लेके चुस ना।

किरण;नहीं अब इस मुंह में सिर्फ देवा का लंड जायेगा। और किसी का नही।
 
अपडेट 22





देवा;किरण की ले के घर आ जाता है उसे थोड़े थकान महसूस हो रही थी।
वो नहा लेता है और नए कपडे पहन के शालु के घर की तरफ चल देता है।
शालु घर के ऑंगन में ही बैठी हुई थी देवा को देख वो उसे अपने पास बुला लेती है।

शालु;अरे वाह देवा आज तो बड़े तैयारी की हुई है कही जा रहे हो क्या।

देवा;हाँ काकी मां के घर जा रहा हूँ खेत का सारा काम ख़तम हो गया है । सोचा कुछ दिन वही रहके माँ और ममता को साथ लेता आऊँगा।
ये लो काका की दवाई।

शालु;ये तूने बहुत अच्छा सोचा। रोज़ रोज़ एक ही काम करने से आदमी बेज़ार भी हो जाता है। जिस्म भी थका थका लगने लगता है।

देवा;अरे वाह काकी आपको मर्दो के बारे में बहुत मालूम है।

शालु;चल हट बदमाश सब जानती हूँ तेरे बारे में।

देवा;शालू के क़रीब सरक जाता है कभी मुझे भी जानने दो आपके बारे में पता तो चले क्या क्या राज़ छुपे हुए है अंदर।

शालु; इतराते हुए।
मुझ में कई राज़ है बतलाऊँ क्या।
मुद्दतो से बंद हूँ खुल जाऊँ क्या।

देवा;हाँ काकी खोल दो । मेरा मतलब है सारे राज़ खोल दो।

शालु;देवा के कान मरोड़ देती है।

देवा;भी शालु को मूड में देख अपने हाथ से शालु के निप्पल को जो ब्लाउज के अंदर दबी हुई थी मरोड़ देता है।

शालु;आहह कमीना कही का।
 
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