desiaks
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क्रिसपिन खुश हो गया।
“बल्कि मिस्टर ग्रेग”—कैन्ड्रिक ने गर्म लोहे पर चोट की—“मैं तो चाहता हूँ कि अपनी इस आर्ट गैलरी—जिससे बढ़िया यहाँ पैसेफिक में कोई और आर्ट गैलरी नहीं है—के जरिए मैं आप की पेंटिंग्स की बकायदा एक प्रदर्शनी, एक एक्जिबिशन लगाऊँ। ये मेरे लिए, मेरी इस आर्ट गैलरी के लिए इज्जत अफजाई की बात होगी कि हम आपके जैसे यूनिक और स्टैण्ड अलोन आर्टिस्ट को प्रमोट करने में अपनी भूमिका निभा सकें। प्लीज—अब आप मना मत करना।”
“ओह,”—क्रिसपिन ने कहा—“मेरी कृतियाँ, मेरी सारी पेंटिंग्स एक अलग स्तर की हैं जो अपने आप में खास हैं।”
क्रिसपिन उत्तेजित हो चुका था।
उसे पता था कि उसकी माँ ने लोबेनस्टन से उसकी बनाई पेंटिंग्स की बाबत जिक्र किया था लेकिन उसकी बनाई पेंटिंग्स इतनी जोरदार थीं ये उसने आज पहली बार जाना था। यकायक उसे अहसास हुआ कि उसे भी खुद को एक प्रतिष्ठित पेंटर के तौर पर पब्लिसाईज करना चाहिए। उसके पास अपनी बनाई उन गुप्त खौफनाक पेंटिंग्स के अलावा भी ऐसी ढेरों पेंटिंग्स थीं जिन्हें वो इस प्रमोशन ईवेन्ट में दे सकता था।
लेकिन उसकी पेंटिंग्स अलग थीं—और अगर किसी ने उसकी उन पेंटिंग्स को न समझा तो?
उसे हिचकिचाहट में पड़ा देखकर कैन्ड्रिक ने चिकने चुपड़े स्वर में कहा—“आप चिन्ता मत करो मिस्टर ग्रेग। लोबेनस्टन जैसे कड़क कला पारखी से चूक नहीं होने वाली और अगर वो आपकी पेंटिंग्स की तारीफ करता है तो यकीनन उनमें कोई तो बात होगी ही। आप बस एक्जिबिशन के लिए एक बार हाँ बोल दो—बाकी मेरे ऊपर छोड़ दो।”
“लेकिन....”—क्रिसपिन हिचकिचाया।
“लेकिन-वेकिन कुछ नहीं”—कैन्ड्रिक ने कहा—“और सोचो कि अगर ऐसे ही हमारे मार्डन आर्टिस्ट शर्म और संकोच में ही पड़े रहते तो इस दुनिया में उनका आर्ट वर्क कभी लाईट में आया ही न होता।”
“वैल मुझे लगता है कि चूँकि मेरी बनाई पेंटिंग्स एक अलग जोनर की हैं तो दुनिया उन्हें आसानी से स्वीकार नहीं करेगी। मेरी पेंटिंग्स बहुत एडवान्स्ड हैं, अपने वक्त से बहुत आगे हैं सो….शायद उन्हें पसंद न किया जाए, शायद आगे कभी….खैर....मैं इसके बारे में सोचूँगा।”
कैन्ड्रिक को लगा मछली फंसने ही वाली थी।
“मैं आपकी भावनाओं की तहेदिल से कद्र करता हूँ।”— उसने और चारा फेंका—“लेकिन आप मुझे अपनी कला को सराहने का सौभाग्य दो मिस्टर ग्रेग। और कुछ नहीं तो एक— सिर्फ एक—पेंटिंग दे दो। मैं उससे अपनी पिक्चर विन्डो की शान बढ़ाऊँगा और वादा करता हूँ कि इस बाबत गंभीर रहूँगा। एक नए कलाकार, वो भी तुम्हारे जैसा काबिल और अद्भुद कलाकार, को दुनिया के सामने पेश करने का मौका मुझे दो। सिर्फ एक पेंटिंग दे दो।”
क्रिसपिन सोचने लगा।
उसकी पेंटिंग्स खास थीं, अलग थीं और पैराडाईज शहर के बेवकूफ लोगों की जहनी समझ से कहीं ऊपर की चीज थीं।
और ऐसे निखद बेवकूफ लोग उसकी बनाई पेंटिंग्स को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
लेकिन फिर भी ....।
एक—सिर्फ एक—पेंटिंग की ही तो बात थी।
उसने फैसला कर लिया।
“ठीक है—किसी को मेरे घर भेज देना। मैं अपनी बनाई कोई एक पेंटिंग दे दूँगा लेकिन इस शर्त पर कि उस पेंटिंग पर न तो मेरे ऑथराईज्ड साईन होंगे और न ही तुम कभी यह खुलासा करोगे कि उसे मैंने बनाया है। अगर किसी ने उसमें दिलचस्पी न दिखाई तो तुम मुझे वो पेंटिंग लौटा देना लेकिन अगर किसी ने उसे खरीदा लिया तो मैं आपकी एक्जिबिशन के लिए अपनी बनाई और पेंटिंग्स भी दे दूँगा।”
“अफकोर्स मिस्टर ग्रेग—मुझे खुशी है कि आपने मेरी बात रख ली।”
“लेकिन शर्त याद रखना—कि किसी को भी इस बात का पता नहीं लगना चाहिए कि उस पेंटिंग को मैंने बनाया है। वह हमेशा एक अननोन, अज्ञात, आर्टिस्ट की पेंटिंग रहेगी। समझ गए?”
क्रिसपिन ने अपनी धुंधली-सी आँखों में ऐसे भाव उभारे कि मोटे कैन्ड्रिक के शरीर में सिरहन सी दौड़ गई।
“मैं समझ गया मिस्टर ग्रेग”—वो बोला—“यकीन करो— ऐसा ही होगा। और अगर तुम्हें कोई दिक्कत न हो तो मैं आज दोपहर बाद ही अपना आदमी तुम्हारे यहाँ भेज देता हूँ।”
तभी सैल्समैन क्रिसपिन की खरीदी पेंटिंग्स पैक कर लाया।
“हाँ भेज देना।”—क्रिसपिन ने पैकेट पकड़ते हुए कहा—“और इसका बिल भी भेज देना।”
“जी जरूर।”—कैन्ड्रिक ने मुस्कुराकर कहा।
क्रिसपिन ने अपना पैकेट संभाला और बाहर की ओर चल दिया।
उस विशाल गैलरी में मौजूद कई बेजोड़ कलात्मक चीजों पर निगाह दौड़ाते हुए वह आगे बढ़ रहा था कि तभी यकायक वो एक छोटे से बॉक्स के आगे ठिठका और उसमें मौजूद मखमल के कपड़े पर रखी चीज को देखने लगा।
उसने गौर से उस चीज को देखा लेकिन समझ न सका कि आखिरकार वो क्या थी।
वो वस्तु, वो चीज—एक चार इंच लम्बी चाँदी की एक पतली बारीक छुरी जैसी चीज थी जिस पर नक्काशी की गई थी। उसमें माणिक और पन्ने जड़े थे और उसे एक बारीक चाँदी की महीन तारों वाली चेन में पिरोया गया था।
“ये क्या है?”—क्रिसपिन ने पूछा।
“पैन्डेन्ट या लॉकेट जैसी ज्वैलरी है और आजकल इसका खूब फैशन है।”
“ऐसी क्या खूबी है इसमें?”
“यह दरअसल उस पैन्डेन्ट की हू-ब-हू नकल है जिसे महान सुलेमान अपनी आत्मरक्षा के लिए पहनता था। वैसे यह दुनिया का सबसे पहला चाकू है जो स्विच ब्लेड—ऐसा जिसके खटका दबाते ही ब्लेड बाहर निकल आए—टैक्नोलोजी का इस्तेमाल हुआ था।”
“स्विच ब्लेड नाईफ।”—क्रिसपिन की आँखें सकुचाईं और उसने उसे उठाकर देखा।
“अपने वक्त में सुलेमान ने इसे पहना था और कहा जाता है कि इसने उसकी जान भी बचाई थी। बड़ी ही लाजवाब चीज है। मैं अपने सेल्समैन से इसको ठीक से दिखाने को कहता हूँ।”— कहकर कैन्ड्रिक ने अपने सेल्समैन को आवश्यक निर्देश दिए।
सेल्समैन ने चाँदी की चेन में झूलते हुए पैन्डेन्ट को उठाया और बड़ी नजाकत-नफासत के साथ अपने गले में डाल लिया। इससे वो चमचमाता पैन्डेन्ट उसकी छाती पर झूलने लगा।
“देखा आपने कितनी उम्दा आईटम है।”—कैन्ड्रिक ने पैन्डेन्ट को हाथ में लेते हुए कहा और उसके ऊपरले सिरे पर लगा एक मणिक दबा दिया।
तत्काल एक पतले फल वाला चाकू उस पैन्डेन्ट में से बाहर निकला।
“दुनिया का सबसे पहला स्विच ब्लैड नाईफ”—कैन्ड्रिक ने गर्व से कहा—“बेहद खतरनाक और ब्लेड से भी पैना—लाजवाब और अद्भुद।”
क्रिसपिन ने चार इंच लम्बे उस चमचमाते फल को गौर से देखा। उत्तेजना की एक तेज लहर उसके जिस्म से गुजरती चली गई। यह एक बेहतरीन चीज थी और इसे उसके पास होना ही चाहिए था।
“क्या कीमत है इसकी?”—उसने पूछा।
“बेमिसाल क्लासिक एन्टिक आईटम अमूल्य होते हैं मिस्टर ग्रेग”—कैन्ड्रिक ने मुस्कुराकर कहा—“लेकिन चूँकि हर शै की एक मार्केट प्राईस होती है सो इसकी भी है।”
“कितनी?”
“पचास हजार डॉलर….लेकिन आप चूँकि हमारे लिए खास ग्राहक हैं तो आपके लिए इसकी कीमत है सिर्फ चालीस हजार डॉलर।”
“ये मुझे दे दो”—क्रिसपिन ने सेल्समैन से कहा और कैन्ड्रिक की ओर देखकर पूछा—“क्या मैं इसे पहनकर देख सकता हूँ।”
“बिल्कुल मिस्टर ग्रेग। अब तो ये आपकी चीज है।”
क्रिसपिन ने पैन्डेन्ट से बाहर निकले चाकू के सिरे को दबाया तो वो दोबारा पैन्डेन्ट में भीतर चला गया। क्रिसपिन ने उसे सेल्समैन के गले से निकाला और अपने गले में डालकर वहीं रखे एक शीशे के सामने जा खड़ा हुआ।
उसने खुद को उसमें निहारा।
वाकई कमाल की चीज थी।
उधर कैन्ड्रिक मन ही मन चकित था।
वो एक नकली, एक डुप्लिकेट चीज थी लेकिन उसका ये कहना सच था कि उस पैन्डेन्ट का असली आईटम वाकई सुलेमान दी ग्रेट पहना करता था। कैन्ड्रिक ने एक कलर पेन्टिंग में इसे देखा था और कुल मिलाकर केवल तीन हजार डॉलर में एक होनहार सुनार से उसकी हूबहू नकल तैयार करवा ली थी।
केवल तीन हजार डॉलर में तैयार हुई वो नकल अब चालीस हजार डॉलर की कीमत में जा रही थी।
जा चुकी थी।
उधर क्रिसपिन ने पैन्डेन्ट पर लगे रूबी को दबाया तो पतले फल वाला चाकू फिर बाहर उछल आया।
“जरा ध्यान से मिस्टर ग्रेग”—कैन्ड्रिक ने व्याकुलता से कहा—“चाकू का फल तीखा है।”
क्रिसपिन ने अपने सिर को हाँ में हिलाया और चाकू को दोबारा पैन्डेन्ट में डाल लिया। वो संतुष्ट था।
उसने पलटकर कैन्ड्रिक की ओर देखा। उसकी आँखों में उस वक्त कुछ ऐसे भाव थे जिसे कैन्ड्रिक समझ तो नहीं पाया लेकिन वह यकायक बेचैनी-सी महसूस करने लगा था।
“मैं इसकी कीमत—चालीस हजार डॉलर—दूँगा”—क्रिसपिन बोला—“बिल भेज देना।”
“जी जरूर।”
क्रिसपिन ने आगे कुछ भी कहे बगैर बाहर की ओर कदम बढ़ा दिए। पैन्डेन्ट—अपनी किस्म का वो अनोखा, अद्भुद और लाजवाब पैन्डेन्ट—उसकी छाती पर झूलता चला गया।
इस पूरे वक्त लुईस जो मूक दर्शक बना सारा वार्तालाप देख रहा था, अब वो कैन्ड्रिक के पास आया।
“कमाल कर दिया”—लुईस ने मुस्कुराकर कहा—“तुम तो कमाल के सेल्समैन हो।”
“छोड़ो वो किस्सा।”—कैन्ड्रिक ने कहा—“उस आदमी में कुछ अजीब सी बात है जो मुझे परेशान कर रही है और ये परेशानी सैंतीस हजार डॉलर के मुनाफे के मुकाबले कहीं ज्यादा है।”
“ऐसा क्या है उसमें?”—लुईस ने हैरान होते हुए पूछा।
“पता नहीं….”—कैन्ड्रिक बोला—“खैर—तुम आज दोपहर बाद मिस्टर ग्रेग के यहाँ चले जाना और उससे उसकी बनाई कोई पेन्टिंग ले आना। हम उसे यहाँ अपनी पिक्चर विन्डो में लगाएंगे। हालाँकि बजाते खुद उस बेवकूफ क्रिटिक लोबेनस्टन के मुताबिक ग्रेग की आर्ट वाहियात है जिसकी कोई कमर्शियल वैल्यू नहीं है लेकिन फिर भी—चूँकि अब वो हमारा मुअज्जिज ग्राहक हो चुका है—तो मैं भी खुद उसकी आर्ट देखना चाहता हूँ।”
“ठीक है।”—लुईस ने कहा और वहाँ से हट गया।
पीछे कैन्ड्रिक अकेला खड़ा कुछ सोचता रहा।
क्रिसपिन के चेहरे पर उभर रहे अजीब से खौफनाक भाव ने उसे पता नहीं क्यों बेचैन कर दिया था।
उसने एक लम्बी सांस खींची, अपने मन में उभर रहे इन ख्यालों को झटका और अपने रिसेप्शन रूम की ओर लौट गया।
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“बल्कि मिस्टर ग्रेग”—कैन्ड्रिक ने गर्म लोहे पर चोट की—“मैं तो चाहता हूँ कि अपनी इस आर्ट गैलरी—जिससे बढ़िया यहाँ पैसेफिक में कोई और आर्ट गैलरी नहीं है—के जरिए मैं आप की पेंटिंग्स की बकायदा एक प्रदर्शनी, एक एक्जिबिशन लगाऊँ। ये मेरे लिए, मेरी इस आर्ट गैलरी के लिए इज्जत अफजाई की बात होगी कि हम आपके जैसे यूनिक और स्टैण्ड अलोन आर्टिस्ट को प्रमोट करने में अपनी भूमिका निभा सकें। प्लीज—अब आप मना मत करना।”
“ओह,”—क्रिसपिन ने कहा—“मेरी कृतियाँ, मेरी सारी पेंटिंग्स एक अलग स्तर की हैं जो अपने आप में खास हैं।”
क्रिसपिन उत्तेजित हो चुका था।
उसे पता था कि उसकी माँ ने लोबेनस्टन से उसकी बनाई पेंटिंग्स की बाबत जिक्र किया था लेकिन उसकी बनाई पेंटिंग्स इतनी जोरदार थीं ये उसने आज पहली बार जाना था। यकायक उसे अहसास हुआ कि उसे भी खुद को एक प्रतिष्ठित पेंटर के तौर पर पब्लिसाईज करना चाहिए। उसके पास अपनी बनाई उन गुप्त खौफनाक पेंटिंग्स के अलावा भी ऐसी ढेरों पेंटिंग्स थीं जिन्हें वो इस प्रमोशन ईवेन्ट में दे सकता था।
लेकिन उसकी पेंटिंग्स अलग थीं—और अगर किसी ने उसकी उन पेंटिंग्स को न समझा तो?
उसे हिचकिचाहट में पड़ा देखकर कैन्ड्रिक ने चिकने चुपड़े स्वर में कहा—“आप चिन्ता मत करो मिस्टर ग्रेग। लोबेनस्टन जैसे कड़क कला पारखी से चूक नहीं होने वाली और अगर वो आपकी पेंटिंग्स की तारीफ करता है तो यकीनन उनमें कोई तो बात होगी ही। आप बस एक्जिबिशन के लिए एक बार हाँ बोल दो—बाकी मेरे ऊपर छोड़ दो।”
“लेकिन....”—क्रिसपिन हिचकिचाया।
“लेकिन-वेकिन कुछ नहीं”—कैन्ड्रिक ने कहा—“और सोचो कि अगर ऐसे ही हमारे मार्डन आर्टिस्ट शर्म और संकोच में ही पड़े रहते तो इस दुनिया में उनका आर्ट वर्क कभी लाईट में आया ही न होता।”
“वैल मुझे लगता है कि चूँकि मेरी बनाई पेंटिंग्स एक अलग जोनर की हैं तो दुनिया उन्हें आसानी से स्वीकार नहीं करेगी। मेरी पेंटिंग्स बहुत एडवान्स्ड हैं, अपने वक्त से बहुत आगे हैं सो….शायद उन्हें पसंद न किया जाए, शायद आगे कभी….खैर....मैं इसके बारे में सोचूँगा।”
कैन्ड्रिक को लगा मछली फंसने ही वाली थी।
“मैं आपकी भावनाओं की तहेदिल से कद्र करता हूँ।”— उसने और चारा फेंका—“लेकिन आप मुझे अपनी कला को सराहने का सौभाग्य दो मिस्टर ग्रेग। और कुछ नहीं तो एक— सिर्फ एक—पेंटिंग दे दो। मैं उससे अपनी पिक्चर विन्डो की शान बढ़ाऊँगा और वादा करता हूँ कि इस बाबत गंभीर रहूँगा। एक नए कलाकार, वो भी तुम्हारे जैसा काबिल और अद्भुद कलाकार, को दुनिया के सामने पेश करने का मौका मुझे दो। सिर्फ एक पेंटिंग दे दो।”
क्रिसपिन सोचने लगा।
उसकी पेंटिंग्स खास थीं, अलग थीं और पैराडाईज शहर के बेवकूफ लोगों की जहनी समझ से कहीं ऊपर की चीज थीं।
और ऐसे निखद बेवकूफ लोग उसकी बनाई पेंटिंग्स को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
लेकिन फिर भी ....।
एक—सिर्फ एक—पेंटिंग की ही तो बात थी।
उसने फैसला कर लिया।
“ठीक है—किसी को मेरे घर भेज देना। मैं अपनी बनाई कोई एक पेंटिंग दे दूँगा लेकिन इस शर्त पर कि उस पेंटिंग पर न तो मेरे ऑथराईज्ड साईन होंगे और न ही तुम कभी यह खुलासा करोगे कि उसे मैंने बनाया है। अगर किसी ने उसमें दिलचस्पी न दिखाई तो तुम मुझे वो पेंटिंग लौटा देना लेकिन अगर किसी ने उसे खरीदा लिया तो मैं आपकी एक्जिबिशन के लिए अपनी बनाई और पेंटिंग्स भी दे दूँगा।”
“अफकोर्स मिस्टर ग्रेग—मुझे खुशी है कि आपने मेरी बात रख ली।”
“लेकिन शर्त याद रखना—कि किसी को भी इस बात का पता नहीं लगना चाहिए कि उस पेंटिंग को मैंने बनाया है। वह हमेशा एक अननोन, अज्ञात, आर्टिस्ट की पेंटिंग रहेगी। समझ गए?”
क्रिसपिन ने अपनी धुंधली-सी आँखों में ऐसे भाव उभारे कि मोटे कैन्ड्रिक के शरीर में सिरहन सी दौड़ गई।
“मैं समझ गया मिस्टर ग्रेग”—वो बोला—“यकीन करो— ऐसा ही होगा। और अगर तुम्हें कोई दिक्कत न हो तो मैं आज दोपहर बाद ही अपना आदमी तुम्हारे यहाँ भेज देता हूँ।”
तभी सैल्समैन क्रिसपिन की खरीदी पेंटिंग्स पैक कर लाया।
“हाँ भेज देना।”—क्रिसपिन ने पैकेट पकड़ते हुए कहा—“और इसका बिल भी भेज देना।”
“जी जरूर।”—कैन्ड्रिक ने मुस्कुराकर कहा।
क्रिसपिन ने अपना पैकेट संभाला और बाहर की ओर चल दिया।
उस विशाल गैलरी में मौजूद कई बेजोड़ कलात्मक चीजों पर निगाह दौड़ाते हुए वह आगे बढ़ रहा था कि तभी यकायक वो एक छोटे से बॉक्स के आगे ठिठका और उसमें मौजूद मखमल के कपड़े पर रखी चीज को देखने लगा।
उसने गौर से उस चीज को देखा लेकिन समझ न सका कि आखिरकार वो क्या थी।
वो वस्तु, वो चीज—एक चार इंच लम्बी चाँदी की एक पतली बारीक छुरी जैसी चीज थी जिस पर नक्काशी की गई थी। उसमें माणिक और पन्ने जड़े थे और उसे एक बारीक चाँदी की महीन तारों वाली चेन में पिरोया गया था।
“ये क्या है?”—क्रिसपिन ने पूछा।
“पैन्डेन्ट या लॉकेट जैसी ज्वैलरी है और आजकल इसका खूब फैशन है।”
“ऐसी क्या खूबी है इसमें?”
“यह दरअसल उस पैन्डेन्ट की हू-ब-हू नकल है जिसे महान सुलेमान अपनी आत्मरक्षा के लिए पहनता था। वैसे यह दुनिया का सबसे पहला चाकू है जो स्विच ब्लेड—ऐसा जिसके खटका दबाते ही ब्लेड बाहर निकल आए—टैक्नोलोजी का इस्तेमाल हुआ था।”
“स्विच ब्लेड नाईफ।”—क्रिसपिन की आँखें सकुचाईं और उसने उसे उठाकर देखा।
“अपने वक्त में सुलेमान ने इसे पहना था और कहा जाता है कि इसने उसकी जान भी बचाई थी। बड़ी ही लाजवाब चीज है। मैं अपने सेल्समैन से इसको ठीक से दिखाने को कहता हूँ।”— कहकर कैन्ड्रिक ने अपने सेल्समैन को आवश्यक निर्देश दिए।
सेल्समैन ने चाँदी की चेन में झूलते हुए पैन्डेन्ट को उठाया और बड़ी नजाकत-नफासत के साथ अपने गले में डाल लिया। इससे वो चमचमाता पैन्डेन्ट उसकी छाती पर झूलने लगा।
“देखा आपने कितनी उम्दा आईटम है।”—कैन्ड्रिक ने पैन्डेन्ट को हाथ में लेते हुए कहा और उसके ऊपरले सिरे पर लगा एक मणिक दबा दिया।
तत्काल एक पतले फल वाला चाकू उस पैन्डेन्ट में से बाहर निकला।
“दुनिया का सबसे पहला स्विच ब्लैड नाईफ”—कैन्ड्रिक ने गर्व से कहा—“बेहद खतरनाक और ब्लेड से भी पैना—लाजवाब और अद्भुद।”
क्रिसपिन ने चार इंच लम्बे उस चमचमाते फल को गौर से देखा। उत्तेजना की एक तेज लहर उसके जिस्म से गुजरती चली गई। यह एक बेहतरीन चीज थी और इसे उसके पास होना ही चाहिए था।
“क्या कीमत है इसकी?”—उसने पूछा।
“बेमिसाल क्लासिक एन्टिक आईटम अमूल्य होते हैं मिस्टर ग्रेग”—कैन्ड्रिक ने मुस्कुराकर कहा—“लेकिन चूँकि हर शै की एक मार्केट प्राईस होती है सो इसकी भी है।”
“कितनी?”
“पचास हजार डॉलर….लेकिन आप चूँकि हमारे लिए खास ग्राहक हैं तो आपके लिए इसकी कीमत है सिर्फ चालीस हजार डॉलर।”
“ये मुझे दे दो”—क्रिसपिन ने सेल्समैन से कहा और कैन्ड्रिक की ओर देखकर पूछा—“क्या मैं इसे पहनकर देख सकता हूँ।”
“बिल्कुल मिस्टर ग्रेग। अब तो ये आपकी चीज है।”
क्रिसपिन ने पैन्डेन्ट से बाहर निकले चाकू के सिरे को दबाया तो वो दोबारा पैन्डेन्ट में भीतर चला गया। क्रिसपिन ने उसे सेल्समैन के गले से निकाला और अपने गले में डालकर वहीं रखे एक शीशे के सामने जा खड़ा हुआ।
उसने खुद को उसमें निहारा।
वाकई कमाल की चीज थी।
उधर कैन्ड्रिक मन ही मन चकित था।
वो एक नकली, एक डुप्लिकेट चीज थी लेकिन उसका ये कहना सच था कि उस पैन्डेन्ट का असली आईटम वाकई सुलेमान दी ग्रेट पहना करता था। कैन्ड्रिक ने एक कलर पेन्टिंग में इसे देखा था और कुल मिलाकर केवल तीन हजार डॉलर में एक होनहार सुनार से उसकी हूबहू नकल तैयार करवा ली थी।
केवल तीन हजार डॉलर में तैयार हुई वो नकल अब चालीस हजार डॉलर की कीमत में जा रही थी।
जा चुकी थी।
उधर क्रिसपिन ने पैन्डेन्ट पर लगे रूबी को दबाया तो पतले फल वाला चाकू फिर बाहर उछल आया।
“जरा ध्यान से मिस्टर ग्रेग”—कैन्ड्रिक ने व्याकुलता से कहा—“चाकू का फल तीखा है।”
क्रिसपिन ने अपने सिर को हाँ में हिलाया और चाकू को दोबारा पैन्डेन्ट में डाल लिया। वो संतुष्ट था।
उसने पलटकर कैन्ड्रिक की ओर देखा। उसकी आँखों में उस वक्त कुछ ऐसे भाव थे जिसे कैन्ड्रिक समझ तो नहीं पाया लेकिन वह यकायक बेचैनी-सी महसूस करने लगा था।
“मैं इसकी कीमत—चालीस हजार डॉलर—दूँगा”—क्रिसपिन बोला—“बिल भेज देना।”
“जी जरूर।”
क्रिसपिन ने आगे कुछ भी कहे बगैर बाहर की ओर कदम बढ़ा दिए। पैन्डेन्ट—अपनी किस्म का वो अनोखा, अद्भुद और लाजवाब पैन्डेन्ट—उसकी छाती पर झूलता चला गया।
इस पूरे वक्त लुईस जो मूक दर्शक बना सारा वार्तालाप देख रहा था, अब वो कैन्ड्रिक के पास आया।
“कमाल कर दिया”—लुईस ने मुस्कुराकर कहा—“तुम तो कमाल के सेल्समैन हो।”
“छोड़ो वो किस्सा।”—कैन्ड्रिक ने कहा—“उस आदमी में कुछ अजीब सी बात है जो मुझे परेशान कर रही है और ये परेशानी सैंतीस हजार डॉलर के मुनाफे के मुकाबले कहीं ज्यादा है।”
“ऐसा क्या है उसमें?”—लुईस ने हैरान होते हुए पूछा।
“पता नहीं….”—कैन्ड्रिक बोला—“खैर—तुम आज दोपहर बाद मिस्टर ग्रेग के यहाँ चले जाना और उससे उसकी बनाई कोई पेन्टिंग ले आना। हम उसे यहाँ अपनी पिक्चर विन्डो में लगाएंगे। हालाँकि बजाते खुद उस बेवकूफ क्रिटिक लोबेनस्टन के मुताबिक ग्रेग की आर्ट वाहियात है जिसकी कोई कमर्शियल वैल्यू नहीं है लेकिन फिर भी—चूँकि अब वो हमारा मुअज्जिज ग्राहक हो चुका है—तो मैं भी खुद उसकी आर्ट देखना चाहता हूँ।”
“ठीक है।”—लुईस ने कहा और वहाँ से हट गया।
पीछे कैन्ड्रिक अकेला खड़ा कुछ सोचता रहा।
क्रिसपिन के चेहरे पर उभर रहे अजीब से खौफनाक भाव ने उसे पता नहीं क्यों बेचैन कर दिया था।
उसने एक लम्बी सांस खींची, अपने मन में उभर रहे इन ख्यालों को झटका और अपने रिसेप्शन रूम की ओर लौट गया।
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