Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा - Page 3 - SexBaba
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Antarvasnax Incest खूनी रिश्तों में चुदाई का नशा

अभी मैने यह कहा ही था कि किसी ने बाहर दरवाज़ा खटखटाना शुरू कर दिया, दरवाज़े की खटक-खट-हाट एक बॉम्ब की तरह हमारे दिमाग़ पर लगी और हम दोनो का चेहरा डर और ख़ौफ़ से पीला पड़ गया, चन्द लम्हे तो समझ ही मे नही आया कि क्या हुआ और क्या करूँ, फिर घबराहट और ख़ौफ़ से बिजली की तरह अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए,

मैने कपड़े पहनते हुए नजमा से कहा कि वो बिस्तर पर इस तरह लेट जाए जैसे बहुत देर से सो रही हो, इतनी देर मे दो तीन बार दरवाज़ा खटखटाया गया, मैं कपड़े पहनते ही बाहर दरवाज़ा खोलने भागा यह देखे बगैर कि नजमा क्या कर रही है, जैसे ही दरवाज़ा ख़ूला बाहर मम्मी को देख कर एकदम हक्का-बक्का रह गया, मम्मी के पूरे कपड़े मिट्टी और गंदगी से भरा हुआ था, वो दरवाज़ा ख़ूलते ही गुस्से से अंदर आते हुए बोली,

"कहाँ मर गये थे दरवाज़ा क्यूँ नही खोल रहे थे",

मुझे फ़ौरन बहाना सूझ गया और खुद भी गुस्सा देखते हुए बोला,

"आप मुझ पर क्यूँ नाराज़ हो रही हैं, अपनी लाडली (नजमा) को तो कुछ नही कहेंगी जो अभी तक सो रही है, मैं तो बाथ रूम मे था दरवाज़ा कैसे खोलता, अरे मगर यह क्या हुआ आपको, आपके कपड़े किचड और गंदगी से क्यूँ भरे हुए है",

मेरे गुस्से की आक्टिंग और फौरी बहाने ने काम कर दिखाया और मम्मी का गुस्सा भी एक दम ख़तम हो गया साथ ही उनकी तवाज्जा भी बँट गयी और वो अपने कपड़ों की तरफ देखते हुए मूँह बना कर बोली,

"अरे क्या बताऊं वॉटर पंप पर जहाँ रिक्शे(थ्री वीलर मोटर टॅक्सी) रुका था वहाँ रास्ते मे पानी और किचड था मैं उसपर फिसल कर गिर गयी थी इसी लिए तो फ़ौरन भाग कर आ गयी,"

मम्मी मुझ से यह बोल कर अपने कमरे से टवल और अपने कपड़े लिए और फ़ौरन बाथ रूम मे नहाने चली गयी, मैने अंदाज़ा लगाया कि वो बाथ रूम से आधे [½] घंटे से पहले नहीं निकलेंगी और सीधा नजमा के कमरे की तरफ भागा, वहाँ जा कर देखा कि नजमा बिस्तर की चादर बदल रही है, मुझे देख कर उसका चेहरा शरम से लाल हो गया और वो एकदम दोनो हाथों से अपना चेहरा छुपा कर फूस-फूसी आवाज़ मे बोली, "तुम जाओ मुझे बहुत शरम आरहि है"'
 
मैं उसके पास जा कर उसे अपने बाहों मे लेकर अपनी छाती से लगा लिया और उसके हाथ को उसके चेहरे से हटा कर उसके होंठो को प्यार करता हुआ बोला,

"नजमा अब हम दोनो के दरम्यान कैसी शरम, शरमाना छोड़ो और मेरी बात सूनो, हम दोनो ने सब कुछ कर ही लिया है बस मेरी ना -तजुर्बकारी की वजह से चुदाई नही हो सकी, क्या तुम चुदवाना नही चाहती हो"'

"म..म...मगर मम्मी आ गयी हैं और वो अभी नहा कर आ जाएँगी, हम कुछ नही कर सकते हैं", नजमा घबराते हुए बोली, वो शायद मेरी बात सून कर यह समझी थी कि मैं अभी चोदने की बात कर रहा हूँ, मैं उसके दोनो चुतड़ों को पकड़ कर दबाता हुआ बोला,

"मैं अभी चोदने की बात नही कर रहा हूँ, अभी तो मम्मी आ गई हैं इसलिए यह अभी मूम्किन नही है, मेरे पास एक बहुत अच्छा रास्ता और तरीक़ा है अगर तुम राज़ी हो जाओ तो बगैर किसी डर और किसी ख़ौफ़ के तुम्हारी इतने ज़बरदस्त तरीक़े से चुदाई हो गी कि तुम मज़े मे पागल हो जाओगी" नजमा मेरी बात सून कर अपनी चूत को मेरी रान से रगड़ते हुए बेचैनी से बोली,

शहाब जो चाहे करो मगर जल्दी करो नही तो मैं पागल हो जाऊं गी",

फिर मैने नजमा को शाहजी के बारे मे सब कुछ बता दिया, वो मेरी बात सून कर इस तरह ऊछली जैसे करंट लग गया हो और मुझे एक दम ज़ोर से धक्का दे कर गुस्से और शरम से मुझे बहुत गालियाँ देने लगी और बहुत बूरा भला कहने लगी, उसके गुस्से को देख कर और उसकी गालियाँ सून कर मैं डर गया कि अभी मम्मी भी बाथ रूम से निकलने वाली हैं और ऊन्होने नजमा को मुझ पर गुस्सा करते देख लिया और वजह पूछी तो कही नजमा उन्हे सब कुछ ना बता दे,

मैं डर के मारे नजमा को छोड़ कर फ़ौरन घर से बाहर निकल गया और सीधे शाहजी के पास पहुच गया, इतिफ़ाक़ से उस वक़्त उसकी दुकान पर कोई ग्राहक नही था और शाहजी बैठा हिसाब किताब कर रहा था, मैने शाहजी को पूरी बात तफ़सील से बता दी, वो भी डर गया था और कुछ सोच कर बोला,

"यार! बात तो बड़ी ख़तरनाक हो गई है अब जो भी होगा देखा जाए गा, और अगर नजमा किसी को कुछ नही बोलेगी तो ख़तरे की कोई बात नही है और अभी चान्स बाक़ी है कि वो शायद राज़ी हो ही जाए, तू एक काम कर एक दो दिन बिल्कुल चुप रह और देखता जा कि वो किसी को बोलती है या नहीं अगर किसी को नही बोले तो तुम फिर से उसको राज़ी करने मे लग जाना"
 
शाहजी की बात मेरी समझ मे आ गई और मेरा डर थोड़ा कम हो गया, मैं शाहजी के पास से जाने ही लगा था कि वो मुझे रोकता हुआ बोला,

"ठहर और बैठ जा अभी तो तुझ से ज़रूरी बात करनी बाक़ी ही रह गयी है",

"बोलो शाहजी क्या बात है", मैं दूबारा बैठता हुआ बोला,

"एक बात बिल्कुल सच बता कि क्या तू वाक़इ नजमा को नही चोद सका?",

"शाहजी इसी बात का तो अफ़सोस है कि इतनी मुश्किल से आज चोदने का पूरा मौका मिला था मगर नजमा की चूत मे लंड ही नही घुसा सका और घुसाने से पहले ही झड गया", मैं अफ़सोस करता हुआ बोला और शाह जी को पूरी तफ़सील से बता दिया. जवाब मे शाहजी मुझे गाली देता हुआ बोला,

"साले मादरचोद तुझे मालूम ही है कि हम यार दोस्त आपस मे मिल कर 100 रुपये मे लड़की लाकर चोदते हैं इस तरह हम एक का सिर्फ़ 25/30 रुपये चुदाई पर खर्च होता है, जब-कि मैं नजमा को चोदने के लिए 500 से ज़्यादा खरच कर रहा हूँ सिर्फ़ इसलिए कि वो सिर्फ़ कमसिन और खूबसूरत ही नही बल्कि कंवारी भी है, अच्छा हुआ कि तू उसे चोद नही सका अगर चोद लेता तो मैं 100 रुपये से ज़्यादा नही देता, अब यह बात याद रखना कि उसे पहले मैं चोदुन्गा, तुझे अगर चोदने का मौका मिल भी जाए तो भी उसे नही चोदना, बस एक बार उसे
पहले चोद लूँ उसके बाद जब तेरा दिल चाहे उसे चोद्ते रहना,"

मैं शाहजी की बात सून कर हैरत से कहा, "शाहजी नजमा कंवारी हो या नही हो इससे क्या फरक पड़ता है, ठीक है तुम ही उसे पहले चोद लेना मैं नही चोदून्गा, अभी तो यह देखना है कि वो किसी को कुछ बोलती है या नही",

"दो तीन दिन तो बिल्कुल दम साध कर चुप बैठा रह, उससे कोई बात मत करना बल्कि कोशिश यह करना कि तेरा और उसका सामना कम से कम हो, अगर वो किसी को कुछ नही बोलती है तो समझ ले कि वो कभी किसी को कुछ नही बोले गी, उसके बाद बिलकूल डरे बगैर उसको राज़ी करने मे लग जाना एक ना एक दिन वो राज़ी हो ही जाए गी,"
 
शाहजी मुझे समझाता हुआ बोला, उसकी बात मेरे दिल को लगी और मैं गर्दन हिलाते हुए बोला, "ठीक है शाहजी मैं बिल्कुल वैसा ही करूँगा जैसे तुम ने बताया है, वैसे शाहजी मुझे डर यह है कि वो राज़ी हो कर आ गई तो कहीं तुम्हारा मोटा और खंबे की तरह लंबा लंड उसकी चूत ही ना फाड़ दे, उसकी चूत बहुत छोटी है और अभी तो उसकी चूत पर बाल भी नही निकले हैं,"

शाहजी मेरी बात सून कर मुस्कुराया और दुकान के बाहर गली मे किसी को ना देख कर अपना लंड सहलाता हुआ बोला,

"फ़िक्र मत कर उसकी चूत को कुछ नही होगा, वो मेरे लंड से भी बड़ा और मोटा लंड बड़े आराम से ले कर उछल उछल कर चुदवायेगी,"

शाहजी से बात करके मुझे तस्सल्ली तो हो गई थी मगर फिर भी मैं डरा हुआ था इसलिए शाह जी के यहाँ से निकल कर सीधा करमू की तरफ चला गया और अंधेरा होने के बाद बहुत डरा हुआ घर आया, घर मे बिल्कुल सकून था यह देख कर मेरी जान मे जान आई और समझ गया कि नजमा ने किसी को कुछ नही बोला है. मैं शाहजी की बात पर अमल करके दो दिन तक बिल्कुल चुप रहा जब यह देख लिया कि नजमा किसी को कुछ नही बताया है तो मुझे हौसला हुआ और मुझ मे बहुत हिम्मत पैदा होगयि, फिर मुझे जैसे ही मौका मिलता मैं उसको राज़ी करने की कोशिस करता,

शुरू के एक हफ्ते तो वो गुस्सा दिखाती रही और मैं हाथ लगाता तो मेरा हाथ झटक कर भाग जाती, एक हफ़्ता के बाद वो गुस्सा कम दिखाने लगी और दिन ब दिन उसका गुस्सा दिखाना कम से कम होता गया. तक़रीबन डेढ़ (1½) महीने गुज़रने के बाद वो रास्ते पर आने लगी और मेरी बात सून कर खामोशी से कुछ सोचती मगर कुछ बोलती नही.

कराची मे बारिश बहुत कम होती है और जब भी होती है तबाही ले आती है , उस दिन रात ही से बारिश होरही थी सुबह बारिश तो रुक गई थी मगर रात भर की बारिश ने बहुत तबाही मचा दी थी और स्कूल बंद हो गये थे, हम लोग भी स्कूल नही गये, पापा और भाई सुबह ही सुबह दुकान चले गये क्यूँ कि उन्हे गोदाम मे रखे माल की फिकर थी कि मालूम नही बारिश ने गोदाम मे रखे माल का क्या हाल किया होगा, दुकान जाते हुए पापा ने मालूम नही क्यूँ मम्मी को बहुत डांटा और दो तीन [2/3] थप्पड़ भी मारा था इसलिए मम्मी गुस्से मे भरी बैठीं रो रही थी और बात बात पर बगैर किसी वजह के वो हमें डाँट फिटकार रही थी मैं समझ रहा था कि वो पापा का गुस्सा हम पर निकाल रहीं हैं,
 
दस [10] बजे के क़रीब हमारे मामू जान हमारा हाल पूछने आ गये तो मालूम नही मम्मी से क्या बात हुई कि मम्मी दोनो छोटे भाई बहन को ले कर मामू के साथ अपनी मम्मी यानी नानी जान के घर जाने का फ़ैसला कर लिया और एक बॅग मे अपने और दोनो भाई बेहन के कुछ कपड़े रखे और नजमा को मेरे लिए रोटी पकाकर देने का बोल-कर मामू के साथ जब वो जाने लगीं तो नजमा ने उनसे 2 रूपिया आइस्क्रीम के लिए माँगा, बजाए वो नजमा को रुपये देकर जातीं वो नजमा को खूब डाँट फिटकार कर मामू के साथ दोनो छोटे भाई बहन को ले कर चली गयी.

नजमा के साथ घर मे बिल्कुल अकेले का सोच कर ही मेरा लंड लोहे की तरह तन्तनाया हुआ था मगर उनके जाने के बाद भी मैं थोड़ी देर चुप चाप यह सोच कर बैठा रहा कि कहीं ऐसा ना हो कि अचानक उनका प्रोग्राम बदल जाए और वो वापस आजाएँ. नजमा को भी यक़ीनन अकेले घर का एहसास हो-गया था इसलिए वो इस दरमियाँ तीन चार मर्तबा कमरे मे आकर मुझे देख कर वापस चली गई थी.

मैं समझ रहा था कि वो भी आज यक़ीनन इतना अच्छा मौका देख कर अंदर ही अंदर कुछ करने के लिए बेचैन हो रही होगी मगर शरम से अपनी ज़बान से कुछ नही कह पा रही है और सिर्फ़ कमरे मे आकर मुझे देख कर चली जाती है. आधे[½] घंटे के बाद मैं सोच ही रहा था की अब बहुत देर हो गई और अब मम्मी नही वापस आएँगी ये सोच कर उठने ही वाला था कि पहले बाहर का मेन दरवाज़ा बंद कर दूं कि उसी वक़्त नजमा कमरे मे आकर मेरी तरफ अजीब नज़रो से देखते हुए थूक निगलकर आहिस्ता से बोली,

"शहाब मम्मी तो नानी के घर चली गयीं और अब शाम से पहले वापस नही आएँगी, और पापा और भाई भी रात तक ही वापस आएँगे, मुझे आइस्क्रीम खाना है पैसे किससे लूँ, मम्मी से माँगा तो वो पैसे देने की बजाए डाँट कर चली गयीं, तुम्हारे पास अगर पैसे हों तो मुझे आइस क्रीम ला दो"

मैं उठ कर उसके पास गया और अपने हाथ उसकी छाती पर रख कर छाती को दबा कर बोला,

"तुम यहीं मेरे कमरे मे बैठो मैं पहले बाहर का मेन गेट बंद कर के आ जाउ ताकि कोई भी एकदम अंदर ना आजाए",

"मैने बाहर का सब दरवाज़ा अच्छी से अंदर से बंद कर दिया है अब कोई भी अंदर नही आ सकता है" नजमा सर झुका कर हल्की आवाज़ मे बोली,

मेरे पूरे बदन मे सनसनाहट हो रही थी मैं उसकी बात सुन कर अंदर से बेक़ाबू हो रहा था मगर खुद पर बड़ी मुश्किल से क़ाबू रखा क्यूंकी मैने सोच लिया था कि इतना अच्छा मौका फिर शायद कभी ना मिले इसलिए आज नजमा को किसी तरह राज़ी कर के शाहजी के पास ले जाउन्गा ताकि मेरा उधार ख़तम हो जाए, क्यूंकी शाहजी ने जब देखा कि डेढ़ महीना गुज़रने के बाद भी मैं नजमा को राज़ी नही कर सका हूँ तो वो शायद यही समझ लिया था कि मैं नजमा को राज़ी नही कर सकूँगा और यह समझ कर आज कल अपने रुपये का तक़ाज़ा बड़ी सख्ती से करने लगा था और तीन दिन पहले मुझे एक हफ्ते की मोहलत दिया था कि मैं चाहे कुछ भी करूँ उसके 270/= रुपये जो अब बढ़ कर 350/= रुपये हो गये थे वापस कर दूं. इसलिए मैं नजमा को किसी भी तरह राज़ी करना चाहता था. मैं ने नजमा को अपने बिस्तर पर बैठा कर खुद भी उसके बराबर बैठ गया और अपना हाथ सीधा उसकी टाँगो के दरमियाँ घुसा कर उसकी चूत को सहलाते हुए बोला,

"नजमा तुम एक आइस्क्रीम खाने के लिए तरस रही हो और पैसा नही होने की वजह से नहीं खा पा रही हो, मेरी बात मान लो मौका बहुत अच्छा है घर पर कोई नही है मेरे साथ शाहजी के पास चलो फिर जितना चाहे आइसक्रीम खाओ और जब भी दिल चाहे जा कर आइसक्रीम खा लिया करो शाहजी पैसा नही लेगा और यह तो सोचो कि शाहजी हमें 100/100 रुपये भी देगा, नजमा इनकार मत करो 100 रुपये बहुत बड़ी रक़म होती है और इसके साथ साथ आज ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा भी ले-लो-गी "
 
नजमा मेरी बात सुन कर बहुत देर तक सोचती रही, फिर वो शरमाते हुए थूक निगल कर आहिस्ता से बोली,

“क्या शाहजी सुचमुच हम दोनो को 100/100 रुपये देगा ? और अगर बाद मे नही दिया तो ?”

नजमा के चेहरे और आँखों मे कशमकश, गैर यक़ीनी, जज़्बात, घबराहट, लालच, और शरम का मिला जुला तास्स्सुर था, मैं उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से सहलाते हुए बोला,

"शाहजी बहुत अच्छा आदमी है वो अपनी ज़बान से नही फ़िरेगा, और मैं भी बेवक़ूफ़ नही हूँ, मैं पहले ही पैसा निकलवा लूँगा तुम फ़िक्र मत करो" ये कह कर मैं नजमा को छोड़ कर खड़ा होता हुआ बोला, तुम तैयार हो जाओ मैं शाहजी को देख कर और बता कर अभी आता हूँ कि
तुम राज़ी हो गयी हो और मैं तुम को ले कर आ रहा हूँ वो अपने कमरे की पिछली गली का दरवाज़ा खुला रखे ताकि हम सीधे अंदर घुस
जाएँ और साथ ये भी बोल दूँगा कि रुपए भी तैयार रखे",

नजमा कुछ नही बोली, मैं फ़ौरन हंपता कानपता शाहजी की दुकान पर गया, शाहजी दुकान के समान को इधर उधर कर रहा था क्यूंकी बारिश का पानी तोड़ा बहुत अंदर आ गया था, दुकान मे कोई ग्राहक नही था वो अकेला ही था मुझे देखते ही बोला,

"क्यूँ साले पैसा ले कर आया?",

"हाँ शाहजी मैं आज तुम्हारा पूरा क़र्ज़ा चुका दूँगा"

मैं ने मुस्कुराते हुए कहा, मेरा जवाब सुन कर उसके चेहरे पर हैरत दौड़ गयी और वो अपना काम छोड़ कर मेरे पास आकर मेरे कंधे पर हाथ मार कर कहा,

"लगता है कि आज तूने बाप या भाई की पूरी जेब सॉफ कर दी, साले कहीं डाका तो नही मार आया ?"

"नही शाहजी ना बाप की जेब सॉफ किया है ना ही डाका मारा है बल्कि आज मैने नजमा को राज़ी कर ही लिया है अब बोलो मेरा पूरा उधार
का हिसाब ख़तम करके हम दोनो को साथ मे 100/100 रुपये देने के वादे पर क़ायम हो या नही",
 


मैं सारी बात सॉफ कर लेना चाहता था ताकि बाद मे शाहजी फिर अपना उधार माँगने ना लग जाए, क्यूंकी मैं जानता था कि वो बहुत हरामी
और झूठा आदमी है. उसे तो पहले मेरी बात पर बिल्कुल यक़ीन नही आया और गैर यक़ीनी लहजे मे बोला,

"अगर तू सच बोल रहा है तो तेरा पूरे का पूरा सब उधार ख़तम साथ 100/100 रुपया दोनो को तो दूँगा ही इसके साथ साथ जब भी तुझे 10/20 रुपये की ज़रूरत हो मुझ से ले लिया करना उसका कोई हिसाब नही हो गा, और अगर तू मुझे गोली दे रहा है तो साले मादर्चोद याद रखना
मैं तेरी गान्ड ऐसा फाड़ुँगा कि ज़िंदगी भर याद रखेगा"

"शाहजी मैं गोली नही दे रहा हूँ उसे अभी थोड़ी देर पहले ही राज़ी कर के तुम्हारे पास इसी लिए तो आया हूँ कि तुम को यह खुशख़बरी सुना
दूँ", मैने उसे यक़ीन दिलाते हुए कहा,

"अगर वाक़ई तू सच कह रहा है तो कब ला रहा है उसे"

शाहजी को अभी तक मेरी बात पर पूरा यकीन नही हो रहा था, उसके लहजे मे अभी भी गैर यक़ीनी और शक था,

"कब का क्या मतलब, उसे अभी जा कर 10 मिनिट मे ले कर आ रहा हूँ, मैं पहले इस लिए आया कि लाने से पहले लेन देन और हिसाब
किताब की बात पक्का कर लूँ और तुम्हें बोल दूं कि पिछली गली का दरवाज़ा खुला रखना ताकि हम सीधे अंदर आ जाएँ",

फिर मैने शाहजी को तफ़सील से पूरी बात बता दी कि आज घर मे कोई भी नही है और मम्मी शाम से पहले नही आएँगी, पापा और भाई तो रात तक ही आएँगे इसलिए इतना अच्छा मौका बाद मे नही मिले गा. उसे साथ साथ ये भी बता दिया कि रुपये पहले से ही देने होंगे. शाहजी
तो खुशी से दीवाना हो गया और ख़ुसी के मारे मुझे लिपटा कर बोला,

"आख़िर कार तो कामयाब होहि गया, पैसे की फ़िक्र मत कर नजमा के आते ही पहले मैं दोनो के हाथ मे पैसा रखूँगा फिर कोई बात करूँगा, और देख उसे 15/20 मिनिट के बाद लाना ताकि मैं नहा धो लूँ दुकान की सफाई कर के बिल्कुल गंदा हो गया हूँ, “शाहजी मेरे गाल को थपथापा कर कहा,

"शाहजी ध्यान रखना नजमा कंवारी और अभी बहुत कम उम्र है उसे आराम आराम से चोदना क्यूंकी तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लंबा भी है", मैने चलते हुए शाहजी से कहा,

"साले अब तू मुझे चोदना सिखाएगा, तू जाकर उसे जल्दी से लेकर आजा उसे कैसे चोदुगा यह तू मुझ पर छोड़ दे”.
 
मैं हांपता कांपता सीधे घर आया, मेरे पूरे बदन की नसों मे खून की जगह आग का दरिया दौड़ रहा था, मेरा लंड इतना अक्डा हुआ था कि उसके कारण से लंड मे तकलीफ़ होने लगी थी, किसी लड़की को चोदने और चुदाई देखने की ख्वाहिश जो जनून बन चूकि थी, आज वो पूरा होने जा रहा था. मेरे जज़्बात और सेक्स की हवस नजमा को एक बेहन की जगह एक लड़की की तरह देख रही थी. मैं सीधे उसी कमरे मे दाखिल हुआ जहाँ नजमा को छोड़ कर गया था, देखा नजमा कपड़े बदल कर सर झुकाए बैठी कुछ सोच रही है, उसने बालों को कंघा कर के दो चोटियाँ बनाई हुई थी और बे-इंतिहा खूबसूरत लग रही थी, जैसेही मैं कमरे मे दाखिल हुआ वो मुझे देख कर हॅड बड़ा कर खड़ी हो गयी. मैं सीधे नजमा के पास जाकर दोनो हाथों से उसके चुतड़ों को पकड़ कर अपना खड़ा लंड कपड़े के ऊपर ही से उसकी चूत पर दबाते हुए
उसे ज़ोर से लिपटा कर हान्फता हुआ बोला,

नजमा तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो शाहजी तुम्हें देखे गा तो देखता ही रहजाए गा”,

“ऊओफफफ्फ़ आआहह……एम्म…..मैं….. ननन…नही जजाजा…जाऊंगी”,

नजमा मेरी छाती से चिपकी हुई कपकपाते लहजे मे बोली, उसकी बातों से सॉफ मालूम हो रहा था कि वो डरी और घबराई हुई है साथ साथ बे-इंतिहा शरम मे डूबी हुई है. मैं उसके दोनो चुतड़ों के अंदर हाथ घुसा कर ऊँगली से उसकी गान्ड के सुराख को सहलाता हुआ और अपने
लौडे को उसकी चूत पर ज़ोर से दबा कर पूछा,

“क्यूँ नही जाओगी, जबकि तुम जाने के लिए कपड़े बदल कर तैयार भी हो गयी हो”,

“मुझे शाहजी के पास जाने का सोच कर ही बहुत शरम आ रही है और डर भी लग रहा है, और यहाँ घरपर तो कोई भी नही है फिर वहाँ क्यूँ जाएँ हम यहीं हर कुछ करसकते हैं,”

मेरे लंड के दबाव को अपनी चूत पर महसूस करके और गान्ड के सुराख को सहलाता पा कर वो खुद भी यक़ीनन बहुत गरम हो गयी थी और जज़्बात से उसका बदन काँप रहा था, मगर बहुत शर्मीली होने की वजह से एक अजनबी और लंबे चौड़े ताक़तवर मर्द के पास जाने का
सोच कर ही शरम और घबराहट से इनकार कर रही है, मैं अपना एक हाथ उसके चुतड़ों से हटा कर उसकी छाती पर रख दिया (उसने
अभी अंदर ब्रा. पहनना शुरू नही किया था) को पकड़ कर आहिस्ता आहिस्ता मसल्ते हुए बोला,

"नजमा देखो मैं उस दिन की अधूरी चुदाई का कसूरवार समझ के तुम को बहुत मज़ा करवाना चाहता हूँ, चूं- कि मैने पहले कभी किसी लड़की के साथ यह सब नही किया है इसीलिए मुझे कोई तजुर्बा तो है नही , इसीलिए होसकता है कि मैं इस बार भी तुम को ठीक से नही चोद सकूँ और तुम फिर तड़पति रह जाओ. शाहजी बहुत तजुर्बकर है उसे मालूम है कि लड़की को कैसे भरपूर मज़ा दिया जासकता है तुमको उसके पास जा कर वो मज़ा मिले गा कि तुम सोच भी नही सकती हो, और देखो वो हम दोनो को 100/100 रुपये भी तो देगा यह बहुत बड़ी रक़म होती है, और यह भी देखो तुमको जब भी आइस्क्रीम या कुछ भी खाना हो वो तुम्हे हमेशा मुफ़त मिले गा. सब से अहम बात यह है कि घर पर हमें हर वक्त चुदाई का मौका नही मिल सकता है, इसलिए जब शाहजी से ताल्लुक़ हो जाएगा तो हम जब चाहेंगे वहाँ जा कर
खूब चुदाई करके मज़ा कर सकें गे. तुम शरमाना छोड़ दो और डरने की क्या बात है तुम वहाँ अकेले तो नही जा रही हो मैं भी तो तुम्हारे
साथ ही रहूँगा",

 
मैं यह सब बोलते हुए उसकी छाती के छोटे दाने को चुटकी मे दबा कर मसलता भी जा रहा था. नजमा मस्ती और मज़े मे हल्की हल्की
सिसकारी भरती हूई मेरी बात सुन कर थोड़ी देर बिल्कुल चुप रही फिर शरमाते हुए बोली,

"त....त....ठीक है च.....च......चलो, मगर वो पूरे 100 रुपये तो देगा",

"अभी मैं उसको यही तो बोल कर आया हूँ, तुम बिल्कुल फ़िक्र मत करो वो जाते ही पहले पूरे 100 रुपये तुम्हें देगा उसके बाद तुम्हें चोदे गा",

मैं नजमा को साथ ले कर घर से निकला और घर मे ताला लगा कर शाहजी की तरफ रवाना हो गया, पूरे रास्ते मेरा जिस्म जोश और जज़्बात से कांप रहा था साथ ही डर भी लग रहा था कि किसी को शक ना हो जाए, चलते हुए ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हर आदमी को मालूम है हम कहाँ और क्यूँ जा रहे हैं और हर कोई हमें ही देख रहा हो. शाहजी की गली मे घुसते ही मैने दूर ही से देख लिया कि शाहजी के घर का
दरवाज़ा खुला हुआ है, अभी हम दरवाज़े के पास ही पहुँचे थे कि नजमा ने मेरे हाथ को ज़ोर से पकड़ लिया और काँपती आवाज़ मे बड़बड़ा कर बोली,

"श.....श.......शहाब वा.....वा....वापस चलो मैं नआयी जा....जा....जाउ गी मुझे बहुत शरम आरहि है",

इतनी देर मे हम बिल्कुल दरवाज़े पर पहुच गये थे और सामने ही शाहजी सिर्फ़ शलवार पहने नंगे बदन खड़ा था, मैने देखा उसका लंड शलवार के कपड़े समेत बाहर निकला हुआ हिल रहा था, मैं नजमा का हाथ पकड़ कर दरवाज़े से अंदर घुसता हुआ झुक कर उसके कान मे बोला,

"पगली अब तो हम पहुच ही गाए हैं घबराने और शरमाने की ज़रूरत नही है मैं भी तो तुम्हारे साथ साथ हूँ",

हमारे अंदर घुसते ही शाहजी ने दरवाज़ा बंद करके अंदर से लॉक कर दिया और हमारी तरफ मूड कर नजमा को घूरता हुआ खुशी से चहकता हुआ बोला,

"क्या बूद्बूदा कर नजमा को बोल रहे हो अंदर कमरे मे चलो",

नजमा का हाथ बिल्कुल ठंडा हो रहा था, जिस्म काँप रहा था, चेहरा शरम से लाल हो रहा था और पसीने की बूँदें चमक रही थी, मैं उसका हाथ पकड़े हुए कमरे मे दाखिल हो गया, शाहजी खुद भी हमारे पीछे पीछे कमरे मे घुस कर कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद करके कूण्ड़ी लगा कर सामने पलंग पर बैठ गया, इतनी देर मे मैं नजमा को ले कर पलंग के सामने रखे हुए सोफा पर बैठ ते हुए कहा,

"शाहजी यह घबरा भी रही है और शरम से इसका बूरा हाल है, और हाँ इसको यक़ीन नही है कि तुम हम दोनो को 100/100 रुपये भी दो गे इस लिए पहले रुपये देदो उसके बाद जिस तरह चाहो नजमा को चोदो",
 
शाहजी मेरी बात सुन कर तकिये के नीचे से रुपये निकाल कर पलंग से उठा और नजमा के बराबर जैसे ही बैठा नजमा काँप कर मुझ से चिपक गयी और मेरे हाथ को मज़बूती से पकड़ ली, शाहजी नजमा के बराबर बैठ कर 100 रुपये का एक नोट मेरी तरफ और एक नजमा की तरफ बढ़ाता हुआ बोला,

"मेरी जान पहली बार चुदवाने निकली है घबराहट तो हो गी और शरम भी आएगी, अभी जब तेरी चूत मे मैं अपने लंड घुसाउन्गा तो तुम मज़े में अपनी सब शरम और घबराहट भी भूल कर मज़े मे मस्त हो जाओगी, यह ले 100 रुपये और फिकर मत कर जब भी कुछ चाहिए मेरे पास
आ जाना तुझे मैं दूँगा",

नजमा शाहजी की बात सुन कर शरम से और भी मुझ से चिपकने लगी, जब मैने देखा कि वो ना तो कुछ बोल रही है ना ही रुपये ले रही है
तो मैं उसके हाथ को सहलाता हुआ प्यार से बोला,

"नजमा कब तक शरमााओगी, इसी तरह शरमाने शरमाने मे वक़्त गुज़र जाए गा, जल्दी से रुपये ले लो देखो शाहजी कितने प्यार से दे रहे है",

मेरे बार बार कहने के बाद नजमा काँपते हाथों से शाहजी के हाथ से रुपये ले कर मेरी तरफ बढ़ाते हुए थूक निगल कर बहुत धीमी आवाज़ मे बोली,

तो.....तू....तुम अभी रखो मैं घर जा कर ले लूँगी",

मैं नजमा से रुपये ले कर जेब मे रखता हुआ पहले शाहजी से बोला,

शाहजी रुपये दे-कर तुम ने अपने वादा पूरा कर दिया अब देर क्यूँ कर रहे हो नजमा को बिस्तर पर ले जाओ और इसकी कंवारी चूत मे लंड घुसा कर खुद भी मज़ा लो और इसे भी आज चुदाई का मज़ा चखा दो",

फिर मैने नजमा से कहा, "नजमा देखा शाहजी ने चोदने से पहले ही रुपये दे दिया अब उसके साथ बिस्तर पर चली जाओ और चुदाई का
मज़ा लूट लो",
 
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