Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर - Page 3 - SexBaba
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Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर

वक़्त के हाथों मजबूर--10

थोड़ी देर में रामू काका भी कुछ स्नॅक्स कोफ़ी वगेरह लेकर वहाँ पर आते हैं और राहुल और राधिका को हंसता देखकर कहते हैं.

रामू- देखा बेटी तुम्हारे कदम इस घर पर क्या पड़े, आज साहब को कितने अरसे के बाद मैने हंसते हुए देखा है.

राधिका- तो क्या जनाब कभी हंसते नही थे क्या.

रामू- हाँ मालकिन ये ड्यूटी से घर आते और खाना खाकर अपने रूम में सो जाते और सुबह फिर नाश्ता करके बाहर निकल जाते. इनका रोज़ का यही रुटीन है.

राधिका- देखिएगा रामू काका अब मैं आ गयी हूँ ना अब ट्रेन बिल्कुल पटरी पर दौड़ेगी. इतना कहकर रामू काका , राधिका और राहुल ज़ोर से हंसते हैं.

थोड़ी देर के बाद दोनो नाश्ता करते हैं. नाश्ता करने के बाद राहुल राधिका को अपने पर्सनल रूम मे ले जाता है.

राधिका- वाह!!! कितना बेहतरीन कमरा है. सब कुछ वेल फर्निश्ड. राधिका एक टक राहुल के रूम को देखने लगती हैं. वही डबल बेड के उपर राहुल की बचपन की तस्वीर थी और उसके माता पिता की भी साथ में थी. राधिका वो फोटो उठा कर देखने लगती हैं.

राहुल- ये ही हैं मेरे मोम, डॅड, इनकी रोड आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. तब से मैं अकेला.....................

राहुल ये शब्द आगे बोल पाता उससे पहले राधिका अपना हाथ राहुल के मूह पर रखकर चुप करा देती है. राहुल भी आगे कुछ नही बोल पाता.

राधिका- किसने कहा कि तुम दुनिया में अकेले हो. अब मैं हूँ ना तुम्हारे साथ. मेरी कसम आज के बाद तुम कभी आपने आप को अकेला मत कहना.

राहुल- ठीक है नही कहूँगा प्रॉमिस इतना कहकर राहुल राधिका का हाथ पकड़ लेता है..

राधिका- हाँ तुम मुझसे कुछ कहने चाहते थे ना अपने दिल की बात ज़रा मैं भी तो सुनू कि तुम्हारे दिल में क्या है.

राहुल- राधिका सच कहु मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा कि तुम अब मेरी हो. लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ. मैने तुम्हारे जिस्म से प्यार नही किया है बल्कि मैं तुम्हारी उस आत्मा को चाहता हूँ. तुम अब मेरी रूह में समा चुकी हो. राधिका ये मेरी खुसकिस्मती है कि अब तुम्हारा प्यार मेरे साथ है. जानती हो मैने एक गीत जो मैं बचपन से सुनता चला आ रहा हूँ उस गीत में मैने सिर्फ़ तुम्हें देखा हैं. वो गीत जो मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जिसमे मैने पल पल सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें महसूस किया है.

राहुल नज़दीक में सीडी प्लेयर को ऑन करता है और एक बहुत ही पुराना गीत बजने लगता है. वो गीत है.............

चाँद सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैने सोचा था............

हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था...................

जिसे राधिका भी सुनकर लगभग खो सी जाती है. जैसे ही वो गीत ख़तम होता है राहुल राधिका के एक दम नज़दीक आकर उसके हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लेता है.

इस गीत में मैने तुम्हें पाया है. जैसी मैने कल्पना की थी सच में तुम उससे भी बढ़कर हो. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता है. कुछ देर तक वो एक दूसरे से यू ही सटे रहते हैं. फिर राधिका आगे बढ़कर अपने लब धीरे धीरे राहुल के लब से चिपका लेती है. और फिर दोनो आँख बंद कर के एक दूसरे में खोते चले जाते हैं.

राधिका धीरे धीरे राहुल के होंठो को अपने होंठो से चिपका कर ऐसे चुसती है जैसे कोई दूध पीता बच्चा अपनी मा का दूध पीता है.दोनो की धड़कनें एक दम तेज़ हो जाती है. राधिका धीरे धीरे अपने होंठ पूरा खोल देती है और राहुल भी अपने होंठ धीरे धीरे राधिका के मूह में लेकर चूस्ता है. पहले वो राधिका के उपर के लिप्स को अच्छे से चूस्ता है फिर धीरे धीरे नीचे के लिप्स को बड़े प्यार से अपने दाँत से दबाकर हल्का सा काटने लगता है. राधिका भी अब पूरी तरह से राहुल में खो जाती है. राधिका और राहुल को कोई होश ही नही रहता कि वो किस दुनिया में हैं.

फिर राधिका धीरे धीरे अपना हाथ राहुल के हाथों में देती है और फिर उसका दाया हाथ अपने हाथ में पकड़कर धीरे धीरे अपने कंधे पर रखकर अपने हाथों से उसे नीचे अपनी सीने की तरफ बढ़ाती है. राहुल का हाथ भी जैसे राधिका घुमाति है वो वैसे ही घूमता है. कुछ देर में वो राहुल का हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए अपने लेफ्ट सीने पर रख देता है और अपने हाथ को ज़ोर से राहुल पर प्रेशर करती है.
 
राहुल भी उसके सीने को अपने हाथों से महसूस करता है और सोचता है कितनी मुलायम है राधिका के बूब्स किसी मखमल तरह.इस बीच राधिका और राहुल एक दूसरे के लिप्स को आपस में चूस्ते रहते हैं. दोनो के थूक एक दूसरे के मूह में थे. मगर एक ही पल में जैसे राहुल को होश आता है और वो अपना हाथ राधिका के सीने से झटक देता हैं. और वो राधिका से दूर हो जाता है.

उसके इस तरह बदलाव को देखकर राधिका चौक जाती है और फिर कुछ देर में दोनो नॉर्मल होते हैं.

राधिका- क्या हुआ राहुल मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या.

राहुल- नही राधिका ये ठीक नही है. मैने तुमसे कहा था ना कि मैं तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ .मुझे तुम्हारा जिस्म नही चाहिए. और ये सब शादी के बाद ही ठीक हैं और मैं नही चाहता कि कल को कोई बात हो जाए तो ये दुनिया तुम पर उंगली उठाए.

राधिका- मुझे दुनिया की परवाह नही है राहुल मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए. राहुल मैं पूरी तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ और हमारे पूरे मिलन के लिए हमारा एक होना बहुत ज़रूरी है ,मेरे पास आओ राहुल मुझे अपने सीने से लगाकर मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ राहुल, अब मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ. मेरी प्यास बुझा दो राहुल. आइ लव यू..............

राहुल- होश में आओ राधिका. तुम्हें ये क्या हो गया है भला तुम ऐसे कैसे बहक सकती हो. मैं तुम्हें यहाँ पर इसलिए लेकर नही आया था कि मैं तुम्हारे जिस्म को भोग़ू. बल्कि मैं तो तुम्हें अपने प्यार का इज़हार करने के लिए अपनी दिल की बात बताने के लिए लाया था. और तुम कुछ और ही समझ रही हो.

राधिका- नही राहुल मैं अब बस पूरी तरह तुम्हारी होना चाहती हूँ. अगर तुम्हें शरम आ रही मेरे कपड़े उतारने को तो बोल दो मैं खुद ही तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े निकाल देती हूँ.

राहुल- ज़ोर से चीखते हुए. राधिका ये तुम क्यों बहकी बहकी बातें कर रही हो. मैं जानता हूँ कि तुम्हारी भी कुछ ज़रूरतें हैं मगर अभी उसका वक़्त नही आया है. अब हम मिल गये हैं तो हमे कोई नही रोक सकता हमारा मिलन होने से.

राधिका- कैसे मर्द हो तुम राहुल एक लड़की खुद अपनी इज़्ज़त देना चाहती है और तुम मना कर रहे हो. आज मेरे पीछे हज़ारों की लाइन लगी हैं. मगर मैं जमाना पीछे छोड़कर बस तुम्हारे लिए ये सब करना चाहती हूँ. प्लीज़ राहुल मुझे अपना लो. मेरी प्यास शांत कर दो राहुल. वरना मैं बहक जाउन्गि.

राहुल- कैसे मैं तुम्हें समझाऊ राधिका ये ठीक नही है कल को अगर तुम बिन ब्याही मा बन गयी तो ज़माना तुम पर हसेगा.

राधिका- मुझे ज़माने की कोई फिकर नही है राहुल. ज़माना हंसता है तो हँसे. मैं तुम्हारे लिए बिन ब्याही मा बनने को भी तैयार हूँ. इस वक़्त मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.

तभी रामू काका कमरे में आते हैं और बोलते हैं कि खाना बन गया है. आप दोनो नीचे मूह हाथ धोकर बैठिए मैं खाना निकाल देता हूँ. फिर रामू काका कमरे के बाहर चले जाते हैं.

राधिका- जानते हो राहुल अपने अंदर इस आग को मैने पूरे 22 साल तक रोका है. आज मेरा सब्र टूट चुका है. आज अगर मेरी ये आग ठंडी नही हुई तो राहुल मैं कहीं बहक कर कोई ग़लत काम ना कर बैठू कि कभी फिर तुम्हारी नज़रों में फिर उठ ना पाऊ.

राहुल- ऐसा कुछ नही होगा राधिका. मुझे तुम पर पूरा विश्वास है. अब जल्दी से मूह हाथ धो लो और खाना खाने चलो.

राधिका- ठीक हैं लेकिन कब तक मुझसे बचते फ़िरोगे देख लेना एक दिन ये खबर ज़रूर आएगी कि एक लड़की ने पोलिसेवाले का रेप किया..

और राहुल मुस्कुरा देता हैं.

राहुल - मैं आपने आप को बहुत किस्मत वाला समझूंगा जिस्दीन तुम मेरा रेप करोगी...........इतना कहकर राधिका और राहुल दोनो मुस्करा देते हैं.

थोड़ी देर में राधिका और राहुल नीचे खाना खाते हैं और ऐसे ही बातों में 4 बज जाते हैं और राहुल राधिका को घर पर लाकर छोड़ देता है. और वो सीधा थाने चला जाता है.............

राधिका सीधे वहाँ से अपने घर आती है. और घर आकर घर का मंज़र देखकर उसके होश उड़ जाते हैं. घर पर उसके बड़े भैया एक हाथ में शराब की बॉटल लिए और दूसरे हाथ में सिग्रेट की कश लेकर फर्श पर बैठे पूरे नशे में धुत थे. वो अचानक राधिका को देखकर चौंक जाते है और शराब की बॉटल को अपने पीछे छुपाने की कोशिश करते हैं..
 
राधिका- भैया , ये आपने क्या हाल बना रखा हैं. और आप इस वक़्त शराब पी रहे हैं. आपको शरम नही आती घर पर ये सब करते हुए.

कृष्णा- राधिका!! मेरी बेहन तू कहाँ रह गयी थी आज, आने में इतनी देर कर दी.

राधिका-भैया कभी तो होश में रहा करो. दिन रात शराब में ही डूबे हुए रहते हो. घर की थोड़ी भी चिंता है क्या आपको.

कृष्णा- चिंता हैं ना, बहुत चिंता है. घर पर एक जवान बेहन हैं. मुझे उसकी शादी भी तो करनी है. लेकिन तुझे तो मेरी कोई चिंता ही नही है.

राधिका- ये आपको किसने कह दिया कि मुझे आपकी चिंता नही हैं. अगर आपको पीने से फ़ुर्सत मिले तब तो आपको कुछ दिखेगा ना.

कृष्णा- अगर तुझे मेरी इतनी ही चिंता होती तो तू मेरी बात क्यों नही मान लेती. आख़िर क्या बुराई हैं इसमें.

सब लोग तो करते हैं फिर ...............

राधिका- भैया प्लीज़ इस वक़्त आप होश में नही हो इस लिए कुछ भी बोल रहे हो. आपका नशा उतर जाएगा तो फिर बात करेंगे.

जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा जल्दी से उठकर उसका हाथ पकड़ लेता है और राधिका को अपने करीब खीच लेता हैं.

राधिका- भैया ये क्या बदतमीज़ी हैं. छोड़ दीजिए मेरा हाथ. आप इस वक़्त बिल्कुल होश में नही हैं. मेरा इस वक़्त आपके सामने से चले जाना ही बेहतर हैं.

कृष्णा- तू कहीं नही जाएगी जो कुछ भी बात होगी मेरे सामने होगी, और अभी होगी , इसी वक़्त. कृष्णा की आँखों में तो जैसे खून उतर आया था राधिका जैसे ही उसकी नजरो में देखती हैं वो वही डर से सहम जाती है और रुक जाती हैं.

राधिका- आपको थोड़ी भी समझ हैं भैया कि आप मुझसे क्या माँग रहे हैं. भला कोई भाई अपनी ही बेहन से ...................

राधिका इतना बोलकर चुप हो जाती हैं.

कृष्णा- इसी बात का तो दुख हैं राधिका कि तू मेरी बेहन हैं. अगर तू मेरी बीवी होती तो तुझे रात दिन मैं प्यार करता.

राधिका- देखिए भैया अब बात हद्द से ज़्यादा बढ़ रही हैं. आप प्लीज़ जा कर सो जाइए जब आपका नशा उतर जाएगा तो बात करेंगे.

कृष्णा- मैं पूरे होश में हूँ राधिका. मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा तेरी ज़रूरत हैं.

राधिका- भैया और भी तो ज़रूरतें होती हैं , वो तो मैं पूरा करती हूँ ना फिर................

कृष्णा- एक औरत चाहे तो अपना घर बचाने के लिए कभी बीवी, बेहन, मा, बेटी सब कुछ बन सकती हैं.तो फिर तू क्यों इतना सोचती हैं.

राधिका- हां मैं मानती हूँ कि औरत वक़्त पड़ने पर सब कुछ बॅन सकती हैं मगर बेहन से बीवी कभी नही........ये नही हो सकता. और मा ने तो आपको वचन भी दिया था ना कि अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा करना लेकिन आप ही मेरी इज़्ज़त उतारने के पीछे पड़े हुए हो.

कृष्णा- ठीक है, अगर तुझे मेरी बात नही माननी तो जा यहाँ से मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं कैसे भी जी लूँगा.

राधिका के आँख में आँसू आ जाते हैं उसे कुछ भी समझ नही आता कि वो क्या करे.

राधिका- प्लीज़ भैया मैं ये सब नही कर पाउन्गि, मैं मर जाना पसंद करूँगी लेकिन मुझसे इतना गंदा काम नही हो सकता. आप जानते हो कि भाई बेहन का रिश्ता कितना पवित्र होता हैं. और आप................

कृष्णा- गुस्से से लाल होते हुए..... राधिका !!! बस बहुत हो गया , अब तेरा मेरा कोई रिश्ता नही, आज से मैं तेरा कोई नही..तुझे तो अपनी झूठी शान और इज़्ज़त की परवाह हैं ना, मेरी कोई चिंता नही ना... ये समाज ये दुनिए की फिक्र हैं ना, तब मेरा इस घर में क्या काम, और मेरा इस घर में रहने का भी अब कोई मतलब नही .....

राधिका- भैया ये आप क्या बोल रहे हो ..........प्लीज़. ... आप ऐसे नही कर सकते आप घर छोड़ कर नही जा सकते......

राधिका के आँख से आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.......वो चुप वही खड़ी गुम्सुम सी खड़ी थी. कृष्णा उठकर अपने कपड़े और कुछ समान अपने बॅग में रखने लगा.

थोड़ी देर में उसका समान पॅक हो गया और जाने के लिए जैसे वो मुड़ा वैसे ही राधिका दौड़ कर मेन डोर का दरवाज़ा जल्दी से बंद कर देती हैं.

राधिका- आप ऐसे घर छोड़ कर नही जा सकते. मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि भैया. भला ये कैसी ज़िद्द हैं भैया कुछ भी हो जाए मैं आपको जाने नही दूँगी.

कृष्णा-हट जा मेरे रास्ते से. वरना आच्छा नही होगा. मुझे इस घर में एक पल भी और नही रहना हैं. .......

राधिका- भैया मान जाओ ना प्लीज़ आप समझते क्यों नही ये नही हो सकता. मैं आपको कैसे समझाऊ...........

कृष्णा- चल हट जा, मुझे अब कुछ समझने की ज़रूरत नही है. आज से समझ लेना कि मैं तेरे लिए मर चुका हूँ.

राधिका- आपने आँसू पोछते हुए. भैया रुक जाइए ना प्लीज़ मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि.........

कृष्णा- एक शर्त पर ही रुकुंगा बोल जो मैं चाहता हूँ वो तू करने को तैयार हैं कि नही . अगर तेरा जवाब ना हैं तो मैं अब किसी भी हाल में यही नही रहूँगा.............

लगभग कुछ देर तक राधिका यू ही खामोश रहती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका कर ज़मीन की ओर देखती हैं.

कृष्णा- नीचे क्या देख रही हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए..................हा ..........या ............... नाअ..................

राधिका- भैया ये कैसी ज़िद्द मैं.....मैं तुम्हें कैसे समझाऊ............

कृष्णा- मुझे तेरा ज़बाब चाहिए. हां ...........या ......ना.............

राधिका- अपने आँखों से आँसू पोछते हुए.. ठीक हैं भैया अगर आपकी यही ज़िद्द हैं तो मैं आपके साथ वो सब करने को तैयार हूँ. अगर इसी में आपको खुशी मिलती हैं तो आइए आपका जो दिल में आए मेरे साथ कर लीजिए मैं आपको आब मना नही करूँगी. . आइए और अपनी हवस की आग को ठंडा कर लीजिए और तब तक जब तक आपका मन नही भरता.

इतना कहकर राधिका अपना दुपट्टा नीचे ज़मीन पर फेंक देती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसकी आँखो से अब भी आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.

कृष्णा भी राधिका की बात को सुनकर लगभग शर्म से अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं और धीरे से राधिका के करीब आता हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका, मुझे ये शराब जीने नही देती, जब मैं नशे में होता हूँ तो मुझे कुछ पता ही नही चलता कि क्या सही है और क्या ग़लत. और तू है भी इतनी खूबसूरत कि जब भी मैं तुझे देखता हूँ अपना सब कुछ भूल जाता हूँ. मुझे ये भी ध्यान नही रहता कि तू मेरी बेहन है.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--11

कृष्णा भी अब राधिका के बिल्कुल करीब आ जाता है और उसके आँखों से बहते हुए आंसूओं को अपने हाथ से पोछता हैं.और झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है.

कृष्णा- मैं सच में कितना गिरा हुआ इंसान हूँ ना राधिका. अपनी ही सग़ी बेहन के साथ मैने ऐसे कैसे सोच लिया.पर क्या करू ये ज़हर मुझे कुछ सोचने नही देती. मुझे ये भी पता नही चलता कि क्या सही हैं और क्या ग़लत.

और इतना बोलते बोलते कृष्णा के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं. वो भी फुट फुट कर रो पड़ता हैं. राधिका भी उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और फिर उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.

कृष्णा- राधिका अब मैं ये ज़हर को छोड़ना चाहता हूँ. मुझे तुम्हारा साथ चाहिए. बोलो दोगि ना मेरा साथ.

राधिका- भैया अगर जान भी माँग लेते तो भी मैं हॅस्कर दे देती. मैं वादा करती हूँ भैया हर रास्ते पर, हर सुख दुख में राधिका आपका साथ देगी.

इतना सुनकर कृष्णा, राधिका के माथे को चूम लेता हैं. और फिर उसके सीने पर सर रख कर उसके आगोश में लेट जाता हैं.

कृष्णा- मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत थक गया हूँ राधिका. अब मैं भी इंसान बनना चाहता हूँ. अब मैं उस हरामी बिहारी की कभी गुलामी नही करूँगा. अपनी मेहनत से, और इज़्ज़त से कमाउन्गा और इस घर का पूरा खर्चा अब मेरी ज़िम्मेदारी होगी. तुझे आज के बाद मैं कोई भी दुख नही दे सकता.

राधिका-हां भैया मुझे ज़रा भी अच्छा नही लगता की आप उस बिहारी की गुलामी करो. यही ना कि हम अमीर नही हैं मुझे इस बात का कोई गम नही है ..........मैं इसी में खुस हूँ.

कृष्णा - राधिका सच में मुझे विश्वास नही होता कि तू मेरी बेहन हैं. काश तू मेरी बीवी होती तो मेरा जीवन सफल हो जाता. इतना कहकर कृष्णा मुस्कुरा देता हैं.

राधिका- क्या भैया आप भी ना, नही सुधरोगे, अगर मैं आपकी बीवी नही हूँ तो क्या हुआ अब मैं आपके लिए बीवी भी बनने को तैयार हूँ. लेकिन जब मैने अपने आप को आपके हवाले कर दिया तो आप पीछे क्यों हट गये. क्यों नशा उतार गया था क्या???

कृष्णा- मुझे रेप करना बिल्कुल अच्छा नही लगता.मैं नही चाहता कि तुम मज़बूरी में मेरे साथ सेक्स करो. मैं तो तुम्हें सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ. देख लेना तुम बहुत जल्दी अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करोगी. ये कृष्णा की ज़ुबान हैं..............

राधिका- ऐसा कभी नही होगा भैया. मैं आपसे कभी अपनी मर्ज़ी से सेक्स नही कर सकती. अगर जिस दिन ये बात सच हो गयी ना.............. फिर राधिका अपने आप को तुम्हारे कदमों में बिछा देगी..........................और अगर ऐसा नही हुआ तो जो मैं बोलूँगी वो आपको करना होगा.

कृष्णा- तो लग गयी शर्त. अगर तुम 2 हफ्ते के अंदर मेरे से खुद सेक्स करने को नही कहोगी तो जो तुम चाहो..............मगर मैं अगर शर्त जीत गया तो फिर.....................

राधिका- ठीक हैं भैया अगर आप शर्त जीत गये तो जो आपका दिल करे मुझसे करवा लेना. मैं आपको कभी किसी बात के लिए मना नही करूँगी.ये राधिका का वादा हैं..........................

कुछ देर में ऐसी बाते करते करते कृष्णा राधिका की गोद में ही सो जाता हैं और राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती है कि उसने जो किया क्या वो सही था. .....................

फिर वो धीरे से कृष्णा को बेड पर सुला कर उसे कंबल से ढक देती हैं. और खाना बनाने किचन में चली जाती हैं.
 
आज उसकी ज़िंदगी का बहुत बड़ा दिन था. आज एक तरफ तो उसका प्यार उसे मिल गया था तो दूसरी तरफ उसका परिवार बनता सा नज़र आ रहा था. आज पता नही क्यों पर आज उसे अपने भैया पर बहुत प्यार आ रहा था. और वो काफ़ी खुश थी. उसके दिल से मानो बहुत बड़ा बोझ उतर गया था. वो भी खाना खा कर बिस्तेर पर लेट जाती हैं और उसके दिमाग़ में कयि तरह के सवाल अब भी घूम रहे थे. यही सब सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी उसे पता भी नही चला.............................

सुबह वो जल्दी से उठकर नाश्ता बनाती है और कृष्णा भैया के कमरे में जाती है. देखती हैं कि वो अब भी सोए हुए हैं. वो जाकर उन्हें जागती हैं.

राधिया- भैया उठो ना कब तक सोते रहोगे. नाश्ता तैयार हैं.

कृष्णा- राधिका तू तो आज कमाल की लग रही हैं. आओ ना मेरे पास मेरे बाजू में आकर बैठ जाओ.

राधिका- क्यों घर का काम आप करोगे क्या. मुझे इस वक़्त बहुत काम हैं.

जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा उसको एक झटके से अपनी तरफ खीच लेता हैं और वो कृष्णा के उपर गिर पड़ती हैं. कृष्णा राधिका के कमर में हाथ डाल देता हैं वो अपने से राधिका को चिपका लेता हैं.

राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. छोड़ो मुझे, भला कोई ऐसे भी अपनी बेहन के साथ करता हैं क्या.

कृष्णा- राधिका एक किस का तो मेरा हक़ बनता हैं. तुम मुझे रोज़ सुबह एक प्यारा सा किस दिया करो फिर मेरा दिन भी बहुत बढ़िया जाएगा.

राधिका- अगर नही दिया तो क्या कर लोगे. ....

कृष्णा- तो जबरजस्ति लूँगा.

राधिका- अच्छा आपको तो ज़बारजस्ति कोई भी चीज़ पसंद नही हैं ना फिर .................

कृष्णा- अगर ऐसे ही मेरे उपर सोई रहोगी तो सचमुच मुझे तुम्हरे साथ जबारजस्ति करनी पड़ेगी.

राधिका भी तुरंत अपने होश संभालती हैं और वो झट से कृष्णा के उपर से उठ जाती हैं.

कृष्णा- राधिका फिर जाने के लिए मुड़ती हैं तो कृष्णा राधिका के हाथ पकड़ लेता हैं और वो वही रुक जाती हैं.

राधिका- छोड़ो ना मेरा हाथ भैया. आपको ज़रा भी शरम नही आती.

कृष्णा- हाँ तुझसे कैसा शरमाना तू तो मेरी अपनी हैं. गैरों से परदा किया जाता हैं अपनों से नहीं.

राधिका- तो इसका मतलब अब मैं आपके सामने बिल्कुल बेशरम बन जाउ क्या. ???

कृष्णा- राधिका प्लीज़ एक किस ही तो माँग रहा हूँ ना. इससे ज़्यादा कुछ नहीं.बस तुम वो दे दो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा.

राधिका- भैया मुझे बहुत शरम आ रही हैं. ये मैं नही कर सकती. प्लीज़ छोड़िए मेरा हाथ......

कृष्णा- देखो राधिका, कहीं ऐसा ना हो कि मेरा इरादा बदल जाए तो मैं कुछ और ना माँग लूँ. इस लिए ..............इतना बोलकर कृष्णा चुप हो जाता हैं.

राधिका- लगता हैं आप मुझे अपनी तरह पूरा बेशरम बनाने पर तुले हुए हैं. खुद तो बेशरम हो और अब...............

कृष्णा- तू बहुत नखरे करती है. इतना बोलकर कृष्णा तुरंत राधिका के होंठ पर अपनी ज़ुबान रख देता हैं और तुरंत ही वो किस करके अपना मूह हटा लेता है. राधिका इससे पहले कुछ समझ पाती वो किस करके हट चुका था.

राधिका- ये क्या किया आपने सच में आप बहुत गंदे हो. इतना बोलकर राधिका किचन में दौड़कर चली जाती हैं.

राधिका का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. उसका अपने जिंदगी में दूसरा किस था. एक तो राहुल के साथ और दूसरा अपने भैया के साथ.

ऐसे ही वक़्त बीत जाता हैं और राधिका तैयार होकर कॉलेज चली जाती हैं
 
कॉलेज पहुँच कर वो अपनी क्लासस अटेंड करती है और दोपहर के बाद वो और निशा बिल्कुल फ्री हो जाती हैं और वो दोनो एक गार्डेन में चली जाती हैं.

निशा- बता मेरी जानेमन क्या हाल खबर हैं.

राधिका- यार मुझे तुझसे एक बात करनी है समझ में नही आ रहा कि तुझे कैसे बताऊ.

निशा- ओह........हो......... क्या बात हैं आज तो आपके तेवर कुछ बदले बदले से लग रहे हैं. कहिए जान क्या बात हैं.

राधिका-राधिका थोड़ी देर इधेर उधेर की बातें करती हैं फिर वो उसे कृष्णा भैया वाली सारी बातें बता देती हैं. लेकिन राहुल वाली बातें छुपा लेती है.

निशा- राधिका!!! आर यू मॅड!!!!!!!!!!!! क्या तुम पागल तो नही हो गयी हो. भला ये कैसी शर्त तूने अपने भैया से लगा दी. यार तू ऐसा कैसे कर सकती हैं. आइ कान'ट बिलीव.???

राधिका- लगता हैं जैसे मैने कोई बहुत बड़ी गुनाह कर दी हैं जो तू ऐसे बोल रही हैं.

निशा- बेवकूफी कहूँगी मैं इसे. जानती भी है अगर कृष्णा भैया शर्त जीत गये तो क्या ............ तू भला ऐसे कैसे कर सकती हैं.

राधिका- चिंता मत कर कुछ भी हो जाए निशा मैं खुद कभी अपने मूह से भैया से सेक्स करने को नही कहूँगी.

निशा- तू जानती नही हैं ये मर्द लोग बहुत पहुँची चीज़ होते हैं. खास कर तेरे भैया. ना जाने कितनी रंडिया के साथ अब तक सो चुके हैं.

राधिका- निशा माइंड युवर लॅंग्वेज. मुझे मेरे भैया के बारे में ये सब बातें बिल्कुल पसंद नही है. प्लीज़..............चुप हो जाओ.

निशा भी चुप हो जाती हैं. और कुछ देर तक गहरा विचार करती हैं.

निशा- एक बात कहना चाहूँगी राधिका ये जान ले कि अगर तू शर्त हार गयी और वो सब तू अपने भैया के साथ करेगी तो समाज़ में तेरी कितनी बदनामी होगी इसका तुझे अंदाज़ा भी है.. तेरे भैया पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर तेरा जीना मुश्किल हो जाएगा. किस किस को तू जवाब देगी, कितनो का मूह बूँद करेगी. बता.....................

राधिका- मुझे इस समाज़ से कोई लेना देना नही हैं. मुझे बस अपने भैया की चिंता हैं. वो बस सुधर जाए अगर इसके बदले उन्हें मेरी इज़्ज़त भी दाँव पर लगानी पड़े तो मैं तैयार हूँ. और हां अगर भैया मेरे साथ सेक्स करने को बोलेंगे तो मैं उन्हें मना भी नही करूँगी.

निशा- मुझे समझ नही आ रहा कि तू ऐसा क्यों करना चाहती हैं. आख़िर क्या मिलेगा तुझे ये सब करके. क्यों तू अपनी जिंदगी दाँव पर लगा रही हैं.......

राधिका- निशा तू चिंता मत कर देख लेना एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा मुझे पूरा विश्वास हैं.,राधिका मुस्कुरा देती हैं और निशा भी उसे गले लगा लेती हैं. और राधिका और निशा वापस घर चल देती हैं.

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जैसे ही राधिका घर आती हैं कृष्णा घर पर नही होता हैं. वो भी करीब 1 घंटे में वापस घर आ जाता हैं.

राधिका के लिए दो-धरी तलवार जैसी बात होने वाली थी. एक तरफ तो वो खुद कृष्णा भैया के हाथों में खुद को सौपना चाहती थी, वही दूसरी तरफ वो इकरार भी नही करना चाहती थी. पता नहीं क्यों पर कृष्णा भैया के करीब जाते ही वो एक दम मदहोश सी होने लगी थी. वो अपना सब कुछ भूल जाती थी. पता नही क्या बात थी उसके भैया में जो उसको बार बार उसके तरफ खींच रही थी.

राधिका- आरे भैया कहाँ गये थे आप आज इतनी देर कहाँ लगा दी.

कृष्णा- वो आज काम कुछ ज़्यादा था ना. इसलिए...

राधिका- आपको काम भी मिल गया क्या....

कृष्णा- हां जब मेहनत मज़दूरी ही करनी हैं तो काम की कमी हैं क्या. अगर बचपन में पढ़ लिख लिया होता तो ये मज़दूरी तो नही करनी पड़ती.

राधिका- एक दम से करीब चली जाती हैं और कृष्णा के हाथ को अपने हाथ में लेकर- भैया मुझे विश्वास ही नही हो रहा हैं कि आप मेरे लिए इतनी बदल सकते हैं. मैं आज बहुत खुस हूँ भैया. बोलो क्या सेवा करू आपकी.

कृष्णा- हां तो बस तू अपने मूह से हां बोल दे ना. मुझे समझ ले..................सब कुछ मिल जाएगा.

राधिका- भैया मैं आपको किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी. जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. और मैं आपको रोकूंगी भी नहीं. मगर मैं अपने मूह से खुद कभी नही कहूँगी. चाहे कुछ भी हो जाए..................

कृष्णा- अच्छा अगर यही तेरी ज़िद्द हैं तो मैं भी जब तक तेरे मूह से खुद ना कहलवा दूं मैं भी तेरे साथ सेक्स नहीं करूँगा. जब तू खुद आकर मेरे पास कहेगी तभी मैं तेरे साथ करूँगा.

राधिका- अच्छा आप मूह हाथ धो लीजिए मैं आपके लिए चाइ बना देती हूँ. और राधिका किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं.

कृष्णा भी मूह हाथ धोकर किचन में राधिका के पीछे जाकर सॅट कर खड़ा हो जाता हैं. और राधिका चौक कर पीछे मुड़ती हैं.

राधिका- क्या है भैया आप वही बैठिए मैं चाइ लेकर आती हूँ.

कृष्णा- नही तुझे एक पल भी छोड़ने का दिल नही कर रहा. और फिर कृष्णा पीछे से राधिका के दोनो हाथों पर अपने दोनो हाथ रख देता हैं. और एक दम धीरे धीरे वो उंगली फेरना चालू कर देता हैं. राधिका की भी दिल की धड़कन एक दम तेज़ हो जाती हैं. और उखड़ी आवाज़ में बोलती हैं.

राधिका- भैया ..... मुझे कुछ....कुछ हो रहा है ...प्लीज़ आप ऐसे मत छुओ ...... ना मुझे.

कृष्णा- बताओ ना राधिका क्या हो रहा है तुम्हें. ज़रा मैं भी तो जानू.

राधिका- नही भैया मुझे शरम आ रही हैं. प्लीज़ मैं नही बता सकती. हटो मुझसे दूर ....

कृष्णा-अब जब तक तुम नही बताओगि तब तक ये हाथ नही रुकेंगे. और कृष्णा धीरे से अपनी गर्देन नीचे झुका कर राधिका की गर्देन पर अपने होठ रख देता है और धीरे से चूम लेता हैं. और राधिका एक दम सन्न रह जाती हैं.

राधिका अपनी आँखें धीरे से बंद कर लेती हैं और कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी गर्देन से चूमता हुआ उसके कान तक पहुँच जाता हैं और राधिका के मूह से ज़ोर से सिसकारी निकल पड़ती हैं.

राधिका- आ.......हह.......प्लीज़ भैया, मुझे कुछ............ हो रहा हैं भैया.........प्लीज़ अब बस करो.........मैं मर जाउन्गि..........

कृष्णा- बोलो ना राधिका वही तो मैं जाना चाहता हूँ कि तुम्हें क्या हो रहा है.

राधिका कैसे बताए कि उसे क्या हो रहा था, लाख कोशिश करने के बाद भी उसके मूह से कोई शब्द बाहर ही नही निकल रहे थे. राधिका भी अब धीरे धीरे बहकती जा रही थी. अब धीरे धीरे उसके जिस्म से उसका कंट्रोल ख़तम हो रहा था. उसकी साँसें भी उखड़ने लगी थी. अगर ऐसे ही कुछ देर चलता रहा तो ...................

कृष्णा का भी हाथ धीरे धीरे राधिका के कंधे तक आ चुका था. और दूसरी तरफ वो राधिका के गर्देन को लगातार चूम रहा था. राधिका की भी आँखों में हवस सॉफ नज़र आ रही थी. मगर बहुत संघर्ष के बाद वो कृष्णा को अपने से दूर हटाने में सफल हो जाती हैं.

राधिका- लीजिए भैया चाइ बन गया. हटिए पीछे वरना चाइ गिर जाएगी.

तभी उसके घर का बेल बजती हैं .

कृष्णा जाकर डोर खोलता है. सामने उसका बाप (बिरजू) नशे में धुत था. वो लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है.

कृष्णा- कल रात तुम कहाँ थे बापू. रात भर घर नही आए.

बिरजू- अरे मैं वो बिहारी के वहाँ रुक गया था कल कुछ उसके वहाँ पार्टी थी,ना,. .......

बिरजू-और तू आज क्यों नही आया वहाँ पर. मालिक पूछ रहे थे तुझे.

कृष्णा- मुझे अब वहाँ उनकी गुलामी नही करनी है. अब मैं अपनी मेहनत मज़दूरी से इस घर को चलाउन्गा.

बिरजू- हंसते हुए.........ये तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है . तुझे क्या हो गया है कृष्णा .आरे वो ही हमारे माई बाप है.

कृष्णा- वो मैं नही जानता बस. अब मैं उसकी चौखट पर कदम नही रखूँगा.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--12

बिरजू- चल बेटा जैसी तेरी मर्ज़ी. मैं तुझे ज़्यादा दबाव नही दूँगा. तुझे जो करना हैं कर..

थोड़ी देर में उन्दोनो के बीच इधेर उधेर की बातें होती हैं और राधिका भी उनके लिए खाना ले आती हैं. तीनो मिलकर खाना खाते हैं और राधिका जैसे ही बिस्तर पर जाती हैं वो बहुत बेचैन सी होने लगती हैं. उसे दिल में आता हैं कि वो जाकर अपने भैया के पास अपना जिस्म सौप दे. मगर अभी उसे लगा कि सही वक़्त नही आया है. इसलिए वो उठकर ठंडा पानी पीती हैं और अपने साँसों को पूरा कंट्रोल करती हैं. बहुत कोशिश के बाद उसे नींद आ ही जाती हैं.

सुबह वो उठकर नाश्ता बनाती हैं और उसके बापू सुबह ही घर से बाहर निकल जाता हैं. और थोड़ी देर में कृष्णा भी काम पर चला जाता हैं. आज उसके बाप की वजह से राधिका आज बच गयी थी. नही तो आज कृष्णा भैया उसे ज़रूर परेशान करते. आज उसकी छुट्टी थी इसलिए वो आज घर पर अकेली थी सोच रही थी कि क्या करू. फिर वो नहाने चली जाती हैं.

इधेर विजय दिन-ब-दिन बेचैन होता जा रहा था. पता नही राधिका ने उसके उपर कैसा जादू कर डाला था. वो सुबह शाम हर रोज़ राधिका के नाम की मूठ मारा करता था. अब तो राधिका को पाने की जुनून उसके अंदर समा चुकी थी. वो किसी हाल में राधिका को पाना चाहता था. जब उसके सब्र का बाँध टूट गया तो वो फ़ौरन अपनी गाड़ी निकाल कर राधिका के घर के तरफ चल पड़ा....

कुछ देर में विजय एक गुलाब का फूल लेकर राधिका के मेन डोर पर खड़ा था. राधिका भी फ्रेश होकर घर में अकेली बैठी थी. तभी घर का बेल बजा. राधिका के चेहरे पर खुशी छलक पड़ी. उसे अंदाज़ा था कि पक्का राहुल ही होगा. वो दौड़ कर मैं डोर खोलती हैं.

सामने विजय को देखकर वो एक दम से चौक जाती हैं.

राधिका- आप................. यहाँ इस वक़्त.

विजय- क्यों राधिका नही आ सकता क्या . शायद तुम किसी और का वेट कर रही थी. आइ थिंक राहुल...................हैं ना.

राधिका- प्लीज़ आप इसी वक़्त यहाँ से चले जाइए.

विजय- कमाल हो मेडम इतनी दूर से तुमसे मिलने आया हूँ कम से कम पानी तो पिला दो. मैं चला जाउन्गा. और विजय अंदर आकर सोफे पर बैठ जाता हैं.

राधिका किचन में जाकर उसके लिए पानी ले आती हैं.

विजय- तुमको देख कर तो ऐसा नही लगता कि तुम ऐसे घर में भी रहती होगी. तुम्हारा इस घर में दम नही घुटता क्या.

राधिका- जी मैं इस घर में खुस हूँ .कहिए मुझसे क्या ज़रूरी काम था आपको.

विजय- सच कह रहा हू राधिका, क्या तुम इस घर में वाकई में खुस हो. मुझे तुम्हारी ये ग़रीबी देखी नही जाती. अगर तुम्हें मेरी मदद की ज़रूर हो तो.................

राधिका- नो थॅंक्स , बोल दिया जो आपको बोलना था. अब आप जा सकते हैं.

विजय- उपर वाला भी कमाल करता हैं, जिसको इतनी खूबसूरती दी उसको सजने, सवरने के लिए कुछ भी नही दिया ,बस ग़रीबी दे दी. और जिसको पैसे दिया उसको खूबसूरती नही दी. राधिका मैं तुमसे जी जान से प्यार करता हूँ. थाम लो मेरा हाथ मैं तुम्हें रानी बनाके रखूँगा. सच कहूँ मैने तुम जैसे लड़की कभी सपने में भी नही देखी है. तुम कमाल की खूबसूरत हो.

राधिका- गुस्से से लाल होते हुए. अगर आप राहुल के दोस्त नही होते तो मेरी सॅंडल अब तक आपका गाल को लाल कर चुकी होती. मैं बस इस लिए चुप हूँ कि आप उनके दोस्त हैं. और राहुल आपकी इज़्ज़त करता हैं. कहीं ऐसा ना हो कि मैं उसको आपकी सारी कर्तूते बता दूं तो सोच लीजिए फिर आपका क्या होगा..............

विजय- देखो राधिका मैं तुमसे प्यार से बात कर रहा हूँ तो तुम ऐसे मेरी ऐसे बे-इज़्ज़ती नही कर सकती. आखरी बार कह रहा हूँ कि मेरा हाथ थाम लो नही तो ..........
 
राधिका- अच्छा तो अगर मैने तुम्हारा हाथ नही थामा तो तुम अब जबर्ज़स्ति पर उतर आओगे. क्या कर लोगे बताओ.

विजय- गुस्से से चिल्लाते हुए. साली तुझे अपनी खूबसूरती पर बहुत गरूर हैं ना.... देख लेना एक दिन तेरी इज़्ज़त सबके सामने ऐसा उतारूँगा कि साली दुनिया को मूह दिखाने के काबिल नही रहेगी...

राधिका का एक ज़ोरदार तमाचा विजय के गाल पर पड़ता हैं और उसका गाल एक दम लाल हो जाता हैं. उसके बाद फिर राधिका उसके दूसरे गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा फिर से जड़ देती हैं.

राधिका- आपकी भलाई इसी में हैं कि आप यहाँ से फ़ौरन चले जाइए वरना मैं अभी राहुल को फोन करके तुम्हारी सारी करतूत बता दूँगी.

विजय- जा रहा हूँ राधिका, जा रहा हूँ. लेकिन याद रखना ये थप्पड़ तुझे बहुत भारी पड़ेगा. तेरा तो मैं वो हाल करूँगा कि जब तक तू जिएगी आपने आप को कोस्ती रहेगी , हमेशा भगवान से यही दुआ करेगी की भगवान मुझे मौत दे दे.

राधिका- गेट आउट, यू रास्कल, आइन्दा मेरे सामने दुबारा आए तो तेरा मूह नोच लूँगी.

और विजय तुरंत घर से बाहर निकाल जाता हैं.

विजय मन में बार बार राधिका से प्रतिशोध लेने को कर रहा था. उसकी ज़िंदगी में कभी किसी ने ऐसी बेइज़त्ती नही की थी. और उसने सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब वो राधिका को नहीं छोड़ेगा.

राधिका का भी मूड ऑफ हो गया था. फिर वो जाकर बिस्तर पर लेट जाती हैं और सोचती हैं कि आज मेरी खूबसूरती ही मेरी दुश्मन बनती जा रही हैं. सब इंसान चाहते हैं कि मैं खूबसूरत दिखू, सब मुझे ही पसंद करे, पर मेरा तो जीना मुश्किल होता जा रहा है..

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वहाँ से दूर बिहारी की हवेली में.

बिहारी की उमर करीब 50 साल . मोटा और वजह करीब 90 किलो के आस पास. देखने में बहुत बदसूरत चेहरा, मूह में पान चबाते हुए वो अपनी सीढ़ी पर से नीचे उतरते हुए आता हैं. वैसे वो इस सहर का एमलए हैं तो उसकी पहुँच भी बहुत दूर तक थी. इस वजह से कोई भी उससे जल्दी दुश्मनी नही लेता था. जो भी उसके खिलाफ जाता या तो वो उसको गायब करवा देता या फिर जान से मरवा देता. आस पास उसके चम्चे काफ़ी थे. वो अक्सर उन्ही लोग से घिरा रहता था.

बिहारी- का रे ससुरा तेरा बिटवा क्यों नही आ रहा हैं दो दिन से . तबीयत तो नही खराब हो गयी उसकी.

बिरजू- मालिक !! ऐसी कोई बात नही हैं. बस उसका दिल नही लग रहा हैं शायद इसलिए.???

बिहारी- अरे बिरजू देख ना हमारा जूता पर धूल लग गया हैं, चल जल्दी से इसको सॉफ कर दे,

बिरजू- जी मालिक, और अपने कपड़े से ही वो बिहारी के जूते सॉफ करने लगता हैं.

बिहारी-कहीं ऐसा तो नही हैं कि तेरी बेटी के पल्लू में जाकर छुप गया वो , बिहारी हंसते हुए बोला.

बिरजू- मालिक ये आप क्या बोल रहे हैं. कृष्णा ऐसा नही हैं.

बिहारी- मैं जानता हूँ मगर राधिका तो ऐसी चीज़ हैं ना.कसम से क्या बेटी पैदा किया हैं तूने.

बिरजू- मालिक बस आप चुप हो जाइए मुझे मेरी बेटी के बारे में ये सब सुनना अच्छा नही लगता.

बिहारी- अरे तेरी बेटी की तारीफ ही तो कर रहा हूँ. खैर अभी क्या कर रही हैं वो.

बिरजू- जी मालिक अभी पढ़ रही हैं,

बिहारी- क्या करेगा उसको पढ़ा लिखा कर, कोई कलेक्टर वल्लेक्टोर तो नही बनाना हैं ना.बस ब्याह कर के अपने पति का बिस्तेर गरम करेगी और क्या??

बिरजू- मालिक, बस भी कीजिए,

बिहारी- मैं तो कहता हूँ बिरजू कि तू अपनी लड़की की शादी मुझसे करा दे, पूरी ज़िंदगी उसको रानी बनाके रखूँगा. किसी चीज़ की कमी भी नही होने दूँगा. देख मेरे पास क्या नही है आज. बड़े बड़े लोग मेरे पाँव छूते हैं और मेरे जैसे आदमी को तो कोई भी बाप अपनी बेटी देना चाहेगा, चिंता मत कर दहेज मैं बिल्कुल नही लूँगा बल्कि तुझे मैं पैसों से तौल दूँगा.

बिरजू- मालिक ये नहीं हो सकता, मैं राधिका से इस बारे में कभी बात नही कर सकता, वो पहले से ही मेरी वजह से दुखी है. अब मैं उसको और दुख नही दे सकता.

बिहारी- ठीक हैं कोई बात नहीं इस बारे में मैं खुद ही उससे बात करूँगा.

बिरजू- नही मालिक मेरी बेटी को आप बक्ष दीजिए. हम जैसे हैं उसी में खुस हैं. वो आपका प्रस्ताव कभी नही मानेगी.

बिहारी ज़ोर से एक लात बिरजू को मारता हैं औ वो वही दर्द से बैठ जाता हैं- कुत्ता कहीं का!!! मेरी ही ख़ाता है और मुझसे ही ज़ुबान लड़ाता हैं. अगर तेरी बेटी मेरी नही हुई तो मैं उसे और किसी की होने भी नही दूँगा. उसकी भलाई इसी में है कि मुझसे शादी करले, नही तो कल को तेरी बेटी किसी कोठे की शान ज़रूर बनेगी.

बिरजू- मालिक आप तो पहले से ही शादी शुदा हो. और राधिका तो आपके बेटी जैसी हैं. मालिक मुझे माफ़ कर दो.....

बिहारी- कुत्ता ,तू बहुत कमीना है रे, अगर तू इस वक़्त ज़िंदा है तो बस तू अपनी बेटी की वजह से वरना अब तक मैं तेरा यहाँ पर लाश बिछा दिया होता.

बिरजू- मालिक आपको जो मेरे साथ सुलूख करना है कर लीजिए पर मेरी बेटी को छोड़ दीजिए.

बिहारी- तेरी बेटी हैं ही ऐसी मैं क्या करू. कसम से वो एक नशा हैं. कभी ना ख़तम होने वाला एक नशा

बिरजू- मालिक आप सीधे कृष्णा से क्यों नही बात कर लेते. अगर वो चाहे तो ............... इतना बोलकर बिरजू चुप हो जाता हैं.

बिहारी अच्छे से जानता था कि कृष्णा से इस बारे में बात करना खुद से बग़ावत करने के बारबार हैं. क्यों कि राधिका के तरफ जो आँख उठा के एक बार देख ले तो उसकी आँखे निकाल लेगा. और बिहारी कृष्णा से बेवजह उलझना नही चाहता था. क्यों कि वो किसी के दबाव में नही रहता था. भले ही वो अपनी बेहन से कैसे भी पेश आता हो मगर राधिका की तरफ उठने वाले हाथ को वो ज़रूर तोड़ सकता था.कृष्णा को भी भनक थी कि बिहारी की नज़र उसकी बेहन पर हैं मगर आज तक उसे कोई पक्का सुबूत नही मिला था.इस वजह से वो चुप था.

वही दूसरी तरफ उसके बाप को कोई दुनियादारी से कोई मतलब नही था. उसे तो बस पीने से मतलब था. उसके लिए चाहे पैसे कहीं से मिले. इसी बात का बिहारी उससे हमेशा फायेदा उठाता था. इसी वजह से उसी के सामने वो अक्सर राधिका के बारे में बात करता रहता. लेकिन जब कृष्णा होता तो वो राधिका की बात ग़लती से भी नही निकालता.
 
वही दूसरी तरफ राधिका भी तैयार होकर राहुल से मिलने चली जाती हैं. अभी कुछ देर पहले उसके मोबाइल पर राहुल का फोन आया था. थोड़ी देर में वो दोनो एक गार्डेन में मिलते हैं.

राधिका- बोलो आज कैसे मुझे याद किया. आख़िर तुम्हें मेरी याद आ ही गयी. हर वक़्त काम और सिर्फ़ काम . काम से फ़ुर्सत मिलेगी तब तो मुझे याद करोगे ना.

राहुल- आइ आम सॉरी डियर पर क्या करू आज कल मैं बिल्कुल टाइम नही निकाल पाता. कैसे भी करके आज समय मिला हैं.

राधिका- अभी से ये हाल हैं तो शादी के बाद तो मुझे भूल ही जाओगे.

राहुल- मर जाउन्गा राधिका पर तुम्हें भूल जाउ ये कभी नही हो सकता.

राधिका- अच्छा चलो , बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे. राहुल मुझे तुम्हारा दोस्त विजय बिल्कुल भी अच्छा नही लगता तुम क्यों नही छोड़ देते उसका साथ.

राहुल- क्यों क्या हुआ?? कुछ प्राब्लम हैं क्या???

राधिका- कुछ प्राब्लम होगी तब ही उसका साथ छोड़ोगे क्या. मैं तुमसे पहले भी कह चुकी हूँ कि वो मुझे बिल्कुल पसंद नही.

राधिका वो सारी बातें (विजय के साथ ) राहुल को नही बताती हैं जो सुबह हुआ था.

राहुल- छोड़ो ना यार तुम भी क्या लेकर बैठ गयी. आज कुछ स्पेशल करें क्या.???

राधिका- अच्छा तो जनाब आज क्या स्पेशल करना चाहते हैं ज़रा मैं भी तो सुनू.

राहुल- सोच रहा हूँ कि आज किसी अच्छे से होटेल में चलते हैं.

राधिका- सच में!!! लेकिन तुम्हें तो वो सब बिल्कुल अच्छा नही लगता फिर आज कैसे मूड बदल गया.

राहुल- ओह गॉड!!! तुम नही सुधरोगी , मैं तो ये कह रहा हूँ कि चलो चल कर किसी अच्छे होटेल में खाना खाने चलते हैं और तुम कुछ और ही समझ रही हो.

राधिका- तो पूरी बात बोलनी थी ना, अब मेरे पर क्यों भड़क रहे हो.

राहुल और राधिका नज़दीक एक होटेल में चले जाते हैं और राधिका खाने का ऑर्डर करती हैं. थोड़ी देर में खाना आ जाता हैं और दोनो खाना खाते हैं.

राहुल- वैसे कल मैने छुट्टी ले ली हैं. कल मैं तुम्हारे साथ अपना पूरा वक़्त बिताना चाहता हूँ.

राधिका- सच में!!! वैसे कल क्या हैं.

राहुल- अरे कल मेरी जान का बर्तडे हैं तो कल हम आपका बर्तडे सेलेब्रेट करेंगे. इतना सुनते ही राधिका खुशी से उछल पड़ती हैं.

राधिका- राहुल तुम्हें मेरा बर्तडे कैसे मालूम तुम्हें किसने बताया.

राहुल- अरे जान, पोलीस वाला हूँ तुम्हारी हर बात की खबर रखता हूँ. बोलो खुस हो ना. अपना बर्तडे मेरे साथ सेलेब्रेट करोगी ना......

राधिका- हां राहुल मैं कल सुबह तुम्हारे घर आउन्गि. फिर हम दोनो मिलकर सेलेब्रेट करेंगे.

राहुल- बोलो क्या प्रेज़ेंट चाहिए. जो कहोगी दूँगा.

राधिका- मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए राहुल. मैं बस यही चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ जिंदगी भर रहो. मेरे पास. मेरे दिल में, मेरी आत्मा में, मेरी धड़कन में. मैं अपने जिस्म के हर रोम रोम में तुम्हें बसा लेना चाहती हूँ. आइ लव यू राहुल.

राहुल- वो तो ठीक हैं पर प्रेज़ेंट क्या चाहिए.

राधिका जो तुम्हारा दिल करे दे देना.

और कुछ देर बाद राहुल बिल पे करता हैं और राधिका को घर ड्रॉप करता हैं. राधिका सच में बहुत खुस थी. आज उसे लगा कि उसे जानत मिल गयी है. घर आकर वो नहाने चली जाती हैं और फ्रेश होकर खाना बनाने लगती हैं.

शाम को उसके भैया घर आते हैं और मूह हाथ धोकर उसके नज़दीक जाते हैं. और फिर राधिका के कंधे पर अपने दोनो हाथ रखकर उसकी गर्देन पर चूम लेते हैं. राधिका का दिल फिर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता हैं.

राधिका- क्या भैया आप भी ना ,,,छोड़िए मुझे, आप तो दिन -ब-दिन बेशरम होते जा रहे हैं.

कृष्णा- अपनी बेहन के करीब ही तो हूँ. तो इसमें बेशरम की क्या बात हैं.

राधिका- भला कोई अपनी ही जवान बेहन के बदन को ऐसे छूता है क्या.आपको मालूम हैं ना आपके छूने से मेरे दिल पर क्या बीतति हैं.

कृष्णा- वही तो मैं जानना चाहता हूँ राधिका कि मेरे छूने से तुमको क्या होता हैं और कृष्णा धीरे धीरे अपने होंठ सरकाते हुए राधिका के कान से लेकर उसके लब तक पूरा चाटने लगता हैं.

राधिका भी अब धीरे धीरे बहकने लगती हैं. उसके निपल्स भी एक दम खड़े हो जाते है.

राधिका- बस करो भैया, मुझे कुछ हो रहा है मैं अब बर्दास्त नही कर पा रहीं हूँ.

कृष्णा-तो अपने मूह से एक बार बोल क्यों नही देती, जब तक तू नही बोलेगी मैं तुझे नही छोड़ूँगा.

राधिका- प्लीज़......... भैया क्यों मेरी जान लेने पर तुले हुए हो. भैया मैं बहक जाउन्गि प्लीज़.............

कृष्णा- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू बहक जाए राधिका, पता नही क्यों तुझे देखकर तुझसे प्यार करने को जी चाहता हैं.

राधिका- तो मुझसे प्यार करो ना भैया मैने कब मना किया है, पर प्लीज़ ऐसे मत तडपाओ.

कृष्णा- जब तक तू अपने मूह से खुद नही कहेगी मैं तेरे साथ सेक्स नही करूँगा, ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.................

राधिका- आख़िर मैने आपको पूरा छूट तो दे ही दी हैं आप चाहे तो मेरे पूरे जिस्म को छू सकते हैं, फिर ऐसा क्यों........

कृष्णा- तू नही समझेगी राधिका , जाने दे बस तू हां बोल दे बस .................

धीरे धीरे राधिका का भी जिस्म जवाब देता जा रहा था. उसे पता था ऐसे ही कुछ देर और चला तो वो अपना होश खो देगी और अपना सब कुछ भूलकर अपना जिस्म अपने भैया को सौप देगी.

लेकिन उसने ठान लिया था चाहे कुछ भी हो जाए वो अपनी वर्जीनीटी अपने राहुल को ही सौपेगी. क्यों कि वो राहुल से बे-इंतेहा प्यार करती थी और उसकी नज़रोमें में वो गिरना नही चाहती थी. इतना सोचकर वो कृष्णा भैया को अपने से दूर हटाने में सफल हो जाती हैं.

राधिका- बस भैया, रुक जाइए,अभी इसका सही समय नही आया हैं. जब वक़्त आएगा तो मैं खुद ही अपना जिस्म आपके हवाले कर दूँगी. ये राधिका का वादा हैं.

कृष्णा भी इतना सुनकर राधिका से दूर हट जाता हैं.

कृष्णा- मैं इंतेज़ार करूँगा राधिका. मुझे उस पल का बहुत बे-सबरी से इंतेज़ार रहेगा..
 
वक़्त के हाथों मजबूर--13

तारीख 1-4-2009

जब सुबह राधिका की आँख खुलती हैं तो सामने वो अपने भैया को देखकर चौंक जाती हैं. उसके भैया बिस्तर से एकदम सटे बैठे हुए थे. और राधिका के जागने का इंतेज़ार कर रहे थे.

राधिका-भैया आप इतनी सुबह , आप मेरे कमरे में क्या कर रहे हैं.

कृष्णा- हॅपी बर्तडे राधिका. और कृष्णा उसके पास जाकर उसके माथे को चूम लेता हैं.

राधिका- आपको मेरा जनमदिन याद था क्या भैया. सच में मैं बहुत खुस हूँ. और राधिका कृष्णा के गले लग जाती हैं.

कृष्णा वही पर एक गिफ्ट पॅक निकल कर राधिका को थामता हुआ कहता हैं- ये लो तुम्हारा प्रेज़ेंट.

राधिका- लगभग खुशी से चीखते हुए इसमें क्या हैं भैया.

कृष्णा- खुद ही खोल कर देख लो, शायद तुम्हें पसंद आए.

राधिका- ऐसा तो हो नही हो सकता कि आपका दिया गिफ्ट मुझे पसंद ना आए. और राधिका वो गिफ्ट पॅकेट खोल कर देखती हैं. जैसे ही वो गिफ्ट खोलती हैं वो खुशी से खिल उठती हैं.

गिफ्ट में एक कीमती साड़ी जिसका कलर लाल था, जो कि बहुत ही खूबसूरत लग रहा था. और एक ग्रीटिंग कार्ड भी था. राधिका ग्रीटिंग निकाल कर पढ़ती हैं तो उसमें कृष्णा का हॅपी विश लिखी होती हैं जिसे पढ़कर राधिका के आँख से खुशी के आँसू छलक पड़ते हैं.

राधिका- सच में भैया आज मैं बहुत खुस हूँ. मुझे आपका प्रेज़ेंट बहुत अच्छा लगा.

और कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं.

कृष्णा- मैं चाहता हूँ कि तू शाम को ये साड़ी मेरे लिए पहने. मैं तुम्हें इस साड़ी में देखना चाहता हूँ.

राधिका- ठीक हैं भैया मैं आपकी ख्वाहिश ज़रूर पूरी करूँगी. और फिर राधिका कृष्णा के एक बार फिर गले लग जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी काम पर चला जाता हैं और राधिका भी झट से नहा धोकर तैयार होने लगती हैं. तभी उसका मोबाइल बजता हैं. फोन निशा का था. वो भी उसे हॅपी बर्तडे विश करती हैं और कुछ देर हाल चाल पूछकर फोन रख देती हैं. तभी फिर उसका मोबाइल पर कॉल आता हैं. इस बार फोन राहुल का था.

राहुल- मेरी जान हॅपी बर्तडे , मैं अभी थोड़ी देर में आ रहा हूँ तुम्हें लेने, तैयार रहना.

राधिका- तो जल्दी आओ ना, मैं भी कब से तुम्हारा वेट कर रही हूँ. और फिर वो फोन रख देती हैं.

थोड़े देर के बाद वो एक नया सूट पहन कर पूरी तरह से रेडी हो जाती हैं. कुछ ही मिनिट्स में राहुल भी आ जाता हैं.

राहुल उसे अपनी गाड़ी में बिठाकर उसे अपने घर की ओर ले जाता हैं. सुबह के 9 बज रहे थे इसलिए राहुल आज उसे पूरा समय देना चाहता था.

थोड़ी देर में वो दोनो राहुल के घर पहुँच जाते हैं. और राहुल के पीछे पीछे राधिका भी उसके घर में आ जाती हैं. घर पर रामू काका थे.

जैसे ही वो घर के अंदर पहुँची है वो घर को देखकर उसकी चेहरा खुशी से खिल उठता है. राहुल ने पूरे घर को सजाया हुआ था. जगह जगह बलून लगे हुए थे. कुल मिलाकर कमरा एक दम खूबसूरत लग रहा था.

राधिका- वॉट अ सर्प्राइज़ राहुल, मैने कभी सपने में भी नही सोचा था कि तुम मेरे लिए इतना सब कुछ..............

राहुल- तुम्हारे सिवा हैं की कौन मेरा जो मैं अब इतना भी नही कर सकता.

राधिका उसको अपने सीने से लगा लेती हैं. और अपना होन्ट राहुल के होंठ पर रखकर एक प्यारा सा किस देती है. आइ लव यू राहुल.वादा करो मेरा साथ तुम कभी नही छोड़ोगे .

राहुल- वादा करता हूँ राधिका ये हाथ मरते दम तक नही छोड़ूँगा. अब तो बस मुझे तुम्हारे लिए ही जीना हैं. तुमने ही तो मुझे जीना सिखाया हैं.

राधिका- मैं भी अब तुम्हारा साथ कभी नही छोड़ूँगी राहुल. चाहे कुछ भी हो जाए हमारा प्यार अब कभी कम नही होगा.
 
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