XXX Hindi Kahani मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ - SexBaba
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XXX Hindi Kahani मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

hotaks444

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मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ

दोस्तो एक और कहानी पेशएखिदमत है दोस्तो इस कहानी का ताना बना कुछ इस तरह है की दो दोस्त मिलकर कुछ ऐसा प्लान करते हैं की एक लड़के को लड़की बनकर रहना पड़ता है और जब वह लड़की बन कर एक परिवार मे जाता है तो.................यह बात 18 अगस्त 2013 मुंबई की रात की है स्टेज लगा हुआ था और एक बेहद खूबसूरत लड़की.. जिसकी उम्र कोई लगभग 20 साल की होगी.. वो नाच रही थी और तमाशा देखने वाले उसे देख कर मज़ा ले रहे थे। कोई उसके चूतड़ों पर हाथ मार देता.. तो कोई उसके मम्मों को दबा देता।
सभी- अरे मेरी राधा.. वाह क्या नाचती है तू.. उम्माह.. मज़ा आ गया.. तेरे जिस्म को तो छूने दे.. अरे भागती कहाँ है तू..
सुनील- अरे अरे.. भाई साहब मेहरबानी करके बैठ जाओ.. देखो आप ऐसा करोगे ना.. तो हम अभी नाच-गाना बन्द कर देंगे।
यह है सुनील.. इस नाटक मंडली का करता-धरता.. दरअसल ये लोग किसी की शादी वगैरह में प्रोग्राम करते फिरते हैं बाकी ऐसा कोई खास नहीं.. बस अपना गुजारा चला लेते हैं।
रात को जब प्रोग्राम ख़त्म हुआ तो यह नाटक मंडली अपने घर की ओर चल दी।
रात के करीब 2 बजे एक छोटे से घर में ये सब दाखिल हुए।
अरे मैं तो आपको बताना ही भूल गई.. इनके ग्रुप में कुल 6 सदस्य हैं.. एक सुनील जो लगभग 40 साल का है.. उसे आप इन सबका बॉस कह सकते हो.. बाकी 2 हरीश और मनोज.. जो करीब 28 साल के होंगे.. ये महफ़िल में गाना गाते हैं इनके अलावा एक छोटा लड़का है.. कोई 15 साल का अनुज.. तमाशा देखने वाले जब राधा पर पैसे फेंकते हैं यही अनुज सब जमा कर लेता है.. इसका यही काम है।
आखिर में नीरज और राधेश्याम दोनों ही लगभग 20 साल के आस-पास होंगे।
नीरज प्रोग्राम में हीरो बनता है.. और राधेश्याम हीरोइन… जब डांस करना होता है दोनों साथ-साथ सबको खुश कर देते हैं। 
अरे अरे नहीं.. आप गलत समझ रहे हो.. 6 सदस्य पूरे हो गए.. इनके यहाँ लड़की नहीं है.. अपना राधेश्याम ही राधा है.. वो लड़की की ड्रेस में रहता है। उसका यही काम है और सही मायने में इस पूरे ग्रुप की जान भी वही है।
अब यह ऐसा क्यों है.. और इस कहानी में ऐसा क्या खास है.. जो मैं लिख रही हूँ.. तो दोस्तों आप अच्छे से जानते हो.. मैं ऐसी-वैसी कहानी नहीं लिखती।
इस कहानी में वो सब कुछ है.. जो आपको मज़ा देगा.. मगर अब मेरी कहानी है.. तो पन्ने धीरे-धीरे ही खुलेंगे ना!
चलिए आगे देखिएगा.. अब क्या होता है..
राधे- हट साली क्या कुतिया जैसी जिंदगी है रंडी बना कर रख दिया है सालों ने.. सोचा था.. मुंबई जाकर कुछ करूँगा.. नाम कमाऊँगा.. मगर साली किस्मत यहाँ खींच लाई।
नीरज- अरे यार.. मायूस क्यों होता है.. अब इतने साल हो गए तुझे यहाँ.. और हर बार प्रोग्राम के बाद तू ऐसे ही गुस्सा हो जाता है।
राधे- तू तो चुप ही रह साला.. तुझे क्या पता मेरे साथ क्या गुजरती है। जब मैं लड़की बनता हूँ.. साला तू बन कर देख कभी.. तब पता चलेगा..
नीरज- यार तू अच्छे से जानता है.. तेरे सिवा कोई भी लड़की नहीं बन सकता.. फिर भी हर बार यही बोलता है.. अब भगवान ने तुझे बनाया ही ऐसा है.. तो हम क्या कर सकते हैं।
दोस्तो, आपको बता दूँ कि राधे के जिस्म की बनावट एकदम लड़की जैसी थी.. उसका चेहरा और बदन एकदम लड़कियों जैसा.. छोटे-छोटे हाथ और हाथ-पाँव पर एक बाल का नाम नहीं.. यहाँ तक कि बचपन से आज तक राधे के चेहरे पर भी बाल नहीं आए.. भगवान ने उसको लड़की बनाते-बनाते लड़का बना दिया.. बस झांटें और लौड़ा दे दिया.. ताकि वो मर्द लगे.. उसके सीने पर भी बाल नहीं थे।
वह ऊपर वाला चूचों को थोड़े बड़े कर देता तो भी चलता.. बेचारा जब प्रोग्राम पर जाता है.. टेनिस की 2 बॉल लगा कर ब्रा पहनता है.. और हाँ आपको एक खास बात बता दूँ।
राधे का लौड़ा करीब 8″ का है.. और मोटा भी ऐसा कि.. हाथ में बराबर ना आए और हाँ मिमिक्री तो ऐसी कमाल की करता है खास कर लड़की की आवाज़ तो ऐसी निकालता है.. कि सुनने वाला 1% भी शक नहीं करता कि यह लड़का है।
इतनी बारीक और मीठी आवाज़ निकालता है कि लड़कों की ही निकल जाती है।
राधे- यार… ये भगवान ने मेरे साथ मजाक सा किया है.. मुझे ऐसा बना दिया और लौड़ा भारी-भरकम दे दिया.. साली वो रंडी शीला भी चुदवाते समय नाटक करती है.. कहती है तू बहुत तड़पा कर चोदता है.. तुझे ज़्यादा पैसे देने होंगे।
नीरज- तो साले सही तो बोल रही थी वो.. तू एक घंटा तक उसे चोदेगा.. तो डबल पैसे ही लेगी ना.. मेरा तो साला 20 मिनट में ही निकल जाता है।
राधे- पता नहीं साला.. मेरा नसीब ही ऐसा है।
नीरज- यार ये तेरे हाथ पर क्या निशान है.. अजीब सा.. मैं रोज सोचता हूँ कि पूछू.. पर भूल जाता हूँ।
राधे- पता नहीं.. बचपन का है ये.. चल सो जा.. सुबह बात करेंगे।
नीरज- यार भगवान ने तुझे ऐसा बनाया है इसके पीछे जरूर कोई वजह होगी.. देख लेना एक दिन तुम्हें समझ में आएगा कि तुम ऐसे क्यों हो.. चल सो जा.. रात बहुत हो गई है।


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दोस्तो, आप सोच रहे होंगे.. मैं यह कैसी कहानी ले आई.. जिसमें अभी तक कोई लड़की का नाम नहीं आया.. तो अब आ जाएगा.. टेंशन किस बात का है.. दरअसल यह कहानी का एक पहलू था। अब आपको कहानी का दूसरा पहलू बता देती हूँ ताकि कहानी समझने में आसानी हो।
दिन 19 अगस्त 2013, पुणे… सुबह के 7 बजे एक 45 साल का कामजोर सा आदमी कुर्सी पर बैठा अख़बार पढ़ रहा था।
ये हैं दिलीप त्यागी.. अच्छे-ख़ासे पैसे वाले हैं. इनकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं हैं तो बेचारे बस गमगीन से रहते हैं।
मीरा- गुडमॉर्निंग पापा.. ये लो आपकी चाय हाजिर है..
दोस्तो, ये हैं मीरा त्यागी.. इनकी बेटी उम्र 18 साल.. भरा-पूरा जिस्म है.. शरारती बहुत है.. अपने पापा की लाड़ली ये दिखने में एकदम आलिया भट्ट Alia Bhatt जैसी लगती हैं कोई 5 साल पहले माँ की मौत के बाद यह टूट सी गई थी.. मगर दिलीप जी ने इसे इतना प्यार दिया कि इसको कभी माँ की कमी महसूस ही नहीं हुई।
दिलीप- अरे तुम चाय लेकर क्यों आई हो.. मैंने घर में नौकर किस लिए रखे हैं. तुम काम मत किया करो।
मीरा- अरे पापा, यह कोई काम है.. अब आपको चाय तो मैं ही दूँगी.. क्योंकि आप वर्ल्ड के सबसे बेस्ट पापा हो..
दिलीप- और तुम दुनिया की सबसे अच्छी बेटी हो.. जाओ अब तैयार हो जाओ स्कूल नहीं जाना क्या?
मीरा ने आगे बढ़कर दिलीप जी के गाल पर एक पप्पी दी और ‘आई लव यू’ कहा और वहाँ से अपने कमरे में चली गई।
दस मिनट बाद वो जब वापस आई.. दिलीप जी की आँखों में आँसू थे.. वो अख़बार में देख कर रो रहे थे.. मीरा उनके पास आई और अख़बार में देखने लगी कि ऐसी क्या खबर है.. जो उसके पापा की आँखों में आँसू आ गए।
अख़बार में एक 5 साल के बच्चे का फोटो था.. नीचे लिखा था गुमशुदा की तलाश।
बस यही वो खबर थी.. मीरा समझ गई कि पापा क्यों रो रहे हैं।
उसने जल्दी से अख़बार पापा से छीन लिया और गुस्सा हो गई।
मीरा- पापा हद हो गई.. यह क्या बात हुई.. इतनी सी बात के लिए आप रो पड़े.. ऐसे कैसे चलेगा पापा.. प्लीज़..
दिलीप- मीरा यह इतनी सी बात नहीं है.. ऐसी खबर देखता हूँ तो अपने आपको कोसता हूँ.. मेरी वजह से ये सब हुआ है काश.. मैं वहाँ नहीं जाता तो अच्छा होता काश…
दिलीप जी फूट-फूट कर रोने लगे तो मीरा भी उनसे लिपट कर रोने लगी।
काफ़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही रहे.. तब कहीं उनकी नौकरानी ने आकर उनको समझाया.. तो वो चुप हुए। 
फिर मीरा अपने स्कूल चली गई और दिलीप जी वहीं रहे।
इनकी नौकरानी के बारे में भी आपको बता दूँ.. इसका नाम ममता है.. इसकी उम्र कोई 20 साल होगी.. साल भर पहले ही इसकी शादी हुई है.. इसका जिस्म भी बड़ा मादक है। लंबे बाल.. गेहुआ रंग और इसके चूचे एकदम तने हुए.. 34″ के हैं। कमर ठीक-ठाक है और उठी हुई गाण्ड भी 34″ की है.. ये दिखने में बड़ी कामुक लगती है.. मगर ये अपने काम से काम रखती है सुबह आती है शाम का खाना बना कर वापस चली जाती है।
अब यह क्या हुआ.. क्यों दिलीप जी रोए आपको बाद में बताऊँगी पहले चलिए.. अपने राधे के हाल देख आते हैं।
नीरज और राधे सुबह नहा धोकर अपने कमरे में बैठे बातें कर रहे थे।
राधे- अबे क्या बात है साले.. कहाँ जा रहा है ऐसे चमकीले कपड़े पहन कर?
नीरज- अरे मैंने बताया था ना.. साला ये नौटंकी से पेट थोड़ी भरता है.. महीने में 10 दिन काम रहता है.. बाकी 20 दिन तो बाहर कहीं हाथ-पाँव मारने ही पड़ते हैं ना.. इसी लिए काम की तलाश में जा रहा हूँ यार..
राधे- अबे साले वो तो यहाँ हम सब ऐसे ही करते है.. तू कौन सा नया जा रहा है.. मगर ये ऐसे कपड़े पहन कर तू कौन सा काम करने जा रहा है.. ये तो बता मुझे?
नीरज- यार अब तुझे क्या बताऊँ.. यहीं पास में एक सेठानी रहती हैं.. उसके ड्राइवर ने 2 दिन पहले मुझे एक काम बताया था.. आज मैं वो ही करने जा रहा हूँ।
राधे- अबे साले कहाँ जा रहा है.. मैंने ये नहीं पूछा.. काम क्या है.. वो बता.. साला कब से बात को बस घुमाए जा रहा है..
नीरज- तू अपना काम कर.. सारी बात तुझे बताऊँ.. ये जरूरी है क्या.. साला दिमाग़ चाट गया मेरा..
नीरज वहाँ से निकल गया और अपनी मंज़िल की ओर बढ़ने लगा। कुछ ही देर में वो एक बिल्डिंग के सामने जा कर रुका और किसी को फ़ोन लगाया।
दो मिनट उसने किसी से बात की.. शायद वो पता पूछ रहा था और फ़ोन रखने के बाद सीधा उस बिल्डिंग में दाखिल हो गया 8वें माले पर जाकर एक फ्लैट की उसने घन्टी बजाई।
थोड़ी देर में दरवाजा खुला तो एक 21 साल की लड़की.. जो दिखने में एकदम Indian Sexy Bollywood Actress Anushka Sharma जैसी लग रही थी.. काले रंग के मैक्सी टाइप के कपड़े उसने पहने हुए थे।
वो बस सवालिया नजरों से नीरज को देख रही थी।
नीरज- न..नमस्ते.. मेमसाब.. मेरा नाम नीरज है.. आपके ड्राइवर राजू ने मुझे यहाँ भेजा है।
वो लड़की कुछ नहीं बोली नीरज को वहीं रुकने का इशारा करके.. अन्दर चली गई। कुछ देर बाद एक 40 साल की मोटी सी औरत बाहर आई.. जिसका जिस्म एकदम बेढंगा था.. मोटी-मोटी जाँघें.. गाण्ड बाहर को निकली और लटकती हुई सी.. उसका सांवला रंग था।
ये राखी मेहता हैं.. एक हाउस-वाइफ.. और अभी जो आई थी.. वो इसकी बेटी नीतू थी। कोई नहीं कह सकता था कि ऐसी भद्दी औरत की ऐसी खूबसूरत बेटी होगी.. मगर यही सच्चाई थी।
राखी- तो तुम हो नीरज?
नीरज- जी..जी.. मैडम मैं ही हूँ..
राखी- पहले कभी मालिश की है किसी की.. और सब साफ-सफ़ाई भी करनी होगी.. सब पता है ना तुमको.. बाद में कोई झिक-झिक नहीं होनी चाहिए..
नीरज- जी..जी.. सब पता है.. मैं कर लूँगा..
राखी- ठीक है.. आ जाओ.. 1000 रुपये से एक पैसा ज़्यादा नहीं दूँगी… जाओ वो सामने वाला कमरा है.. वहीं हैं बाबूजी और बाथरूम में सब सामान रखा हुआ है.. ले लेना..
 
दोस्तो, आप समझ रहे होंगे कि अब ये किसी औरत की मालिश करेगा और मज़ा आएगा.. मगर ऐसा नहीं है किसी बूढ़े आदमी की मालिश करने आया है बेचारा.. तभी तो शर्म से इसने राधे को कुछ नहीं बताया था।
जब नीरज उस कमरे में गया.. एक 80 साल का बूढ़ा बिस्तर पर लेटा हुआ था.. उसने बस एक धोती पहनी थी.. वो एक मरियल सा एकदम सा आदमी बुड्डा था। 
उसे देख कर नीरज थोड़ा घबरा गया.. मगर हिम्मत करके वो आगे बढ़ा और बूढ़े को नमस्ते किया।
तभी कमरे में नीतू आ गई। 
नीतू- वो मैं बताने आई थी कि वहाँ अलमारी में पुराना पजामा रखा है.. वो पहन लेना.. तुम्हारे कपड़े गंदे होने से बच जाएँगे और बाबूजी बोल-सुन नहीं सकते हैं.. इशारे से इनको सब बता देना.. ओके.. अब मैं जाती हूँ.।
उसके जाने के बाद नीरज अपने आप से बड़बड़ाने लगा।
नीरज- साला राजू तेरे चक्कर में यहाँ कपड़े अच्छे पहन कर आ गया.. साले ने बोला था कि अच्छे कपड़े पहन कर आना.. तभी मैडम यहाँ रखेंगी.. साला हरामी.. अब इस बूढ़े की झांटें साफ करो.. साली क्या गान्डू लाइफ है।
वो बड़बड़ाता हुआ अलमारी के पास गया.. वहाँ पुराना सा एक शॉर्ट्स मिला.. उसने अपने कपड़े निकाल कर साइड में रखे और बाथरूम से तेल.. रेजर.. साबुन सब ले आया। 
बिस्तर पर साइड में एक चादर बिछा कर बूढ़े को सीधा उस पर लिटा दिया और वो अपने काम में लग गया।
नीरज- साले बूढ़े.. जब हिल-डुल नहीं सकता तो क्यों जी रहा है.. मर क्यों नहीं जाता भोसड़ी के.. तुझे बड़ा मज़ा आ रहा होगा झांटें साफ करवाने में.. तेरा लौड़ा तो एक इन्च का रह गया होगा.. कभी खड़ा भी होता है क्या..?
नीरज बस अपने आप ही बड़बड़ा रहा था.. बूढ़े की उम्र के हिसाब से लौड़ा सिकुड़ कर लुल्ली बन गया था।
नीरज ने बूढ़े के सारे बाल साफ किए.. फिर पानी से साफ किया। अब मालिश की तैयारी में था कि तभी बाहर से आवाज़ आई।
राखी- मैं बाहर जा रही हूँ.. काम हो जाए तो मेरी बेटी से पैसे ले लेना.. सब अच्छे से साफ करके सामान अपनी जगह पर रख कर जाना.. समझे?
नीरज- ज..जी.. मेम.. सब आप बेफिकर होकर जाओ..
उसके जाने के बाद नीरज ने जल्दी-जल्दी अपना काम ख़त्म किया। वो सब साफ-सफ़ाई करके जब अपने कपड़े पहन कर जाने लगा..
तभी नीतू कमरे में आ गई।
उसका तो रूप रंग ही बदल गया था.. उसने कपड़े भी दूसरे पहन लिए थे।
अब नीतू के बाल खुले हुए थे.. उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और एक पतली सी नाईटी उसने पहनी हुई थी। उसके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे।
नीरज- ज्ज..जी.. कहिए.. मेरा काम हो गया है.. अब मैं जा रहा हूँ..
नीतू- अभी कहाँ हो गया.. यहाँ पहले मेरे कमरे में आओ..
नीरज खुश हो गया कि चलो बूढ़े की सेवा का फल शायद अब मिल जाएगा। वो नीतू के पीछे-पीछे चला गया।
कमरे में जाकर नीतू बिस्तर पर बैठ गई और नीरज को देख कर मुस्कुराने लगी।
नीरज- जी कहिए मैडम जी.. क्या काम है?
नीतू- कभी किसी लड़की की मालिश की है तूने?
नीरज- जी की तो नहीं.. मगर कर सकता हूँ..
नीतू- अच्छा क्या लोगे.. अगर मैं मालिश कराऊँ तो?
नीरज की तो बोलती ही बन्द हो गई.. ये बात सुनकर ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. इतनी खूबसूरत लड़की की मालिश करने को मिलेगी..
नीरज- जी.. कुछ भी देना आप..
नीतू- ठीक है मॉम के आने के पहले मुझे खुश कर दो तो 1000 तो तुम्हें देने ही हैं.. 1000 और दे दूँगी.. मगर मुझे खुश कर दोगे तो.. वरना कुछ भी नहीं मिलेगा।
नीरज- आप बे-फिकर रहो.. मैं बहुत अच्छे से मालिश कर दूँगा।
नीतू- अच्छा ये बात है.. तो दिखाओ अपना कमाल.. आ जाओ.. बैठ जाओ यहाँ..
नीरज को कुछ समझ नहीं आया कि वो उसे नीचे बैठने को क्यों बोल रही है।
नीरज- मेरे यहाँ बैठने से क्या होगा मालिश आपकी करनी है आप लेट जाओ तब मालिश होगी ना..
नीतू- बस मुझे मत सिख़ाओ क्या करना है और क्या नहीं.. मुझे जिस्म की नहीं चूत की मालिश करवानी है.. इसे चाट कर मज़ा दो.. मेरा ब्वॉय-फ्रेण्ड 2 दिन के लिए बाहर गया हुआ है.. बड़ी आग लगी है मेरी चूत में.. इसलिए थोड़ा चाट कर ठंडा कर दो।
नीरज- ओह्ह.. क्यों नहीं.. मैं अभी आपकी चूत की आग मिटा देता हूँ.. लाओ मुझे दिखाओ तो अपनी प्यारी सी चूत..

नीतू- ज़्यादा चूत-चूत कह कर होशियारी मत कर.. बस मुँह से चाटनी है.. हाथ टच नहीं होना चाहिए.. नहीं तो गए तेरे पैसे.. समझा?
नीतू ने अपनी नाईटी ऊपर कर दी तो उसकी पाव-रोटी जैसी फूली हुई चूत सामने आ गई.. जिसे देख कर ये अनुमान लगाया जा सकता था कि इसको बड़ी बेदर्दी से चोदा गया है.. बहुत सूजी हुई भी थी।
ऐसी प्यारी चूत देख कर नीरज की तो लार टपकने लगी.. वो बस शुरू हो गया.. चूत को चाटने लगा।
नीतू सिसकारियाँ भरने लगी.. उसको चूत चटवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था.. इधर नीरज का लौड़ा भी फुंफकार मारने लगा था.. मगर वो कुछ कर भी तो नहीं सकता था ना.. बस चुपचाप चूत चाटता रहा।
नीतू- आईई.. आह्ह.. जीभ की आह्ह.. नोक अन्दर तक डालो.. आह्ह.. चोदो जीभ से.. आह्ह.. ओउह आह्ह.. मज़ा आ रहा है आह्ह.. आईई.. ज़ोर से चाटो आह्ह..
नीरज मज़े से पूरी चूत पर जीभ घुमा कर चूस रहा था.. चूत से कामरस टपकने लगा था.. वो उसे चाट कर मज़ा ले रहा था।
नीतू अब गाण्ड को हिलाने लगी थी.. उसका पानी निकलने वाला था.. वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी। 
नीरज भी पूरी ताक़त से जीभ घुसा-घुसा कर उसको चोदने लगा। आख़िरकार नीतू की चूत ने पानी की धार मार ही दी.. जो नीरज पी गया.. उसने पूरी चूत को साफ कर दिया था। अब नीतू ठंडी पड़ गई थी और बिस्तर पर निढाल हो कर सो सी गई.. आनन्द के मारे उसकी आँखें बन्द थीं।
नीरज का लौड़ा बगावत पर उतर आया.. वो ऐसी मस्त चूत में घुस जाना चाहता था।
नीरज ने आव देखा ना ताव.. और नीतू पर टूट पड़ा.. उसके मम्मों को दबाने लगा.. उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ कर चूसने लगा.. मगर ये मज़ा बस कुछ ही सेकण्ड का था.. क्योंकि नीतू ने उसे ज़ोर से धक्का देकर अपने से अलग किया और गुस्से में आग-बबूला हो गई।
नीतू- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई.. मुझे छूने की.. कुत्ते निकल जाओ यहाँ से.. नहीं अभी पुलिस को बुलाकर अन्दर करवा दूँगी.. 
उसके गुस्से से नीरज डर गया।
नीरज- स..स..सॉरी.. मुझे माफ़ कर दो.. मैं समझा कि अब आप शांत हो गई.. तो मैं भी थ..थ..थोड़ा मज़ा ले लूँ..
 
नीतू ने उसके गालों पर एक थप्पड़ जड़ दिया और गुस्से से बोली- साले मुझे छूने की तेरी औकात नहीं है तूने ऐसा सोचा भी कैसे? चल अब भाग जा..
नीरज ने अपने पैसे माँगे तो नीतू साफ मुकर गई, उसने कहा- तूने जो हरकत की है.. वो उसके बदले पूरे हो गए.. अब जाओ नहीं तो शोर मचा कर सब को बुला लूँगी।
बेचारा मरता क्या ना करता.. मन में गालियां निकलता हुआ.. वहाँ से निकल गया।
वहाँ से निकल कर नीरज जब जा रहा था तो रास्ते में एक पुरानी सी दुकान की साफ-सफ़ाई हो रही थी.. उसमें से अख़बार का एक बण्डल भी दुकान वाले ने बाहर फेंका.. जो काफ़ी पुराना था.. नीरज ने सोचा खाना खाने के समय अख़बार नीचे रखने के काम आएँगे.. सो उसने वो बण्डल उठा लिया और वहाँ से चला गया।
शाम तक ऐसा कोई खास वाकिया नहीं हुआ.. बस जैसे रोज होता है वही हुआ।
रात को नीरज कमरे में अकेला बैठा बोर हो रहा था.. तो उसने वो पुराने अख़बारों में एक अखबार उठा कर देखना शुरू कर दिया और एक जगह आकर उसकी निगाह रुक गई या यूं कहो.. आँखें फटी की फटी रह गईं।
नीरज ने उस खबर को गौर से पढ़ा और पास की दराज से पेन कागज निकाला और अख़बार से कुछ नोट किया… फिर उस अख़बार को फाड़ कर अपनी जेब में डाल लिया और बाहर निकल गया।
दोस्तो, इसको जाने दो.. हम लोग राधे के पास चलते हैं.. शाम के समय अक्सर वो बाहर पीता है.. और कहीं ना कहीं मुँह काला करता है।
आपको भी कब से ऐसे ही किसी वाकये का इन्तजार होगा.. तो खुद ही देख लीजिएगा।
राधे एक कमरे में बैठा हुआ था.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी और सामने एक 25 साल की लड़की.. जो दिखने में ठीक-ठाक सी थी.. एक मैक्सी पहने हुए उसके पास बैठी थी.. उसे देखते ही पता चल रहा था कि यह एक वेश्या है.. इसका नाम शीला है।
राधे- जानेमन… बस 2 घूँट और बाकी है इसको पी लूँ उसके बाद तेरी चुदाई करूँगा।
शीला- अरे मेरे राजा.. मेरी चूत पर डाल कर चाट ले.. ये बाकी की बीयर.. तुझे मज़ा आ जाएगा..
राधे- चल हट साली.. तेरी चूत पर मुँह कौन लगाएगा.. साली दिन में 10 लौड़े खाती है.. हाँ कोई कच्ची कली की चूत मिल जाए तो 2 घूँट क्या पूरी बोतल चूत पर डाल कर पी जाऊँगा..
शीला- हा हा हा.. तुझे कहाँ से मिलेगी ऐसी चूत.. सपने देख मेरे राजा.. अब आ भी जाओ.. धंधे का टैम है.. खोटी मत कर.. जल्दी चोद और निकल यहाँ से.. दूसरा भी आता होगा..
राधे- अबे साली रंडी.. ऐसे ही चुदवाएगी क्या.. कपड़े तो निकाल.. मुझे भी निकालने दे..
शीला ने एक झटके में मैक्सी निकाल फेंकी.. नीचे उसने कुछ नहीं पहना था।
शीला- ले राजा.. रंडी तो नंगी ही होती है.. अब आ जा जल्दी से..
शीला का जिस्म देखने में ठीक-ठाक सा था 38 इन्च के उसके भरे हुए मम्मों को और 36 की बाहर को निकली हुई गाण्ड.. चूत की चमड़ी लटकी हुई थी.. जिसे देख कर पता चल रहा था कि इसको न जाने कितने लौड़ों ने मसला होगा।
 
राधे ने पैन्ट निकाल दी.. उसका लौड़ा आधा खड़ा हुआ था.. जिसे देख कर शीला ने अपने हाथ से सहलाया।
शीला- अभी खड़ा भी करना होगा साले.. तेरा लौड़ा है तो मज़ेदार.. मगर तू बड़ा बेदर्द है तड़पाता बहुत है मुझे..
राधे- अब ज़्यादा बातें ना बना.. मुँह में लेकर चूस.. तब खड़ा होगा.. यह तू जानती है ना.. यह इसकी आदत है.. बिना मुँह में जाए ये तेरे भोसड़े को चोदने के लिए राज़ी नहीं होता..
शीला ने लौड़े को चूसना शुरू कर दिया.. दो मिनट में वो तनकर फुंफकारने लगा। 
अब राधे ने शीला को घोड़ी बनाया और लौड़ा चूत में पेल दिया.. घपा-घप वो शीला को चोदने लगा। वो भी गाण्ड हिला-हिला कर चुदने लगी.. वो अजीब-अजीब सी आवाजें निकालने लगी और निकालेगी भी ना.. आख़िर यही तो उसका पैसा है.. वो तो ऐसे ही लोगों को खुश करती है।
करीब 25 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दोनों शांत हो गए.. अब वो पत्नी तो थी नहीं.. जो उसकी बाँहों में पड़ी रहती.. पानी निकला नहीं कि उठ कर खड़ी हो गई और वापस अपनी मैक्सी पहन ली।
राधे भी वहाँ क्या करता.. बेचारा वहाँ से अपने घर की ओर निकल गया।
चलो अब आपको मीरा के पास ले चलती हूँ.. देखते हैं वो क्या कर रही है अभी..
मीरा अपने कमरे में बैठी मोबाइल पर गेम खेल रही थी, तभी उसके पापा हाँफते हुए कमरे में आए.. उन्हें ऐसे देख कर मीरा डर गई।
मीरा- पापा क्या हुआ..??? आप ठीक तो हैं ना.. ऐसे हाँफ क्यों रहे हो आप…??
पापा- उम्म में ठीक हूँ.. अभी आह्ह.. एक फ़फ्फ़..फ़ोन आया था.. कोई तुम्हारी बहन के बारे में बात कर रहा था आह अह..
मीरा- क्या पापा.. आप ये क्या बोल रहे हो इतने सालों बाद दीदी के बारे में पता चला.. कहाँ है वो? किसने फ़ोन किया था पापा बताओ?
अपनी बहन की खबर सुनकर मीरा की आँखों में आँसू आ गए थे.. मगर ये ख़ुशी के आँसू थे.. अब क्या हुआ.. क्या नहीं.. ये तो उसके पापा ही उसको बताएँगे.. तभी पता चलेगा ना.. मगर मैं आपको कुछ बता देती हूँ कि आख़िर यह बहन का क्या चक्कर है।
दरअसल बहुत साल पहले एक मेले में मीरा की बड़ी बहन खो गई थी.. तब से लेकर आज तक दिलीप जी गम में थे.. इसी सदमे से उसकी पत्नी बीमार रहने लगी थी और एक दिन उनसे बहुत दूर चली गई थीं।
दिलीप जी ने बहुत कोशिश की.. अपनी बेटी को खोजने की.. मगर वो नाकाम रहे.. पैसे को पानी की तरह बहा दिया.. मगर कोई फायदा नहीं हुआ.. आज बरसों बाद उनकी उम्मीद दोबारा जागी थी। अब ये फ़ोन किसका आया होगा.. चलो आप खुद देख लो।
पापा- अभी किसी का फ़ोन आया था.. वो बोल रहा था कि आपकी बेटी खो गई थी ना.. उसके बारे में कुछ बात करनी है.. मैंने कहा हाँ बताओ प्लीज़ मेरी बेटी कहाँ है? तो बोला कि कल सुबह पूरी बात बताएगा और उसने फ़ोन काट दिया।
मीरा- बस इतना ही बताया.. ओह पापा.. वो कौन था.. कहाँ से फ़ोन किया कुछ नहीं बताया? अब सुबह ही पता चलेगा आज नींद भी नहीं आएगी.. ओह कब सुबह होगी दीदी के बारे में पता लगेगा।
दोनों बाप-बेटी वहीं बैठे बातें करने लगे।
 
उधर राधे जब कमरे में पहुँचा तो नीरज उसका इन्तजार कर रहा था।
नीरज- अरे मेरे दोस्त आ गया तू.. आजा आजा.. आज तुझे ऐसी खबर सुनाऊँगा कि तू अपने सारे गम भूल जाएगा..
राधे- अबे ऐसी क्या खबर लाया है साले.. कोई लॉटरी लग गई क्या तेरी?
नीरज- अरे ऐसा ही कुछ समझ.. मेरी नहीं हमारी बोल भाई.. अब सारी जिन्दगी मज़े से गुजारने का समय आ गया है.. देख ये अख़बार देख..
राधे अख़बार को गौर से देखने लगा जो काफ़ी पुराना था.. उसमें एक छोटी लड़की की तस्वीर थी और गुम हो जाने की खबर थी.. साथ ही ढूँढने वाले को 5 लाख का इनाम देंगे.. ऐसा कुछ था। 
राधे ने सब देखा और गुस्से से नीरज की ओर देखा..
राधे- साले 1999 की खबर है.. जिसमें साफ लिखा है कि यह 6 साल की लड़की है। अब इस लड़की को कहाँ ढूँढ़ता फ़िरेगा तू.. अब तक तो यह जवान हो गई होगी।
नीरज- सही कहा तूने.. अब तक तो ये जवान हो गई होगी.. मगर उसके घर वाले अब भी उसको ढूंढ रहे हैं।
राधे-तुझे कैसे पता बे ये सब?
नीरज- तू चुप रह मेरी पूरी बात सुन पहले.. उसके बाद बोलना ओके..
राधे- चल बता क्या बात है?
नीरज- सुन.. आज ये पुराना पेपर मुझे मिला.. इसमें दिया नम्बर मैंने देखा और एसटीडी से कॉल किया.. मैं बस ये देखना चाहता था.. वो लड़की मिली या नहीं.. जैसे ही मैंने फ़ोन किया.. एक आदमी ने उठाया और मैंने बस इतना कहा कि आपकी बेटी खो गई थी ना.. उसके बारे में बात करनी है.. वो रोने लगा.. कहाँ है मेरी बेटी.. प्लीज़ बताओ.. बरसों बाद आज उसकी कोई खबर आई है.. वो उतावला हो गया.. मैंने कहा कि सुबह बताऊँगा.. बस फ़ोन काट दिया।
राधे- तो लड़की कहाँ है..
नीरज- तूने शायद पूरी खबर को गौर से नहीं देखा.. उस लड़की के हाथ पर निशान देख.. बिल्कुल वैसा ही है.. जैसा तेरे हाथ पर है।
राधे- त..त..तू कहना क्या चाहता है साले.. मुझे लड़की बना कर ले जाएगा क्या साले?
नीरज- हाँ यार.. अब इतने साल बाद वो थोड़े ही पहचान पाएँगे अपनी बेटी को.. तगड़ा माल मिलेगा.. साले ऐश करेंगे हम दोनों।
नीरज की बात सुनकर राधे कुछ सोचने लगा।
नीरज- अरे सोच मत.. बस हाँ कर दे तू.. कितने साल से लड़की बन रहा है.. बस एक बार कुछ दिनों के लिए लड़की बन जा.. उसके बाद सारी लाइफ इस अभिशाप से छुटकारा मिल जाएगा।
राधे- बात तो सही है.. मगर मैं उनके बारे में कुछ नहीं जानता.. अगर उन लोगों ने कोई सवाल पूछ लिया तो?
नीरज- अरे मेरे भाई भगवान ने इसी लिए तुझे ऐसा बनाया है कोई सवाल पूछे तो कहना याद नहीं और तुम उस समय बहुत छोटी थीं.. याद रहना जरूरी नहीं यार।
राधे- बात तो ठीक है.. चल मान ले वो मुझे अपनी बेटी मान भी लें और तुझे 5 लाख दे दें.. उसके बाद मैं वहाँ से निकलूंगा कैसे?
नीरज- अरे यार 5 नहीं अब हम 10 लेंगे.. सुन तू कुछ दिन वहाँ रहना.. तेरा हिस्सा तुझे दे दूँगा.. डर मत.. उसके बाद कोई गेम बना लेंगे यार.. अभी तो बस पैसे की सोच।
राधे- ओके चल.. अब बता करना क्या है और उस साले मास्टर का क्या करना है उसको क्या बोलेंगे?
नीरज- अरे मास्टर की माँ की आँख.. साले को बोल देंगे गाँव में दादी मर गई हैं.. कुछ दिन के लिए जाना होगा.. तू छोड़ मास्टर को.. वहाँ क्या करना है.. उसकी सुन।
दोनों काफ़ी देर तक बातें करते रहे.. उन्होंने कोई प्लान बनाया.. जिससे दोनों खुश थे कि इस प्लान में कोई कमी नहीं है.. अब पैसे आए ही समझो।
 
रात को दोनों आराम से सो गए और सुबह जल्दी उठकर नीरज बाहर गया और एसटीडी से दिलीप जी को फ़ोन लगा दिया।
दिलीप- हैलो, कौन हो आप? प्लीज़ मुझे अपनी बेटी के बारे में जानना है.. प्लीज़ पूरी बात बताओ।
नीरज- देखिए मैंने अच्छे से पता लगा लिया है.. वो आपकी बेटी राधा ही है मगर।
दिलीप जी- मगर क्या.. बोलो.. बताओ.. क्या हुआ मेरी बेटी ठीक तो है ना?
नीरज- नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. वो ठीक है.. मगर जिसने उसे पाला है.. अब उसको भी तो कुछ मिलना चाहिए ना.. आप 10 लाख दे दोगे तो राधा आपको मिल जाएगी।
दिलीप- दे दूँगा.. बस तुम मुझे मेरी बेटी से मिलवा दो प्लीज़।
नीरज- ठीक है दोपहर तक मैं राधा को ले कर आ जाऊँगा आप पैसे तैयार रखना।
दिलीप जी ने नीरज को पता दे दिया.. नीरज ने फ़ोन काट दिया। 
मीरा वहीं पास खड़ी थी.. दिलीप जी ने ख़ुशी से मीरा को गले लगा लिया और पूरी बात बताई।
मीरा- मगर पापा ऐसे अचानक दीदी का मिल जाना और 10 लाख.. मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा.. कहीं वो आदमी कोई फ्रॉड ना हो?
दिलीप- शुभ-शुभ बोल बेटी.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. उसको आने तो दो हम अच्छे से राधा को देख कर उसको पैसे देंगे।
दोनों बाप-बेटी बड़े खुश थे.. दिलीप जी ने पैसों का बंदोबस्त किया और बड़ी बेताबी से नीरज का इन्तजार करने लगे।
उधर नीरज और राधे ने पूरी तैयारी कर ली थी.. सब को ‘बाय’ बोल कर वहाँ से निकल गए।
दोपहर के 3 बजे थे.. मीरा ने जींस और टी-शर्ट पहनी हुई थी.. वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी.. दिलीप जी और मीरा हॉल में बैठे राधा के आने का इन्तजार कर रहे थे।
तभी डोरबेल बजी.. मीरा भाग कर गई और दरवाजा खोला तो सामने नीरज खड़ा था.. मगर राधा उसके साथ नहीं थी।
मीरा- हाँ कहिए.. कौन हो आप?
मीरा को देख कर नीरज की जीभ लपलपा गई.. ऐसी सुन्दरता को देख कर वो उस को देखता रह गया।
नीरज- ज्ज्ज..जी.. मैं नीरज हूँ.. फ़ोन पर बात हुई थी ना।
मीरा- ओह आइए.. अन्दर आइए.. राधा दीदी कहाँ हैं?
नीरज कुछ बोलता उसके पहले राधे उर्फ राधा पीछे से सामने आ गई। उसने सिंपल सलवार-कमीज़ पहना हुआ था और हल्का सा मेकअप किया हुआ था। वैसे भी उसका चेहरा लड़कियों जैसा था.. मेकअप से एकदम लड़की लग रही थी।
राधा- मैं यहाँ हूँ..
मीरा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. वो भाग कर राधा से चिपक गई।
मीरा के चिपकते ही राधे का लौड़ा सलवार में तन गया.. मीरा के जिस्म की भीनी भीनी खुश्बू उसकी नाक में जाने लगी.. उसका संतुलन बिगड़ता देख कर नीरज ने उनको अलग किया।
नीरज- अरे अरे.. बाद में आराम से मिल लेना.. अन्दर तो चलो।
तभी दिलीप जी भी आ गए और राधा को सीने से लगा लिया.. उनकी आँखों में आँसू आ गए थे।
 
जब मिलना-मिलाना हो गया.. तो सब अन्दर चले गए.. अब इतना तो आप भी समझ सकते हो कि ऐसे ही कोई किसी को अपनी बेटी कैसे मान लेगा। 
दिलीप जी ने निशान को गौर से देखा और राधा को बचपन की बातें पूछी जो सही निकलीं.. और निकलती भी कैसे नहीं.. नीरज और राधे ने बड़ी शालीनता से ये प्लान बनाया था। आप खुद सुन लो पता चल जाएगा ऐसी बातें तो अक्सर सब के साथ होती हैं। बेचारे दिलीप जी उनके जाल में फँस गए।
दिलीप जी- अच्छा बेटी निशान तो वही है.. ये बताओ उस दिन क्या हुआ था.. कुछ याद है तुम्हें?
राधा- पापा, ठीक से तो कुछ याद नहीं.. मगर जब आप कहीं नहीं मिले.. तो मैं रोने लगी और इधर-उधर भागने लगी.. तब एक आदमी ने मुझे गोद में ले लिया और आपको ढूँढा.. मगर जब आप नहीं मिले तो वो मुझे साथ ले गया और बेटी बना कर पाला।
दिलीप जी- ओह मेरी बेटी.. सॉरी.. मैंने भी तुमको बहुत ढूँढा.. मगर तुम नहीं मिलीं.. अच्छा उस दिन की बात जाने दो.. पहले की कुछ बात याद है?
नीरज और राधे एक-दूसरे को देखने लगे उनको लगा कि कहीं पकड़े ना जाएं.. मगर राधे बोल पड़ा। 
राधे- पापा उस समय में बहुत छोटी थी.. ठीक से कुछ याद नहीं.. मगर हाँ मैं ज़िद करती थी.. तो आप गोद में मुझे ले जाते और मैं जो मांगती.. आप दिला देते।
इतना सुनते ही दिलीप जी ने राधा का हाथ पकड़ लिया और खुश हो गए- हाँ सही कहा.. तुम सही बोल रही हो.. तुम ही मेरी राधा हो।
दोस्तो, राधे को पता था ये नॉर्मल सी बात है कि सब पापा ऐसे ही करते हैं और दिलीप जी फँस गए।
अब उनको कोई शक नहीं था।
नीरज- अच्छा अंकल जी.. अब आपकी बेटी आपके हवाले.. मुझे मेरा इनाम दे दो.. मैं जाता हूँ।
दिलीप जी- तुमने अपने बारे में कुछ बताया नहीं और राधा इतने साल कहाँ रही.. कैसे रही?
नीरज- व्व.. वो जिस आदमी ने राधा को पाला.. वो मेरा चाचा है.. मैंने भी राधा को अपनी बहन की तरह माना है.. मगर साहब हम गरीब लोग हैं.. बड़ी मुश्किल से गुजारा होता है.. राधा अब बड़ी हो गई है.. इसकी शादी भी करनी है.. हमारे तो खाने के फ़ाके हैं.. शादी कहाँ से करवाते.. किस्मत से पुराना अख़बार मिल गया था.. उसमें आपका नम्बर मिला और आगे तो आप सब जानते ही हो।
दिलीप जी- ओह हाँ सही किया तुमने बेटा.. लो इस बैग में पूरे पैसे हैं.. मगर एक बात कहूँगा.. तुम लोगों ने मेरी बेटी को बड़े प्यार से पाला वरना.. आजकल की वहशी दुनिया में ना जाने क्या-क्या होता है।
राधा- नीरज ऐसे मत जाओ ना.. इतने साल साथ रहे.. खाना खाकर जाना आप हाँ।
मीरा- हाँ दीदी… आपने सही कहा.. इनको ऐसे नहीं जाने देंगे.. खाना तो आपको खाना ही होगा।
 
सब के ज़िद करने पर नीरज मान गया और बस सब इधर-उधर की बातें करने लगे। कुछ देर बाद दिलीप जी को किसी काम से बाहर जाना पड़ा और मीरा भी इधर-उधर कुछ काम कर रही थी। तब मौका देख कर दोनों ने बात की।
राधे- अबे साले यहाँ तो एक आइटम भी है अब क्या होगा?
नीरज- होना क्या है भोसड़ी के.. तेरी बहन है.. आराम से साथ रह कर मजे ले.. तब तक मैं जल्दी ही यहाँ से तुझे निकालने का कोई प्लान बनाता हूँ।
राधे- कुत्ते बहन होगी तेरी.. साले ऐसी गजब की आइटम के साथ कैसे रह पाऊँगा.. उससे गले मिल कर तो मेरा तो लौड़ा फड़फड़ा गया था।
नीरज- अबे काबू कर अपने आपको.. नहीं तो हवालात की हवा खानी पड़ जाएगी.. चुप.. वो आ रही है।
मीरा वापस आ गई और दोनों से बातें करने लगी.. दोनों की गंदी नजरें मीरा के जिस्म की बनावट का मुआयना कर रही थीं।
शाम तक सब नॉर्मल रहा.. नीरज को खाना खिलाकर विदा किया। अब तीनों बाप-बेटी ही बातें कर रहे थे।
दिलीप जी- अरे मीरा.. दोपहर से रात हो गई.. बेचारी राधा ने ज़रा भी आराम नहीं किया है.. जाओ अब सो जाओ.. अब राधा यहीं रहेगी.. बातें होती रहेंगी।
मीरा- हाँ पापा.. दीदी खोई थी.. तब तो मुझे होश भी नहीं था.. बहुत छोटी थी ना.. अब दीदी से बहुत बातें करूँगी..
राधा- हाँ मीरा.. अब में यहीं हूँ.. बातें होती रहेंगी..
मीरा- चलो दीदी वो है हमारा कमरा आज तक अकेली सोती थी.. आज आपके चिपक कर सोऊँगी और ढेर सारी बात करूँगी।
मीरा की बात सुनते ही राधे घबरा गया कि यह चिपक कर सोएगी.. तो गड़बड़ हो जाएगी.. इसे पता चल जाएगा कि मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ..
राधा- स..साथ सोएगी तू मेरे.. एमेम मगर मुझे तो अकेले सोने की आदत है..
दिलीप- अरे यह क्या बोल रही हो बेटी.. तुम दोनों बहनें हो.. और बरसों बाद मिली हो.. साथ सो जाओ बेटी.. इससे प्यार बढ़ता है.. जो बातें बचपन में ना कर सकी.. अब कर लो.. अगर शुरू से तुम दोनों साथ होतीं.. तो कितने खेल खेलतीं.. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है.. दोनों साथ में खेलो-कूदो.. मज़ा लो.. लाइफ का..
राधा- ज्ज..जी पापा.. लगता है.. अब तो खेल खेलना ही पड़ेगा मीरा को मेरे ऊपर कुदवाऊँ या मैं उसके ऊपर कूदूँ..
मीरा- दीदी जैसा आपको अच्छा लगे.. मैं आपके साथ खेलने के लिए हर समय तैयार हूँ.. बड़ा मज़ा आएगा..
दिलीप जी आज बड़े खुश थे और मीरा भी अपनी दीदी को पाकर बहुत खुश थी।
जब दोनों कमरे में चली गईं.. तो मीरा ने दरवाजा बन्द कर लिया और कपड़े उतारने लगी। ये नजारा देख कर राधे की तो सांस अटक गई.. उसको उम्मीद नहीं थी कि अचानक ऐसा होगा.. उसका लौड़ा सलवार में खड़ा हो गया।
मीरा ने अभी टी-शर्ट ही निकाली थी.. अब वो पैन्ट का हुक खोल रही थी।
राधे की नज़र सफ़ेद ब्रा में कैद उसके संतरे जैसे मम्मों पर थीं। ये नजारा देख कर उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर उसने अपने आप पर काबू पाया।

राधा- मीरा, यह क्या कर रही हो.. कुछ शर्म है कि नहीं तुम्हारे अन्दर?
मीरा- अरे दीदी रात को ये कपड़े पहन कर थोड़ी सोते हैं बस कपड़े बदल रही हूँ..
राधा- हाँ जानती हूँ.. मगर ऐसे मेरे सामने बदल रही हो.. ये सही है क्या?
मीरा- हा हा हा हा दीदी.. आप भी ना.. हा हा हा.. अरे आप मेरी दीदी हो और स्कूल में कोई ड्रामा होता है.. तो हम लड़कियाँ ऐसे ही एक-दूसरे के सामने कपड़े बदली करते हैं इसमें क्या बड़ी बात है?
राधे को अपनी ग़लती का अहसास हो गया अक्सर लड़कियाँ ऐसा ही करती हैं मगर राधे तो लड़का था.. उसे ये बात थोड़ा देर से समझ आई कि मीरा की नज़र में राधे एक लड़की है और ये नॉर्मल सी बात है।
राधा- ओके.. ठीक है.. बदल ले मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..
 
मीरा बस हँसती रही और उसने जींस भी निकाल दी.. अब वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी पैन्टी में उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। गोरी-गोरी जाँघें राधे को पागल बना रही थीं.. उसका लौड़ा इतना अकड़ गया कि उसमें दर्द भी होने लगा।
आपको बता दूँ राधे ने अन्दर एक चुस्त लंगोट फिर पजामा पहना हुआ था.. उस पर सलवार पहनी थी.. जिससे किसी को लौड़े का आभास ना हो.. मगर इस समय अगर कोई गौर से देखे.. तो पता चल जाएगा कि ये लड़की नहीं लड़का है..
अब मीरा ने अपनी ब्रा का हुक खोलना चाहा मगर वो उससे खुल नहीं रहा था।
मीरा- ओह ये हुक भी ना कभी-कभी अटक जाता है दीदी.. आप खोलो ना प्लीज़…
राधे ने काँपते हाथों से मीरा की ब्रा खोल दी।
मीरा ने ब्रा निकाल कर एक तरफ रख दी और अब वो पैन्टी निकालने लगी.. उसकी पीठ राधे की तरफ थी। 
अब राधे का बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। वो घूम कर खड़ा हो गया.. उसको लगा अगर उसकी चूत दिख गई.. तो आज उसका बलात्कार हो जाएगा।
मीरा ने पास से एक लोवर और पतली टी-शर्ट ली और पहन ली।
मीरा- अरे दीदी आप उधर क्या देख रही हो आप चेंज नहीं करोगी क्या? या ऐसे ही सोने का इरादा है।
राधा- हाँ करूँगी ना.. मगर तुम्हारी तरह नहीं.. मैं बाथरूम में जा कर करूँगी समझी..
मीरा ने ज़्यादा बोलना ठीक नहीं समझा और बिस्तर पर बैठ गई..
राधा ने अपने बैग से कपड़े लिए और बाथरूम में चली गई।
वहाँ जाकर उसने कमीज़ और सलवार निकाली.. अन्दर उसने टाइट टी-शर्ट और पजामा पहना हुआ था.. टी-शर्ट में टाइट ब्रा में टेनिस बॉल फंसे थे.. राधे को बड़ी बेचैनी हो रही थी.. मगर मरता क्या ना करता..
राधे ने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए.. उसका 8″ का लौड़ा फुंफकार मार रहा था और होता भी क्यों नहीं ऐसी नंगी जवानी पहली बार जो देखी थी बेचारे ने..
राधे- अबे साले मरवाएगा क्या.. बैठ जा मादरचोद.. मेरे बाप.. अभी मैं लड़की बना हूँ.. तेरा कुछ नहीं हो सकता…
राधे अपने-आप से बड़बड़ा रहा था और लौड़े को सहला रहा था।
मीरा- दीदी क्या हुआ.. आ जाओ ना बाहर.. क्या कर रही हो आप?
राधा- रुक ना थोड़ी देर.. आती हूँ सुबह से बैठी हूँ थोड़ी फ्रेश हो जाने दो.. उसके बाद आती हूँ।
 
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