Virgin Girl Sex मासूम मुन्नी - SexBaba
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Virgin Girl Sex मासूम मुन्नी

hotaks444

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Nov 15, 2016
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मासूम मुन्नी पार्ट--1

दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी मासूम मुन्नी लेकर हाजिर हूँ

मुन्नी अपनी मा को देख रही थी. उसकी मा पड़ोस वाले अंकल का लंड

हाथ मे पकड़ कर हिला रही थी. लेकिन बहुत हिला ने पर भी जब

अंकल का लंड खड़ा नही हुआ तो मा ने मुन्नी को पास बुलाया और

कहा, "बेटी देख अंकल का लंड आज खड़ा ही नही हो रहा है मुझ से.

तू थोड़ी मदद कर देना अंकल की."

"हाँ मा, लेकिन मैं क्या करू? आप बताइए" मुन्निने कहा.

"करना क्या है पगली, ऐसे लंड हाथ मे पकड़ और हिला. मेरे हाथ अब

दर्द कर रहे है हिलाते हिलाते. तू हिला मैं देखूँगी," मा ने कहा.

मुन्नी अपने नाज़ुक छोटे हाथों मे अंकल का लंड लेकर हिलाने लगी.

वैसे यह हर रोजका मामला था. मुंनिके पापा जब काम पर चले जाते तो

पड़ोसा वेल अंकल उनके यहाँ आ जाते. मुन्नी की मा उन्हे पास बिठा कर

उनका लंड सहलाया करती. जब लंड खड़ा हो जाता तो उसके उपर

बैठकर धक्के लगाती और मज़ा लूटती. एक दिन मुन्नी स्कूल से जल्दी

आ गयी और उसने अपनी मा को ये करते हुए देख लिया.

मुन्नी 13 साल की थी और गाओं के स्कूल मे 8थ कक्षा मे पढ़ती थी.

लंड बुर क्या होती है वो उसे मालूम था. स्कूल मे बहुत बार उसने

अपने से बड़ी लड़कियों को गंदी बाते करते हुए सुना था. उसकी सहेली

बिना ने तो अपने बड़े भाई से चुदवाया भी था. और उस मज़ेका रस-

भरा वर्णन बिना ने सब सहेलियों को सुनाया था. तबसे मुन्नी के मंन

मे इच्छा जाग गयी थी कि वो भी किसीसे चुदकर देखे. बीना ने उसे

अपने घर बुलाया था अगले इतवार को.

लेकिन जब मुन्नी ने अपनी माको अंकल से चुदते देख लिया तो उससे रहा

नही गया और वो कमरे के अंदर घुस आई और मा को पूछने

लगी, "ये क्या कर रही हो मम्मी?" उसकी मा झेंप गयी क्योंकि वो उस

समय अंकल के कड़े लंड पर बैठी हुई थी और अंकल ने उसके मम्मे

पकड़ रखे थे. मदरजात नंगी हो कर मुन्नी की मा मज़े लूट रही

थी. ऐसी अवस्था मे बच्चिद्वारा पकड़े जाना बहोत ही शर्मनाक बात

थी. लेकिन मा मज़बूर थी क्यों कि उस समय वो एकदम झरने वाली

थी. इसलिए मुन्नी की मा अपनी चूत अंकल के लंड पर घिसते हुए

झरने लगी और मुन्नी देखती रह गयी.

आख़िर मा पूरी तरफ झर्कर जब शांत हो गयी तब उठी और अपनी साडी

ढूँढने लगी. लेकिन मस्तिमे साडी उतारकर कहाँ फेंकी ये उसे याद

नही आ रहा था. मुन्नी टुकूर टुकूर देख रही थी. उसने देख कि मा

की बुर से कुछ सफेद पानी सा चिपचिपा पदार्थ बह रहा था. उसकी

तरफ इशारा करते हुए मुन्नी पूछने लगी, "मम्मी ये क्या बह रहा है

आपकी चूत असे? आप ठीक तो है? मैं पापा को फोन करके बुला लूँ

क्या? शायद डॉक्टर को बुलाना पड़े."
 
"नही नही बेटी, पापाको बुलाने की कोई ज़रूरत नही. मैं ठीक हूँ."

उसकी मा चौंक कर बोली. "फिर ये आप कि बुर से क्या बह रहा है?"

मुन्निने पूछा. इसके पहले कि मा कुछ बोले अंकल बोल पड़े,"अरे

भाभी ज़रा इस बच्ची को भी बता दो हम क्या कर रहे थे. नही तो ये

कोई मुसीबत खड़ी कर देगी."

"हाँ भैया, तुम ठीक सोचते हो. देख मुन्नी इधर आ. किसिको बताना

नही तुमने आज यहाँ जो कुछ देखा है. मैं सब समझाती हूँ तुझे.

देख ये पानी जो मेरी बुर से बह रहा है ना ये अंकल के लंड से

निकला है. तूने देखा ना मैं अभी उनके लंड पर बैठी थी. उसी

समय ये पानी अंकल के लंड से मेरी बुर मे गया था. सो अब बह रहा

है." मा उसे समझाने लगी.

"पर मा अंकल का लंड आप की बुर मे कैसे चले गया? बाप रे, कितना

बड़ा है ये. और आप इनके लंड पर बैठी क्यों थी?" मुन्नी थोड़ा जानती

थी पर आज उसने मा को इस हालत मे देख कर अपनी मा से सब कुछ

पूछना चाहती थी.

मा बोली,"क्या बताऊं बेटी तुझे अपने करम की कहानी. ऐसे कड़े लंड

पर चढ़ बैठना और धक्के लगाने मे मुझे बहोत मज़ा आता है. पर

तेरे पापा का लंड आजकल ऐसे अच्छी तरह खड़ा ही नही होता. इसलिए

मैने तेरे अंकल के साथ ये कुकर्म करना शुरू कर दिया. पड़ोस मे

रहते है. जब तेरे पापा काम पर और तू स्कूल मे चली जाती तब

अंकल को चाइ के बहाने घर बुलाकर मैं अपनी इच्छा पूरी कर लेती

हूँ. अगर तू पापा को या किसी और को इसके बारे मे बताएगी तो मैं

शर्म के मारे मर जाऊंगी. मैं ख़ुदकुशी कर लूँगी. बोल बेटी नही

बताएगी ना?"

मा के इस तरह गिड़गिदने से मुन्नी को बुरा लगा. वो बोली,"नही मा

मैं नही बताऊंगी. आप बेफिकर रहिए. लेकिन मुझे इस बारे मे और

बताइए ना. स्कूल मे सहेलियाँ कुछ कुछ बोल रही थी. पर मुझे

कुछ नही समझ नही आया."

फिर मा ने मुंनिको सब विस्तार से समझाया कि लंड कैसे खड़ा होता

है. बुर मे कैसे डाला जाता है. आख़िर झरनेका मज़ा बताने लगी तब

मुन्नी से रहा नही गया. वो बोल पड़ी, "मा अंकल का लंड अभी खड़ा

नही है. एकदम मुरझाया हुआ है. ऐसा क्यों?"

"अरी पगली, लंड हमेशा थोड़े ही खड़ा होता है? जब मज़ा लेने का

वक़्त हो तो अपने आप खड़ा हो जाता है. बाद मे मुरझा जाता है." मा

ने समझाया.
 
"मा मैं अंकल के लंड को खड़ा कर के देखु? मुझे देखना है

कैसे होता है."

"ठीक है बेटी. पर किसिको इसके बारे मे बताना नही." मा ने इज़ाज़त

दे दी.

मुन्नी उठ कर अंकल के पास जा बैठी. मा बेटी की बाते सुनते अंकल

वैसे ही नंगे पड़े थे. लंड सुस्त पड़ा था और बीर्य उनकी झांतो

पर सूख गया था. मुन्नी ने अपने हाथ से लंड को सहलाना शुरू किया.

थोड़ी देर पहले ही झार जाने के कारण लंड सुस्त ही पड़ा रहा. मुन्नी

ने मा को पूछा" मा ये खड़ा क्यूँ नही हो रहा?"

"उसे हाथ मे लेकर आगे पीछे हिलाओ बेटी. तब खड़ा होगा अंकल का

लंड." मा ने कहा. मुन्नी ने पूरा लंड अपने हाथ मे भर लिया और

लंड को जोरसे हिलाने लगी. झटके से लंड के उपर वाली चमड़ी पीछे

खिच गयी और अंकल के मुँह से आह निकल गयी. लेकिन लंड खड़ा नही

हुआ. तब मुन्नी मायूस होकर अपनी मा की ओर देख कर बोलने

लगी. "मम्मी देखिए ना अंकल आ का लंड खड़ा ही नही हो रहा. मुझे

देखना है लंड कैसे खड़ा होता है. मम्मी आप प्लीज़ कुछ कीजिए ना."

तब अंकल बोले "भाभी, मुन्नी ज़िद कर रही है. तुम अपने मुँह से

खड़ा कर दो लंड को. नही तो ये रो पड़ेगी और कोई मुसीबत खड़ी हो

जाएगी."

"हाँ भैया, ठीक कहे रहे हो. अभी खड़ा कर देती हूँ. मुन्नी, तुम

बाजू हटो अभी. मैं अंकल के लंड को खड़ा कर देती हूँ." मा ने

मुन्नी को हटाया और पलंग के बाजू मे घुटने के बल बैठ गयी. अंकल

उठ कर दोनो पाओ लटकाए पलंग पर बैठ गये. मा उनके पैरों के

बीच बैठी और लंड को हाथ मे लेकर अपने मुँह मे घुसने लगी.

मुन्नी टुकूर टुकूर देख रही थी. लंड छोटा होने की वजह से मुन्नी की

मा उसे पूरा निगल गयी और चूसने लगी. थोड़ी देर चूसने के बाद

लंड बाहर निकाला और थूक से सने उस लंड को चाटने लगी. हाथों से

अंकल के आँड-कोष को सहला रही थी. धीरे धीरे लंड कड़ा हो गया.

तब फिरसे मुँह मे भरकर चूसने लगी. लेकिन अब पूरा लंड मुँह मे

नही ले सकती थी. मंडी हिला हिला कर अपनी बेटी के सामने ही मा लंड

चूसे जा रही थी.

अंकल बोल पड़े "अरी भाभी, मेरा पानी मुँह मे लेकर पीने का इरादा

है क्या? बच्ची तो सिर्फ़ लंड खड़ा करा के देखना चाहती थी." इसपर

मा ने लंड को मुँह से बाहर निकाला और बोली,"अरे हां भैया, मुझे

आपका लंड चूसना इतना अच्छा लगता है कि मैं भूल ही गयी. देख

मुन्नी अब अंकल का लंड कैसे खड़ा हो गया है."

मुन्नी ने हाथ बढ़कर लंड को पकड़ लिया. लंड उसकी मा की लार से

सन गया था. लंड का सुपरा चमक रहा था. "मा देखो ये लंड

कैसे मेरे हाथ मे अपने आप झटके दे रहा है." मुन्नी ने मा को

बताया.

"बेटी, अंकल अब गरम हो गये है इसी लिए उनका लंड ऐसे झटके मार

रहा है. अब थोड़ी देर मे पानी निकल आएगा अंकल के लंड से." मा ने

उसे समझाया.

मुन्नी लंड को बड़ी सावधानी से देख रही थी. उसे वो लंड बहुत अच्छा

लगा. लंड को हाथ मे पकड़ अपनी मा को पूछने लगी,"मम्मी मैं भी

चूसू अंकल के लंड को? कैसे लगता है मुझे देखना है."

इसपर मा बोली, "बेटी तुम अभी छोटी हो. ऐसा नही करना चाहिए

तुमने."

लेकिन अंकल बोले,"भाभी, बच्ची को कर लेने दो जो मंन मे आए.

कहीं किसी से बोल पड़ी तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी."
 
"क्यों भैया, शायद आपका दिल डोलने लगा है मेरी कमसिन मुन्नी को

देख कर. लेकिन आप कहते है तो लेने दो उसे मुँह मे." मा ने हामी

भर दी.

मुन्नी को और क्या चाहिए था. वो अंकल के लंड को हाथ मे पकड़ कर

अपने मुँह मे ठूँसने लगी. छोटे से मुँह मे लंड मुश्किल से जा रहा

था. लेकिन जब मुन्नी ने अपनी जीभ से लंड को चाटना शुरू किया तब

अंकल को भी बड़ा मज़ा ने लगा. उनके धक्के से लंड मुन्नी के गले मे

घुस गया. तब मुन्नी ने लंड बाहर निकाला और मा को बोली, "मम्मी

अंकल को कहिए ना कि ज़्यादा अंदर नही ठेले अपने लंड को. गले मे जा

लगता है."

तब मुन्नी की मा अंकल के पीछे बैठ गयी और हाथ आगे की ओर ला

कर अपनी मुट्ठी मे लंड का जड़ की तरफ वाला हिस्सा पकड़ लिया और

मुन्नी को बोली, "अब ले बेटी लंड मुँह मे. अब अंकल तुम्हारे मुँह मे

लंड ज़्यादा नही थेल पाएँगे." मुन्नी ने फिर लंड को मुँह मे ले लिया

और लॉलिपोप जैसे चूसने लगी. उसकी मा अपने हाथ मे लंड को पकड़

रखी थी कि लंड बहुत ज़्यादा अंदर ना घुस पाए. दूसरे हाथ से मा

ने अंकल के आंड-कोष सहलाना शुरू किया. अपनी बेटी को अंकल का लंड

चूसवाने मे मा को भी अजीब मज़ा आ रहा था. छीनाल तो वो थी ही.

लंड मुँह मे लेकर मुन्नी अंकल की आँखों मे देख रही थी. उनकी आँखे

लाल हो गयी थी. लंड एकदम सख़्त हो गया था. मा का हाथ और बेटी का

मुँह दोनो का मज़ा एकसाथ लेकर अंकल मस्त हो गये थे. "मुन्नी तेज़ी से

मुँह चलाओ" अंकल बोल पड़े. उनका कहा मान कर मुन्नी ने तेज़ी से मुँह

चलाना शुरू किया. साथ मे वो जीभ भी लंड पर लपेट रही थी.

ऐसा दोहरा मज़ा पा कर अंकल झरने लगे. मुन्नी के मुँह मे उनका

पानी एक फव्वारे की तरह छूटने लगा. अचानक हुए इस हमले के लिए

मुन्नी तैयार नही थी. ना चाहकर भी उसे अंकल के लंड से निकला हुआ

पानी निगलना पड़ा. क्यों की अंकल ने मुन्नी का सिर अपने हाथों से लंड

पर दबा रखा था.

आख़िर पूरा पानी छ्चोड़ने के बाद अंकल ने अपना हाथ हटाया तब मुन्नी ने

लंड बाहर निकाला. मुँह मे बारे बीर्य को वो थूकने लगी. थोड़ा सा

ही थूक पाई. बाकी पहले ही उसके पेट मे चला गया था. अंकल मुन्नी

की मा को बोले, "भाभी, बच्ची तो बढ़िया चूस्ति है. आप की लड़की

इस मामले मे बिलकुल आप पर गयी है. बड़ा मज़ा आया. अब हमेशा

मुन्नी को अपने खेल मे शामिल किया करेंगे. क्यों मुन्नी?"

क्रमशः................
 
मासूम मुन्नी पार्ट--2

गतांक से आगे.............................



दूसरे दिन मुन्नी स्कूल मे जाने के लिए निकली. साथ मे उसकी सहेली
बीना थी. कल शाम को घर वापस आने के बाद मुन्नी ने अपनी मा को
अंकल के साथ कुकर्म करते हुवे रंगे हाथ पकड़ लिया था. बाद मे
उसने अंकल का लॅंड भी चूस लिया था. मुन्नी की इच्छा तो अंकल का
मोटा लंड बर मे घुसेड़नेकी हो रही थी. मगर उसकी मा ने येह कह
कर मना कर दिया था कि वो अभी बहुत छोटी है और वैसे भी मुन्नी
के पापा काम से वापस आने का वक़्त हो गया था.

कल की वो बाते याद करके मुन्नी मंन ही मंन मुस्कुरा रही थी. बीना
ने ताड़ लिया कि कुछ बात है जो मुन्नी उससे छुपा रही थी. आख़िर उसने
पूछ ही लिया,"मुन्नी आज तेरे तेवर कुछ बदले नज़र आते है. मंन ही
मंन मुस्कुरा रही हो. ज़रा मुझे भी बताओ क्या बात है." इसपर मुन्नी
ने मुस्कुरा कर जवाब दिया,"बीना तुम कहती थी ना कि तुम्हारे भैया
तुम्हे बढ़िया चोदते है. मैने भी कल चुदाई देखी. मेरी मा कल
पड़ोस वाले अंकल के साथ चुदाई कर रही थी. मैं घर पाहूंची तो
वो दोनो चौंक गये."

यह सुनकर बिना रास्ते मे ही रुक गयी. "क्या कहेति हो मुन्नी? मैने तो
कभी सोचा भी ना था कि तेरी मा ऐसी छीनाल होगी. चाची दिखने
मे तो एकदम भोली भाली लगती है. क्या तुम सच बता रही हो?" बिना
के लिए यहा बात विश्वास करने योग्य नही लग रही थी.

भरोसा देते हुए मुन्नी ने उसे पूरी बात बताई. वो सुनकर बीना हक्का
बक्का रहा गयी. उसे तो इस बात पर नाज़ था कि सारी सहेलियों मे
केवल वोही अकेली थी जिसने इस छोटी उमर मे चुदाई का असली मज़ा पा
लिया था और वो भी अपने बड़े भाय्या से. लेकिन जब मुन्नी ने उसे
बताया कि अभी तक अंकल जी ने उसे चोदा नही था, तब बीना सोचने
लगी. उसका भाई आज कल उसके पीछे पड़ा रहता था कि वो अपनी किसी
सहेली को फुसला कर ले आए और उनकी चुदाई के खेल मे शामिल कर
ले. बीना ने सोचा कि मुन्नी इस काम के लिए ठीक रहेगी.

बीना ने मुन्नी को कहा, "मुन्नी याद है मैने तुम्हे अगले इतवार अपने
घर बुलाया था? लेकिन आज ही दोपहर मे चल ना मेरे साथ. भैया
तुमसे मिलना चाहते है."

"क्यों मिलना चाहते है तुम्हारे भैया मुझसे? क्या तुम्हारी तरह वो
मुझे भी चोदना चाहते है?" मुन्नी पूछ बैठी.

तब बीना कहने लगी,"अरे नही, तुम तो बहन जैसी हो उनके लिए."

"मालूम है, अपनी बहन को रोज चोदने वाले तेरे भाई को अब मुझे अपनी
बहन बनाने की क्यों सूझ रही है. पर मैं नही आऊँगी. आज मा ने
मुझे कहा है कि स्कूल से सीधा घर आना." मुन्नी कहने लगी.
 
बीना ने अपनी कोशिश शुरू रखी," अरी मुन्नी तुम भी कैसी नादान हो?
स्कूल छ्छूट ता है साढ़े पाँच बजे. हम तीन बजे की छुट्टी के बाद
ही मेरे घर चले जाएँगे. फिर तुम पाँच बजे अपने घर चली जाना
और मा को बता देना की स्कूल से अभी आई है." मुन्निने ठीक है
कहा. तब तक स्कूल आ गया. मुन्नी अपने क्लास मे जा कर बैठ गयी.

तीन बजे उसने अपना बस्ता संभाला और स्कूल के गेट पर आ गयी. बीना
उसका इंतेज़ार कर रही थी. दोनो मिलकर बीना के घर के लिए चल
पड़ी.

बीना का घर स्कूल से ज़्यादा दूर नही था. घर पहूंचते ही बीना
ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपने भैया को आवाज़ दे कर बुलाने लगी.
उसका भाई अनिल बाहर आया. मुन्नी को देख कर वो बहुत खुश हुआ. बीना
बोल पड़ी,"क्यों भैया, कहा था ना मैने की अपनी प्यारी सहेली को
लेकर आऊँगी. देख कौन आया है. मुन्नी, मेरी सबसे प्यारी सहेली."

अनिल मुन्नी को घूर कर देख रहा था. साँवली छरहरी बदन वाली
छोटी सी मुन्नी को देख कर अनिल का लंड लूँगी मे उछलने लगा. उसकी
बहन बीना अब औरत जैसी नज़र आने लगी थी. दबा दबा कर अनिल ने
बीना की छाती को बड़ा बना दिया था. उसकी चूत भी अब ढीली हो
चली थी. बीना की उमर अभी केवल पंद्रह साल की थी. मगर उसका
भाई पिछले तीन सालों से उसे चोदता आ रहा था. इस कारण अनिल आज
कल किसी नयी लड़की की तलाश मे था. और उसने बीना को कह दिया था
कि वो उसके लिए किसी नई सहेली का इंतेज़ाम करे वरना वो उसे
चोदना छोड़ देगा. यही कारण था कि बिना आज मुन्नी को अपने साथ घर
लाई थी.

बीना के मम्मी और डॅडी दोनो दिन मे काम पर जाते थे. इसलिए घर मे
अनिल और बिना अकेले रहते थे. आज भी अनिल, बीना और मुन्नी के अलावा
वहाँ दूसरा कोई नही था. तीनो बैठ कर बाते करने लगे. बिना ने
अनिल को बताया कैसे मुन्नी ने अपनी मा को रंगे हाथ पकड़ा और बाद
मे अंकल का लंड चूसा. बीना जब यह बता रही थी तब मुन्नी शरम
से चुप बैठी थी.

बीना ने मुंनिको कहा, "आज ज़रा मेरे भैया से मज़ा लेकर देख. अंकल
उंकल को भूल जाएगी तू."

"धात, कैसी बेशर्म है रे तू? अनिल भैया को ये सब बताने की क्या
ज़रूरत थी? मैने तुझे अपनी सहेली जान कर अपना राज बताया था. अब
मैं कभी तुझसे बात नही करूँगी," मुन्नी ने बिगड़ कर कहा. बात
बिगड़ती देख कर अनिल बीच मे बोल पड़ा,"अरी नही नही मुन्नी, हम ये
बात किसिको नही बताएँगे. तू चिंता मत कर. अगर तुम्हे पसंद नही
तो मैं तुम्हे हाथ भी नही लगाऊँगा. आराम से बैठ तू."

बीना ने मुन्नी के लिए शरबत बनाया. अनिल को शराबत का गिलास देते
समय अनिल ने बीना की चूतर मे ज़ोर्से चिकोटी काटी."है भैया, क्या
कर रहे हो मुन्नी के सामने?" बिना सिल्लाई. "अरी पगली, मुन्नी को
एतराज है जब मैं उसे छेड़ू. तुमसे मौज मस्ती करने के लिए थोड़े
ही मुन्नी मना कर रही है. सच है ना मुन्नी?" अनिल ने जवाब
दिया. "तुम्हारी बहन है, जो चाहे करो. मैं कौन होती हूँ रोकने
वाली?" मुन्नी बोली.
 
अनिल ने बीना को अपनी गोदी मे खींच लिया और उसकी चुचि मसलने
लगा. बीना ने मुन्नी की तरफ देख कर आँख मारी और मज़ा लूट ने के
लिए तैयार होने लगी. पीछे सरक कर उसने अपनी गंद अनिल के लंड
पर रख दी. लूँगी के अंदर से उसके भाई का कड़ा लंड बिना की गंद को
कुरेदने लगा. अनिल दोनो हाथों से बिना के मम्मे दबा रहा था. उन
दोनो भाई बहन का खेल देखने मे मुन्नी को अब अजीब मज़ा आने लगा.

कुछ देर बाद बीना उठ खड़ी हुई. उसने मुन्नी को कहा,"आगे का मज़ा
देखोगी मुन्नी?" मुन्निने सिर्फ़ मूण्दी हिला कर अपनी रज़ामंदी बताई.
वहीं हॉल मे बीना कपड़े उतारने लगी. उसने अपना लहंगा खोल दिया.
अनिल ने उसके बदनसे लहंगा और बादमे चोली दूर की. ब्रा तो वो
पहनती नही थी. मुन्नी की तरफ देखते हुए बिना ने अपनी चड्डी भी
उतार दी. मदरजात नंगी खड़ी होकर खुद अपनी बड़ी बड़ी छाती मसल्ते
हुए मुन्निसे बोली,"देख भैया ने दबा दबा कर इन्हे बड़ा बना दिया
है. तेरे तो अभी एकदम छोटे है. जब छाती बड़ी हो जाती है तब
दब्बाने मे बहुत मज़ा आता है. तेरे अंकल ने दबाई थी क्या तेरी
छाती?"

"नही रे, मेरी छाती पर है ही क्या दबाने के लिए?" मुन्निने जवाब
दिया. "फिकर मत कर. मेरे भैया तेरी छाती को बड़ा कर देंगे मेरी
तरह. अभी तू सिर्फ़ देखती जा." बीना ने कहा. फिर वो अपने भाई के
पास गयी और उसे कहने लगी,"भैया आपका लंड बाहर कीजिए ना लूँगी
से. मुन्नी देखे तो मेरे भैया का मस्त लंड." अनिल ने तुरंत लूँगी
खोल दी. उसका काली घने झटों से भरा हुआ मोटा तगड़ा लंड देख
कर मुन्नी हैरान रह गयी. हालाकी उसने अंकल का लंड देखा था,
मगर अनिल की तुलना मे अंकल का लंड छोटा था. आख़िर अंकल की उमर
चालीस के उपर हो गयी थी, जबकि अनिल अभी बीस साल का नौजवान
था. "बाप रे, इतना बड़ा लंड कैसे लेती है री तू अपनी चूत में?"
वो पूछ बैठी
"बस देखती जाओ कैसे लेती हूँ." यहा कहेकर बिना ने भैया के लंड
पर ढेर सारा थूक लगाया और अपनी जंघे खोल कर सीधे उस मोटे लंड
पर बैठ गयी. हूमच हूमच कर वो अपने भाई के लंड पर धक्के
मार रही थी. "आ मुन्नी यहाँ हमारे सामने बैठ कर देख चुदाई का
मज़ा." बिना ने चुदते हुए कहा. मुन्नी नीचे फर्श पर उन दोनो के
सामने बैठ गयी और नज़दीक से देखने लगी कैसे बिना की चूत लंड
को खा रही थी. लंड और चूत की चुदाई से बीना की चूत से सफेद
पानी बहते हुए अनिल भैया के आंडों पर आ गया था. मुन्नी से रहा
ना गया और उसने अपनी एक उंगली उस पानी पर रख दी. "सिर्फ़ एक उंगली
से क्या होता है मुन्नी, पूरे हाथ मे लेकर पकड़ मेरे भैया का
आँड.." बिना ने उसे कहा. मुन्नी ने कहा मान कर अनिल की गोटियों को
हाथ मे पकड़ कर सहलाना शुरू किया.

मुन्नी के छोटे नाज़ुक हाथों का मज़ा पा कर अनिल भी जोश मे आ गया
और नीचे से धक्के मारते हुए अपनी बहना की चूत मे झाड़ गया. उसके
लंड से निकला हुआ पानी बीना की चूत से बाहर आने लगा. मुन्निने जीभ
लगाकर उसे चाट लिया. खरा स्वाद उसे अच्छा लगा. वीर्य की कुछ
बूंदे उसकी फ्रॉक पर पड़ी थी.

बीना अपने भैया के लंड पर से उठ गयी. टवल से अपनी चूत पोंछते
हुए मुन्नी से कहने लगी,"क्यों मुन्नी, मज़ा आया क्या हुमारी चुदाई
देखते हुए? तुम खेलोगी यह खेल?" इसपर मुन्नी झेंप गयी और कहने
लगी,"नही रे बाबा. मुझ मे इतनी हिम्मत नही है. इतना बड़ा लंड और
मेरी छोटी सी चूत. फॅट जाएगी. मैं तो सिर्फ़ देखा करूँगी. तुम
चोदते रहना."

"ठीक है, लेकिन अनिल भैया का लंड एकबार मुँह मे तो लेकर देख."
बीना ने उसे समझाते हुए कहा. "तुम कहती हो तो लेकर देखती हूँ
मुँह मे जाता है या नही." ये कहा कर मुन्नी ने अपना छोटा मुँह खोला
और अनिल का रज़ और वीर्य से सना हुआ लॉडा मुँह मे लेने लगी. थोड़ा
सा ही लंड उसके मुँह मे जा सका लेकिन जितना गया था उसे मुन्नी
चूसने लगी. अंकल के बीर्य का स्वाद अलग था. अनिल का बीर्य ज़्यादा
गाढ़ा और जायके दार था. उसमे मिले हुए बीना की चूत के रस का स्वाद
भी उसे मजेदार लगा.
 
अनिल का लॉडा चाट कर सॉफ करने के बाद मुन्नी उठी और घर जाने की
बात करने लगी. बिना ने उसे बाहों मे भर लिया और उसका मुँह चूमते
हुए मुन्नी के मुँह पर लगे अपने भैया के लंड का बीर्य और खुद अपनी
चूत के पानी को चाट लिया. "अब कब आएगी मेरी प्यारी सहेली?" उसने
मुन्निसे पूछा. "आऊँगी ऐसे ही कभी. पर तेरे भैया का लंड मैं
अपनी चूत मे नही लेने वाली इतना याद रख." मुन्निने कहा और घर की
तरफ चल पड़ी.

घर पहूंचते ही उसने मा से पूछा,"मा आज अंकल नही आए है क्या?"
इसपर मया हंस पड़ी. बोली,"तुझे अंकल से क्या काम? रोज रोज थोड़े ही
मैं तुझे अंकल के साथ मज़ा लेने दूँगी." "नही मा मैं तो यूँ ही
पूछ रही थी. अंकल रोज नही आते क्या?" मुन्निने फिर पूछा. मा
बोली,"आज तेरे अंकल बाहर गये है. मैं भी बेचैन हून उनसे
मिलने. पर क्या करू?" मा ने मुन्नी को अपने पास बिठाया. मुंनिके
चेहरे पर चमक थी सो उससे छुपी नही. मा पूछने लगी,"कहाँ
होकर आई है मेरी बेटी? और तेरी फ्रॉक पेर ये छीटें काहे के है?"
मा ने मुंनिके फ्रॉक पर लगी छींटों को सूँघा और तुरंत ताड़ गयी
कि ये बीर्य के छींटे है. "बोल कहाँ गयी थी छीनाल तू? ये किसके
लंड का पानी अपनी फ्रॉक पर लगा कर आई है?" मा ने आवाज़ चढ़ा कर
पूछा.

मुन्नी डर गयी. फिर उसने पूरी बात मा से कह डाली. ये भी बताया कि
अनिल भैया का लंड उसने मुँह मे लिया था और उसीकि ये बूंदे है.
लेकिन भैया का लंड का साइज़ देखकर वो डर गयी थी और बीना के
कहने पर भी चूत मे लंड उसने लिया नही था. मा येह सोच कर
शांत हुई कि उसकी मासूम बेटी की चूत अभी फटी नही. उसने मुन्नी
को गोदी मे भर लिया और समझाने लगी,"बेटी इसमे मेरी ही ग़लती है.
मैं तेरे अंकल के साथ कुकर्म करते हुए पकड़ी ना जाती तो आज तू
ऐसी गंदी बाते नही सीखती. तेरी उमर तो अभी पढ़ाई करने की है.
मैने ही तुझे ये सब गंदी बतो मे घसीटा है." इतना कह कर मा
की आँखों मे आँसू आ गये.

मुन्नी मा को रोती देखकर बोल पड़ी, "नही मा, मैं तो पहले से ही
चुदाई के बारे मे जानती थी. बीना ने मुझे सब बताया था वो अपने
भाई से कैसे चुद्वति है. उसने अगले इतवार मुझे अपने घर भी
बुलाया था. शायद वो अपने भाई के साथ मेरा जुगाड़ करना चाहती थी.
मैं भी ये सब देखने जानने के लिए उतावली थी. वो तो अच्छा हुआ कि
आप अंकल से चुद्वते मुझे दिख गयी और आप ही ने मुझे सब सीखा
दिया. आप मत रोइए."

मुन्नी के इस कहने पर मा को राहत महसूस हुई. मा मुन्नी को समझाने
लगी,"देख बेटी, जो हुआ सो हुआ. अब आगे एक बात का ख़याल रखना कि
जब तक तू बड़ी नही हो जाती, अपनी चूत मे किसी का लंड नही लेना.
हाँ मुँह मे ले सकती है. हाथ मे पकड़ सकती है पर चूत मे
नही. समझी?"

"ठीक है मा, लेकिन जब किसिको चुद्वते देखूं तो मेरी भी चूत मे
कुछ कुछ होने लगता है. ऐसे लगता है कि कोई लंड मेरी भी चूत
मे घुस जाए तो मज़ा आएगा. तब मैं क्या करू?" मुन्नी ने मासूमियत से
पूछा.

मा हंस कर कहने लगी,"अरी पगली, इसका उपाय बताती हूँ तुझे. जब
मन करता है लंड लेने को तब अपनी उंगली से अपनी चूत की खुजली
शांत कर लेना."

"वो कैसे मा? आप बताइए ना मुझे. फिर मैं नही लूँगी किसिका
लंड." मुन्नी ने कहा.
 
मा ने सोचा कि अगर इसे ठीक से नही बताया कि औरते मुठ्ठी कैसे
मारती है, तो ये नादान बच्ची किसिके लंड की शिकार हो जाएगी. मुन्नी
के सामने वो पहले ही खुल गयी थी. उसने कहा,"ठीक है बेटी. तू
दरवाजा बंद करके आ मैं तुझे बताती हूँ."

मुन्नी दौड़ कर दरवाजा बंद करके वापस आई. मा ने उसे अपने पलंग
पर बिठाया और अपनी साडी खोल कर उसके सामने दोनो टाँगे फैला कर
बैठ गयी और मुन्नी को समझाने लगी. "देख बेटी, जब तेरा मन करता
है लॉडा लेने को तब ऐसे अपनी चूत खोल कर बैठना. फिर एक हाथ
से चूत को ऐसे चिदोरकर खोलना. दूसरे हाथ की एक उंगली अपनी थूक
से गीली करके ऐसे यहाँ धीरे धीरे रगड़ना." मा मुन्नी को ये सब
कहते हुए साथ मे खुद करके भी दिखा रही थी. उसे भी मज़ा आने
लगा था. आज मुन्नी के अंकल भी नही आए थे. उसकी चूत चुदसी हो
गयी थी. अपनी बेटी के सामने चूत फैलाकर उंगली करने से उसकी
चूत पानी से भर आई थी.

मुन्नी पूछती ,"मा ये क्या है आप की चूत के उपर जो अभी फूला हुआ
है?" माने समझाया कि यहा क्लाइटॉरिस है. इसपर उंगली रगड़ी तो बहुत
मज़ा आता है. मा अब अपनी क्लाइटॉरिस रगड़ने लगी. उसकी मस्ती बढ़ने
लगी तब उसने दो उंगलियाँ चूत के छेद मे डाल दी और बुर मे उंगली
करते हुए अपनी बेटी को समझाने लगी,"देख मुन्नी, मेरी चूत अब
चौड़ी हो गयी है. इसलिए इसमे एक साथ दो क्या चार उंगलियाँ भी घुस
सकती है. लेकिन तू अपनी छोटी सी छेद मे पहले केवल एक ही उंगली
डालना. बाद मे जब तेरी चूत ढीली हो जाएगी तब दो या तीन उंगली डाल
सकती है. चूत मे उंगली डाल कर ऐसे हिलाई जाती है. पहले धीरे
धीरे और बाद मे जब ज़्यादा मज़ा लेना हो तब ज़ोर ज़ोर से उंगली करना."

मा खुद अपनी उंगली की रफ़्तार बढ़ाकर झरने लगी. मुन्नी के सामने
झरते हुए वो आँखें बंद करके चुप चाप मज़ा लेने लगी. मुन्नी
भी मा को इस तरह झरते हुए देखकर गरम होने लगी. उसने अपनी
चड्डी बाजू हटा कर अपनी बुर रगड़ना शुरू किया. मा देर तक झरती
रही. फिर आँखे खोल कर देखी तो उसे पता चला कि मुन्नी गरम हो
चुकी है और अपनी बुर पर उंगली रगड़ रही है. लेकिन अभी मुन्नी को
वो क्रिया ठीक से नही जम रही थी.


तो दोस्तो कैसा मासूम मुन्नी का ये दूसरा पार्ट पूरी
कहानी जानने के लिए मासूम मुन्नी का तीसरा पार्ट पढ़ना ना भूले

क्रमशः................
 
मासूम मुन्नी पार्ट--3

गतांक से आगे.............................

मा ने मुन्नी को रोका और कहने लगी,"मेरे पास आ बेटी, आज पहली बार

मैं तुझे अपने हाथ से झार देती हूँ. तुझे ठीक से पता चल

जाएगा कैसे उंगली करते है." मुन्नी मा के गोद मे बैठ गयी. उसकी

मा ने मुन्नी की चड्डी उतार फेंकी और फ्रॉक उपर उठा कर अपनी

उंगली पर अपना ही थूक लगाया. फिर अपनी छोटी बेटी की चूत पर थूक

से सनी उंगली रगड़ने लगी. मुन्नी भी उचक रही थी. उसने सहारे के

लिए मा का एक चूची पकड़ लिया और मा की उंगली पर अपनी चूत

उड़ाने लगी.

मुन्नी की मा ने देर तक अपनी बच्ची की चूत रगड़ी. फिर एक उंगली

उसके छेद मे घुसाई और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगी. उसके

मंन मे मुन्नी के प्रति प्यार उमड़ आया और उसने झुक कर मुन्नी का मुँह

चुम्म लिया. मुन्नी ने मुँह खोल कर मा की जीभ को अंदर आने का रास्ता

दिया. उसकी मा ने अपनी जीब मुन्नी के मुँह मे गुसेड दी. एक ओर वो अपनी

बेटी की चूत उंगली से चोद रही थी और दूसरी ओर अपनी जीभ से मुन्नी

के मुँह को चोद रही थी. मुन्नी भी अपनी मा की जीभ को उसी तराहा

चूस रही थी जैसे उसने कल अंकल का लंड चूसा था.

दोहरा मज़ा पाकर मुन्नी ज़िंदगी मे पहली बार झरने लगी. गीली चूत

से भरपूर पानी फेंकने के बाद मुन्नी शांत हुई. उसकी मा ने अपनी बेटी

का वो पहला पानी बेकार नही जाने दिया. नीचे झुक कर उसने वो पूरा

पानी चाट लिया.

मुन्नी के सेक्स लाइफ की शुरुआत इस शानदार ढंग से हुई थी.

मुन्नी अपने नाज़ुक हाथो से अंकल का लंड हिला रही थी. वो बड़े ध्यान

से लंड को देख रही थी. उसने पिछले दीनो अंकल का लंड मुँह मे

लेकर एक दो बार चूसा था. पहली बार तो उसकी मा ने ही उसके मुँह मे

अंकल का लंड पकड़कर ठुसा था. बाद मे एक और बार अंकल का लंड

मुन्नी ने अपने आप चूसा था. मा ने उसकी चूत चाट कर मुन्नी को

पहली बार झाराया भी था. लेकिन अभी तक मुन्निने लंड अपनी छोटी

चूत मे नही लिया था. मुन्निने ज़िद की पर उसकी मा ने मना किया था.

छोटी उम्र मे ही मुंनिको सेक्स की बातों का पता चल गया था, जब

उसने अपनी मा को पड़ोस वाले अंकल आ के साथ चुदते देख लिया था.

आज मुन्नी के अंकल फिर उनके यहाँ आए थे. दोपहर का वक़्त था.

मुन्नी के पापा काम पर गये थे और इसी बात का फायेदा लेते हुए अंकल

घर मे घुस आए थे. मुन्नी की मा छिनार तो थी ही. तुरंत उसने

पड़ोसी का लंड चूस कर खड़ा किया और उसके उपर चढ़ बैठी थी.

मुन्नी दोपहर के बाद स्कूल से छुट्टी पाकर घर आई तो उसने मा को

अंकल के लंड पर उछलते हुए देख लिया. वैसे यहा पहली बार नही

हुआ था कि मुन्नी अपनी मा को अंकल के लंड पर धक्के मारते हुए

देखह रही थी. मा उससे खुल चुकी थी.

मा मुन्नी के सामने ही लंड पर उछलते हुए झार गयी. उसके चेहरे पर

झरते समय जो आनंद दिख रहा था, उसके कारण मुन्नी ने आज तय कर

लिया कि वो अंकल का लंड अपनी चूत मे ज़रूर लेगी. जब दूसरी बार

मा ने लंड खाने की बात की तो अंकल का लंड खड़ा नही हो रहा था.

थोड़ी देर पहले ही झार चुका चालीस साल के अंकल का लंड जल्दी

खड़ा नही हो रहा था. मुन्नी की मा ने उसे अपने हाथ से हिलाकर कड़ा

करने की कोशिश की पर उसके हाथ थक गये. लेकिन अंकल का लंड

वैसे ही मुरझाया हुआ था. मुन्नी के कमसिन हाथों का स्पर्श पाकर

शायद वो लंड जल्दी खड़ा हो जाएगा यहा सोचकर उसने मुन्नी को

अंकल का लंड हिलाने को कहा था.
 
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