desiaks
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दोनों हँसते हुए आगे जाने लगते है की तभी एक आवाज़ सुन कर उर्मिला के कदम रुक जाते है. वो पीछे मुड़ के देखती है तो सामने छेदी मुस्कुराते हुए खड़ा है.
छेदी : लीजिये मैडम जी..आप फिर मिल गए हमसे...
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) आप कहीं हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं?
छेदी : अजी हमारी इतनी हिम्मत कहाँ की हम आपका पीछा करें. वो तो किस्मत है हमारी जो बार-बार हमे आपसे मिला रही है.
तब तक पायल भी वहां आ जाती है. छेदी पायल को देख कर सलाम ठोकते हुए कहता है.
छेदी : छेदी का आपको भी सलाम मैडम जी...
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी नमस्ते..!!
तभी वहां दौड़ती हुई खुशबू आ जाती है. उसके हाथ में २ कुल्फियां है. एक कुल्फी वो मुह में ले कर चूस रही है और दूसरी हाथ में पकडे हुए है. दौड़ते हुए उसके मोटे दूध टॉप में उच्छल रहे है. वो वहां आती है और छेदी से कहती है.
खुशबू : अपनी कुल्फी जल्दी पकडिये भैया नहीं तो पिघल जाएगी.
खुशबू के इस तरह से वहां आ जाने से छेदी थोडा सकपका जाता है. खुशबू के मुहँ से छेदी के लिए 'भैया' सुन कर उर्मिला ये तो समझ जाती है की ये लड़की छेदी की बहन है. पर उसे ये नहीं पता की मुहँ बोली बहन है या सगी. उर्मिला खुशबू को मुस्कुराते हुए ऊपर से निचे देखती है. उसकी उम्र १८-१९ की लग रही थी और जब उर्मिला उसके मोटे-मोटे दूध देखती है तो समझ जाती है की दाल में कुछ काला है.
उर्मिला : ओह ..! तो ये तुम्हारी बहन है.
छेदी : (बनावटी मुस्कान के साथ) जी..जी मैडम जी...ये मेरी बहन है. खुशबू ...मैडम जी को नमस्ते करो.
खुशबू दो अनजान जवान लड़कियों को देख कर हैरानी से छेदी को देखती है फिर पायल और उर्मिला को देख कर नमस्ते करती है.
खुशबू : जी नमस्ते...!!
उर्मिला : (खुशबू के गाल पर हाथ रख कर) बड़ी प्यारी बच्ची है. खुशबू नाम है ना तुम्हारा ?
खुशबू : जी ...
उर्मिला : छेदी भैया तुम्हारे सगे भैया है या...
खुशबू : (उर्मिला की बात काटते हुए) जी सगे भैया ही है.
खुशबू की इस बात पर उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है तो वो नज़रे चुरा कर यहाँ-वहां देखने लगता है. उर्मिला फिर खुशबू को देखती है तो अब भी उसके चेहरे पर कुछ सवाल दिखाई पड़ते है.
उर्मिला : अरे खुशबू, तू सोच रहो होगी की हम तेरे भैया को कैसे जानते है. वो हुआ ये था की कल रात हमारी गाड़ी खराब हो गई थी तो तुम्हारे भैया ने ही हमारी मदद की थी. कल तुम्हारे भैया नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.
उर्मिला की बात सुन कर खुशबू को थोडा अच्छा लगता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.
खुसबू : ओह अच्छा..!! तो कल रात भैया आप लोगों की ही गाड़ी ठीक कर रहे थे. भैया कल रात बहुत देर से आये थे. बता रहे थे की कुछ गाड़ी का काम निकल आया था.
पायल : भाभी अब यहीं धुप में ही बाते करनी है या कहीं जा कर अराम से बैठ कर बाते करें...
उर्मिला : हाँ भाई चलो...मुझे तो भूक भी लगी है. पास के होटल में चलते है. कुछ खा भी लेंगे और बातें भी हो जाएगी.
छेदी : अरे नहीं मैडम जी. अब हम लोग चलते है.
उर्मिला : ये क्या बात हुई छेदी जी? आपने हमारी इतनी मदद की है और हम आपको ऐसे ही जाने दे? चलिए...होटल में चलते है.
उर्मिला की बात मानते हुए सभी लोग पास के एक होटल में जाते है और पहली मंजिल के ए सी वाले 'फॅमिली टेबल' पर जा कर बैठ जाते है. मेनू से कुछ खाना देख कर उर्मिला आर्डर कर देती है. अब चारों बैठ कर बातें करने लगते है. तभी छेदी की फ़ोन की घंटी बजती है तो वो सब से इज़ाज़त ले कर बाहर चले जाता है. टेबल पर बैठी उर्मिला, पायल और खुशबू अपनी बातें करने लगती है. कुछ ही देर में खुशबू उर्मिला और पायल से घुल मिल जाती है जैसे उन्हें बरसों से जानती हो. उर्मिला और पायल को भी खुशबू बहुत पसंद आती है. हालांकि अगर उनके रहन-सहन और परिवार की बात करें तो खुशबू किसी मामले में उनके बराबर की नहीं थी लेकिन उसका वो भोलापन उर्मिला और पायल को भा जाता है. उर्मिला, पायल और खुशबू के बीच जो सामाजिक उंच-नीच की दीवार थी तो पूरी तरह से ढह चुकी थी. किसी ने सच ही कहा है की जब कोई हमे भा जाता है तो हमे सिर्फ वो इन्सान दिखाई देता है और कुछ नहीं. उर्मिला और पायल को खुशबू उनकी किसी पुरानी सहेली की तरह लग रही थी जो उनके दिल के बहुत करीब हो. खुशबू को भी उर्मिला और पायल से लगाव सा हो चूका था.
छेदी : लीजिये मैडम जी..आप फिर मिल गए हमसे...
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) आप कहीं हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं?
छेदी : अजी हमारी इतनी हिम्मत कहाँ की हम आपका पीछा करें. वो तो किस्मत है हमारी जो बार-बार हमे आपसे मिला रही है.
तब तक पायल भी वहां आ जाती है. छेदी पायल को देख कर सलाम ठोकते हुए कहता है.
छेदी : छेदी का आपको भी सलाम मैडम जी...
पायल : (मुस्कुराते हुए) जी नमस्ते..!!
तभी वहां दौड़ती हुई खुशबू आ जाती है. उसके हाथ में २ कुल्फियां है. एक कुल्फी वो मुह में ले कर चूस रही है और दूसरी हाथ में पकडे हुए है. दौड़ते हुए उसके मोटे दूध टॉप में उच्छल रहे है. वो वहां आती है और छेदी से कहती है.
खुशबू : अपनी कुल्फी जल्दी पकडिये भैया नहीं तो पिघल जाएगी.
खुशबू के इस तरह से वहां आ जाने से छेदी थोडा सकपका जाता है. खुशबू के मुहँ से छेदी के लिए 'भैया' सुन कर उर्मिला ये तो समझ जाती है की ये लड़की छेदी की बहन है. पर उसे ये नहीं पता की मुहँ बोली बहन है या सगी. उर्मिला खुशबू को मुस्कुराते हुए ऊपर से निचे देखती है. उसकी उम्र १८-१९ की लग रही थी और जब उर्मिला उसके मोटे-मोटे दूध देखती है तो समझ जाती है की दाल में कुछ काला है.
उर्मिला : ओह ..! तो ये तुम्हारी बहन है.
छेदी : (बनावटी मुस्कान के साथ) जी..जी मैडम जी...ये मेरी बहन है. खुशबू ...मैडम जी को नमस्ते करो.
खुशबू दो अनजान जवान लड़कियों को देख कर हैरानी से छेदी को देखती है फिर पायल और उर्मिला को देख कर नमस्ते करती है.
खुशबू : जी नमस्ते...!!
उर्मिला : (खुशबू के गाल पर हाथ रख कर) बड़ी प्यारी बच्ची है. खुशबू नाम है ना तुम्हारा ?
खुशबू : जी ...
उर्मिला : छेदी भैया तुम्हारे सगे भैया है या...
खुशबू : (उर्मिला की बात काटते हुए) जी सगे भैया ही है.
खुशबू की इस बात पर उर्मिला मुस्कुराते हुए छेदी को देखती है तो वो नज़रे चुरा कर यहाँ-वहां देखने लगता है. उर्मिला फिर खुशबू को देखती है तो अब भी उसके चेहरे पर कुछ सवाल दिखाई पड़ते है.
उर्मिला : अरे खुशबू, तू सोच रहो होगी की हम तेरे भैया को कैसे जानते है. वो हुआ ये था की कल रात हमारी गाड़ी खराब हो गई थी तो तुम्हारे भैया ने ही हमारी मदद की थी. कल तुम्हारे भैया नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.
उर्मिला की बात सुन कर खुशबू को थोडा अच्छा लगता है. उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है.
खुसबू : ओह अच्छा..!! तो कल रात भैया आप लोगों की ही गाड़ी ठीक कर रहे थे. भैया कल रात बहुत देर से आये थे. बता रहे थे की कुछ गाड़ी का काम निकल आया था.
पायल : भाभी अब यहीं धुप में ही बाते करनी है या कहीं जा कर अराम से बैठ कर बाते करें...
उर्मिला : हाँ भाई चलो...मुझे तो भूक भी लगी है. पास के होटल में चलते है. कुछ खा भी लेंगे और बातें भी हो जाएगी.
छेदी : अरे नहीं मैडम जी. अब हम लोग चलते है.
उर्मिला : ये क्या बात हुई छेदी जी? आपने हमारी इतनी मदद की है और हम आपको ऐसे ही जाने दे? चलिए...होटल में चलते है.
उर्मिला की बात मानते हुए सभी लोग पास के एक होटल में जाते है और पहली मंजिल के ए सी वाले 'फॅमिली टेबल' पर जा कर बैठ जाते है. मेनू से कुछ खाना देख कर उर्मिला आर्डर कर देती है. अब चारों बैठ कर बातें करने लगते है. तभी छेदी की फ़ोन की घंटी बजती है तो वो सब से इज़ाज़त ले कर बाहर चले जाता है. टेबल पर बैठी उर्मिला, पायल और खुशबू अपनी बातें करने लगती है. कुछ ही देर में खुशबू उर्मिला और पायल से घुल मिल जाती है जैसे उन्हें बरसों से जानती हो. उर्मिला और पायल को भी खुशबू बहुत पसंद आती है. हालांकि अगर उनके रहन-सहन और परिवार की बात करें तो खुशबू किसी मामले में उनके बराबर की नहीं थी लेकिन उसका वो भोलापन उर्मिला और पायल को भा जाता है. उर्मिला, पायल और खुशबू के बीच जो सामाजिक उंच-नीच की दीवार थी तो पूरी तरह से ढह चुकी थी. किसी ने सच ही कहा है की जब कोई हमे भा जाता है तो हमे सिर्फ वो इन्सान दिखाई देता है और कुछ नहीं. उर्मिला और पायल को खुशबू उनकी किसी पुरानी सहेली की तरह लग रही थी जो उनके दिल के बहुत करीब हो. खुशबू को भी उर्मिला और पायल से लगाव सा हो चूका था.