hotaks444
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क्या यार निर्मला,,,,,, एक औरत हो करके औरत से औरत वाली बात करने पर तुम्हें शर्म महसूस हो रही है जाओ तो मैं भी तुम्हें कुछ नहीं बताती,,,,,,
यार शीतल ऐसी बात नहीं है,,, लेकिन मैंने कभी भी ऐसी बातें नहीं की और ना ही किसी के सामने ऐसे शब्दों का प्रयोग की हूं। इसलिए मुझे शर्म सी आ रही है।
यार सच में कमाल हो,,,, यह जरूरी तो नहीं कि तुम हमेशा ऐसी बातें करने से कतराती रहो,,,, एक न एक दिन तो सबको पहली बार ही करना होता है। अब मैं भी तुम्हारी तरह शर्माती तो क्या तुम्हें यह सब बातें बताती,,,, तुम मेरी सबसे अच्छी सहेली हो इसलिए मैं तुमसे ऐसी बातें करती हूं वरना मैंने आज तक किसी से भी अपने बारे में या ऐसी बातें कभी नहीं की।,,,,,,,,,, ( शीतल बातें जरूर निर्मला से कर रही थी लेकिन उसकी नजर बार बार गाड़ी में बैठे शुभम पर चली जा रही थी। शीतल बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,)
अच्छा चलो बताओ किसके बदले मे बैगन का उपयोग करने के लिए मैं बता रही हूं।
( शीतल की बात सुनकर फिर से निर्मला शर्मा कर इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगी और फिर से ऊसे नजरें चुराते हुए देखकर शीतल जोर से बोली,,,,,)
बोलो जल्दी,,,,,,,,
( शीतल की आवाज सुनकर एकाएक निर्मला के मुंह से निकल गया।)
ललल,,,, लंड,,,,,
( निर्मला के मुंह से इतना निकलना था कि शीतल मुस्कुराने लगी लेकिन निर्मला का हाल बुरा हो रहा था वह एकदम से शर्मा गई बल्कि शर्म के मारे वह शीतल के सामने गड़ी जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके मुंह से आखिर यह शब्द कैसे निकल गया लेकिन उसके बदन में डर के साथ साथ उन्माद की तरंगे भी लहराने लगी। "लंड" शब्द बोलकर उसे अजीब के सुख की अनुभूति हो रही थी जिसको वह शब्दों में बयान नहीं कर सकती थी। वहीं दूसरी तरफ से चल बड़ी खुश नजर आ रही थी और खुश होते हुए वह बोली।)
हां अब आए ना लाइन पे,,,,,,,, शर्माओगी तो जिंदगी का मजा नहीं ले पाओगी,,,,,,,, चलो यह तो बता दीे की किस के बदले बैगन का उपयोग किया जाता है। ऊसके आकार और ऊसकी लंबाई चौड़ाई और उसकी मोटाई से तो तुम अच्छी तरह से वाकिफ हो,,,,, बैगन देखने में एकदम किस की तरह लगता है यह भी बता दो,,,,,, देखो शर्माना मत।
लंड की तरह,,,,,( इस बार भी वह झट से बोल दी,,, शीतल मुस्कुरा रही थी। क्योंकि वह भी पहली बार ही निर्मला के मुंह से इतने अश्लील शब्द सुन रही थी। निर्मला की बात सुनकर शीतल बोली।)
लंड की तरह तो होता ही है लेकिन उससे भी ज्यादा भयंकर होता है।,,, अगर एक अच्छा खासा बैगन मिल जाए तो उसके आगे आदमी का लंड उसकी अपेक्षा आधा और पतला ही होता है ।
निर्मला तुम तो अच्छी तरह से जानती हो और तुम सच-सच बताना बैगन के आगे तुम्हारे पति का लंड छोटा ओर पतला नहीं लगता,,,,,,,
( शीतल इतना कहकर निर्मला की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी और शीतल की बात सुनकर निर्मला सोच में पड़ गई उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस सवाल का जवाब दे या ना दे लेकिन जो बात शीतल कह रही थी वह बिल्कुल सच ही थी। वास्तव में जिस बैगन को वह अपने घर पर लेकर गई थी उस बैगन की अपेक्षा उसके पति का लंड छोटा ही था। यह सब उसके दिमाग में चल ही रहा था कि तभी उसे याद आया कि वह अपने बेटे के लंड को भी देख चुकी है जिसकी लंबाई चौड़ाई मोटाई बिल्कुल बैगन जैसी ही थी। अपने बेटे के हथियार के बारे में सोच कर उसकी आंखों में चमक आ गई,,,,, वहां शीतल से बताने के लिए अपना मुंह खोल ही थी कि उसके शब्द गले में ही अटक कर रहे गए। उसे जैसे कुछ याद आ गया हो,,, वह कुछ बोल ना सकी और उसे इस तरह से खामोश देखकर शीतल ने अपने सवाल दुबारा दोहराई तो वह बोली कुछ नहीं बल्कि हां में सिर हिला दी। )
मैं जानती थी तुम्हारा जवाब यही होगा निर्मला क्योंकि बेगन के आगे तो मेरे पति का भी लंड छोटा ही है। और यह बात सभी औरतों को अच्छी तरह से मालूम है।
अच्छा यह बताओ निर्मला,,, कि अपने पति के लंड,,, जो की बेगन से आधा और पतला ही होता है उस से चुदने में तुम्हें मजा आता है ना,,,,,, बोलो,,,,,
(शीतल के ईस बात पर निर्मला फिर से सक पका गई,,,, उसके लिए फिर से इस सवाल का जवाब देना मुश्किल हो रहा था लेकिन फिर भी बताना तो था ही,,,, इसलिए वह बोली।)
हां मजा तो आता ही है,,,,,,,
तो सोचो निर्मला जब बैगन से भी आधे और पतले लंड से चुदने मे ईतना मजा मिलता है,,,, तो जब एक मोटा ताजा लंबा बैगन बुर मे घुसेगा तो औरत को कीतना मजा मिलेगा,,,,,
( शीतल की यह कामुक बात सुनते ही ऊत्तेजना के मारे निर्मला की सांस ऊपर नीचे हो गई ऊसकी बुर से तुरंत मदन रस की बुंद टपक गई।
यार शीतल ऐसी बात नहीं है,,, लेकिन मैंने कभी भी ऐसी बातें नहीं की और ना ही किसी के सामने ऐसे शब्दों का प्रयोग की हूं। इसलिए मुझे शर्म सी आ रही है।
यार सच में कमाल हो,,,, यह जरूरी तो नहीं कि तुम हमेशा ऐसी बातें करने से कतराती रहो,,,, एक न एक दिन तो सबको पहली बार ही करना होता है। अब मैं भी तुम्हारी तरह शर्माती तो क्या तुम्हें यह सब बातें बताती,,,, तुम मेरी सबसे अच्छी सहेली हो इसलिए मैं तुमसे ऐसी बातें करती हूं वरना मैंने आज तक किसी से भी अपने बारे में या ऐसी बातें कभी नहीं की।,,,,,,,,,, ( शीतल बातें जरूर निर्मला से कर रही थी लेकिन उसकी नजर बार बार गाड़ी में बैठे शुभम पर चली जा रही थी। शीतल बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,)
अच्छा चलो बताओ किसके बदले मे बैगन का उपयोग करने के लिए मैं बता रही हूं।
( शीतल की बात सुनकर फिर से निर्मला शर्मा कर इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगी और फिर से ऊसे नजरें चुराते हुए देखकर शीतल जोर से बोली,,,,,)
बोलो जल्दी,,,,,,,,
( शीतल की आवाज सुनकर एकाएक निर्मला के मुंह से निकल गया।)
ललल,,,, लंड,,,,,
( निर्मला के मुंह से इतना निकलना था कि शीतल मुस्कुराने लगी लेकिन निर्मला का हाल बुरा हो रहा था वह एकदम से शर्मा गई बल्कि शर्म के मारे वह शीतल के सामने गड़ी जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके मुंह से आखिर यह शब्द कैसे निकल गया लेकिन उसके बदन में डर के साथ साथ उन्माद की तरंगे भी लहराने लगी। "लंड" शब्द बोलकर उसे अजीब के सुख की अनुभूति हो रही थी जिसको वह शब्दों में बयान नहीं कर सकती थी। वहीं दूसरी तरफ से चल बड़ी खुश नजर आ रही थी और खुश होते हुए वह बोली।)
हां अब आए ना लाइन पे,,,,,,,, शर्माओगी तो जिंदगी का मजा नहीं ले पाओगी,,,,,,,, चलो यह तो बता दीे की किस के बदले बैगन का उपयोग किया जाता है। ऊसके आकार और ऊसकी लंबाई चौड़ाई और उसकी मोटाई से तो तुम अच्छी तरह से वाकिफ हो,,,,, बैगन देखने में एकदम किस की तरह लगता है यह भी बता दो,,,,,, देखो शर्माना मत।
लंड की तरह,,,,,( इस बार भी वह झट से बोल दी,,, शीतल मुस्कुरा रही थी। क्योंकि वह भी पहली बार ही निर्मला के मुंह से इतने अश्लील शब्द सुन रही थी। निर्मला की बात सुनकर शीतल बोली।)
लंड की तरह तो होता ही है लेकिन उससे भी ज्यादा भयंकर होता है।,,, अगर एक अच्छा खासा बैगन मिल जाए तो उसके आगे आदमी का लंड उसकी अपेक्षा आधा और पतला ही होता है ।
निर्मला तुम तो अच्छी तरह से जानती हो और तुम सच-सच बताना बैगन के आगे तुम्हारे पति का लंड छोटा ओर पतला नहीं लगता,,,,,,,
( शीतल इतना कहकर निर्मला की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी और शीतल की बात सुनकर निर्मला सोच में पड़ गई उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस सवाल का जवाब दे या ना दे लेकिन जो बात शीतल कह रही थी वह बिल्कुल सच ही थी। वास्तव में जिस बैगन को वह अपने घर पर लेकर गई थी उस बैगन की अपेक्षा उसके पति का लंड छोटा ही था। यह सब उसके दिमाग में चल ही रहा था कि तभी उसे याद आया कि वह अपने बेटे के लंड को भी देख चुकी है जिसकी लंबाई चौड़ाई मोटाई बिल्कुल बैगन जैसी ही थी। अपने बेटे के हथियार के बारे में सोच कर उसकी आंखों में चमक आ गई,,,,, वहां शीतल से बताने के लिए अपना मुंह खोल ही थी कि उसके शब्द गले में ही अटक कर रहे गए। उसे जैसे कुछ याद आ गया हो,,, वह कुछ बोल ना सकी और उसे इस तरह से खामोश देखकर शीतल ने अपने सवाल दुबारा दोहराई तो वह बोली कुछ नहीं बल्कि हां में सिर हिला दी। )
मैं जानती थी तुम्हारा जवाब यही होगा निर्मला क्योंकि बेगन के आगे तो मेरे पति का भी लंड छोटा ही है। और यह बात सभी औरतों को अच्छी तरह से मालूम है।
अच्छा यह बताओ निर्मला,,, कि अपने पति के लंड,,, जो की बेगन से आधा और पतला ही होता है उस से चुदने में तुम्हें मजा आता है ना,,,,,, बोलो,,,,,
(शीतल के ईस बात पर निर्मला फिर से सक पका गई,,,, उसके लिए फिर से इस सवाल का जवाब देना मुश्किल हो रहा था लेकिन फिर भी बताना तो था ही,,,, इसलिए वह बोली।)
हां मजा तो आता ही है,,,,,,,
तो सोचो निर्मला जब बैगन से भी आधे और पतले लंड से चुदने मे ईतना मजा मिलता है,,,, तो जब एक मोटा ताजा लंबा बैगन बुर मे घुसेगा तो औरत को कीतना मजा मिलेगा,,,,,
( शीतल की यह कामुक बात सुनते ही ऊत्तेजना के मारे निर्मला की सांस ऊपर नीचे हो गई ऊसकी बुर से तुरंत मदन रस की बुंद टपक गई।