hotaks444
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रात वही ...पर कमरा दूसरा ....जहाँ रूबी और कविता थे.....रूबी ने कविता को छेड़ छेड़ कर उसका बुरा हाल कर दिया था......इतना कि कविता रुआंसी सी हो गयी थी...
रूबी ....अरे मेरी जान सॉरी ...मैं तो मज़ाक कर रही थी...अब तू जल्दी छोड़ के चली जाएगी...कसम से तेरी बहुत याद आएगी....रूबी की आँखें भी छलक पड़ी..
कविता...क्यूँ मैं कहाँ जाउन्गि...अभी तो यहीं रहूंगी ...भाई के और तुम सबके पास....कोर्स पूरा होने से पहले कहीं नही जानेवाली......मैं नही जानेवाली...बोल दूँगी सॉफ सॉफ
रूबी .....अब चल चुकी तेरी ...दीवाना हुआ पड़ा है मेरा जीजा ...सुना नही कैसे गा रहा था.......एक लड़की को देखा तो....
कविता शरमा गई ...धत्त चुप कर...
रूबी ...अब चुप कर....मन में तो लड्डू फुट रहे होंगे...पिया से मिलने की जो घड़ी नज़दीक आने वाली है....
कविता.....बस भी कर ......
रूबी ....आए थे छुट्टी मनाने घूमने फिरने ...और आते ही मेरी बहन कोई ले उड़ा ....मारी गयी मेरी छुट्टियाँ ....लेकिन मुझे बहुत खुशी है...जीजा जी बहुत अच्छे हैं....
कविता ...एक काम कर मेरी जगह तू लेले ....तुझे इतना अच्छे लगते हैं वो तो...
रूबी ...मेरी फूटी किस्मत ...मुझे पसंद ही कहाँ किया....वैसे ये जितने भी जीजा होते हैं ना 1+1 स्कीम ले के चलते हैं...साली को आधी घरवाली ही समझते हैं....
कविता ...बक बक बंद कर ऐसे नही हैं वो...
रूबी....देखते हैं......कैसे निकलते हैं....सच अगर कभी मुझे पकड़ लिया तो......
कविता...ये मौका तो उन्हें कभी नही देनेवाली मैं....
रूबी ....वाह वाह ....अभी से इतना हक़ .....चिंता मत कर मैं ही उन्हें करीब नही आने दूँगी....और खिलखिला के हंस पड़ी....
चुहलबाजी करती हुई दोनो सो गयी.....
रूबी की नींद अचानक टूट गयी ....सोते सोते कविता उसके बहुत करीब आ गयी थी...उसका चेहरा बिल्कुल रूबी के चेहरे के पास था और उसकी गर्म साँसे रूबी के चेहरे को गरम कर रही थी...सोते हुए भी उसके सुंदर संतरे की छोटी फाडियों जैसे होंठ लरज रहे थे...उसका सीना एक भारी पन लिए उपर नीचे हो रहा था...यूँ लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रही हो......रूबी ने कभी लेसबो नही किया था...पर इस वक़्त उसे यूँ लग रहा था जैसे कविता के होंठ उसे पुकार रहे हों......
रूबी अपने चेहरे को उसके और करीब ले गयी और झीजकते हुए अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए....बिजली सी कोंध गयी रूबी के जिस्म में और सोते हुए भी कविता के होंठ उसके होंठों की छुअन से कांप गये.......
रूबी खुद को रोक ना पाई और कविता के होंठ चूसने लग गयी .....कविता नींद में ही तड़पति हुई रूबी से चिपक गयी और जैसे ही दोनो के उरोज़ एक दूसरे से टकराए .....रूबी सिसक पड़ी .....कविता ने कस के रूबी को अपने से भींच लिया.
एक पल के लिए रूबी ने कविता के होंठों को आज़ाद किया तो कविता के मुँह से निकल गया.......राजेश.......अहह और कविता ने अपने होंठ आगे बढ़ा दिए .....रूबी अब डर गयी ....जब नींद खुलेगी और कविता को सच का पता चलेगा ....कि सपना वो राजेश का ले रही थी ....पर असल में रूबी उसके साथ खेल रही थी तब क्या होगा...कहीं कविता नाराज़ हो गयी तो बात सुनील से भी नही छुपेगी ....तब.....तब का सोच रूबी को पसीना आ गया और उसने खुद को कविता से अलग कर लिया........
उसके अलग होते ही कविता बेचैन हो गयी ...और उसकी नींद खुल गयी .....साथ में रूबी को लेटा देख ...वो बूरी तरहा शरमा गयी.......है ये कैसा सपना था.....तकिये को अपनी बाहों में जाकड़ वो सोने की कोशिश करने लगी....
रूबी को तो रात भर नींद नही आई.......
एक और कमरे में......रमण सो चुका था...बहुत खुश था कि कविता को अच्छा लड़का मिल गया..जैसा उसे मिनी ने बताया था....लेकिन मिनी की आँखों से नींद गायब थी.....सबके सामने जब सुनील ने रूबी को भेजा था अपनी भाभी को लाने के लिए तो वो सोनल को लेकर आई थी....बहुत तेज झटका लगा था मिनी को ....इस बात से नही कि वो लड़की सोनल निकली थी ....इस बात से ज़्यादा कि सुनील ने सोनल से शादी की थी और सबके सामने उसे अपनी बीवी की तरहा इंट्रोड्यूस भी किया था.....यानी रूबी को पहले से ही पता था......वो तुलना कर रही थी ...उसके भाई ने उसके साथ क्या किया और यहाँ एक और भाई है ...जो बाक़ायदा शादी करता है और गर्व से .....अपनी बहन को अपनी बीवी बोलने में गुरेज़ नही करता .....काश सुनील ही उसका वो भाई होता.....आँखों से आँसू छलक आए ...अब उसे समझ में आया था....कि उसके हुस्न का जादू क्यूँ नही चल रहा था सुनील पर ...जिसके पास सोनल जैसी बीवी हो...अप्सरा को भी मात देती हुई....वो क्यूँ कहीं और मुँह मारेगा........लेकिन रमण से जो शर्त लगाई थी ....वो अभी तक उस शर्त को नही भूली थी ...उसने आदमी का एक ही रूप देखा था....औरत की चूत के पीछे पागल......वो एक नही कई औरतों की ...जैसा कि उसका अपना भाई था और जैसा की उसका अपना पति था.....आदमी के लिए यही धारणा उसके मन में घर कर चुकी थी ...और उसे यकीन था...कि वो सुनील को फँसा लेगी एक दिन...आख़िर सुंदरता में वो भी कम नही थी.....ये रात उसकी भी आँखों में ही गुजर गयी.....
अगले दिन सुबह सुनील जल्दी उठता है....सोनल और सुमन अभी सो रहे थे....
सुनील बाहर जा कर सीधा मिनी के रूम को नॉक करता है....मिनी क्यूंकी सोई नही थी इसलिए दरवाजा जल्दी खुल जाता है....
सुनील....सिर्फ़ इतना कहने आया था...बहुत से सवाल होंगे तुम्हारे ....सबका जवाब मिल जाएगा ...लेकिन कविता की शादी में कोई गड़बड़ नही होनी चाहिए......
ये बात सुनील ने दरवाजे पे खड़े हुए बहुत ही बर्फ़ीली आवाज़ में कही थी....
मिनी ....इतना गिरा हुआ समझते हो क्या......अंदर तो आओ....
सुनील...नही बाद में तुम दोनो से भी बहुत सी बातें करनी है .....पर अभी वक़्त नही है ...शाम को कविता की एंगेज्मेंट है और बहुत काम है.
मिनी ....मुझे भी तो बताओ क्या काम मैं कर सकती हूँ...आख़िर भाभी हूँ कविता की ....
सुनील....अगर रिश्तों की गहराई और उनकी मर्यादा को मान्यता देती हो....वो भी दिल से ...तो हाल की सजावट को सूपरवाइज़ कर लेना ...वैसे ये काम में सोनल को देने वाला था....
मिनी ...ये काम मुझ पे छोड़ दो...कविता सोनल के बहुत नज़दीक है ...उसे हर समय कविता के साथ ही रखो...
सुनील....भरोसा कर लूँ..कोई गड़बड़ नही होगी ....
मिनी ...कम से कम इतने की तो हक़दार हूँ ही ..चाहे मेरी पिछली जिंदगी कैसे भी गुज़री हो......आँखें छलक आई थी उसकी.
सुनील...ठीक है तो फिर ये काम तुम्हारे ज़िम्मे सगाई ठीक ठाक हो जाए फिर हम बात करेंगे.
सुनील निश्चिंत हो कर वहाँ से अपने कमरे में आया ---3 कप कॉफी के तयार किए और अपनी बीवियों को उठाने चल दिया.....
सुमन ने एक तरफ पलटी मारी हुई थी और सोनल ने दूसरी तरफ .....
सुनील ने कॉफी की ट्रे ...टेबल पे रखी...और पहले सुमन के पास गया ....हल्के से उसे सीधा किया और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए.....सुमन की बाँहें अपने आप सुनील से लिपट गयी ...कुछ सेकेंड के चुंबन के बाद सुनील ने अपने होंठ अलग किए ...गुड मॉर्निंग जान ...उठ जाओ अब ....बहुत काम करना है आज.......
सुमन....उम्म लव यू डार्लिंग.....गुड मॉर्निंग.....उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े थे......
सुनील...क्या हुआ ...ये आँसू क्यूँ....
सुमन...तुम नही समझोगे ....और लिपट गयी सुनील के साथ ....
सुनील...अगर नही समझता होता ...तो शायद आज तुम मेरी जिंदगी में नही होती ...वही दूरियाँ रहती जो एक माँ और बेटे के बीच होती हैं...क्यूँ पुरानी बातें सोचने लगती हो.......
सोनल जाग चुकी थी और आँखें बंद कर अपनी बारी का इंतेज़ार कर रही थी और इनकी बातें सुन...उसकी आँखें भी भीग चुकी थी ...और बंद पलकों की साइड से दो कतरे टपक पड़े थे...
सुमन....ये दर्द तुम नही समझोगे जान ...मुझे सच्चा प्यार मिला ...पर वो भी अपने बेटे से...........अपने बेटे से प्यार करने का गुनाह जो मैने किया है...उसकी सज़ा ...शायद उपर जा के ही मिलेगी.....
सुनील....तुमने कोई गुनाह नही किया....अगर किसी ने किया है तो मैने......अगर तुम्हें कोई गिल्ट है ...तो इसके बारे में हम कविता की शादी के बाद बात करेंगे ...प्लीज़ डॉल....नाउ चियर अप....बहुत काम करना है आज .......आज सारी शॉपिंग करनी है तुमने और सोनल ने ...कविता के लिए ...मेरी छोटी बहन को अप्सरा का रूप देना है ....उसे दुनियादारी सिखानी है ...पति के साथ कैसे रहे...ससुराल वालों के साथ कैसे रहे...बहुत ज़िम्मेदारी है जानूं....
सुमन.....अपने आँसू पोंछते हुए .....सच कहूँ...ये गिल्ट फीलिंग कभी कभी आ जाती है....जब कभी अपने इतिहास के बारे में सोचने लगती हूँ...लेकिन मैं बहुत बहुत खुशनस्सीब हूँ...जो तुम मेरी जिंदगी में आए ....अगर उपरवाला कभी ये पूछे की स्वर्ग चाहिए या सुनील....तो मुझे बस सुनील चाहिए ...मेरा सुनील...और कुछ नही...
सुनील...चलो बहुत हो गयी सेनटी बातें कॉफी ठंडी हो रही है ...सुनील फिर एक छोटा चुंबन लेता है सुमन का ...और उसे कॉफी का कप पकड़ा कर सोनल की तरफ जाता है
सुनील सोनल के चेहरे पे झुकता है तो उसकी आँखों से टपके आँसू नज़र आ जाते है.......उसके होंठों पे अपनी ज़ुबान फेरते हुए पूछ लेता है ...अब तुझे क्या हुआ मेरी जान ....
सोनल एक दम सुनील से चिपक जाती है........कुछ नही बस दीदी की बातें सुन दिल भारी हो गया......
सुनील उसके होंठ अच्छी तरहा चूस्ता है .....गुड मॉर्निंग लव....फटाफट कॉफी ख़तम करो और रेडी हो जाओ...बहुत काम है आज.....
सुनील ने ब्रेकफास्ट का ऑर्डर रूबी के रूम में ही कर दिया था.
तीनो तय्यार होते हैं कॉफी पीने के बाद ....सुमन जब ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ तयार हो रही थी ...तो फिर उसकी आँखें भीग गयी ......उसकी नज़र सिंदूर की डिब्बी पे थी ...जिसका वो इस्तेमाल अभी दिन में नही कर सकती थी....
सुनील ने उसे पीछे से जाकड़ लिया .....थोड़े टाइम की बात है जान ......तभी जाने सुमन को क्या सूझता है अपनी साड़ी उठा अपनी पैंटी को नीचे सरकाती है और अपनी कट के उपर सिंदूर का टीका लगा लेती है....अब उसके दिल को थोड़ा सकुन मिला और अधरों पे मुस्कान आ गयी ....लिपस्टिकस दिन में वो स्किन कलर की ही इस्तेमाल करती थी...और उसके गुलाबी होंठ अपनी पूरी छटा के साथ निखर जाते थे.....
तयार होने के बाद तीनो रूबी के कमरे में चले गये.....
रूबी ....अरे मेरी जान सॉरी ...मैं तो मज़ाक कर रही थी...अब तू जल्दी छोड़ के चली जाएगी...कसम से तेरी बहुत याद आएगी....रूबी की आँखें भी छलक पड़ी..
कविता...क्यूँ मैं कहाँ जाउन्गि...अभी तो यहीं रहूंगी ...भाई के और तुम सबके पास....कोर्स पूरा होने से पहले कहीं नही जानेवाली......मैं नही जानेवाली...बोल दूँगी सॉफ सॉफ
रूबी .....अब चल चुकी तेरी ...दीवाना हुआ पड़ा है मेरा जीजा ...सुना नही कैसे गा रहा था.......एक लड़की को देखा तो....
कविता शरमा गई ...धत्त चुप कर...
रूबी ...अब चुप कर....मन में तो लड्डू फुट रहे होंगे...पिया से मिलने की जो घड़ी नज़दीक आने वाली है....
कविता.....बस भी कर ......
रूबी ....आए थे छुट्टी मनाने घूमने फिरने ...और आते ही मेरी बहन कोई ले उड़ा ....मारी गयी मेरी छुट्टियाँ ....लेकिन मुझे बहुत खुशी है...जीजा जी बहुत अच्छे हैं....
कविता ...एक काम कर मेरी जगह तू लेले ....तुझे इतना अच्छे लगते हैं वो तो...
रूबी ...मेरी फूटी किस्मत ...मुझे पसंद ही कहाँ किया....वैसे ये जितने भी जीजा होते हैं ना 1+1 स्कीम ले के चलते हैं...साली को आधी घरवाली ही समझते हैं....
कविता ...बक बक बंद कर ऐसे नही हैं वो...
रूबी....देखते हैं......कैसे निकलते हैं....सच अगर कभी मुझे पकड़ लिया तो......
कविता...ये मौका तो उन्हें कभी नही देनेवाली मैं....
रूबी ....वाह वाह ....अभी से इतना हक़ .....चिंता मत कर मैं ही उन्हें करीब नही आने दूँगी....और खिलखिला के हंस पड़ी....
चुहलबाजी करती हुई दोनो सो गयी.....
रूबी की नींद अचानक टूट गयी ....सोते सोते कविता उसके बहुत करीब आ गयी थी...उसका चेहरा बिल्कुल रूबी के चेहरे के पास था और उसकी गर्म साँसे रूबी के चेहरे को गरम कर रही थी...सोते हुए भी उसके सुंदर संतरे की छोटी फाडियों जैसे होंठ लरज रहे थे...उसका सीना एक भारी पन लिए उपर नीचे हो रहा था...यूँ लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रही हो......रूबी ने कभी लेसबो नही किया था...पर इस वक़्त उसे यूँ लग रहा था जैसे कविता के होंठ उसे पुकार रहे हों......
रूबी अपने चेहरे को उसके और करीब ले गयी और झीजकते हुए अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए....बिजली सी कोंध गयी रूबी के जिस्म में और सोते हुए भी कविता के होंठ उसके होंठों की छुअन से कांप गये.......
रूबी खुद को रोक ना पाई और कविता के होंठ चूसने लग गयी .....कविता नींद में ही तड़पति हुई रूबी से चिपक गयी और जैसे ही दोनो के उरोज़ एक दूसरे से टकराए .....रूबी सिसक पड़ी .....कविता ने कस के रूबी को अपने से भींच लिया.
एक पल के लिए रूबी ने कविता के होंठों को आज़ाद किया तो कविता के मुँह से निकल गया.......राजेश.......अहह और कविता ने अपने होंठ आगे बढ़ा दिए .....रूबी अब डर गयी ....जब नींद खुलेगी और कविता को सच का पता चलेगा ....कि सपना वो राजेश का ले रही थी ....पर असल में रूबी उसके साथ खेल रही थी तब क्या होगा...कहीं कविता नाराज़ हो गयी तो बात सुनील से भी नही छुपेगी ....तब.....तब का सोच रूबी को पसीना आ गया और उसने खुद को कविता से अलग कर लिया........
उसके अलग होते ही कविता बेचैन हो गयी ...और उसकी नींद खुल गयी .....साथ में रूबी को लेटा देख ...वो बूरी तरहा शरमा गयी.......है ये कैसा सपना था.....तकिये को अपनी बाहों में जाकड़ वो सोने की कोशिश करने लगी....
रूबी को तो रात भर नींद नही आई.......
एक और कमरे में......रमण सो चुका था...बहुत खुश था कि कविता को अच्छा लड़का मिल गया..जैसा उसे मिनी ने बताया था....लेकिन मिनी की आँखों से नींद गायब थी.....सबके सामने जब सुनील ने रूबी को भेजा था अपनी भाभी को लाने के लिए तो वो सोनल को लेकर आई थी....बहुत तेज झटका लगा था मिनी को ....इस बात से नही कि वो लड़की सोनल निकली थी ....इस बात से ज़्यादा कि सुनील ने सोनल से शादी की थी और सबके सामने उसे अपनी बीवी की तरहा इंट्रोड्यूस भी किया था.....यानी रूबी को पहले से ही पता था......वो तुलना कर रही थी ...उसके भाई ने उसके साथ क्या किया और यहाँ एक और भाई है ...जो बाक़ायदा शादी करता है और गर्व से .....अपनी बहन को अपनी बीवी बोलने में गुरेज़ नही करता .....काश सुनील ही उसका वो भाई होता.....आँखों से आँसू छलक आए ...अब उसे समझ में आया था....कि उसके हुस्न का जादू क्यूँ नही चल रहा था सुनील पर ...जिसके पास सोनल जैसी बीवी हो...अप्सरा को भी मात देती हुई....वो क्यूँ कहीं और मुँह मारेगा........लेकिन रमण से जो शर्त लगाई थी ....वो अभी तक उस शर्त को नही भूली थी ...उसने आदमी का एक ही रूप देखा था....औरत की चूत के पीछे पागल......वो एक नही कई औरतों की ...जैसा कि उसका अपना भाई था और जैसा की उसका अपना पति था.....आदमी के लिए यही धारणा उसके मन में घर कर चुकी थी ...और उसे यकीन था...कि वो सुनील को फँसा लेगी एक दिन...आख़िर सुंदरता में वो भी कम नही थी.....ये रात उसकी भी आँखों में ही गुजर गयी.....
अगले दिन सुबह सुनील जल्दी उठता है....सोनल और सुमन अभी सो रहे थे....
सुनील बाहर जा कर सीधा मिनी के रूम को नॉक करता है....मिनी क्यूंकी सोई नही थी इसलिए दरवाजा जल्दी खुल जाता है....
सुनील....सिर्फ़ इतना कहने आया था...बहुत से सवाल होंगे तुम्हारे ....सबका जवाब मिल जाएगा ...लेकिन कविता की शादी में कोई गड़बड़ नही होनी चाहिए......
ये बात सुनील ने दरवाजे पे खड़े हुए बहुत ही बर्फ़ीली आवाज़ में कही थी....
मिनी ....इतना गिरा हुआ समझते हो क्या......अंदर तो आओ....
सुनील...नही बाद में तुम दोनो से भी बहुत सी बातें करनी है .....पर अभी वक़्त नही है ...शाम को कविता की एंगेज्मेंट है और बहुत काम है.
मिनी ....मुझे भी तो बताओ क्या काम मैं कर सकती हूँ...आख़िर भाभी हूँ कविता की ....
सुनील....अगर रिश्तों की गहराई और उनकी मर्यादा को मान्यता देती हो....वो भी दिल से ...तो हाल की सजावट को सूपरवाइज़ कर लेना ...वैसे ये काम में सोनल को देने वाला था....
मिनी ...ये काम मुझ पे छोड़ दो...कविता सोनल के बहुत नज़दीक है ...उसे हर समय कविता के साथ ही रखो...
सुनील....भरोसा कर लूँ..कोई गड़बड़ नही होगी ....
मिनी ...कम से कम इतने की तो हक़दार हूँ ही ..चाहे मेरी पिछली जिंदगी कैसे भी गुज़री हो......आँखें छलक आई थी उसकी.
सुनील...ठीक है तो फिर ये काम तुम्हारे ज़िम्मे सगाई ठीक ठाक हो जाए फिर हम बात करेंगे.
सुनील निश्चिंत हो कर वहाँ से अपने कमरे में आया ---3 कप कॉफी के तयार किए और अपनी बीवियों को उठाने चल दिया.....
सुमन ने एक तरफ पलटी मारी हुई थी और सोनल ने दूसरी तरफ .....
सुनील ने कॉफी की ट्रे ...टेबल पे रखी...और पहले सुमन के पास गया ....हल्के से उसे सीधा किया और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए.....सुमन की बाँहें अपने आप सुनील से लिपट गयी ...कुछ सेकेंड के चुंबन के बाद सुनील ने अपने होंठ अलग किए ...गुड मॉर्निंग जान ...उठ जाओ अब ....बहुत काम करना है आज.......
सुमन....उम्म लव यू डार्लिंग.....गुड मॉर्निंग.....उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े थे......
सुनील...क्या हुआ ...ये आँसू क्यूँ....
सुमन...तुम नही समझोगे ....और लिपट गयी सुनील के साथ ....
सुनील...अगर नही समझता होता ...तो शायद आज तुम मेरी जिंदगी में नही होती ...वही दूरियाँ रहती जो एक माँ और बेटे के बीच होती हैं...क्यूँ पुरानी बातें सोचने लगती हो.......
सोनल जाग चुकी थी और आँखें बंद कर अपनी बारी का इंतेज़ार कर रही थी और इनकी बातें सुन...उसकी आँखें भी भीग चुकी थी ...और बंद पलकों की साइड से दो कतरे टपक पड़े थे...
सुमन....ये दर्द तुम नही समझोगे जान ...मुझे सच्चा प्यार मिला ...पर वो भी अपने बेटे से...........अपने बेटे से प्यार करने का गुनाह जो मैने किया है...उसकी सज़ा ...शायद उपर जा के ही मिलेगी.....
सुनील....तुमने कोई गुनाह नही किया....अगर किसी ने किया है तो मैने......अगर तुम्हें कोई गिल्ट है ...तो इसके बारे में हम कविता की शादी के बाद बात करेंगे ...प्लीज़ डॉल....नाउ चियर अप....बहुत काम करना है आज .......आज सारी शॉपिंग करनी है तुमने और सोनल ने ...कविता के लिए ...मेरी छोटी बहन को अप्सरा का रूप देना है ....उसे दुनियादारी सिखानी है ...पति के साथ कैसे रहे...ससुराल वालों के साथ कैसे रहे...बहुत ज़िम्मेदारी है जानूं....
सुमन.....अपने आँसू पोंछते हुए .....सच कहूँ...ये गिल्ट फीलिंग कभी कभी आ जाती है....जब कभी अपने इतिहास के बारे में सोचने लगती हूँ...लेकिन मैं बहुत बहुत खुशनस्सीब हूँ...जो तुम मेरी जिंदगी में आए ....अगर उपरवाला कभी ये पूछे की स्वर्ग चाहिए या सुनील....तो मुझे बस सुनील चाहिए ...मेरा सुनील...और कुछ नही...
सुनील...चलो बहुत हो गयी सेनटी बातें कॉफी ठंडी हो रही है ...सुनील फिर एक छोटा चुंबन लेता है सुमन का ...और उसे कॉफी का कप पकड़ा कर सोनल की तरफ जाता है
सुनील सोनल के चेहरे पे झुकता है तो उसकी आँखों से टपके आँसू नज़र आ जाते है.......उसके होंठों पे अपनी ज़ुबान फेरते हुए पूछ लेता है ...अब तुझे क्या हुआ मेरी जान ....
सोनल एक दम सुनील से चिपक जाती है........कुछ नही बस दीदी की बातें सुन दिल भारी हो गया......
सुनील उसके होंठ अच्छी तरहा चूस्ता है .....गुड मॉर्निंग लव....फटाफट कॉफी ख़तम करो और रेडी हो जाओ...बहुत काम है आज.....
सुनील ने ब्रेकफास्ट का ऑर्डर रूबी के रूम में ही कर दिया था.
तीनो तय्यार होते हैं कॉफी पीने के बाद ....सुमन जब ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ तयार हो रही थी ...तो फिर उसकी आँखें भीग गयी ......उसकी नज़र सिंदूर की डिब्बी पे थी ...जिसका वो इस्तेमाल अभी दिन में नही कर सकती थी....
सुनील ने उसे पीछे से जाकड़ लिया .....थोड़े टाइम की बात है जान ......तभी जाने सुमन को क्या सूझता है अपनी साड़ी उठा अपनी पैंटी को नीचे सरकाती है और अपनी कट के उपर सिंदूर का टीका लगा लेती है....अब उसके दिल को थोड़ा सकुन मिला और अधरों पे मुस्कान आ गयी ....लिपस्टिकस दिन में वो स्किन कलर की ही इस्तेमाल करती थी...और उसके गुलाबी होंठ अपनी पूरी छटा के साथ निखर जाते थे.....
तयार होने के बाद तीनो रूबी के कमरे में चले गये.....