"देख भाई हम सब इन्सान है और इन्सान होने की सबसे बड़ी जो खासियत है वो है हमारी भावनाए ,पर ये समाज,धर्म ,और नैतिक बन्धनों से भी हम बंधे हुए ही जो हमें सिखलाते है की ये करो ये मत करो ,अब हम है तो मूलतः जानवर ही ना ,पर यही बंधन हमें जानवरों से अलग करते है ,लेकिन इन्ही बन्धनों के कारन हम अपनी भावनाओ को दबाते है ,और उसका परिणाम होता है,विकृति .....हमारी असली भावना कही छुप जाती है और वो विकृत होकर प्रगट होती है ,इसलिए लोग हत्या करते है चोरी करते है ,और सबसे बड़ी और मूल भावना है सेक्स की भावना लेकिन हमें बचपन से ही इसे दबाना सिखाया जाता है ,इसका परिणाम होता है की हम ना तो प्यार कर पाते है और ना ही इससे पूरी तरह से छुट पाते है ,परिणाम होता है विकृत सेक्स ......जैसे बलात्कार ,और सेक्स एडिकशन और भी बहुत कुछ ,जैसे सेक्स में कमी या चिडचिडापन या बहुत ही जादा गुस्सा आना और भी कई तरह की शरिर्रिक और मानसिक बिमारिया जन्म लेती है ......."
थोड़ी देर चुप्पी छाई रही जिससे मुझे कुछ कुछ चीजे समझ आने लगी थी ,डॉ ने फिर से बोलना शुरू किया
"काजल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा ,वो बहुत ही कुलीन घर की लड़की है ,और उसे अपनी सेक्स की भावना को दबाना पड़ा होगा इसमें कोई भी दो राय तो नहीं है ,पर जब उसे मौका मिला होगा ,जैसा तूने बताया की वो वर्जिन नहीं थी ,तो उसने इसे या तो खुलकर एन्जॉय किया होगा ,या फिर ग्लानी के भाव से भर गयी होगी ,यार ये ग्लानी बहुत ही ख़राब चीज है जो इन्सान के भावनाओ को कुरूप कर देती है ,शायद उसके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा..........अगर ऐसा हुआ होगा तो जो वो आज कर रही है वो,वो नहीं कर सकती थी इसके लिए उसने जरुर किसी से काउंसलिंग ली होगी जिसने उसे समझाया होगा की ग्लानी से बचो और इसे एन्जॉय करो ....हो सकता है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हो और वो एक सेक्स एडिक्ट नहीं हो तो ,,,,,,,,हा ये भी हो सकता है तो बस एक ही चीज हुई होगी और वो ये है की वो जब मुंबई गयी तो उसने पहली बार आजादी देखि और उसे ये सब करने में मजा आने लगा वो अपनी जिंदगी खुलकर जीने लगी ,और अब भी वो ये सब बस मजे के लिए करती होगी ,"
मुझे ऐसे तो सब कुछ समझ आ रहा था पर ........
"यार लेकिन क्या सचमे वो मुझसे प्यार करती है या सिर्फ दिखावा "मेरी आँखे फिर से गीली हो गयी ,
"इतना तो पक्का है मेरे दोस्त की वो तुझसे बहुत ही जादा प्यार करती है ,"
"तो भाई ये सब ,............अब मैं क्या करू "
डॉ भी थोड़ी देर तक चुप रहता है ....
"कुछ भी मत कर ,अभी तो उसे मायके में ही रहने दे और तेरे ट्रांसफर लेने से मामला नहीं बदलेगा बस प्यारे की जगह कोई और आ जायेगा ,अभी कम से कम प्यारे तेरे हाथो में तो है ,वो काजल के कण्ट्रोल में है,और कोसिस यही करना की कभी भी प्यारे या काजल या किसी भी और को ये ना पता चले की तू ये सब जानता है ,अगर किसी को भी ये पता चला और काजल ने उसका साथ दिया तो तेरे लिए उसकी इज्जत जाती रहेगी फिर वो कभी भी तुझे और तू कभी भी उसे वो प्यार नहीं दे पाओगे जो वो अभी तुझसे करती है ....."
मैं जोरो से रोने लगा .डॉ आकर मेरे कंधे पर अपना हाथ रखता है,
"तू फिकर मत कर मेरे दोस्त सब ठीक हो जाएगा ,मैं खुद मुंबई जाकर उसके बारे में पता करूँगा "
"लेकिन यार तब मैं क्या करू ,कब तक उसे मायके में रखूँगा और कब तक मैं उसे बचा पाउँगा वो फिर ,,,,,,,,और मैं कैसे ये सब सहूंगा "
साले कमीने डॉ के चहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गयी जिसे देख मुझे फिर से गुस्सा आ गया ,वो इसे समझ गया और
"भाई मेरे मुस्कान पर गुस्सा मत हो पर तुझे voyeurism का पता है "
"ये क्या होता है "
"किसी दुसरे को सेक्स करते देखकर मजे लेना "
मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर पहुच गया
"मादरचोद तो क्या मैं अपने बीवी को अपने नौकर से चुदते देखकर मजे लू "
डॉ फिर जोर से हँसा
"नहीं मेरे भाई ,मैं बस बता रहा था ,ऐसे ले भी सकता है ,ये सोच की अगर काजल को कोई परेशानी नहीं है तो तुझे क्यों है ,ऐसे लोग भी होते है जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में मजे को बढ़ने के लिए ये जानबूझकर करते है ,"
"दुसरे करते होंगे मैं नहीं कर सकता ,साले तेरे पास आया था की तू काजल को ठीक करेगा और तू कह रहा है की मैं इसमें मजे ढूढू ..."
"देख दोस्त तू क्या ये चाहता है की काजल का तेरे ऊपर प्यार कम हो जाय ,नहीं ना अगर तू चाहता तो अभी तक उसे कह चूका होता ,और मुझे थोडा समय चाहिए इस केस को समझने और जचने के लिए ,मैं काजल से बात नहीं कर सकता मुझे सीक्रेट तरीके से मुंबई जाकर और उसके गाव जाकर ही पता लगाना पड़ेगा ,तब तक तू क्यों जलेगा ,try करके देख ले ,मैं तुझे कुछ कहानियो और विडिओ के लिंक भेजता हु तू उन्हें चेक कर ले अगर पसंद आया तो ठीक वरना ......जलते रह इस आग में अपने को दुखी करते रह ..."
डॉ की बात मुझे समझ आ चुकी थी ,मेरे पास ऐसे कोई भी रास्ता नहीं था मैंने हां में सर हिलाया और वहा से चला गया .....
मेरा मन व्याकुल सा था जस्बातो ने कबड्डी खेल खेल कर मेरा दिमाग झंड कर दिया था ,मैं बात बात में चिडचिडा सा जाता था ,खासकर प्यारे को देखकर तो दिमाग चढ़ जाता था ,पर उसे कुछ ना कह पाता ,क्या कहता,हर काम सही टाइम में कर देता था ,कुछ ना कह पाना भी बहुत बड़ा दुःख था,काजल अभी तक नहीं आई थी,डॉ से मिले मुझे बस दो दिन ही हुए थे ,मैं उससे और भी बात करना चाहता था ,पर क्या बोलता उसे ............
भगवान ने मेरी सुन ली और डॉ का फोन आ गया ,
"कैसे हो भाई,"
"बढ़िया हु दोस्त थोडा बेचैन सा हु ,क्या करू समझ नहीं आ रहा ,"
"तू मेरे पास तुझे कुछ दिखाना है ,"
"क्या "
"तू आ तो जा फिर दिखता हु "
"अरे यार पर छुट्टी का थोडा "
"ओके सन्डे आ जा और अपने ड्राईवर को साथ मत लाना तू बस अकेले आना ."
डॉ से बात होने के बाद मैं और बेचैन था पता नहीं साला क्या दिखाना चाहता था ,आख़िरकार सन्डे आ ही गया और मैं शहर में था ,डॉ मुझे एक क्लब में ले गया एक साधारण सा दिखने वाला क्लब था ,बहुत से लोग तो नहीं थे और सब कुछ बड़ा ही नार्मल लग रहा था ,मैंने डॉ को बार बार पूछा की बात क्या है पर वो कुछ भी नहीं बता रहा था कहता था की रुक जा टाइम आने पर पता चलेगा ........हम दोनों इधर उधर और अपने स्कूल के टाइम की बाते करते रहे और बियर पीते रहे ,तभी मुझे एक कपल दिखाई दिया ऐसे तो वहा और भी कपल थे पर वो कपल बहुत ही खास था कारन था उनके बीच का प्यार ,दोनों को देखकर कोई भी कह सकता था की उनमे कितना जादा प्यार है ,पत्नी को कुछ हो जाता तो पति आगे आकर उसे सम्हालता ,पति के चहरे पर कुछ लग जाता तो पत्नी उसे अपने पल्लू से पोछती थी ,दोनों एक दुसरे से ऐसे मिले बैठे थे जैसे कभी अलग ही नहीं होंगे ,मुझे ये कपल मेरी और काजल की याद दिला रहा था ,वो लड़की दिखने में भी कुछ कुछ काजल जैसी ही थी,बहुत देर तक वो दोनों वहा बैठे रहे ,शाम जब और गहराने लगी तो वो साथ एक दूजे के कमर में हाथ डाले नाचते हुए दिखाई दिए ,कुछ देर बाद मेरा धयान डॉ की तरफ चला गया और वो दोनों मुझे फिर दिखाई नहीं दिए ,पर मुझे उन्हें यु घुरना डॉ से छिपा नहीं था ,
"क्यों क्या हुआ उनमे कुछ खास है क्या जो तू उन्हें यु घुर रहा है ,"
"हा यार ये दोनों मुझे काजल और मेरी याद दिलाते है,काजल भी मुझे ऐसे ही प्यार करती है और ऐसे ही मेरा ख्याल रखती है ,"मेरी आँखों में कुछ आंसू की बुँदे आ गयी ,डॉ ने मुझे दिलासा दिलाया और इधर उधर की बाते करने लगा ,तब तक वो कपल आँखों से ओझल हो चूका था ,मैंने नज़ारे घुमाई पर वो कही नहीं दिखे .......डॉ मेरी नजरो को समझ गया ,
"उन्हें ढूंड रहा है क्या ,"मैंने हा में सर हिलाया
"रुक जा थोड़ी देर में मिलवाता हु "मैंने आशचर्य से डॉ को देखा
"तू जानता है उन्हें "
"नहीं नहीं जानता फिर भी मैं जानता हु की वो क्या कर रहे होंगे "मैंने फिर से आँखों को चौड़ा किया ,डॉ ने मुझे चुपचाप अपना ड्रिंक ख़तम करने और साथ आने को कहा मैं बिना किसी सवाल के डॉ के साथ चलने लगा ,वो एक अलग ही गेट था क्लब के अंदर से और भी अंदर जाने के लिए पूरी तरह से डिम लाइट जल रही थी ,रोशनी इतनी थी जीतनी की लोग दिख जाय पर इतनी भी नहीं थी की कोई अनजान आदमी पहचान में आ सके ,,उस लाल रोशनी के कारन लोगो का चहरा भी लाल लाल दिख रहा था ,ac चलने के कारण वहा ऐसे तो बड़ी ठंडक थी पर माहोल कुछ गर्म लग रहा था,वो एक सकरा रास्ता था जो किसी और मंजिल तक पहुचता था ..........
हम दोनों फिर एक गेट पर पहुच गए ,वहा कुछ बड़े ही डोले शोले वाले लोग खड़े थे ,देखकर ही समझ आ रहा था की अंदर जो चल रहा है वो हर किसी के लिए नहीं है ,हमारे पास जाने पर डॉ ने उन्हें एक कार्ड दिखाया ,और उनके कानो में कुछ कहा ,उनमे से एक बॉडीबिल्डर हमें रुकने का इशारा कर अंदर जाता है फिर वापस आकर हमें अंदर जाने का इशारा करता है अंदर जाकर मैं और भी अचंभित हो गया क्योकि वहा ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे गलत समझा जाय ,वहा होटलों जैसे सिंपल से कमरे बने हुए थे ,और एक और एक ऑफिस नुमा केबिन था ,डॉ ने मुझे केबिन की तरफ आने का इशारा किया केबिन के बहार भी कुछ बॉक्सर टाइप लोग खड़े थे ,ऐसा लग रहा था जैसे साला मैं किसी डॉन के पास या किसी बड़े पॉलिटिशियन के पास जा रहा हु ,इतनी सिक्योरिटी मैंने वही देखि थी ,हम दोनों केबिन के अंदर गए,बड़ा सा केबिन था जैसे किसी कम्पनी के सीईओ का होता है ,एक कोने में एक अर्धगोलाकार टेबल के पीछे एक लम्बा चौड़ा सा व्यक्ति बैठा हुआ था,चहरा रोबदार और हलकी हलकी दाढ़ी कानो में बाली ,बाल बिलकुल छोटे जैसे आर्मी वाले रखते है उससे थोडा बड़ा , आँखों में हलकी लालिमा जैसे की हल्का हल्का खून उतर आया हो ,मूंछ धारदार थे पर वो देसी बिलकुल नहीं लग रहा था ,रंग गोरा था पर कुछ कुछ जैसे अग्रेजो जैसे रंग का था ,लेकिन देशी स्टायल लिए ,शारीर तो जैसे मॉस का कोई गोदाम खोल रखा हो साला कही भी कोई चर्बी नहीं दिख रही थी दिख रहा था तो बस कसे हुए मसल्स ,वो एक स्पोर्ट बनियान और जीन्स पहने था ,इतने बड़े प्रोफेसनल से लगने वाली जगह का मालिक (जैसा मुझे लग रहा था )बनियान पहन के बैठा था ,उसके पास ही एक लड़की पूरी तरह से तैयार होकर खड़ी थी ,ड्रेस और हावभाव से लग रहा था की वो उसकी सेकेटरी है और वो जैसे खड़ी थी इससे पता लग रहा था की वो 25-30 साल का किसी हीरो की तरह दिखने वाला शख्स बिलकुल भी नर्म नहीं है ,उस शख्स का शरीर देखकर मुझे जॉन इब्राहीम की याद आई पर जब वो खड़ा हुआ तो उसकी चाल विद्युत् जामवाल सी थी ,साला दोनों का मिश्रण था ,डॉ को देखकर वो खुश होकर उठा और आगे बढकर डॉ के गले से लग गया ,डॉ उसके शारीर के सामने बच्चा लग रहा था ,
"ये आकाश है मेरा दोस्त "उसने अपना हाथ बढाया ,मुझे लगा जैसे मैं किसी लोहे के पुतले को छू रहा हु ,
"और आकाश ये है टाइगर उर्फ़ दलजीत कनाडियन माँ और पंजाबी पिता की देन है ,इस क्लब का मालिक और हमारा खास दोस्त "डॉ ने मुझे बैठने का इशारा किया हम सभी अपनी जगहों पर बैठ चुके थे ,डॉ बे बैठते हुए उसकी सेकेटरी को हाय कहा उसने भी अपना सर हिला कर उनसा अभिवादन किया
"कैसी हो रेहाना "
"अच्छी हु डॉ "
"तो आज इस नाचीज को कैसे याद किया डॉ ,"टाइगर के आवाज में भी वही भारीपन था जो की उसकी पर्नालिटी में था ....
"ह्म्म्म वही पुराना रिसर्च का चक्कर है ,लेकिन इसबार मुझे इसके साथ देखना है ,"डॉ ने मेरी तरफ इशारा किया ,टाइगर ने जब मुझे घुर कर देखा तो मेरी रूह तक काप गयी साले की आँखे थी या अंगारे थे ,जैसे दहक रहे हो ,उसने एक भारी सांसे ली जैसे की कोई शेर गुर्राता हो,
"डॉ आपको नहीं बोलना मेरे लिए हमेशा से मुस्किल रहा है ,पर ये नहीं हो सकता ,आप जानते है की क्यों ,यहाँ लोग मेरे भरोसे आते है और मैं उसके साथ धोखा नहीं कर सकता ,आप मेरे वसूलो को जानते है ,मैं कितना प्रोफेसनल हु ये भी आपको पता है ,जब मैं कनाडा से यहाँ आया था तो आपने मेरी बहुत मदद की थी ,जिसका अहसान मैं कभी नहीं चूका सकता पर ये मेरे धंधे से गद्दारी होगी मेरे ग्राहकों से गद्दारी होगी ,आप चाहे तो आपको मैं कुछ भी दिखा सकता हु पर ये ,.................( उसने फिर से मुझे घुर )आप जानते है ...मैं कैसे "बस इतना बोलकर वो खामोश हो गया ,और डॉ के चहरे पर एक गंभीर भाव आ गया
"ह्म्म्म यार तेरी बात तो ठीक है पर सच में ऐसा है की मुझे इसको दिखने की जरुरत है ,"
"डॉ सॉरी मैं ये नहीं कर सकता "डॉ के चहरे पर एक मुसकान सी खिल गयी
"ठीक है पर अगर मैं तुझे एक डील दू तो तू सायद इंकार नहीं करेगा "डॉ ने मुस्कुराते हुए कहा
"डॉ आप और आपके डील "टाइगर भी हसने लगा "पर इस बार कुछ नहीं सॉरी "
डॉ ने मुझे बाहर जाने को कहा और कुछ देर बाद मुझे अंदर बुलाया गया ,टाइगर ने मुझे फिर से घुर इस बार उसके चहरे पर एक अजीब सी सांत्वना का भाव था मुझे लगा इस साले डॉ ने कही उसे मेरे बारे में तो नहीं बता दिया ,
"ठीक है डॉ बस एक घंटे और ये लास्ट है "
"हा ऐसे तूने पिछली बार भी यही कहा था "और दोनों हस पड़े
"क्या करू आपकी डील होती ही इतनी अच्छी है "दोनों फिर से हसे मैं उन्हें बस एक प्रश्नवाचक भाव से देख रहा था ...........डॉ ने मुझे इशारा किया और हम दोनों उसकी केबिन के अंदर एक और दरवाजे में चले गए ,पता नहीं साला कितना दरवाजा था यहाँ .............