hotaks444
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सासूमाँ- हाँ हाँ... चम्पारानी।, बहुत मजा आ गया तेरे भाई की गलतफहमी से।
दीदी- हाँ... मेरी चम्पारानी। बहुत मजा आया। पर ये तो बता। कामरू असल में भादरू की फेमली को बजा पाया या नहीं?
सासूमाँ- वो सब बाद में। पहले उंगली पेल मेरी बहूरानी, उंगली पेलते रह... बस मैं छूटने ही वाली हैं।
दीदी- अरे चम्पारानी, तू भी मत रुक मेरी रानी। पेल पूरा का पूरा पेल।
चम्पा- झरना दीदी, आप भी चूसो ना मेरी फुद्दी को।
झरना- हाँ हाँ चूस तो रही हूँ। इधर माँ भी मेरी फुद्दी में उंगली घुसेड़ रही है। मजा आ गया री... है अम्मा, मैं छूटी... गई मैं तो... और कमरा उन चारों की सिसकियों से भर गया।
और इतने में ही हमारे कथा के महानायक रामू ने जीजाजी के साथ कमरे में प्रवेश किया।
जीजाजी- अरे... रे... रे... चारों के चोरों नंगे पलंग के ऊपर... वो भी दिनदहाड़े, भाई क्या बात है?
दीदी- और करें भी तो क्या करें? आप दोनों ही मुस्टंडे, पहलवान इतने बड़े-बड़े मस्त-मस्त लण्ड अपने-अपने चडियों में छुपा के रखे हो। तो हम चारों कमसिन जवान औरतें, नंगी होकर एक-दूसरे से लिपटकरके एक-दूसरे की फुद्दी के बीच उंगली करके एक-दूसरे को शांत ना करें तो और क्या करें? आप ही बताओ?
सासूमॉ- और नहीं तो क्या? मेरी बहू ठीक ही तो कह रही है।
जीजाजी- पर अम्मा, अभी सुबह तक तो चोद चुदा कर गये ही थे।
दीदी- चोद चुदा करके गये थे? बोलो ना कि मेरे रामू भैया के बिशाल लण्ड से गाण्ड मरवा करके गये थे।
जीजाजी- वो... तो वो... तो साले का मस्त लण्ड देखकर गाण्ड में खुजली हो रही थी सो मिटा लिया।
दीदी- तो क्या हमारी फुदियों में क्या कीड़ी हो रखी है जो ऊँगालियां करके निकाल रही हैं। अरे हमें भी मस्त लण्डों की जरूरत है। हम चार जवान और आपके पास हैं दो पिद्दी सा लण्ड। पता नहीं हमारा क्या होगा? हमारी फुदियों का क्या होगा? अरी झरना दीदी, जाकर देख ना तो... फ्रीज में कोई बैगन, मूली, गाजर या ककड़ी है की नहीं।
झरना- क्या करोगी भाभी इन सबका?
दीदी- सब्जी बनाऊँगी झरना दीदी।
झरना- क्यों मजाक करती हो भाभी। यहाँ हमारी फुदियों में घुसने के लिए तो ये सब कम पड़ रहे हैं। इस महँगाई के जमाने में, सब्जियां पता है कितनी महँगी हो गई हैं। इससे अच्छा है प्लास्टिक का डिल्डो मंगालो। सबके काम आएगा।
दीदी- ठीक है, पर ज्यादा महँगा तो नहीं होगा ना? और कीतनी बार इश्तेमाल कर सकते हैं इस डिल्डो को?
झरना- नहीं भाभी, एकदम सस्ता। और इसे आप बार-बार इश्तेमाल कर सकती हैं। और कहीं भी, कभी भी, कैसे भी, आगे भी और पीछे भी, ऊपर भी और नीचे भी, किधर भी इश्तेमाल कर सकती हैं।
रामू- पर दीदी, हमारे खड़े हुए लण्ड का क्या होगा?
दीदी- अच्छा... रामू भैया, आपका लण्ड खड़ा भी होता है, मुझे नहीं पता था। मैं तो सोच रही थी कि कहीं आप नपुंसक तो नहीं हो गये हो। जरा दिखाना तो। हाय रे... भैया आज तो... हे... एक मिनट, लण्ड से एक अजीब सी खुशबू आ रही है।
सासूमाँ- कैसी खुशबू? बहू।
दीदी- बुर रस की खुशबू।
सासूमाँ- बुर रस की खुशबू? हाँ परसों रात भर तो तेरी बुर रस से नहाया है इसका मस्ताना लण्ड। कल मेरी फुद्दी, तेरी फुद्दी, झरना बिटिया की फुद्दी, फिर चम्पा रानी की फूदी और मेरे बेटे की गाण्ड में भी घुस चुका है इसका लण्ड.. उनकी खुशबू होगी बेटी।
दीदी- नहीं अम्माजी, उसके बाद तो रामू भैया नहाए भी थे। उसके बाद इंटरव्यू देने को उस साली चू-दाने वाली सुमनलता... ओहह... ओह्ह... अब समझी मैं... सुमनलता को चोदकरके आ रहे हो ना भैया?
रामू- “हाँ हाँ दीदी, हाँ..”
दीदी- मैं पहले ही समझ गई थी की सुमनलता बिना चुदाए आपको वापस नहीं आने देने वाली। वैसे इंटरव्यू कैसे रहा नहीं पूछूगी। चुदाई में पास तो सबकुछ पास।
रामू- हाँ दीदी, कल से ड्यूटी जान करना है।
दीदी- मुबारक हो... पर हमारा क्या होगा? हमारी फुदियों का क्या होगा?
रामू- अरे दीदी, मैं हूँ और जीजाजी भी तो हैं।
दीदी- पर अब हम चार हैं।
रामू- तो क्या हुआ? सबकी बारी आएगी, सबका नंबर लगेगा।
सासूमाँ- पहले खाना हो जाये। फिर बाकी सोचेंगे।
जीजाजी- पर कपड़े तो।
सासूमाँ- कोई बात नहीं पुत्तर। हम सब हमाम में नंगे हो चुके है। अब एक-दूसरे से क्या पर्दा?
रामू- पर सासूमाँ... कहीं कोई आ जाये तो? ये सब रात को ही ठीक है। दिन में सालीनता बरतनी जरूरी है।
दीदी- रामू भैया ठीक कह रहे हैं अम्माजी। कभी भी कोई भी टपक सकता है।
चलो सब लोग कपड़े पहन लो। झरना दीदी, आपको कपड़े पहनने का संदेश मोबाइल से भेजें क्या?
झरना- नहीं... खाली, रामू भैया के लण्ड के हाथों भेज दो।
दीदी- अच्छा... लण्ड के भी हाथ होते हैं, मुझे तो आज ही पता चला।
चलो चलो, कपड़े पहन लो। और सब लोग हँसते हुए खाना खाने लगे।
* * * * * * * * * *खाना खाने के बाद दीदी- चलो सभी जने मेरे बेडरूम में हाजिर हो जाओ।
सासूमाँ- अरे बहूरानी। तेरे बेडरूम में क्यों? मेरे में क्यों नहीं?
झरना- आप समझी नहीं अम्मी। पहले पहल इनको ही तो चुदाना है अपने रामू भैया से। पति के लण्ड को भी नहीं छोड़ना चाहती।
दीदी- ऐसी बात नहीं है झरना दीदी।
झरना- फिर कैसी बात है भाभी? मेरे बेडरूम में क्यों नहीं? अम्मा के बेडरूम में क्यों नहीं?
दीदी- वो इसलिए झरना दीदी की अब हम औरतें हैं चार। मर्द है दो। कुल मिलाकर हो गये छः जने। अगर छः जने बैठ गये आपके पलंग के ऊपर तो क्या होगा सोच लो। और अम्मी, आपका पलंग भी एक ही चुदाई के पहले धक्के में ही जवाब दे देगा उसके बाद कहाँ चुदवाऊँगी।
सासूमाँ- अरे बहू, जैसा तुझे ठीक लगे। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी।
दीदी- तो ये तय रहा की जबतक रामू भैया रहेंगे। रात को कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा और दिन में सावधानी बरतेंगे। ठीक है?
चम्पारानी- पर मेरा क्या होगा? मेरी चूत में हो रही खुजली का क्या होगा? दीदी- अरे चम्पारानी, घबराती क्यों है, उसका इलाज है मेरे पास। मैंने आज दमऊ भैया को फोन कर दिया है। वो अभी शाम तक पहुँचता ही होगा।
जीजाजी- अरे वाह... दमऊ, मेरा साला भी आ रहा है।
झरना- फिर भी एक लण्ड कम पड़ रहा है भाभी।
दीदी- अरे... कल तूने देखा नहीं कि तुम्हारे और मेरे भैया ने मिलकर हम चारों को चोदा था। आज तो एक लण्ड की बढ़ोतरी ही हो रही है।
झरना- हाँ हाँ भाभी... पर पहले मेरी चुदाई ही होगी।
दीदी- रामू भैया, अभी इस साली को पकड़ो.. साली की खुजली मिटाओ, और मेरे सैंया इसकी गाण्ड में आप लण्ड पेलो तो।
झरना- नहीं नहीं, ऐसे नहीं। मैं तो मजाक कर रही थी।
दीदी- “मजाक-मजाक में अभी चूत और गाण्ड दोनों का एक साथ कचूमर निकलवा देती। हाँ... मुझसे पंगा ना लेना...”
दीदी- हाँ... मेरी चम्पारानी। बहुत मजा आया। पर ये तो बता। कामरू असल में भादरू की फेमली को बजा पाया या नहीं?
सासूमाँ- वो सब बाद में। पहले उंगली पेल मेरी बहूरानी, उंगली पेलते रह... बस मैं छूटने ही वाली हैं।
दीदी- अरे चम्पारानी, तू भी मत रुक मेरी रानी। पेल पूरा का पूरा पेल।
चम्पा- झरना दीदी, आप भी चूसो ना मेरी फुद्दी को।
झरना- हाँ हाँ चूस तो रही हूँ। इधर माँ भी मेरी फुद्दी में उंगली घुसेड़ रही है। मजा आ गया री... है अम्मा, मैं छूटी... गई मैं तो... और कमरा उन चारों की सिसकियों से भर गया।
और इतने में ही हमारे कथा के महानायक रामू ने जीजाजी के साथ कमरे में प्रवेश किया।
जीजाजी- अरे... रे... रे... चारों के चोरों नंगे पलंग के ऊपर... वो भी दिनदहाड़े, भाई क्या बात है?
दीदी- और करें भी तो क्या करें? आप दोनों ही मुस्टंडे, पहलवान इतने बड़े-बड़े मस्त-मस्त लण्ड अपने-अपने चडियों में छुपा के रखे हो। तो हम चारों कमसिन जवान औरतें, नंगी होकर एक-दूसरे से लिपटकरके एक-दूसरे की फुद्दी के बीच उंगली करके एक-दूसरे को शांत ना करें तो और क्या करें? आप ही बताओ?
सासूमॉ- और नहीं तो क्या? मेरी बहू ठीक ही तो कह रही है।
जीजाजी- पर अम्मा, अभी सुबह तक तो चोद चुदा कर गये ही थे।
दीदी- चोद चुदा करके गये थे? बोलो ना कि मेरे रामू भैया के बिशाल लण्ड से गाण्ड मरवा करके गये थे।
जीजाजी- वो... तो वो... तो साले का मस्त लण्ड देखकर गाण्ड में खुजली हो रही थी सो मिटा लिया।
दीदी- तो क्या हमारी फुदियों में क्या कीड़ी हो रखी है जो ऊँगालियां करके निकाल रही हैं। अरे हमें भी मस्त लण्डों की जरूरत है। हम चार जवान और आपके पास हैं दो पिद्दी सा लण्ड। पता नहीं हमारा क्या होगा? हमारी फुदियों का क्या होगा? अरी झरना दीदी, जाकर देख ना तो... फ्रीज में कोई बैगन, मूली, गाजर या ककड़ी है की नहीं।
झरना- क्या करोगी भाभी इन सबका?
दीदी- सब्जी बनाऊँगी झरना दीदी।
झरना- क्यों मजाक करती हो भाभी। यहाँ हमारी फुदियों में घुसने के लिए तो ये सब कम पड़ रहे हैं। इस महँगाई के जमाने में, सब्जियां पता है कितनी महँगी हो गई हैं। इससे अच्छा है प्लास्टिक का डिल्डो मंगालो। सबके काम आएगा।
दीदी- ठीक है, पर ज्यादा महँगा तो नहीं होगा ना? और कीतनी बार इश्तेमाल कर सकते हैं इस डिल्डो को?
झरना- नहीं भाभी, एकदम सस्ता। और इसे आप बार-बार इश्तेमाल कर सकती हैं। और कहीं भी, कभी भी, कैसे भी, आगे भी और पीछे भी, ऊपर भी और नीचे भी, किधर भी इश्तेमाल कर सकती हैं।
रामू- पर दीदी, हमारे खड़े हुए लण्ड का क्या होगा?
दीदी- अच्छा... रामू भैया, आपका लण्ड खड़ा भी होता है, मुझे नहीं पता था। मैं तो सोच रही थी कि कहीं आप नपुंसक तो नहीं हो गये हो। जरा दिखाना तो। हाय रे... भैया आज तो... हे... एक मिनट, लण्ड से एक अजीब सी खुशबू आ रही है।
सासूमाँ- कैसी खुशबू? बहू।
दीदी- बुर रस की खुशबू।
सासूमाँ- बुर रस की खुशबू? हाँ परसों रात भर तो तेरी बुर रस से नहाया है इसका मस्ताना लण्ड। कल मेरी फुद्दी, तेरी फुद्दी, झरना बिटिया की फुद्दी, फिर चम्पा रानी की फूदी और मेरे बेटे की गाण्ड में भी घुस चुका है इसका लण्ड.. उनकी खुशबू होगी बेटी।
दीदी- नहीं अम्माजी, उसके बाद तो रामू भैया नहाए भी थे। उसके बाद इंटरव्यू देने को उस साली चू-दाने वाली सुमनलता... ओहह... ओह्ह... अब समझी मैं... सुमनलता को चोदकरके आ रहे हो ना भैया?
रामू- “हाँ हाँ दीदी, हाँ..”
दीदी- मैं पहले ही समझ गई थी की सुमनलता बिना चुदाए आपको वापस नहीं आने देने वाली। वैसे इंटरव्यू कैसे रहा नहीं पूछूगी। चुदाई में पास तो सबकुछ पास।
रामू- हाँ दीदी, कल से ड्यूटी जान करना है।
दीदी- मुबारक हो... पर हमारा क्या होगा? हमारी फुदियों का क्या होगा?
रामू- अरे दीदी, मैं हूँ और जीजाजी भी तो हैं।
दीदी- पर अब हम चार हैं।
रामू- तो क्या हुआ? सबकी बारी आएगी, सबका नंबर लगेगा।
सासूमाँ- पहले खाना हो जाये। फिर बाकी सोचेंगे।
जीजाजी- पर कपड़े तो।
सासूमाँ- कोई बात नहीं पुत्तर। हम सब हमाम में नंगे हो चुके है। अब एक-दूसरे से क्या पर्दा?
रामू- पर सासूमाँ... कहीं कोई आ जाये तो? ये सब रात को ही ठीक है। दिन में सालीनता बरतनी जरूरी है।
दीदी- रामू भैया ठीक कह रहे हैं अम्माजी। कभी भी कोई भी टपक सकता है।
चलो सब लोग कपड़े पहन लो। झरना दीदी, आपको कपड़े पहनने का संदेश मोबाइल से भेजें क्या?
झरना- नहीं... खाली, रामू भैया के लण्ड के हाथों भेज दो।
दीदी- अच्छा... लण्ड के भी हाथ होते हैं, मुझे तो आज ही पता चला।
चलो चलो, कपड़े पहन लो। और सब लोग हँसते हुए खाना खाने लगे।
* * * * * * * * * *खाना खाने के बाद दीदी- चलो सभी जने मेरे बेडरूम में हाजिर हो जाओ।
सासूमाँ- अरे बहूरानी। तेरे बेडरूम में क्यों? मेरे में क्यों नहीं?
झरना- आप समझी नहीं अम्मी। पहले पहल इनको ही तो चुदाना है अपने रामू भैया से। पति के लण्ड को भी नहीं छोड़ना चाहती।
दीदी- ऐसी बात नहीं है झरना दीदी।
झरना- फिर कैसी बात है भाभी? मेरे बेडरूम में क्यों नहीं? अम्मा के बेडरूम में क्यों नहीं?
दीदी- वो इसलिए झरना दीदी की अब हम औरतें हैं चार। मर्द है दो। कुल मिलाकर हो गये छः जने। अगर छः जने बैठ गये आपके पलंग के ऊपर तो क्या होगा सोच लो। और अम्मी, आपका पलंग भी एक ही चुदाई के पहले धक्के में ही जवाब दे देगा उसके बाद कहाँ चुदवाऊँगी।
सासूमाँ- अरे बहू, जैसा तुझे ठीक लगे। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी।
दीदी- तो ये तय रहा की जबतक रामू भैया रहेंगे। रात को कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा और दिन में सावधानी बरतेंगे। ठीक है?
चम्पारानी- पर मेरा क्या होगा? मेरी चूत में हो रही खुजली का क्या होगा? दीदी- अरे चम्पारानी, घबराती क्यों है, उसका इलाज है मेरे पास। मैंने आज दमऊ भैया को फोन कर दिया है। वो अभी शाम तक पहुँचता ही होगा।
जीजाजी- अरे वाह... दमऊ, मेरा साला भी आ रहा है।
झरना- फिर भी एक लण्ड कम पड़ रहा है भाभी।
दीदी- अरे... कल तूने देखा नहीं कि तुम्हारे और मेरे भैया ने मिलकर हम चारों को चोदा था। आज तो एक लण्ड की बढ़ोतरी ही हो रही है।
झरना- हाँ हाँ भाभी... पर पहले मेरी चुदाई ही होगी।
दीदी- रामू भैया, अभी इस साली को पकड़ो.. साली की खुजली मिटाओ, और मेरे सैंया इसकी गाण्ड में आप लण्ड पेलो तो।
झरना- नहीं नहीं, ऐसे नहीं। मैं तो मजाक कर रही थी।
दीदी- “मजाक-मजाक में अभी चूत और गाण्ड दोनों का एक साथ कचूमर निकलवा देती। हाँ... मुझसे पंगा ना लेना...”