desiaks
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मैं छोटी माँ की इस बात से ज़रा भी खुश नही था. लेकिन मेरे पास उनकी बात मानने के सिवा कोई रास्ता भी नही था. मैं वाणी के साथ बॅंक चला गया. वहाँ पहुच कर वाणी अपना काम निपटने मे लग गयी.
जब उसका काम हो गया तो, उसने मुझसे छोटी माँ के खाते मे डालने को कहा. मैने गुस्से मे अपने खाते मे सिर्फ़ एक हज़ार रुपये छोड़ कर, बाकी सारे पैसे छोटी माँ के खाते मे डालने लगा.
मेरी इस हरकत को देख कर वाणी चौक गयी. उसने मुझे टोकते हुए कहा.
वाणी बोली “तुम ये क्या कर रहे हो. मौसी ने दस हज़ार रुपये तुम्हारे खाते मे छोड़ने को कहा था. तुम्हारी इस हरकत से वो गुस्सा हो जाएगी.”
मैं बोला “वो गुस्सा होती है तो, हो जाए. जब उन्हो ने मेरे बारे मे कुछ नही सोचा तो, अब मुझे भी उनके बारे मे कुछ नही सोचना. अब मुझे कुछ नही चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, वाणी ने मुझे समझाते हुए कहा.
वाणी बोली “क्या तुम पागल हो. जो इतनी सी बात पर अपना मूड खराब कर रहे हो. तुम्हे जब कभी पैसों की ज़रूरत हो, तुम मौसी से ले सकते हो. मुझे नही लगता कि, वो तुम्हे कभी पैसे देने के लिए मना करती होगी. फिर इस बात पर इतना गुस्सा करने की क्या ज़रूरत है.”
मैं बोला “दीदी, मैं मानता हूँ कि, छोटी माँ मुझे कभी पैसे के लिए मना नही करती. लेकिन ये पैसे मैने बड़ी मुश्किल से जोड़े थे और उन्हो ने मुझे एक पल मे ही कॅंगाल बना कर रख दिया.”
मेरी इस बात पर वाणी ने उल्टा मुझसे सवाल करते हुए कहा.
वाणी बोली “एक बात बताओ, यदि मौसी ने शिखा की शादी मे खर्चा नही किया होता तो, क्या ये डेढ़ लाख रुपये अभी भी तुम्हारे पास होते. क्या तुम्हे तब भी अपने पैसे खर्च होने का दुख हो रहा होता.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैं चुप करके रह गया. क्योकि उसकी ये बात सही थी. यदि छोटी माँ ने शादी मे खर्च ना किया होता तो, यक़ीनन मैं अपने सारे पैसे शादी मे खर्च कर चुका होता.
ये सब बातें समझ लेने के बाद भी, मेरा मूड सही होने का नाम नही ले रहा था. मेरा मूड सही ना होते देख, वाणी ने अपनी चेक बुक निकाली और डेढ़ लाख का एक चेक भर कर मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.
वाणी बोली “ये चेक तुम रख लो. अभी जैसा मौसी ने कहा है, वैसा कर लो. बाद मे ये चेक अपने खाते मे डाल देना.”
मैं बोला “नही दीदी, मैं ये नही ले सकता. छोटी माँ को ये बात पता चलेगी तो, वो मुझसे नाराज़ हो जाएगी.”
वाणी बोली “अरे मौसी को ये बात कौन बताएगा. मैं मौसी से कुछ नही कहुगी और तुम भी उनको कुछ मत बताना. अब तुम सीधे तरीके से इसे रख लो.”
मैं बोला “दीदी आप समझती क्यों नही. यदि इन पैसों का उन्हे पता ही नही चलने देना है तो, मेरे लिए इन पैसों का कोई मतलब नही है. मुझे सच मे पैसे नही चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, वाणी को शायद मेरी बात का मतलब समझ मे आ गया था. उसने मुझसे कहा.
वाणी बोली “कहीं तुम मौसी के जनमदिन के लिए तो, ये पैसे नही जोड़ रहे थे.”
वाणी की बात सुनते ही, मेरी आँखों मे आँसू तैर गये. सच वो ही था, जो वाणी ने कहा था. मैं छोटी माँ के जनमदिन के लिए, पिच्छले एक साल से ये पैसे जोड़ रहा था और उन्हो ने एक पल मे ही मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था.
मेरी आँखें आँसुओं से भरी देख कर, वाणी ने मेरे आँसू पोछ्ते हुए कहा.
वाणी बोली “मेरे पागल भाई, इसमे इतना दुखी होने वाली क्या बात है. तुम्हारे वो पैसे, मैं तुमको मौसी से वापस दिला दूँगी.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैं गौर से वाणी की तरफ देखने लगा. इस समय वो बिल्कुल बरखा दीदी की तरह बात कर रही थी. बरखा दीदी को भी जब मेरे उपर बहुत प्यार आता था तो, वो इसी तरह से मुझे “मेरे भाई” कह कर बुलाती थी.
मैं वाणी को बरखा दीदी की वजह से गौर से देख रहा था. लेकिन वाणी को मेरे इस तरह से देखने की कुछ और वजह समझ मे आई और उसने मुझसे कहा.
वाणी बोली “क्या हुआ, क्या तुम्हे मेरी बात पर यकीन नही हो रहा है या फिर तुम्हे इस बात का डर सटा रहा है कि, मैं ये बात मौसी को बता दूँगी.”
वाणी की बात सुनकर, मैने उस से कहा.
मैं बोला “नही दीदी, ऐसी कोई बात नही है. लेकिन आप छोटी माँ से वो पैसे वापस करने के लिए, कुछ मत बोलिएगा. वरना उनको इस बात से दुख पहुचेगा.”
मेरी इस बात पर वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी बोली “दुख तो, मौसी को तुम्हारे ये सब करने से भी होगा. क्योकि उनको ये ही लगेगा कि, तुमको उनकी बात मानने से तकलीफ़ पहुचि है. अगर तुम उनको दुख पहुचाना नही चाहते हो तो, जैसा उन्हो ने कहा है, वैसा ही करो.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैने छोटी माँ के कहे अनुसार, अपने खाते मे दस हज़ार छोड़ कर, बाकी के पैसे उनके खाते मे डाल दिए. इसके बाद, हम लोग घर के लिए निकल पड़े. घर जाते समय रास्ते मे वाणी ने मुझसे कहा.
वाणी बोली “वैसे मुझे ये बात तुमको बतानी तो, नही चाहिए. लेकिन तुम अपने पैसे जाने से बहुत परेशान हो. इसलिए तुमको बता देती हूँ कि, मौसी ने तुमसे सारे पैसे क्यो ले लिए है.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैं हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा. वाणी ने मेरी इस हैरानी को दूर करते हुए कहा.
वाणी बोली “मौसी ने तुम्हारी खुशी के लिए, शिखा की शादी मे पानी की तरह पैसा बहाया था. लेकिन अब उनको इस बात का डर भी सता रहा है कि, कहीं पैसे की ये चका चौंध देख कर तुम बहक ना जाओ. इसलिए अब वो तुम्हारे साथ सख्ती से काम ले रही है.”
वाणी की ये बात सुनकर, एक बार फिर मेरी आँखों मे नमी आ गयी. लेकिन मैने अपनी आँखों की नमी को सॉफ किया और पहली बार मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी भला ये क्या बात हुई. छोटी माँ को मेरी किस बात से ऐसा लगा कि, मैं पैसों की चका चौंध देख कर बहक जाउन्गा. मैं तो उन से बिना पुछे कुछ भी नही करता हूँ और हर काम के लिए, पैसे भी उन्ही से ही लेता हूँ.”
वाणी बोली “क्या तुम भूल गये हो कि, तुम मुंबई से सबके लिए कितनी सारी शॉपिंग करके आए हो. यही सब देख कर, उनको लगा कि, अब तुमको फ़िजूल खर्ची करने की आदत लग गयी है.”
वाणी की इस बात ने मुझे और भी ज़्यादा हैरान करके रख दिया था. क्योकि अभी तक मैने अपनी की गयी शॉपिंग के बारे मे किसी को बताया ही नही था. रात को अमि निमी ज़रूर इसके बारे मे पुछ रही थी.
लेकिन मैने उन्हे भी सुबह के लिए टाल दिया था. ऐसे मे मेरी की गयी शॉपिंग का छोटी माँ को कैसे पता चला, ये बात मुझे समझ मे नही आई और मैने वाणी से कहा.
मैं बोला “लेकिन दीदी, अभी तो मैने अपनी शॉपिंग का किसी को कुछ बताया भी नही है. फिर छोटी माँ को शॉपिंग का कैसे पता चल गया.”
वाणी बोली “जब मैं सोकर उठी तो, सीधे नीचे आ गयी थी. उस समय कीर्ति तुम्हारे बॅग खोल खोल कर मौसी को दिखा रही थी. तुम्हारी शॉपिंग से भरे 5 बॅग देख कर, मौसी का दिमाग़ घूम गया.”
“उनको लगा कि, इतने सारे पैसे देख कर, तुम्हारा दिमाग़ फिर गया है और तुमने शॉपिंग करने मे पानी की तरह पैसा बहाया है. इसी वजह से तुम्हारे खर्चे पर लगाम लगाने के लिए उन्हो ने ये कदम उठाया है.”
वाणी की ये बात सुनकर, मुझे समझ मे आया कि, ये सारी आग कीर्ति की लगाई हुई है. अमि निमी ने तो मेरी बात सुनकर, सबर कर लिया था. लेकिन कीर्ति की इस बेसब्री ने मुझे कॅंगाल बना कर रख दिया था.
उस पर भी, जब छोटी माँ मुझे ये सब करने का हुकुम सुना रही थी तो, वो ऐसी भोली बन रही थी कि, जैसे उसे इस बारे मे अभी ही पता चल रहा हो और इस बात को सुनकर, उसे भी झटका लगा हो.
कीर्ति के उस समय के चेहरे को याद करके, मुझे उस पर गुस्सा नही, बल्कि उसकी इस हरकत पर हँसी आ रही थी. मैने मुस्कुराते हुए वाणी से कहा.
मैं बोला “दीदी, वो बॅग देख कर, आप लोगों को ग़लत फ़हमी हो गयी है. वो सारे बॅग मेरी की हुई शॉपिंग से नही, बल्कि वहाँ से मिले गिफ्ट से भरे हुए है.”
वाणी बोली “अब ये बात तुम मुझे नही, बल्कि मौसी को समझाओ. हो सकता है कि, तुम्हारी बात सुनकर, उनका मूड बदल जाए और वो तुम्हारे साथ सख्ती करना बंद कर दे.”
मैने भी वाणी की इस बात मे, हां मे हां मिलाई और फिर कुछ ही देर मे हम घर पहुच गये. हम जब घर पहुचे तो, छोटी माँ लोग भी वापस आ चुकी थी. मुझे देखते ही, निमी गिफ्ट देखने की ज़िद करने लगी.
उसकी बात सुनकर, मैं अपने सारे बॅग उठा कर ले आया. लेकिन मेरे बॅग देखते ही, जहाँ अमि, निमी और वाणी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. वही छोटी माँ के चेहरे पर नाराज़गी के भाव आ गये.
छोटी माँ का नाराज़गी भरा चेहरा देख कर, कीर्ति सहम गयी. लेकिन वाणी सारी असलियत जान चुकी थी. इसलिए उसने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी बोली “अब हमें बॅग ही दिखाओगे या बॅग के अंदर का समान भी दिखाओगे.”
वाणी की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए एक बॅग खोला और उसमे से एक फ़ौजी का ड्रेस निकाल कर, निमी की तरफ बढ़ा दिया. अपनी ड्रेस देख कर निमी खुशी से उच्छलने लगी.
फिर मैने निमी को एक वीडियो गेम और कुछ खिलोने निकाल कर दिए. निमी का वीडियो गेम देखते ही, अमि ने गुस्सा होते हुए कहा.
अमि बोली “भैया, ये तो बहुत ग़लत बात है. आपने मुझसे वादा किया था कि, आप मुझे 1000 गेम वाला वीडियो गेम दिलाएगे. लेकिन आपने वो गेम निमी को दिला दिया. अब मुझे आपसे कुछ नही चाहिए.”
अमि को गुस्सा होते देख, मैने उसे आँख मारते हुए कहा.
मैं बोला “तू निमी के वीडियो गेम को देख कर क्यो जलती है. निमी वीडियो गेम को लेकर हर जगह थोड़ी जा सकती है. मैं तेरे लिए एक ऐसी चीज़ लेकर आया हूँ. जो बहुत सुंदर है और तू उसे कहीं भी लेकर जा सकती है.”
ये कहते हुए, मैने एक बार्बी डॉल निकाल कर अमि की तरफ बढ़ा दी. बार्बी डॉल को देखते ही, शायद अमि को मेरे आँख मारने का मतलब समझ मे आ गया था. उसने फ़ौरन खुशी खुशी बार्बी डॉल ले ली.
असल मे मैं अमि के लिए वीडियो गेम लाया था और निमी के लिए बार्बी डॉल लाया था. निमी की कमज़ोरी डॉल थी. लेकिन साथ ही साथ, उसकी आदत अमि के खिलोनो पर नियत खराब करने की भी थी.
इसी वजह से मैने दोनो के गिफ्ट, अदला बदली करके दिए थे. ताकि निमी खुद ही अमि को वीडियो गेम दे दे और वही हुआ. अमि के पास बार्बी डॉल देखते ही, निमी की सारी खुशी गायब हो गयी और उसने अमि को लालच देते हुए कहा.
निमी बोली “दीदी, यदि आपको वीडियो गेम चाहिए है तो, आप मेरा वीडियो गेम ले लीजिए और मुझे अपनी बार्बी डॉल दे दीजिए. मैं उसी से काम चला लुगी.”
मगर निमी की बात सुनकर, अमि ने भाव खाते हुए कहा.
अमि बोली “नही, मुझे तुम्हारा गिफ्ट नही चाहिए. तुम अपनी डॉल को तोड़ डोगी और बाद मे अपना गेम मुझसे वापस माँगने लगोगी.”
अमि की इस बात पर निमी ने मस्का लगाते हुए कहा.
निमी बोली “नही दीदी, मैं इस बार ऐसा कुछ नही करूगी.”
निमी की बात सुनते ही, मैने फ़ौरन बीच मे आते हुए अमि से कहा.
मैं बोला “आमो, जब निमी इतने प्यार से कह रही है तो, तू उसकी बात मान क्यो नही लेती. मैं जबाब्दारी लेता हूँ कि, वो वीडियो गेम को हाथ भी नही लगाएगी.”
मेरी बात सुनते ही, अमि ने मुस्कुराते हुए, फ़ौरन वीडियो गेम ले लिया और डॉल निमी को दे दी. सब उनका ये तमाशा देख कर मज़ा ले रहे थे. इसके बाद, मैने अमि को कुछ खिलोने और एक प्यारा सा लहंगा चुनरी निकाल कर दी.
जिसे देखते ही, वो भी खुशी से उछल्ने लगी. लेकिन छोटी माँ के चेहरे पर नाराज़गी अभी भी झलक रही थी और जिसे देख देख कर, कीर्ति घबरा रही थी. लेकिन मैं छोटी माँ की इस नाराज़गी को अच्छी तरह से समझ रहा था.
इसलिए मैने उनकी इस नाराज़गी को नज़र अंदाज़ करते हुए, अपने बॅग से एक नेवी ब्लू पॉलीयेसटर ओवरलॅप ड्रेस और एक ब्लॅक प्रिंटेड स्कर्ट टॉप निकाल कर कीर्ति की तरफ बढ़ा दिए. जिसे उसने एक फीकी सी मुस्कान के साथ, खामोशी से ले लिया.
यदि कोई और समय होता तो, इन ड्रेस को देख कर, कीर्ति ने अमि निमी से ज़्यादा उच्छल कूद करना सुरू कर दिया होता. क्योकि दोनो ही ड्रेस उसकी पसंद और पहनावे को देख कर ही मैने खरीदे थे.
लेकिन इस समय उसे इस बात का डर सता रहा था कि, ना जाने कब छोटी माँ का गुस्सा मेरे उपर फट पड़ेगा. जिस वजह से अपनी मनपसंद ड्रेस देख कर भी, उसके चेहरे पर ज़्यादा खुशी नज़र नही आई थी.
मुझे मन ही मन कीर्ति की इस हालत पर हँसी आ रही थी. लेकिन फिर मैं अपनी हँसी को दबाते हुए, दूसरा बॅग खोलने लगा. मैने उस मे से एक वाइट नेट टॉप और ब्लॅक जीन्स निकाल कर वाणी की तरफ बढ़ा दिया.
लेकिन उस ड्रेस को देखते ही, वाणी को शायद मेहुल की हरकत याद आ गयी थी. इसलिए उन्हो ने उसे लेने के पहले मुझसे पुछा.
वाणी बोली “ये तुम सच मे ही मेरे लिए लाए हो या फिर किसी और के लिए लाए हुई ड्रेस मुझे दे रहे हो.”
मैं बोला “नही दीदी, मैं ये आपके लिए ही लाया हूँ. मुझे पहले से ही पता था कि, आप आने वाली हो.”
मेरी बात सुनकर, वाणी ने मुस्कुराते हुए, वो ड्रेस ले लिया. इसके बाद मैने बॅग मे से एक साड़ी निकली और चंदा मौसी को देने लगा. लेकिन उन्हो ने साड़ी लेने से मना करते हुए कहा.
चंदा मौसी बोली “अरे बाबा, मैं इतनी महँगी सॅडी लेकर क्या करूगी. मुझे कौन सा कहीं जाना रहता है. तुम ऐसा करो, ये साड़ी रिचा बिटिया को दे देना.”
चंदा मौसी की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “मौसी, आप इसे घर मे ही पहन लेना. रही बात रिचा आंटी की तो, मैं उनके लिए भी साड़ी लाया हूँ.”
इसके बाद, मैने बॅग मे से एक शर्ट निकाली और कीर्ति की तरफ बढ़ाते हुए कहा.
मैं बोला “ये शर्ट पापा को दे देना.”
मेरी इस बात को सुनकर, अमि निमी को छोड़ कर, बाकी सब मुझे हैरानी से देखने लगे. क्योकि मेरी जिंदगी का ये पहला मौका था, जब मैं अपने पापा के लिए कोई गिफ्ट खरीद कर लाया था.
मेरे इस गिफ्ट को देख कर, सबके चेहरे खुशियों से खिल उठे और पहली बार छोटी माँ के चेहरे पर मुस्कान नज़र आई थी. लेकिन ना जाने क्यो, ये सब बातें मेरे दिल को चुभने लगी थी.
खास कर, छोटी माँ की मुस्कान मुझसे सहन नही हो रही थी. ये सब प्रिया का किया हुआ और उसने मुझे ये बात किसी से भी बोलने से मना किया था. लेकिन मैने इस बात को सबके सामने जाहिर करते हुए कहा.
मैं बोला “मैं तो पापा के लिए कुछ खरीदना ही भूल गया था. लेकिन बाद मे प्रिया ने वहाँ वालों के लिए शॉपिंग करते समय, पापा के लिए भी ये शर्ट खरीद ली थी.”
मेरी ये बात सुनते ही, सबके चेहरे की खुशी गायब हो गयी और सबको समझ मे आ गया कि, पापा के लिए शर्ट मैने नही खरीदी, बल्कि प्रिया ने मुझे ज़बरदस्ती खरीदवा दी होगी.
इस बात के समझ मे आते ही, सबके चेहरे की खुशी और छोटी माँ के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी थी. लेकिन इसके साथ ही छोटी माँ की आँखों से आँसू की दो बूंदे निकल आई थी.
उन्हो ने फ़ौरन ही सबकी नज़रों से बचा कर अपनी आँखों को पोन्छ लिया था. मुझे समझ मे आ गया था कि, मेरी इस बात से छोटी माँ के दिल को चोट पहुचि थी. जिस वजह से उनकी आँखों से अचानक आँसू छलक आए थे.
भले ही छोटी माँ अपने आँसुओं को सबकी नज़रों से छुपाने मे कामयाब हो गयी थी. मगर मेरी नज़रों से उनकी ये बात छुपि ना रह सकी थी और उन्हो ने भी ये देख लिया था कि, मैं उन्ही को देख रहा हूँ.
मुझे अपनी तरफ देखता पाकर, छोटी माँ ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और किसी गहरी सोच मे खो गयी. लेकिन उनके ये आँसू सीधे मेरे दिल पर गिर कर, मेरे दिल को जला गये थे और मेरी भी आँखें भर आई थी.
मैं उनके पास जाकर बैठ गया और उनकी गोद मे अपना चेहरा च्छूपा लिया. मेरी इस हरकत को देख कर सबको लगा की, मैं छोटी माँ के साथ लाड़ कर रहा हू. छोटी माँ प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरने लगी.
लेकिन मेरे सर पर हाथ फेरते ही, छोटी माँ को समझ मे आ गया कि, मैं उनकी गोद मे चेहरा छुपा कर रो रहा हूँ. उन्हो ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “ये क्या कर रहा है. ये सब तेरा मज़ाक उड़ाएगे कि, तू हर समय अपनी माँ की गोद मे छुपा रहता है.”
मगर इस समय मुझसे कुछ भी कहते नही बन पा रहा था. मैं उनको कैसे समझाता कि, अब मेरे और मेरे बाप के बीच की नफ़रत और भी ज़्यादा गहरी हो चुकी है. हम दोनो अब कभी भी एक नही हो सकते.
यही सब सोचते हुए, मैं अपनी और छोटी माँ की बेबसी पर आँसू बहाए जा रहा था. मेरी इस बेबसी का अहसास शायद छोटी माँ को भी कहीं ना कहीं हो चुका था. उन्हो ने मुझे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “फिकर क्यों करता है. मुझे तुझसे किसी बात की कोई शिकायत नही है.”
ये कहते हुए, उन्हो ने अपने आँचल से मेरा चेहरा सॉफ किया और फिर मुझे बहलाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “चल अब बहुत हो गया. सबके गिफ्ट दे दिए और मेरा गिफ्ट देने का समय आया तो, मेरी गोद मे मूह छुपा कर बैठ गया. कहीं ऐसा तो नही कि, तू मेरे लिए कुछ लाना ही भूल गया हो और इसलिए मुझे बहला रहा है.”
छोटी माँ की ये बात सुनते ही सब हँसने लगे और मैं भी उनके आँचल से अपना चेहरा सॉफ करके, उठ कर खड़ा हो गया. मैने अपने बॅग के पास आकर, बॅग मे से एक मरून कलर का, चंदेरी सिल्क का चुरिदार, कमीज़, दुपट्टा वित जॅकेट, निकाला और छोटी माँ की तरफ बढ़ा दिया.
जिसे देखते ही, वाणी के साथ साथ कीर्ति की आँख भी चौधिया गयी. उन्हो ने शायद मेरा ये बॅग खोल कर नही देखा था. उस सूट को देखते ही, वाणी अपनी जगह से उठी और छोटी माँ के पास आकर, उस सूट को खोल कर देखने लगी.
वो सूट देखने मे ही सबसे चमकदार और महँगा नज़र आ रहा था. सूट के खुलते ही कीर्ति भी वाणी के पास आकर सूट को देखने लगी. वाणी ने हैरानी से सूट को देखते हुए छोटी माँ से कहा.
वाणी बोली “मौसी ये सूट तो बहुत अच्छा है. लेकिन क्या आप इसे पहन पाएगी.”
वाणी की इस बात के जबाब मे छोटी माँ के कुछ बोल पाने के पहले ही, मैने जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “मैं इतने प्यार से लाया हूँ. छोटी मा इसे ज़रूर पहनेगी.”
मेरी इस बात पर वाणी ने मुझसे डाँटते हुए कहा.
वाणी बोली “तुम तो मुझसे बात ही मत करो. हम सबको तो सस्ते मे निपटा दिया और मौसी को इतना महँगा और सुंदर सूट दिया है.”
वाणी की बात को सुनकर, एक बार फिर सब हंस दिए. मेरे चेहरे पर भी बहुत देर बाद मुस्कान नज़र आई थी. कीर्ति भी छोटी माँ के सूट की बहुत तारीफ कर रही थी और वाणी की तरह वो भी मुझे, छोटी माँ को सबसे अच्छा सूट देने के उपर से ताने मार रही थी.
मैं छोटी माँ की इस बात से ज़रा भी खुश नही था. लेकिन मेरे पास उनकी बात मानने के सिवा कोई रास्ता भी नही था. मैं वाणी के साथ बॅंक चला गया. वहाँ पहुच कर वाणी अपना काम निपटने मे लग गयी.
जब उसका काम हो गया तो, उसने मुझसे छोटी माँ के खाते मे डालने को कहा. मैने गुस्से मे अपने खाते मे सिर्फ़ एक हज़ार रुपये छोड़ कर, बाकी सारे पैसे छोटी माँ के खाते मे डालने लगा.
मेरी इस हरकत को देख कर वाणी चौक गयी. उसने मुझे टोकते हुए कहा.
वाणी बोली “तुम ये क्या कर रहे हो. मौसी ने दस हज़ार रुपये तुम्हारे खाते मे छोड़ने को कहा था. तुम्हारी इस हरकत से वो गुस्सा हो जाएगी.”
मैं बोला “वो गुस्सा होती है तो, हो जाए. जब उन्हो ने मेरे बारे मे कुछ नही सोचा तो, अब मुझे भी उनके बारे मे कुछ नही सोचना. अब मुझे कुछ नही चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, वाणी ने मुझे समझाते हुए कहा.
वाणी बोली “क्या तुम पागल हो. जो इतनी सी बात पर अपना मूड खराब कर रहे हो. तुम्हे जब कभी पैसों की ज़रूरत हो, तुम मौसी से ले सकते हो. मुझे नही लगता कि, वो तुम्हे कभी पैसे देने के लिए मना करती होगी. फिर इस बात पर इतना गुस्सा करने की क्या ज़रूरत है.”
मैं बोला “दीदी, मैं मानता हूँ कि, छोटी माँ मुझे कभी पैसे के लिए मना नही करती. लेकिन ये पैसे मैने बड़ी मुश्किल से जोड़े थे और उन्हो ने मुझे एक पल मे ही कॅंगाल बना कर रख दिया.”
मेरी इस बात पर वाणी ने उल्टा मुझसे सवाल करते हुए कहा.
वाणी बोली “एक बात बताओ, यदि मौसी ने शिखा की शादी मे खर्चा नही किया होता तो, क्या ये डेढ़ लाख रुपये अभी भी तुम्हारे पास होते. क्या तुम्हे तब भी अपने पैसे खर्च होने का दुख हो रहा होता.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैं चुप करके रह गया. क्योकि उसकी ये बात सही थी. यदि छोटी माँ ने शादी मे खर्च ना किया होता तो, यक़ीनन मैं अपने सारे पैसे शादी मे खर्च कर चुका होता.
ये सब बातें समझ लेने के बाद भी, मेरा मूड सही होने का नाम नही ले रहा था. मेरा मूड सही ना होते देख, वाणी ने अपनी चेक बुक निकाली और डेढ़ लाख का एक चेक भर कर मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा.
वाणी बोली “ये चेक तुम रख लो. अभी जैसा मौसी ने कहा है, वैसा कर लो. बाद मे ये चेक अपने खाते मे डाल देना.”
मैं बोला “नही दीदी, मैं ये नही ले सकता. छोटी माँ को ये बात पता चलेगी तो, वो मुझसे नाराज़ हो जाएगी.”
वाणी बोली “अरे मौसी को ये बात कौन बताएगा. मैं मौसी से कुछ नही कहुगी और तुम भी उनको कुछ मत बताना. अब तुम सीधे तरीके से इसे रख लो.”
मैं बोला “दीदी आप समझती क्यों नही. यदि इन पैसों का उन्हे पता ही नही चलने देना है तो, मेरे लिए इन पैसों का कोई मतलब नही है. मुझे सच मे पैसे नही चाहिए.”
मेरी बात सुनकर, वाणी को शायद मेरी बात का मतलब समझ मे आ गया था. उसने मुझसे कहा.
वाणी बोली “कहीं तुम मौसी के जनमदिन के लिए तो, ये पैसे नही जोड़ रहे थे.”
वाणी की बात सुनते ही, मेरी आँखों मे आँसू तैर गये. सच वो ही था, जो वाणी ने कहा था. मैं छोटी माँ के जनमदिन के लिए, पिच्छले एक साल से ये पैसे जोड़ रहा था और उन्हो ने एक पल मे ही मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया था.
मेरी आँखें आँसुओं से भरी देख कर, वाणी ने मेरे आँसू पोछ्ते हुए कहा.
वाणी बोली “मेरे पागल भाई, इसमे इतना दुखी होने वाली क्या बात है. तुम्हारे वो पैसे, मैं तुमको मौसी से वापस दिला दूँगी.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैं गौर से वाणी की तरफ देखने लगा. इस समय वो बिल्कुल बरखा दीदी की तरह बात कर रही थी. बरखा दीदी को भी जब मेरे उपर बहुत प्यार आता था तो, वो इसी तरह से मुझे “मेरे भाई” कह कर बुलाती थी.
मैं वाणी को बरखा दीदी की वजह से गौर से देख रहा था. लेकिन वाणी को मेरे इस तरह से देखने की कुछ और वजह समझ मे आई और उसने मुझसे कहा.
वाणी बोली “क्या हुआ, क्या तुम्हे मेरी बात पर यकीन नही हो रहा है या फिर तुम्हे इस बात का डर सटा रहा है कि, मैं ये बात मौसी को बता दूँगी.”
वाणी की बात सुनकर, मैने उस से कहा.
मैं बोला “नही दीदी, ऐसी कोई बात नही है. लेकिन आप छोटी माँ से वो पैसे वापस करने के लिए, कुछ मत बोलिएगा. वरना उनको इस बात से दुख पहुचेगा.”
मेरी इस बात पर वाणी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी बोली “दुख तो, मौसी को तुम्हारे ये सब करने से भी होगा. क्योकि उनको ये ही लगेगा कि, तुमको उनकी बात मानने से तकलीफ़ पहुचि है. अगर तुम उनको दुख पहुचाना नही चाहते हो तो, जैसा उन्हो ने कहा है, वैसा ही करो.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैने छोटी माँ के कहे अनुसार, अपने खाते मे दस हज़ार छोड़ कर, बाकी के पैसे उनके खाते मे डाल दिए. इसके बाद, हम लोग घर के लिए निकल पड़े. घर जाते समय रास्ते मे वाणी ने मुझसे कहा.
वाणी बोली “वैसे मुझे ये बात तुमको बतानी तो, नही चाहिए. लेकिन तुम अपने पैसे जाने से बहुत परेशान हो. इसलिए तुमको बता देती हूँ कि, मौसी ने तुमसे सारे पैसे क्यो ले लिए है.”
वाणी की ये बात सुनकर, मैं हैरानी से उसकी तरफ देखने लगा. वाणी ने मेरी इस हैरानी को दूर करते हुए कहा.
वाणी बोली “मौसी ने तुम्हारी खुशी के लिए, शिखा की शादी मे पानी की तरह पैसा बहाया था. लेकिन अब उनको इस बात का डर भी सता रहा है कि, कहीं पैसे की ये चका चौंध देख कर तुम बहक ना जाओ. इसलिए अब वो तुम्हारे साथ सख्ती से काम ले रही है.”
वाणी की ये बात सुनकर, एक बार फिर मेरी आँखों मे नमी आ गयी. लेकिन मैने अपनी आँखों की नमी को सॉफ किया और पहली बार मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी भला ये क्या बात हुई. छोटी माँ को मेरी किस बात से ऐसा लगा कि, मैं पैसों की चका चौंध देख कर बहक जाउन्गा. मैं तो उन से बिना पुछे कुछ भी नही करता हूँ और हर काम के लिए, पैसे भी उन्ही से ही लेता हूँ.”
वाणी बोली “क्या तुम भूल गये हो कि, तुम मुंबई से सबके लिए कितनी सारी शॉपिंग करके आए हो. यही सब देख कर, उनको लगा कि, अब तुमको फ़िजूल खर्ची करने की आदत लग गयी है.”
वाणी की इस बात ने मुझे और भी ज़्यादा हैरान करके रख दिया था. क्योकि अभी तक मैने अपनी की गयी शॉपिंग के बारे मे किसी को बताया ही नही था. रात को अमि निमी ज़रूर इसके बारे मे पुछ रही थी.
लेकिन मैने उन्हे भी सुबह के लिए टाल दिया था. ऐसे मे मेरी की गयी शॉपिंग का छोटी माँ को कैसे पता चला, ये बात मुझे समझ मे नही आई और मैने वाणी से कहा.
मैं बोला “लेकिन दीदी, अभी तो मैने अपनी शॉपिंग का किसी को कुछ बताया भी नही है. फिर छोटी माँ को शॉपिंग का कैसे पता चल गया.”
वाणी बोली “जब मैं सोकर उठी तो, सीधे नीचे आ गयी थी. उस समय कीर्ति तुम्हारे बॅग खोल खोल कर मौसी को दिखा रही थी. तुम्हारी शॉपिंग से भरे 5 बॅग देख कर, मौसी का दिमाग़ घूम गया.”
“उनको लगा कि, इतने सारे पैसे देख कर, तुम्हारा दिमाग़ फिर गया है और तुमने शॉपिंग करने मे पानी की तरह पैसा बहाया है. इसी वजह से तुम्हारे खर्चे पर लगाम लगाने के लिए उन्हो ने ये कदम उठाया है.”
वाणी की ये बात सुनकर, मुझे समझ मे आया कि, ये सारी आग कीर्ति की लगाई हुई है. अमि निमी ने तो मेरी बात सुनकर, सबर कर लिया था. लेकिन कीर्ति की इस बेसब्री ने मुझे कॅंगाल बना कर रख दिया था.
उस पर भी, जब छोटी माँ मुझे ये सब करने का हुकुम सुना रही थी तो, वो ऐसी भोली बन रही थी कि, जैसे उसे इस बारे मे अभी ही पता चल रहा हो और इस बात को सुनकर, उसे भी झटका लगा हो.
कीर्ति के उस समय के चेहरे को याद करके, मुझे उस पर गुस्सा नही, बल्कि उसकी इस हरकत पर हँसी आ रही थी. मैने मुस्कुराते हुए वाणी से कहा.
मैं बोला “दीदी, वो बॅग देख कर, आप लोगों को ग़लत फ़हमी हो गयी है. वो सारे बॅग मेरी की हुई शॉपिंग से नही, बल्कि वहाँ से मिले गिफ्ट से भरे हुए है.”
वाणी बोली “अब ये बात तुम मुझे नही, बल्कि मौसी को समझाओ. हो सकता है कि, तुम्हारी बात सुनकर, उनका मूड बदल जाए और वो तुम्हारे साथ सख्ती करना बंद कर दे.”
मैने भी वाणी की इस बात मे, हां मे हां मिलाई और फिर कुछ ही देर मे हम घर पहुच गये. हम जब घर पहुचे तो, छोटी माँ लोग भी वापस आ चुकी थी. मुझे देखते ही, निमी गिफ्ट देखने की ज़िद करने लगी.
उसकी बात सुनकर, मैं अपने सारे बॅग उठा कर ले आया. लेकिन मेरे बॅग देखते ही, जहाँ अमि, निमी और वाणी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. वही छोटी माँ के चेहरे पर नाराज़गी के भाव आ गये.
छोटी माँ का नाराज़गी भरा चेहरा देख कर, कीर्ति सहम गयी. लेकिन वाणी सारी असलियत जान चुकी थी. इसलिए उसने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी बोली “अब हमें बॅग ही दिखाओगे या बॅग के अंदर का समान भी दिखाओगे.”
वाणी की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए एक बॅग खोला और उसमे से एक फ़ौजी का ड्रेस निकाल कर, निमी की तरफ बढ़ा दिया. अपनी ड्रेस देख कर निमी खुशी से उच्छलने लगी.
फिर मैने निमी को एक वीडियो गेम और कुछ खिलोने निकाल कर दिए. निमी का वीडियो गेम देखते ही, अमि ने गुस्सा होते हुए कहा.
अमि बोली “भैया, ये तो बहुत ग़लत बात है. आपने मुझसे वादा किया था कि, आप मुझे 1000 गेम वाला वीडियो गेम दिलाएगे. लेकिन आपने वो गेम निमी को दिला दिया. अब मुझे आपसे कुछ नही चाहिए.”
अमि को गुस्सा होते देख, मैने उसे आँख मारते हुए कहा.
मैं बोला “तू निमी के वीडियो गेम को देख कर क्यो जलती है. निमी वीडियो गेम को लेकर हर जगह थोड़ी जा सकती है. मैं तेरे लिए एक ऐसी चीज़ लेकर आया हूँ. जो बहुत सुंदर है और तू उसे कहीं भी लेकर जा सकती है.”
ये कहते हुए, मैने एक बार्बी डॉल निकाल कर अमि की तरफ बढ़ा दी. बार्बी डॉल को देखते ही, शायद अमि को मेरे आँख मारने का मतलब समझ मे आ गया था. उसने फ़ौरन खुशी खुशी बार्बी डॉल ले ली.
असल मे मैं अमि के लिए वीडियो गेम लाया था और निमी के लिए बार्बी डॉल लाया था. निमी की कमज़ोरी डॉल थी. लेकिन साथ ही साथ, उसकी आदत अमि के खिलोनो पर नियत खराब करने की भी थी.
इसी वजह से मैने दोनो के गिफ्ट, अदला बदली करके दिए थे. ताकि निमी खुद ही अमि को वीडियो गेम दे दे और वही हुआ. अमि के पास बार्बी डॉल देखते ही, निमी की सारी खुशी गायब हो गयी और उसने अमि को लालच देते हुए कहा.
निमी बोली “दीदी, यदि आपको वीडियो गेम चाहिए है तो, आप मेरा वीडियो गेम ले लीजिए और मुझे अपनी बार्बी डॉल दे दीजिए. मैं उसी से काम चला लुगी.”
मगर निमी की बात सुनकर, अमि ने भाव खाते हुए कहा.
अमि बोली “नही, मुझे तुम्हारा गिफ्ट नही चाहिए. तुम अपनी डॉल को तोड़ डोगी और बाद मे अपना गेम मुझसे वापस माँगने लगोगी.”
अमि की इस बात पर निमी ने मस्का लगाते हुए कहा.
निमी बोली “नही दीदी, मैं इस बार ऐसा कुछ नही करूगी.”
निमी की बात सुनते ही, मैने फ़ौरन बीच मे आते हुए अमि से कहा.
मैं बोला “आमो, जब निमी इतने प्यार से कह रही है तो, तू उसकी बात मान क्यो नही लेती. मैं जबाब्दारी लेता हूँ कि, वो वीडियो गेम को हाथ भी नही लगाएगी.”
मेरी बात सुनते ही, अमि ने मुस्कुराते हुए, फ़ौरन वीडियो गेम ले लिया और डॉल निमी को दे दी. सब उनका ये तमाशा देख कर मज़ा ले रहे थे. इसके बाद, मैने अमि को कुछ खिलोने और एक प्यारा सा लहंगा चुनरी निकाल कर दी.
जिसे देखते ही, वो भी खुशी से उछल्ने लगी. लेकिन छोटी माँ के चेहरे पर नाराज़गी अभी भी झलक रही थी और जिसे देख देख कर, कीर्ति घबरा रही थी. लेकिन मैं छोटी माँ की इस नाराज़गी को अच्छी तरह से समझ रहा था.
इसलिए मैने उनकी इस नाराज़गी को नज़र अंदाज़ करते हुए, अपने बॅग से एक नेवी ब्लू पॉलीयेसटर ओवरलॅप ड्रेस और एक ब्लॅक प्रिंटेड स्कर्ट टॉप निकाल कर कीर्ति की तरफ बढ़ा दिए. जिसे उसने एक फीकी सी मुस्कान के साथ, खामोशी से ले लिया.
यदि कोई और समय होता तो, इन ड्रेस को देख कर, कीर्ति ने अमि निमी से ज़्यादा उच्छल कूद करना सुरू कर दिया होता. क्योकि दोनो ही ड्रेस उसकी पसंद और पहनावे को देख कर ही मैने खरीदे थे.
लेकिन इस समय उसे इस बात का डर सता रहा था कि, ना जाने कब छोटी माँ का गुस्सा मेरे उपर फट पड़ेगा. जिस वजह से अपनी मनपसंद ड्रेस देख कर भी, उसके चेहरे पर ज़्यादा खुशी नज़र नही आई थी.
मुझे मन ही मन कीर्ति की इस हालत पर हँसी आ रही थी. लेकिन फिर मैं अपनी हँसी को दबाते हुए, दूसरा बॅग खोलने लगा. मैने उस मे से एक वाइट नेट टॉप और ब्लॅक जीन्स निकाल कर वाणी की तरफ बढ़ा दिया.
लेकिन उस ड्रेस को देखते ही, वाणी को शायद मेहुल की हरकत याद आ गयी थी. इसलिए उन्हो ने उसे लेने के पहले मुझसे पुछा.
वाणी बोली “ये तुम सच मे ही मेरे लिए लाए हो या फिर किसी और के लिए लाए हुई ड्रेस मुझे दे रहे हो.”
मैं बोला “नही दीदी, मैं ये आपके लिए ही लाया हूँ. मुझे पहले से ही पता था कि, आप आने वाली हो.”
मेरी बात सुनकर, वाणी ने मुस्कुराते हुए, वो ड्रेस ले लिया. इसके बाद मैने बॅग मे से एक साड़ी निकली और चंदा मौसी को देने लगा. लेकिन उन्हो ने साड़ी लेने से मना करते हुए कहा.
चंदा मौसी बोली “अरे बाबा, मैं इतनी महँगी सॅडी लेकर क्या करूगी. मुझे कौन सा कहीं जाना रहता है. तुम ऐसा करो, ये साड़ी रिचा बिटिया को दे देना.”
चंदा मौसी की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “मौसी, आप इसे घर मे ही पहन लेना. रही बात रिचा आंटी की तो, मैं उनके लिए भी साड़ी लाया हूँ.”
इसके बाद, मैने बॅग मे से एक शर्ट निकाली और कीर्ति की तरफ बढ़ाते हुए कहा.
मैं बोला “ये शर्ट पापा को दे देना.”
मेरी इस बात को सुनकर, अमि निमी को छोड़ कर, बाकी सब मुझे हैरानी से देखने लगे. क्योकि मेरी जिंदगी का ये पहला मौका था, जब मैं अपने पापा के लिए कोई गिफ्ट खरीद कर लाया था.
मेरे इस गिफ्ट को देख कर, सबके चेहरे खुशियों से खिल उठे और पहली बार छोटी माँ के चेहरे पर मुस्कान नज़र आई थी. लेकिन ना जाने क्यो, ये सब बातें मेरे दिल को चुभने लगी थी.
खास कर, छोटी माँ की मुस्कान मुझसे सहन नही हो रही थी. ये सब प्रिया का किया हुआ और उसने मुझे ये बात किसी से भी बोलने से मना किया था. लेकिन मैने इस बात को सबके सामने जाहिर करते हुए कहा.
मैं बोला “मैं तो पापा के लिए कुछ खरीदना ही भूल गया था. लेकिन बाद मे प्रिया ने वहाँ वालों के लिए शॉपिंग करते समय, पापा के लिए भी ये शर्ट खरीद ली थी.”
मेरी ये बात सुनते ही, सबके चेहरे की खुशी गायब हो गयी और सबको समझ मे आ गया कि, पापा के लिए शर्ट मैने नही खरीदी, बल्कि प्रिया ने मुझे ज़बरदस्ती खरीदवा दी होगी.
इस बात के समझ मे आते ही, सबके चेहरे की खुशी और छोटी माँ के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी थी. लेकिन इसके साथ ही छोटी माँ की आँखों से आँसू की दो बूंदे निकल आई थी.
उन्हो ने फ़ौरन ही सबकी नज़रों से बचा कर अपनी आँखों को पोन्छ लिया था. मुझे समझ मे आ गया था कि, मेरी इस बात से छोटी माँ के दिल को चोट पहुचि थी. जिस वजह से उनकी आँखों से अचानक आँसू छलक आए थे.
भले ही छोटी माँ अपने आँसुओं को सबकी नज़रों से छुपाने मे कामयाब हो गयी थी. मगर मेरी नज़रों से उनकी ये बात छुपि ना रह सकी थी और उन्हो ने भी ये देख लिया था कि, मैं उन्ही को देख रहा हूँ.
मुझे अपनी तरफ देखता पाकर, छोटी माँ ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और किसी गहरी सोच मे खो गयी. लेकिन उनके ये आँसू सीधे मेरे दिल पर गिर कर, मेरे दिल को जला गये थे और मेरी भी आँखें भर आई थी.
मैं उनके पास जाकर बैठ गया और उनकी गोद मे अपना चेहरा च्छूपा लिया. मेरी इस हरकत को देख कर सबको लगा की, मैं छोटी माँ के साथ लाड़ कर रहा हू. छोटी माँ प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरने लगी.
लेकिन मेरे सर पर हाथ फेरते ही, छोटी माँ को समझ मे आ गया कि, मैं उनकी गोद मे चेहरा छुपा कर रो रहा हूँ. उन्हो ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “ये क्या कर रहा है. ये सब तेरा मज़ाक उड़ाएगे कि, तू हर समय अपनी माँ की गोद मे छुपा रहता है.”
मगर इस समय मुझसे कुछ भी कहते नही बन पा रहा था. मैं उनको कैसे समझाता कि, अब मेरे और मेरे बाप के बीच की नफ़रत और भी ज़्यादा गहरी हो चुकी है. हम दोनो अब कभी भी एक नही हो सकते.
यही सब सोचते हुए, मैं अपनी और छोटी माँ की बेबसी पर आँसू बहाए जा रहा था. मेरी इस बेबसी का अहसास शायद छोटी माँ को भी कहीं ना कहीं हो चुका था. उन्हो ने मुझे समझाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “फिकर क्यों करता है. मुझे तुझसे किसी बात की कोई शिकायत नही है.”
ये कहते हुए, उन्हो ने अपने आँचल से मेरा चेहरा सॉफ किया और फिर मुझे बहलाते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “चल अब बहुत हो गया. सबके गिफ्ट दे दिए और मेरा गिफ्ट देने का समय आया तो, मेरी गोद मे मूह छुपा कर बैठ गया. कहीं ऐसा तो नही कि, तू मेरे लिए कुछ लाना ही भूल गया हो और इसलिए मुझे बहला रहा है.”
छोटी माँ की ये बात सुनते ही सब हँसने लगे और मैं भी उनके आँचल से अपना चेहरा सॉफ करके, उठ कर खड़ा हो गया. मैने अपने बॅग के पास आकर, बॅग मे से एक मरून कलर का, चंदेरी सिल्क का चुरिदार, कमीज़, दुपट्टा वित जॅकेट, निकाला और छोटी माँ की तरफ बढ़ा दिया.
जिसे देखते ही, वाणी के साथ साथ कीर्ति की आँख भी चौधिया गयी. उन्हो ने शायद मेरा ये बॅग खोल कर नही देखा था. उस सूट को देखते ही, वाणी अपनी जगह से उठी और छोटी माँ के पास आकर, उस सूट को खोल कर देखने लगी.
वो सूट देखने मे ही सबसे चमकदार और महँगा नज़र आ रहा था. सूट के खुलते ही कीर्ति भी वाणी के पास आकर सूट को देखने लगी. वाणी ने हैरानी से सूट को देखते हुए छोटी माँ से कहा.
वाणी बोली “मौसी ये सूट तो बहुत अच्छा है. लेकिन क्या आप इसे पहन पाएगी.”
वाणी की इस बात के जबाब मे छोटी माँ के कुछ बोल पाने के पहले ही, मैने जबाब देते हुए कहा.
मैं बोला “मैं इतने प्यार से लाया हूँ. छोटी मा इसे ज़रूर पहनेगी.”
मेरी इस बात पर वाणी ने मुझसे डाँटते हुए कहा.
वाणी बोली “तुम तो मुझसे बात ही मत करो. हम सबको तो सस्ते मे निपटा दिया और मौसी को इतना महँगा और सुंदर सूट दिया है.”
वाणी की बात को सुनकर, एक बार फिर सब हंस दिए. मेरे चेहरे पर भी बहुत देर बाद मुस्कान नज़र आई थी. कीर्ति भी छोटी माँ के सूट की बहुत तारीफ कर रही थी और वाणी की तरह वो भी मुझे, छोटी माँ को सबसे अच्छा सूट देने के उपर से ताने मार रही थी.