hotaks444
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माँ का आँचल और बहन की लाज़
फ्रेंड्स आपने मेरे द्वारा पोस्ट की गई कहानियो को काफ़ी सराहा है इसके लिए मैं आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ और अब आपके लिए एक और नई कहानी लेकर पेश हुआ हूँ दोस्तो जैसे कि आप जानते हैं कि मैं कोई लेखक नही हूँ ये कहानी आकाश ने लिखी है और मुझे जो कहानी अच्छी लगती है उसे आपके साथ शेअर कर लेता हूँ लेकिन इसका मतलब ये नही है कि मैं मेहनत नही करता अरे भाई कॉपी पेस्ट या हिन्दी मे कॅन्वेर्ट करने मे भी मेहनत लगती है हा हा हा हा हा हा हा हा शुउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ हँसो मत यार अब मैं सीरियस हो जाता हूँ और कहानी की तरफ आता हूँ .............................दोस्तो................
माँ का आँचल कितने थोड़े से कपड़ों का है..पर कितना बड़ा सहारा देता है अपने बच्चो को...कभी .उसके अंदर की गर्मी..कभी .उसके अंदर की शीतलता तो कभी उसके अंदर की शांति ..क्या कहीं और मिल सकती है..?? कितना पवित्र , कितना निर्मल और स्वच्छ ...
पर वक़्त भी क्या क्या खेल खेलता है इंसानों के साथ ..यही पवित्र आँचल कभी कभी कितना मैला हो जाता है ... उसकी शीतल छाया भी शीतलता दे नहीं पाती..उसकी जगह ले लेती है दुर्गंध भरी वासना,,हवस और धन लोलुप्ता ...
शशांक के जीवन में भी कुछ ऐसा ही हुआ ...
अचानक एक पल में ही उसका हंसता खेलता परिवार ताश के पत्त्तो की तरह ढह गया ... ऐसी आँधी आई सब कुछ आँधी की तेज़ झोंको में उड़ गया ...
रह गया सिर्फ़ उसकी माँ का आँचल और उसकी बहेन की लाज़...
शशांक खुद 20 साल का जवान पर जीवन की लड़ाई में एक अबोध बच्चा .... माँ के आँचल को क्या मैला होने से बचा सका ..क्या अपनी बहेन की लाज़ की रक्षा कर सका ...????
दोस्तो इन सभी सवालों का जबाब धीरे धीरे मिलता रहेगा आने वाले अपडेट्स मे
फ्रेंड्स आपने मेरे द्वारा पोस्ट की गई कहानियो को काफ़ी सराहा है इसके लिए मैं आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ और अब आपके लिए एक और नई कहानी लेकर पेश हुआ हूँ दोस्तो जैसे कि आप जानते हैं कि मैं कोई लेखक नही हूँ ये कहानी आकाश ने लिखी है और मुझे जो कहानी अच्छी लगती है उसे आपके साथ शेअर कर लेता हूँ लेकिन इसका मतलब ये नही है कि मैं मेहनत नही करता अरे भाई कॉपी पेस्ट या हिन्दी मे कॅन्वेर्ट करने मे भी मेहनत लगती है हा हा हा हा हा हा हा हा शुउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ हँसो मत यार अब मैं सीरियस हो जाता हूँ और कहानी की तरफ आता हूँ .............................दोस्तो................
माँ का आँचल कितने थोड़े से कपड़ों का है..पर कितना बड़ा सहारा देता है अपने बच्चो को...कभी .उसके अंदर की गर्मी..कभी .उसके अंदर की शीतलता तो कभी उसके अंदर की शांति ..क्या कहीं और मिल सकती है..?? कितना पवित्र , कितना निर्मल और स्वच्छ ...
पर वक़्त भी क्या क्या खेल खेलता है इंसानों के साथ ..यही पवित्र आँचल कभी कभी कितना मैला हो जाता है ... उसकी शीतल छाया भी शीतलता दे नहीं पाती..उसकी जगह ले लेती है दुर्गंध भरी वासना,,हवस और धन लोलुप्ता ...
शशांक के जीवन में भी कुछ ऐसा ही हुआ ...
अचानक एक पल में ही उसका हंसता खेलता परिवार ताश के पत्त्तो की तरह ढह गया ... ऐसी आँधी आई सब कुछ आँधी की तेज़ झोंको में उड़ गया ...
रह गया सिर्फ़ उसकी माँ का आँचल और उसकी बहेन की लाज़...
शशांक खुद 20 साल का जवान पर जीवन की लड़ाई में एक अबोध बच्चा .... माँ के आँचल को क्या मैला होने से बचा सका ..क्या अपनी बहेन की लाज़ की रक्षा कर सका ...????
दोस्तो इन सभी सवालों का जबाब धीरे धीरे मिलता रहेगा आने वाले अपडेट्स मे