Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से - Page 3 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से

प्रीति ने अपनी जुबान से अपनी प्यारी भाभी के रस को पीना शुरू कर दिया। रूबी हल्के-हल्के झटके लगाकर अपना रस छोड़ती जा रही थी, और प्रीति अपनी जुबान से उसे चाट-चाट कर चूत को सुखा रही थी। इधर प्रीति का बदन भी अकड़ने लगा। अब रूबी का जिश्म ढीला पड़ने शुरू हो गया और उसने अपनी टाँगें बेड पे फैला दी। कुछ देर बाद प्रीति की चूत ने भी पानी छोड़ दिया। प्रीति ने अपनी चूत को रूबी की चूत सटा दिया और दोनों की चूत का रास आपस में मिलने लगा।

रूबी ने आँखें खोलकर प्रीति की तरफ देखा, मानो उसका शुक्रिया कर रही हो। दोनों मुश्कुरा पड़ी। प्रीति खुश थी की उसने भाभी की प्यास भुझा दी। कुछ देर बाद दोनों कम्बल में नींद के आगोश में खो गये।

*****
*****
अगले दिन रूबी प्रीति से नजरें नहीं मिला पा रही थी। सुबह का नाश्ता भी कर लिया था, और प्रीति और रूबी में कोई बात नहीं हुई थी सुबह से। प्रीति तो नार्मल ही थी, पर रूबी को शर्म आ रही थी। उसने तो सुबह से सास ससुर से भी कुछ खास बात नहीं की थी। जब सुबह खाना खाने के बाद सीमा कामवाली आई और अपनी सफाई का काम करने लगी। रूबी ने उससे सफाई करवाई।

सीमा ने काम खतम होने के बाद बोला- “मैं 15 दिन तक नहीं आ सकती मुझे कहीं जाना है.."

कमलजीत- ठीक है। पर तू अपनी जगह किसी को तो काम पे लगवा दे तब तक।

सीमा- बीवीजी ऐसा तो कोई नहीं है, पर मैं अपनी बेटी को बोल सकती हूँ।

रूबी- वो स्कूल नहीं जाती क्या?

सीमा- जी जाती है। पर अगर आप बोलते हैं तो 15 दिन काम पे आ जाएगी।

रूबी ने कुछ देर सोचा और बोली- “नहीं रहने दे दो, हम मैनेज कर लेंगे...'

सीमा- जी अच्छा।

सीमा वापिस अपने घर चली गई और रूबी, प्रीति और कमलजीत घर के पीछे के पार्क में धूप का आनंद लेने लगे और बातें करने लगे।

कमलजीत- बहू, घर की सफाई काम अब कैसे मनेज करेंगे?

रूबी- मम्मीजी, मैं सोचती हूँ की राम को सफाई के लिए बोल देते हैं। वैसे भी वो सफाई के टाइम ज्यादार फ्री होता है। उसे पगार भी ज्यादा दे देंगे। वो बोल भी रहा था सेलरी बढ़ाने को।

कमलजीत- हाँ वो तो है। मैं तुम्हारे ससुरजी से बात करती हूँ।

प्रीति- मम्मी, पापा तो रात को आएंगे। राम को काम भी तो समझाना होगा भाभी ने। आप फोन पे बात कर लो।

रूबी- हाँ जी। मम्मीजी फोन पे पूछ लो और मैं काम भी समझा दूंगी।

कमलजीत- "ठीक है। मेरा फोन अंदर है, मैं पूछकर आती हूँ..." और कमलजीत इतना बोलते ही घर के अंदर जाने के लिए चल पड़ी। अब प्रीति और रूबी सिर्फ दोनों ही पार्क में थी और धूप का आनंद ले रही थी।

प्रीति ने अपनी आँखें रूबी के चेहरे पे गड़ा रखी थी। रूबी को मालूम था की प्रीति उसकी तरफ ही देख रही है पर वो अंजान बनने की कोशिश कर रही थी और अपने आप को अखबार में बिजी दिखा रही थी। हालांकी उससे कुछ भी पढ़ा नहीं जा रहा था। तभी प्रीति ने चुप्पी तोड़ी।

प्रीति- भाभी क्या हुआ?

रूबी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और आँखें अखबार में गड़ाई हए बोली- “कुछ भी तो नहीं.."
 
रूबी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और आँखें अखबार में गड़ाई हए बोली- “कुछ भी तो नहीं.."

प्रीति- आप कल जो हुआ उससे शर्मा रहे हो, और मुझसे बात नहीं कर रहे सुबह से।

रूबी- ऐसी बात नहीं है।

प्रीति- भाभी कल जो कुछ भी हुआ, वो नार्मल था। हमने कोई गलत काम नहीं किया। बस मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं गई।

रूबी ने कुछ भी जवाव नहीं दिया।

प्रीति ने फिर से चुप्पी तोड़ी- “भाभी आपको अच्छा नहीं लगा क्या?"

रूबी- वो बात नहीं है।

प्रीति- तो क्या बात है, बताओ अच्छा नहीं लगा?

रूबी- ऐसी बात नहीं है।

प्रीति- तो इसका मतलब की आपको मजा आया।

रूबी ने कुछ नहीं बोला बस मुश्कुरा दी।

प्रीति- भाभी बोलो ना? मुझे तो बहुत मजा आया था। आप बताओ ना प्लीज।

रूबी- हाँ आया था।

प्रीति- तो फिर इसमें शर्माने की क्या बात है? कम से कम मेरे से तो मत शर्माओ। हम ननद भाभी कम और दोस्त ज्यादा हैं।

रूबी- ओके नहीं शर्माती बाबा... और कुछ?

प्रीति- और कुछ नहीं, बस कुछ देर बाद मैं अपने ससुराल चली जाऊँगी।

तभी कमलजीत वापिस आ गई, और कहा- "मैंने बात की थी। तुम्हारे पापा बोलते हैं कि ठीक है। राम को काम समझा दो और उसकी सेलरी की बात वो खुद कर लेंगे..."

रूबी- ठीक है मम्मीजी।

कमलजीत रामू को आवाज लगती है और राम उनके पास आता है।

रामू- जी बीवीजी?

कमलजीत- रामू कल से कामवाली नहीं आ रही है, तो तू सफाई का काम कर लिया कर कल से। तुम्हें इसके पैसे अलग से भी मिल जाएंगे। ठीक है?

रामू- ठीक है बीवीजी, कर लूंगा।

कमलजीत- “सरदारजी बता देंगे पैसों के बारे में। अभी तू बहू के साथ अंदर जाकर समझ ले क्या काम करना है
 
रूबी उठती है और अंदर जाने लगती है। राम भी पीछे-पीछे चल पड़ता है। रूबी का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। घर के अंदर रूबी रामू को काम समझाने लगी। आज पहली बार था की घर की बहू को रामू इतनी पास से देख रहा था। क्या बला की खूबसूरत थी। गोरा रंग बदन का और सुडौल भरा-भरा जिश्म। रामू के अपने गाँव में तो इतनी खूबसूरत औरत तो थी ही नहीं। खूबसूरती के साथ-साथ मालेकिन के बोलने का अंदाज कितना प्यारा था। रूबी की बातें राम के एक कान से अंदर जाती और दूसरे से निकल जाती। वो तो बस रूबी को ही निहार रहा था।

इधर रूबी भी कोई बच्ची नहीं थी। उसे भी एहसास हुआ कि रामू की नजरें सिर्फ उसके चेहरे पे ही टिकी हैं, और उसे काम का कुछ भी समझ में नहीं आया होगा। खैर, कुछ देर समझाने के बाद रूबी और रामू घर के बाहर आए और रामू अपने कमरे की तरफ, और रूबी कमलजीत और प्रीति के पास आ गई।

इधर राम अपने कमरे में जाते-जाते रूबी के ख्याल में खोया था। उसकी आँखों के सामने तो बस हँस रूबी का मुश्कुराता चेहरा ही बार-बार दिखाई दे रहा था।

इधर रूबी भी सोच रही थी की पहले तो कभी उसे राम से बात करने की जरूरत नहीं पड़ी थी और ना ही मैंने रामू के बारे में सोचा था। अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने रामू को नहाते देखा और फिर चूत की आग ठंडी की थी, और अब कल से मैं रामू से काम करवाऊँगी। रामू के नहाते देखना, फिर चूत की आग को शांत करना, और प्रीति के साथ हमबिस्तर होना, यह सब चार-पाँच दिनों में ही घटित हो गया था। क्या किश्मत उसके साथ कोई खेल खेलना चाहती थी? रूबी कुछ भी समझ नहीं पा रही थी।

कुछ देर बाद प्रीति अपने ससुराल के लिए रवाना हो गई।

रूबी अपने डेली रूटीन में बिजी हो गई। रात को बेड पे लेटी-लेटी रूबी फिर से रामू के बारे में सोचने लगी। वो काफी कोशिश कर रही थी की रामू के बारे ना सोचे, पर फिर भी उसका ध्यान में रामू के उस दिन के नहाने के दृश्य को याद करने लगती थी। क्या रामू के बलिष्ठ जिश्म ने उस पे कोई जादू कर दिया था। उसे डर था कहीं वो बहक ना जाए। फिर उसने सोचा की वो अपनी भावनाओं पे काबू रखेगी और रामू को तो उसकी दिल की बात का पता ही नहीं है, तो फिर फिसलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस उलझन का जवाव ढूँढते-ढूँढ़ते कब उसकी आँख लगी उसे पता भी नहीं चला।

अगले दिन राम सुबह का खाना लेने आया। रूबी ने उसे खाना दिया। तभी राम बोला।

रामू- बीवीजी कब शुरू करना है काम?

रूबी- खाना खा लो। मैं भी खा लूंगी तब आ जाना।

राम- “ठीक है बीवीजी..." कहत राम वापिस जाने को पलट गया और सोचकर खुश हो रहा था की अपनी खूबसूरत मालेकिन के पास आने और बात करने का अच्छा मौका मिला है।

इधर रूबी अपने आपसे लड़ रही थी की वो राम के बारे में ना सोचे। उसे यह नहीं पता था की रामू खुद भी उसमें दिलचश्पी ले रहा है।
 
इधर रूबी अपने आपसे लड़ रही थी की वो राम के बारे में ना सोचे। उसे यह नहीं पता था की रामू खुद भी उसमें दिलचश्पी ले रहा है।

आखीरकार, वो टाइम भी आ गया जब रूबी को राम से काम करवाना था। कमलजीत बाहर धूप में बैठ गई और रूबी और रामू दोनों अंदर अकेले थे। रूबी इन्स्ट्रक्सन देने लगी और राम वैसे ही काम करने लगा। रामू अपनी तरफ से काफी अच्छे से सफाई कर रहा था। पर फिर भी रूबी को लगा की अभी भी वो उसकी इन्स्ट्रक्सन ठीक से नहीं फालो कर रहा।

रूबी- राम ऐसे नहीं। नीचे झुक कर बेड के नीचे लगाओ।

रामू- बीवीजी मैंने लगा दिया था, और धूल भी बेड के नीचे से निकली थी।

रूबी- "अरे नहीं झाडू दो मुझे, मैं तुम्हें दिखाती हूँ..."

कहकर रूबी ने झाड़ पकड़ लिया और खुद झुक कर झाड़ लगाने लगी। रूबी ने उस टाइम सलवार कमीज पहनी थी और कमीज के ऊपर स्वीट-शर्ट थी जो की रूबी ने खुली रखी थी। उसके झुकने से उभारों के बीच की लाइन और दोनों उभारों के हिस्से दिखने लगे और रामू की आँखें उनपर टिक गई।

उभार राम को ललचा रहे थे। उधर रूबी इस सबसे अंजान थी की राम को उसके उभारों के बीच की दरार की झलक मिल रही है। वो नीचे झुकी झाडू लगती अपनी इन्स्ट्रक्सन देती जा रही थी। रामू की हालत पतली हो रही थी। उसे पशीना आने लगा था। उसके लण्ड में हलचल होने लगी थी।

इन्स्ट्रक्सन देती देती रूबी थोड़ा झुक गई। अब रामू को उसका पेट भी दिखाई देने लगा था। राम का लण्ड अपनी पैंट में टाइट हो गया था। तभी रूबी ने झाड़ लगाना बंद किया और उठ गई। उसने रामू को अपने उभारों को घूरते नोट नहीं किया था।

रूबी- ठीक है रामू समझ गये ना?

रामू को कुछ पता नहीं रूबी ने क्या समझाया था, पर उसने वैसे ही सिर हिला दिया।

रूबी-अभी आप इस रूम को साफ करो, मैं अभी आती हूँ

रूबी ने झाडू रामू की तरफ किया और रामू ने अपना हाथ झाडू लेने के लिए आगे बढ़ाया तो उसकी उंगलियां रूबी की उंगलियों से टकराई। रूबी ने जल्दी से झाड़ छोड़ दिया और अखबार पढ़ने लाबी में चली गई।

राम कछ देर बाद लाबी में आया और बोला- “रूम साफ हो गया है..."

अब रूबी उसे अपने कमरे में सफाई के लिए ले गई और इन्स्ट्रक्षन्स देने लगी। इस बार भी उसने अपने बेड के नीचे झाड़ लगाने का डेमो दिया तो राम को उसके उभारों के दर्शन होने लगे। वो फिर से उनमें खो गया। उसके अंदर रूबी को पाने की आशा हो गई थी। वैसे तो राम ने अपने गाँव में कई लड़कियां और भाभियां चोदी थी और वो काम-क्रीड़ा में ग था। उसे इतना तो पता था की रूबी मर्द के लिए तो जरूर तड़प रही होगी। आखीरकार, इतना टाइम मालिक बाहर रहते हैं। रूबी के गोरे गोल-गोल उभार उसे कामाग्नि में जला रहे थे। उसका दिल कर रहा था की वो इन्हे खूब चूमे चूसे।

 
तभी रूबी का ध्यान ऊपर हो हुआ तो उसने रामू को अपने उभारों को घूरता देख लिया। वो घबरा गई और रामू को झाड़ पकड़ाने लगी। रामू ने इस बार फिर अपना हाथ रूबी की उंगलियों से टाकराया। रूबी को लगा की रामू ने जानबूझ कर उसकी उंगलियों को टच किया है। उसने पूरे घर की सफाई का बोला और जल्दी से अपनी सास के पास गई।

इधर रामू समझ गया की उसकी चोरी पकड़ी गई है। कहीं रूबी मालेकिन को ना बता दे? उसने झाड़ लगाना चालू रखा और साथ उसका ध्यान बाहर की तरफ था कि कहीं मालेकिन गुस्से में अंदर तो नहीं आ रही।

रूबी सोच रही थी की उसने दो बार झाडू रामू को पकड़ाया था, और दोनों बार रामू ने उसकी उंगलियों को टच किया था, और एक बार तो उसने उसे अपने उभार को घूरते भी देख लिया था, तो क्या जब वो पहले झुकी थी

तब भी राम उसके गोलाईयों को घूर रहा था? इधर राम ने जैसे तैसे करके काम खतम किया और बाहर आ गया।

कमलजीत- हो गया सारा काम?

राम- जी बीवीजी।

कमलजीत- अच्छे से करना सफाई। तुम्हारी छोटी मालेकिन को गंदगी नहीं पसंद। सीमा से भी खुद पास में खड़े होकर सफाई करवाती थी। तुमसे से पूरी सफाई का काम लेगी।

रामू रूबी की तरफ देखते हुए- “जी बीवीजी। मैं छोटी मालेकिन को शिकायत का मौका नहीं दूंगा.."

रूबी ने अपनी आँखें ऊपर की तो रामू उसकी तरफ ही देख रहा था। रूबी ने झट से अपनी आँखें नीचे कर ली। कुछ देर बाद रामू ने ट्यूबवेल चलाया और गाय को नहलाने लगा। रूबी बीच-बीच में उसकी तरफ देख भी लेती थी और रामू की आँखें भी रूबी की तरफ घूम जाती थी। कुछ देर बाद रामू खुद नहाने लगता है और रूबी की नजरें उसके मर्दाने जिश्म का जायजा लेती हैं।
 
रूबी ने अपनी आँखें ऊपर की तो रामू उसकी तरफ ही देख रहा था। रूबी ने झट से अपनी आँखें नीचे कर ली। कुछ देर बाद रामू ने ट्यूबवेल चलाया और गाय को नहलाने लगा। रूबी बीच-बीच में उसकी तरफ देख भी लेती थी और रामू की आँखें भी रूबी की तरफ घूम जाती थी। कुछ देर बाद रामू खुद नहाने लगता है और रूबी की नजरें उसके मर्दाने जिश्म का जायजा लेती हैं।

रामू भी उसे अपनी तरफ घूरते देख लेता है। पर रूबी नजरें चुरा लेती है। रामू इतना समझ गया था की रूबी के दिल में भी चोर है, वरना इतनी हसीन औरत अपने नौकर को चोरी-चोरी नहाते क्यों देखती?

उस रात रूबी यही सोचती रही की जो भी रामू आज कर रहा था वो इत्तेफाक था या जानबूझ कर कर रहा था। रामू ने जैसे उसपर जादू कर दिया था। वो उसके बारे में सोचे बिना नहीं रह पा रही थी। उसकी अंदर की आग बढ़ने लगी तो उसने अपनी चूत को सलवार के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में सलवार ने रूबी के जिश्म का साथ छोड़ दिया, और रूबी अपनी जांघों के बीच तकिया रखकर अपनी चूत को आगे पीछे करने लगी।

उधर रामू ने पहली बार रूबी को इतने करीब से देखा था, और उसकी गोलाईयों को भी जी भरके देखा था। वो जब भी अपनी आँखें बंद करता तो रूबी की गोलाईयां याद आ जाती। उसकी नींद उड़ गई थी। उसका दिल किया की एक बार रूबी को देख ले बस। पर वो तो अभी सो रही होगी। पर दिल है की मानता नहीं। वो उठा और धीरे-धीरे रूबी के कमरे की खिड़की के पास पहुंच गया। खिड़की का पर्दा पूरा अच्छी तरह खिड़की को कवर नहीं कर रहा था। थोड़ी सी जगह थी जहां से अंदर देखा जा सजता था। अंदर धीमी लाइट जल रही थी। राम ने उस दरार से अंदर देखा तो अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया। रूबी पैंटी में थी और चूत को तकिये से रगड़ रही थी।

रामू टकटकी लगाकर रूबी को अपनी जिश्म की भूख को शांत करते देखता रहा। कुछ देर बाद रूबी निढाल पड़ गई और फिर अपनी सलवार पहनकर कम्बल लेकर सो गई। रामू वापिस अपने कमरे में आ गया। अपने बिस्तर में लेटा-लेटा सोच रहा था की यह बात तो पक्की है के रूबी मर्द के लिए तड़प रही है। पर वो मुझे मिलेगी कैसे? उसका लण्ड उसकी पैंट में हिल-डुल रहा था। रामू जनता था की यह ऐसे शांत नहीं होगा इसे आजाद करना होगा।

रामू ने अपनी पैंट खोली और अंडरवेर में हाथ डालकर 9" इंच का काला लण्ड बाहर निकाला और रूबी के बारे में सोचते हुए उसे रगड़ने लगा। उसने आँखें बंद कर ली और सोचने लगा, जैसे वो रूबी की चूत में अपना लण्ड पेल रहा हो। धीरे-धीरे उसकी स्पीड बढ़ने लगी और उसके शरीर में अकड़न आ गई। उसने रूबी के बारे में सोचते हुए अपने लण्ड का पानी निकाला। वो सोच रहा था की आज छोटी मालेकिन ने उसे उभारों को घूरते हये देखा है, पता नहीं कल मालेकिन क्या करेगी? कैसे कपड़े पहनेगी? कल गोलाईयों के दर्शन हो भी पाएंगे या नहीं?

अगले दिन रूबी डिसाइड नहीं कर पा रही थी की वो आज क्या पहने? उसे डर था की रामू कहीं आज उसकी चूचियां को देखने के लिए कोई बहाना न करे, जिससे उसे समझाने के लिए नीचे झुकना पड़े और रामू को उसकी गोलाईयों के दर्शन हो सकें। वो राम को यह एहसास नहीं होने देना चाहती थी की उसके मन में भी लड्डू फूट रहे हैं। उसने आज ग्रे कलर का ट्रैक सूट पहन लिया।

सास बहू धूप में बैठी थी और तभी ठीक 10 बजे रामू रूबी के पास आ गया। रूबी ने उसकी तरफ देखा और नजरें झुका ली और बिना कुछ बोले अंदर चली गई। इधर रामू भी पीछे-पीछे चल पड़ा। रामू ने झाड़ देना शुरू किया और रूबी इन्स्ट्रक्सन देती रही। रामू ने देखा की रूबी ने ट्रैक सूट पहना है तो उसे आज उसकी दूध जैसी गोरे चूचियां देखने का चान्स नहीं मिलने वाला था।
 
तभी कमलजीत ने आवाज लगाई- “बहू हमारे कमरे की लाइट भी चेंज करवा देना, परसों से खराब है.."

रूबी और रामू की नजरें आपस में टकराई। रामू रूबी की इन्स्ट्रक्सन का इंतजार करने लगा। लेकिन रूबी ने उसे अभी झाड़ देने को ही बोला। कुछ देर तक रामू सफाई करता रहा और तभी उसने नोट किया हीरूबी वहां पे नहीं है। राम हरदयाल के कमरे की तरफ देखने के लिए बढ़ा और क्या देखता है की रूबी स्टूल के ऊपर चढ़कर लाइट बदलने की कोशिश कर रही है। स्टूल का साइज छोटा था, इसलिए रूबी का हाथ ठीक से बल्ब तक नहीं पहुँच पा रहा था। बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में उसकी ट्रैक जैकेट उसकी कमर के ऊपर हो गई थी। इससे यह हुआ की रूबी के सुडौल मोटे-मोटे चूतर राम की नजरों में आ गये।

रूबी की पैंटी की आउट-लाइन रामू को साफ-साफ दिखाई दे रही थी। रामू धीरे-धीरे दबे पैर रूबी की तरफ बढ़ने लगा। उसके बिल्कुल पास आकर रुक गया और चूतरों को निहारने लगा। हालाँकि कल उसने रात को रूबी को पैंटी में देखा था, पर उस टाइम धीमी लाइट जल रही थी कमरे में और इतना करीब से नहीं देखा था। आज इतने करीब से उसके चूतरों को देखने पर रामू को उसके चूतरों के साइज का अंदाजा हुआ।

रूबी रामू के उसके पीछे खड़े होने से बेखबर अपने काम में बिजी थी और खराब बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इसी चक्कर में उसने अपनी एंड़ियां उठा रखी थी और सिर्फ पैरों की उंगलियों के सहारे बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इधर राम का चेह रूबी के चूतरों के बेहद करीब था। उसका दिल कर रहा था की वो आगे बढ़कर चूतरों को चूम ले। रामू अपनी नाक से रूबी के जिश्म की खुश्बू सूंघ रहा था।
 
रूबी रामू के उसके पीछे खड़े होने से बेखबर अपने काम में बिजी थी और खराब बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इसी चक्कर में उसने अपनी एंड़ियां उठा रखी थी और सिर्फ पैरों की उंगलियों के सहारे बल्ब तक पहुँचने की कोशिश में थी। इधर राम का चेह रूबी के चूतरों के बेहद करीब था। उसका दिल कर रहा था की वो आगे बढ़कर चूतरों को चूम ले। रामू अपनी नाक से रूबी के जिश्म की खुश्बू सूंघ रहा था।

तभी रूबी थोड़ा सा पीछे हई तो उसके चूतर रामू की नाक से टकरा गये। रूबी घबरा गई और पलटी जिससे उसका बैलेन्स बिगड़ गया और सीधा रामू की ऊपर गिर गई। रामू भी अचानक से हुए इस वाकिये में कुछ समझ नहीं पाया और रूबी और अपने आपको चोट से बचाने के लिए रूबी को गिरते-गिरते पकड़ लेता है और दोनों नीचे गिर जाते हैं। नीचे गिरने के इन्सिडेंट में राम का एक हाथ रूबी के नितंबों पे आ जाता है।

अब दृश्य यह था की रामू नीचे था और रूबी उसके ऊपर। उसके उभार राम के चेहरे से रगड़ रहे थे। रामू की नाक दोनों उभारों की दरार में थी। अब राम की हालत पतली हो रही थी। उसके लण्ड ने हरकत की और टाइट होने लगा। रामू ने आगे तक रूबी को पकड़ा हुआ था। उधर अपने हाथ से रामू ने इस मौके का फायदा उठाकर रूबी के चूतरों पे हाथ फेरना शुरू किया।

रूबी हड़बड़ाहट में उठने की कोशिश करती है और बैलेन्स बिगड़ने से दुबारा उसके ऊपर गिर जाती है और उसकी गोलाइयां रामू के चेहरे से जा टकराती हैं। दोनों की नजरें आपस में टकराती है। रूबी इस नाजुक माहौल में से निकलना चाहती है। तभी रामू चुप्पी तोड़ता है।

रामू- बीवीजी, आपको चोट तो नहीं लगी?

रूबी कुछ नहीं बोलती और उठने की कोशिश करती है। उसके पैर में मोच आ जाती है और वो ठीक से खड़ा नहीं हो पा रही थी। रामू समझ जाता है और उसको सहारा देकर उसके बेडरूम में ले जाने लगता है। उसने एक हाथ रूबी की कमर में डाल रखा था और दूसरे हाथ से रूबी के हाथ को पकड़ रखा था, जो की राम की गर्दन का सहारा लिए था। राम के लिए तो यह सब सपना था की उसकी छोटी मालेकिन की कमर में उसका हाथ घूम रहा है।

रूबी को दर्द इतना था की वो रामू की हाथ की मूव्मेंट का एहसास नहीं कर पा रही थी। रामू का हाथ धीरे-धीरे रूबी की कमर का पूरा जायजा ले रहा था। कुछ देर में वो रुबी के कमरे में पहुँच गये। रामू ने सहारा देकर रूबी को बेड पे बिठा दिया।

रूबी अपने हाथों में अपने पैर को लेकर मसलने लगती है, और तभी देखती है की राम सरसों का तेल लेकर उसके पास खड़ा हो गया है। इससे पहले रूबी कुछ बोलती की राम रूबी का हाथ पकड़कर साइड में करता है। रूबी को एहसास होता है की राम के हाथ खेतों का काम करते-करते काफी सख्त मानो जैसे पत्थर के बन गये थे। रामू अपने हाथों से रूबी के गोरे पैर पे तेल से मालिश शुरू कर देता है। दोनों कुछ नहीं बोलते।
 
रूबी समझ नहीं पाती की वो राम को इतना करीब क्यों आने दे रही है, उसे मना क्यों नहीं कर पा रही? इधर रामू भी अच्छी तरह मालिश करता है। उसके गोरे पैर कितने मुलायम थे। रामू के कठोर हाथ रूबी के नरम पैरों को रगड़ रहे थे, जिससे रूबी को दर्द होने लगा था।

रूबी- रामू धीरे... दर्द होता है।

रामू- बीवीजी आप हो ही इतनी नाजुक तो दर्द तो होगा ही।

रूबी- प्लीज धीरे करो।

रामू अपने हाथ का दवाब कम करता है। अब रूबी को थोड़ी सी राहत मिलती है। राम कहता है- “बीवीजी मैं सफाई कर देता हूँ आप आराम कीजिए..." और कुछ देर तक रूबी के पैर की मसाज करने के बाद वो दूसरे कमरो में सफाई करने चला जाता है।

रूबी दर्र की गोली लेती है और गरम पानी से नहाने चली जाती है। उसे लगाकर दर्र की गोली लेने से और गरम पानी से नहाने से उसे नींद भी आ जाएगी और दर्द भी काम होगा। नहाने के बाद वो कपड़े चेंज करती है और बेड पे लेट जाती है। थोड़ी देर में उसे नींद सी आने लगती है।

इधर रामू बाकी कमरों की सफाई करने के बाद रूबी के कमरे में आता तो देखता है की रूबी सोई हुई है। रामू काम छोड़कर सिर्फ उसे निहारने लगता है। फिर उसे याद आता है की उसे काम भी खतम करना है। बड़ी मुश्किल से वो रूबी के चेहरे से अपनी नजर हटाता है और रूम की सफाई करने लगता है। लेकिन बार-बार अपनी आखों से रूबी को देखता है, जिससे उसके दिल को शांति मिलती है। कितनी खूबसूरत है छोटी मालेकिन। भगवान ने फुर्सत में ही बनाई होगी ऐसी अप्सरा।

सफाई करते-करते वो गलती से कमरे के बाथरूम का दरवाजा खोल लेता है और उसकी नजर सीधी रूबी के बाथरूम के फर्श पे पड़ी पैंटी पे जाती है। रूबी की पैंटी देखकर उसके मन में हलचल होने लगती है और वो काम करना बंद कर देता है। उसका लण्ड उसकी पैंट में टाइट होने लगता है। वो अपने लण्ड को पैंट के ऊपर से ही से चूंटी काट लेता है, जिसका जवाब लण्ड जोर से हिलकर देता है। राम का दिल पैंटी उठाकर देखने का करता है पर वो पक्का करना चाहता है की रूबी सोई हुई है या नहीं?

राम हल्के से रूबी को आवाज लगाता है की अगर उठ गई तो बोल दूंगा की काम खतम हो गया है। पर रूबी कोई रेस्पान्स नहीं देती। जब रामू को यकीन हो जाता है की रूबी सोई हुई है तो वो बाथरूम में जाकर पैंटी उठा लेता है। उसे पैंटी में एक सफेद सा दाग दिखता है। हो ना हो यह कल रात का चूत का पानी होगा, जो रूबी ने तकिये से चूत रगड़कर निकाला होगा। रामू पैंटी को अपनी नाक के पास लेजाकर सूंघता है। एक अजीब सी दुर्गंध रामू को उतेजित कर देती है। वो पैंटी के सफेद दाग को चूमता है।
 
इधर रूबी की भी आँख खुल जाती है और वो रामू को बाथरूम में अपनी पैंटी सूंघते हुए देख लेती है। उसे समझ में नहीं आता की वो रामू को डाँटे या कुछ और करे? वो डिसाइड करती है की वो ऐसी ही लेटी रहेगी और हल्की-हल्की आँखें खोलकर देखेगी की राम क्या करता है?

इधर राम का लण्ड उसके काबू में नहीं था। वो पैंटी को सँघता हआ कमरे में आ जाता है और रूबी के बेड के किनारे बैठ जाता है।

रूबी की धड़कन तेज हो जाती है। न जाने रामू क्या करने वाला है? वो अंदर से डर भी रही थी की रामू कुछ ऐसा वैसा ना कर बैठे जिससे उसे दुनियां से मुँह छिपाना पड़े। अगर वो चिल्लाती है तो उसकी ही बदनामी होगी। धीरे-धीरे वो रूबी का कम्बल नीचे सरकाता है और रूबी के विशाल चूतर उसकी सलवार के साथ उसके सामने आ जाते हैं। रूबी का गला सूखने लगता है। वो राम की अगली हरकत का इंतेजर कर रही थी।

तभी रूबी को हल्की-हल्की आवाजें सुनाई देने लगी। उसने हल्की सी आँखें खोली और ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखा की राम हिल रहा था। वो समझ गई की उसकी गाण्ड को देखते-देखते राम अपना पानी निकालने के चक्कर में है। उसकी गाण्ड ने रामू को दीवाना बना दिया था। इस गाण्ड के तो लोग कायल थे। जब भी वो घर से बाहर निकलती तो लोग उसकी गाण्ड को ही निहारते थे। रूबी को शीशे में से राम का लण्ड थोड़ा सा दिखाई दे रहा था और उसकी बाजू का हिलना साफ दिखा रहा था।

इधर रामू ने अब रूबी की पैंटी को अपने लण्ड पे रखा और लण्ड पे रगड़ने लगा। कुछ देर रगड़ने के बाद उसके लण्ड ने पानी छोड़ दिया और उसने पैंटी को वहीं बाथरूम में रखा और काम करके चला गया। रूबी की जान में जान आई की शुकर है रामू ने उसके साथ कुछ नहीं किया था। वरना मुसीबत हो जाती उसके लिए तो।

इधर रामू ने बाहर आकर कमलजीत को बताया की रूबी के पर में मोच आ गई है और वो आराम कर रही है। कमलजीत कमरे में आती है और रूबी को आवाज लगाती है। रूबी जानबूझ कर जवाब नहीं देती। फिर हिलने पे उठने का नाटक करती है। कमलजीत उसका हालचाल पूछती है और आराम करने का बोलकर बाहर चली जाती है। उसके जाने के बाद रूबी बाथरूम में जाती है और पैंटी उठाकर देखती है तो पाती है की राम ने अपना वीर्य उसकी पैंटी में निकाला था।

रूबी समझ जाती है की राम ने पैंटी को अपने लण्ड पे रगड़ा होगा। क्या रामू उसको भोगना चाहता है? वो ऐसा कैसे सोच सकता है? मैं उसकी मालेकिन है। उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो अब राम का सामना कैसे करेगी? अब राम का अगला कदम क्या? कहीं वो ऐसी वैसी हरकत ना कर दे, जिससे उसकी और उसकी परिवार की बदनामी हो। रात को भी बेड पे लेटी-लेटी रूबी रामू के बारे में ही सोचती रही।

उधर रामू भी बेड पर लेटा-लेटा रूबी के बारे में सोच रहा था। उसके नरम जिश्म का एहसास उसके लण्ड को बेकाबू कर रहा था। आज फिर वो धीरे-धीरे रूबी के कमरे के पास गया और देखता है की रूबी ने अपनी खिड़की का पर्दा कल जैसादा ही छोड़ा था। उसे अभी भी नहीं पता था की बाहर से रूम के अंदर की हरकतें कोई देख सकता है।

रूबी अभी तक जाग रही। इधर रूबी राम से अंजान अपने ख्यालो में खोई हई थी। रूबी को दोपहर की घटनायें याद आ रही थीं की कैसे वो राम के ऊपर गिरी और उसकी चूचियां उसके चेहरे से बार-बार टकराई थीं। राम का उसकी गाण्ड पे हाथ फिराना, फिर कम्बल उठाकर उसकी गाण्ड के दर्शन करना, और सबसे बड़ी बात उसके कमरे में ही अपने लण्ड को शांत करके उसकी पैंटी में अपना वीर्य निकालना। ऊपर से काफी टाइम से रूबी की चूत में लण्ड नहीं गया था तो आज राम के लण्ड का दर्शन करके रूबी का मन उसके कंट्रोल में नहीं । उसने तकिये को अपनी जांघों के बीच में लिया और खुद ऊपर बैठकर अपनी चूत का पानी निकालने की कोशिश करने लगी।
 
Back
Top