Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ - Page 4 - SexBaba
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Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ

सेठानी अपने कमरे के बगल एक छोटे से कमरे में ले गयी । | आलीशान बेड के साथ-साथ आकर्षक सोफा सेट भी था । मेरा लंड से दो बार झड़ कर अब सुस्त पड़ गया था ।
मैंने एक घन्टे आराम किया । करीब दस बजे रात को मनोहर आया और जो समाचार दिया -- उससे मैं पांच सौ रुपये मनोहर को देता बाला-लो-इनाम माल अनचुदा है ना -

पांच सौ जेब में डालते हुए मनोहर ने खुश होकर उसकी गदराहट की जो तारीफ की उससे लौड़ा फनका ।

मैं फौरन उस कमरे में पहुँचा जहाँ मालकिन यानी सेठानी थी . मैं तो एक दम सनसना गया सेठानी चारपाई पर बैठ कर-उस गदरायी छोकरी को गोद में बैठा करउसके मुलायम छोटे छोटे संतरों को धीरे-धीरे दवाती...उसको शायद चुदवा कर मजा लेने के लिए समझा रही थी । वह छोकरी एकदम नंगी थी। उसे देखतेही सुस्त पड़ा लंड एकदम से खड़ा हो गया ।।

छोकरी मीना से बड़ी थी । कद काठी मीना की तरह ही थी...पर उसका हुश्न मीना से इक्कीस नही तो उन्नीस भी नहीं था । |

"आओ डियर आओ..इस छोकरी को मजा देकर जवान करना है.. और छोकरी से बोली ""चल उठ...जैसे सिखाई हूँ वैसे करके मेरे डियर को पहले मस्त कर..." |, और उसको गोद से उतार दी |

उस मादर जात नंगी गदरायी गदरायी चुचियों वाली हल्के बालों वाली नंगी नई गदराई छोकरी को खड़ी अवस्था में देख एकदम से लाल हो गया । |

इशारा पाकर में सेठानी के पास आया तो वह मुझे अपनी जाँघो पर चूतड़ को गोद में रख बैठने को कही । |. में फौरन बैठा-तो वह मेरे लाल सुपाड़े पर हाथ फेरती बोली-डरना | नहीं...पुरा पेलना....

"जो मैडम हाय -
 
तभी वह लौडिया-मेरे पास आई और मीना की तरह पजे के बल मेरे सामने बैंठीं-तो सेठानी मेरे लंड के फूले सुपाडे को दिखाती बोली -" |
“राजा का सुपाड़ा चूसो-'

“जी मालकिन-" वह ज्यों ही सुपाड़ा दबायी त्यों ही में मस्ती से भर उसकी छोटे संतरे सी चुचियों को हाथ में भर कर मसलने लगा। | और सेठानी दोनों हाथ से मेरे सीने के छोटे-छोटे दानों पर ऊंगली फेर हमको नया मजा देती बोली- ""खेलना बाद में पहले एक बाद चोद कर दिखाओ ""

“जी... जी..."

उस छोकरी की. हरकत से मिनटों में ही मेरा लौड़ा फोलाद बन गया । तभी सेठानी अपने हाथ से लंड को दबाती बोली-“तैयार है लौंडिया को चोदो ।"

मैं सेठानी की गोद से उठा -तो सेठानी...थोड़ी सहमी...छोकरी के चुतड़ पर हाथ फेरत बोली-“चल बेड पर लेट कर मज़ा ले-" |

वह अपने आप बिस्तर पर जा लेटी और रानों को फैला कर अपनी हल्के वालो वाली मीना से साइज से दुगनी बुर को उभारी तो सेठानी तकिये को उसके चूतड़ के नीचे डाल हमको इशारा की ।
. वो मेरे सामने मादरजात नंगी लेटी थी. ट्यूबलाइट की तेज रोशनी में उसका जवां हुश्न मेरे तन मन में हाहाकार मचाने लगा.

फिर मैंने उस की चूत का जायजा लिया, उसकी चूत का चीरा खूब लम्बा था और बुर के होंठ भी खूब भरे भरे से गद्देदार थे. उसकी पुष्ट कदली जांघों के बीच उसकी चूत का नजारा बेहद शानदार था. चूत का भी अपना निराला सौन्दर्य, निराला वैभव और शान होती है. जिससे हम जन्म लेते हैं जिसके पीछे सारी उमर भागते हैं. जिसके आनन्द के सामने सब सुख फीके हैं उसका रूप भी आनंददायक तो होना ही चाहिए.
 
मैंने मंत्र मुग्ध होकर उसकी चूत को चूम लिया. फिर मैंने धीरे से उसकी चूत का चीरा दोनों ओर उंगलियां रख के खोल दिया; भीतर जैसे रसीले तरबूज का गहरा लाल गूदा भरा हुआ था; उसकी चूत का दाना मटर के आकर का फूला हुआ सा था और भीतरी होंठ मुश्किल से तीन अंगुल लम्बे रहे होंगे. मैंने उसके लघु भगोष्ठ भी खोल दिए और उन्हें चूम लिया. उस की चूत के भीतरी कपाट बड़े अदभुत लगे मुझे; भीतरी भगोष्ठों के किनारों पर गहरी काली रेखा सी थी जैसे किसी गुलाबी नाव के किनारों पर काजल लगा दिया हो या जैसे हम आंख में अपनी निचली पलक पर काजल लगाते हैं तो आंखों की शोभा और बढ़ जाती है; ठीक उसी अंदाज में उस की चूत शोभायमान हो रही थी.

हाय, कितनी प्यारी प्यारी मस्त चूत है इसकी; इसे चख कर तो देखूं जरा!” मैंने कहा और अनारदाना चाटने लगा.

लड़की की चूत की बास बहुत ही कामोत्तेजक लगी मुझे; मैंने उस गंध को गहरी सांस लेकर अपने भीतर तक समा लिया और दाने के नीचे नाव की गहराई में अच्छे से जीभ घुसाकर लप लप करके चाटने लगा. बिल्कुल मलाई कोफ्ता या रसमलाई के जैसी नर्म गर्म रसीली चूत थी उस कमसिन छोकरी की ..

“छी मालकिन जी … वहां गन्दी जगह मुंह क्यों लगा रहे हैं ये ?” उसने प्रतिवाद किया.

'' अरे एक बार ढंग से चटवा ले फिर बार बार कहेगी चटवाने के लिए '' सेठानी ने उसके गालों को सहलाते हुए कहा

लेकिन मैंने उन दोनो की बात अनसुनी करते हुए उसकी चूत चाटना जारी रखा और साथ में उसके दोनों संतरों को भी दबाता मसलता रहा. जल्दी ही उसकी चूत से रस की नदियाँ बहने लगी और उसके निप्पलस कड़क हो चले. अब वो बुरी तरह मस्ता चुकी थी, मेरा मुंह उसकी चूत के ऊपर था तो उसने अपने दोनों पैर मेरी पीठ पर रख दिए और उन पर एड़ियाँ रगड़ने लगी, साथ में मेरे बाल पकड़ कर खींचने लगी.

'' मास्टर जीईईई …” उसके मुंह से निकला और उसने मिसमिसा कर अपनी चूत जोर से उठा कर मेरे मुंह पर दे मारी … एक बार … दो बार … फिर तीसरी बार.

“अब चढ़ जाओ जल्दी से इसके ऊपर !” कह कर सेठानी ने मुझ से कहा

हालत तो मेरी भी खराब हो रही थी. और लंड कबसे तैयार खड़ा था

'' हाई चढ़ने ही तो आया हू मेरी सेठानी जी …” मैंने कहा और अपना मुंह उस कमसिन लोन्डिया की चूत से हटा कर उसे दबोच लिया और चूत रस से गीले अपने होंठों से उसके गाल चूमने लगा.

“उफ्फ मालकिन … मेरा मुंह भी गन्दा कर दिया न !” उस छोकरी ने शिकायत की और मुझे परे धकेलने लगी.
 
“अच्छा अब जो करना हो जल्दी कर लो बहुत देर हो गयी वैसे भी; मीना ना आ जाए यहाँ पर!” सेठानी व्यग्रता से बोली.

“अरे सेठानी जी टेंशन न लीजिए अब मैं इसकी बुर मे पेलने वाला हूँ '' मैंने कहा.
मैंने पोजीशन संभाल कर सुपाडे को गुलाबी छेद पर लगाया और दोनों संतरों को चमक कर दबाते जो ताकत से लंड पेला ...तो छोकरी हाय..हाय कर सेठानी की ओर देखने लगीं ।

पर हाय री मेरी किस्मत लंड उसकी संकरी चूत में नही घुस पाया और और साइड मे फिसल गया

" तुम अच्छे से इसकी बुर में पेलो कुआरी है...पहली पहली बार ऐसा होता है...और एक बार जब बुर मे चला जाता है है तो बड़ा मज़ा आता है -" और हाथ से छोकरी को दवा ...उसे घूर कर देखी ।..

मैने उसकी टांगें उठा कर घुटने मोड़ दिए और लंड को उसकी चूत में चार पांच बार स्वाइप किया और उसके दाने पर लंड घिसा जिससे मस्तानी छोकरी की मुनिया झनझना गयी और आनन्द भरी किलकारी उसके मुंह से निकल पड़ी. उसकी चूत का छेद स्वयमेव सांस लेता, कम्पन सा करता दिखाई दे रहा था.


अब मैंने अपने लंड को जन्नत का दरवाजा दिखाया और उसे एक हाथ से दबा लिया ताकि वो फिसले न; फिर मैंने गदराई लड़की की आंखों में झांका. डर और आशंका की परछाईयाँ वहां तैर रहीं थीं.

, तैयार हो जाओ ?” मैने जोश मे आते हुए कहा

“मेरा पहली पहली बार है मालकिन !” वो बोली.

“बस थोड़ा सा चुभेगा; सह लेना. आवाज नहीं निकालना. ठीक है?”
उसने सहमति में सिर हिलाया और अपना निचला होंठ दांतों से दबा लिया.
 
मैंने लंड को हल्का सा चूत पर दबाया और कमर को जरा सा पीछे करके फिर पूरी ताकत से लंड उसकी धधकती चूत में धकेल दिया. मैंने सुपाड़े को बुर में घुसेड़ने के लिये जो धक्का मारा तो सुपाड़ा कच से बुर में गया ।

छोकरी के मुंह से घुटी घुटी सी आवाज निकली लेकिन उसने अपनी बहादुरी का परिचय दिया और लंड का पहला वार झेल गयी अपनी चूत में. फिर मैंने एक बार और उसे अच्छे से अपनी ग्रिप में लिया और एक धक्का और … इस बार पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत में धंस गया और मेरी झांटें उसकी झांटों से जा मिलीं.

वो एक मेहनतकश लड़की थी तो वो दर्द को पी गयी. उसकी आंखों में आंसू छलछला उठे थे पर उसने ज्यादा हाय तौबा नहीं मचाई और जैसे तैसे खुद को संभाले रही.

कुंवारी बुर में लंड आराम से तो कभी घुसने वाला है नहीं जब तक जोर नहीं लगेगा चूत बिल्कुल भी जगह नहीं देगी. इसीलिए कहते हैं कि चूत को मारना पड़ता है, मारा जाता है लंड से तब कहीं जा के वो घुसने देती है लंड को.

उस छोकरी की चूत बेहद कसी हुई निकली उसकी चूत ने मेरे लंड को इस कदर कसके भींच रखा था कि जैसे किसी शेरनी के जबड़े में पहला शिकार फंसा हो. मैंने लंड को बाहर खींचना चाहा तो चूत लंड को ऐसे दबोचे थी कि पूरी की पूरी चूत ही लंड के साथ खिंच के बाहर की तरफ आने लगती थी. मैंने थोड़ा धैर्य रखना उचित समझा और रुक गया. छोकरी को चूमने पुचकारने दुलारने लगा. मेरे ऐसे प्यार जताते ही उसकी रुलाई फूट पड़ी. आखिर थी तो कच्ची कली ही.

उसके चेहरे और माथे पर इतनी सर्दी में भी पसीना छलक उठा था. मैंने दुपट्टे से उसका माथा गाल सब अच्छे से पोंछ डाले और उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे छोटी बच्ची की तरह दुलारने लगा.

लड़की की टाँगे अब दायें बाएं पूरी चौड़ाई में फैलीं हुईं थीं और उसकी चूत में मेरा लंड किसी खूंटे की तरह अडिग गढ़ा हुआ था.

“अब कैसा लग रहा है मेरी रानी को?” मैंने उसके दोनों कच्चे अनारों को दबोच कर उसके होंठ चूम कर पूछा.
 
‘’ हाई दैया मास्टर जी निर्दयी हो आप. दया ममता तो है नहीं आपके दिल में बिल्कुल!” वो भरे गले से बोली.

“नहीं बेटा, ऐसे नहीं कहते. मैं आराम से करता तो हो ही नहीं पाता. माफ़ करना बेटा !” मैंने उसे सांत्वना दी.
वो कुछ नहीं बोली चुप रही.

'' अब तुम्हारा बुर खुल गया है अब तुमको कभी दर्द नही होगा '' सेठानी ने उसके कमसिन टमाटर जैसे गालों को सहलाते हुए कहा


थोड़े ही समय बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरे लंड पर चूत की पकड़ कुछ ढीली पड़ी है. मैंने धीरे से कोई दो तीन अंगुल लंड को बाहर की तरफ खींचा तो इस बार चूत साथ नहीं आयी. उस छोकरी का चेहरा भी अब कुछ शान्त नजर आ रहा था और उसकी सांसें भी नार्मल, व्यवस्थित रूप से चलने लगीं थीं.

मैं कसी बुर को पा...जवानी की उमंग से भर बाकी के लंड को 2-3 धक्के मार-मार छोकरीं की कसी बुर में पेलने लगा। वह हाय...हाय...! मालकिन फट गई...कह कर छटपटाने लगीं । । पर मैं ताकत से दवा--दवा कर बुर में अपना लंड घुसेड़ने गया ।

तभी बुरे से हल्का खून देख-सेठानी खुश हो बोली-शावस डियर- बहुत अच्छे मज़ा आ गया..खून फेंकदी इसकी बुर चोदों अब -" -

मैं चोदने लगा । छोकरी मछली की तरह तड़फड़ाने लगी सेठानी उसके दबाए - मेरे लंड को कुआंरी बुर में आते-जाते देख, खुशी से झूमने लगी । . . अनचुदी बुर को चोदने का मजा हमें पागल बना रहा था । " |
 
मैंने लंड को अब अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. अब लोन्डिया के मुंह से कामुक कराहें निकलनें लगीं. जाहिर था कि उसे अपनी पहली चुदाई का मज़ा आने लगा था. इस तरह मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करता रहा. थोड़ी ही देर बाद उसकी चूत अच्छे से पनियां गयी और लंड सटासट अंदर बाहर होने लगा .

अब मैंने लंड को अच्छे से बाहर तक निकाल निकाल कर वापिस चूत में पेलना शुरू किया तो उस छोकरी को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी चूत उठा उठा कर मेरे लंड से लोहा लेने लगी. जल्दी ही चुदाई अपने शवाब पर आ गई और चूत लंड में घमासान मच गया. लंड अब बड़े मजे से गचागच, सटासट उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगा था.

'' बेटा, लंड खाकर अब तूम लड़की से औरत बन गयी हो अब तो मजा आ रहा है न लंड का?” सेठानी ने उसके संतरों को सहलाते हुए उससे पूछा. वो कुछ नहीं बोली और उसने अपना मुंह मेरे सीने में छुपा लिया और अपनी उंगली से मेरी छाती पर कुछ लिखने लगी.

“तूम डर रही थी न मेरे लंड से. अब यही लंड तुझे अच्छा लगने लगा है न!”

मेरी बात सुन के उस ने सिर हिला कर हामी भरी.

'' मास्टर जी, मुझे क्या पता था ये सब. मैं तो सोच रही थी कि जहां मेरी छोटी उंगली भी नहीं घुसी कभी वहां आपका ये इतना बड़ा डंडा तो मेरे पेट में घुस के मुझे मार ही डालेगा आज!” वो बड़ी मासूमियत से बोली.
 
'' हाय मेरी जान ..... लंड ने आज तक किसी की जान नहीं ली कभी, ये तो सिर्फ मज़ा देता है.” मैं बोला और लंड को उसकी चूत से बाहर खींच लिया.
उसकी चूत से ‘पक्क’ जैसी आवाज निकली जैसी कोल्ड ड्रिंक की छोटी बाटल का ढक्कन ओपनर से खोलने पर निकलती है; ऐसी आवाज नयी चूत का वैक्यूम रिलीज होने से ही आती है. अब मेरा मन उसे घोड़ी बना के चोदने का था.

हाय , अब तू घोड़ी की तरह खड़ी हो जा!” मैंने उससे कहा और उसे समझाया कि क्या करना है. मेरी बात समझ कर वो झट से किसी चौपाये की तरह औंधी होकर अपने हाथ पैरों के सहारे खड़ी हो गयी. और अपना सिर सेठानी की गोद मे रख लिया

सेठानी उस गदराई हसीना की मादक चुचियों को सहलाने लगी

उसके मस्त भरे भरे गोल मटोल कूल्हे जिन पर कल उसकी चोटी लहरा रही थी इस वक़्त मेरे सामने अनावृत थे. मैंने उसके दोनों चतड़ोंको अच्छे से सहलाया और उन पर खूब चपत लगाईं फिर बीच की दरार खोल कर देखा. उसकी गांड की चुन्नटें बहुत ही कसीं हुईं थीं मैंने लंड को पूरी दरार में दबा के तीन चार बार स्वाइप किया.

ये स्थान भी बड़ा संवेदनशील था उसका; मेरे लंड छुलाते ही वो मज़े के मारे कमर हिलाने लगी. लेकिन मैंने उसकी बुर को ही निशाना बना के लंड घुसेड़ दिया और नीचे हाथ लेजाकर उसके मम्में दबोच कर उसकी पीठ चूम चूम कर उसे चोदने लगा.
 
फिर उसके सिर के बाल खींच लिए मैंने जिससे उसका मुंह ऊपर उठ गया और उसकी चूत को बेरहमी से ठोकने लगा. लोन्डिया धीरे धीरे करने की गुहार लगाती रही पर जोश में सुनता कौन है.



ये छोकरी तो लम्बी रेस की घोड़ी निकली; उसे चोदते हुए पंद्रह मिनट से ऊपर ही हो चुके थे पर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी; मेरा लंड तो टनाटन खड़ा था पर मुझे थकान होने लगी थी. मैंने लंड बाहर खींच लिया और थोड़ा रेस्ट करने लेट गया. छोकरी भी मेरे बगल में आ लेटी और मेरा सीना सहलाने लगी.

लड़की की की सांसें भी तेज तेज चल रहीं थीं पर वो मुझसे लिपटी जा रही थी और उत्तेजना से उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपनी चूत की दरार में घिसने लगी.

“कैसा लग रहा है मेरी रानी को?” मैंने उसकी चूत पर चिकोटी काट कर पूछा.

“मुझे नहीं पता, आपका काम आप ही जानो!” वो शर्माते हुए बोली और मेरी छाती में मुंह छिपा लिया लेकिन लंड अपने हाथ से नहीं छोड़ा.

“अब दर्द तो नहीं हो रहा न?” सेठानी ने पूछा तो उसने इन्कार में सिर हिला दिया पर बोली कुछ नहीं.

'' बेटा, चल अब तू मास्टर जी के ऊपर बैठ कर राज कर !”

“क्या सेठानी जी? मैं समझी नहीं?”

“अरे अब तुम मास्टर जी के ऊपर चढ़ जाओ और उन्हें चोद डालो अच्छे से!” सेठानी ने उस गदराई छोकरी के संतरों का दबाते हुए कहा

मैं भी छोकरी के हुस्न का मजा उसे अपने ऊपर बैठा कर लेना चाहता था. उसके उछलते मम्में देखना चाहता था, उसकी चूत लंड को कैसे लीलती है इसका रसास्वादन करना चाहता था.
 
सेठानी जी के कहने पर छोकरी मेरे ऊपर आकर बैठ गयी. ट्यूबलाइट की तेज रोशनी में उसके ठोस तने हुए उरोज, उसका सुगठित बदन दमक उठा. फिर उसने अपने दोनों हाथ उठा कर अपने बाल समेटे और उनका जूडा बना कर बालों में गांठ बांध ली.

वो नजारा भूलना मुश्किल है मेरे लिए. इस पोज में लड़की कितनी सुन्दर लगती है. वो आपके ऊपर नंगी बैठी हो और अपने बालों का जूडा बांध रही हो! ऐसे में उसकी बाहों के तले हिलते उसके स्तन, उसकी कांख के बाल, उसकी आर्मपिटस में उगा हुआ वो बालों का गुच्छा और वहां से निकलती उसके बदन की प्राकृतिक सुगन्ध… मैं तो धन्य हो गया वो सब देख महसूस करके!

इसके बाद छोकरी ने मोर्चा संभाल लिया, चुदाई की कमान अपने हाथो में ले ली; वो थोड़ी सी ऊपर उठी और मेरा लंड पकड़ कर उसने अपनी चूत के छेद पर सेट किया और बड़े आहिस्ता से बैठती गयी. मैंने महसूस किया कि मेरा टोपा उसकी रिसती चूत में गप्प से घुस गया.

उस के मुंह पर दर्द के निशान उभरे पर उसने अपने दांत भींचे और ईईई ईईई ईईई जैसी आवाज करते हुए समूचा लंड लील गयी और फिर हांफती हुई सी मेरी छाती पर सिर टिका के सुस्ताने लगी.

“शाबाश बेटा, ये हुई न कोई बात. अब तू मास्टर जी के लंड को अपनी बुर में अन्दर बाहर कर; ध्यान रखना लंड को चूत से बाहर मत निकलने देना!” सेठानी ने उसे सीख दी.

समझदार छोरी थी तो सेठानी का मकसद फौरन समझ गयी और उसने अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर टिकाये और कमर को ऊपर उठाया और फिर बैठ गयी; मेरा लंड किसी पिस्टन की तरह उसकी चूत में से बाहर निकला और फिर से वहीं जा छुपा.
 
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