desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
राहुल के हाथ अब रेवती की सर को जकड़ लिया और उसके चेहरे को आगे आने का बरवा देने लगा। लिंग के आकार को निहारते हुए रेवती अब अपनी नाक को आगे करने लगी और अपने भइया का मर्दाना सुगंध लेने लगी। अपनी बहन कि प्रक्रिया देखकर, राहुल उसके बालो को सहलाते हुए बोला "क्यों! अच्छी लगी कि नहीं?" जवाब में वोह केवल उपर देखकर एक बिल्ली समान मुंह बनाने लगी और ना जाने क्यों उसके मुंह से एक नटखट अंदाज़ में मीऊ निकल गई। ऐसी हरकत से राहुल अपने लिंग में और उठाव महसूस किया।
बाहर, की होल से रिमी यह सारा का सारा कायकरम देखी जा रही थी, और नमिता को आंखो देखी हाल कमेंट्री के अंदाज में बता रही थी। नमिता बिचारी और क्या करती, बस कान और स्कर्ट के ज़िप, दोनों के दोनों खुली रखी थी और बस आंखे मूंदे!
रिमी : बड़ी कामिनी निकली रेवती दी!
नमिता : (दो दो उंगलियां स्कर्ट के अन्दर) क्या कर रही है वोह???
रिमी : बिल्ली की तरह मियो मिओ कर रही है! और उफ़! भइया के लिंग की तरफ मुंह भी कर ली!! (रहा नहीं गई, बस खुद भी अपनी मुनिया स्कर्ट पे से दबा देती है)
दोनों का हालत यह थीं, के वहीं दरवाज़े पे झांके, झांके नंगी भी पूरी हो जा ती! लेकिन थोड़ी काबू करनी अभी भी जरूरी थी। खैर, दोनों के दोनों अब आगे आगे देखते गए।
अंदर, रेवती गौर से राहुल के लिंग की और खौफ और उत्तेजित नज़रों से देखने लगी थी, के तभी सुपाड़े से एक हल्की बूंद टपक परी नीचे की और। पता नहीं क्यों, लेकिन इस दृश्य को देखकर रेवती की होंठ में भी और लालिमा अाई, जिसे वोह लगातार अपनी जीभ से फिरा रही थी। लिंग का गंध और मौजूदगी, दोनों उसे पागल बना रही थी। कुछ करना ज़रूरी थी, वरना कहीं सांप ने खुद से ही दस लिया, तो कहीं वोह घायल ना हो जाए! कुछ ऐसी विचार थी रेवती की मन में।
अब राहुल का हाथ उसके सर को आगे आगे करता गया "कुछ कर रेव! और रहा नहीं जाता मुझसे और तू भी तो चाहती है, है ना??" यह राहुल की नहीं, एक बेचैन मर्द का हुंकार था! और रेवती की अंदर की नारी को यह समझ में आ चुकी थी, अब पूरी हिम्मत जुटा कर, वोह अपनी हाथो से उस मस्त फूले हुए लिंग को जकड़ लेती है और प्यार से गोटियों के करीब, नीचे से लेकर उपर तक एक लम्बी ज़ुबान फिराने लगी, खुले रसीले होंठ और ज़ुबान से सने लिंग की चमरी देखकर, राहुल और उत्तेजित हो गया। अब यह उपर से नीचे, और नीचे से उपर ज़ुबान का कारवां चलाती गई रेवती।
राहुल अपने आंखे को बन्द किए हुए ही खड़ा था, के तभी लिंग की चारो और एक गरमाहट सा महसूस हुआ। आंखे खोलते ही, उसने एक मधुर दृश्य का सामना किया! रेवती अब सुपाड़े को अपनी अपनी मूह में ले चुकी थी और हल्के हल्के चूसने लगी।
राहुल ने फिर से मज़े से आंखे मूंद लिया मज़े से, और बाहर रिमी पूरी के पूरी हाल सुनाने लगी अपने दीदी को जो पहले से ही हस्तमैथुन में व्यस्त थी।
रिमी : ओह वाउ! दी ने तो बजी मारदी!
नमिता : (एक और उंगली तैयार करती हुई) किस बात पे?
रिमी : (नटखट अंदाज़ में) मुंह में ले ही ली!
इस बात पे उत्तेजित होके नमिता एक और उंगली घुसा देती है स्कर्ट के अंदर! रेवती की इस तरक्की पे वोह बहुत खुश थी, और अब वोह दिन भी दूर नहीं, जब तीनों के तीनों बहने एक ही सीरत के होंगे और कामुकता के मिसाल बनके उठेंगे घर पे! इसी सोच के साथ नमिता और र ज़्यादा उंगली चलाने लगी, तो उसपे रिमी धीमे से वाली "अरे दीदी! आराम से, अभी तो बहुत कुछ देखनी बाकी हैं!"। नमिता भी भीगी बिल्ली बनी, उंगली को नियंत्रण में रखने की कोशिश की, मन ही मन रिमी को कोसने लगी "बीच!"
खैर, वहा दूसरे और रेवती प्यार से लिंग को चूसे जा रही थी, एक अशलील सी आवाज़ पूरी कमरे में छा गई, चुसाई के कारण और यह काम रेवती बड़ी मज़े उठकर कर रही थी। राहुल के किया स्वर्ग का रास्ता धीरे धीरे खुलने लागा, और इतना ही नहीं, मन ही मन अब वोह रेवती की निपुर्णता को अपने बाकी दो बहनों से करने लगा, खुशी उसे इस बात का था के तीनों के तीनों पास हो चुके थे! उससे रहा नहीं गया, और प्यार से रेवती की बलो को सहलाते हुए बोल परा "ओह!!!!! तू तो अपने बहनों से भी अच्छा चूसती है! ओह!!!"। इस वाक्य से रेवती की आंखे चौड़ी हो गई और चुसाई बन्द करके उपर राहुल की और देखने कहीं, हाला की लिंग अभी भी मुंह में ही थी।
अपनी बहन के आंखो में सवाल और उत्तेजना, बहुत कुछ देखा राहुल ने, क्या यह बुरा मान गई इस बात से? क्या वोह मुझसे अब सवाल करेगी? यह सब खयाल राहुल के मन में सामने लगा। नॉरमल परिस्थितियों में घबराकर लिंग थोड़ा सिकुड़ जाता, लेकिन रेवती अभी भी जिस अंदाज़ में लिंग को मुंह में समय हुए थी, राहुल का नरम होना मुश्किल था।
लेकिन रेवती के मन की बात तो हमने जाना ही नहीं! मन ही मन, वोह सोचने लगी के "यह दोनों तो चुडैल निकली!! खैर, में भी दिखा दूंगी के किसी हिस्से में, में इनसे कम नहीं हू!" फिर कछ पल के बाद वोह वापस चूसना चालू कर दिया, जिससे अब राहुल को भी राहत मिला। बाहर रिमी की हालत भी बुरी होने लगी, खुद को उंगली करती गई और नमिता से (बरी मुश्किल से) बाते करती गई।
रिमी : यह तो काफी चूस रही है दीदी! बरी खिलाड़ी निकली रेवती दी!
नमिता : आखिर क्यों नहीं चुसेगी! (तीन तीन उंगलियां करकरार) हमारी ही बहना है!
रिमी : (नीचे की और देखकर) आराम से दीदी! कहीं मुट्ठी ही ना घुस जाए अंदर!
नमिता : शट अप! आगे आगे देखकर बता!
रिमी आगे का हाल देखने लगी, और हर लम्हे में उसकी आंखे और चौड़ी होती गई।
अब पासा पलट चुका था, और इस बार रेवती बिस्तर पर लेट चुकी थी, और उसकी पैंट नीचे तक खींची गई थी, जिससे उसका नग्न योनि पूरी तरह दिखाई दी गई। राहुल से और रहा नहीं गया, औ वोह अपने ज़बान को होंठो की चारो और फिराने लगा, जिससे रेवती कांप उठी, बेचारे टेडी और तकिया, दो दो तरफ उसके हाथो के जकड़ में थी, जिनका बुरी हालत हो चुकी थी। राहुल अपने ज़ुबान को जांघो से लेकर योनि के इर्द गिर्द चूमता गया और रेवती बचारी सिसकियों पे सिसकियां देती गई।
बाहर, की होल से रिमी यह सारा का सारा कायकरम देखी जा रही थी, और नमिता को आंखो देखी हाल कमेंट्री के अंदाज में बता रही थी। नमिता बिचारी और क्या करती, बस कान और स्कर्ट के ज़िप, दोनों के दोनों खुली रखी थी और बस आंखे मूंदे!
रिमी : बड़ी कामिनी निकली रेवती दी!
नमिता : (दो दो उंगलियां स्कर्ट के अन्दर) क्या कर रही है वोह???
रिमी : बिल्ली की तरह मियो मिओ कर रही है! और उफ़! भइया के लिंग की तरफ मुंह भी कर ली!! (रहा नहीं गई, बस खुद भी अपनी मुनिया स्कर्ट पे से दबा देती है)
दोनों का हालत यह थीं, के वहीं दरवाज़े पे झांके, झांके नंगी भी पूरी हो जा ती! लेकिन थोड़ी काबू करनी अभी भी जरूरी थी। खैर, दोनों के दोनों अब आगे आगे देखते गए।
अंदर, रेवती गौर से राहुल के लिंग की और खौफ और उत्तेजित नज़रों से देखने लगी थी, के तभी सुपाड़े से एक हल्की बूंद टपक परी नीचे की और। पता नहीं क्यों, लेकिन इस दृश्य को देखकर रेवती की होंठ में भी और लालिमा अाई, जिसे वोह लगातार अपनी जीभ से फिरा रही थी। लिंग का गंध और मौजूदगी, दोनों उसे पागल बना रही थी। कुछ करना ज़रूरी थी, वरना कहीं सांप ने खुद से ही दस लिया, तो कहीं वोह घायल ना हो जाए! कुछ ऐसी विचार थी रेवती की मन में।
अब राहुल का हाथ उसके सर को आगे आगे करता गया "कुछ कर रेव! और रहा नहीं जाता मुझसे और तू भी तो चाहती है, है ना??" यह राहुल की नहीं, एक बेचैन मर्द का हुंकार था! और रेवती की अंदर की नारी को यह समझ में आ चुकी थी, अब पूरी हिम्मत जुटा कर, वोह अपनी हाथो से उस मस्त फूले हुए लिंग को जकड़ लेती है और प्यार से गोटियों के करीब, नीचे से लेकर उपर तक एक लम्बी ज़ुबान फिराने लगी, खुले रसीले होंठ और ज़ुबान से सने लिंग की चमरी देखकर, राहुल और उत्तेजित हो गया। अब यह उपर से नीचे, और नीचे से उपर ज़ुबान का कारवां चलाती गई रेवती।
राहुल अपने आंखे को बन्द किए हुए ही खड़ा था, के तभी लिंग की चारो और एक गरमाहट सा महसूस हुआ। आंखे खोलते ही, उसने एक मधुर दृश्य का सामना किया! रेवती अब सुपाड़े को अपनी अपनी मूह में ले चुकी थी और हल्के हल्के चूसने लगी।
राहुल ने फिर से मज़े से आंखे मूंद लिया मज़े से, और बाहर रिमी पूरी के पूरी हाल सुनाने लगी अपने दीदी को जो पहले से ही हस्तमैथुन में व्यस्त थी।
रिमी : ओह वाउ! दी ने तो बजी मारदी!
नमिता : (एक और उंगली तैयार करती हुई) किस बात पे?
रिमी : (नटखट अंदाज़ में) मुंह में ले ही ली!
इस बात पे उत्तेजित होके नमिता एक और उंगली घुसा देती है स्कर्ट के अंदर! रेवती की इस तरक्की पे वोह बहुत खुश थी, और अब वोह दिन भी दूर नहीं, जब तीनों के तीनों बहने एक ही सीरत के होंगे और कामुकता के मिसाल बनके उठेंगे घर पे! इसी सोच के साथ नमिता और र ज़्यादा उंगली चलाने लगी, तो उसपे रिमी धीमे से वाली "अरे दीदी! आराम से, अभी तो बहुत कुछ देखनी बाकी हैं!"। नमिता भी भीगी बिल्ली बनी, उंगली को नियंत्रण में रखने की कोशिश की, मन ही मन रिमी को कोसने लगी "बीच!"
खैर, वहा दूसरे और रेवती प्यार से लिंग को चूसे जा रही थी, एक अशलील सी आवाज़ पूरी कमरे में छा गई, चुसाई के कारण और यह काम रेवती बड़ी मज़े उठकर कर रही थी। राहुल के किया स्वर्ग का रास्ता धीरे धीरे खुलने लागा, और इतना ही नहीं, मन ही मन अब वोह रेवती की निपुर्णता को अपने बाकी दो बहनों से करने लगा, खुशी उसे इस बात का था के तीनों के तीनों पास हो चुके थे! उससे रहा नहीं गया, और प्यार से रेवती की बलो को सहलाते हुए बोल परा "ओह!!!!! तू तो अपने बहनों से भी अच्छा चूसती है! ओह!!!"। इस वाक्य से रेवती की आंखे चौड़ी हो गई और चुसाई बन्द करके उपर राहुल की और देखने कहीं, हाला की लिंग अभी भी मुंह में ही थी।
अपनी बहन के आंखो में सवाल और उत्तेजना, बहुत कुछ देखा राहुल ने, क्या यह बुरा मान गई इस बात से? क्या वोह मुझसे अब सवाल करेगी? यह सब खयाल राहुल के मन में सामने लगा। नॉरमल परिस्थितियों में घबराकर लिंग थोड़ा सिकुड़ जाता, लेकिन रेवती अभी भी जिस अंदाज़ में लिंग को मुंह में समय हुए थी, राहुल का नरम होना मुश्किल था।
लेकिन रेवती के मन की बात तो हमने जाना ही नहीं! मन ही मन, वोह सोचने लगी के "यह दोनों तो चुडैल निकली!! खैर, में भी दिखा दूंगी के किसी हिस्से में, में इनसे कम नहीं हू!" फिर कछ पल के बाद वोह वापस चूसना चालू कर दिया, जिससे अब राहुल को भी राहत मिला। बाहर रिमी की हालत भी बुरी होने लगी, खुद को उंगली करती गई और नमिता से (बरी मुश्किल से) बाते करती गई।
रिमी : यह तो काफी चूस रही है दीदी! बरी खिलाड़ी निकली रेवती दी!
नमिता : आखिर क्यों नहीं चुसेगी! (तीन तीन उंगलियां करकरार) हमारी ही बहना है!
रिमी : (नीचे की और देखकर) आराम से दीदी! कहीं मुट्ठी ही ना घुस जाए अंदर!
नमिता : शट अप! आगे आगे देखकर बता!
रिमी आगे का हाल देखने लगी, और हर लम्हे में उसकी आंखे और चौड़ी होती गई।
अब पासा पलट चुका था, और इस बार रेवती बिस्तर पर लेट चुकी थी, और उसकी पैंट नीचे तक खींची गई थी, जिससे उसका नग्न योनि पूरी तरह दिखाई दी गई। राहुल से और रहा नहीं गया, औ वोह अपने ज़बान को होंठो की चारो और फिराने लगा, जिससे रेवती कांप उठी, बेचारे टेडी और तकिया, दो दो तरफ उसके हाथो के जकड़ में थी, जिनका बुरी हालत हो चुकी थी। राहुल अपने ज़ुबान को जांघो से लेकर योनि के इर्द गिर्द चूमता गया और रेवती बचारी सिसकियों पे सिसकियां देती गई।