Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 25 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]अपडेट 37







देवा शालू के घर के सामने पहुँचता ही है की उसे रत्ना और ममता उसी की तरफ आते हुए दिखाई देते है।

रत्ना;देवा कहाँ जा रहा है बेटा।

देवा;माँ अच्छा हुआ तुम मुझे यहीं मिल गई चलो मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है।

ममता ; क्या बात है भइया।

देवा; तू घर जा ममता मै और माँ अभी आते है।

रत्ना;तो घर चल के बात करते है ना ।

देवा;नहीं मुझे तुमसे अकेले में कुछ बात करनी है चलो मेरे साथ।

रत्ना;पर कहाँ देवा।

देवा; खेत में।

ममता और रत्ना दोनों देवा के इस तरह के बरताव पे हैरान रह जाते है। ममता तो देवा की सगी बहन थी देवा उसके सामने भी बात नहीं करना चाहता था। इसका मतलब कोई ज़रूरी बात होंगी।

यही सोच के रत्ना ममता को घर भेज देती है और खुद देवा के साथ खेतों की तरफ चल पडती है।

रत्ना;देवा तू भी ना ममता क्या सोचेगी।
अखीर ऐसी कौन सी बात थी जो तो ममता के सामने नहीं कर सकता था।

देवा; चुपचाप चल रहा था वो शायद अंदर ही अंदर ये सोच रहा था की अपनी माँ से कैसे बात करे।
क्यूंकि जब भी वो रत्ना से अपने बापू के बारे में पूछता था रत्ना बहुत भावुक हो जाते थी।।

दोनो खेत में पहुँच जाते है।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]खेत में बने छोटे से झोंपडे में जब दोनों पहुँचते है तो रत्ना उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ घुमा देती है।
पुरे रास्ते खामोश रहा आखिर क्या बात है बोल तो सही।

देवा;अपनी माँ रत्ना की ऑखों में देखते हुए धीमी आवाज़ में पूछता है।
माँ बापू की मौत कैसे हुई थी।

रत्ना;तू ये पुछने मुझे यहाँ लाया है।
कितनी बार तुझे बता चुकी हूँ दिल के दौरे से (हार्ट अटैक)।

देवा;माँ तुम झूठ क्यों बोल रही हो मुझसे।

रातना; मैं क्यों झूठ बोलूँगी भला तुझसे देवा।

देवा;अगर बापू की मौत दिल के दौरे से हुई थी तो उनकी चिता को भी अग्नि मुझे देनी चाहिए थी
पर मुझे पक्का यक़ीन है मैंने बापू का अन्तिम संस्कार नहीं किया उनकी चिता को आग नहीं दिया।।

बालो न माँ क्या हुआ था बापू के साथ।

रत्ना;के माथे पे पसीना आ जाता है वो अपना सर दूसरी तरफ घुमा लेती है।
तू उस वक़्त बहुत छोटा था देवा तुझे कैसे याद रहेंगे ये सब बातें।

देवा;मुझसे नज़रें चुरा लेने से तुम्हारा झूठ सच नहीं बन जायेगा।
अगर तुम ही मुझसे सब कुछ छुपाऊँगी तो भला मै किसके पास जाऊंगा।



रत्ना की ऑखें आंसुओं से भर जाती है।
बैठ यहाँ बैठ।
वो उसे चारपाई पे अपने पास बैठा देती है।

तू जानना चाहता है ना तेरे बापू के साथ क्या हुआ था कैसे उनकी मौत हुई।

देवा;हाँ मुझे जानना है।

रत्ना;तू उस वक़्त बहुत छोटा था
उस साल गांव में अकाल पड़ा था।
हमारे पास एक दाना भी नहीं था खाने के लिये।

तेरे बापू और हिम्मत राव बहुत अच्छे दोस्त थे।
हिम्मत राव ने उस मुश्किल के दौर में हमारी मदद किया था पैसा और अनाज देखे।।

जिसका एहसान तेरे बापू हमेशा मानते थे।
पर वो नहीं जानते थे की हिम्मत राव की नज़र कितनी गंदी है।
उस बड़े से हवेली में रहने वाला हिम्मत राव एक घटिया इंसान है।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]वो तेरी माँ पे गंदी निग़ाह रखे हुए था।
मुझे भाभी भाभी कहते कहते एक दिन उसने अपनी मर्यादा पार करने की कोशिश की।

मुझे धोखे से हवेली बुलाके अपनी गंदी हवस का मुझे शिकार बनाना चाहा मगर ठीक वक़्त पे हिम्मत राव की पत्नी वहां आ गई और उसनी मेरी इज़्ज़त बचा ली।

मै तो वहां से चली आई मगर जब ये बात तेरे बापू को पता चली तो उन्होंने भरे पंचायत के सामने हिम्मत राव को थप्पड मारा था।

हिम्मत राव; ये अपमान नहीं सह पाया और उसने भरे पंचयत के सामने तेरे बापू से वो पैसे मांगे जो उसने अकाल के वक़्त तेरे बापू को दिए थे।

उस वक़्त हमारे पास उतने पैसे नहीं थे।

तो हिम्मत राव ने शर्त रखी की जब तक तेरे बापू सारा पैसा नहीं दे देते वो हवेली में और हिम्मत राव के खेतो में काम करेंगे।

तेरे बापू;बात मान गये।

ओ रोज़ हिम्मत राव के खेत में काम करने जाते थे।
और उस मनहूस दिन वो घर से निकले मगर फिर दूबारा वापस नहीं आए।
न उनकी लाश हमे कही मिली।

गांव वालो ने हिम्मत राव से पूछा तो उसने कहा की उसे कुछ नहीं पता।
तेरे बापू उसके खेत में गए ही नही।
ऐसा उसने पंचायत के सामने कहा।

मै अकेली जान क्या कर सकती थी । तू भी इतना छोटा था की कुछ नहीं कर पाता और ममता मेरी कोख में थी।।

तेरे बापू के साथ क्या हुआ मुझे सच में नहीं पता । ये राज़ सिर्फ हिम्मत राव जानता है और कोई नही।

देवा; हिम्मत राव के पैसे फिर किसने चुकाए।

रत्ना;तेरे बापू जब नहीं मिले तो हिम्मत राव ने वो पैसे माफ़ कर दिए। ये कहते हुए की जिसने लिए थे वो तो इस दुनिया में नहीं रहा उसका क़र्ज़ा उसके साथ चला गया।।

देवा;नहीं माँ हिम्मत राव को वो राज़ उगलना होगा।

रत्ना;नहीं नहीं तू ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे मै तुझे खो दूँ । कुछ नहीं करेगा तू सुन रहा है ना तुझे मेरी कसम देवा।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]देवा;चिंता मत करो माँ मुझे कुछ नहीं होंगा मगर जब तक मै अपने बापू के मौत का राज़ नहीं जान लेता मुझे चैन नहीं मिलेंगा।।

रत्ना;तू कुछ नहीं करेगा न। इधर देख कुछ नहीं करेगा न किसी को भी।

देवा;रत्ना को अपने बाहों में समेट लेता है जब तूने अपने कसम दे दी मुझे तो भला मै किसी को कुछ कैसे कर सकता हूँ।।
कुछ नहीं करुँगा किसी को भी।
चल अब घर चल और हाँ ममता से ये बात मत कहना।

रत्ना;नहीं चल बहुत देर हो गई है।
दोनो माँ बेटे घर तो पहुँच जाते है।

मगर देवा मन में ये ठान लेता है की चाहे कुछ भी हो जाये उसे कोई भी रास्ता अपनाना पड़े वो हिम्मत राव से राज़ जान के रहेगा।

शाम घिर चुकी थी और देवा खाना खाके आँगन में आराम कर रहा था।
वो सोच रहा था की कैसे हिम्मत से बात निकल सकती है।अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल आता है।

रुक्मणी;हिम्मत राव की पत्नी।
कोई भी पति अपने पत्नी से कुछ नहीं छुपाता ज़रूर हिम्मत राव ने रुक्मणी से ये बात कहा होगा। रुक्मणी सब जानती होंगी और अगर नहीं भी जानती होगी तो अगर रुक्मणी को किसी तरह पटा लिया जाए तो शायद वो बातों बातों में हिम्मत राव से बात निकाल ले।

वो उठके बैठ जाता है और पक्का निश्चय कर लेता है की रुक्मणी को अपनी उँगलियों पे नाचने पे मजबूर करके उसके ज़रिये राज़ पता करेगा।

देवा;माँ मै हवेली जा रहा हूँ सोने।

रत्ना;भागते हुए उसके पास आती है जाना ज़रुरी है क्या कोई और नहीं जा सकता बेटा।

देवा;डरो मत माँ मै सुबह जल्दी घर आ जाऊंगा।

रत्ना;पसीने में भिगे हुए बड़े बड़े कठोर ब्रैस्ट को देवा की छाती में धँसा के उससे चिपक जाती है।
मुझे बहुत डर लग रहा है देवा ।

देवा;अपनी माँ के स्पर्श से सिहर उठता है और वो भी रत्ना को अपने सीने में समां लेता है।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]रत्ना;के हाथ देवा की पीठ पे घुम रहे थे और देवा अपने माँ की चिकनी पीठ को अपने हाथों से पकडे हुए था।

देवा; मैं जाऊँ माँ।

रत्ना;जैसे किसी सपने से जगी थी।
वो देवा से अलग हो जाती है।
ठीक है मगर सुबह जल्दी आ जाना।

देवा;ठीक है माँ।
और देवा हवेली चला जाता है।

हवेली में जब देवा पहूंचता है तो उसे हॉल में रुक्मणी और रानी बाते करते हुए मिलती है। पास में निचे ज़मीन पर पदमा भी बैठी हूई थी।

देवा को देख रुक्मणी उसे उनके पास बुला लेती है।

रुक्मणी; अच्छा हुआ देवा तुम आ गये ये पदमा को बडी जल्दी पडी है घर जाने की। मैंने कहा जब तक देवा नहीं आ जाता तब तक घर नहीं जा सकती।

रानी;बैठो न देवा खड़े क्यों हो खाना खाओगे।

देवा;नहीं छोटी मालकिन मै खा के आया हूँ।।

रुक्मणी;तुम देवा का बिस्तर मेरे और रानी के कमरे के सामने बने गलियारे में लगा दो।
क्यूं ठीक है ना देवा कोई दिक्कत तो नहीं है न।

देवा;नहीं मालकिन कोई दिक्कत नहीं जैसा आप ठीक समझें रात ही तो काटनी है।

पदमा;चल देवा मेरे साथ तुझे कहाँ सोना है बता देती हूँ।

देवा;पदमा के साथ चल देता है।

रुक्मणी के होते हुए रानी देवा से अकेले में बात नहीं कर सकती थी।

रानी;अपने कमरे में सोने चली जाती है और रुक्मणी अपने रूम में।

दोनो रूम के सामने एक छोटा सा गलियारा बना हुआ था वहाँ देवा भी लेट जाता है।

पदमा;जाते जाते देवा के छाती में दो तीन घूँसे जड़ देती है। पिछले कुछ दिनी से वो पदमा के पास भी नहीं फटका था जिससे पदमा की चूत और मन दोनों उदास थे।।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]रात अपने पूरे शबाब पर थी।

देवा के घर ममता और नूतन की ऑंखों से नींद काफी दूर थी।

ममता के कमरे में नूतन ममता के पास बैठी रश्मि की शादी के बाते कर रही थी।

ममता अपना एक हाथ नूतन की जांघ पे रख देती है जिससे बोलते हुए नूतन खामोश हो जाती है जैसे किसी ने उसका बोलने का बटन बंद कर दिया हो।

नुतन इस स्पर्श से ही सिहर उठती है और ममता की ऑंखों में मचलती मस्ती को भाँप लेती है।

ममता क्यूँ री सुबह से देख रही हूँ बड़े चुप चुप सी है कही मेरे गांव के किसी लौंडे से दिल तो नहीं लगा ली।

नुतन ;क्या दीदी कुछ भी बोलती हो।

ममता ;ज़रा देखने दे तेरी ऑखों में।
और ममता नूतन की ऑंखों में झाँकते हुए उसकी गरदन को चुमने लगती है।



नुतन ;आहह दीदी उन्हह।
नुतन ममता का हाथ पकड़ के अपनी चूचि पे रख देती है। आह इसे ज़ोर से मसलो न दीदी आहह काटो न इनको उन्हह।

ममता नूतन को बिस्तर पे गिरा देती है और उसके रसीले होठो को चुसते हुए दोनों हाथों से उसकी चूचि को मसलने लगती है।



नुतन की चूत सुबह से कई बार उल्टियाँ कर चुकी थी वजह थी देवा की उसकी चूचि को हाथ लगाना।

वो ममता पे आज की रात हावी हो जाने वाली थी क्यूंकि उसकी चुत में इतना पानी भरा पड़ा था की ममता चाह के भी उसे नहीं खाली कर पाती।

दोनो कुँवारी लड़कियां अपनी अपनी कुँवारी चूत को एक दूसरे के मुँह में डाल के रस पान करने लगती है।
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]उधर शालु के घर में सभी लोग सो चुके थे सिवाये रश्मि के। जिसे दिन में इतनी बुरी तरह चोदा जाए उसे रात में नींद नहीं आ सकती।

वही हाल रश्मि का था।
खुद के हाथों से अपनी चूचि को मसलते मसलते उसके हाथ दर्द करने लगे थे।



वो चुप चाप उठके पप्पू के कमरे में चली जाती है।

पप्पू उस वक़्त टॉयलेट में गया हुआ था जब वो अपने कमरे में आता है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है।



पुरी तरह नंगी रश्मि अपननी दोनों टाँगें खोल के पप्पू का इन्तज़ार कर रही थी

रश्मी;पप्पू मुझे चोदो। मुझसे रहा नहीं जा रहा
नही तो कही से देवा को बुला लाओ।

पप्पू: भाई के होते हुए बाहर वाले को क्यों याद करना वो भी इतनी रात में।

अपनी बहन को इस हालत में देख पप्पू का छोटा सा पप्पू भी झूम उठता है और पप्पू दरवाज़ा बंद करता है और खुद भी रश्मि के तरह नंगा होके अपनी बहन के ऊपर चढ़ जाता है और अपना लंड अपनी बहन की गीली चूत में पेल देता है।



रश्मी:आहह पप्पू धीरे धीरे....

पप्पू;और जोश में आके रश्मि की चूत में लंड आगे पीछे करने लगता है।

रशमी;दिल ही दिल में सोचने लगती है।
छोटा है मगर काम का है जैसा भी है चोद तो सकता है आह्ह्ह्ह।

दोनो भाई बहन एक दूसरे को चुमते हुए अपनी अपनी कमर हिलाने लगते है।
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वही हाल रश्मि का था।
खुद के हाथों से अपनी चूचि को मसलते मसलते उसके हाथ दर्द करने लगे थे।



वो चुप चाप उठके पप्पू के कमरे में चली जाती है।

पप्पू उस वक़्त टॉयलेट में गया हुआ था जब वो अपने कमरे में आता है तो उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती है।



पुरी तरह नंगी रश्मि अपननी दोनों टाँगें खोल के पप्पू का इन्तज़ार कर रही थी

रश्मी;पप्पू मुझे चोदो। मुझसे रहा नहीं जा रहा
नही तो कही से देवा को बुला लाओ।

पप्पू: भाई के होते हुए बाहर वाले को क्यों याद करना वो भी इतनी रात में।

अपनी बहन को इस हालत में देख पप्पू का छोटा सा पप्पू भी झूम उठता है और पप्पू दरवाज़ा बंद करता है और खुद भी रश्मि के तरह नंगा होके अपनी बहन के ऊपर चढ़ जाता है और अपना लंड अपनी बहन की गीली चूत में पेल देता है।



रश्मी:आहह पप्पू धीरे धीरे....

पप्पू;और जोश में आके रश्मि की चूत में लंड आगे पीछे करने लगता है।

रशमी;दिल ही दिल में सोचने लगती है।
छोटा है मगर काम का है जैसा भी है चोद तो सकता है आह्ह्ह्ह।

दोनो भाई बहन एक दूसरे को चुमते हुए अपनी अपनी कमर हिलाने लगते है।
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वो उठ के रुक्मणी के कमरे में चला जाता है
और उसके पास जाके लेट जाता है।



रुक्मणि;की अभी अभी आँख लगी थी।

इधर देवा की गाण्ड भी फटी पडी थी ये सोच सोच के की अगर रुक्मणी ने शोर मचा दी तो वो तो गया काम से।
मगर उसके इरादे बहुत मज़बूत थे। वो किसी भी कीमत पर कामयाब होना चाहता था।

ड़रते ड़रते वो अपना एक हाथ रुक्मणी के चिकने पेट पे रख देता है।

रुक्मणी; धीरे धीरे अपनी ऑखें खोलती है और फिर झट से बंद कर देती है।

देवा;अपने हाथ को रुक्मणी के पेट पे घूमाते हुए उसे ऊपर की तरफ ले जाता है।

रुक्मणी;अब भी नींद में सोने का नाटक कर रही थी।

देवा;की हिम्मत थोडी बंधती है और वो उसका पल्लू उसकी चूचि पर से अलग कर देता है।



रुक्मणी;की बड़े बड़े चूचे थोड़े ज़ोर ज़ोर से ऊपर निचे होने लगते है।

देवा;जान जाता है की रुक्मणी सोने का नाटक कर रही है।
ये जानके उसका हौसल और बढ़ जाता है की रुक्मणी जग जाने के बाद भी चुप है।

उधर रुक्मणी भी धीरे धीरे गरम होने लगती है।

देवा;अचानक ही अपने होंठों से रुक्मणी के कान को चुम लेता है।

रुक्मणी किसी तरह खुद को संभाले हुए थी।

देवा के होंठ अब रुक्मणी की गरदन तक पहुँच चुके थे और एक हाथ हलके हलके रुक्मणी की चूचि को मसलने लगता है।
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वो और उसकी छूट बेचैन हो उठे थे।

इससे पहले की रुक्मणी ऑंखें खोल के देवा को अपने छाती से चिपका लेती देवा वहां से उठके चला जाता है।

ये झटका रुक्मणी की चूत को सीखने पे मजबूर कर देता है की आखिर इस सब में उसकी क्या गलती है क्यों उसके साथ ऐसा ज़ुल्म हो रहा है।

रुक्मणी देवा को अपने कमरे से जाता देखती रह जाती है।

देवा;मुस्कराता हुआ अपने बिस्तर पे जाके लेट जाता है।

वो जानता था की रुक्मणी किसी भी वक़्त अपना मन बदल सकती है।
वो उसे इस हद तक पागल कर देना चाहता था की वो देवा से चुदने के लिए भीख मांगे तभी वो देवा का भी काम कर सकती थी।

देवा नींद के आग़ोश में चला जाता है और रुक्मणी अपनी चूत मसलती रह जाती है।
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