Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी - SexBaba
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Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी

desiaks

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Aug 28, 2015
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लेखक:-इमरान

अपडेट 1

हाय दोस्तो मेरा नाम साहिल है मेरी उम्र सत्ताईस साल है और मेरी बीवी सलोनी छब्बीस साल की है, हमारी शादी को लगभग ढाई साल हो गए हैं। अभी हमारा कोई बच्चा नहीं है। मैं औसत कदकाठी का साधारण काम करने वाला इंसान हूँ, समाज भीरू, अपनी कोई बात जगजाहिर करना नहीं चाहता और सेक्स के मामले में भी साधारण ही हूँ।

मगर इसे अपनी किस्मत कहूँ या बदकिस्मती कि मेरी शादी एक बहुत सुन्दर लड़की सलोनी से हो गई वो एक क़यामत ही है 5 फुट 4 इंच लम्बी, बिल्कुल दूध जैसा सफ़ेद रंग जिसमें सिंदूर मिला हो और गजब के उसके अंग, वक्ष 36″ पतली कमर शायद 26″ और खूब उभरे हुए उसके कूल्हे 38 ! उसके चूतड़ इतने गद्देदार हैं कि अच्छों-अच्छों का लण्ड पानी छोड़ देता है जिसे मैंने कई बार महसूस किया है, उसकी इसी गांड के कारण सुहागरात को मेरे लण्ड ने भी जवाब दे दिया था।

चलिए वो किस्सा भी आपको बता देता हूँ।

सुहागरात में उसके गोरे सुन्दर और गर्म बदन ने ही मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था और ऊपर से जब मैं उसको प्यार कर रहा था तब वो उल्टी पेट के बल बिस्तर पर लेट गई उसके सफ़ेद बदन पर केवल एक काली पैंटी थी जो उसके चूतड़ों को गजब का सेक्सी बना रही थी।

फिर जब उसकी पीठ को चूमते हुए जब मैं उसकी कच्छी उसके चूतड़ों से नीचे उतारने लगा तो उसके हिलते हुए चूतड़ों के बीच उसका सुरमई गुदा-द्वार देख मेरे छक्के छूट गए और जैसे ही मैंने उसकी झांकती गुलाबी, चिकनी चूत जिसके दोनों होंट आपस में चिपके थे, देखते ही मेरे पसीने छूट गए।

उसके इन अंगों ने मुझे उसके सामने शर्मिन्दा करवा दिया। मगर उसने बड़े प्यार से मुझसे कहा- कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है।

उसका यह प्यार अभी भी जारी है, वो कभी कोई मांग नहीं रखती और न कभी मुझसे लड़ाई करती है और मेरा बहुत ध्यान रखती है इसलिए मैं उससे कुछ नहीं कहता और न ही उसकी हरकतों को रोक पा रहा हूँ। कपड़े उसके काफी मॉडर्न ही होते थे पर इसके लिए मैंने कभी उसको मना नहीं किया था।

अब आपसे उसके इसी व्यव्हार के बारे मैं बताऊँगा।

सलोनी हमेशा बहुत हंसमुख सभी से खुलकर बातचीत करने वाली, सभी का ध्यान रखने वाली लड़की है। मेरे सभी दोस्त और रिश्तेदार उसको बहुत पसन्द करते हैं।

हम एक अलग फ्लैट लेकर रहते हैं। पहले साल तक तो सब कुछ मुझे सामान्य ही लगा था और हमारा जीवन भी आम पति-पत्नी जैसा ही बीता था। हाँ, हमारे बीच चुदाई कम होती थी, हफ़्ते में एक-दो बार ही, मगर उसने कभी शिकायत नहीं की और न ही कभी वो कहती, जब मेरा मन होता है, तो वो खुद ही तैयार हो जाती है।

मेरे दोस्तों के साथ उसका हंसी मजाक या मेरे भाइयों के साथ उसकी छेड़छाड़ सब कुछ सामान्य ही लगता था मगर पिछले एक साल से सब कुछ बदल गया है, सलोनी को मैं सीधी-सादी समझता था मगर वो तो सेक्स की मूर्ति निकली, अब तो बस मैं उसको छिपकर उसकी हरकतों को देखता रहता हूँ न तो उससे कुछ कहता हूँ और न ही उसकी किसी बात का विरोध करता हूँ।

शायद यही सुन्दर पत्नी रखने की सजा है।

दोस्तों शादी के बाद का एक साल तो ऐसे ही गुजर गया, या तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया सलोनी की हरकतों पर या फिर वो भी सती-सावित्री ही बनी रही।

असली कहानी कोई एक साल बाद शुरू हुई जब मैंने उसकी हरकत पर ध्यान दिया।

हुआ यों कि मेरा छोटा भाई दिल्ली से आया हुआ था, वो वहाँ इंजीनियरिंग कर रहा है, 22 साल का गठीला जवान है, दोनों देवर भाभी में हंसी मजाक होता रहता है।

एक सुबह मैं उठकर अखबार पढ़ते हुए चाय पी रहा था, तभी सलोनी बोली- सुनो, आप पौधों को पानी दो ना, मैं तब तक नाश्ता तैयार कर लेती हूँ।

सलोनी ने गुलाबी सिल्की हाफ पजामी पहनी थी जो उसके घुटनों तक ही थी, वो उसकी जांघों से पूरी तरह कसी हुई थी जिससे उसके चूतड़ बाहर निकले हुए साफ़ दिख रहे थे और इस पजामी में जब वह अंदर चड्डी नहीं पहनती थी तो उसकी चूत का आकार भी साफ़ दिखता था और पीछे से मुझे आज भी उसकी पजामी में कहीं कोई कच्छी का निशान नहीं दिख रहा था, मतलब सामने से उसकी चूत गजब ढहा रही होगी।

मैंने एक दो बार उसको कहा भी है- जान इस पजामी के अंदर कच्छी जरुर पहन लिया करो जब कोई और घर में आया हो !

मगर वो ऐसी बातों को नजरअंदाज़ कर देती थी, मैं भी ज्यादा नहीं टोकता था। ऊपर उसने एक सैंडो टॉप पहना था जो उसके विशाल उरोजों पर कसा था और उसके पेट पर नाभि तक ही आ रहा था उसकी पजामी और टॉप के बीच करीब पाँच इंच सफ़ेद कमर दिख रही थी जो उसको बहुत सेक्सी बना रही थी।

मैं पौधों में पानी डालने बाहर जाने वाला था कि तभी मेरा छोटा भाई भी रसोई में गया- लाओ भाभी मैं आपकी मदद करता हूँ, और भैया कहाँ हैं।
पता नहीं क्यों मैं उन दोनों को देखने अंदर ही रुक जाता हूँ, ऐसा पहली बार हुआ था, शायद मैंने सोचा कि सलोनी का वो सेक्सी रूप देख कर पारस को कैसा लगा होगा? क्या वो सलोनी को कुछ कहेगा?

मगर तभी पारस की आवाज आई- क्या भाभी, बाहर क्या कर रहे हैं भैया, क्या आज सुबह सुबह उनको बाहर निकाल दिया।
सलोनी- चल पागल, वो पौधों में पानी देने गए हैं।
पारस- वाह, मतलब आज सुबह ही मौका मिल गया? चलो तो इस पौधे में पानी हम डाल देते हैं।

उसकी यह बात सुनते ही मेरा माथा ठनक गया, यह क्या कह रहा है पारस?
मैंने दरवाजे की आड़ लेते हुए रसोई में झाँका और मेरे सारे सपने चकनाचूर हो गए, पारस अपनी भाभी से पीछे से चिपका था और उसके हाथ उसको आगे से बांधे हुए थे।
सलोनी- हाथ हटा न पगले, तेरे भैया अभी आते ही होंगे और यह पौधा तो घर में ही है, जब चाहे पानी डाल देना।

मैंने थोड़ा और आगे को होकर देखा तो पारस का सीधा हाथ सलोनी के पजामी के अंदर था। मतलब वो उसकी चूत सहला रहा था, जो बिना किसी अवरोध के उसकी हथेली के नीचे थी।
पारस- भाभी, क्या गजब माल लग रही हो आज और आपकी चूत पर तो हाथ रखते ही मन करता है कि..

सलोनी- हाँ…हाँ, मुझे पता चल रहा है कि तुम्हारा क्या मन कर रहा है वो तो तुम्हारा यह मोटा मूसल लौड़ा ही बता रहा है जो पजामी के साथ ही मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड घुसा जा रहा है।

मैं उनकी बातें सुन कर धक्क से रह गया था कि सलोनी कभी मेरे सामने इतना खुलकर ऐसे नहीं बोलती थी, कभी कभी मेरे बहुत ज़ोर देने पर बोल देती थी मगर आज तो पराये मर्द के सामने रंडी की तरह बोल रही थी।

तभी उसने पीछे हाथ कर पारस का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। पारस ने न जाने कब उसे अपने पजामे से बाहर निकाल लिया था वो अब सलोनी के हाथ में था। तभी सलोनी घूमी तो मैंने देखा कि उसकी पजामी चूत से नीचे खिसकी हुई है अब उसकी नंगे सुतवाँ पेट के साथ उसकी छोटी सी चूत भी दिख रही है, पारस के लण्ड को सलोनी ने अपने हाथ से सहला कर उसके पजामे में कर दिया और बोली- इसको अभी आराम करने दो, इस सबके लिए अभी बहुत समय मिलेगा।

मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ।
मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं उठा और पौधों को पानी देने लगा।
 
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त सलील एक और मस्त और कामुक कहानी आपकी खिदमत में पेश कर रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ ये आपको ज़रूर पसंद आएगी
कहानी कैसे लगी जरूर बताये अपडेट आपको रेगुलर मिलते रहेंगे कमेंट जरूर करे अगर यह कहानी किसी और नाम से इस फोरम पर हो तो जरूर बताये
............आपका सलील
 

अपडेट 2

सलोनी- हाँ…हाँ, मुझे पता चल रहा है कि तुम्हारा क्या मन कर रहा है वो तो तुम्हारा यह मोटा मूसल लौड़ा ही बता रहा है जो पजामी के साथ ही मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड घुसा जा रहा है।
मैं उनकी बातें सुन कर धक्क से रह गया था कि सलोनी कभी मेरे सामने इतना खुलकर ऐसे नहीं बोलती थी, कभी कभी मेरे बहुत ज़ोर देने पर बोल देती थी मगर आज तो पराये मर्द के सामने रंडी की तरह बोल रही थी।

तभी उसने पीछे हाथ कर पारस का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। पारस ने न जाने कब उसे अपने पजामे से बाहर निकाल लिया था वो अब सलोनी के हाथ में था। तभी सलोनी घूमी तो मैंने देखा कि उसकी पजामी चूत से नीचे खिसकी हुई है अब उसकी नंगे सुतवाँ पेट के साथ उसकी छोटी सी चूत भी दिख रही है, पारस के लण्ड को सलोनी ने अपने हाथ से सहला कर उसके पजामे में कर दिया और बोली- इसको अभी आराम करने दो, इस सबके लिए अभी बहुत समय मिलेगा।

मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ।

मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं उठा और पौधों को पानी देने लगा।

पानी देते हुए अचानक अपने भाई पारस की बात दिमाग में गूंजने लगी और न जाने कैसे मैं सोचने लगा कि पौधे की जगह मेरी बीवी नंगी अपनी टाँगें फैलाये लेटी है और पारस अपने लण्ड को हिला हिला कर अपना पानी उसकी चूत में डाल रहा है।

और ये सब सोचते ही मेरा अपना लण्ड सर उठाने लगा जाने कैसी बात है यह कि अभी दिमाग काम नहीं कर रहा था और अब लण्ड भी पूरे जोश में था।

अब मेरे सामने दो ही रास्ते थे कि या तो लड़ झगड़ कर सब कुछ ख़त्म कर लिया जाये या फिर खुद भी मज़े करो और उसको भी करने दो।

मैंने दूसरा रास्ता चुना क्योंकि मैं भी पाक साफ नहीं था और सेक्स को मजे की तरह ही देखता था।
सबसे बड़ी बात तो यही थी कि सलोनी एक पत्नी के रूप में तो मेरा पूरा ख्याल रखती ही थी बाकी शायद उसकी अपनी इच्छाएँ थी।

मेरे मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसमें जो मिले उसे भोग लेना चाहिए।

कम से कम सलोनी मेरा ख्याल तो रख ही रही थी, मेरी बेइज्जती तो नहीं कर रही थी। अब मेरे पीछे वो कुछ अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही थी तो मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा।
ये सब सोच मेरा मन बहुत हल्का हो गया और अपना काम ख़त्म कर मैं अंदर आ गया।

अंदर सब कुछ सामान्य था, सलोनी रसोई में वैसे ही काम कर रही थी और पारस बाथरूम में था।
करीब दस मिनट के बाद पारस नहाकर बाहर निकला, उसके कसरती बदन पर केवल कमर में एक पतला तौलिया बंधा था जिसमें उसके लण्ड के आकार का आभास हो रहा था।
मैं अपने कपड़े ले बाथरूम में चला गया, सलोनी वैसे ही रसोई में काम करती रही।

पारस- भैया, क्या हुआ? आज कुछ जल्दी है?
मैं- हाँ आज जरा जल्दी ऑफिस जाना है। सलोनी जल्दी नाश्ता तैयार कर दो, मैं बस फ़टाफ़ट नहाकर आता हूँ।
मैंने बाथरूम से सलोनी को बोल दिया।

सलोनी- ठीक है, आप नहा कर आइये, नाश्ता तैयार ही है। पारस तुम भी जल्दी से आ जाओ सब साथ ही कर लेंगे।
पारस- ठीक है, भाभी मैं तो तैयार ही हूँ, ऐसे ही कर लूँगा।

मैंने बाथरूम में शॉवर चलाया और उन दोनों को देखने का सोचा।

बाथरूम की एक तरफ़ की दीवार में ऊपर की ओर छोटा रोशनदान है जो हवा के लिए खुला रहता है, वहाँ से रसोई का कुछ भाग दिखता है और मैं उनकी बातें भी सुन सकता था।
मैंने पानी का ड्रम खिसकाकर रोशनदान के नीचे किया और उस पर चढ़कर रसोई में देखने का प्रयास किया।

वहाँ से कुछ भाग ही दिख रहा था, पर उनकी बातों की आवाज जरूर सुनाई दे रही थी।
पारस- भाभी, क्या बनाया नाश्ते में आज?
सलोनी- सब कुछ तुम्हारी पसन्द का ही है, ब्रेड सैंडविच और चाय या कॉफी जो तुम कहो।
पारस- आपको तो पता है, मैं ये सब नहीं पीता, मुझे तो दूध ही पसन्द है।
सलोनी- हाँ हाँ… मुझे पता है और वो भी तुम सीधे ही पीते हो।
और दोनों के जोर से हंसने की आवाज आई।

सलोनी- अरे क्या करते हो, अभी मैंने मना किया था न ! उफ़्फ़… क्या कर रहे हो !
मैंने बहुत कोशिश की दोनों को देखने की मगर कभी कभी जरा सा भाग ही दिख रहा था।
मगर यह निश्चित था कि पारस मेरी बीवी के दूध पी रहा था।

अब वो टॉप के ऊपर से पी रहा था या टॉप उठाकर यह मेरे लिए भी सस्पेन्स था।
मैं तो केवल उनकी आवाजें सुनकर ही उत्तेजित हो रहा था।

सलोनी- ओह पारस, क्या कर रहे हो? प्लीज अभी मत करो ! देखो, वो आते होंगे… ओह… नहीं… आह… क्या करते हो। ओह पारस… तुमने अंडरवियर भी नहीं पहना।
पारस- पुच… पुच… सुपरररर… सपरर… अहाआआ… भाभी, कितने मस्त हैं आपके मम्मे… ओह्ह्ह भाभी, ऐसे ही सहलाओ… आहा… कितना मस्त सहलाती हो आप लण्ड को… आहाअ… ओह्हओ… पुच… पुच…
मैं रोशनदान से टंगा उनकी आवाजें सुनरहा था और सोच रहा था कि ये मेरे सामने ही कितना आगे बढ़ सकते हैं। क्या आज ही मुझे इनकी चुदाई देखने को मिल जायेगी।
 


अपडेट 3

पता नहीं क्या होगा…
तभी मुझे पारस की छाया सी दिखी, वो कुछ पीछे को हुआ था।
“ओह माय गॉड… वो पूरा नंगा था, उसका तौलिया उसके पैरों में था जिसे उसने अपने पैरों से पीछे को धकेला।

शायद उसी के लिए वो पीछे को हुआ होगा।
मुझे उसका लण्ड तो नहीं दिखा मगर मैं इतना मूर्ख भी नहीं था कि यह न समझ सकूँ कि इस स्थिति में उसका लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा ही होगा।

अब सोचने वाली बात यह थी कि मेरे घर में रहते वो क्या करेगा।
वो फिर आगे को हो गया और मेरी नजरों से ओझल हो गया।

तभी फिर से आवाजे आने लगीं…
सलोनी- तुम बिल्कुल पागल हो पारस… क्या करते हो, तुम्हारा लण्ड कितना सख्त हो रहा है।
पारस- हाँ भाभी, अहा… आज तो भैया के सामने ही यह तुम्हारी चूत में जाना चाहता है… ओहू…ओ… अहाह… ह…

सलोनी- नहीं… ईईईइ… पारस… प्लीज ऐसा मत करो, मैं उनके सामने ऐसा नहीं कर सकती। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। अहाआ… आ… पारस… हा… हा… ओह… मत करो न… तुम बहुत बदमाश हो गए हो।
‘अहा… क्या करते हो… प्लीज तुम्हारा लण्ड तो आज मेरी पजामी ही फाड़ देगा… अहाआ… आआ… नहीं… ईईईई…’

पारस- पुच… पुछ्ह्ह्ह्ह… अहह… हआआ… आज नहीं छोड़ूंगा… ओहू… ऊओ… लाओ इसको हटा दो।
सलोनी- नहींईई पारस… क्या करते हो, पगला गए हो, देखो वो आते ही होंगे, मान जाओ ना प्लीज ह्ह्हाआ… ओह… ऊऊओह…

पारस- वह भाभी… क्या मस्त चूत है आपकी… बिल्कुल छोटी बच्ची की तरह… कितनी चिकनी और छोटी सी… दिल करता है खा जाऊँ… इसको…

वाकयी सलोनी की चूत बहुत खूबसूरत है, उसके छोटे छोटे होंट ऐसे आपस में चिपके रहते हैं जैसे किसी किशोर लड़की के… और चूत का रंग गुलाबी है जो उसकी गदराई सफ़ेद जांघों में जान डाल देता है।
उसकी चूत बहुत गर्म है और उसके होंटों को खोल जब लाली दिखती है तो मुझे पक्का यकीन है कि बुड्ढों तक का लण्ड पानी छोड़ दे।

मगर इस समय वो चूत मेरे छोटे भाई पारस के हाथ में थी। पता नहीं वो नालायक उसको कैसे छेड़ रहा होगा।
अब फिर से भयंकर मादक आवाजें आने लगीं।
सलोनी- ह्हाआ… आअ… आआआअ… ओहू… ऊऊओ पारस… नहीईई… प्लीजज्ज… नहीं… ईईईई…
पारस- भाभी… इइइ… बस जरा सा झुक जाओ।
सलोनी- वो आते होंगे ! तुम मानोगे नहीं।

पारस- भाभी, भैया अभी नहा ही रहे हैं, शॉवर की आवाज आ रही है, उनके आने से पहले हो जायेगा। बस जरा सा आह… आआआ…
सलोनी- ओह… ऊऊओ… क्या करते हो ओह… ऊऊ… वहाँ नहीं पारस… आहआ… आआआआ… आआआआआ… सूखा ही आआआ… तुम तो मार ही दोगे।

‘पागल, मैंने कितनी बार कहा है गांड में डालने से पहले कुछ चिकना लगा लो।’
पारस- मैंने थूक लगाया था ना और आपकी चूत का पानी भी लगाया था… अहा…आआआ… क्या छेद है भाभी… मजा आ गया।

सलोनी- चल पहले मलाई लगा…
‘अरे क्या करता है सब दूध ख़राब कर दिया, हाथ से लेकर लगा न, लण्ड ही दूध में डाल दिया… तू तो वाकयी पगला गया है।’

पारस- जल्दी करो भाभी… जब लण्ड पी सकती हो तो क्या लण्ड से डूबा दूध नहीं… अहा… जल्दी करो…
सलोनी- अहा… आआ… धीरे… पागल… ह्हाआआअ… ह्हाआअ… ओहूऊऊऊ…
दस मिनट तक उनकी आवाजें आती रहीं।

झूठ नहीं बोलूंगा, मैंने भी नहाने के लिए अपने कपड़े निकाल दिए थे और इस समय पूरा नंगा ही उन दोनों को सुन रहा था, मेरा लण्ड भी पूरा खड़ा था और मैं उसको मुठिया रहा था।
सलोनी- अहा… हाआआआ… पारस बहुत जबर्दस्त है तुम्हारा लण्ड… अहा…आआ… क्या मस्त चोदते हो… अहा… बस करो न अब… ऐईईईइ…
पारस- आआ… आआआ… आआ… ह्हह्ह… बस हो गया भाभी आआआह ह्ह्ह्ह्हा…
सलोनी- ओह… ऊऊऊ… क्या कर रहे हो… सब गन्दा कर दिया… उफ्फ्फ… फ्फ्फ्फ्फ…
तभी पारस पूरा नंगा अपना तौलिया उठा बाहर आ गया।
उसका लण्ड अभी भी तना था और पूरा लाल दिख रहा था।
और फिर सलोनी भी बाहर आई, माय गॉड क्या लग रही थी।

उसका टॉप बिल्कुल ऊपर था उसकी दोनों चूची बाहर निकली थी जिन पर लाल निशान दिख रहे थे।
ऊपर तनी हुई सफ़ेद चूची पर गुलाबी निप्पल चूसे और मसले जाने की कहानी साफ़ कह रहे थे।
उसकी ब्रा एक और को लटकी थी उसकी शायद तक एक फीता टूट गया था।
और नीचे तो पूरा धमाकेदार दृश्य था उसकी पजामी उसके पंजों में थी।

और वो पजामी के साथ ही पैरों को खोलकर चल रही थी।
उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा मन उसमें अपना लण्ड एक झटके में डालने को कर रहा था।
रसोई से बाहर आ उसने तौलिया लिया और मेरी ओर पीठ करके अपनी चूत साफ करने लगी।
उसकी कमर से लेकर चूतड़ों तक पारस का वीर्य फैला था। वो जल्दी जल्दी साफ़ करते हुए पीछे मुड़ कर बाथरूम की ओर भी देख रही थी।

उसकी इस स्थिति को देखते हुए मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया।
अब मैं नीचे उतर बिना नहाये केवल हाथ मुंह धोकर ही बाहर आ गया। हाँ, थोड़े से बाल जरूर भिगो लिए जिससे नहाया हुआ लगूँ।

बाहर एक बार फ़िर सब कुछ सामान्य था, सलोनी फिर से रसोई में थी और पारस शायद अपने कमरे में था।
कहानी जारी रहेगी।
 
अपडेट 4

रसोई से बाहर आ उसने तौलिया लिया और मेरी ओर पीठ करके अपनी चूत साफ करने लगी.उसकी कमर से लेकर चूतड़ों तक पारस का वीर्य फैला था. वो जल्दी जल्दी साफ़ करते हुए पीछे मुड़ कर बाथरूम की ओर भी देख रही थी.उसकी इस स्थिति को देखते हुए मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया.अब मैं नीचे उतर बिना नहाये केवल हाथ मुंह धोकर ही बाहर आ गया. हाँ, थोड़े से बाल जरूर भिगो लिए जिससे नहाया हुआ लगूँ.बाहर एक बार फ़िर सब कुछ सामान्य था, सलोनी फिर से रसोई में थी और पारस शायद अपने कमरे में था.हाँ बाहर एक कुर्सी पर सलोनी की ब्रा जरुर पड़ी थी जो उनकी कहानी वयां कर रही थी.वो कितना भी छुपाएँ पर सलोनी ब्रा को बाहर ही भूल गई थी.मैंने उससे थोड़ी मस्ती करने की सोची और पूछा- सलोनी, क्या हुआ? तुम्हारी ब्रा कहाँ गई.मगर बहुत चालाक हो गई थी वो अब ! कहते हैं न कि जब ऐसा वैसा कोई काम किया जाता है तो चालाकी अपने आप आ जाती है.वो तुरन्र बोली- अरे काम करते हुए तनी टूट गई तो निकाल दी.मैंने फिर उसको सताया- कौन सा काम बेबी?वो अब भी सामान्य थी- अरे, ऊपर स्लैब से सामान उतारते हुए जान !मैं अब कुछ नहीं कह सकता था, हाँ, उसके चूसे हुए होंटों को एक बार चूमा और अपने कमरे में आ गया.तो यह था मेरा पहला कड़वा या मीठा अनुभव, कि मेरी प्यारी जान मेरी सीधी सी लग वाली बीवी सलोनी ने कैसे मेरे भाई से अपनी नन्ही-मुन्नी चुदवाई.हाँ, एक अफ़सोस जरूर था मुझे कि मैं उसको देख नहीं पाया ! मगर फिर भी सब कुछ लाइव ही तो था, देख नहीं पाया, सुना तो सब था मैंने, अपनी बीवी की सीत्कारें रसोई में मेरे भाई से चुदवाते हुए !मैं तैयार होकर बाहर आया, नाश्ता लग चुका था.पारस भी तैयार हो गया था.मैं- पारस, आज कहाँ जाना है, मैं छोड़ दूँ.पारस- नहीं भैया, कहीं नहीं, आज आराम ही करूँगा, आज रात की गाड़ी से तो वापसी है मेरी.मैं- हाँ, आज तो तुझको जाना ही है, कुछ दिन और रुक जाता.पारस- आऊँगा ना भैया, अगली छुट्टी मिलते ही यहीं आऊँगा. अब तो आप लोगों के बिना मन ही नहीं लगेगा.कह मेरे से रहा था जबकि देख सलोनी को रहा था.फिर सलोनी ने ही कहा- सुनो, मुझे जरा बाज़ार जाना है, कुछ कपड़े लेने हैं.मैं- यार, मेरे पास तो टाइम ही नहीं है, तुम पारस के साथ चली जाना.सलोनी- ठीक है, थोड़े पैसे दे जाना.मैं- ठीक है, क्या लेना है, कितने दे दूँ.सलोनी- अब दो तीन जोड़ी तो अंडरगार्मेन्ट्स ही लाने हैं, एक तो अभी ही टूट गई, अब कोई बची ही नहीं, थोड़े ज्यादा ही दे देना.वो मुस्कुराते हुए पारस को ही देख रही थी.पहले तो मैं कोई ध्यान नहीं देता था मगर अब उन दोनों की ये बातें सुन सब समझ रहा था.सलोनी- अच्छा 5000 दे देना, अबकी बार अच्छी और महंगे वाले चड्डी ब्रा लाऊँगी.वो बिना शरमाये अपने कपड़ो के नाम बोल रही थी.मैं- ठीक है जान, ज़रा अच्छी क्वालिटी की लाना और पहन भी लिया करना.पारस- हा… हा… हा… भैया, ठीक कहा आपने. हाँ भाभी… ऐसे लाना जिनको पहन भी लो… आपको तो पता नहीं, पर ऐसे कपड़ों में दूसरों को कितनी परेशानी होती होगी.सलोनी उसके कान पकड़ते हुए- अच्छा बच्चू ! बहुत बड़ा हो गया है तू अब. ऐसी नजर रखता है अपनी भाभी पर? बेटा सोच साफ़ होनी चाहिए, कपड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता.पारस- हाँ भाभी, आपने ठीक कहा, मैंने तो मजाक किया था.मैं उन दोनों की नोकझोंक सुन कर मुस्कुरा रहा था, कुछ बोला नहीं, बस सोच रहा था कि कैसे इन दोनों की आज की हरकतें जानी जाएँ. अब घर पर मेरा टिकना तो सम्भव नहीं था.तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैंने सलोनी के पर्स में रु० रखते हुए सोचा, उसका यह पर्स मेरी समस्या कुछ हद तक दूर कर सकता है.मैंने कुछ समय पहले एक आवाज रिकॉर्ड करने वाला पेन voice recorder लिया था, मैंने उसको ऑन करके सलोनी के पर्स में नीचे की ओर डाल दिया.उसकी क्षमता लगभग 8 घंटे की थी, अब जो कुछ भी होगा, कम से कम उनकी आवाजें तो रिकॉर्ड हो ही जाएंगी.मैंने पहले भी यह चेक किया था, जबर्दस्त पॉवर वाला था और एक सौ मीटर की रेंज की आवाजें रिकॉर्ड कर लेता था.अब मैं निश्चिंत हो सबको बाय कर ऑफिस के लिए निकल गया.सोचा किअब शाम को आकर देखते हैं क्या होता है पूरे दिन…मैं शाम 7 बजे वापस आया, घर का माहौल थोड़ा शांत था, सलोनी कुछ पैक कर रही थी, पारस अपने कमरे में था.मैं भी अपने कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा कि तभी मुझे सलोनी का पर्स दिख गया.मैंने तुरंत उसे खोलकर वो पेन निकाला, वो अपने आप ऑफ हो गया था.पर्स में मुझे 3-4 बिल दिखे हैं, मैंने उनको चेक किया, सलोनी ने काफी शॉपिंग की थी.उसकी 2 लायेन्ज़री Lingerie, कुछ कॉस्मेटिक और पारस की टी-शर्ट, नेकर और अंडरवियर भी थे.आमतौर पर मैं कभी ये सब नहीं देखता था पर जब सलोनी की सब हरकतें आसानी से दिख रही थी तो अब मेरा दिल उनकी सभी बातें जानने का था, आज तो उनके बीच बहुत कुछ हुआ होगा.मगर
मगर यह सब अभी सम्भव नहीं था, मैंने पेन से मेमरी चिप निकाल कर अपने पर्स में रख ली, सोचा कि बाद में सुनुँगा.बाहर पारस सलोनी को मना रहा था- मत उदास हो भाभी, फिर जल्दी ही आऊँगा.ओह ! सलोनी इसलिए उदास थी !मैंने भी उसको हंसाने की कोशिश की मगर वो वैसी ही बनी रही उदासमना.मैं- पारस, कितने बजे की ट्रेन है तेरी?पारस- भैया, 8:50 की है, मैं 8 बजे ही निकल जाऊँगा.मैं- पागल है क्या? मैं छोड़ दूँगा तुझे स्टेशन पर, आराम से चलेंगे, चल खाना खा लेते हैं.पारस- आप क्यों परेशान होते हो भैया, मैं चला जाऊँगा.मैं- नहीं, तुझसे कहा ना ! सलोनी तुम भी चलोगी ना.सलोनी- नहीं, मुझे अभी बहुत काम हैं, और मैं इसको जाते नहीं देख पाऊँगी, इसलिए तुम ही जाओ.मैं मन ही मन मुस्कुरा उठा- ओह… इतना प्यार…!!और तभी मन में एक कौतुहल भी जागा कि पारस को छोड़ने के बाद मेरे पास इन दोनों की बात सुनने का समय होगा.और हम जल्दी जल्दी खाना खाने लगे.मैंने बाथरूम में जाकर चिप अपने फ़ोन में लगा ली और रिकॉर्डिंग चेक की.थैंक्स गॉड ! सब कुछ ठीक था और उसमें बहुत कुछ मसाला लग रहा था.फिर सब कुछ जल्दी ही हो गया और हम जाने के लिए तैयार हो हो गए.मैं बाहर गाड़ी निकालने आ गया, पारस अपनी भाभी को अच्छी तरह मिलकर दस मिनट बाद बाहर आया.मैं- क्या हुआ? बड़ी देर लगा दी?पारस- हाँ भैया, भाभी रोने लगी थीं.मैं- हाँ, वो तो पागल है, सभी को दिल से चाहती है.पारस- हाँ भैया, भाभी बहुत अच्छी हैं, उनका पूरा ख्याल रखना.मैं- अच्छा बच्चू, अभी तक कौन रख रहा था?पारस- नहीं भैया, मेरा यह मतलब नहीं था. आप काम में बिजी रहते हो ना, इसलिए कह रहा था.मैं- हाँ वो तो है ! चल अच्छा, अपना ध्यान रखना और किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना.पारस- हाँ भैया, आपसे नहीं तो किससे कहूँगा.मुझे उसके जाने की बहुत जल्दी थी, मैं उस टेप को सुनना चाह रहा था.कहानी जारी रहेगी.
 
अपडेट 5

कुछ ही देर में पारस की ट्रेन चली गई, मैं जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ गया और फ़ोन निकाल कर रिकॉर्डिंग ऑन की…इस टेप को सुनने में पूरे 3 घंटे लगे, टेप सुनने में ही मेरी हालत खराब हो गई और मैंने दो बार मुठ मारी.मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि सलोनी इस कदर सेक्सी हो सकती है, उसने एक भारतीय नारी की सारी हदें पार कर दी थीं.मुझे लगा कि शायद मैं अपने बिज़नेस में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया था जो उसकी इच्छाएँ नहीं समझ पाया.तो आप भी सुन लीजिए मेरे सगे भाई पारस और मेरी ब्याहता बीवी सलोनी की बातचीत, एक एक शब्द आगे वर्णित है……
मैं- अच्छा जान मैं चलता हूँ, पारस तैयार रहना शाम को मिलते हैं.सलोनी- बाय जान अपना ध्यान रखना.सलोनी- ओह पारस, क्या करते हो रुको तो… अरे, दरवाजा तो बंद करने दो… लगता है… आज तो पगला गए हो.पारस- हाँ भाभी, आज मेरा आखरी दिन है, तुमको तो पता है फिर 6 महीने के बाद आ पाऊँगा.सलोनी- ओह मुझे पता है बेबी, मैं खुद उदास हूँ पर ओह… रुको ना… उतार रही हूँ ना… क्या पजामी फ़ाड़ोगे? ये लो… आज तुम्हारा जो दिल चाहे कर लो… आज मेरी ओर से तुमको हर तरह की आजादी..पारस- यू आर ग्रेट भाभी… आई लव यू… पुच… पुच…सलोनी- अब तुमने मुझे पूरी नंगी तो कर दिया है… देखो सुबह तुमने कितना गन्दा कर दिया था… पहले मैं नहा लूँ… फिर जो तुम्हारी मर्जी कर लेना.पारस- आज तो मैं आपको एक पल भी नहीं छोड़ूँगा… चलो… मैं आपको नहलाता हूँ.सलोनी- क्या करते हो पारस… अभी तो नहाये हो तुम… फिर से गीले हो जाओगे… आआअ… ऊऊऊ…उईईईईई… क्या कर रहे हो…ह्ह्ह्ह्हाआआआ… खिलखिलाने की आवाजें आओहूऊऊओ…पारस- भाभी सच बताओ, तुम्हारी चूत इतनी प्यारी कैसे है… कितनी छोटी… वाउउउउ… कितनी चिकनी… ये तो बिल्कुल छोटी सी बच्ची जैसी है… पुच पुच… च… च… च… पुच च च…सलोनी- अहाआआ… ह्हह्हाआ… अब नहाने भी दे… या चाटता ही रहेगा… ओहूऊऊ… ओह… हा… हा… हे… हेह… ही… ही…पारस- पुच… चाप… चप… चपर… पुच…सलोनी- अच्छा ये बता… तूने कितनी बच्ची की चूत देखी हैं जो तुझे पता है कि वो ऐसी होती है.पारस- क्या भाभी… ये तो पता ही है न… और मैंने तो कई की देखी है और…सलोनी- अच्छा बच्चू… इसका भी दीवाना है लेकिन गलत बात अब ऐसा नहीं करना…पारस- ओह भाभी… ठीक है… नहीं करूँगा मगर कान तो छोड़ो.सलोनी- नहीं छोड़ूंगी… तुम छोड़ते हो जब मेरे दूध पकड़ लेते हो… तो हा हा… अब मैं भी नहीं छोड़ती…पारस- ठीक है… मत छोड़ो… लो मैं भी पकड़ लेता हूँ…सलोनी- हीईई… हूऊऊऊऊ… अहाआआ… उईईईईइ…पारस- अहाआ… आआअ…सलोनी- ओहूऊऊ… यहाँ नहीं राजा… ओहू… हो… अहाआआ… निकाल न… अहाआआ… नहा तो लेने दे… नअहाआआ…पारस- नहला ही तो रहा हूँ… यह तो आपकी चूत की अंदर की सफाई कर रहा है… आहा… आहा…सलोनी- हाँ हाँ… मुझे सब पता है यह कौन सी सफाई कर रहा है… आहा… आअ… अआ… अआ… ओह… ओह…अहाआआ… आहा… आअ… आअ… आहाहा… हाआह…पारस- ओह भाभी… कितनी गर्म है चूत आपकी… आहा हा… ओह आहा… हा ओह… अह्ह्हा… ओह… हह…सलोनी- बस्स्स्स्स्स्स्स… राजाआआआ… ओहोहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…पारस- आआआह्हह्हह्हह्ह… बस्स… भाभी हो गया… आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आआआआअह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह…पारस- आहा भाभी… मजा आ गया, तुम बहुत हॉट हो जानम, तुम्हारी इस चूत को चोदकर मेरे लण्ड को पूरा करार मिल जाता है.सलोनी- हाँ लाला… तुमने भी मेरी जिंदगी में पूरे रंग भर दिए हैं. तुम्हारे भैया तो बेडरूम और बिस्तर के अलावा मुझे कहीं हाथ भी नहीं लगाते, अहा और तुमने इस घर में हर जगह मुझे चोदा है. मैं निहाल हो गई तुम्हारी चुदाई पर.पारस- हाँ भाभी… चुदाई का मजा तो जगह और तरीके बदल बदल कर करने में ही आता है.सलोनी- सही कहा तुमने… आज यहाँ बाथरूम में मजा आ गया.पारस- अच्छा और कल जब बालकोनी में किया था?सलोनी- धत्त पागल… वो तो मैं बहुत डर गई थी. लेकिन सच बोलूँ तो बहुत मजा आया था. सूरज की रोशनी में खुले में, ना जाने किस किसने देखा होगा.पारस- अरे भाभी… वही तो मजा है… और आपने देखा नहीं कल आपकी चूत सबसे ज्यादा गरम थी और कितना पानी छोड़ रही थी.सलोनी- हाँ हाँ… चल अब तेरी सारी इच्छा पूरी हो गई ना, बेडरूम से लेकर बाथरूम, बालकोनी, रसोई सब जगह तूने अपने मन की कर ली ना, और मुझे यह गन्दी भाषा भी सिखा दी, अब तो तू खुश है ना?पारस- अभी कहाँ मेरी जान… अभी तो दिल में सैकड़ों अरमान हैं… आप तो बस देखती जाओ… हा… हा… हा…सलोनी- तू पूरा पागल है… चल अब हट…ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्नसलोनी- अरे कौन आया इस वक्त…?पारस- लगता है कूरियर वाला है.सलोनी- जा तू ले ले… तौलिया बांध लेना कमर में… या होने इसी पेन से साइन करेगा… हा… हा… हा… हाहा…पारस- हे हे… हंसो मत भाभी… आज आपको एक और मजा कराता हूँ… जाओ कूरियर आप लो… बहुत मजा आएगा.सलोनी- पागल है क्या… मुझे कपड़े पहनने में आधा घंटा लग जायेगा, जल्दी जा ना… तू ले ले.ट्रनन्न्नन
 


अपडेट 6

ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्नपारस- नहीं भाभी… देखो न… बहुत मजा आएगा… तुमको कपड़े नहीं पहनने… ऐसे ही लेना है कूरियर.सलोनी- हट पागल… मारूंगी तुझे… नंगी जाऊँगी मैं उस आदमी के सामने? कभी नहीं करुँगी मैं ऐसा… तू तो पूरा पगला गया है. हाए राम क्या हो गया है तुझको, मुझे क्या समझा है तूने?पारस- पुच पुच… तुम तो मेरी जान हो… अगर मुझ पर विश्वास है और मुझसे जरा भी प्यार है तो आज सारी बात आप मानोगी… चलो जल्दी करो.सलोनी- अरे बुद्धू… कैसे वो पागल हो जायेगा.ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्नसलोनी- कौन? कौन है भाई?…कूरियर है…सलोनी- रुको भैया, अभी आती हूँ, मैं नहा रहीं हूँ.हाँ… अब बोल कैसे जाऊं…?पारस- लो यह तौलिया ऐसे बाँध लो जैसे बांधती हो अपनी चूची से और गीली तो हो ही, वो यही समझेगा कि नहाते हुए आई हो. और घबराती क्यों हो… वो कौन का किसी से कहेगा… उसकी तो आज किस्मत खुल जायेगी.सलोनी- तू वाकई पूरा पागल है… मरवाएगा तू आज, मैं पूरा दिन अकेली ही रहती हूँ अगर किसी दिन चढ़ आया न वो तो मैं क्या करुँगी.पारस- अरे कुछ नहीं होगा… तुम देखना कितना मजा आएगा… और आपको एक बार उसके सामने यह तौलिया सरका देना… फिर देखना मजा.सलोनी- पागल है… धत्त… मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी. चल हट अब तू.ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्नसलोनी- आई भैया…दरवाजा खुलने की आवाज…पारस की मर्जी पूरी करने के लिए सलोनी आज वो करने वाली थी जो उसने कभी नहीं किया था.वो नहाकर पूरी नंगी, उसके संगमरमरी जिस्म पर एक भी वस्त्र नहीं था, केवल एक तौलिया लपेट जो उसके बड़े और ऊपर को तने मम्मों पर बंधी थी और उसके मोटे गद्देदार चूतड़ों पर आकर ख़त्म हो गई थी, उसी को बाँध, एक अजनबी के सामने आने वाली थी. पता नहीं इस रोमांच के खेल में क्या होने वाला था…अब आगे…दरवाजा खुलने की आवाज…सलोनी- ओह आप… क्या था भैया? सॉरी देर हो गई वो क्या था कि मैं नहा रही थी न…अजनबी- कोई बात नहीं मैडम जी, आपका कूरियर है. लीजिये यहाँ साइन कर दीजिये…सलोनी- ओह.. कहाँ… अच्छा… क्या है इसमें..अजनबी- पता नहीं मैडम… मुम्बई से आया है.सलोनी- ओह बहुत भारी है… आहआआआ… आईईईईईईई… उफ्फ्फ्फ्फ… पकड़िये प्ल्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श… प्लीज ये क्या हुआअ…अजनबी- वाह… मेमश्ाााााबबब…हाँह्हह्ह्ह… लाईईईई… ये अहाआआआअ…सलोनी- सॉरी भाईसाब… न जाने कैसे खुल गया. कृपया आप अंदर रख दीजिये……खट खट बस कुछ आवाजें…अजनबी- अच्छा मेमसाब, चलता हूँ. आपका शुक्रिया… एक बात कहूँ मेमसाब… आप बहुत सुन्दर हैं… अब किसी और के सामने ऐसे दरवाजा मत खोलना.सलोनी- सॉरी भैया, किसी और से मत कहना.अजनबी- ठीक है मेमसाब…दरवाजा बंद होने आवाज…सलोनी- हा हा हा हा माय गॉड, ये क्या हो गया…पारस- हाहा…हाहाहाहा…हाहा होहोहोहो… मजा आ गया भाभी… क्या सीन था, गजब, आज तो उसका दिन सफल हो गया…सलोनी- हो हो हो हो हे हे… रुक अभी… कितना मजा आयायया… वाह रुक… अभी हा हा हा हा… पेट दर्द करने लगा…पारस- हाँ भाभी, देखा आपने उसकी पैंट कितनी फूल गई थी… बेचारा कुछ कर भी नहीं पाया.. कैसे भूखे की तरह घूर रहा था…पारस- वाह भाभी… आपने तो कमाल कर दिया, मैंने तो केवल ये चूची दिखाने को कहा था. और आपने तो उसको पूरा जलवा दिखा दिया?माय गॉड… देखो… यहाँ मेरे लण्ड का क्या हाल हो गया… उस बेचारे का तो क्या हुआ होगा.सलोनी- हहहहःपारस- जैसे ही आपका तौलिया गिरा मैं तो चोंक ही गया था… मैं तो डर गया कि कहीं आप पैकेट ना गिरा दो. पर आपने किस अदा से उसको पैकेट पकड़ाया.वाह भाभी मान गया आपको…सलोनी- हे… हे हे… हे… चल पागल… वो तो अपने आप हो गया. मैंने नहीं किया… तौलिया खुद खुल गया…पारस- जो भी हुआ पर बहुत गरम हुआ, जो मैं सोचता था वैसे ही हुआ…पारस- कैसे फटी आँखों से वो आपकी चूत घूर रहा था.. और आपने भी उसको सब खुलकर दिखाई…सलोनी- धत्त मैंने कुछ नहीं दिखाया… चल हट मुझे शर्म आ रही है…पारस- हाए हाए… मेरी जान… अब शर्म आ रही है.. मुझे तो मजा आ गया.सलोनी- अच्छा बता न… वो क्या क्या देख रहा था?पारस- हाँ भाभी, आपसे पैकेट लेते हुए उसकी नजर आपकी हिमालय की तरह उठी इन चूचियों पर थी. आप जब बैठकर तौलिया उठा रही थीं, तब वो बिना पलक झपकाए आपकी इस चिकनी मुनिया को घूर रहा था जो शायद अपने होंट खोले उसको चिढ़ा रही थी. और तो और फिर आप उसकी तरफ पीठ कर जब तौलिया बांधने लगीं तो जनाब ने आपके इन सेक्सी चूतड़ों को भी ताड़ लिया.मैं तो सोच सोच कर मरा जा रहा हूँ कि क्या हुआ होगा बेचारे का…सलोनी- हा हा… एक बात बताऊँ, पैकेट लेते हुए उसके दोनों हाथों की रगड़ मेरे इन पर थी… मैं तो सही में घबरा गई थी.पारस- वाओ भाभी… चूचियों को भी रगड़वा लिया, फिर तो गया वो…सलोनी- तुम सही कह रहे थे… वाकयी बहुत मजा आया.पारस- मैं तो आपसे कहता ही हूँ भाभी… जरा सा जीवन है खूब मजा किया करो.सलोनी- अच्छा चल अब तैयार हो जा, ओह… अब मत छेड़ न इसको. चल बाजार चलते हैं… बाहर ही कुछ खा लेंगे… मुझे शॉपिंग भी करनी है.पारस- ठीक है भाभी… पर एक शर्त है !सलोनी- अब क्या है, बाजार भी नंगी चलूँ क्या…पारस- नहीं भाभी, ये इंडिया है, काश ऐसा हो सकता… पर आप स्कर्ट पहन कर चलो.सलोनी- अरे वो तो मैंने वही निकाली है देख… ये स्कर्ट पहन कर ही चलूंगी.पारस- वाओ भाभी… बहुत सेक्सी लगोगी. पर प्लीज इसके नीचे कुछ मत पहनना, मतलब कच्छी ब्रा वगैरा कुछ नहीं !सलोनी- अब फिर तू पगला गया है. ब्रा तो पहले भी कई बार नहीं पहनी है मगर कच्छी भी नहीं? बहुत अजीब लगेगा.पारस- प्लीज भाभी…सलोनी- ओके बेबी… पर ये स्कर्ट कुछ छोटा है… ऐसा करती हूँ, लॉन्ग स्कर्ट पहन लेती हूँ.पारस- नहीं भाभी… यही… … प्लीज…सलोनी- ओके बेबी… अब पीछे से तो हट… जब देखो… कहीं न कहीं घुसाता रहेगा… अब इसको बाज़ार में जरा संभाल कर रखना… ओके?पारस- भाभी यही तो कंट्रोल में नहीं रहता, अब तो खुला रास्ता है… बस स्कर्ट उठाई और अंदर… हाहा…हाहा…सलोनी- अच्छा जी… तो यह तेरा प्लान है… मारूंगी… हाँ… देख ऐसा कुछ बाज़ार में मत करना… कभी मुझे सबके सामने रुसवा कर दे?पारस- अरे नहीं भाभी… आप तो मेरी सबसे प्यारी भाभी हो…सलोनी- अच्छा चल अब जल्दी कर…ओके…मेरे पाठक दोस्तो, मैं खुश था… रिकॉर्डर सलोनी के साथ था मगर अगले 3 घंटे सही रिकॉर्ड नहीं हुए. यहीं आकर यह आधुनिक मशीनें भी फ़ेल हो जाती हैं.

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट 7

सलोनी- ओके बेबी… अब पीछे से तो हट… जब देखो… कहीं न कहीं घुसाता रहेगा… अब इसको बाज़ार में जरा संभाल कर रखना… ओके?
पारस- भाभी यही तो कंट्रोल में नहीं रहता, अब तो खुला रास्ता है… बस स्कर्ट उठाई और अंदर… हाहा…हाहा…
सलोनी- अच्छा जी… तो यह तेरा प्लान है… मारूंगी… हाँ… देख ऐसा कुछ बाज़ार में मत करना… कभी मुझे सबके सामने रुसवा कर दे?
पारस- अरे नहीं भाभी… आप तो मेरी सबसे प्यारी भाभी हो…
सलोनी- अच्छा चल अब जल्दी कर…ओके…मेरे पाठक दोस्तो, मैं खुश था… रिकॉर्डर सलोनी के साथ था मगर अगले 3 घंटे सही रिकॉर्ड नहीं हुए. यहीं आकर यह आधुनिक मशीनें भी फ़ेल हो जाती हैं.इतनी मिक्स आवाजें थी कि कुछ सही से समझ नहीं आ रहा था.मगर उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि मुझे काफी कुछ पता चल गया.घर से निकलने के बाद पारस के बाइक स्टार्ट करने की आवाज.जब वो आता था तो मेरी बाइक वो ही यूज़ करता था…
पारस- आओ बेठो मेरी जान मेरी प्रेमिका की तरह
सलोनी- अच्छा जी, अपने भैया के सामने बोलना.. हे हे
पारस- ओह क्या भाभी ओल्ड फैशन, दोनों और पैर करके चिपक कर बैठो ना.
सलोनी- हाँ हाँ मुझे पता है पर पहले कालोनी से बाहर लेकर चल फिर वैसे भी बैठ जाउंगी.और आज कैसे यार पैर खोलकर बैठूंगी तो स्कर्ट उड़ेगी, फिर तो सब क्या क्या देखेंगे.
पारस- क्या देखेंगे हो हो…
सलोनी- मारूंगी कमीने, तेरे कहने से ही मैंने कच्छी नहीं पहनी, और अब सबको दिखाना भी चाहता है.
पारस- वही तो मेरी जान देखना आज बाज़ार में आग लगने वाली है. और आप तो बस मजे लो.
सलोनी- हाँ हाँ मुझे पता है मजे कौन ले रहा है.…

सलोनी- अच्छा अब रोक वैसे ही बैठती हूँ.…
पारस- बिल्कुल चिपक जाओ जान,सलोनी- और कितना चिपकू, चूत में तेरे जीन्स का कपड़ा तक चुभ रहा है.
पारस- अह… हा हा… हाहाहाहा……


पारस- उधर देखो भाभी, वो कैसे देख रहा है.
सलोनी- हट मैं नहीं देखती… देखने दे उसको, जो देख रहा है.
पारस- बहुत देर से पीछे चल रहा है.
सलोनी- मुझे पता है मेरे चूतड़ देखकर पहले इशारा भी कर रहा था.
पारस- अच्छा कौन सा?
सलोनी- फ़क यानि चुदाई का, और कौन सा, मैं कह ही रही थी तू मुझे रुसवा करवाएगा. इतनी तेज चला रहा है स्कर्ट पूरी ऊपर हो जा रही है… सोच, उसको कितने मजे आ रहे होंगे ! थोड़ी धीरे कर ना !
पारस- लो भाभी
…चटअआआताआआआअक्क्क्क्क्क
सलोनी- आआआ… आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्हा… आआअ…
पारस- क्या हुआ भाभी…
सलोनी- हरामी, साला तू पकड़ न उसको, मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार कर भाग गया. उनून्न्न्नन्न पूरे लाल हो गए होंगे.
पारस- हाहाहाहा… ह्हह्हाहह… देखा इसलिए मैं तेज चला रहा था… हा हाहाहा…
सलोनी- अब तू हंसा तो पिटेगा.
पारस- लाओ दिखाओ… भाभी, मैं सहला देता हूँ.
सलोनी- रहने दे, तू बस अब चला……

सलोनी- चल अब यहीं रोक दे……

पारस- क्या हुआ…?
सलोनी- देख उसको कैसे घूर रहा है, इसने मुझे उतरते हुए देख लिया था. जब मेरा पैर ऊपर था तो कमीना चूत में ही घुसा था.
पारस- हा हा… क्या बात है भाभी… तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर मजा आ गया.
सलोनी- हाँ हाँ… बहुत सुन ली मैंने तेरी… अब सबसे पहले तो कच्छी खरीदकर वहीं पहनती हूँ. बहुत देख ली सबने अब बस.
पारस- नो भाभी, यह चीटिंग है आज तो आप ऐसे ही रहोगी, और डरती क्यों हो मैं हूँ ना !
सलोनी- हाँ हाँ… मुझे पता है तू कितना है आज मेरा रेप करा कर रहेगा. अगर इनके किसी दोस्त ने देख लिया न तो सब हो जाएगा.
पारस- अरे, कुछ नहीं होगा भाभी… देखना… वो भी आपका दीवाना हो जायेगा…
सलोनी- हाँ हाँ… तू तो बहुत कुछ जानता है… चल अब…
सलोनी- पारस आ… उस दुकान में चल.
पारस- नहीं भाभी… ये वाली ज्यादा सही है… मैंने जो आपको गिफ्ट दी थीं वो यहीं से ली थीं.
सलोनी- अरे इसमें तो केवल लड़के ही लड़के हैं, क्या इन सबके सामने मैं ब्रा, चड्डी लूंगी.
पारस- क्या भाभी, इतनी बोल्ड तो हो आप ! और अब ये दकियानूसी बातें? अरे खुद ही तो ज़िंदगी का मजा लेने की बात करती हो. अब देखो इनके पास से लेने में आपको बेस्ट चीज़ मिलेगी, और बहुत सही रेट में, आपको मजा अलग आएगा, आज देख लेना आप !
सलोनी- ओह, अच्छा मेरे राजा, ठीक है चल फिर मगर मेरी स्कर्ट के साथ कुछ शरारत मत करना.
पारस- अरे स्कर्ट के साथ कौन कमबख्त कुछ करना चाहता है… वही सुसरी मेरे काम की चीज पर पर्दा डाले है… हा हा हा हा…
सलोनी- हे हे हे हे… ओह… यहाँ तो और भी लड़कियाँ हैं… मैं तो समझ रही थी कि यहाँ कौन आता होगा.
पारस- और वो देखो भाभी… कैसे चेक भी कर रही है.
सलोनी- हाँ हाँ… मगर जीन्स के ऊपर ना… मुझसे मत कहना चेक करने को हा हा…
पारस- वाओ भाभी… मजा आ जायेगा जब तुम चेक करोगी तो… तुम्हारी नंगी चूत और चूतड़ देख ये सब तो… हाय मैं मर गया…
सलोनी- छिः… चल अब…
एक लड़का सेलमैन- क्या दिखाऊँ मैडमजी?

 


अपडेट 8

सलोनी- कुछ मॉडर्न अंडरगार्मेन्ट्स……
सलोनी- हाँ वो वाला…
लड़का- मैडमजी, साइज़ क्या है आपका?
पारस- कैसे सेलसमैन हो यार तुम, तुम लोगों को तो देखते ही पता चल जाना चाहिए.
लड़का- वूऊऊ हाँ सहाब, ऊपर का तो देख दिया है ना 36c है, है ना मेमसाब? मगर चड्डी का तो स्कर्ट से पता नहीं चलता, हाँ मैडम स्लैक्स या जीन्स में होतीं तो मैं बता देता. वैसे भी आजकल चड्डी का तो कुछ पता ही नहीं, कई तरह की हैं, सब जगह का नाप पता हो तो बेस्ट मिल पाती है.
पारस- सब जगह मतलब…
लड़का- मतलब साहब पहले केवल हिप और कमर के नाप से ही ली जाती थी. मगर अब तो जांघों की गोलाई, कमर से नीचे तक की लम्बाई और अगर आगे वाली की सही माप पता हो तो आप अपने लिए बेस्ट चड्डी ले सकते हैं.
पारस- आगे वाली से क्या मतलब है तुम्हारा… क्या चूत का भी नाप होता है?लड़का- क्या सहाब आप भी… दीदी के सामने कैसा नाम बोलते हो.
पारस- अरे इसमें शरमा क्यों रहा है? तू कुछ और बोलता है क्या? अब चूत को चूत ही तो कहेंगे, उसका क्या नाप होता है…
लड़का- अरे सहाब, अब तो कई तरह को टोंग और स्टेप चड्डी आ गईं हैं ना… उसके लिए वोव… वोव्व्… व् वो चूत का सही नाप पता हो तो ही बस्ट मिलती है…
पारस- हा हा हा हा… कितना शरमा रहा है चूत कहने में, तेरा मतलब है उसकी भी लम्बाई, चौड़ाई. यार हमारी बीवी की तो बहुत छोटी सी है… हा हा हा हा…धप्पप…पारस- उफ्फ्फ्फ… क्या करती हो जान? सबके सामने मारती क्यों हो…?
लड़का- हा हा हा… ह… सहाब आप बहुत मजाकिया हो… मजा आ गया आपसे मिलकर…
लड़का- वैसे मेमसाब नाप सही हो तो ब्रा, चड्डी ऐसी मिलेंगी कि उनको पहनकर ऐसा लगेगा कि वो आपके शरीर का ही एक भाग हों.
सलोनी- क्या बात है भैया, आपने तो बहुत अच्छी बातें बताईं. हम तो बिना कुछ सोचे जल्दी से ही ये कपड़े ले लेते थे.
लड़का- यही तो मैडम जी, जो कपड़ा आपके अंगों से सबसे ज्यादा पास और सबसे ज्यादा समय के लिए रहता है. उसी को लेने में लापरवाही कभी नहीं करना चाहिए. वो तो बेस्ट होना चाहिए.
पारस- तुम ठीक कहते हो भाई, अब तुम अच्छे से नाप लेकर, मेरी बीवी के लिए बेस्ट ही 8-10 सेट दो. मैं चाहता हूँ कि मेरी बीवी बेस्ट दिखे.
सलोनी- भैया, अभी तो माप है नहीं, हम ऐसा करते हैं कल घर से…
लड़का- मेमसाब आइये, आप यहाँ नाप दे दीजिये.
सलोनी- क्या कह रहा है?
पारस तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे?
पारस- ठीक तो कह रहा है, दे दो पैन्टी का नाप…
सलोनी- तू क्या कर रहा है पगले…अब क्या इसके सामने मुझे नंगी दिखायेगा…
पारस- कुछ नहीं होगा भाभी, जरा सोचो, आपकी नंगी चूत देख उसका क्या हाल होगा… और जब उसकी उँगलियाँ आपकी चूत पर चलेंगी तो मजा आ जायगा…
सलोनी- तू तो पागल है… मैं नहीं कराऊँगी ये सब… मैं जा रही हूँ…
पारस- ओह रुको तो भाभी… अच्छा मैं ले लूंगा नाप अब तो सही है…
पारस- नॉट बैड, लाओ बेटा मुझे फीता दे दो, हमारी जान कहती है कि आप लो, तुम मुझे बता देना मैं नापकर तुमको बता दूंगा.
लड़का- जैसा आप कहें साहब.
पारस- गुड यार, तुम्हारा फीता तो बहुत सॉफ्ट है.
लड़का- हाँ साहब ये इतनी चिकनी बॉडी से लगता है ना, तो चुभना नहीं चाहिए. इसलिए रेशमी फीता ही रखते हैं.इसके अलावा प्लास्टिक वाला बॉडी पर खरोंच के निशान बना देता है, फिर आपको तो पता है साहब, लड़कियों के बदन में कितने छोटे-छोटे मोड़ होते हैं, वहाँ कोई और फीता तो सही से माप दे ही नहीं पाता. इसलिए ये वाला बिल्कुल सही नाप बताता है.
पारस- वो तो सही है, पर इसको कैसे नापना है.
लड़का- बताता हूँ साहब. इसको ऐसे पकड़कर यहाँ से नापना… और ये वाले नंबर मुझे बताना… यह सेन्टीमीटर में हैं.
पारस- ओके… अब बताओ चड्डी का नाप कैसे लूँ.
सलोनी- नईईईईई… मुझे मत छूऊऊऊऊऊ, तुम बस वहाँ से बताओ और उस तरफ मुँह करके खड़े रहो. मैं तुम्हारे सामने नाप नहीं दे सकती.
लड़का- ओह्ह्ह… वूऊऊओ… ठीक है मेमसाब… पररर… मैं तो… सोर्रीइइ…
पारस- यार मेरी बीवी बहुत शर्मीली है… हा हा हाहा… चल तू मुझे बता मैं तुझे सही नाप बता देता हूँ…
लड़का- साहब पहले कमर का सही नाप बताओ, वहाँ से जहाँ चड्डी पहनते हैं.
पारस- यार वो कहाँ से…
लड़का- साहब पहले आप मैडम की टुंडी से सुसु वाली जगह पर जो दाना होता है ना वहाँ तक का नाप बताओ.
पारस- यार यह टुंडी क्या…
लड़का- वो पेट पर जो छेद होता है ना साहब…
सलोनी- नाभि कहते है उसको…
लड़का- मैडम जी, हम तो टुंडी ही कहते हैं.
पारस – हा हा हाहा… मजा आ गया यार टुंडी… और ये क्या सुसु सुसु लगा रखी है. यहाँ कोई मूत कर रहा है क्या, दोस्त बिना शरमाये चूत बोलो, हमारी जान चूत ही समझती है…
सलोनी- पा…र…र…स्स्स… कम बोलो तुम…
पारस- ओके मेरी प्यारी जानेमन, अच्छा अब जरा स्कर्ट को उठाकर ठीक से पकड़ो, पेट से भी ऊपर तक, हाहा… तुम्हारी टुंडी दिखनी चाहिए.हाँ अब ठीक है……

 


अपडेट 9

पारस- मास्टरजी ये रही टुंडी, यहाँ से पकड़ा और ये रहा चूत का दाना, तुम्हारा मतलब भग्नासा से ही है न?
लड़का- हाँ साहब… आप जो कहते हों…वही जो मक्के की दाने की तरह ऊपर को उठा होता है…
पारस- यार यह तो नंबर 17 और 18 के बीच आ रहा है?
लड़का- ठीक है साहब साढ़े सतरह सेमी है, साहब अब आप टुंडी से 3 इंच, 4 इंच और 5 इंच नीचे पर कमर का नाप ले लीजिये…
पारस- क्या बकवास है यार इतने सारे क्यूँ…
लड़का- साहब अलग अलग हाइट की चड्डी आती हैं. मैडम जी टुंडी से जितना नीचे पहनना चाहेंगी, मैं वैसी ही सेट करा दूंगा…
पारस- ओह ये तो बहुत टफ है यार… ये टुंडी से 3 इंच, और अब इसके चारों और घूमकर कमर का नाप…
लड़का- साहब पीछे का ध्यान रखना, फीता चूतड़ों पर ऊपर नीचे न हो, फीता सीधा करके कसकर पकड़ना, कमर के चारों ओर कहीं से भी इधर उधर ना हो… वरना सही नाप नहीं आएगा…
पारस- ओह… ये तो बहुत मुश्किल है, मैं सब ओर कैसे देखूँ. यार तुम खुद ही देखकर बताओ…
सलोनी- नहीं यह नहीं होगा, मैं नहीं देती नाप… तुम पागल हो क्या… मैंने कुछ पहना भी नहीं है.
पारस- अरे यार स्कर्ट तो पकड़ो… फीता हिल जायेगा… यार क्या फर्क पड़ता है… ये तो रोज सभी लड़कियों का ऐसे ही नाप लेते होंगे ना…
लड़का- हाँ साहब, पाता नहीं मैडम जी क्यूँ शरमा रहीं हैं.
पारस- जानू प्लीज स्कर्ट ऊपर उठाओ… नाप तो मैं ही लूंगा… पर यह सिर्फ बतायेगा… अच्छा ऐसा करो… तुम अपनी आँखे बंद कर लो ये सिर्फ बतायेगा.
सलोनी- नहीईईईइ… बिल्कुल नहीं… मैं इसके सामने नंगी नहीं होऊँगी.
पारस- अरे मेरी जान, नंगी कौन कर रहा है? ये सब तो तुम्हारे अच्छे फिटिंग वाले कपड़ो के लिए ही है, मेरी अच्छी जानेमन… बस दो मिनट की बात है और मैं खुद ले रहा हूँ ना…
सलोनी- नैइइइइइइइइइइइ…
पारस- प्लीज जान बस ऐसे ही, मेरी प्यारी जानेमन… हाँ बस कुछ ही देर… हाँ ऐसे पकड़ो बस स्स्स्स… हाँ भैया… देखना नहीं इधर बस बताओ अब कैसे लेना है नाप… देखो और बाताओ ठीक है ना फीता…
लड़का- हाँ साहब बस… यहाँ से कसकर ये हो गया, अब देखिये कितना आया… ये इंच में देखना…
पारस- हाँ ये यहाँ तो पूरा 26 आ रहा है…
लड़का- हाँ साहब बहुत अच्छा नाप है मैडम जी का…
पारस- अब अगला 4 इंच पर ना…
लड़का- हाँ साहब…
पारस- देखो ठीक है…
लड़का- हाँ साहब, और कसकर…
पारस- कोई ज्यादा अंतर नहीं साढ़े छब्बीस होगा.
लड़का- नहीं साहब ये 27 ही आएगा. फीता कुछ ज्यादा कस गया है…
पारस- ओके
लड़का- अब 5 इंच का और ले लीजिये साहब…
पारस- अरे हाँ ये साढ़े 30 या 31 आएगा, है ना. ये तो बहुत अंतर आ गया.
लड़का- हाँ साहब आजकल लड़कियाँ कमर से नीचे वाली जीन्स पहनती हैं, तो उनको चड्डी भी इतनी नीचे वाली चाहिए होती है. इसमें चूतड़ों के उठान आ जाते हैं, जिससे नाप में अंतर आ जाता है.
पारस- पर इसमें तो पीछे से चूतड़ों की दरार भी दिखती होगी यार…
लड़का- क्या साहब आप भी, यही तो फैशन है आजकल…
पारस- ओके……

पारस- अब क्या…
लड़का- साहब मैडम जी को टोंग भी अच्छा लगेगा…
सलोनी- हाँ जानू, टोंग तो मुझे चाहिए…
लड़का- साहब, मैडमजी की चूत का नाप बता दीजिये… हम बिल्कुल उसी नाप के कपड़े का टोंग बनवा देंगे…
सलोनी- क्याआआआआ??
पारस- वो कैसे यार, यहाँ आ बता…
लड़का- साहब… ये यहाँ से यहाँ तक…
सलोनी- स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
लड़का- सोरीईईईई मेमसाहब, हाँ बस यहीं…
पारस- वाह यार… तुम्हारा काम तो बहुत मजेदार है.
लड़का- क्या साहब… बहुत मेहनत का काम है…
पारस- वो तो है यार देख मेरे कैसे पसीने छूट गए…और तेरे भी जाने कहाँ कहाँ से, सब जगह से गीला हो गया तू तो…
सलोनी- बस अब तो हो गया ना
पारस- हाँ जानेमन हो गया… अब स्कर्ट तो नीचे कर लो, क्या ऐसे ही ऊपर पकड़े खड़े रहोगी… हा हा?
लड़का- हा हा… क्या साहब?
सलोनी- उउऊऊऊनन्न्न मारूंगी मैं अब तुमको.. चलें अब…?
पारस- अभी कहाँ जान, क्या ब्रा नहीं लेनी?

कहानी जारी रहेगी.
 
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