desiaks
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"इसे लंड कहते हैं..." ऋतू ने उसके चेहरे के पास अपना मुंह लेजाकर कहा और उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया.
"म्मम्मम्म....मुझे पता है...ये लंड होता है..." और उसने अपनी चूत पर रखा ऋतू का हाथ अपने हाथों के नीचे दबा दिया और बहकती हुई आवाज में बोली "और इसे चूत कहते हैं....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह " और वो सिस्कारियां लेने लगी.
मुझे पता नहीं था की ये चुहिया सी दिखने वाली लड़की इतनी गर्म भी हो सकती है..ये गर्म है तभी तो इतनी आसानी से हमारी बातों में आकर तड़प रही है. मजा आएगा इसकी चूत मारकर...ये सोचते हुए मैं मुस्कुरा उठा.
ऋतू ने उससे पूछा "अच्छा एक बात बताओ...क्या अपने बॉय फ्रेंड के आलावा भी तुमने किसी के साथ सेक्स किया है...या करना चाहती हो.."
सुरभि ने झट से अपनी आँखें खोली और ऋतू की तरफ देखने लगी, वो शायद कुछ सोच रही थी ..
वो धीरे से बोली "दरअसल...ये मेरा दूसरा बॉय फ्रेंड है, पर सेक्स मैंने पहली बार इसके साथ ही किया था, मेरा पहला बॉय फ्रेंड तो सिर्फ बाते करने में, मूवी दिखाने और खिलाने पिलाने में ही लगा रहता था, जबकि मेरी दूसरी सहेलियों के बॉय फ्रेंड उनके साथ सेक्स के पुरे मजे लेते थे, जिसे सुनकर मुझे कुछ होने लगता था, इसलिए मैंने उस चुतिया को छोड़ दिया और अपनी सहेली के एक पुराने बॉय फ्रेंड के साथ, जिसने मेरी सहेली की काफी चुदाई करी थी, दोस्ती कर ली..और तब से मैंने जाना की इतने समय तक मैं किस मजे से महरूम रही थी..हमने लगभग हर जगह चुदाई की है, उसके घर पर, हमारे कॉलेज में, क्लास में, कार में, और कई बार अपने घर में भी जब मम्मी पापा नहीं होते...पर मैंने कई बार अपने भाई को, जिसे मेरे बॉय फ्रेंड के बारे में सब पता है, अपनी तरफ तरसती नजरों से देखते हुए देखा है...और सच कहूँ तो मैं भी कई बार ये सोचती हूँ के उसके साथ भी.....पर वो मेरा भाई है ये सोचकर मैं कुछ कर नहीं पाती...पर तुम लोगो को देखकर लगता है की मुझे भी एक बार उसके साथ ट्राई करना ही चाहिए.." उसने लगभग अपने सारे राज हम दोनों के सामने खोल दिए.
इस पूरी बातचीत के दोरान उसने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया.
ऋतू भी उसकी चूत की मालिश उसके पायजामे के ऊपर से करने में लगी हुई थी.
मैं समझ गया की ये चिड़िया तो अब चुदी ही समझो.
मैंने एक हाथ ऊपर करके उसके निप्पल को पकड़ लिया..उसके निप्पल के नीचे कुछ नहीं था, नाम मात्र के चुचे थे उसके, पर निप्पल बड़े - 2 थे, मैंने उन्हें अपनी उँगलियों से उमेठना शुरू कर दिया, उसने आनंद के मारे अपनी आँखें बंद कर ली और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी छाती पर दबाने लगी.
मैंने उसके सर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा, वो किसी चुम्बक की तरह मेरी तरफ खींचती चली आई और मेरे मुंह के ऊपर आकर मेरे होंठों को बड़ी ही बेदर्दी से चबाने लगी..मैंने इतने जंगलीपन की कल्पना भी नहीं की थी उससे..
उसका एक हाथ मेरे लंड पर टिका था और दूसरा मेरे सर के ऊपर..
उसके मुंह का स्वाद बड़ा ही मीठा था, उसके होंठों से निकलता रस किसी बंगाली मिठाई की याद दिला रहा था..मैं भी अपनी पूरी ताकत से उसके नर्म और गर्म होंठों को चूसने में लग गया.
पीछे बैठी ऋतू ने सुरभि की टी शर्ट को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके गले से निकाल दिया.
अब वो ऊपर से नंगी थी.
मैंने उसकी छाती की तरफ देखा, वो बिलकुल सपाट थी, पर उसपर उगे काले निप्पल बड़े ही दिलकश लग रहे थे..मुझसे सब्र नहीं हुआ और मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसके मोटे निप्पल को अपने मुंह में डाल लेकर चूसने लगा.
उसके शरीर में जैसे एक करंट सा दौड़ गया, वो अपनी चूत को मेरी जाँघों से घिसने लगी, जिसकी वजह से मुझे उसकी चूत से निकलते पानी का एहसास हुआ. वो लगभग लेट सी गयी थी.
ऋतू ने उसके पायजामे को नीचे से उतार दिया, उसने नीचे चड्डी भी नहीं पहनी हुई थी, मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत की हालत देखकर मुझे उसपर तरस आ गया, वो बिलकुल भीग चुकी थी और चुदने के लिए मानो भीख मांग रही थी. उसकी चूत की बनावट बड़ी ही सुन्दर थी, हलके-२ बाल थे उसपर, बिलकुल नयी नवेली सी चूत थी, उसे देखकर मुझे सोनी की चूत की याद आ गयी, वो भी बिलकुल ऐसी ही थी...
सुरभि के मुंह से लार निकल रही थी, जो मेरे सीने पर आकर गिर रही थी, वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी. वो नीचे झुकी और मेरे लंड को अपने मुंह में डालकर चूसने लगी.
वो बीच-२ में मेरे लंड को काट भी रही थी.
ऋतू आराम से पीछे बैठकर हम दोनों की गुथम गुथा देख रही थी.
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रखा, मुझे लगा की मेरा हाथ झुलस जाएगा, इतनी गर्मी निकल रही थी वहां से. मैंने देर करना उचित नहीं समझा और उसे घुमा कर अपनी तरफ कर लिया, वो समझ गयी की चुदने का टाइम आ गया है, वो मुझ से ज्यादा व्याकुल थी अपनी चूत मरवाने के लिए , उसने बिना कोई वक़्त गंवाए मेरे लंड को पकड़ा और उसे अपनी चूत के दरवाजे पर रखकर एक तेज झटका मारा और मेरा आधे से ज्यादा लंड अपनी चूत में ले गयी..
अह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह मर्र्र गयी रे....वो इतने जोर से चिल्लाई की मुझे लगा शायद नीचे तक आवाज गयी होगी..
ऋतू ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली..."धीरे बोलो...तुम तो मरवाओगी .."
"मैं क्या करूँ...जब भी लंड मेरी चूत में जाता है तो मेरे मुंह से बड़ी तेज आवाजें निकलती हैं...ये मेरे बस में नहीं है..मैं क्या करों...अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह " वो फिर से उतनी ही जोर से चिल्लाई..सेक्स के पुरे मजे लेने वाली लोंडिया थी वो..
मुझे भी अब डर लगने लगा, मम्मी पापा की तो कोई बात नहीं , अगर मौसी ने उसकी आवाज सुन ली तो क्या होगा.. मैंने उसे अपने तरफ खींचा और उसके होंठों को अपने मुंह में दबाकर चूसने लगा, ताकि उसकी आवाज बाहर ना जाए.मैंने नीचे से एक तेज झटका मारा और अपना पूरा लंड उतार दिया अपनी मौसेरी बहन की चूत में. उसकी आँखें बाहर की तरफ निकल आई, उसकी चूत में शायद इतनी अन्दर आज तक कोई लंड नहीं गया था. मेरे मुंह में फंसकर भी उसकी आवाज काफी तेज निकल रही थी, पर पहले से थोडा कम थी. वो मेरे मुंह को चूसते हुए चिल्ला रही थी.
अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फो फ्फ्फोफ़ फ फ़ो फोफ फ ऑफ़ फ फफफफ फफफफ गग्ग ग गग्ग गम्मम्मम्म ...
मैंने एक हाथ पीछे करके उसकी गांड के छेद में अपनी ऊँगली डाल दी ..
मेरा इतना करते ही जैसे उसकी चूत में रखा गर्म पानी का गुब्बारा फट गया और वो जोर जोर से चिल्लाती हुई मेरे लंड पर झड़ने लगी.. मैंने अपने हाथ से उसका मुंह दबाया और उसकी चीख दबाई.
मेरे लंड पर जैसे किसी ने पानी का डब्बा खली कर दिया हो..इतना झड़ी थी सुरभि आज. जैसे ही मैं झड़ने के करीब आया, वो चिल्लाई.."नहीं मेरे अन्दर नहीं..." मैं समझ गया की वो प्रेग्नेंट होने के डर से ऐसा कह रही है, मैंने झट से उसे अपने लंड से उतारा.
"म्मम्मम्म....मुझे पता है...ये लंड होता है..." और उसने अपनी चूत पर रखा ऋतू का हाथ अपने हाथों के नीचे दबा दिया और बहकती हुई आवाज में बोली "और इसे चूत कहते हैं....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह " और वो सिस्कारियां लेने लगी.
मुझे पता नहीं था की ये चुहिया सी दिखने वाली लड़की इतनी गर्म भी हो सकती है..ये गर्म है तभी तो इतनी आसानी से हमारी बातों में आकर तड़प रही है. मजा आएगा इसकी चूत मारकर...ये सोचते हुए मैं मुस्कुरा उठा.
ऋतू ने उससे पूछा "अच्छा एक बात बताओ...क्या अपने बॉय फ्रेंड के आलावा भी तुमने किसी के साथ सेक्स किया है...या करना चाहती हो.."
सुरभि ने झट से अपनी आँखें खोली और ऋतू की तरफ देखने लगी, वो शायद कुछ सोच रही थी ..
वो धीरे से बोली "दरअसल...ये मेरा दूसरा बॉय फ्रेंड है, पर सेक्स मैंने पहली बार इसके साथ ही किया था, मेरा पहला बॉय फ्रेंड तो सिर्फ बाते करने में, मूवी दिखाने और खिलाने पिलाने में ही लगा रहता था, जबकि मेरी दूसरी सहेलियों के बॉय फ्रेंड उनके साथ सेक्स के पुरे मजे लेते थे, जिसे सुनकर मुझे कुछ होने लगता था, इसलिए मैंने उस चुतिया को छोड़ दिया और अपनी सहेली के एक पुराने बॉय फ्रेंड के साथ, जिसने मेरी सहेली की काफी चुदाई करी थी, दोस्ती कर ली..और तब से मैंने जाना की इतने समय तक मैं किस मजे से महरूम रही थी..हमने लगभग हर जगह चुदाई की है, उसके घर पर, हमारे कॉलेज में, क्लास में, कार में, और कई बार अपने घर में भी जब मम्मी पापा नहीं होते...पर मैंने कई बार अपने भाई को, जिसे मेरे बॉय फ्रेंड के बारे में सब पता है, अपनी तरफ तरसती नजरों से देखते हुए देखा है...और सच कहूँ तो मैं भी कई बार ये सोचती हूँ के उसके साथ भी.....पर वो मेरा भाई है ये सोचकर मैं कुछ कर नहीं पाती...पर तुम लोगो को देखकर लगता है की मुझे भी एक बार उसके साथ ट्राई करना ही चाहिए.." उसने लगभग अपने सारे राज हम दोनों के सामने खोल दिए.
इस पूरी बातचीत के दोरान उसने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया.
ऋतू भी उसकी चूत की मालिश उसके पायजामे के ऊपर से करने में लगी हुई थी.
मैं समझ गया की ये चिड़िया तो अब चुदी ही समझो.
मैंने एक हाथ ऊपर करके उसके निप्पल को पकड़ लिया..उसके निप्पल के नीचे कुछ नहीं था, नाम मात्र के चुचे थे उसके, पर निप्पल बड़े - 2 थे, मैंने उन्हें अपनी उँगलियों से उमेठना शुरू कर दिया, उसने आनंद के मारे अपनी आँखें बंद कर ली और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी छाती पर दबाने लगी.
मैंने उसके सर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा, वो किसी चुम्बक की तरह मेरी तरफ खींचती चली आई और मेरे मुंह के ऊपर आकर मेरे होंठों को बड़ी ही बेदर्दी से चबाने लगी..मैंने इतने जंगलीपन की कल्पना भी नहीं की थी उससे..
उसका एक हाथ मेरे लंड पर टिका था और दूसरा मेरे सर के ऊपर..
उसके मुंह का स्वाद बड़ा ही मीठा था, उसके होंठों से निकलता रस किसी बंगाली मिठाई की याद दिला रहा था..मैं भी अपनी पूरी ताकत से उसके नर्म और गर्म होंठों को चूसने में लग गया.
पीछे बैठी ऋतू ने सुरभि की टी शर्ट को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके गले से निकाल दिया.
अब वो ऊपर से नंगी थी.
मैंने उसकी छाती की तरफ देखा, वो बिलकुल सपाट थी, पर उसपर उगे काले निप्पल बड़े ही दिलकश लग रहे थे..मुझसे सब्र नहीं हुआ और मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसके मोटे निप्पल को अपने मुंह में डाल लेकर चूसने लगा.
उसके शरीर में जैसे एक करंट सा दौड़ गया, वो अपनी चूत को मेरी जाँघों से घिसने लगी, जिसकी वजह से मुझे उसकी चूत से निकलते पानी का एहसास हुआ. वो लगभग लेट सी गयी थी.
ऋतू ने उसके पायजामे को नीचे से उतार दिया, उसने नीचे चड्डी भी नहीं पहनी हुई थी, मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत की हालत देखकर मुझे उसपर तरस आ गया, वो बिलकुल भीग चुकी थी और चुदने के लिए मानो भीख मांग रही थी. उसकी चूत की बनावट बड़ी ही सुन्दर थी, हलके-२ बाल थे उसपर, बिलकुल नयी नवेली सी चूत थी, उसे देखकर मुझे सोनी की चूत की याद आ गयी, वो भी बिलकुल ऐसी ही थी...
सुरभि के मुंह से लार निकल रही थी, जो मेरे सीने पर आकर गिर रही थी, वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी. वो नीचे झुकी और मेरे लंड को अपने मुंह में डालकर चूसने लगी.
वो बीच-२ में मेरे लंड को काट भी रही थी.
ऋतू आराम से पीछे बैठकर हम दोनों की गुथम गुथा देख रही थी.
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रखा, मुझे लगा की मेरा हाथ झुलस जाएगा, इतनी गर्मी निकल रही थी वहां से. मैंने देर करना उचित नहीं समझा और उसे घुमा कर अपनी तरफ कर लिया, वो समझ गयी की चुदने का टाइम आ गया है, वो मुझ से ज्यादा व्याकुल थी अपनी चूत मरवाने के लिए , उसने बिना कोई वक़्त गंवाए मेरे लंड को पकड़ा और उसे अपनी चूत के दरवाजे पर रखकर एक तेज झटका मारा और मेरा आधे से ज्यादा लंड अपनी चूत में ले गयी..
अह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह मर्र्र गयी रे....वो इतने जोर से चिल्लाई की मुझे लगा शायद नीचे तक आवाज गयी होगी..
ऋतू ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली..."धीरे बोलो...तुम तो मरवाओगी .."
"मैं क्या करूँ...जब भी लंड मेरी चूत में जाता है तो मेरे मुंह से बड़ी तेज आवाजें निकलती हैं...ये मेरे बस में नहीं है..मैं क्या करों...अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह " वो फिर से उतनी ही जोर से चिल्लाई..सेक्स के पुरे मजे लेने वाली लोंडिया थी वो..
मुझे भी अब डर लगने लगा, मम्मी पापा की तो कोई बात नहीं , अगर मौसी ने उसकी आवाज सुन ली तो क्या होगा.. मैंने उसे अपने तरफ खींचा और उसके होंठों को अपने मुंह में दबाकर चूसने लगा, ताकि उसकी आवाज बाहर ना जाए.मैंने नीचे से एक तेज झटका मारा और अपना पूरा लंड उतार दिया अपनी मौसेरी बहन की चूत में. उसकी आँखें बाहर की तरफ निकल आई, उसकी चूत में शायद इतनी अन्दर आज तक कोई लंड नहीं गया था. मेरे मुंह में फंसकर भी उसकी आवाज काफी तेज निकल रही थी, पर पहले से थोडा कम थी. वो मेरे मुंह को चूसते हुए चिल्ला रही थी.
अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फो फ्फ्फोफ़ फ फ़ो फोफ फ ऑफ़ फ फफफफ फफफफ गग्ग ग गग्ग गम्मम्मम्म ...
मैंने एक हाथ पीछे करके उसकी गांड के छेद में अपनी ऊँगली डाल दी ..
मेरा इतना करते ही जैसे उसकी चूत में रखा गर्म पानी का गुब्बारा फट गया और वो जोर जोर से चिल्लाती हुई मेरे लंड पर झड़ने लगी.. मैंने अपने हाथ से उसका मुंह दबाया और उसकी चीख दबाई.
मेरे लंड पर जैसे किसी ने पानी का डब्बा खली कर दिया हो..इतना झड़ी थी सुरभि आज. जैसे ही मैं झड़ने के करीब आया, वो चिल्लाई.."नहीं मेरे अन्दर नहीं..." मैं समझ गया की वो प्रेग्नेंट होने के डर से ऐसा कह रही है, मैंने झट से उसे अपने लंड से उतारा.