#22
सुबह 10.00 बजे मैं ऑफीस पहुँच चुका था…….. टूर पर जाने से पहले यह लास्ट वर्किंग डे था ,इसलिए आज बहुत सारे काम करने थे ………
11 बजे से 2 बजे तक मैं मीटिंग्स में ही बिज़ी रहा ……फिर लंच करने के बाद मैं अपने ऑफीस में आकर बैठ गया ………
ऑफीस के दरवाज़े पर नॉक हुआ , थोड़ा सा दरवाज़ा खुला और फिर कारण ने अंदर झाँका ……..
“ आ जाओ करण …………..प्लीज़ कम” मैने कहा और अपना सर पीछे चेयर के बॅक से लगाकर अढ़लेटा सा हो गया ………
“ आअपके टूर का प्रोग्राम फाइनल करना था …….” वो मेरे सामने चेयर पर बैठ-ता हुआ बोला
करण राजपूत, मेरा असिस्टेंट ……..और लक्ष्मी बॅंक में ऐज एजीएम ( ऑपरेशन) , उमर कोई 32 साल के आसपास , लंबा कद और इकहरा शरीर , अभी तक अनमॅरीड था………..इस कंपनी में वो पिच्छले 10 सालो से काम कर रहा था …….. करण की सबसे बड़ी ख़ासियत थी , काम के प्रति उसका अप्रोच ……..अपने काम से रिलेटेड सारी बातें उसके फिंगर टिप्स पर रहती थी , और मेरे लिए तो मानो वो एक चलता फिरता पीसी था……… शायद ही कभी ऐसा हुआ हो जो किसी ने उसको खुल कर हंसते हुए देखा हो ……….पर उसकी सीरीयसनेस ही उसकी एक बड़ी क़ाबलियत थी
“ टूर का प्रोग्राम तो फाइनल हो चुका था कारण ? “ मैने पूछा
“ जी हां …….वही दिखाना है आपको “ कह कर उसने कुछ पेपर्स खोल लिए और फिर मुझे मेरे टूर के बारे में समझाने लगा ……..
कुल मिलकर 5 अलग अलग शहरो में हमको जाना था ……और ज़रूरत पड़ने पर अगर किसी नियरेस्ट प्लेस पर कोई मीटिंग करनी हो तो उसके लिए भी प्रॉविषन किया गया था ……
“ सर ……आपका टूर मंडे सुबह से स्टार्ट होगा ……….राज नगर से लखनऊ , फिर देल्ही , उसके बाद देहरादून , फिर शिमला और लास्ट में चंडीगढ़ …………कुल मिलाकर 14 दिन का टूर है आपका …….आपके लिए एर टिकेट्स, होटेल बुकिंग सब कल तक हो जाएँगी ………….अलग-अलग सिटीस में कुल 35 मीटिंग्स डिसाइड हुई हैं, जिसमे से अकेले देल्ही में ही आपको 20 मीटिंग्स करनी है……….”
इसके बाद वो मुझे समझाता रहा और मैं सुनता रहा ………….अचानक मेरे इंटरकम की घंटी बजी , मैने फोन उठाया तो उधर से मधुर सी आवाज़ में ‘ हेलो राजीव ’ सुनाई पड़ा ……..
“हां नेहा बोलो ………..” मैने पूछा …….
“ नेहा ? …..मैं निधि बोल रही हूँ राजीव , नेहा नही “ अब मैने पहचाना , उधर से आने वाली आवाज़ निधि की थी …………
“ सॉरी निधि ……….मैने आपकी आवाज़ पहचानी नही “ मैने झेन्प्ते हुए कहा
“ इट्स ओके ……….क्या मैं तुमसे मिल सकती हूँ “ निधि ने पूछा…
“ हां ……….श्योर ………मैं अभी आता हूँ “ मैने तुरंत जवाब दिया
“ नही राजीव ……..मैं ही आ रही हूँ तुम्हारे ऑफीस में “ उसने कहा और फिर फोन रख दिया……….
अगले 5 मिनिट्स तक करण ने मुझे बाकी सारी बातें समझाई और फिर वो चला गया…….उसके बाहर निकलने के 15 मिनिट बाद दरवाज़े
पर फिर से नॉक हुई और इस बार आने वाली निधि थी ……..वो सीधा अंदर आकर मेरे सामने वाली चेयर पर बैठ गयी …….
निधि ,….. हमेशा की तरह खुश-नुमा चेहरा लिए …………उसकी आँखों में एक शरारत का एहसास हमेशा ही दिखाई पड़ता था
……..मालूम ही नही पड़ता था कि वो कब सीरीयस है और कब मज़ाक कर रही है ………
“ तो जनाब किसी और के ख़यालो में गुम थे ?” उसने हंसते हुए कहा …….
“ मैं समझा नही ………क्या कहना चाह रही हैं आप ? “मैने ना-समझ बनते हुए सवाल किया ………………
“ जब तुम्हे हर लड़की की आवाज़ सिर्फ़ नेहा की ही लगने लगे तो इसका मतलब तो यही है कि तुम उसके ही ख़यालो में गुम थे ………..क्यों
? “ वो आगे को झुक कर मेरी आँखों में देखते हुए बोली ………..
“ नही …….ऐसी बात नही है ……..मैं आक्च्युयली उस का ही फोन एक्सपेक्ट कर रहा था , शायद इसलिए ……..” मैने बहाना बनाते हुए कहा ………..
“ चलो छोड़ो यार………….यह बताओ , तुम्हारे टूर की सारी तय्यारी पूरी हो गयी हैं ना ? “
“ हां………कारण सारे इंतेज़ाम कर रहा है “ मैने कहा ………
“ बाइ गॉड , मुझे तो इस नेहा से जलन सी हो रही है ……….यार “ इस बार उसने फिर से एक मज़किये से लहजे में कहा.
“क्यों ? “ मैने पूछा..
“ देखो ना……..इतने बढ़िया बढ़िया टूरिस्ट प्लेसस का टूर , और साथ में तुम्हारे जैसा साथी ……कितना रोमॅंटिक सा मौसम होगा वहाँ और तुम दोनो तन्हा …….लकी है यह लड़की “ उसने फिर से मेरी आँखों में देखा ……..
यह उसकी एक पुरानी आदत थी ………वो हमेशा मुझसे फ्लर्ट करने की कोशिश करती थी ………मालूम नही , वो सीरीयस थी या हमेशा की तरह सिर्फ़ मज़ाक करती थी …….
“ टूर का प्रोग्राम तो आपने ही डिसाइड किया है , और ग्रूप्स भी ……..इस में किसी और की तो कोई ग़लती नही है …………” मैने हंसते हुए जवाब दिया……..
“ यही तो अफ़सोस है यार………” उसने एक लंबी सी साँस ली और फिर कहा “ चलो छोड़ो ……मैं तुम्हारे पास एक दूसरे काम से आई थी “ कह कर उसने अपने हाथ में पकड़ी फाइल को मेरे सामने टेबल पर खोल दिया …………
इस फाइल में कुछ डॉक्युमेंट्स थे , बॅंक के सेक्यूरिटी सिस्टम से रिलेटेड …..वो मुझ से कुछ टेक्निकल पायंट्स समझना चाहती थी ………..अगले 1 घंटे तक मैं उसको सब कुछ डीटेल्स से समझाता रहा , और वो भी पूरी संजीदगी से मेरी बातों को सुनती रही ……….ऐसी ही थी वो ,एक पल में मज़ाक करती थी और एक पल में संजीदा हो जाती थी ……………..
काम पूरा होने के बाद निधि चेयर से उठी और कमरे से बाहर निकल गयी ………जैसे ही वो उठ कर कमरे के दरवाज़े पर पहुँची , कमरे का दरवाज़ा नॉक हुआ और नेहा ने अंदर झाँका………..निधि कमरे से बाहर निकल गयी और नेहा अंदर आ गयी ……….कमरे से बाहर
निकलते समय निधि ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर नेहा की तरफ इशारा करते हुए एक आँख दबा दी और मुस्कुराते हुए कमरे से
बाहर निकल गयी …………….. मैं सिर्फ़ झेंप कर रह गया ……………