hotaks444
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शंकर बेबस हो चुका था, अब वो 5 लोग शंकर पर पिल पड़े, लात घूँसों से वो उसकी धुनाई करने लगे, कुछ देर तक वो उन लोगों की मार खड़े खड़े ही झेलता रहा..,
लेकिन घूँसों की मार उसके पेट पर पड़ने से उसके घुटने मुड़ने लगे, और वो अपने घुटनो पर बैठ गया.., तभी उनमें से एक बोला.., क्या हुआ भोसड़ी के.. निकल गयी सारी हेकड़ी..,
उसे यौं पिट’ता देख कर सुषमा रो पड़ी, और रोते हुए ही बोली – तुम मेरी चिंता मत करो शंकर, मारो इन्हें.., तुम्हें मेरी कसम..,
लेकिन शंकर ने फिर भी बचने की कोई कोशिश नही की और पिट’ता ही रहा…!
उधर सलौनी बदले हुए हालत देख कर सकते में आ गई, वो अपने भाई को यौं पिट’ता हुआ देख कर उसका कलेजा छल्नि हुआ जा रहा था,
सुषमा को कोई हानि ना पहुँचे इसके लिए उसका भाई पिट रहा था, वो बेबसी में अपने होंठों को कुचलने लगी, एक हाथ से उसने गौरी का मुँह ढक रखा था जिस’से उसके मुँह से कोई चीख ना निकले…!
बेबसी में ही उसने अपनी नज़रें इधर-उधर दौड़ाई.., पास ही उसे लकड़ी का एक मोटा सा डंडा पड़ा दिखाई दिया..!
सलौनी ने मन ही मन कुछ फ़ैसला लिया, फिर उसने गौरी के कान में फूस-फुसाकर उसे समझाया, कि वो वहीं छुपी रहे…!
उसे समझाकर उसने वो डंडा अपने हाथ में लिया, दबे पाँव वो उस गुंडे के पीछे जा पहुँची जो सुषमा को चाकू से कवर किए हुए था..!
उस गुंडे को भनक भी नही लगी और सलौनी उसके सिर पर जा पहुँची, फिर उसने पूरी शक्ति से डंडा घुमाया और उस गुंडे के सिर पर दे मारा…!
एक भयानक चीख मारते हुए वो त्यौरकर धडाम से ज़मीन पर जा गिरा..,
गुंडे की चीख सुनकर शंकर की नज़र उस पर पड़ी, सुषमा को आज़ाद देख कर उसके शरीर में फिर से बिजली भर गयी..,
इधर सलौनी उन तक जा पहुँची और जो उसके सामने पड़ा डंडे की मार से धो डाला साले को,
उधर गौरी ने जैसे ही अपनी माँ को गुंडे के चंगुल से आज़ाद होते देखा, वो पेड़ के पीछे से निकल कर मम्मी मम्मी चीखते हुए उस’से आकर लिपट गयी..
दोनो भाई-बेहन ने मिलकर 5 मिनिट में ही उनकी वो दशा कर दी अब वो 6 के 6 लोग बस ज़मीन पर पड़े बुरी तरह कराह रहे थे..,
फिर वो दोनो जैसे ही उन्हें ठोक-पीटकर सुषमा के पास पहुँचे शंकर ने अधीर होकर पुछा – आप ठीक तो हैं ना भाभी..?
सुषमा गौरी को छोड़कर सलौनी के गले से जा लगी, बहुत देर तक वो उससे लिपटी रही, फिर अलग होते हुए उसके बाजू पकड़ कर एक तक उसे निहारने लगी..!
सलौनी ने मुस्कुरा कर कहा – ऐसे क्या देख रही हो भाभी..?
सुषमा – भाई तो भाई, बेहन भी झाँसी की रानी से कम नही है, क्या हिम्मत दिखाई तुमने.., थॅंक यू बेहन.., ये कहकर उसने उसे फिर से अपने सीने से लगा लिया…!
आज तुम इतनी हिम्मत नही करती तो ना जाने क्या हो जाता..? फिर शंकर को डपट’ते हुए बोली – तुमने उन्हें मारा क्यों नही.., रुक क्यों गये थे..?
शंकर – उसने आपके गले पर चाकू रखा हुआ था, आपको कुछ कर देता तो..?
सुषमा ने पास खड़ी सलौनी की भी परवाह नही की, और शंकर के गले से लगकर फफक पड़ी – मेरे लिए तुमने इतनी मार खाई.., तुम बहुत अच्छे हो शंकर…!
ये देखकर सलौनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी, वहीं शंकर सुषमा के कुल्हों पर हाथ फेर्कर उसे शांत करा रहा था..,
कुछ देर बाद वो साडे तीन लोग उन गुण्डों को उसी हालत में छोड़ फिर से अपनी आगे की यात्रा पर निकल पड़े…!
उधर सुप्रिया के यहाँ गोद भराई की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से चल रही थी, और हो भी क्यों ना, शादी के इतने सालों के बाद उनके घर वारिस जो आने वाला था…
उसके सास ससुर की खुशी तो देखते ही बनती थी.., पूरे घर को किसी दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था, मेहमानों के लिए 5 स्टार होटेल बुक कर दिया गया..!
लेकिन सुषमा, शंकर और सलौनी को उन्होने अपने घर में ही रखा, अगले दिन बड़ी धूम धाम से गोद भराई के रसम संपन्न हुई…
सेलेब्रेशन के बाद प्रिया उन सबको अपने घर ले गयी जहाँ उन सभी का जोरदार स्वागत किया गया.., सलौनी तो शहर आकर मानो अपने आप को भूल ही गयी,
गाओं की जिंदगी शहर की जिंदगी से कितनी अलग तरह की होती है ये उसे पहली बार पता चला, उसे तो जैसे स्वर्ग में ले आए हों ये लोग..,
पहले सुप्रिया का घर और अब प्रिया के यहाँ आते ही वो मानो किसी दूसरे लोक में ही पहुँच गयी थी हो, वो गौरी को लेकर पूरे घर में इधर से उधर दौड़ती भागती फिर रही थी..,
शाम को प्रिया उन सभी को सुप्रिया के यहाँ छोड़ने ले गयी, लेकिन काम के बहाने वो शंकर को अपने साथ लेकर अपने होटेल जा पहुँची…!
होटेल के उसी शानदार सूट में पहुँचते ही वो शंकर के साथ लिपट गयी, उसके चेहरे, बालों, कान, नाक सभी जगह चुंबनो से उसे गीला कर दिया…!
उसका उतावलापन देख कर शंकर ने मुस्कराते हुए पुछा – ये क्या है प्रिया दीदी, आप तो मानो मुझे देख कर अपना आपा ही खो बैठी, थोड़ा साँस तो लो…
वो उसे लेकर सोफे पर आ गयी, और खुद उसकी गोद में बैठकर बोली – तुम नही समझोगे शंकर तुम्हें अकेला पाकर मे कितनी खुश हूँ…!
तुम्हारे जाने के बाद से ऐसा एक भी दिन नही गया जब मेने तुम्हारी कमी महसूस ना की हो, ये कैसा जादू कर दिया है तुमने मेरे उपर,
शंकर ने हँसते हुए कहा – मैने.. क्या जादू कर दिया..?
प्रिया अधीर होते हुए बोली – पुछो मत.., तुम्हारी कल्पना मात्र से ही मे गीली हो जाती थी, तुम्हारा वो चुदाई का अंदाज निराला था शंकर..,
प्लीज़ अब बातों में वक़्त जाया मत करो, जल्दी से मुझे बिस्तर पर ले चलो और मेरी सारी हसरतें पूरी करदो मेरे राजा…!
शंकर ने उसके रसीले लज़्जत से भरे होंठों को चूमते हुए उसकी गोल-गोल सुडौल चुचियों को सहलकर कहा – इतनी भी क्या जल्दी, थोडा आराम से बैठते हैं,
उउम्मन्णन…नही शंकर, हमें समय पर घर भी पहुँचना है, वरना
खम्खा लोगों को हम पर शक होगा, अपने किस को तोड़ते हुए पिया बोली…
शंकर तो था ही उसके हुक्म का गुलाम, फ़ौरन उसने उसे अपनी गोद से उठाया, और उसकी साड़ी खींच दी..,
लेकिन घूँसों की मार उसके पेट पर पड़ने से उसके घुटने मुड़ने लगे, और वो अपने घुटनो पर बैठ गया.., तभी उनमें से एक बोला.., क्या हुआ भोसड़ी के.. निकल गयी सारी हेकड़ी..,
उसे यौं पिट’ता देख कर सुषमा रो पड़ी, और रोते हुए ही बोली – तुम मेरी चिंता मत करो शंकर, मारो इन्हें.., तुम्हें मेरी कसम..,
लेकिन शंकर ने फिर भी बचने की कोई कोशिश नही की और पिट’ता ही रहा…!
उधर सलौनी बदले हुए हालत देख कर सकते में आ गई, वो अपने भाई को यौं पिट’ता हुआ देख कर उसका कलेजा छल्नि हुआ जा रहा था,
सुषमा को कोई हानि ना पहुँचे इसके लिए उसका भाई पिट रहा था, वो बेबसी में अपने होंठों को कुचलने लगी, एक हाथ से उसने गौरी का मुँह ढक रखा था जिस’से उसके मुँह से कोई चीख ना निकले…!
बेबसी में ही उसने अपनी नज़रें इधर-उधर दौड़ाई.., पास ही उसे लकड़ी का एक मोटा सा डंडा पड़ा दिखाई दिया..!
सलौनी ने मन ही मन कुछ फ़ैसला लिया, फिर उसने गौरी के कान में फूस-फुसाकर उसे समझाया, कि वो वहीं छुपी रहे…!
उसे समझाकर उसने वो डंडा अपने हाथ में लिया, दबे पाँव वो उस गुंडे के पीछे जा पहुँची जो सुषमा को चाकू से कवर किए हुए था..!
उस गुंडे को भनक भी नही लगी और सलौनी उसके सिर पर जा पहुँची, फिर उसने पूरी शक्ति से डंडा घुमाया और उस गुंडे के सिर पर दे मारा…!
एक भयानक चीख मारते हुए वो त्यौरकर धडाम से ज़मीन पर जा गिरा..,
गुंडे की चीख सुनकर शंकर की नज़र उस पर पड़ी, सुषमा को आज़ाद देख कर उसके शरीर में फिर से बिजली भर गयी..,
इधर सलौनी उन तक जा पहुँची और जो उसके सामने पड़ा डंडे की मार से धो डाला साले को,
उधर गौरी ने जैसे ही अपनी माँ को गुंडे के चंगुल से आज़ाद होते देखा, वो पेड़ के पीछे से निकल कर मम्मी मम्मी चीखते हुए उस’से आकर लिपट गयी..
दोनो भाई-बेहन ने मिलकर 5 मिनिट में ही उनकी वो दशा कर दी अब वो 6 के 6 लोग बस ज़मीन पर पड़े बुरी तरह कराह रहे थे..,
फिर वो दोनो जैसे ही उन्हें ठोक-पीटकर सुषमा के पास पहुँचे शंकर ने अधीर होकर पुछा – आप ठीक तो हैं ना भाभी..?
सुषमा गौरी को छोड़कर सलौनी के गले से जा लगी, बहुत देर तक वो उससे लिपटी रही, फिर अलग होते हुए उसके बाजू पकड़ कर एक तक उसे निहारने लगी..!
सलौनी ने मुस्कुरा कर कहा – ऐसे क्या देख रही हो भाभी..?
सुषमा – भाई तो भाई, बेहन भी झाँसी की रानी से कम नही है, क्या हिम्मत दिखाई तुमने.., थॅंक यू बेहन.., ये कहकर उसने उसे फिर से अपने सीने से लगा लिया…!
आज तुम इतनी हिम्मत नही करती तो ना जाने क्या हो जाता..? फिर शंकर को डपट’ते हुए बोली – तुमने उन्हें मारा क्यों नही.., रुक क्यों गये थे..?
शंकर – उसने आपके गले पर चाकू रखा हुआ था, आपको कुछ कर देता तो..?
सुषमा ने पास खड़ी सलौनी की भी परवाह नही की, और शंकर के गले से लगकर फफक पड़ी – मेरे लिए तुमने इतनी मार खाई.., तुम बहुत अच्छे हो शंकर…!
ये देखकर सलौनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी, वहीं शंकर सुषमा के कुल्हों पर हाथ फेर्कर उसे शांत करा रहा था..,
कुछ देर बाद वो साडे तीन लोग उन गुण्डों को उसी हालत में छोड़ फिर से अपनी आगे की यात्रा पर निकल पड़े…!
उधर सुप्रिया के यहाँ गोद भराई की तैयारियाँ ज़ोर-शोर से चल रही थी, और हो भी क्यों ना, शादी के इतने सालों के बाद उनके घर वारिस जो आने वाला था…
उसके सास ससुर की खुशी तो देखते ही बनती थी.., पूरे घर को किसी दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था, मेहमानों के लिए 5 स्टार होटेल बुक कर दिया गया..!
लेकिन सुषमा, शंकर और सलौनी को उन्होने अपने घर में ही रखा, अगले दिन बड़ी धूम धाम से गोद भराई के रसम संपन्न हुई…
सेलेब्रेशन के बाद प्रिया उन सबको अपने घर ले गयी जहाँ उन सभी का जोरदार स्वागत किया गया.., सलौनी तो शहर आकर मानो अपने आप को भूल ही गयी,
गाओं की जिंदगी शहर की जिंदगी से कितनी अलग तरह की होती है ये उसे पहली बार पता चला, उसे तो जैसे स्वर्ग में ले आए हों ये लोग..,
पहले सुप्रिया का घर और अब प्रिया के यहाँ आते ही वो मानो किसी दूसरे लोक में ही पहुँच गयी थी हो, वो गौरी को लेकर पूरे घर में इधर से उधर दौड़ती भागती फिर रही थी..,
शाम को प्रिया उन सभी को सुप्रिया के यहाँ छोड़ने ले गयी, लेकिन काम के बहाने वो शंकर को अपने साथ लेकर अपने होटेल जा पहुँची…!
होटेल के उसी शानदार सूट में पहुँचते ही वो शंकर के साथ लिपट गयी, उसके चेहरे, बालों, कान, नाक सभी जगह चुंबनो से उसे गीला कर दिया…!
उसका उतावलापन देख कर शंकर ने मुस्कराते हुए पुछा – ये क्या है प्रिया दीदी, आप तो मानो मुझे देख कर अपना आपा ही खो बैठी, थोड़ा साँस तो लो…
वो उसे लेकर सोफे पर आ गयी, और खुद उसकी गोद में बैठकर बोली – तुम नही समझोगे शंकर तुम्हें अकेला पाकर मे कितनी खुश हूँ…!
तुम्हारे जाने के बाद से ऐसा एक भी दिन नही गया जब मेने तुम्हारी कमी महसूस ना की हो, ये कैसा जादू कर दिया है तुमने मेरे उपर,
शंकर ने हँसते हुए कहा – मैने.. क्या जादू कर दिया..?
प्रिया अधीर होते हुए बोली – पुछो मत.., तुम्हारी कल्पना मात्र से ही मे गीली हो जाती थी, तुम्हारा वो चुदाई का अंदाज निराला था शंकर..,
प्लीज़ अब बातों में वक़्त जाया मत करो, जल्दी से मुझे बिस्तर पर ले चलो और मेरी सारी हसरतें पूरी करदो मेरे राजा…!
शंकर ने उसके रसीले लज़्जत से भरे होंठों को चूमते हुए उसकी गोल-गोल सुडौल चुचियों को सहलकर कहा – इतनी भी क्या जल्दी, थोडा आराम से बैठते हैं,
उउम्मन्णन…नही शंकर, हमें समय पर घर भी पहुँचना है, वरना
खम्खा लोगों को हम पर शक होगा, अपने किस को तोड़ते हुए पिया बोली…
शंकर तो था ही उसके हुक्म का गुलाम, फ़ौरन उसने उसे अपनी गोद से उठाया, और उसकी साड़ी खींच दी..,