hotaks444
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20-25 मिनिट की धुआँधार चुदाई के बाद रंगीली को लगा कि उसकी चूत के अंदर का बाँध खुलने लगा है, उसके गले की नसें अकड़ने लगी, चेहरा लाल भभूका हो गया…
उसकी पीठ धनुष की तरह उपर उठ गयी, मूह खुल का खुला रह गया…
और उसने अपनी पतली-पतली टाँगें लाला की कमर के इर्द-गिर्द लपेट दी, वो गद्दी से आधार होकर लाला के बदन से जोंक की तरह चिपकते हुए चिल्लायईयी…
आआययययीी…म्म्माअलिकक्क…और ज़ॉर्सीई…काररूव…उूउउऊऊहह… मईए…आआययईीीई….गायईयीईईईई…..आअहह…,
वो बुरी तरह हान्फते हुए झड़ने लगी…
इधर लाला का भी नाग अपना जहर छोड़ने को तैयार था, सो एक भरपूर धक्का देकर अपने नाग का फन उसकी रस गागर के अंतिम सतह तक पहुँचकर अपने वीर्य की पिचकारियाँ मारने लगा…
दोनो की जांघों के बीच का भाग इस कदर एक दूसरे से चिपक गया, मानो फेविकोल का मजबूत जोड़ लगा दिया हो, जो कभी छूटेगा नही…
दो मिनिट तक रंगीली अपनी कमर उठाए लाला के लंड पर अपनी मुनिया को दबाए रही, फिर जब उसकी एक एक बूँद नीचूड़ गयी, तब उसकी पीठ बिस्तर से टच हुई…
वो बेसूध हो चुकी थी, उसे इतना भी होश नही रहा कि एक 80+ केजी का मर्द उसके नाज़ुक बदन के उपर पड़ा है…
उधर लाला भी ऐसी जानदार लगभग कोरी करारी चूत पाकर पूरी शक्ति लगाकर झड़े थे, सो वो भी उसके उपर पसर कर हाँफने लगे…..!
कुछ देर बाद लाला को होश आया, तो वो रंगीली के होंठों पर एक किस करके उसके बगल में लुढ़क गये…,
लंड के बाहर आते ही, ढेर सारा मसाला भल्भलाकर उसकी चूत से बाहर निकल पड़ा, और लाला की गद्दी उसे सोखती रही..
करवट से लेते लाला, अपने सर को एक हाथ का सहारा देकर, रंगीली के शांत पड़े मासूम चेहरे को बड़े प्यार से ताक रहे थे…!
वो इस समय अपनी जिंदगी के पहले ऐसे जबरदस्त स्खलन को पाकर एकदम शांत चित्त आँखें बंद किए हुए, इतनी मासूम किसी गुड़िया सी पड़ी हुई थी…!
उसके मासूम चेहरे पर नज़र गढ़ाए, एक बारगी लाला जैसे ठर्की आदमी के मन में भी आत्मग्लानि सी होने लगी.., उनके दिल ने कहा –
तूने इस मासूम को छल से पाया है धरम दास, अपने आप से वादा कर कि कभी इसे धोका नही देगा…!
उसने मन ही मन अपने आप से ये वादा किया कि अपने जीते जी, वो कभी भी इस मासूम को कोई दुख नही होने देगा…!
ये सोचकर उसने उसके गाल को सहला कर उसके माथे को चूम लिया, रंगीली की आँखें खुल गयी, जब उसने लाला को अपने उपर झुके हुए पाया, तो अपनी पतली-पतली बाहें उसके गले में डाल दी…
आगे से एक किस उनके होंठों पर लेकर बोली – धन्यवाद मालिक हमें एक संपूर्ण औरत होने का एहसास दिलाने के लिए…!
लाला ने उसके गाल चूमकर कहा – तुम्हें कोई दुख या ग्लानि तो नही हमारे साथ ये सब करके..?
वो उनके गले लगकर बोली – इन सब बातों का समय अब बीत चुका है मालिक…, अब मेरा सुख-दुख, जीना-मरना सब आपके हाथ में है..
लाला ने बड़े प्यार से उसके बदन को सहलाते हुए कहा – अब हम तुम्हें कोई दुख नही होने देंगे रंगीली, तुमने हमारा प्यार अपनाकर हमें अपना बना लिया है…
लेकिन अब तुम्हें हमारी एक बात माननी होगी…
उसने सवालिया निगाहों से उन्हें देखा…
लाला – अब तुम हमें मालिक कहना बंद करदो.., तुम्हारे मूह से अब ये शब्द हमें अच्छा नही लगता…
हम महसूस करते हैं, जैसे कोई गुलाम हमारे शरीर की ज़रूरतें पूरी कर रही हो…!
रंगीली – तो आप ही बताइए हम आपको क्या कहें..?
लाला – कुच्छ भी, जो तुम्हारा मन कहे…!
रंगीली – तो ठीक है, आज से हम अकेले में आपको धरमजी या लाला जी कहेंगे, लेकिन दूसरों के सामने मालिक ही कहना पड़ेगा, वरना लोगों को शक़ पैदा हो सकता है..
लाला – ठीक है, तुम्हारी ये बात हमें जायज़ लगी… और हां तुम्हारे मूह से धरमजी सुनना हमे अच्छा लगेगा…एक बार और बोलो ना.…!
ओह धरमजी… धन्यवाद.. ये कहकर वो उनकी चौड़ी छाती में समा गयी…!
कुच्छ देर बाद लाला के हाथ एक बार फिर शरारत पर उतर आए, और कुच्छ ही देर पहले गुजरा हुआ तूफान फिर से वापस आने लगा…!
लाला ने उसे अपने उपर ले लिया, और उसके होंठों को चूस्ते हुए उसकी पीठ सहलाते रहे, फिर उनके हाथ नीचे को उतरते हुए उसके गोल-गोल छोटे लेकिन सुडौल नितंबों पर पहुँच गये…
नितंबों को सहलाते हुए उन्होने उन्हें अपने हाथों में लेकर मसल दिया…!
आअहह…धराममजि…ज़ोर्से नहिी…राजाजी…..!
उसकी पीठ धनुष की तरह उपर उठ गयी, मूह खुल का खुला रह गया…
और उसने अपनी पतली-पतली टाँगें लाला की कमर के इर्द-गिर्द लपेट दी, वो गद्दी से आधार होकर लाला के बदन से जोंक की तरह चिपकते हुए चिल्लायईयी…
आआययययीी…म्म्माअलिकक्क…और ज़ॉर्सीई…काररूव…उूउउऊऊहह… मईए…आआययईीीई….गायईयीईईईई…..आअहह…,
वो बुरी तरह हान्फते हुए झड़ने लगी…
इधर लाला का भी नाग अपना जहर छोड़ने को तैयार था, सो एक भरपूर धक्का देकर अपने नाग का फन उसकी रस गागर के अंतिम सतह तक पहुँचकर अपने वीर्य की पिचकारियाँ मारने लगा…
दोनो की जांघों के बीच का भाग इस कदर एक दूसरे से चिपक गया, मानो फेविकोल का मजबूत जोड़ लगा दिया हो, जो कभी छूटेगा नही…
दो मिनिट तक रंगीली अपनी कमर उठाए लाला के लंड पर अपनी मुनिया को दबाए रही, फिर जब उसकी एक एक बूँद नीचूड़ गयी, तब उसकी पीठ बिस्तर से टच हुई…
वो बेसूध हो चुकी थी, उसे इतना भी होश नही रहा कि एक 80+ केजी का मर्द उसके नाज़ुक बदन के उपर पड़ा है…
उधर लाला भी ऐसी जानदार लगभग कोरी करारी चूत पाकर पूरी शक्ति लगाकर झड़े थे, सो वो भी उसके उपर पसर कर हाँफने लगे…..!
कुछ देर बाद लाला को होश आया, तो वो रंगीली के होंठों पर एक किस करके उसके बगल में लुढ़क गये…,
लंड के बाहर आते ही, ढेर सारा मसाला भल्भलाकर उसकी चूत से बाहर निकल पड़ा, और लाला की गद्दी उसे सोखती रही..
करवट से लेते लाला, अपने सर को एक हाथ का सहारा देकर, रंगीली के शांत पड़े मासूम चेहरे को बड़े प्यार से ताक रहे थे…!
वो इस समय अपनी जिंदगी के पहले ऐसे जबरदस्त स्खलन को पाकर एकदम शांत चित्त आँखें बंद किए हुए, इतनी मासूम किसी गुड़िया सी पड़ी हुई थी…!
उसके मासूम चेहरे पर नज़र गढ़ाए, एक बारगी लाला जैसे ठर्की आदमी के मन में भी आत्मग्लानि सी होने लगी.., उनके दिल ने कहा –
तूने इस मासूम को छल से पाया है धरम दास, अपने आप से वादा कर कि कभी इसे धोका नही देगा…!
उसने मन ही मन अपने आप से ये वादा किया कि अपने जीते जी, वो कभी भी इस मासूम को कोई दुख नही होने देगा…!
ये सोचकर उसने उसके गाल को सहला कर उसके माथे को चूम लिया, रंगीली की आँखें खुल गयी, जब उसने लाला को अपने उपर झुके हुए पाया, तो अपनी पतली-पतली बाहें उसके गले में डाल दी…
आगे से एक किस उनके होंठों पर लेकर बोली – धन्यवाद मालिक हमें एक संपूर्ण औरत होने का एहसास दिलाने के लिए…!
लाला ने उसके गाल चूमकर कहा – तुम्हें कोई दुख या ग्लानि तो नही हमारे साथ ये सब करके..?
वो उनके गले लगकर बोली – इन सब बातों का समय अब बीत चुका है मालिक…, अब मेरा सुख-दुख, जीना-मरना सब आपके हाथ में है..
लाला ने बड़े प्यार से उसके बदन को सहलाते हुए कहा – अब हम तुम्हें कोई दुख नही होने देंगे रंगीली, तुमने हमारा प्यार अपनाकर हमें अपना बना लिया है…
लेकिन अब तुम्हें हमारी एक बात माननी होगी…
उसने सवालिया निगाहों से उन्हें देखा…
लाला – अब तुम हमें मालिक कहना बंद करदो.., तुम्हारे मूह से अब ये शब्द हमें अच्छा नही लगता…
हम महसूस करते हैं, जैसे कोई गुलाम हमारे शरीर की ज़रूरतें पूरी कर रही हो…!
रंगीली – तो आप ही बताइए हम आपको क्या कहें..?
लाला – कुच्छ भी, जो तुम्हारा मन कहे…!
रंगीली – तो ठीक है, आज से हम अकेले में आपको धरमजी या लाला जी कहेंगे, लेकिन दूसरों के सामने मालिक ही कहना पड़ेगा, वरना लोगों को शक़ पैदा हो सकता है..
लाला – ठीक है, तुम्हारी ये बात हमें जायज़ लगी… और हां तुम्हारे मूह से धरमजी सुनना हमे अच्छा लगेगा…एक बार और बोलो ना.…!
ओह धरमजी… धन्यवाद.. ये कहकर वो उनकी चौड़ी छाती में समा गयी…!
कुच्छ देर बाद लाला के हाथ एक बार फिर शरारत पर उतर आए, और कुच्छ ही देर पहले गुजरा हुआ तूफान फिर से वापस आने लगा…!
लाला ने उसे अपने उपर ले लिया, और उसके होंठों को चूस्ते हुए उसकी पीठ सहलाते रहे, फिर उनके हाथ नीचे को उतरते हुए उसके गोल-गोल छोटे लेकिन सुडौल नितंबों पर पहुँच गये…
नितंबों को सहलाते हुए उन्होने उन्हें अपने हाथों में लेकर मसल दिया…!
आअहह…धराममजि…ज़ोर्से नहिी…राजाजी…..!