hotaks444
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रमेश अब पूरी तरह से ड्यूटी करता और रात तो
करिश्मा को नंगी करके खूब चोद्ता था. रसिकलाल जी भी कभी
कभी करिश्मा को मौका देख चोद लेते थे. फिर कुछ दीनो के बाद
करिश्मा और रमेश साथ साथ करिश्मा के मैके पर गये.
ससुराल मे रमेश का बहुत आब-भगत हुआ. करिश्मा के जितने
रिश्तेदार थे उन सभी ने रमेश और करिश्मा को खाने पर बुलाया.
रमेश और करिश्मा को मज़े ही मज़े थे. अपनी ससुराल मे भी
रमेश करिश्मा को रात को दो-तीन दफ़ा ज़रूर चोद्ता था और कभी
मौका मिल गया तो दिन को करिश्मा को बिस्तर पर लेटा कर चुदाई चालू
कर देता था. एक दिन रमेश पास की किसी दुकान पर गया हुआ था.
करिश्मा कमरे मे बैठ कर पेपर पढ़ रही थी. एकाएक
करिश्मा को अपनी मा, रजनी जी , की रोने की आवाज़ सुनाई दिया.
करिश्मा भाग कर अंदर गयी तो देखा कि रजनी जी भगवान के
फोटो केसामने खड़ी खड़ी रो रही है और भगवान से बोल रही
है, "भगवान तुमने ये क्या किया. तुम मेरे पति इतनी जल्दी क्यों
उठा लिए और अगर उनको उठा लिए तो मेरी बदन मे इतना गर्मी
क्यों भर दिया. अब मैं जब जब अपनी लड़की और दामाद की चुदाई देखती
हूँ तो मेरे शरीर मे आग लग जाती है. अब क्या करूँ? कोई रास्ता
तुम्ही दिखला दो, मैं अपने गरम शरीर से बहुत परेशान हो गयी
हूँ." करिश्मा समझ गयी कि क्या बात है. वो झट अपनी मा के
पास जाकर मा को अपने बाहों मे भर ली और पीछे से चूमते
हुए बोली, "मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे क्यों नही बोली?" रजनी
जी अपने आपको करिश्मा से छुड़ाते हुए बोली, "मैं अगर तुझसे बता
तो तू क्या कर लेती? तू भी तो मेरी तरह से एक औरत ही है?" "अरे
मुझसे से कुछ नही होता तो क्या तुम्हारा दामाद तो है? तुम्हारा
दामाद ही तुमको शांत करता" करिश्मा अपनी मा को फिर से पकड़ कर
चूमते हुए बोली. "क्या बोली तू, अपने दामाद से मैं अपने जिस्म की भूख
शांत करवाउंगी? तेरा दिमाग़ तो ठीक है?" रजनी जी अपनी बेटी
करिश्मा से बोली. तब करिश्मा अपने हाथों से अपनी मा की
चूंचियों को पकड़ कर दबाते हुए बोली, "इसमे क्या हुआ? तुम जिस्म की
भूख से मरी जा रही हो, और तुम्हारा दामाद तुम्हारे जिस्म की भूक को
मिटा सकता है, अगर तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं अपने दामाद के
सामने खुद लेट जाती और उससे कहती आओ मेरे प्यारे दामाद जी मेरे
पास आओ और मेरी जिस्म कीप्यास बुझाओ." "चल हट बड़ी चुड़दकर बन रही
है, मुझे तो ये सोच कर ही शरम आ रही है, कि मैं अपने दामाद
के सामने नंगी लेट कर अपनी टांग उठाउंगी और वो मेरी चूत मे
अपना लंड पेलेगा" रजनी जी मूड कर अपनी बेटी की चूंचियो को
मसल्ते हुए बोली.तभी रमेश, जो कि बाहर गया हुआ था, कमरे मे
घुसा और घुसते घुसते हुए उसने अपनी बीवी और सास की बातों को सुन
लिया. रमेश आगे बढ़ कर अपनी सास के सामने घुटने के बलबैठ
गया और अपनी सास के चूतरों को अपने हाथों से घेर कर पकड़ते
हुए सास से बोला, "मा आप क्यों चिंता कर रही हैं, मैं हूँ ना?
मेरे रहते हुए आपको अपने जिस्म की भूख की चिंता नही करनी
चाहिए. अरे वो दामाद ही बेकार का है जिसके होते हुए उसकी सास अपनी
जिस्म की भूख से पागल हो जाए." "नही, नही, छोड़ो मुझे. मुझे
बहुत शरम लग रही है" रजनी जी अपने आप को रमेश से
छुड़ाते हुए बोली. तभी करिश्मा आगे बढ़ कर अपनी मा की
चूंची को पकड़ कर मसल्ते हुए करिश्मा अपनी मा से बोली,
"क्यों बेकार का शरम कर रही हो मा. मान भी जाओ अपने दामाद की
बात और चुप चाप जो होरहा है उसे होने दो." तब थोरी देर चुप रहने
के बाद रजनी जी अपनी बेटी की तरफ देख कर बोली, "ठीक है, जैसे तुम
लोगो की मर्ज़ी. लेकिन एक बात तुम दोनो कान खोल कर सुन लो. मैं अपने
दामाद के सामने बिल्कुल नंगी नही हो पाउंगी. आगे जैसा तुम
लोग चाहो." इतना सुन कर रमेशने मुस्कुरा कर अपने सास से कहा, "अरे
सासू जी आप को कुछ नही करना है. जो कुछ करना मैं ही
करूँगा, बस आप हमारा साथ देती जाए."फिर रमेश उठ कर खरा
हो गया और अपनी सास को अपने दोनो बाहों मे जाकड़ कर चूमने लगा.
रजनी जी चुप चाप अपने आप को अपने दामाद के बाहों मे छोड़ कर
खड़ी रही. थोरी देर तक अपने सास को चूमने के बाद रमेश
अपने हाथों से अपने सास की चूंची पकड़ कर दबाने लगा. अपनी
चूंचियो पर दामाद का हाथ पड़ते ही रजनी जी उत्तेजना से बिलबिला
उठी और बोलने लगी, "और ज़ोर से दबओ मेरी चूंचियों को बहुत दिन
हो गये किसी ने इस पर हाथ नही लगाया है. मुझे अपने दामाद से
चूंची मसलवाने मे बहुत मज़ा मिल रहा है. और दबओ. आ
बेटी तू भी आ मेरे पास और मेरे इन चूंचियो से खेल." अब रमेश
फिर से अपने सास के पैरों के पास बैठ गया और उनकी सारी के ऊपेर
से ही उनकी चूत को चूमने लगा. रजनी जी अपनी चूत के उपर अपने
दामाद का मुँह लगते ही बिलबिला उठी और ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी.
रमेश भी उनकी सारी के उपर से ही उनकी चूत को चूमता रहा. थोरी
देर के बाद रजनी जी से सहा नही गया और खुद ही अपने दामाद से
बोली, "अरे अब कितना तर्पाओगे. तुम्हे चूत मे उंगली या जीब घुसानी
है तो ठीक तरीके से घुसाओ. सारी के ऊपर से क्या कर रहे हो?"
अपनी सास की बात सुन कर रमेश बोला, "मैं क्या करता, आपने ही कहा
था आप सारी नही उतारेंगी. इसीलिए मैं आपकी सारी के ऊपर से ही
आपकी चूत चूम रहा हूँ." "वो तो ठीक है, लेकिन तुम मेरी सारी
उठा कर तो मेरी चूत की चुम्मा ले सकते हो?" रजनी जी ने अपने
दामाद से बोली. अपनी सास की बात सुनते ही रमेश जल्दी से अपनी सास की
सारी को पैरों के पास से पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया और
जैसे ही सारी रजनी जी की जाँघो तक उठ गयी तो रजनी जी नेमारे
शरम के अपना चहेरा अपने हाथों से ढक लिया और अपने दामाद
से बोली, "अब बस भी करो, और कितना सारी उठहाओगे. अब मुझे शरम
आ रही है. अब तुम अपना सर अंदर डाल कर मेरी चूत को चूम लो."
क्रमशः.........
करिश्मा को नंगी करके खूब चोद्ता था. रसिकलाल जी भी कभी
कभी करिश्मा को मौका देख चोद लेते थे. फिर कुछ दीनो के बाद
करिश्मा और रमेश साथ साथ करिश्मा के मैके पर गये.
ससुराल मे रमेश का बहुत आब-भगत हुआ. करिश्मा के जितने
रिश्तेदार थे उन सभी ने रमेश और करिश्मा को खाने पर बुलाया.
रमेश और करिश्मा को मज़े ही मज़े थे. अपनी ससुराल मे भी
रमेश करिश्मा को रात को दो-तीन दफ़ा ज़रूर चोद्ता था और कभी
मौका मिल गया तो दिन को करिश्मा को बिस्तर पर लेटा कर चुदाई चालू
कर देता था. एक दिन रमेश पास की किसी दुकान पर गया हुआ था.
करिश्मा कमरे मे बैठ कर पेपर पढ़ रही थी. एकाएक
करिश्मा को अपनी मा, रजनी जी , की रोने की आवाज़ सुनाई दिया.
करिश्मा भाग कर अंदर गयी तो देखा कि रजनी जी भगवान के
फोटो केसामने खड़ी खड़ी रो रही है और भगवान से बोल रही
है, "भगवान तुमने ये क्या किया. तुम मेरे पति इतनी जल्दी क्यों
उठा लिए और अगर उनको उठा लिए तो मेरी बदन मे इतना गर्मी
क्यों भर दिया. अब मैं जब जब अपनी लड़की और दामाद की चुदाई देखती
हूँ तो मेरे शरीर मे आग लग जाती है. अब क्या करूँ? कोई रास्ता
तुम्ही दिखला दो, मैं अपने गरम शरीर से बहुत परेशान हो गयी
हूँ." करिश्मा समझ गयी कि क्या बात है. वो झट अपनी मा के
पास जाकर मा को अपने बाहों मे भर ली और पीछे से चूमते
हुए बोली, "मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे क्यों नही बोली?" रजनी
जी अपने आपको करिश्मा से छुड़ाते हुए बोली, "मैं अगर तुझसे बता
तो तू क्या कर लेती? तू भी तो मेरी तरह से एक औरत ही है?" "अरे
मुझसे से कुछ नही होता तो क्या तुम्हारा दामाद तो है? तुम्हारा
दामाद ही तुमको शांत करता" करिश्मा अपनी मा को फिर से पकड़ कर
चूमते हुए बोली. "क्या बोली तू, अपने दामाद से मैं अपने जिस्म की भूख
शांत करवाउंगी? तेरा दिमाग़ तो ठीक है?" रजनी जी अपनी बेटी
करिश्मा से बोली. तब करिश्मा अपने हाथों से अपनी मा की
चूंचियों को पकड़ कर दबाते हुए बोली, "इसमे क्या हुआ? तुम जिस्म की
भूख से मरी जा रही हो, और तुम्हारा दामाद तुम्हारे जिस्म की भूक को
मिटा सकता है, अगर तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं अपने दामाद के
सामने खुद लेट जाती और उससे कहती आओ मेरे प्यारे दामाद जी मेरे
पास आओ और मेरी जिस्म कीप्यास बुझाओ." "चल हट बड़ी चुड़दकर बन रही
है, मुझे तो ये सोच कर ही शरम आ रही है, कि मैं अपने दामाद
के सामने नंगी लेट कर अपनी टांग उठाउंगी और वो मेरी चूत मे
अपना लंड पेलेगा" रजनी जी मूड कर अपनी बेटी की चूंचियो को
मसल्ते हुए बोली.तभी रमेश, जो कि बाहर गया हुआ था, कमरे मे
घुसा और घुसते घुसते हुए उसने अपनी बीवी और सास की बातों को सुन
लिया. रमेश आगे बढ़ कर अपनी सास के सामने घुटने के बलबैठ
गया और अपनी सास के चूतरों को अपने हाथों से घेर कर पकड़ते
हुए सास से बोला, "मा आप क्यों चिंता कर रही हैं, मैं हूँ ना?
मेरे रहते हुए आपको अपने जिस्म की भूख की चिंता नही करनी
चाहिए. अरे वो दामाद ही बेकार का है जिसके होते हुए उसकी सास अपनी
जिस्म की भूख से पागल हो जाए." "नही, नही, छोड़ो मुझे. मुझे
बहुत शरम लग रही है" रजनी जी अपने आप को रमेश से
छुड़ाते हुए बोली. तभी करिश्मा आगे बढ़ कर अपनी मा की
चूंची को पकड़ कर मसल्ते हुए करिश्मा अपनी मा से बोली,
"क्यों बेकार का शरम कर रही हो मा. मान भी जाओ अपने दामाद की
बात और चुप चाप जो होरहा है उसे होने दो." तब थोरी देर चुप रहने
के बाद रजनी जी अपनी बेटी की तरफ देख कर बोली, "ठीक है, जैसे तुम
लोगो की मर्ज़ी. लेकिन एक बात तुम दोनो कान खोल कर सुन लो. मैं अपने
दामाद के सामने बिल्कुल नंगी नही हो पाउंगी. आगे जैसा तुम
लोग चाहो." इतना सुन कर रमेशने मुस्कुरा कर अपने सास से कहा, "अरे
सासू जी आप को कुछ नही करना है. जो कुछ करना मैं ही
करूँगा, बस आप हमारा साथ देती जाए."फिर रमेश उठ कर खरा
हो गया और अपनी सास को अपने दोनो बाहों मे जाकड़ कर चूमने लगा.
रजनी जी चुप चाप अपने आप को अपने दामाद के बाहों मे छोड़ कर
खड़ी रही. थोरी देर तक अपने सास को चूमने के बाद रमेश
अपने हाथों से अपने सास की चूंची पकड़ कर दबाने लगा. अपनी
चूंचियो पर दामाद का हाथ पड़ते ही रजनी जी उत्तेजना से बिलबिला
उठी और बोलने लगी, "और ज़ोर से दबओ मेरी चूंचियों को बहुत दिन
हो गये किसी ने इस पर हाथ नही लगाया है. मुझे अपने दामाद से
चूंची मसलवाने मे बहुत मज़ा मिल रहा है. और दबओ. आ
बेटी तू भी आ मेरे पास और मेरे इन चूंचियो से खेल." अब रमेश
फिर से अपने सास के पैरों के पास बैठ गया और उनकी सारी के ऊपेर
से ही उनकी चूत को चूमने लगा. रजनी जी अपनी चूत के उपर अपने
दामाद का मुँह लगते ही बिलबिला उठी और ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी.
रमेश भी उनकी सारी के उपर से ही उनकी चूत को चूमता रहा. थोरी
देर के बाद रजनी जी से सहा नही गया और खुद ही अपने दामाद से
बोली, "अरे अब कितना तर्पाओगे. तुम्हे चूत मे उंगली या जीब घुसानी
है तो ठीक तरीके से घुसाओ. सारी के ऊपर से क्या कर रहे हो?"
अपनी सास की बात सुन कर रमेश बोला, "मैं क्या करता, आपने ही कहा
था आप सारी नही उतारेंगी. इसीलिए मैं आपकी सारी के ऊपर से ही
आपकी चूत चूम रहा हूँ." "वो तो ठीक है, लेकिन तुम मेरी सारी
उठा कर तो मेरी चूत की चुम्मा ले सकते हो?" रजनी जी ने अपने
दामाद से बोली. अपनी सास की बात सुनते ही रमेश जल्दी से अपनी सास की
सारी को पैरों के पास से पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया और
जैसे ही सारी रजनी जी की जाँघो तक उठ गयी तो रजनी जी नेमारे
शरम के अपना चहेरा अपने हाथों से ढक लिया और अपने दामाद
से बोली, "अब बस भी करो, और कितना सारी उठहाओगे. अब मुझे शरम
आ रही है. अब तुम अपना सर अंदर डाल कर मेरी चूत को चूम लो."
क्रमशः.........