hotaks444
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जैसे ही राज ने उसके सर पर हाथ रखा और उसे और नजदीक खींचना चाहा, वो थोड़ा शर्माके पीछे हटी.
सारिका: "चलो अगली चाल चलते हैं"
अब राज को पांच, दो,रानी और दो आये. सारिका को दो राजा, तीन और नौ मिले। फिर उसकी ही जीत हुई.
राजने कहा, "बोलो अब मैं क्या करू?"
सारिका हँसते हुए बोली, "मेरी पीठ की मालिश कर दो।"
सारिका ने अपनी नाइटी को दोनों कांधोंसे हटा दिया. उसकी गोरी काया राज को लुभा रही थी. पंजोंमे तेल लगाकर उसकी पीठ सहलाना चालू किया.
सारिका आँखें मूंदकर आनंद ले रही थी और राज का भी लंड खड़ा हो गया था.
अगला गेम फिर सारिका ही जीती, अब उसने राज को जाँघे सहलाने कहा. उसने शुरू ही किया था की इतने में रूपेश की नींद खुली ऐसा लगा. फिर सारिका ने झटसे अपनी नाइटी ठीक की और उसे ईशारोंमे बाय कह दिया.
अब ये सब बाहर हॉल में चल रहा था. मैं तो बैडरूम में पूरी नंगी ही सो रही थी. अंदर आकर राज ने अपनी लुंगी उतारकर मेरे नंगे बदन के ऊपर सिक्सटी नाइन की पोज में लेट गया और मेरी चुत का दाना चाटने और चूसने लगा.
जैसे ही उसका कड़क लंड मेरे होठोंपर आया मैंने आधी नींद में ही चूसना आरंभ किया. पांच मिनट तक मौखिक सम्भोग (ओरल सेक्स) करने के बाद उत्तेजित हुआ राज मेरी टाँगे फैलाकर मुझे जोर जोर से चोदने लग गया.
मैं: "आज क्या हो गया मेरे राजा, आधी रात को फिरसे चालू हो गए.. आह चोदो मुझे और चोदो।"
राज: "सुनीता रानी, तेरी सेक्सी बहन की टाँगे और पीठकी मालिश करके आया हूँ. वो तो रूपेश की नींद खुल गयी वरना आज तो उसके मम्मे भी मसल देता।"
उत्तेजित होकर मैं बोल उठी, "तुम तो चौके पे चौके मारते जा रहे हो मेरे राजा, मुझे कब रूपेश का लंड खाने को मिलेगा.. आह.."
राज: "सुनीता रानी, जिस दिन तुम्हारी गोरी गोरी सेक्सी बहन मुझसे चुदने के लिए मान जायेगी उसी दिन!"
मैं: "मेरे राजा, मैं चाहती हूँ की रूपेश मुझे घोड़ी बनाकर बहुत देर तक चोदे और सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दे."
राज ने मुझे चोदना चालू रक्खा और अब मेरी गांडमें ऊँगली अंदर बाहर करने लगा. मुझे पता था की जिस दिन वो बहुत ज्यादा उत्तेजित होता हैं तभी मेरी गांड से खेलता है.
मैं: "आह आह, चोदो चोदो मुझे फाड़ डालो मेरी चुत को.. आह. काश रूपेश अभी मेरे मम्मे मसलकर मुझे चोदता होता.."
सारिका की नंगी गोरी पीठ को याद करते हुए राज मेरी छूट में जोरसे धक्के लगाता रहा.
राज: "साली सारिका की गोरी पीठ इतनी सुन्दर हैं तो गांड, मम्मे और चुत कितनी गोरी और सुन्दर होगी.. आह.. काश रूपेश नींद से न जागता और मैं उसे आज ही चोद देता आह."
मैं: "राज, मैं भी रूपेश का कड़क लौड़ा चूसकर उसका सारा वीर्य पी जाना चाहती हूँ."
अब राज से और बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपने लंड को बाहर निकाला और हमेशा की तरह सारा वीर्य मेरे खुले मुँहमे डाल दिया.
तभी राज की नज़र बैडरूम के दरवाज़े पर गयी. हॉल की उत्तेजित अवस्था के बाद वो जल्दी जल्दी बैडरूम में घुस आया था और उसने गलती से दरवाजा खुला छोड़ दिया था.
सारिका: "चलो अगली चाल चलते हैं"
अब राज को पांच, दो,रानी और दो आये. सारिका को दो राजा, तीन और नौ मिले। फिर उसकी ही जीत हुई.
राजने कहा, "बोलो अब मैं क्या करू?"
सारिका हँसते हुए बोली, "मेरी पीठ की मालिश कर दो।"
सारिका ने अपनी नाइटी को दोनों कांधोंसे हटा दिया. उसकी गोरी काया राज को लुभा रही थी. पंजोंमे तेल लगाकर उसकी पीठ सहलाना चालू किया.
सारिका आँखें मूंदकर आनंद ले रही थी और राज का भी लंड खड़ा हो गया था.
अगला गेम फिर सारिका ही जीती, अब उसने राज को जाँघे सहलाने कहा. उसने शुरू ही किया था की इतने में रूपेश की नींद खुली ऐसा लगा. फिर सारिका ने झटसे अपनी नाइटी ठीक की और उसे ईशारोंमे बाय कह दिया.
अब ये सब बाहर हॉल में चल रहा था. मैं तो बैडरूम में पूरी नंगी ही सो रही थी. अंदर आकर राज ने अपनी लुंगी उतारकर मेरे नंगे बदन के ऊपर सिक्सटी नाइन की पोज में लेट गया और मेरी चुत का दाना चाटने और चूसने लगा.
जैसे ही उसका कड़क लंड मेरे होठोंपर आया मैंने आधी नींद में ही चूसना आरंभ किया. पांच मिनट तक मौखिक सम्भोग (ओरल सेक्स) करने के बाद उत्तेजित हुआ राज मेरी टाँगे फैलाकर मुझे जोर जोर से चोदने लग गया.
मैं: "आज क्या हो गया मेरे राजा, आधी रात को फिरसे चालू हो गए.. आह चोदो मुझे और चोदो।"
राज: "सुनीता रानी, तेरी सेक्सी बहन की टाँगे और पीठकी मालिश करके आया हूँ. वो तो रूपेश की नींद खुल गयी वरना आज तो उसके मम्मे भी मसल देता।"
उत्तेजित होकर मैं बोल उठी, "तुम तो चौके पे चौके मारते जा रहे हो मेरे राजा, मुझे कब रूपेश का लंड खाने को मिलेगा.. आह.."
राज: "सुनीता रानी, जिस दिन तुम्हारी गोरी गोरी सेक्सी बहन मुझसे चुदने के लिए मान जायेगी उसी दिन!"
मैं: "मेरे राजा, मैं चाहती हूँ की रूपेश मुझे घोड़ी बनाकर बहुत देर तक चोदे और सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दे."
राज ने मुझे चोदना चालू रक्खा और अब मेरी गांडमें ऊँगली अंदर बाहर करने लगा. मुझे पता था की जिस दिन वो बहुत ज्यादा उत्तेजित होता हैं तभी मेरी गांड से खेलता है.
मैं: "आह आह, चोदो चोदो मुझे फाड़ डालो मेरी चुत को.. आह. काश रूपेश अभी मेरे मम्मे मसलकर मुझे चोदता होता.."
सारिका की नंगी गोरी पीठ को याद करते हुए राज मेरी छूट में जोरसे धक्के लगाता रहा.
राज: "साली सारिका की गोरी पीठ इतनी सुन्दर हैं तो गांड, मम्मे और चुत कितनी गोरी और सुन्दर होगी.. आह.. काश रूपेश नींद से न जागता और मैं उसे आज ही चोद देता आह."
मैं: "राज, मैं भी रूपेश का कड़क लौड़ा चूसकर उसका सारा वीर्य पी जाना चाहती हूँ."
अब राज से और बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपने लंड को बाहर निकाला और हमेशा की तरह सारा वीर्य मेरे खुले मुँहमे डाल दिया.
तभी राज की नज़र बैडरूम के दरवाज़े पर गयी. हॉल की उत्तेजित अवस्था के बाद वो जल्दी जल्दी बैडरूम में घुस आया था और उसने गलती से दरवाजा खुला छोड़ दिया था.