hotaks444
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अब तक की इस चुदाई की कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरी चुत पीयूष चाट रहा था और मैं लाल जी का लंड चूस रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. पीयूष के दोस्त के आने की ग़लतफ़हमी में दरवाजा खोल दिया और अन्दर मोहल्ले के चाचा जी आ गए. चाचा जी ने मुझे चोदने की शर्त पर किसी से न कहने की बात रख दी, जिसे पहले मैंने मान लिया, फिर मना करने लगी.
अब आगे..
चाचा जी बोले- अभी बात डन की थी और अभी से नाटक करने लगी. तू उम्र को क्या चूत से चाटेगी, तुझे तो लंड से मतलब है कि उम्र से चल. रूक आज तुझे बताता हूं, अब मैं जा रहा हूं.
उनकी धमकी से मैं बेहद डर गई और चाचा से बोली- ठीक है चाचा पर सिर्फ दो मिनट के लिए ही.. आपने कहा है.
मैं उनके 2 मिनट कहने पर उनके हाथ पकड़ने पर उसी फर्श में पड़ी रजाई पर बैठ गई, जैसे ही मैं बैठी चाचा भी बिल्कुल मेरे सामने मुझसे चिपक कर बैठ गए और बोले- तू बहुत सेक्सी है संध्या.. क्या तो हुस्न और जिस्म है तेरा.. तुझे नंगी हालत में कोई मरा मर्द भी देख ले तो जी उठेगा.
उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर तेजी से दबाना चालू कर दिया. वे मेरे दोनों मम्मों के निप्पल को उंगलियों से रगड़ने लगे. उनके इस तरह के तरीके से मेरे अन्दर की जो घबराहट थी, वो हट गई और मुझे कुछ कुछ होने लगा. अब अपने आप मेरी आंखें बंद होने लगीं.
तभी मेरे दूध को चूसते हुए चाचा बोले- संध्या तू तो आग है.. कितना गर्म है तेरा बदन आहहहह…चाचा ने मुझसे लिपट कर मेरे गालों को चूमा. उसके बाद मेरी गर्दन को अपनी जीभ से चाटने लगे. उनकी इस हरकत से मैं मचल उठी.
इसके बाद तो चाचा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर ऐसा चूमा कि मैं बता नहीं सकती कि किसी ने ऐसा किस नहीं किया था. मेरे बदन में न जाने क्या हुआ कि मैं भी यह भूल गई कि वह उम्रदराज मर्द हैं. बस मैं उनसे लिपट गई, अपने दोनों हाथों से चाचा को अपने बांहों में कस लिया. चाचा मेरे होंठों को चूसने और चाटने लगे, मैं भी चूसने लगी.
अब मेरे बदन में वही सब होने लगा, जो पीयूष और लालजी के साथ करने में हो रहा था.
चाचा ने होंठ के बाद सीधे मेरे मम्मों को पकड़ कर तेजी से दबाया और बोले- संध्या, ये तो बहुत कड़क हैं, पर क्या गजब के हैं. आज मेरी लाइफ बन गई.वे सीधे मेरे दोनों दूध को कसके चूसने लगे. अब जो बचा हुआ होश था, वह भी नहीं रहा.
मैं चाचा की शर्ट और बनियान के अन्दर हाथ डालने लगी, तो चाचा बोले- कपड़े उतार दूं क्या संध्या?मैं बोली- हां चाचा.तो चाचा बोले- आज तू उतार मेरे कपड़े.. मजा आ जाएगा.
मैं चाचा की शर्ट के बटन खोलने लगी और कुछ ही पलों में शर्ट उतार दी, फिर उनकी बनियान भी उतार दी.चाचा के सीने में बहुत बाल थे और सब सफेद हो चुके थे.
फिर चाचा खड़े हो गए और बोले- अब पैंट भी उतार दे मेरी जान.. तू बहुत मस्त है.
मैंने जैसे ही चाचा के पैंट की बटन खोल कर ज़िप खोली और पैंट नीचे खिसकाने लगी.. उनके अंडरवियर में उनका लंड बहुत खड़ा महसूस हुआ. मैंने चाचा की पैंट भी उतार कर उनके शरीर से अलग कर दिया. अब सिर्फ चाचा के शरीर में उनकी अंडरवियर बची.
चाचा बोले- इसको भी उतार संध्या इसी के अन्दर तो तेरे काम का औजार है.मैं मुस्कुरा दी और चाचा की अंडरवियर पकड़ कर तेजी से नीचे खिसका दी. उनका बहुत ही बड़ा सा लंड मेरे मुँह के पास सामने आ गया. तो चाचा ने अपने मूसल लंड को मेरे होंठों में लगा दिया और बोले- इसे चूस संध्या.. बहुत मजा आएगा.
वे मेरे बालों को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसाने लगे. मैंने मुँह खोला तो चाचा ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में अन्दर घुसा दिया. बहुत ही अजीब गंध उनके लंड की.. मेरे अन्दर समा गई, पर मैं पूरी मस्ती में मदहोशी में थी, तो चाचा का लौड़ा चूसने लगी और चाटने लगी.
मैं घुटनों के बल बैठी थी और चाचा खड़े थे. अब चाचा अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर करने लगे और गंदी गंदी गालियां देने लगे. चाचा अकड़े भी जा रहे थे.
वे बोले- संध्या तू बहुत बड़ी रंडी है. आह साली छिनाल संध्या.. और जोर से चूस लंड को मादरचोदी.. तेरे को दस-दस लंड से चुदवाऊंगा, बहनचोदी बहुत मस्त लंड चूसती है..चाचा लंड चुसवाते हुए इतनी सेक्सी और गंदी गालियां दे रहे थे कि बता नहीं सकती. अब वे झुककर मेरे दोनों दूध भी अपने हाथों से दबाने लगे. इतने में बिल्कुल मेरे सामने से चाचा के लिए आवाज आई. ये आवाज गांव के ही दो किसानों की थी.
अब आगे..
चाचा जी बोले- अभी बात डन की थी और अभी से नाटक करने लगी. तू उम्र को क्या चूत से चाटेगी, तुझे तो लंड से मतलब है कि उम्र से चल. रूक आज तुझे बताता हूं, अब मैं जा रहा हूं.
उनकी धमकी से मैं बेहद डर गई और चाचा से बोली- ठीक है चाचा पर सिर्फ दो मिनट के लिए ही.. आपने कहा है.
मैं उनके 2 मिनट कहने पर उनके हाथ पकड़ने पर उसी फर्श में पड़ी रजाई पर बैठ गई, जैसे ही मैं बैठी चाचा भी बिल्कुल मेरे सामने मुझसे चिपक कर बैठ गए और बोले- तू बहुत सेक्सी है संध्या.. क्या तो हुस्न और जिस्म है तेरा.. तुझे नंगी हालत में कोई मरा मर्द भी देख ले तो जी उठेगा.
उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर तेजी से दबाना चालू कर दिया. वे मेरे दोनों मम्मों के निप्पल को उंगलियों से रगड़ने लगे. उनके इस तरह के तरीके से मेरे अन्दर की जो घबराहट थी, वो हट गई और मुझे कुछ कुछ होने लगा. अब अपने आप मेरी आंखें बंद होने लगीं.
तभी मेरे दूध को चूसते हुए चाचा बोले- संध्या तू तो आग है.. कितना गर्म है तेरा बदन आहहहह…चाचा ने मुझसे लिपट कर मेरे गालों को चूमा. उसके बाद मेरी गर्दन को अपनी जीभ से चाटने लगे. उनकी इस हरकत से मैं मचल उठी.
इसके बाद तो चाचा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर ऐसा चूमा कि मैं बता नहीं सकती कि किसी ने ऐसा किस नहीं किया था. मेरे बदन में न जाने क्या हुआ कि मैं भी यह भूल गई कि वह उम्रदराज मर्द हैं. बस मैं उनसे लिपट गई, अपने दोनों हाथों से चाचा को अपने बांहों में कस लिया. चाचा मेरे होंठों को चूसने और चाटने लगे, मैं भी चूसने लगी.
अब मेरे बदन में वही सब होने लगा, जो पीयूष और लालजी के साथ करने में हो रहा था.
चाचा ने होंठ के बाद सीधे मेरे मम्मों को पकड़ कर तेजी से दबाया और बोले- संध्या, ये तो बहुत कड़क हैं, पर क्या गजब के हैं. आज मेरी लाइफ बन गई.वे सीधे मेरे दोनों दूध को कसके चूसने लगे. अब जो बचा हुआ होश था, वह भी नहीं रहा.
मैं चाचा की शर्ट और बनियान के अन्दर हाथ डालने लगी, तो चाचा बोले- कपड़े उतार दूं क्या संध्या?मैं बोली- हां चाचा.तो चाचा बोले- आज तू उतार मेरे कपड़े.. मजा आ जाएगा.
मैं चाचा की शर्ट के बटन खोलने लगी और कुछ ही पलों में शर्ट उतार दी, फिर उनकी बनियान भी उतार दी.चाचा के सीने में बहुत बाल थे और सब सफेद हो चुके थे.
फिर चाचा खड़े हो गए और बोले- अब पैंट भी उतार दे मेरी जान.. तू बहुत मस्त है.
मैंने जैसे ही चाचा के पैंट की बटन खोल कर ज़िप खोली और पैंट नीचे खिसकाने लगी.. उनके अंडरवियर में उनका लंड बहुत खड़ा महसूस हुआ. मैंने चाचा की पैंट भी उतार कर उनके शरीर से अलग कर दिया. अब सिर्फ चाचा के शरीर में उनकी अंडरवियर बची.
चाचा बोले- इसको भी उतार संध्या इसी के अन्दर तो तेरे काम का औजार है.मैं मुस्कुरा दी और चाचा की अंडरवियर पकड़ कर तेजी से नीचे खिसका दी. उनका बहुत ही बड़ा सा लंड मेरे मुँह के पास सामने आ गया. तो चाचा ने अपने मूसल लंड को मेरे होंठों में लगा दिया और बोले- इसे चूस संध्या.. बहुत मजा आएगा.
वे मेरे बालों को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसाने लगे. मैंने मुँह खोला तो चाचा ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में अन्दर घुसा दिया. बहुत ही अजीब गंध उनके लंड की.. मेरे अन्दर समा गई, पर मैं पूरी मस्ती में मदहोशी में थी, तो चाचा का लौड़ा चूसने लगी और चाटने लगी.
मैं घुटनों के बल बैठी थी और चाचा खड़े थे. अब चाचा अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर करने लगे और गंदी गंदी गालियां देने लगे. चाचा अकड़े भी जा रहे थे.
वे बोले- संध्या तू बहुत बड़ी रंडी है. आह साली छिनाल संध्या.. और जोर से चूस लंड को मादरचोदी.. तेरे को दस-दस लंड से चुदवाऊंगा, बहनचोदी बहुत मस्त लंड चूसती है..चाचा लंड चुसवाते हुए इतनी सेक्सी और गंदी गालियां दे रहे थे कि बता नहीं सकती. अब वे झुककर मेरे दोनों दूध भी अपने हाथों से दबाने लगे. इतने में बिल्कुल मेरे सामने से चाचा के लिए आवाज आई. ये आवाज गांव के ही दो किसानों की थी.