desiaks
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दो कमसिन जवान नाजुक कलियों के मधुर रस से भरे गुलाबी ओंठो के बीच में उसका तपता गरम लंड फिसल रहा था | आआअह्ह्ह्ह कपिल तो जैसे स्वर्ग पहुँच गया | दोनों ही अपने ओंठो को कपिल के गरम लंड पर बड़ी ही लयदार तरीके से फिसला रही थी | दोनों के नाजुक ओंठो का गीला नरम स्पर्श कपिल को मीनार की तरह अपने लंड पर बड़ा सुखद लग रह था | वो वासना के भंवर में और गहरे से डूबने लगा | उसके जिस्म की उत्तेजना और बढ़ गयी वो हवस की आग में और ज्यादा जलने लगा | उसके ओंठो पर फिसलते ओंठो के साथ साथ दोनों एक दुसरे की चुचियो को मसल रही थी | दोनों की गरम सांसे भाप की तरह कपिल के लंड पर लग रही थी | बीच बीच में वो एक दुसरे को चूमकर उनके रसीले ओंठो का रस पीने लगती |
काफी देर तक दोनों कपिल के लंड पर अपने रसीले ओंठो का रस बरसाती रही, फिर कपिल को बिस्तर पर फिर से लुढ़का दिया | मधुरिमा ने कपिल का लंड जड़ से हाथ में थामा और अपने मुहँ को चौड़ा कर उसमे सुपाडे सहित उसका लंड घुसेड़ कर उसे कसकर चूसने लगी |
कपिल फिर से कराह उठा - आआआआआआआआआआअह्हह्हह्हह |
सलोनी गौर से मधुरिमा का बंद ओंठो की सख्त जकड़न में कपिल के लंड का चुसना देख रही थी | मधुरिमा के ओंठ कपिल के गरम लंड की कसकर रगड़ रह रहे थे | मधुरिमा ने अपने मुहँ से मोटा लंड बाहर निकाला और सलोनी के मुहँ की तरफ करके - सक इट लाइक आई सक |
उसने सलोनो को बताया पहले लंड को जड़ से एक हाथ से थामे, सलोनी ने गोलिओ सहित कपिल के लंड को अपनी मुट्ठी में थाम लिया | फिर मीनार की तरह तने हुए लंड के लिए के सुपाडे पर अपने गुलाबी रसीले ओंठ रख दिए | सर को जोर से नीचे को ठेला और उसके नरम रसीले ओंठो को फैलाता कपिल का हवस की आग में जलाता मोटा लंड सुपाडे सहित सलोनी के मुहँ में सामने लगा |
मधुरिमा बोली - ओंठ कसकर चिपकाये रख, तभी लंड कसकर रगड़ खायेगा |
सलोनी ने बिल्कुल वैसा ही किया | उसके ओंठ सख्ती से कपिल के लंड को जकडे हुए थे और वो सर ऊपर नीचे करके कसकर पूरा दम लगाकर कपिल के लंड को चुस रही थी, उसने जड़ से कपिल के लंड को थम रखा था | उसका गीला सुपाडा सलोनी के नरम मुहँ में गीली जीभ पर रपट रहा था | सलोनी बार बार उसकी गोलियों को भीचने लगती | सलोनी अपने नाजुक ओंठो से कपिल का लंड बुरी तरह चूस रही थी और उसी तरह से उसकी गोलियों को अपने हाथ से मथ रही थी | कसकर लंड के सलोनी के नाजुक ओंठो से मसले जाने से कपिल की उत्तेजना बेकाबू होने लगी | वैसे भी उसका लंड पहले से ही उत्तेजना से कुछ ज्यादा ही भरा हुआ था | वो सलोनी के गरम मुहँ के नरम स्पर्श की जादुई चुसाई बर्दास्त नहीं कर पाया और उसके सब्र का बांध टूट गया | उसकी गोलियों से गरम सफ़ेद लंड रस निकलने लगा | उसकी कराहे अनुभवी मधुरिमा ताड़ गयी, उसने सलोनी के मुहँ से लंड बाहर खीच लिया और दोनों उसके सुपाडे से मुहँ टिकाकर अपनी गीली गुलाबी जुबान उसके सुपाडे पर फिसलाने लगी | दोनों के गीली खुरदुरी जुबान का सहलाना था की कपिल के लंड से पिचकारी छुटने लगी | उसके गोलिओ में भरा रस सुपाडे के छेद से रिसने लगा | दोनों उसके गरम सफ़ेद लावे की अपनी जीभ से चाटने लगी | कपिल आह आह करके झड़ने लगा | उसके लंड से गिर रही सफ़ेद रस की धार उसी के पेट के निचले हिस्से को गीला करने लगी | पांच सात पिचकारियो के साथ कपिल ने अपनी हवस की आग की पहली क़िस्त पूरी कर दी थी | कपिल के लंड से पिचकारियाँ निकली बंद हो गयी लेकिन सलोनी और मधुरिमा ने उसके लंड रस से सने गरम लंड को चाटना बंद नहीं किया | वो कामुक अदा से उसके लंड को बदस्तूर चाटती रही | फिर मधुरिमा उठकर कपिल के सीने के पास आगई और अपनी लांघे कपिल की छाती के दोनों ओर करके उसके लंड पर झुक गयी | सामने से सलोनी अभी भी उसके लंड पर लगी मलाई को चाट रही थी | मधुरिमा ने उसके नाभि के नीचे पड़ी कपिल के लंड की सफ़ेद मलाई चाटनी शुरू कर दी |
मिली - चोदो मुझे सर और जोर से चोदो, और अन्दर तक डाल कर मेरी चूत को फाड़ दो, मेरी हरामन चूत का कोना कोना कुचल डालो. मसल डालो इस रंडी चूत को |
मिली वासना की उत्तेजना में क्या क्या बडबडा रही थी उसे भी नहीं पता | सहाय का भी यही हाल था,
सहाय भी उत्तेजना से भरा हुआ था - चोद तो रहा हूँ साली रंडी की औलाद | क्या रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर छोड़ रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है |
मिली भी उत्तेजना के नशे में डूबी थी - सर ये मिली की चूत है, जितना चोदोगे उतना चुदास इसकी बढ़ जाती है |
आआआआआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आआआआआआअह आआईई |
सहाय ने एक जोरदार झटका मारा और मिली की चीखे निकल गयी - आआआआआआआआआआआअ
आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआर डालालालालालालालाल |
सहाय - ले रंडी की लौड़ी और ले मेरा लंड , ऐसे ही चीखे निकलूगा तेरी |
मिली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊ्ऊ्ऊ्ई्ई्ई्ई… मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ सर थोड़ा धीईईईईईईईईईईरेरेरेरेरे ईईईई रीरीरीरीरीरीरीईईईईए चोचोचोचोचोचोआआआआदो सर |
दर्द उसकी जांघो और पिंडलियों में घर कर गे और मिली का बदन फिर कांपने लगा | उसकी वासना झाड़ने लगी | आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सर माआईईईईईइ तो झ झाझाझाझाझाझाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ रही हूँ |
सहाय और जोर से ठोकर मरता हुआ - झड साली रंडी की औलाद आज तुझे रात पर बरसाऊंगा, रात पर ऐसे ही टप टप कर तेरी चूत बहेगी और तू ऐसे ही कांप काँप कर झाड़ेगी | सहाय ने फिर करार झटका मारा | मिली कांप कांप कर शांत हो गयी | लेकिन न उसकी चूत की चुदाई रुकी न सहाय ने ऐसी कोई कोशिश की | मिली को पाने हाथ पाँव में कमजोरी महसूस होने लगी थी, लेकिन नीचे उसकी चूत में आते जाते सटासट लंड की वजह से उसके बदन की गरमी बरकरार थी | कुछ देर बाद जब उसका शरीर पर नियंत्रण लौटा तो वो भी बीच बीच में अपनी कमर उठकर धक्के लगाकर अपनी चूत में लंड लेने लगती |
काफी देर तक दोनों कपिल के लंड पर अपने रसीले ओंठो का रस बरसाती रही, फिर कपिल को बिस्तर पर फिर से लुढ़का दिया | मधुरिमा ने कपिल का लंड जड़ से हाथ में थामा और अपने मुहँ को चौड़ा कर उसमे सुपाडे सहित उसका लंड घुसेड़ कर उसे कसकर चूसने लगी |
कपिल फिर से कराह उठा - आआआआआआआआआआअह्हह्हह्हह |
सलोनी गौर से मधुरिमा का बंद ओंठो की सख्त जकड़न में कपिल के लंड का चुसना देख रही थी | मधुरिमा के ओंठ कपिल के गरम लंड की कसकर रगड़ रह रहे थे | मधुरिमा ने अपने मुहँ से मोटा लंड बाहर निकाला और सलोनी के मुहँ की तरफ करके - सक इट लाइक आई सक |
उसने सलोनो को बताया पहले लंड को जड़ से एक हाथ से थामे, सलोनी ने गोलिओ सहित कपिल के लंड को अपनी मुट्ठी में थाम लिया | फिर मीनार की तरह तने हुए लंड के लिए के सुपाडे पर अपने गुलाबी रसीले ओंठ रख दिए | सर को जोर से नीचे को ठेला और उसके नरम रसीले ओंठो को फैलाता कपिल का हवस की आग में जलाता मोटा लंड सुपाडे सहित सलोनी के मुहँ में सामने लगा |
मधुरिमा बोली - ओंठ कसकर चिपकाये रख, तभी लंड कसकर रगड़ खायेगा |
सलोनी ने बिल्कुल वैसा ही किया | उसके ओंठ सख्ती से कपिल के लंड को जकडे हुए थे और वो सर ऊपर नीचे करके कसकर पूरा दम लगाकर कपिल के लंड को चुस रही थी, उसने जड़ से कपिल के लंड को थम रखा था | उसका गीला सुपाडा सलोनी के नरम मुहँ में गीली जीभ पर रपट रहा था | सलोनी बार बार उसकी गोलियों को भीचने लगती | सलोनी अपने नाजुक ओंठो से कपिल का लंड बुरी तरह चूस रही थी और उसी तरह से उसकी गोलियों को अपने हाथ से मथ रही थी | कसकर लंड के सलोनी के नाजुक ओंठो से मसले जाने से कपिल की उत्तेजना बेकाबू होने लगी | वैसे भी उसका लंड पहले से ही उत्तेजना से कुछ ज्यादा ही भरा हुआ था | वो सलोनी के गरम मुहँ के नरम स्पर्श की जादुई चुसाई बर्दास्त नहीं कर पाया और उसके सब्र का बांध टूट गया | उसकी गोलियों से गरम सफ़ेद लंड रस निकलने लगा | उसकी कराहे अनुभवी मधुरिमा ताड़ गयी, उसने सलोनी के मुहँ से लंड बाहर खीच लिया और दोनों उसके सुपाडे से मुहँ टिकाकर अपनी गीली गुलाबी जुबान उसके सुपाडे पर फिसलाने लगी | दोनों के गीली खुरदुरी जुबान का सहलाना था की कपिल के लंड से पिचकारी छुटने लगी | उसके गोलिओ में भरा रस सुपाडे के छेद से रिसने लगा | दोनों उसके गरम सफ़ेद लावे की अपनी जीभ से चाटने लगी | कपिल आह आह करके झड़ने लगा | उसके लंड से गिर रही सफ़ेद रस की धार उसी के पेट के निचले हिस्से को गीला करने लगी | पांच सात पिचकारियो के साथ कपिल ने अपनी हवस की आग की पहली क़िस्त पूरी कर दी थी | कपिल के लंड से पिचकारियाँ निकली बंद हो गयी लेकिन सलोनी और मधुरिमा ने उसके लंड रस से सने गरम लंड को चाटना बंद नहीं किया | वो कामुक अदा से उसके लंड को बदस्तूर चाटती रही | फिर मधुरिमा उठकर कपिल के सीने के पास आगई और अपनी लांघे कपिल की छाती के दोनों ओर करके उसके लंड पर झुक गयी | सामने से सलोनी अभी भी उसके लंड पर लगी मलाई को चाट रही थी | मधुरिमा ने उसके नाभि के नीचे पड़ी कपिल के लंड की सफ़ेद मलाई चाटनी शुरू कर दी |
मिली - चोदो मुझे सर और जोर से चोदो, और अन्दर तक डाल कर मेरी चूत को फाड़ दो, मेरी हरामन चूत का कोना कोना कुचल डालो. मसल डालो इस रंडी चूत को |
मिली वासना की उत्तेजना में क्या क्या बडबडा रही थी उसे भी नहीं पता | सहाय का भी यही हाल था,
सहाय भी उत्तेजना से भरा हुआ था - चोद तो रहा हूँ साली रंडी की औलाद | क्या रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर छोड़ रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है |
मिली भी उत्तेजना के नशे में डूबी थी - सर ये मिली की चूत है, जितना चोदोगे उतना चुदास इसकी बढ़ जाती है |
आआआआआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आआआआआआअह आआईई |
सहाय ने एक जोरदार झटका मारा और मिली की चीखे निकल गयी - आआआआआआआआआआआअ
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सहाय - ले रंडी की लौड़ी और ले मेरा लंड , ऐसे ही चीखे निकलूगा तेरी |
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दर्द उसकी जांघो और पिंडलियों में घर कर गे और मिली का बदन फिर कांपने लगा | उसकी वासना झाड़ने लगी | आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सर माआईईईईईइ तो झ झाझाझाझाझाझाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ रही हूँ |
सहाय और जोर से ठोकर मरता हुआ - झड साली रंडी की औलाद आज तुझे रात पर बरसाऊंगा, रात पर ऐसे ही टप टप कर तेरी चूत बहेगी और तू ऐसे ही कांप काँप कर झाड़ेगी | सहाय ने फिर करार झटका मारा | मिली कांप कांप कर शांत हो गयी | लेकिन न उसकी चूत की चुदाई रुकी न सहाय ने ऐसी कोई कोशिश की | मिली को पाने हाथ पाँव में कमजोरी महसूस होने लगी थी, लेकिन नीचे उसकी चूत में आते जाते सटासट लंड की वजह से उसके बदन की गरमी बरकरार थी | कुछ देर बाद जब उसका शरीर पर नियंत्रण लौटा तो वो भी बीच बीच में अपनी कमर उठकर धक्के लगाकर अपनी चूत में लंड लेने लगती |